बाइडेन से भारत को क्या - क्या उम्मीद है ?

जोसेफ जो बाइडेन अमेरिका के राष्ट्रपति बनने जा रहे है । ऐसे में सारी दुनियां अमेरिका के राष्ट्रपति की ओर देख रही है । विशेष रूप से भारत ने अभी हाल में अपने सम्बधों का विस्तार किया है । इसलिए भारत के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है । जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
आज की चर्चा मे जहाँ तक यह प्रश्न है कि बाइडेन की जीत से भारत की क्या उम्मीदें है तो इस पर मेरा विचार यह है कि अमेरिका में बाइडेन की जीत से भारत को आर्थिक विकास नौकरियों और कारोबार मे आपसी सहयोग और व्यापारिक हितो और रिसर्च जैसे क्षेत्रो मे सम्बन्धो के और  अधिक मजबूत होने की आशा है ओबामा के कार्यकाल  में भारत और अमेरिकी रिश्तो में जो गर्माहट देखने को मिली थी ऐसी आशा व्यक्त की जा रही है कि उसमें और मजबूती आयेगी दोनों देशों की अर्थव्यवस्था एक दूसरे के सहयोग से और अधिक मजबूत हो सकेगी और करोना संकट जैसी महामारी से निपटने के लिए मोदी और बाइडेन के बीच और अधिक मजबूती के साथ विचार विमर्श व सहयोग से काम करने पर विचार होगा कोरोना संकट से निपटने के लिए वैक्सीन को परस्पर एक दूसरे के लिए उपयोग करने हेतु भी मजबूती से काम किया जाएगा इसके अतिरिक्त दोनों देशों के राजनीतिक व्यापारिक और आर्थिक हितों से संबंधित फैसले मजबूती से लिए जा सकेंगे दोनों देशों के सुरक्षा संबंधों को भी और मजबूती मिलेगी अमेरीका मे बाइडेन की जीत से भारत के द्वारा कुछ इस प्रकार की आशा व्यक्त की जा रही है ।
- प्रमोद कुमार प्रेम 
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
 ट्रंप के समय बाइडेन उपराष्ट्रपति थे तो उन्हें भारत से उनके कैसे संबंध हैं ये खास बताने और जानने की जरुरत ही नहीं है !उन्हें ज्ञात है कि अमेरिका और भारत के मध्य किन किन मुद्दो  पर आपसी चर्चा अगत्य की है और किन मुद्दों पर उन्हें हस्तक्षेप नहीं करना है !वैसे भी बाइडेन के संबंध भारत के साथ पहले ही मधुर रह चुके हैं ! बाइडेन पर्यावरण, कोरोना के मुद्दे को फिलहाल ज्यादा ध्यान देंगे !
मोदी जी और ट्रंप के संबंध जैसे मधुर थे और हैं आशा है बाइडेन भी वह मित्रता निभायेंगे !हमारे अमेरिकन भारतीय का उन्हें काफी सहयोग है !वैसे भी हमारे भारतीय संस्कार सदा किसी के भी साथ चाय में शक्कर की तरह मिल जाते हैं फिर चाहे वह ट्रंप हो अथवा बाइडेन !अपने मधुर स्वभाव और मीठी जबान से सामने वाले को अपना बना ही लेते हैं ! बाइडेन से हमारे संबंध अच्छे ही होंगे !
