पंकज शर्मा से साक्षात्कार

पिता : श्री ओम प्रकाश शर्मा
माता :  श्रीमती स्नेह लता शर्मा
  जन्म : 19 सितंबर 1970, चंदौसी (मुरादाबाद -उत्तर प्रदेश)
शिक्षा : स्नातक, कहानी-लेखन महाविद्यालय, अम्बाला छावनी से ‘लेख व फीचर लेखन’ का कोर्स।
सम्प्रति : सेवारत रेल विभाग।

विधाएं : हास्य-व्यंग्य, कहानी, लेख, लघुकथा, कविता, संस्मरण, समीक्षा इत्यादि।

प्रकाशित पुस्तकें: -

1. सिर्फ तुम (लघुकथा संग्रह)
2. डोर (लघुकथा संग्रह)
3. वह लड़की (कहानी संग्रह) 
4. मुफ्त बातों के मुफ्तलाल (व्यंग्य संग्रह)

सम्मान / पुरस्कार : -

- ‘पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी’, शिलांग द्वारा ‘श्रेष्ठ प्रतिभा सम्मान’, शिलांग शिविर-2010 में।      
- ‘यूएसएम पत्रिका एवं राष्ट्रभाषा स्वाभिमान न्यास (भारत)’, गाज़ियाबाद द्वारा ‘राष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान- 2010’ प्राप्त।
- ‘हम सब साथ साथ’, नई दिल्ली द्वारा ‘युवा लघुकथाकार सम्मान’।
- ‘पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी’, शिलांग द्वारा ‘श्री जीवनराम मुंगीदेवी गोयनका स्मृति सम्मान’।
- ‘साहित्य सभा’, कैथल (हरियाणा) द्वारा ‘बाबू जगदीश राम स्मृति साहित्य सम्मान 2015’ प्राप्त।
- भारत विकास परिषद्, अम्बाला द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन (26.11.2016) में सम्मानित।
- ‘हरियाणा प्रादेशिक हिंदी साहित्य सम्मलेन, सिरसा’ द्वारा संचालित ‘हरियाणा प्रादेशिक लघुकथा मंच’ के तत्वाधान में ‘लघुकथा सेवी सम्मान, वर्ष-2016’ से सम्मानित।
- पुस्तक ‘सिर्फ तुम’ (लघुकथा संग्रह) को हरियाणा साहित्य अकादमी, पंचकूला से ‘श्रेष्ठ कृति     पुरस्कार’, राशि 21000/- रुपए।
• ‘साहित्य समर्था’, त्रैमासिक साहित्यक पत्रिका, जयपुर द्वारा ‘अखिल भारतीय डॉ. कुमुद टिक्कू कहानी एवं लघुकथा प्रतियोगिता’ में श्रेष्ठ लघुकथा पुरस्कार (जनवरी, 2016)।

विशेष : -

- देश की लगभग सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में रचनायें प्रकाशित।
-  आकाशवाणी कुरुक्षेत्र, रोहतक एवं शिलांग से रचनायें प्रसारित।
-  पर्यटन, फोटोग्राफी, मित्रता, अध्ययन-मनन, संगीत सुनना, नेक कार्यों में रूचि।
-  हरियाणा साहित्य अकादमी, पंचकूला से लघुकथा संग्रह ‘सिर्फ तुम’ हेतु सहायतानुदान।
-  हरियाणा साहित्य अकादमी, पंचकूला’ द्वारा वर्ष 2014-15 के लिए (दिसंबर, 2016 में घोषित) पुस्तक ‘वह लड़की’ के लिए सहायतानुदान।

संपर्क : 19, सैनिक विहार, विकास पब्लिक स्कूलके सामने , जंडली, अम्बाला शहर–134005 हरियाणा


प्रश्न न.1 - आपने किस उम्र से लिखना आरंभ किया और  प्रेरणा का  स्रोत क्या है ?
उत्तर - मेरे लिए यह प्रश्न ही सही नहीं है, क्योंकि मन के पन्नों पर तो शायद पैदा होते ही लिखना आरंभ कर दिया था। और लिखने के लिए कोई उम्र नहीं होती। हां, फिर भी, यदि घोषित वर्ष की बात की जाए तो वर्ष 2006 के अंत यानी दिसम्बर से कह सकते हैं, जब मैं उर्मि कृष्ण जी से अकस्मात मिला था। उनसे प्रेरणा लेकर तो नहीं कह सकता, क्योंकि प्रेरणा भी हमें स्वयं से ही प्राप्त होती है, किसी के कहने से कोई लिखना शुरू नहीं करता। हां, इसमें दो राय नहीं कि उर्मि कृष्ण जी ने उंगली पकड़कर चलना सिखाया, मार्गदर्शन एवं प्रशिक्षण दिया, और विजय जी ने पूरा साथ निभाया, बारीकियों से वाकिफ़ किया। उन्हीं की बदौलत आज में लेखन में हूँ।

