लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल स्मृति सम्मान -2025

       कहते हैं कि सोच बहुत बड़ी होती है। जैसी सोच वैसा फल मिलता है। फिर ये सोच कहां से आती हैं।‌ सोच के ऊपर ही जीवन की दिशा तय हो जातीं है।‌ जिस से भविष्य बनता है। यही कुछ जैमिनी अकादमी की चर्चा परिचर्चा का प्रमुख विषय है। अब आयें विचारों में से कुछ विचार पेश करते हैं : - 
     जिस इंसान की जितनी अच्छी सोच होगी।उसका भविष्य उतना ही सुन्दर और सार्थक होगा।उसके लिए हमें परिश्रम और संघर्ष करने होंगे।बार_बार कोशिश करने से लोग सफल होते हैं।हमेशा अच्छी सोच से भविष्य बनते हैं।जिस प्रकार से हमारी सोच, परिश्रम,लगन एवं संघर्ष करने पड़ेंगे,उसी तरह हमारे भविष्य बनेंगे।जिस क्षेत्र में हमारी अभिरुचि होगी,जहां हम मेहनत करेंगे, सफलता चरण चूमेगी और हमारा भविष्य अच्छा होगा।

 - दुर्गेश मोहन 

  पटना - बिहार

       बिल्कुल सही हमारी सोच ही हमारा भविष्य बनाती है। सोच सकारात्मक होनी चाहिए। यदि अच्छी सोच होगी तो अच्छे काम होंगे। जैसी दृष्टि होती है वैसी ही सृष्टि नज़र आती है। चारों ओर का वातावरण भी सही रहता है। क्योंकि हमारा वर्तमान ही हमारा भविष्य बनता है। जो आज परिश्रम करते हैं वह कल उसका फल भी पाते हैं। अच्छे कर्म करने चाहिए, कर्म करने से कभी भी घबराना नहीं चाहिए। जैसे कर्म करते हैं वैसा ही भविष्य बनता है एक बात और हमें सदैव निंदा चुगली से भी बचना चाहिए। इधर-उधर की फिजूल बातों में अपना समय नष्ट नहीं करना चाहिए। हिंसक प्रवृत्ति तो भूल कर भी नहीं होनी चाहिए। कहां क्या हो रहा है, क्यों हो रहा है, किसने क्या कहा,क्यों कहा इन बातों से बचना चाहिए। यदि हमारा पूरा-पूरा ध्यान, हमारी सोच हमारे अपने लक्ष्य की ओर होगी, नकारात्मक विचारों में नहीं उलझेंगे तो निश्चित ही ऐसी सोच भविष्य उज्जवल बनाएगी।

 - डॉ. संतोष गर्ग 'तोष ' 

पंचकूला - हरियाणा 

      कहा गया है " हम जैसा सोचते हैं वैसा ही बन जाते हैं " इसलिए यह कहना उचित होगा कि हमारी सोच हमारा भविष्य बनाती है। अत: हमें अपने जीवन में सकारात्मक सोच और अच्छे उद्देश्य को लेकर आगे बढ़ना चाहिए। इसके अलावा सिर्फ सोच ही नहीं उसके आवश्यक पहलूओं पर भी गंभीर और सजग रहना भी श्रेयस्कर होगा। इससे हमारे मन-मस्तिष्क  में ही नहीं हमारे आसपास के वातावरण में भी सकारात्मक ऊर्जा का अदृश्य रूप में निर्माण होगा जो हमें आप ही आप ऊर्जावान करता रहेगा और फिर हम जिस सोच को लेकर आगे बढ़ना चाहते हैं, वह, उस भविष्य बनाने वाले पथ को संवारने में मदद ही नहीं  बल्कि मंजिल तक पहुंचायेगा भी।

 - नरेन्द्र श्रीवास्तव

गाडरवारा - मध्यप्रदेश 

       आपकी सोच ही भविष्य में आपके चरित्र का निर्माण है  हमारे भविष्य को आकार देती है, और हमारी सोच के आधार पर ही हमारा भविष्य बनता है। अपनी सोच सकारात्मक रखंगें तभी आगे बढ़ सकेगा । नही तो दूसरों की थाली में घी ज़्यादा ही नजर आयेगा । निः स्वार्थ भाव से सेवा कर सकेंगे।और ख़ुश रह हम चाहते है सम्बंधो को जीना आना चाहिये । सम्बंधो में सवाँद हीनता नही वाक् पटुता चाहिये । जिससे हम जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहते हैं।आत्म-विश्वास बढ़ावा दे , हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित होते हैं। नए अनुभव प्राप्त करके हम अपनी सोच को विस्तारित कर सकते हैं और नए दृष्टिकोण प्राप्त कर सकते हैं। एक इंसान हूँ सकारात्मकता को बढ़ावा देती हूँ पत्थर तोड़ राहगिरों को राह बताती 

आगे बढ़ साथ साथ चलती हूँ !