- चंद्रिका व्यास
 मुंबई - महाराष्ट्र
अमेरिका के नये राष्ट्रपति बाइडेन से भारत को उम्मीद है कि जिस प्रकार आठ वर्षों तक उपराष्ट्रपति रहते हुए उन्होंने भारत के साथ अमेरिका के प्रगाढ़ सम्बन्धों की हिमायत की थी उस पर अभी भी कायम रहेंगे। उम्मीद है कि वे भारत के कश्मीर संबंधी अन्दरूनी मामलों में यदि सहयोग न भी दें तो विरोध न कर तटस्थ रहेंगे। यह भी उम्मीद है कि वे आतंकवाद के खिलाफ और भी सख्त कदम उठायेंगे। वर्तमान वैश्विक परिवेश में भारत को बाइडेन से यह भी उम्मीद है कि वे ऐसा कोई निर्णय नहीं लेंगे जिससे भारत और उसके पड़ोसी देशों के साथ तनाव में वृद्धि हो। यह उम्मीद भी है कि वे भारत द्वारा अपने आंतरिक मामलों में लिये गये निर्णयों को प्रभावित करने का प्रयास नहीं करेंगे। अभी तो यह संकेत भी मिले हैं कि पांच लाख भारतीयों को नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो जायेगा। हालांकि भारत को बाइडेन से ये उम्मीदें हैं पर वर्तमान का भारत अब मजबूत और शक्तिशाली आत्मनिर्भर भारत है और वह केवल इन उम्मीदों पर निर्भर नहीं है। ये उम्मीदें पूरी होती हैं तो भारत और अमेरिका के आपसी संबंध और मज़बूत होंगे।
- सुदर्शन खन्ना 
 दिल्ली 
सही मायने में देखा जाए तो आज वर्त्तमान समय में  परिस्थियाँ बदल चुकी हैं ।आज विश्व के सभी शक्तिशाली देश भारत का साथ चाहते है।अतः अमेरिका के सत्ता नेतृत्व परिवर्तन से भारत को अब कोई विशेष फर्क नहीं पड़ेगा ।सत्तारूढ़ पार्टी दिन पर दिन हर क्षेत्र में प्रगतिशील,सक्षम एवं सदृढ़ भारत का साथ अवश्य ही चाहेगा।इस वक्त चीन के साथ अमेरिका की बढ़ती वैमनस्यता की वजह से आज वह चीन का चिर-परिचित दुश्मन भारत के साथ अपनी दोस्ती अवश्य ही कायम रखना चाहेगा जो हर तरह से उसके लिए लाभप्रद है।इसके अलावा भारत जैसे बड़ी जनसंख्या वाला देश का साथ उसके आर्थिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से भी लाभप्रद है।अमेरिका के नये निर्वाचित राष्ट्रपति से भारत आगे भी अपना मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध चाहेगा, जो दोनों देशों के लिए लाभप्रद होगा ।
 -  रंजना वर्मा उन्मुक्त
रांची - झारखंड
     बाइडेन 50 वर्षों से राजनीति संघर्षों उपरान्त अमेरिका राष्ट्रपति बहुमूल्य वोटों से बहुमत प्राप्त किया हैं । जो विश्व की राजनीतिक पृष्ठभूमि से परिचित ही हैं,  उत्थान-पतन देखा ही  हैं। जिस तरह से कोरोना महामारी के दौरान हस्तपद मृत्यु शंया का प्रत्यक्ष देख उनके मनो को विचलित कर दिया  था, आज सार्थक भूमिका का ही सकारात्मक परिणाम हैं। चीन, अन्य देशों का संबंध भारत के प्रति जो रहा हैं, उसके परिप्रेक्ष्य में बाइडेन को एक भारत के लिए चुनौतियां हैं, उन्हें समझौता वादी नीति अपनाते हुए आगे बढ़ने की कलाओं से पारंगत होना पड़ेगा, तटस्थवान से ही विश्व में गहरे संबंध स्थापित होते हैं। भारत तो एक लक्ष्य की ओर अग्रसर हो रहा हैं, पूर्वोत्तर की भांति राष्ट्राध्यक्षोंनुसार, वर्तमान राष्ट्रपति को भी चाहिए कि    भारतीय उम्मीदों को सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर पूर्ण करने में सार्थक भूमिका अदा करें ताकि भविष्य में कोई दुष्परिणाम सामने नहीं आये?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
  बालाघाट - मध्यप्रदेश
