पद्मश्री डॉ. गोविंद चन्द्र पाण्डे स्मृति सम्मान - 2025

   ज्ञान कहां से मिलता है ? सिर्फ दो ही रास्ते हैं एक तो शिक्षा दूसरा अनुभव । यही दो रास्तों से ज्ञान प्राप्त होता है। फिर भी लोगों का प्रयास भिन्न हो सकता है । ऐसा होता रहता है। फिर भी ज्ञान की कोई सीमा नहीं होती है। जैमिनी अकादमी ने परिचर्चा के माध्यम से ज्ञान के विभिन्न मार्गो की जानकारी एकत्रित करने का प्रयास किया है :-
     ज्ञान और अनुभव वास्तव में सुखद जीवनयापन के लिए महत्वपूर्ण  विकल्प होते हैं। हम इनमें जितने परिपक्व होते चलेंगे, उतने ही हम अपने जीवनयापन में होने वाली उलझनों को सहजता से सुलझाने में  सामर्थ्यवान बन सकेंगे। इसलिए हमें ज्ञानअर्जन करने में उत्साहपूर्वक और लगन के साथ सतत प्रयास करते रहना चाहिए। हम जितने ज्ञानवान होंगे, हमारा विवेक और बुद्धिबल उतना ही सशक्त होगा। इससे हमारी तार्किक शक्ति का विकास होगा और तभी हम अपने कर्म के चयन के प्रति सुक्ष्मता से समझ लेने में सामर्थ्यवान बन सकेंगे, जो हमारे जीवनयापन की पद्धति को समृद्धि की ओर तो लेकर जाएगा ही, हमें सामाजिक जीवन में सम्मानजनक स्थिति भी प्रदान करेगा। क्योंकि बेहतर और सुख-सुकून जीवन के लिए  अच्छे कर्म करना आवश्यक होते हैं।हमारे कर्म, हमारे ज्ञान, हमारी सूझबूझ की सामर्थ्य से प्रभावित तो होते ही हैं, उन पर निर्भर भी होते हैं।  साथ ही, इसके अलावा, हमारे ज्ञान-अर्जन की इस  प्रयास-यात्रा में, हमारा जो संघर्ष होगा, वह हमारा अनुभव होगा। यह हमें जागरूक करेगा, सजग करेगा और उत्प्रेरक बनकर हमारे ज्ञान को अपेक्षित ऊँचाईयाँ भी देगा। सार यही कि ' ज्ञान से कर्म की समझ आती है और अनुभव से ज्ञान बढ़ता है। ' इसमें हम जितने सक्षम बनेंगे, जीवन को उतना समृद्ध बनाने में सफल होंगे।           

     - नरेन्द्र श्रीवास्तव

   गाडरवारा - मध्यप्रदेश 

     ज्ञान , अनुभव , कर्म , सब आपस में एक दूसरे से जुड़े हुए हैं व एक दूसरे पर निर्भर करते हैं !कर्म इंसान परिस्थिति को देखते हुए करता है ! कर्म में कितना श्रम है , ये व्यक्ति के सामर्थ्य पर निर्भर करता है ! कर्म किस प्रकार का है, उचित है या अनुचित , ये व्यक्ति के ज्ञान पर निर्भर करता है ! ज्ञान कर्म को तय तो करता है , पर जान की गुणवत्ता अनुभव पर आधारित होती है ! अनुभव सबका भिन्न भिन्न होता है ! जिसका अनुभव श्रेष्ठ होगा , उतना ही उसका जान श्रेष्ठ होगा , वो उतना ही कर्म श्रेष्ठ होगा !! अनुभव ही जान वो कर्म की जड़ है व जहां इन सबका तालमेल सही है  अर्थात ज्ञान, कर्म व अनुभव का , वहां सफलता निश्चित है !!

