जय कृष्ण राजगुरु महापात्र स्मृति सम्मान - 2025

       प्रश्न उठता है  क्या सोचना ज़रूरी है? सवाल बड़ा है। जबाब शायद बड़ा है। क्योंकि स्थिति के अनुसार जबाब होता है। फिर भी सोचना अवश्य होता है। अब पूंछने पर आते हैं। पूछने से बड़ी से बड़ी समस्या हल हो जातीं हैं। ऐसा मेरा विश्वास है। इन्हीं से जीवन सार्थक माहौल तैयार करता है। यही कुछ जैमिनी अकादमी की चर्चा परिचर्चा का प्रमुख विषय है। अब आयें विचारों में से कुछ को पेश किया जाता है :-
     हम हर कार्य सोच-विचार कर पूर्ण करते चलते जाते है, जिसमें सोचना ज़रूरी है कभी-कभी पूछना भी ज़रूर हो जाता है, नहीं पूछों तो अपने अपनत्व को बुरा लगने लगता है, इस बात को लेकर विभिन्न जगहों बताते रहता है, इससे अपना तो अपमान तो होता ही है, साथ ही बताने वाले का स्तर घटेश्वर हो जाता है, भले ही उसे अपने मन में बुरा न लगता हो, वह आदतन से मजबूर है, हम उसकी सोच तो बदल नहीं सकते है। सिर्फ पल-पल जीना भी जरूरी हो जाता है, अंहकार एक ऐसा तत्व है, जो अपने आगे किसी को कुछ ही नहीं समझता है.....

-आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार "वीर"

       बालाघाट- मध्यप्रदेश

      मन की गहरा गहराई में उतरता विचार है। जीवन जीने का मतलब सिखाती है अपने सोच विचार वर्तमान में रह जीने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए !  समाज सेवाये योगदान कर परम संतुष्टि का अनुभव ! क्या लेकर आये हैं मिट्टी का क़र्ज़ निभाना हैं ! सीख की उम्र ना सीमा चरैवति - चरैवति परहित साहित्य समाज का दर्पण है । किसी भी विधा में पारंगत पहचान जरूर करायें वही साहित्य समाज में सम्मान का अधिकारी हो !ना जाने कौन बच्चन निकले ,और कौन दिनकर दर्पण नभमंडल पर चमका जाये !देश समाज हित वही साहित्य है साहित्य जीवन सागर में उन उच्चाई को छू कर मन के विभिन्न रंगों से अभिभूत किया ! जिसका अनुभव गिले शिकवे से दूर पहचान से हुई  !अपने अपने माटी के मोल ! प्यारे भरे गीतों से उदर के रास्ते उदगारों में बस सुनहरी यादों में खों जाती है साहित्य के उभरते सितारों जगमगा उठा है !जन जन में जागरण की कहानी है सच कहती ये दुनिया साहित्य ही समाज का दर्पण है । जागो भारत ,वासी जागो !अपने सक्षम होने की पहचान जगाओ !नई सोच उमंग लेकर उत्साह जगाओ ! मानवता का मान बढ़ाओ ! जनजागरण ला समाजिकता फ़र्ज़ निभाओ ! यह सिख है - उम्रदराजो की सोच रह गई ! बंद मुट्ठियों में , खोल डालों सारे बन्धनो को ! दिनकर की कविताओं से मान बढ़ा दो ! भारत माता की विश्वास जगा दो ! इतिहास ने दर्पण दिखा  हैं समाज सुधारक हुए ,दयानन्द सरस्वती राजा राम मोहन राय भारत माताओं ने नाम कमाया हैं ! सुभद्रा कुमारी चौहान , महादेवी वर्मा अमर है इनकी गाथाये याद करा दो पहचान दो ! वर्तमान में गूँज रही है !  साहित्य समाज के दर्पण में हरिओम पवार , कुमार विश्वास की ओजस्व कवितायें लेकर आजाओं ! विश्वास जगा दो जन जन में ! सदचरित्र नैतिकता का प्रमाण बन इतिहास रच डालो ! साहित्यिक सम्मेलनों में जा कर सम्मान मिलने की ख़ुशी आत्मसात् जब किसी को हमारी एक रचना भी पसंद आती तो हमें अत्यंत प्रसन्नता होती है ! ना सोचना जरूरी है ना पूछना जरूरी है सिर्फ़ पल पल जीना है  मन की गहरा गहराई में उतारता है भविष्य की चिंताओं अतीत के विचारों में नहीं उलझना चाहिए। वर्तमान में जीने के लाभ जीने से हमें मानसिक शांति मिलती है और हम तनावमुक्त रहते हैं। जीवन का आनंद  वर्तमान में रह जीवन का आनंद ले सकते हैं और हर पल को सराह सकते हैं। निर्णय लेने की क्षमता में सुधार होता है और हम अपने जीवन के बारे में बेहतर निर्णय ले सकते हैं। ध्यान कर ,जीवन को पल पल जीने का तरीका नियंत्रण कर मनोभाव का समुचित योग कर सकते है! प्रकृति के करीब रहने से हमें वर्तमान में जीने में मदद मिलती है और हम जीवन की सुंदरता को देख सकते हैं। प्रकृति को सुंदर बना जीवन के छोटे छोटे पलों का आनंद लेना जीवन के छोटे छोटे पलों का आनंद लेने से हमें वर्तमान में जीने में मदद मिलती है और हम जीवन को अधिक आनंदमय बना सकते हैं।  परिवार संयम कर्मठता आत्मविश्वास व्यवहार सच्चे मन की आस होनी चाहिए  आश्वासन भाषा बोली से नही चाहिये ! कम बोले ज़्यादा सुनने की आदत हो व्यवहार में मानवता सहजता होनी चाहिये !व्यवहार में मानवता संयम कर्मठता आत्मविश्वास होना चाहिए!

