लोकमान्य बालगंगाधर तिलक स्मृति सम्मान - 2025

        खामोशी एक प्रकार से साधना होती है। जो सभी नहीं कर सकते हैं। इसके लिए अभ्यास की आवश्यकता होती है। जो इस में निपुण हो जाता है। वह जिंदगी में बहुत कुछ हासिल कर सकता है । परन्तु यह विषय खामोशी का अर्थ कमजोरी से ताल्लुक का लिया गया है । वास्तव में खामोशी इंसान की आवाज दूर - दूर तक जाती है। जिस का प्रभाव बहुत कुछ साबित कर देता है। यही विषय चर्चा का है। अब आयें विचारों को देखते हैं : - 
    ऐसे अनेक लोग होते हैं जो खामोश  नजर आते हैं और अपने काम से काम रखते हैं।  इसके पीछे उनकी कोई कमजोरी नहीं होती बल्कि ऐसा वे अपना स्वभाव बना लेते हैं।अधिकांशत:  उनके इस स्वभाव के पीछे जो मूल कारण होता है वह यह होता है कि वे गपशप में या बेकार में अपना समय नष्ट नहीं करना चाहते। इसके बदले वे स्वतंत्र रूप से अपने हाल में रहना पसंद करते हैं और अपनी समस्या स्वयं निराकृत करने का साहस भी रखते हैं।ऐसे लोग ईमानदार और ईमानदारी से अपने कर्तव्य का निर्वहन करने वाले होते हैं। इसलिए वे सहन भी एक हद तक ही होते हैं,  इसके बाद वे कहने में तनिक भी संकोच नहीं करते।उनकी अपनी पसंदगी के लोग होते है ,जिनके साथ समय बिताने में उन्हें कोई कठिनाई नहीं होते। अत: आशय यह कि यह कहना पूर्णत: सह उचित है कि " खामोश किसी इंसान की कमजोरी नहीं होती है बल्कि जिसे सहना आता है उस को कहना भी आता है।

       - नरेन्द्र श्रीवास्तव

     गाडरवारा - मध्यप्रदेश 

          खामोशी किसी की कमजोरी नहीं अपितु खामोशी व्यक्ति की ऐसी शक्ति होती है , जिसके द्वारा वह कठिन से कठिन स्थिति को पार कर जाता है !!जो सब कुछ समझकर भी नहीं बोलता , उसका यह मतलब है कि वह सब कुछ सहकर  सही समय का इंतजार कर रहा होता है !! लोग सहने को कमजोरी समझने की गलती कर देते हैं !!खामोशी एक ऐसा अस्त्र है जो है किसी अप्रिय स्थिति को टालने या रोकने में सक्षम  होता है !! जो सह सकता है , वो कह भी सकता है , पर वो उचित समय का इंतजार करता है !!

           - नंदिता बाली 

     सोलन - हिमाचल प्रदेश

       खामोशी किसी इंसान की कमजोरी नहीं होती बल्कि जिसे सहन आता उसको कहना भी आता है खामोशी छुपारुस्तम स्वभावगत विशेषताएं होती है जिसका उपयोग समय देख करते है पर कभी खामोशी बेवक़ूफ़ी साबित कर नकारा बुझदिल कमजोर बता जीवन भी  भर गुमनामी के अंधेरों में जी एकाकीपन के शिकार होते है नियम ,संयम ,बुद्धिमता का उपयोग कर अपनी गरिमा बनाये रखना चाहिए ! चाटुकारिता नही वाक्पटुता संबंधों को जीना आना चाहिए फिर वही बात पर उपदेश कुशल बहुतेरे ,अट्टहास के पात्र साबित होते है  ! वही अधिक जरूरत से ज़्यादा बोलना वाचाल बड़बोले बतकही कहलाते है !

      - अनिता शरद झा

     रायपुर - छत्तीसगढ़ 

        यह बात सही है की खामोश रहने वाला इंसान सुनता भी है सहता भी है ,पर मौका मिलते ही "सौ की एक" बात कह भी देता है।  कहावत भी है- " सौ सुनार की एक लुहार की" चुप रहने वाले इंसान को यह नहीं समझना चाहिए कि वह बहुत सीधा है सबकी सुन लेता है किसी से कुछ नहीं कहता, दरअसल वह जानता है कि समय ही सबका हल  है । सृष्टि में जो जैसा बोएगा, वैसा ही पाएगा, वह किसी का कारण क्यों बने? अगर उसे इंसान को कोई कुछ कह दे तो वह शांत रहकर रिश्तो की कद्र करता है। वह समझता है कि  "धनुष से निकला हुआ बाण और मुंह से निकली बाणी। " कभी वापस नहीं आती। 