आज सभी लोगों का ध्यान इस बात पर टिका है कि वाइडेन के साथ भारत के रिश्ते कैसे होंगे। अब जबकि वाइडेन अमेरिका के राष्ट्रपति चुने जा चुके हैं तो लोगों के मन में यह प्रश्न है कि अब आगे क्या होगा। जरूरी नहीं है कि बायडेन के तहत सब कुछ निर्बाध तरीके से ही आगे  बढ़ेगा । साल्वातोर बाबाेन्स अंतरराष्ट्रीय पत्रिका (फॉरेन पॉलिसी) में लिखते हैं  -" भारत को इस बात से सावधान रहना चाहिए कि उपराष्ट्रपति के रूप में कमला हैरिस मानवाधिकारों को लेकर कैसे भारत पर सख्त हो सकती है। कमला हैरिस भारत में मानवाधिकार को अच्छी तरह से लागू करने की बात कर सकती है। विदेश नीति विशेषज्ञों का मानना है कि भारत तथा अमेरिका में संबंध मूलभूत से आपसी विश्वास ,लाभों, मजबूती तथा उत्साह सहित संस्थागत ढांचे के साथ आधारित है। सानिया समझौते जिसके तहत संवेदनशील सेटेलाइट डाटा को आपस में बांटना के अलावा चीन के साथ सीमा गतिरोध इत्यादि मुद्दों को भी वायडेन के प्रशासन में और मजबूती प्रदान करना है । सुरक्षा परिषद में शामिल होने के लिए भारत के दावे के बारे में  वाइडेड सकारात्मक दिखाई दे सकते हैं जिसमें 15 सदस्य हैं सुरक्षा परिषद में शामिल होने के लिए भारतीय दावे का चीन ने विरोध किया था । चुनावी प्रचार के दौरान वार्डन का संदेश  स्पष्ट था कि भारत-अमेरिका सहयोग उनके प्रशासन की प्रमुख प्राथमिकता होगी  ।वाइडेन ने यह भी कहा कि वह ट्रंप द्वारा लागू  किये गये एच 1 बी  वीजा के अस्थाई स्थगन को भी खत्म करेंगे । उन्होंने और ज्यादा उदार आव्रजन नीति लागू करने का संकेत भी दिया। पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ मोदी के निकट संबंध बाइडेन की अगली 4 वर्षों की विदेश नीति से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे । ट्रंप काल के दौरान भारत अपने मित्र देशों के साथ खड़ा रहा है ।प्रत्येक राष्ट्र से उसने द्विपक्षीय हितों की सुरक्षा की है । भारत के साथ हाल ही में हस्ताक्षरित रक्षा समझौतों को भी बाईडेन बिगाड़ना नहीं चाहेंगे । ट्रंप द्वारा प्रोत्साहित इस्लाम फोबिया से भी बायडेन की कूटनीति दूर रहना चाहेगी अलग-थलग करने की नीति जो ईरान पर लागू की गई उससे भी बाइडेन बचना चाहेंगे ताकि ईरान के साथ वर्तमान गतिरोध वाला व्यवहार बदला जा सके । अमेरिका तथा ईरान के साथ रिश्तो में सुधार होने से भारत को इसका फायदा मिलेगा हालांकि ट्रंप प्रशासन ने भारत को इस बात के लिए बाध्य किया था कि वह सस्ता तेल और गैस ईरान तथा वेनेजुएला से ना खरीदें। भारत को अमेरिका से महंगा तेल तथा गैस खरीदने के लिए बाध्य होना पड़ा जिससे हमारे हितों को चोट पहुंची। यदि भारत ईरान से तेल का निर्यात पुनः शुरु करता है तो वाइडेन इसके लिए कोई अड़चन नहीं डालेंगे ।
- शीला सिंह
 बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
बाइडेन से भारत को वही उम्मीद हो सकती है जो पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प से थी कि वह हर क्षेत्र में भारत का सहयोग करें। चाहे वह आतंकवाद हो, पाकिस्तान हो ,चाइना हो, रक्षा सौदा हो इन सब क्षेत्रों में भारत का साथ दे। भारत का सहयोगी बन के रहें।
बाइडेन के साथ-साथ उप राष्ट्रपति कमला हैरिस से भी भारत को उम्मीद होगी कि वह भी भारत का साथ दें। सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी सदस्यता दिलाने में मदद करें।
भारत को बाइडेन से एक मित्र की भांति व्यवहार की उम्मीद रहेगी।
- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" 
