दीदी की छांव में
" दीदी की छांव में " पुस्तक के लेखक राम मोहन राय ने दीदी यानि निर्मला देशपांडे के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला है। साथ ही साथ अपने जीवन सहित परिवार के ऊपर भी विस्तृत विवरण उपलब्ध करवाया है।
पुस्तक में विभिन्न अध्याय दिये गये हैं। सबसे पहले दीदी निर्मला के जीवन पर विस्तृत प्रकाश डाला है। उसके बाद पुस्तक लिखने की जिज्ञासा का विवरण दिया है। पुस्तक के शीर्षक पर लेख दिया गया है । जिसमें दीदी के जीवन यात्रा पूरी होने के बाद , अपने सम्पर्क से लेकर अन्तिम यात्रा तक को संक्षेप में दिया है।
" मेरा शहर " अध्याय में पानीपत के इतिहास पर विवरण दिया है। इस में पांडवों से लेकर , पानीपत की तीनों लड़ाई , हज़रत बू अली शाह कलंदर से हाली पानीपती , देवी मन्दिर और तलाब, प्रसिद्ध इतिहासकार श्री विश्वास राव पाटिल की पुस्तक " पानीपत " का जिक्र, पाकिस्तानी पानीपतियो़ं का 22 सदस्यीय मंडल का 1977 में आगमन, 1947 के समय पानीपत की जनसंख्या में मुस्लिम हिन्दू का अनुपात 70 :30 का था। आदि विवरण पर प्रकाश डाला है।
" आरजुए पानीपत " आलेख में पानीपत से कराची में बसे ख्वाजा रिफअत अली ' रिफअत ' का पत्र से शुरू तथा लेखक का कराची में जा कर परिवार से मिलना का विवरण के साथ " रिफअत " एक नज़्म पानीपत को लेकर प्रकाशित की गई है।
पुस्तक में मेरी मां, मेरे पिता, मेरे गुरु जी, मेरी बहन, मेरी पत्नी, मेरे बच्चे आदि में दीदी जी का प्रभाव सहित विवरण दिया है।
" मेरे सहयोगी " आलेख में तुलसी सिगंला, इन्द्र मोहन राय, ई.वी राव, अशोक शर्मा, पवन शर्मा व दीपक कथूरिया आदि का उल्लेख किया है । राम मोहन राय ने लिखा है कि दीपक मेरे पुत्र, मित्र, और सहयोगी लिखा है । मैं स्पष्ट करना उचित समझता हूं कि " मेरी दृष्टि में " राम मोहन राय बिना दीपक कथूरिया के अधूरे है। इस से अधिक उचित नहीं है।
" मेरा जन्मदिन " आलेख में दीदी के बाद का प्रथम जन्मदिन का उल्लेख करते हुए मन में उभरते विचारों को पेश किया है। दीदी तथा लेखक का जन्म दिन की एक ही तिथि है । लेखक का भावुक होना लाजिमी है।
" नित्यनूतन " आलेख में पत्रिका के अनुभव को समेटे हुए है।
" मेरे लेख " के अन्तर्गत नित्यनूतन पत्रिका में प्रकाशित लेख दिये गये हैं :-
- जम्मू सम्मेलन
- पानीपत से कराची
- 50 वर्षों के बाद घर वापसी
- पानीपत से लाहौर
- वजीरे आजम की यात्रा के बाद
- पाकिस्तान का सफरनामा
- पाकिस्तान में क्या किया ?
- जड़ों की तलाश में
- 52 वर्षों बाद घर वापसी
- मुजफ्फरनगर में इंडो-पाक मुशायरा
- बुल्ले शाह कसूर
- लाहौर में भगतसिंह जिंदा है
- अमन मेला- कार्यकर्ताओं का सम्मेलन
अतः लेखक की पुस्तक कामयाब पुस्तक है। पुस्तक की दृष्टि से हो सकता है कि कोई उंगली उठता हो, परन्तु इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। फिर भी लेखक राम मोहन राय साधुवाद के पात्र है।
पुस्तक का प्रकाशन
नित्यनूतन प्रकाशन
एफ - 22, बी.के.दत्त कालोनी,
कर्बला , नई दिल्ली
प्रथम संस्करण : 2010
- बीजेन्द्र जैमिनी
समीक्षक
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