मेरे भारत की प्रीत निराली है 

देख जन जन की मधुर वाणी में नमस्ते भारत अभियान चलाया है देश विदेश संस्कृति पहचान बनाई है !जल थल नभ चल अभिमान चलाया है गूँजती भारतमाता माटी में हिंदुस्तान है चारों दिशाओं में द्वारपाल बन मुस्कानो में भारतमाता के लाल है !सूरज की लाली ले फिर नया सबेरा आये प्रकृति कीहरियाली में जनजीवन मुसकाये ,नव उपकरणो साज संगीत संग खिलती कलियाँ ख़ुश्बू चँदन चाँदनी संग खिलखिलायें ! मन की लगाम पर क़ाबू करना सीख जाये इंसान कामयाबी हर जंग जीत जाये विसंगतियों से विजय हासिल की जाये !जीवन ख़ुशियों का पैग़ाम दे जाय । हमारी ख़ुशियाँ हमारे साथ आ जाय !जब तलक सुरत से सीरत निगाहो आ जाय अरमानो के साथ किताबों में लिख जीवन में ख़ुशियों का पैग़ाम दे जाय !जब तलक आप और हम ख़ुशियों की हिफ़ाज़त करना सीख जाय । रिश्तों को संभलना आदत बन जाय इंसानियत की फ़ितरत हो जाय हमारा भविष्य सुखद हो जाए इसी सोच पर हमारा भविष्य बन जाए !

- अनिता शरद झा

रायपुर - छत्तीसगढ़ 

     सच है,सोच से भविष्य बनता है ‌अब प्रश्न यह कि किस सोच से बनता है तो सीधी सी बात है सकारात्मक सोच ही बनता है।यदि नकारात्मक सोच हुई तो भविष्य बिगड़ेगा ही। देखिए उदहारण है संसार में रावण,कंस, हिरण्यकश्यप आदि इनकी नकारात्मक सोच ने ऐसा भविष्य बिगाड़ा की परिवार और कुटुम्ब का भी भविष्य  अंधकारमय हो गया। सकारात्मक सोच हमेशा भविष्य को सुखद बनाती है और केवल वह संबंधित व्यक्ति ही नहीं, संपूर्ण समाज उससे लाभान्वित होता है। वर्तमान में आतंकी, अलगाववादी अपनी सोच के कारण ही सबसे अलग थलग जीवन बिताते और बेमौत मारे जाते हैं। जबकि सकारात्मक और मानवतावादी सोच को अपने ही देश में नहीं वरन विश्व पटल पर सम्मान मिलता है।

- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'

धामपुर - उत्तर प्रदेश 

     यह सच है कि हमारी सोच पर हमारा भविष्य निर्भर करता है क्योंकि हमें जीवन के जिस क्षेत्र में भी आगे बढ़ना है तो उस पथ से संबंधित सभी क्रियाकलापों में प्रथमतः हमारी सकारात्मक सोच होनी चाहिए। यह नहीं, सोच कुछ रहे हैं और कर कुछ और रहे हैं। पारिवारिक और सामाजिक गतिविधियों में भी अपना लक्ष्य और भविष्य के प्रति एकाग्रमुखी होना जरूरी है।यथा मीराबाई की बचपन से भक्तिपरक सोच और वैसा ही क्रियान्वयन। ऐसे ही व्यक्तिगत करियर के लिए सही सोच दिशा, उससे जुड़े कार्य ,तल्लीनता, समर्पण अनिवार्य है तभी उज्ज्वल भविष्य सर्वोत्मुखी मंगलमय होता है । 

 - डाॅ.रेखा सक्सेना

मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश 

      ये सत्य है कि हमारी सोच हमारा भविष्य बनाती है. जिस तरह की हम सोच रखते हैं हमारा भविष्य वैसा ही बनता है. हम क्या बनाना चाहते हैं या हम क्या बनना चाहते हैं ये हमारे सोच पर ही निर्भर करता है. जिस तरह से किसान कोई फ़सल बोता है तो वही फसल भविष्य में तैयार होता है. कहने का मतलब यदि वह मक्का का फसल बोता है तो मक्का ही पैदा होता है. गेहूं या अरहर नहीं. ठीक उसी तरह हमारी सोच ही हमारा भविष्य बनाती है.रही बात हमारी किस सोच से भविष्य बनता है तो हमारी सकारत्मक सोच और पारिस्थिति के अनुसार सोच ही भविष्य बनाता है. जो कार्य हम कर सकते हैं उसी के अनुरूप हमारी सोच होनी चाहिए. 

- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश "

कलकत्ता - प. बंगाल 

     हमारा भविष्य किसी बाहरी शक्ति से नहीं, हमारी सोच की दिशा से बनता है। अगर सोच सकारात्मक है, तो वही ऊर्जा कर्मों में उतरकर परिस्थितियों को अनुकूल बना देती है। नकारात्मक सोच वही बीज है जो संदेह, भय और असफलता का जंगल उगा देता है। “भविष्य कोई आकस्मिक घटना नहीं, बल्कि हमारी सोच का परिणाम है।” यह पंक्ति —  “भविष्य उस मिट्टी की तरह है जिसमें हम आज विचारों के बीज बोते हैं।” विश्वास का बीज बोओगे, सफलता उगेगी; शंका का बीज बोओगे, रुकावटें जन्म लेंगी।अतः हमारा भविष्य उस सोच से बनता है जिसमें कर्म, विश्वास और सकारात्मक दृष्टि का संगम हो। यह विचार अत्यंत प्रभावी और काव्यात्मक होने के साथ दार्शनिक भी है। सोच जितनी निर्मल, भविष्य उतना उज्ज्वल।

 - डाॅ.छाया शर्मा

 अजमेर - राजस्थान

     किसी भी कार्य को देखते हुए भविष्य की योजनाबद्ध तरीके सोचते काम किया जाए, तो उचित प्रतीत होता है, यही हमारा भविष्य बताती है और सफलता अर्जित करती है, बस हमें काम करने का तरीका आना चाहिए। अगर हम गलत सोचते हुए काम करेंगें, तो विस्तारीकरण नहीं हो सकता और संकुचित भावनात्मक हमारा भविष्य नकारात्मक प्रभाव पड़ने पर मजबूर कर देता है। जिससे हम प्रगति के सौपानों की ओर अग्रसर नहीं हो पाता। वैसा देखा जाए, तो परिवार से प्रारंभ होकर विस्तृत रूप से देख लीजिए। सबके विचारों में भिन्नता नजर आती है, लेकिन अलग-अलग विचार रहने के विपरीत सबके काम करने का प्रयास इधर-उधर रहता है.....

- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार "वीर"

       बालाघाट - मध्यप्रदेश

      यह सच है कि "हमारी सोच हमारा भविष्य बनाती है''. सोच दो तरह की होती है- अच्छी और बुरी, सकारात्मक और नकारात्मक. दोनों तरह की सोचों से भविष्य बनता है. अच्छी सोच से भविष्य अच्छा और उज्ज्वल होगा, जब कि नकारात्मक और बुरी सोच से भविष्य तो बनेगा लेकिन वह भविष्य अंधकारमय होगा. इसलिए अच्छा भविष्य बनाने के लिए सोच अच्छी और सकारात्मक होनी चाहिए.  

 - लीला तिवानी 

सम्प्रति -ऑस्ट्रेलिया

      हमारा भविष्य किसी एक क्षण की सोच से नहीं, बल्कि निरन्तर चिंतनीय विचारों की दिशा से बनता है। क्योंकिक्षणिक सोच एक तरंग है जो आती है और चली जाती है, किन्तु जो सोच स्थायी बन जाती है, जो हमारी मानसिक प्रवृत्ति और जीवन दृष्टि का रूप ले लेती है, वही हमारे भविष्य की नींव बनती है। यदि हमारी सोच सत्य और न्याय पर आधारित है, कर्तव्य और कर्म को प्राथमिकता देती है और आशा, निष्ठा और राष्ट्रप्रेम से प्रेरित है तो भविष्य भले ही संघर्षमय हो, परन्तु गौरवशाली अवश्य होगा। वहीं यदि सोच में संदेह, भय या आत्म-निंदा का भाव अधिक है तो भविष्य हमारे ही भीतर के अंधकार से आकार लेता है। इसे संक्षेप में कहें तो हमारी किस सोच से भविष्य बनता है तो इसका उत्तर है नियत और दृष्टिकोण की सोच से, क्योंकि परिस्थिति नहीं, विचार की दिशा ही भाग्य का निर्माण करती है। अतः दिव्य दृष्टि से मूल्यांकन कर कहें तो हमारा भविष्य सत्यमेव जयते के साहस और सृजन से प्रेरित होकर ही बनता है। ध्यान देने योग्य मेरी दृढ़ संकल्पित राय यह भी है कि जो सोच हार में भी अवसर देखे, अंधकार में भी दीप जलाए, और अन्याय के विरुद्ध खड़ा होना परमोधर्म समझे — वही भविष्य को तेजस्वी बनाती है। अन्ततः विचार की ज्वाला ही भाग्य की मशाल है।

 - डॉ. इंदु भूषण बाली

ज्यौड़ियॉं (जम्मू) - जम्मू और कश्मीर

 " मेरी दृष्टि में " सोच का निर्धारण जन्म से हो जाता है। जिससे भविष्य तय होता है। बाकी सब कुछ कर्म से होता है । सोच तो संस्कार व परिवार पर निर्भर करता है। जो जीवन यापन की कढ़ी दर कढ़ी का निर्माण से होता है। जो समय के साथ - साथ चलता है। 

               - बीजेन्द्र जैमिनी 

        ( संचालन व संपादन ) 

https://youtube.com/shorts/_B684EwxALg?si=JNJyKSzf8IOoLbvE                          

Comments

Popular posts from this blog

लघुकथा - 2024 (लघुकथा संकलन) - सम्पादक ; बीजेन्द्र जैमिनी

हिन्दी के प्रमुख लघुकथाकार ( ई - लघुकथा संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी

दुनियां के सामने जन्मदिन