      - नंदिता बाली 

   सोलन - हिमाचल प्रदेश

       "देह धरे का दण्ड है, सब काहू को होए, ज्ञानी  भुगते, ज्ञान करि मूर्ख भुगते रोय, " इस दोहे से यही सीख मिलती है कि हमें जीवन में आकर कुछ न कुछ जरूर कर्मों के मुताबिक भुगतना पड़ता है क्योंकि मनुष्य जैसे कर्म करता है बैसे ही फल पाता है लेकिन जो ज्ञानी लोग दंड को  भी अपने ज्ञान के मुताबिक आसान बना कर भुगतने में माहिर होते हैं जिससे पता चलता है कि ज्ञान से कर्म समझ आता है इसके साथ साथ अगर अनुभव भी हो तो सोने पे सुहागे का काम करता है,  क्योंकि अनुभव ही समस्याओं का समाधान करने में मदद करता है, जिसने जीवन की चुनौतियों का सामना किया जा सकता है, क्योंकि ज्ञान के एक रूप को अनुभवात्मक ज्ञान कहते हैं  कहने  का भाव जब तक अनुभव न हो  कर्म या ज्ञान प्रभावित नहीं होते जैसे डाक्टर बिना अनुभव के चीर फाड़ नहीं कर सकता चाहे उसके पास ज्ञान और कार्यशाला में प्रयोग होने वाले उपयुक्त यंत्र ही क्यों न हों, इससे जाहिर होता है कि ज्ञान  से कर्म समझ आता है और अनुभव से ज्ञान बढ़ता है, यह सत्य है कि ज्ञान , कर्म  और अनुभव ही कामयाबी के बड़े स्रोत हैं अगर इनमें से कोई भी चीज कम पड़ जाए तो  जीवन में कामयाबी उँचे शिखर तक हासिल नहीं हो सकती, क्योंकि ज्ञान को जब कर्म में डालते हैं तो लक्ष्य की प्राप्ति  होती है, और  ज्ञान के बिना कर्म  दिशा हीन होता है और ज्यों  ज्यों हम कर्म करते जाते हैं त्यों  त्यों ही हमें अनुभव मिलता है जिससे कर्म फलादेश में बदलता है और हमें अच्छे फल का अनुभव होता है, यह भी सच है ज्ञान जब तक कर्म का रूप धारण नहीं  कर लेता तब तक फल की प्राप्ति नहीं होती और कर्म जब तक सही दिशा में नहीं किया जाता तो  अनुभव  सही दिशा में कार्य नहीं करता, यही नहीं ज्ञान से व्यक्ति को सही गलत का बोध होता है और ज्ञान से  ही समझ  आता है कि कौन सा कार्य सही या गलत दिशा में जा रहा है, जैसे जब तक श्री भगवान कृष्ण जी ने अर्जुन जी को गीता का ज्ञान नहीं दिया था तब तक अर्जुन जी, धर्म युद्ध के लिए नहीं माने थे, इसी तरह अभिमन्यु जी ने अपनी माता से गर्व में ही ज्ञान  सुना था  वो चक्रव्यूह  में घुसने में तो माहिर हो गए लेकिन अनुभव न होने  के कारण चक्रव्यूह से बाहर न आ सके जिससे साबित होता है कि, ज्ञान, कर्म और अनुभव  तीनों का जीवन में सफल होने के लिए  बहुत महत्व है, अन्त में यही कहुँगा कि ज्ञान आँखे बन्द करके मार्ग दिखाता है लेकिन मार्ग से मंजिल तक पहुँचाने में  कर्म हमारी मदद करता है और हम मंजिल  को कैसे आसानी से हासिल कर सकेंगे यह हमारे अनुभव दर्शाते हैं, इसलिए ज्ञान, कर्म और अनुभव हमें हर तरह के कार्यों में सफल बनाने के लिए सहायक होते हैं। 

       - डॉ सुदर्शन कुमार शर्मा

       जम्मू -  जम्मू व कश्मीर

      ज्ञानवान व्यक्ति ही अपनी बुद्धि विवेक से काम लेगा तो सारे काम सही होंगे ,और उम्र के साथ-साथ अनुभव के साथ-साथ ज्ञान बढ़ता है तजुर्बा बढ़ता है और सही गलत की अच्छी तरह से पहचान भी होती है इसलिए अनुभव भी बहुत कुछ सीखा जाता है आदमी कम पढ़ा लिखा भी हो लेकिन वह अनुभवशील हो तो वह सही और सटीक कर्म ही करेगा और ज्ञान वाली बात ही करता है ज्ञान होना और ज्ञान को अमल में लाना दोनों भिन्न चीज हैं ज्ञान तो हमारे पास बहुत है पर हम उसे किसी को देना भी नहीं चाहते और जिंदगी में उतरना भी नहीं चाहते हैं तो वह ज्ञान भी किसी काम का नहीं इसलिए ज्ञान के साथ-साथ बुद्धि विवेक और समझ में भी होती ही परिपक्वता होनी चाहिए तभी हम सही कर्म करेंगे सही दिशा में चलेंगे और समाज को भी एक सही मार्ग दिखाएंगे  