          - रंजना हरित

    बिजनौर - उत्तर प्रदेश 

       बल्कि यूँ कहें जिसे सहना आता है उसको बेहतर कहना आता है। जुबान और सोच सभी के पास है। पलटवार वैसे भी बेलिहाज़ होता है लेकिन परवरिश और परिवेश से मिले संस्कार और सभ्यता से सहने वाला अपनी सहनशक्ति को और तौल लेता है और अनदेखा करना स्वभाव बना लेता है। कमज़ोरी समझने वाला गलतफहमी में जीने लगता है और अपना स्तर और गिराता चला जाता है। समय तो सबका हिसाब रखता है। रश्मि प्रभा जी का सत्य कथन -
कुछ बातें बस कह देने से हल्की नहीं होतीं,
और सुनने वाला अगर मौन हो तो वे कभी बोझ नहीं बनतीं !

   - विभा रानी श्रीवास्तव 

        पटना - बिहार 

      खामोशी को कमजोरी नहीं, बल्कि ताकत समझना चाहिए। *मौन ही सोन है* कहावत चरितार्थ करती है, कि जितना गहरा मौन होगा, आंतरिक शक्ति उतनी ही प्रबल होगी।ऐसा व्यक्ति कमज़ोर नहीं होता बल्कि समय पर सटीक शब्दों के साथ अपनी बात रखता है। उसका स्वभाव ही ऐसा बन जाता है, कि बेवजह क्यों बोले, उससे अच्छा मौन रहें। कई बार खामोशी को लोग कमजोरी समझ लेते हैं, पर खामोशी भी बोलती है यदि समझना आ जाए, तब हम  खामोशी की भाषा भी समझ जाते हैं। जो सारी बातें सहना जानता है, वह कहना भी जानता है। पर बुद्धिमानी इसी में है, कि जब तक आवश्यक न हो, खामोश रहना ज्यादा अच्छा है। मौन, शांत व्यक्ति गंभीर परिस्थितियों का सामना करने की ताकत भी रखता है, वह कमजोर नहीं होता। 

    - रश्मि पाण्डेय शुभि

   जबलपुर - मध्यप्रदेश  

       एक चुप सौ को हरावे की कहावत की तरह उपरोक्त पंक्तियां हैं।  चुप रहना इंसान की कमजोरी नहीं है। यह बड़प्पन और उस व्यक्ति की सहनशीलता भी हो सकती है। आत्म नियंत्रण की ताकत है। वह उन स्थिती , परिस्थितियों को समझ रहा है कि चुप रहना अभी बेहतर है । जैसे महाभारत के काल में दुर्योधन के कहने पर दुःशासन रजस्वला से पीड़ित अपनी भाभी  द्रौपदी के बाल खींचते हुए मंत्रियों  , विद्वान से  भरी सभा में लाया । सारे। विद्वान लोग इस दृश्य को देख कर खामोश हो गए । उनमें   द्रौपदी के पंच पति , महाज्ञानी भीष्म पितामह  भी थे।  इन सबने तब चुप रहना पसंद किया । परिस्थितियों का इंतजार किया। सही वक्त पर जवाब फ़िया। चुप रहना कमजोरी नहीं है ताकत को बताता है। 

        - डॉ मंजु गुप्ता

        बंबई - महाराष्ट्र 

       खामोश रहना यानी मौन रहना। निश्चित यह सत्य है की मोन या खामोश रहना कई समस्याओं को हल कर देता है, कोई बात बिगड़ती है तो खामोश रहने से वह आक्रोश का समय टाल देती है एवं धैर्य पूर्वक समस्या का निदान संभव हो जाता है। खामोश रहना इंसान की कमजोरी नहीं है यह तो उसका बड़प्पन है की हर परिस्थितियों में खामोश रहकर अपनी पूर्ण क्षमता धैर्यता दिखाते हुए उस समय खामोश रहकर विचार विमर्श करके उचित समय पर उसका जवाब देता है इसलिए इंसान की कमजोरी नहीं कहे। हालत देखकर बोलना ही उचित होता है। जिसे सहनाआता है उसे कहना भी आता है यह बात सही है वह समय का इंतजार करता है और अपनी पूर्ण क्षमता के साथ अपनी बात को तरीके से पेश करता है। इसलिए मैं उपरोक्त विशेष से सहमत हूं। 