- अनिता शरद झा

रायपुर - छत्तीसगढ़ 

        ' ना सोचना ज़रुरी है,ना पूछना ज़रुरी है। सिर्फ़ पल-पल जीना ज़रुरी है। ' इस कथन को यूँ भी समझें तो समझना आसान होगा कि " ज़िन्दगी ज़िन्दादिली का नाम है, मुर्दा-दिल क्या ख़ाक जिया करते हैं। " ये एक मशहूर शायरी है जिसका मतलब है कि जीवन का असली सार जिंदादिली और उत्साह में है, न कि निराशा या उदासी में। यह शेर इमाम बख़्श नासिख़ द्वारा लिखा गया है। यह बताता है कि जो लोग जोश और हिम्मत से भर कर जीवन जीते हैं, उनका जीवन ही सही मायने में जीने जैसा होता है, जबकि निराश और उदास लोग तो बस जीवन काटते हैं। सार यही कि जीवन में संघर्ष तो रहेंगे, उनमें निकलने का रास्ता भी होता है, अत: हमें उनसे घबराना नहीं है, बल्कि सामना करना है और  वह रास्ता खोजकर उसमें से निकलना है। यह एक विकल्प है। दूसरा यह भी कि ज़िन्दगी जितनी निश्चल और निश्छल होगी , उतनी सहज, सरल और सरस होगी। हम जीवन में आदमी नहीं इंसान बनकर रहेंगे तो हमारे आसपास का माहौल सौहार्दपूर्ण रहेगा। जब महौल सुखद रहेगा तो जीवन के एक-एक पल जीने में मजा आएगा।

 - नरेन्द्र श्रीवास्तव

गाडरवारा - मध्यप्रदेश 

       मनुष्य की आधी जिंदगी सोचने मैं निकल जाती है .... ये करूं या न करूं ... ऐसा करने से क्या परिणाम निकलेंगे .... अच्छा होगा कि बुरा .... लोग क्या कहेंगे ... इन सोचों व चिंतन में जीने के पल , यूं ही गुजर जाते हैं ... व निकल जाती है जिंदगी पूछने में, सोचने में, व चिंतन मैं !! इन सब क्रियाओं में हम जिंदगी के वो पल खो देते हैं , जो हम जी सकते थे , पर व्यर्थ की बातों में, जिन्हें हमने खो दिया !! सोचो , पूछो , पर इनपर तमाम जिंदगी के जीवंत पलों को न व्यर्थ करें , जो हम जी सकते थे !! गुजरा हुआ पल , नहीं लौटता दोबारा !! 