    - अलका पांडेय 

    मुंबई - महाराष्ट्र 

      जिंदगी के अनुभव भले ही कड़वे है जिंदगी मुस्कान खून के रिसते भरते है ज्ञान से कर्म समझ आता हैं रहे चाहे कितना भी पढ़ ले गढ़ ले ज्ञान जिंदगी की सच्ची सच्चाई की मधुरता दूध में मिले पानी की तरह सुमति संगति संग करों जीवन अर्पण सदगति होती वाणी की मधुरता से बुद्धि की गुणवत्ता से जंग जीत जाओगे अनुभव से ज्ञान बढ़ता है ! जब हम मूक बधिर दृष्टिहीन बच्चो को ट्रेनर सिखाने गए अवाक रह गए उनके नित्य संगीत कलात्मक कृतियाँ प्रोफार्मेंस को देखकर कहते है ज्ञान बुद्धि स्पर्श हमारी आवाज हमारी आंखें है ये कड़वी सच्चाई आपके लिए हमारे लिए सार्थकता बोध हमारे बाकी अंग जो निष्क्रिय होते हुए उत्साह उमंग से जिंदगी मुस्कान खून के रिसते भरते है ! हम किसी सहानुभूति दया के पात्र नहीं बनाना चाहते हमे आप ने फ्रूट आइसक्रीम बनाना सिखाया हमने बनाया जिस क्रम में आपने रखना सिखाया  सुंगंध स्वाद रंग के साथ उसी क्रम में रखा सही क्वालिटी क्वॉटीटी अनुभव से ज्ञान बढ़ता सेलिंग करना भी सीखा जब कोई अधिक डिमांड करेंगे तो हम राहत दे मार्केटिंग बढ़ाएँगे ये हमने नहीं सिखाया सेवेंथ क्लास के बच्चे ने बता कर द्रवित कर गया वाक़ई जीवन की कच्ची कड़वी सच्चाई है जो स्थानीय समझ मात्राओं में कमी नहीं आने देती ! ये बच्चो से मैंने सीखा ।

     - अनिता शरद झा 

      रायपुर - छत्तीसगढ़ 

       विषय बहुत ही शानदार है, ज्ञान से कर्म समझ में आता है, वही कहा जा सकता है की अज्ञानी जिसे ज्ञान नहीं है, ज्ञान का अभाव है वह व्यक्ति कर्म की या कर्म के बारे में सोच भी नहीं सकता है वह अज्ञानी व्यक्ति अपने जीवन को सिर्फ और सिर्फ भाग्य के भरोसे जीता है। ज्ञानी व्यक्ति समझता है की कर्म क्या होता है हमें जीवन में सदा अच्छे कर्म की राह पर चलकर अपने जीवन को आगे बढ़ना ही ज्ञानी का उद्देश्य हुआ करता है। बात करते हैं अनुभव की तो यह निश्चित है की अनुभव से सब कुछ जीवन में सुधार आता जाता है। इसलिए हर जगह अनुभवी व्यक्तियों को प्राथमिकता दी जाती है। ज्ञान और अनुभव दोनों मिल जाते हैं तो जीवन की गाड़ी कर्म और उसके फलों को सही दिशा में ले जाकर अपने जीवन को उच्चाइयां प्रदान करती है। 

"ज्ञानी जीवन में लाइट करते हैं, 

अज्ञानी सदा  रिराइट करते हैं।

अनुभवी की बात ही कुछ और,

अनुभवहीन सदा फाइट करते हैं।

 ‌   - रविंद्र जैन रूपम           

      धार - मध्य प्रदेश

       ज्ञान तब तक अधूरा है जब तक वह अनुभव की कसौटी पर परखा न जाए। एक डॉक्टर ने भले ही हजारों किताबें पढ़ी हों, लेकिन जब वह मरीजों का इलाज करने लगता है, तब उसे अनुभव से यह समझ आता है कि कौन-सी दवा कब, कितनी और कैसे देनी है।अनुभव ही उसे कुशल बनाता है, ज्ञान को सार्थक करता है।ज्ञान प्रारंभ है, अनुभव परिपूर्णता। ज्ञान से दिशा मिलती है, लेकिन अनुभव से समझ आती है। यही कारण है कि अनुभव ज्ञान को गहराई, सत्यता और उपयोगिता देता है। जीवन एक पाठशाला है और अनुभव उसके सबसे बड़े शिक्षक हैं। इसीलिए कहा गया है—