       - रविंद्र जैन रूपम 

         धार - मध्य प्रदेश

           "जरूरी नहीं हर बात लफ़्ज़ों की गुलाम हो, खामोशी भी खुद में एक जुबान होती है"।  आज का रूख खामोशी की तरफ करते हैं कि क्या खामोशी किसी  इंसान की कमजोरी  होती है, मेरा मानना है कि खामोशी किसी इंसान की कमजोरी नहीं होती बल्कि उसका बड़प्पन होता है , हर किसी को कहना भी आता है लेकिन शांत लोग अक्सर बोलने से पहले गहराई से सोचते हैं, पहले तोलो फिर वोलो अच्छी कहावत है, चुप रहने का मतलब ही खुद को व्यक्त करने के लिए सही शब्दों की खोज होता है, यह कहना कदापि सच नहीं कि  खामोशी किसी इंसान की कमजोरी होती है, खामोश रहने वाले लोग औसत व्यक्तियों की तुलना में अधिक रचनात्मक और संवेदनशील होते हैं, यही नहीं  अच्छे व्यवहार और अच्छे आचरण वाले लोग काफी हद तक खामोश रहते हैं ताकि दुसरों के भावों को पहचान  सकें और विवादों से बच पाएं, यह मत भूलिए एक चुप हजारों पर भारी पड़ सकता है, खामोशी एक ऐसा उपहार है जिसकी चमक कभी कम नहीं होती, यह हमारे व्यक्तित्व  को संवारने और मुश्किल परिस्थितियों  में आगे बढ़ने का साहस देती है, गलत सवाल का बेहतरीन जवाब खामोशी ही है, इससे विवादों और उलझनों से बच कर एक बेहतरीन निर्णय लेने में मदद मिलती है, सत्य भी है चेहरे पर मुस्कान और जुवान  पर खामोशी किसी भी व्यक्ति को सर्वश्रेष्ठ व शक्तिशाली बनाती है क्योंकि सबसे अनमोल ताकत खामोशी ही है इसके अन्दर सब कुछ छुपा होता है, सच कहा है, "खामोशी की तह में छुपा ली सारी उलझनें, शोर कभी मुश्किलों को आसान नहीं करता"। अन्त में यही कहुँगा खामोशी किसी इंसान की कमजोरी नहीं होती, सहन करने वाले को कहना भी आता है मगर शांत लोगों को प्रदर्शन करने या प्रभावित  करने की जरूरत नहीं होती वो अपनी भावनाओं और विचारों को अपने तक ही सीमित रखते हैं और उनका मुल्यांकन करते हुए अंतमुर्खी होते हैं, खामोश रहने वाले लोग भले ही सुर्खियों में न आना चाहें लेकिन उनका योगदान और प्रतिभा अक्सर शब्दों से ज्यादा जोरदार होती है इसलिए  खामोश रहना  कोई कमजोरी नहीं बल्कि एक  महाशक्ति है, तभी तो कहा है, "रूतबा तो खामोशियों का होता है, अल्फ़ाज़ों का क्या, वो तो बदल जाते हैं अक्सर हालात देखकर"। 

  - डॉ सुदर्शन कुमार शर्मा

     जम्मू - जम्मू व कश्मीर

        खामोशी किसी इंसान की कमजोरी नहीं बल्कि उसकी आंतरिक ताकत है इसीलिए वह व्यर्थ की बातों में नहीं उलझते। मान लीजिए कोई गलत व्यक्ति आपसे फालतू की बकवास कर रहा है और और आपको उकसा रहा है कि आप उससे उलझें  तो ऐसे गंदे लोगों से उलझने की बजाय चुप रहना या खामोशी अख्तियार करना ही बेहतर उपाय है, जो सबके वश में नहीं है। इसका मतलब जो खामोश रहता है वह ज्यादा ताकतवर है उसकी आंतरिक शक्ति सामान्य लोगों से कहीं ज्यादा है। ऐसा कहावत भी है कि कीचड़ में पत्थर फेंको  तो छीटा अपने पर भी आता है। समय के अनुरूप खामोश रहने वाला व्यक्ति बुद्धिमान और ताकतवर होता है कमजोर  कदापि नहीं होता।