प्रश्न न. 2 - आप की पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित या प्रसारित हुई है ?
उत्तर -  मेरी पहली रचना भी शुभ तारिका (मासिक) में जनवरी, 2007 अंक में प्रकाशित हुई। हुआ यूं कि मैं अपने सहकर्मी वी.एस. दवे जी के साथ अकस्मात  उर्मि जी के घर गया, जो उनका कार्यकाल भी था। जब मुझे पता चला कि यह 'कहानी लेखन महाविद्यालय' एवं 'शुभ तारिका' पत्रिका का केंद्र है, तो मैंने भी संकोच के साथ उर्मि जी से कहा कि मैं भी कविताएं लिखता हूँ। उन्होंने कहा, "दिखाना।" अगले दिन मैं दो-चार कविताएं उनके पास ले गया, देखकर उन्होंने कहा, "और लिखो।" मैं एक लघुकथा लिखकर ले गया 'थप्पड़'। यह लघुकथा 'शुभ तारिका' के जनवरी, 2007 अंक में प्रकाशित हो गयी। और मेरे लेखन की शुरुआत भी।

प्रश्न न. 3 - आप किन-किन  विधाओं में लिखते हैं और सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पंसद करते हैं ?
उत्तर - लेखन की लगभग हर विधा में मेरी रुचि है, और मैं सब में लिखता हूँ। परंतु लघुकथाएं एवं व्यंग्य मेरी सबसे प्रिय विधाएं हैं, और इनमें मैं सबसे सहज हूँ।

प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर -  लेखन का उद्देश्य ही अपने विचार या बात समाज के सामने रखना है। मैं मानवता को सामने रखकर, एक बेहतरीन समाज बनाने के उद्देश्य से रचनाकर्म करता हूँ, और उसी की रक्षा, उन्नति और बेहतरी का संदेश देना चाहता हूँ।

प्रश्न न. 5 - वर्तमान साहित्य में आप के  पसंदीदा लेखक या लेखिका की कौन सी  पुस्तक है ?
उत्तर - मैं चुनकर पढ़ना पसंद नहीं करता, अतः मेरी पसंदीदा सूची में कुछ लेखक या लेखिका नहीं आते, वरन वे सभी लेखक आते हैं जो अच्छा लिख रहे हैं। अब अच्छे की परिभाषा क्या है, यह एक दूसरा प्रश्न है, जिसे वर्णित नहीं किया जा सकता। यह अवश्य है कि अभी मैं बहुत पढ़ नहीं पा रहा हूँ। अतः कोई विशेष नाम नहीं ले पाऊंगा।

प्रश्न न. 6 - क्या आपको आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर मिला है ? ये अनुभव कैसा रहा  है ?
उत्तर -  आकाशवाणी तो गया हूँ कई बार- कुरुक्षेत्र, रोहतक, शिलांग, पर दूरदर्शन पर अभी नहीं गया। कभी मौका मिलेगा तो अवश्य जाएंगे।

प्रश्न न. 7 - आप वर्तमान में कवि सम्मेलनों को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों?
उत्तर - प्रासंगिकता तो है, परंतु यदि उसे सही नीयत और उद्देश्य से आयोजित करवाया जाए तब। यह एक विस्तृत प्रश्न है।

प्रश्न न. 8 - आपकी नज़र में साहित्य क्या है  तथा  फेसबुक के साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं ?
उत्तर - साहित्य सहजता से किया जाने वाला रचनाकर्म है, जिसे साधना पड़ता है, अन्य कलाओं की तरह। फेसबुक या अन्य सोशल मीडिया एक अच्छा और सशक्त माध्यम हो सकता है, परंतु इसे अधिक विश्वसनीय बनाये जाने एवं नियंत्रित किये जाने की आवश्यकता है।

प्रश्न न.9 - वर्तमान  साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैरसरकारी पुरस्कारों की क्या स्थिति है ?
उत्तर - पुरस्कार चाहें वे सरकारी हों या गैरसरकारी, दोनों की स्थिति एक जैसी है। पुरस्कार किसी भी साहित्यकार को प्रोत्साहित करने का काम करता है। उससे जिम्मेदारी भी बढ़ती है।परंतु जब पुरस्कार किसी अयोग्य व्यक्ति को मजबूरी, लाभ के लालच या प्रसन्न करने, जुगाड़ से दिया या लिया जाता है, तब पुरस्कार एवं साहित्यकार दोनों की गरिमा में कमी आती है। इससे अच्छे साहित्य एवं साहित्यकार का ह्रास होता है। इनसे बचने या सावधान रहने की आवश्यकता है।

प्रश्न न. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेगें ?
उत्तर -  जीवन के हर मोड़ पर हर तरह की, या कहें कि तरह तरह की मजेदार और महत्वपूर्ण घटनाएं घटती रही हैं, जिनको अपने लेखन के माध्यम से धीरे धीरे बाहर लाने का प्रयत्न करूंगा। संक्षेप में 19 का मेरे जीवन में बहुत अच्छा संयोग रहा है। जैसे- 19 को जन्म, 19 को शादी, 19 प्लाट नंबर,  पैतृक घर आना-जाना 19 किलोमीटर, ससुराल एक तरफ  (आना/जाना) 19 किलोमीटर...। ऐसे बहुत से संयोग, कि जिन पर पूरी किताब बन जाये।

प्रश्न न. 11 - आपके लेखन में , आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर - मेरी पत्नी मेरी सबसे बड़ी समीक्षक एवं आलोचक है। बहुत अधिक नहीं पड़ती, मगर निचोड़ एकदम से निकालकर रख देती है। मुझे लेखक बनाने में उसका आधा योगदान तो है ही।


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