 - नंदिता बाली 

सोलन - हिमाचल प्रदेश

      अगर धार्मिक पुस्तकों,ग्रन्थों या पुराणों की सुनें तो मानव जीवन केई यौनियों के बाद मिलता है लेकिन जब हम मनुष्य जीवन में जीने लगते हैं तो हम इस जीवन के आनंद को भूल जाते हैं तथा कई झंझटों को गले लगा लेते हैं  यहां तक की अपनी बुद्धि का इस्तेमाल भी सोच सोच कर या किसी‌से पूछ पूछ कर करते हैं जबकि यह अनमोल जीवन हमें हर पल की खुशी के लिए मिला है तो आईये आज इसी बात पर चर्चा करते हैं कि न सोचना जरूरी है न पूछना जरूरी है सिर्फ पल पल जीना जरूरी है, यह अटूट सत्य है कि जिंदगी जीने का नाम है न की उलझनों में पड़ने का  अगर हम खुशी के पल भी‌ किसी के‌ कहने पर गुजारें या अपने सुख चैन को सोचने में गवां दें तो जीवन व्यर्थ ही चला जायेगा इसलिए ज्यादा सोचना ,सवाल करना जीवन का आनंद खो देता है,जिससे मन की शांति   खत्म होने लगती है आदमी चाहते हुए भी कुछ कर नहीं सकता, इसलिए हर पल का आनंद लेना ही  जीवन है  जिससे मानसिक शांति बनी रहती है औरअपने प्रियजन  के साथ टहलना,समय बिताना कुदरत के नजारे देखना  इत्यादि मन मोहक होने लगता है,  पछतावा कम होता है क्योंकि हर पल का आनंद उठा रहे होते हैं,दुसरी तरफ सोचने और पूछने से अक्सर अवसर छीन जाते हैं जिनको आप वाद में चाह कर भी पूरा नहीं कर सकते इसके साथ साथ‌‌ सोचने और पूछने से  तनाव और चिन्ता घेर लेती  है जिससे सारी जिंदगी का चैन छीन जाने से कई बिमारीयां घेर लेती हैं इसलिए जीवन के हर पल का लुत्फ उस ढंग से उठायें जिससे खुद भी खुशी मिले और दुसरों के‌चेहरों पर भी रौनक दिखे वाकी दूनियादारी में सुख दुख आते रहते हैं लेकिन जो उनको भी हंसी खुशी से  झेलता है वोही  जीवन के आनंद को समझ सकता है, अन्त में यही कहुंगा की अपनी जिंदगी का कीमती तोहफा किसी को मत दो ‌की कोई आपकी जिंदगी के फैसले ले सके  इसलिए न पूछो न सोचो बस हर पल का मजा लो क्योंकि  क्या पता यह अनमोल जीवन दोबारा मिल सके।

- डॉ सुदर्शन कुमार शर्मा

जम्मू - जम्मू व कश्मीर 

        बहुत सुंदर और भावनाओं से जुड़ा व्यक्तिगत है। जीवन में हम कभी कभी एक विशेष उद्देश्य या अपनी भावनाओं  को महत्व दें जीना चाहते हैं। यहां हम अपनी विचार किसी से शेयर नहीं करना चाहते। समय और स्थिति देख स्वयं अपने विश्वास पर भरोसा करते हैं या यूं कहें स्वीकार करते हैं। और यही आत्म विश्वास हमें कहता है कि चिंता करने की जरूरत नहीं है। हमारा आत्म- विश्वास ही जीवन के प्रवाह के साथ आगे बढ़ने को हमें प्रेरित करता है। यही सोच पूछने और सोचने की बजाय सीधे कर्म और अनुभव पर  प्रेरित करती है।