            -  अर्चना मिश्र

         भोपाल - मध्य प्रदेश

       मानव जीवन और अन्य कई प्राणियों में यह बात देखने को मिलती हैं। कोई अगर खामोश है तो उसे लोग कमजोर समझते हैं और अनाबसनाब बोलते रहते है यहां तक बेवकूफ शब्द कहकर उसपर प्रहार करते हैं।हद पार होने के बाद जब खामोश व्यक्ति बोलने लगता है तो वो पतली गली से निकलने का प्रयास करने लगते हैं। जैसे भगवान राम समुद्र से खामोश हो कर याचना करते रहे तीन दिन तक समुद्र अपनी लहरें और तेज करता रहा पर रामजी ने जैसे खामोशी तोड़ी समुद्र धराशाई हो नत मस्तक हो गया।अतः किसी की खामोशी को उसकी कमजोरी न समझे। नहीं तो गुब्बार फूटेगा तुम चुपचाप चलपड़ोगे या शरणागत हो जाओगे।

 - विनोद कुमार सीताराम दुबे 

         मुंबई - महाराष्ट्र 

        *खामोशी कमजोरी नहीं बल्कि स्वभाव है*आज का समय दिखावे का समय है ।जो जितना दिखावा करता है वो उतनी प्रसिद्धि पा जाता है और इस व्यवस्था में जो शांत स्वभाव के होते है वो पीछे रह जाते है क्योंकि खामोश रहना *उनकी कमजोरी नहीं आदत होती है* । यहां एक बात और देखने में आती है कि खामोश व्यक्ति जब अपनी चुप्पी तोड़ता है तो वो बड़ी विस्फोटक होती है क्योंकि वो *मौन रहता है पर* *शांत नहीं और* उसकी यही अशांति एक दिन उग्र होकर विस्फोट कर देती है। अतः यहां दो बातें आ रही है कि यदि कोई आपकी गलतियों को नजर अंदाज करता है तो आप फायदा न उठाएं बल्कि उसका संबल बने और दूसरा यदि यह स्वभाव आपका है तो आप अपने स्वभाव को बदलें और अपने मन की बात कहना सीखें अन्यथा आगे और कड़वाहट बढ़ जायेगी 

   - ममता श्रवण अग्रवाल

         सतना - मध्य प्रदेश

         

        " मेरी दृष्टि में " खामोशी इंसान की कभी कमजोरी नहीं बन सकती है। ख़ामोश इंसान के निर्णय बहुत अधिक प्रभावशाली होते हैं । जो जिंदगी के अनुभव से लिये गये होते हैं। फिलहाल खामोशी का अर्थ बहुत अधिक विस्तृत है। जिस की जानकारी एक व्यक्ति के लिए देना असंभव लगता है। 

        - बीजेन्द्र जैमिनी 

      (संचालन व संपादन)

Comments

  1. अक्सर ऐसा होता है कि किसी के लिए अपशब्द नहीं कह कर व्यक्ति खामोश रह जाता है। लेकिन इसे उसकी कमजोरी समझना सामने वाले की भूल होती है। जिसके अंदर सहनशीलता है, वह हिंसात्मक न भी हो, परंतु बोलने की हिम्मत रखता है और जब वह बोलेगा तो उसके आगे कोई रास्ता नहीं बचता है। कहने का तात्पर्य है कि वह सामने वाले के प्रति सहानुभूति रख कर नहीं बोल रहा है।
    - संगीता गोविल
    पटना - बिहार
    (WhatsApp ग्रुप से साभार)

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  2. मौन केवल चुप्पी नहीं बल्कि वह ताकत है जो सही समय पर शब्दों से भी अधिक प्रभावशाली साबित होती है। खामोशी हमेशा डर या हार का संकेत नहीं देती, बल्कि यह एक ऐसा गुण है जो संयम, धैर्य और समझदारी को दर्शाता है। सहनशील व्यक्ति समय का इंतजार करता है। जानता है कि हर बात का जवाब शब्दों से नहीं मौन से भी दिया जाता है। ऐसा व्यक्ति ही परिस्थितियों का सामना करने की ताकत रखता है।
    - रमा बहेड
    हैदराबाद - तेलंगाना
    (WhatsApp ग्रुप से साभार)

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  3. यह पंक्तियाँ जीवन की गंभीर सच्चाई को उजागर करती हैं। खामोशी को अक्सर लोग कमजोरी समझ लेते हैं, परंतु यह संयम और आत्मबल का प्रतीक होती है। जो व्यक्ति सहन करना जानता है, वह समय आने पर सटीक और प्रभावशाली ढंग से अपनी बात कहने का भी माद्दा रखता है। यह संदेश हमें दूसरों की चुप्पी को कमज़ोरी समझने की भूल न करने की सीख देता है।
    - डॉ.अशोक जाटव व्याख्याता
    भोपाल - मध्यप्रदेश
    (WhatsApp ग्रुप से साभार)

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