अनिल पतंग से साक्षात्कार

फिल्मकार, नाटककार, अभिनेता, कवि व लेखक
जन्म : 01 जून 1951 , बेगूसराय - बिहार
शिक्षा: एम.ए. नाट्यशास्त्र, एम.ए. हिन्दी, साहित्यरत्न,विद्यावाचस्पति, डिप.इन टीच., डिप.इन फिल्म, एन.ई.टी. यू.जी.सी. एम.डी. अल्ट. मेडिसीन

सम्पादक- रंग अभियान (नाट्य पत्रिका)

प्रकाशित पुस्तकें : -

नाटक-
   दीवार,
   प्रजातंत्र,
   कीमत,
   जट जटिन,
   सामा- चकेवा,
   डोमकछ,
   एक महर्षि का मूल्य,
   नागयज्ञ,

कहानी संग्रह
    प्रोफेसर सपना बाबू

निबंध संग्रह
     रंग संदर्भ

संपादन
     बिहार के लोकधर्मी नाट्य

पुरस्कार/ सम्मान: -

1.कलाश्री, 93-94
2. कला शिरोमणि 1996
3. संस्कृति सूत्रधार- 1999
4. सहस्राब्दी सम्मान- 2000.
5. अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली नाट्य पुरस्कार-1992
6. भिखारी ठाकुर राष्ट्रीय शिखर सम्मान-2001
7. रजत जयन्ती सम्मान-1997 एवं 2002
8. सर्वोत्तम नाट्य निर्देषक पुरस्कार-94, 96, 2002
9. अनिल मुखर्जी शिखर सम्मान-2001
10. जगदीशचन्द्र माथुर सम्मान-2001
11. नवेन्दु शिखर साहित्य सम्मान-2001
12 . कृष्णचन्द्र बेरी सम्मान-2006 
13 .विन्देश्वरी सिंह कला सम्मान- 2008
14. रामवृक्ष बेनीपुरी राष्ट्रीय षिखर सम्मान-2008
15. भारतेन्दु रजत सम्मान-2009
16. विद्यावाचस्पति-2009
17. नुनुबाबू सिंह शिखर सम्मान-2010
18. राजकीय शिक्षक सम्मान- 2011

विशेष : -


- लेखन, अध्यापन, संपादन, अनुवाद, पत्रकारिता, फिल्म निर्माण, रंगमंच
- फिल्म “जट-जटिन” के निर्माता लेखक
- आजकल लघुकथाओं पर लघु फिल्में बनना
- अनेक स्मारिकाओं का संपादन
-  प्रधान सम्पादक : सम्पर्क (दूरदर्शन जालंधर की पत्रिका)
-  पूर्व अध्यापक, पूर्व हिन्दी अधिकारी दूरदर्शन
-  बिहार सरकार द्वारा अनुशंसित अनेक रंग संस्थाओं एवं साहित्यिक संस्थाओं के सचिव/अध्यक्ष/ अधिकारी एवं सदस्य
-  निदेशक : नाट्य विद्यालय, बेगूसराय

पता :
  बाघा (रेलवे कैबिन के पास) पो. - सुहृद नगर (बेगूसराय) 851218 

प्रश्न न.1 - आपने किस उम्र से लिखना आरंभ किया और  प्रेरणा का  स्रोत क्या है ?
उत्तर - मैं 12 साल की उम्र से लिखना शुरू किया। मैं उन दिनों वर्ग 8 का छात्र था। मेरे उच्च विद्यालय तेयाय में चंद्रचूड़ बाबू एक अध्यापक हुआ करते थे, जो बाद में सिक्किम में शिक्षा विभाग के निदेशक भी हुए। एक हस्त लिखित पत्रिका 'अर्चना' की शुरुआत की। उसके सम्पादक मंडल में मैं भी था। वे मुझसे 'ठेठ हिंदी का ठाठ' लिखवाते थे। वही मेरे प्रेरणा के श्रोत रहे।

प्रश्न न. 2 - आप की पहली रचना कब और कैसे प्रकाशित या प्रसारित हुई है ?
उत्तर - 2. मेरी पहली रचना तो उसी हस्तलिखित पत्रिका से शुरू हुई, लेकिन मेरी पहली कविता बेगूसराय से निकलने वाली साप्ताहिक 'सरजमीं' में मेरी पहली कविता छपी। मैं फूला नहीं समा रहा था, उसे अपने थैला में रखता और लोगों को दिखाया करता था।