 "कहा सुना सो ज्ञान है, परखा हुआ सो ज्ञान महान।

अनुभव ही जीवन की पुस्तक, जिसका पाठ न कोई जान।।

            - रमा बहेड

       हैदराबाद - तेलंगाना 

स्वरचित दोहे से कहती हूँ-


करना केवल कर्म है , इस पर नर अधिकार।

फल की इच्छा मत करो, गीता का यह सार।।


जैसी करनी नर करे , मिले वही परिणाम।

बुरे कर्म का फल बुरा , संतो का पैगाम।।


जग आए अच्छे -बुरे, मनुज भोगने कर्म।

सही कर्म  का पुण्य फल, कहें ग्रन्थ सब धर्म।।


साँसें जब तक हैं चले, तब तक होते कर्म।

जगत मुक्ति तब है मिले, धारे नर जब धर्म।।


मोक्ष मार्ग जाने के लिये, करो प्रार्थना कर्म।

मन वाणी हो शुद्ध जन, करना नहीं कुकर्म


उपरोक्त  दोहों में ज्ञान , कर्म की चर्चा करते हैं। ज्ञान का भान होने पर बालक बड़े सभी करते हैं , बालक का मस्तिष्क पैदा होने के 5 साल तक तेजी से विकास होता है। उसे तब ज्ञान नहीं होता है दूध की भूख लगने पर रो कर अपनी बात माँ को बताता है माँ भी उसकी आवाज के ज्ञान से दौड़ कर बालक को दुग्धपान कराती है।   जब इंसान काम करेगा कोई भी कर्म करेगा ज्ञान के दम से करेगा और वह सफल हो या नहीं हो उस काम का अनुभव तो मिलेगा। यह अनुभव  उसे उस बात का ज्ञान देगा। गीता का भी सार कर्म ज्ञान अनुभव का है। श्री भगवान कृष्ण जी ने अर्जुन को गीता का ज्ञान कुरुक्षेत्र के रण में देना पड़ा था क्योंकि अर्जुन अपने सगे संबंधियों के सेंग लड़ना  नहीं चाहता था  वह युद्ध कर्म नहीं करना चाहता था ।  जब प्रभु के मुख से गीता वाणी सुनी तो उसे ज्ञान हुआ और उसने धर्मयुद्ध किया ।  इसी तरह अभिमन्यु ने अपनी माता से गर्भ में ही चक्रव्यूह में घुसने का ज्ञान प्राप्त किया  था  लेकिन चक्रव्यूह  मे  घुसने पर  उसकी माँ सो गई  तो उसका ज्ञान  न होने  के कारण चक्रव्यूह  के अंदर से  बाहर नहीं निकल सका  । लोपामुद्रा गर्भ से ही अपने शिशु को संस्कार , आचार की शिक्षा देती थी उसके सारे पुत्र ज्ञानी ,  संस्कारी बने। आठवीं की कक्षा  में  आग लग गयी फ़ौरन उसने कक्षा में रखा आग बुझाने वाले यंत्र से आग बुझा दी।  ज्ञान  से कर्म किया,  आग बुझाई, छात्रों की जान बचाई और उसे अनुभव मिला। ज्ञान, कर्म और अनुभव  तीनों सूत्रों  का   हमारी जिंदगी में  महत्व है, अन्त में किसी विद्वान ने दोहे में कहा - 

देह धरे का दण्ड है, सब काहू को हो।

ज्ञानी  भुगते ज्ञान करि , मूर्ख भुगते रोय।। "

        - डॉ.मंजु गुप्ता

        मुंबई - महाराष्ट्र 

    साक्षर होना, शिक्षित होना और ज्ञानी होना : जीवन के तीन पायदान है। जो साक्षर हैं वे शिक्षित होंगे यह आवश्यक नहीं और जो साक्षर और शिक्षित हैं वे ज्ञानी भी हों यह आवश्यक नहीं, उसी तरह ज्ञानी होने के लिए साक्षर होना अति आवश्यक नहीं। बतौर उदाहरण कबीर ने कोई औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं की थी। उन्हें एक बुनकर के रूप में प्रशिक्षित भी नहीं किया गया था। उनकी कविताएँ बुनाई से जुड़े रूपकों से भरी हुई हैं, परंतु उनका मन पूरी तरह से इस पेशे में नहीं लगता था। उनका जीवन सत्य की खोज की आध्यात्मिक यात्रा थी, जो उनकी कविताों में स्पष्ट रूप से प्रकट होती है। ज्ञान अनुभव से होना स्वाभाविक है।

     - विभा रानी श्रीवास्तव 

            पटना - बिहार 

" मेरी दृष्टि में " ज्ञान से बड़ा अनुभव होता है बाकी तो सब कुछ इंसान पर निर्भर करता है। फिर भी अनुभव सर्वश्रेष्ठ माना जाता है । इतिहास में अनेक उदाहरण मिल जाएंगे कि‌ कम पढ़ा लिखा होने के बाद सफल उधोगपति बनें हैं। जैसे :- श्री धनश्याम बिरला, जो सिर्फ चौथी कक्षा तक ही पढ़ाई की है फिर भी सफल उधोगपति बनें ।

            - बीजेन्द्र जैमिनी 

            संपादन व संचालन

 

Comments

  1. ज्ञान सदैव से कर्म का बोध कराता रहा है। पुस्तकीय ज्ञान उतना प्रभावकारी नहीं है जितना अनुभव का ज्ञान। पुस्तकीय ज्ञान और अनुभव से उत्पन्न ज्ञान दोनों मिलकर व्यक्ति को पूर्ण बनाते हैं। मात्र एक ज्ञान के वह अधूरा है।
    - डॉ. अवधेश कुमार चंसौलिया
    ग्वालियर - मध्यप्रदेश
    ( WhatsApp से साभार)

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