बेदर्द मां ( लघुकथा संग्रह )
लघुकथाकार विनोद खनगवाल का लघुकथा संग्रह " बेदर्द मां " में 62 लघुकथाएं है।
लेखक ने " अपनी बात " में स्पष्ट लिखा है कि " गरीबी " उन की प्रथम लघुकथा है। इस दृष्टि से लघुकथा अच्छी है परन्तु कथा में कल्पना की चासनी अधिक है। पुस्तक का शीर्षक " बेदर्द मां " सहित बेदर्द पर पुस्तक में तीन लघुकथा दी गई है। बेदर्द मां, बेदर्द बाप, बेदर्द लोग यानि तीनों लघुकथा अच्छी है जो समाज का विकृति रूप पेश किया है। जिन्हें व्यंग शैली में भी रखा जा सकता है।
इस संग्रह की श्रेष्ठ लघुकथा " भूल " है जो समाज के बिना सोचे समझे बनाये नियमों का परिणाम है। लेखक सभी लघुकथाओं में समाज के विभिन्न रूपों को दिखाने का प्रयास किया है। वैसे भी साहित्य समाज का आईना होता है।
भाषा शैली की दृष्टि से लघुकथा में प्रयोगात्मक शैली स्पष्ट रूप से नज़र आतीं हैं। कहीं कहीं पर हिन्दी के साथ साथ अन्य भाषाओं का प्रयोग किया है।
" मेरी दृष्टि में " लेखक पुस्तक में समाज को निराशा की दृष्टि से देखते हुए नज़र आता है। वैसे लेखक की पहली पुस्तक है। अतः लेखक साधुवाद के पात्र है।
प्रकाशक
सुकीर्ति प्रकाशन
डी. सी. निवास के सामने, करनाल रोड
कैथल - 136027 हरियाणा - भारत
प्रथम संस्करण : 2005
- बीजेन्द्र जैमिनी
समीक्षक
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