 - चंद्रिका व्यास 

 मुंबई - महाराष्ट्र 

       पल पल जीना जरुरी यानि हर पल का सार्थक और आनंदमय उपयोग करना।इसके लिए हमारा वर्तमान में होना बहुत जरुरी है अर्थात हमारा मन मस्तिष्क वर्तमान में होना ही चाहिए भूत या भविष्य में नहीं।ऐसा करने के लिए किसी से कुछ पूछने या सोचने की जरुरत नहीं होना चाहिए क्योंकि बीता पर तुरंत भूतकाल हो जाता है और हमें तो वर्तमान का यानि हर पल का जीवन जीना है।इस सन्दर्भ में यह भी स्मरण रहे कि जब अगले पल की खबर ही नहीं किसी को,तो फिर वर्तमान को जीभर जीने में संकोच कैसा।भूत का पश्चाताप और भविष्य कु चिंता व्यर्थ है इसीलिए यह सही है कि ना सोचना ज़रूरी है ना पूछना जरूरी है, सिर्फ पल पल जीना जरुरी है।

- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'

धामपुर - उत्तर प्रदेश 

      जीवन एक प्रवाह है — निरंतर बहती धारा की तरह। जो इसके साथ बहना जानता है, वही जीना जानता है। जो हर पल में अर्थ खोजता है, वही जीवन के संगीत को सुन पाता है। “न सोचना ज़रूरी है, न पूछना ज़रूरी, सिर्फ़ पल-पल जीना ज़रूरी है।”यह पंक्ति हमें सिखाती है कि जीवन कोई गणित नहीं, जिसे जोड़ा-घटाया जाए। यह तो एक अनुभव है, जिसे हर क्षण महसूस किया जाए। हम अक्सर अतीत की गलियों में भटकते रहते हैं या भविष्य की सीढ़ियाँ चढ़ते रहते हैं — पर भूल जाते हैं कि जीवन का वास्तविक पता “आज” है।वर्तमान क्षण ही वह ठिकाना है जहाँ सुख, शांति और सृजन बसते हैं। जो हर पल को जी लेता है, उसे कल की चिंता और बीते कल का पछतावा नहीं सताता। जीवन को सरलता से जीना ही उसकी सबसे बड़ी कला है। हर मुस्कान, हर आभार, हर स्नेहिल क्षण – यही जीवन के सच्चे पुरस्कार हैं। विचारों के बोझ को हल्का कर दीजिए, प्रश्नों की भीड़ को शांत कर दीजिए… बस इस क्षण में रहिए — जहाँ साँस है, वहीं जीवन है। क्योंकि सच यही है — “जो इस पल को जी गया, वही सच्चा साधक बन गया।” 

- डाॅ.छाया शर्मा

 अजमेर - राजस्थान

          ठीक है कि पल-पल जीने के लिए ना सोचना जरूरी है ना पूछना जरूरी है. क्योंकि सोचने और पूछने में वक़्त जाया होता है. और लोग सही से जीवन जी नहीं  पाते हैं. किस ढंग से जीवन जिया जाय यही सोचते और पूछते समय बीतता जाता है. अगर किसी से पूछेंगे कि कैसे जीना है तो वह अपने ढंग से बताएगा.पर क्या पता वो ढंग हमारे लिए सही भी हो पाएगा या नहीं. इसलिए सोचने और पूछने में समय न गवां कर हर पल का मजा अपने अनुसार उठाना चाहिए. लेकिन फिर ये बात भी आती है कि सोच समझकर या जानकारी ले कर जीवन अच्छे से जी सकते हैं. 

 - दिनेश चंद्र प्रसाद " दीनेश "

कलकत्ता - प. बंगाल 

      बेबाक और बिंदास जीवन जीने के लिए जरूरी है पल-पल जीना. पल-पल तो हर कोई जीता है, पर सही मायनों में पल-पल जीना है बेबाक और बिंदास जीवन जीना, जिसमें जिंदादिली हो. जिंदगी जिंदादिली के बिना अधूरी है. पहली नजर में देखा जाए तो लगता है कि जिंदगी को पल-पल जीने के लिए न सोचना जरूरी है, न पूछना जरूरी है. वास्तव में सामाजिक प्राणी होने के नाते एक हद तक मनुष्य को सोचना भी जरूरी है और पूछना भी! सोचने और पूछने से नए विचार भी पनपते हैं और विचार और भाव निखरते भी हैं. विचारों और भावों के निखरने से व्यवहार भी निखरता है. ध्यान रहे सुनिए सबकी, सोचिए बिंदास और निष्पक्ष होकर, साथ ही जरूरत समझें तो किसी से पूछने में भी न हिचकिचाएं. इस प्रकार अपने मन के बादशाह होकर पल-पल जीना ही वास्तव में जीना है.