प्रश्न न. 3 - आप किन-किन  विधाओं में लिखते हैं और सहज रूप से सबसे अधिक किस विधा में लिखना पंसद करते हैं ?
उत्तर -  मैं मूलतः नाटक लिखता हूँ। नाटक की एक अनियतकालीन पत्रिका 'रंग अभियान' निकालता हूँ। उसके 45 अंक प्रकाशित हुई हैं। मेरी हजारों रचनाएँ देश के विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं, जिसमें 50 से अधिक नाटक हैं। यूँ मेरी कहानी संकलन 'प्रोफेसर सपना बाबू' और निबंध संग्रह   'रंग संदर्भ' सहित दर्जन भी पुस्तकें प्रकाशित हैं। मैं नाट्य एवं फिल्म पटकथा लिखना अधिक सहज मानता हूँ। दूरदर्शन में हिंदी अधिकारी रहने के क्रम में वहाँ से निकालने वाली पत्रिका का प्रधान सम्पादक रहा हूँ।

प्रश्न न. 4 - आप साहित्य के माध्यम से समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर -  मेरी रचनाओं और फिल्मों में राष्ट्र और समाज की कुरीतियाँ, विद्रूपताएँ अधिक दिखती हैं। मैं उनके प्रति लोगों को जागृत करता हूँ।

प्रश्न न. 5 - वर्तमान साहित्य में आप के  पसंदीदा लेखक या लेखिका की कौन सी  पुस्तक है ?
उत्तर -  लोक शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की रचनाएँ और पुस्तकें प्रिय हैं और उनमें से 'मैला आँचल' सर्वप्रिय।

प्रश्न न. 6 - क्या आपको आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रसारित होने का अवसर मिला है ? ये अनुभव कैसा रहा  है ?
उत्तर - आकाशवाणी का नियमित, दूरदर्शन पर कई बार प्रसारित होने अवसर मिला। मैं प्रसार भारती (दूरदर्शन) में हिंदी अधिकारी रहा।

प्रश्न न. 7 - आप वर्तमान में कवि सम्मेलनों को कितना प्रासंगिक मानते हैं और क्यों?
उत्तर -  मैं कविता भी लिखता हूँ। मंच संचालन भी करता हूँ। अपनी बात को अभिव्यक्त करने का एक उपयुक्त जगह है।

प्रश्न न. 8 - आपकी नज़र में साहित्य क्या है  तथा  फेसबुक के साहित्य को किस दृष्टि से देखते हैं ?
उत्तर - 'साहित्य समाज का दर्पण है' से सहमत हूँ। आजकल फैसबुक या इस तरह के अन्य माध्यम काफी सशक्त है।

प्रश्न न.9 - वर्तमान  साहित्य के क्षेत्र में मिलने वाले सरकारी व गैरसरकारी पुरस्कारों की क्या स्थिति है ?
उतर -  बोगस, आज के कुछ साहित्यकार इसके पीछे भाग रहे हैं। कुछ संस्थाएँ सम्मान/पुरस्कार बेचती हैं। गुटवाजी अधिक है। इसमें भ्रष्टाचार का बोलबाला है।

प्रश्न न. 10 - क्या आप अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटना या संस्मरण का उल्लेख करेगें ?
उत्तर -  मैं एक सम्मान की ही बात करूँ, समारोह में नहीं जा सका था। एक पोस्ट कार्ड आया  कि डाक खर्च भेज दूँ। मैंने अपनी अस्वीकृति भेज दी।

प्रश्न न. 11 - आपके लेखन में , आपके परिवार की क्या भूमिका है ?
उत्तर - पत्नी बेचारी मजबूरी में साथ हैं। लेकिन पुत्रों का पूरा सहयोग रहता है।


Comments

Popular posts from this blog

वृद्धाश्रमों की आवश्यकता क्यों हो रही हैं ?

लघुकथा - 2024 (लघुकथा संकलन) - सम्पादक ; बीजेन्द्र जैमिनी

इंसान अपनी परछाईं से क्यों डरता है ?