 - लीला तिवानी 

सम्प्रति - ऑस्ट्रेलिया

     उक्त कथन वर्तमान समय की भागदौड़ में आत्म-संतुलन की याद दिलाता है। मनुष्य हर पल किसी “कल” की चिंता या “बीते कल” के बोझ में उलझा रहता है। जबकि जीवन का सत्य “वर्तमान क्षण” में ही है। सोचना और पूछना जीवन का हिस्सा अवश्य हैं, पर जब यही आदतें बोझ बन जाएँ, तब जीवन का रस सूख जाता है। अतः उपरोक्त पंक्ति हमें सिखाती है कि चिंतन आवश्यक है, परंतु अति-चिंतन नहीं; जिज्ञासा आवश्यक है, परंतु अनावश्यक प्रश्न नहीं। क्योंकि सच्चा आनंद तभी है जब मनुष्य हर क्षण को पूर्णता से जीना सीख जाए। जैसे सैनिक मोर्चे पर हर साँस को मातृभूमि के नाम जीता है, वैसे ही नागरिक को भी हर क्षण को सत्यनिष्ठा, कृतज्ञता और सजगता से जीना चाहिए। अर्थात जीवन का धर्म है कर्म परन्तु कर्म करते समय हर पल को प्रेम, विश्वास और आत्मबल से भर देना ही सच्चा ‘जीना’ है। जय हिन्द 

 - डॉ. इंदु भूषण बाली

ज्यौड़ियॉं (जम्मू) - जम्मू और कश्मीर

       ज़िंदगी का हर पल जीना जरूरी है, कहीं ऐसा न हो सोचने विचारने और पूछने में ज़िंदगी हाथ से रेत की तरह फिसल जाए और बाद में अफसोस के अलावा कुछ न रह जाए। पूरी ज़िंदगी मनुष्य जीवन की व्यस्तता में रह जाता है और अंत समय जब होश आता है तो उसे अनुभव होता है कि वह तो इस तरह से जीवन जीने में चूक गया।बेहतर यही है कि ज़िंदगी का स्वाद भी हमें घूंट घूंट लेते रहना चाहिए क्योंकि ये ज़िन्दगी एक बार के लिए ही हम सबको मिली है।

 - वर्तिका अग्रवाल 'वरदा'

वाराणसी - उत्तर प्रदेश 

        कुछ मनुष्य कुछ नहीं सोचते और नहीं किसी से पूछते। सिर्फ़ पल _पल जीना ज़रूरी समझते। अगर इंसान को आगे बढ़ना हो तो सोच समझकर निर्णय लेना होगा।कभी स्वयं आगे बढ़ेंगे, कभी बड़े _बुजुर्गों की सलाह से काम करेंगे।यह सलाह कारगर होगा और हमारी जीत होगी।हम अपने क्षेत्र में अग्रसर होंगे।हम समाज का कल्याण करेंगे और हमारा जीवन सफल होगा।

 - दुर्गेश मोहन 

 पटना - बिहार

" मेरी दृष्टि में" सिर्फ पल - पल जीना का आनन्द भी कुछ अलग है। यही जीवन सार्थक माहौल की परिभाषा है। इस लिए सोचना भी जरूरी है और पूछ्ना जरूरी है। कभी - कभी जीवन में सलाह के तौर पर ज़ीने का रास्ता अपनाया जाता है। यही कुछ जीवन को आगे बढ़ाया जाता है।

                - बीजेन्द्र जैमिनी 

           (संचालन व संपादन)

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