कलकत्ता - पं.बंगाल
बाइडेन से भारत को उम्मीद बेहद है अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन राष्ट्रपति बनने के साथ भारत -अमेरिका के रिश्तों पर दुनिया भर की नजर टीकी है। राष्ट्रपति जो बाइडेन ने 5 लाख भारतीयों सहित लगभग 1 करोड़ 10 लाख  अप्रवासियों को अमेरिकी नागरिकता प्रदान करेंगे जिनके पास दस्तावेज नही है।इस प्रक्रिया को अंजाम देने के लिए रोडमेप तैयार किया जाएगा।जो बाइडेन की इस मंसा से यह संकेत मिलता है कि भारत के साथ रिश्ते अच्छे रहने वाले है।भारतीय मूल की कमला हैरिस का उप-राष्ट्रपति भी भारत के एक अच्छा संकेत है।हालांकि अभी इस बारे ज्यादा कहना थोड़ी जल्दबाज़ी होगी।
बाइडेन से भारत मे भावी उम्मीद की डोर बाँधी जा सकती है।अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) पांच लाख भारतीयों समेत लगभग 1 करोड़ 10 लाख ऐसे आप्रवासियों को अमेरिकी नागरिकता प्रदान करने का रोडमैप तैयार करेंगे, जिनके पास दस्तावेज नहीं हैं. इसके अलावा वह सालाना न्यूनतम 95,000 शरणार्थियों को अमेरिका (America) में प्रवेश दिलाने की प्रणाली भी बनाएंगे. बाइडन के अभियान द्वारा जारी एक नीतिगत दस्तावेज में यह जानकारी दी गई है. भारत के लिए यह समर्थन बेहद उर्जावान है।दस्तावेज में कहा गया है, ''वह (बाइडन) जल्द ही कांग्रेस में एक आव्रजन सुधार कानून पारित कराने पर काम शुरू करेंगे, जिसके जरिए हमारी प्रणाली को आधुनिक बनाया जाएगा. इसके तहत 5 लाख से अधिक भारतीयों समेत लगभग एक करोड़ 10 लाख ऐसे आप्रवासियों को अमेरिका की नागरिकता प्रदान करने का रोडमैप तैयार किया जाएगा, जिनके पास दस्तावेज नहीं हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडन ने शनिवार को रिपब्लिकन पार्टी के अपने प्रतिद्वंद्वी डोनाल्ड ट्रंप को कड़े मुकाबले में हरा दिया है. अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद बाइडन के पास अमेरिका और भारत के बीच संबंधों को मजबूत करने के उनके 14 साल पुराने ख्वाब को पूरा करने का एक मौका है. इसे पुराना ख्वाब इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि बाइडन ने दिसंबर 2006 में एक समाचार पत्र से बातचीत में कहा था, '' मेरा ख्वाब है कि 2020 में दुनिया के दो सबसे करीबी मुल्क भारत और अमेरिका हों. अगर ऐसा होता है तो दुनिया पहले से अधिक सुरक्षित होगी.'' बाइडन प्रचार अभियान द्वारा जारी एक नीति पत्र में यही बात दोहराई गई है और बताया गया है कि वह इसे कैसे अमल में लाएंगे.भारतीयों के लिए अभियान नीति जारी की गई है।ताकि भारत को नयी उम्मीद मिली है।साथ ही भष्टाचार के खिलाफ लडने के लिए कडे़ करवाई करने की नीतियों पर अमल होगा।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर -  झारखंड
       अमरीका के चुनाव में 77 वर्षीय जो बाइडेन (Joe Biden) की विजय से भारत को उम्मीदें लगाने से पहले रूस की मित्रता के पक्ष में विचार करना चाहिए। चूंकि रूस चीन के उस पार का पड़ोसी है और शत्रु का शत्रु मित्र होता है। इसलिए भारत-चीन के सम्बंधों में जो वर्तमान समीकरण प्रकट हो रहे हैं। उनसे निपटने के लिए अमरीका से उम्मीदें लगाने से पहले रूस का विश्वास दृढ़ करना चाहिए।
       उल्लेखनीय है कि अमरीका एक व्यापारी राष्ट्र है।जो आर्थिक सम्बन्धों को प्राथमिकता देता है। वह चलाक लोमड़ी की भांति अपना लाभ पहले देखता है। इसीलिए उसने चीन द्वारा करोना महामारी को छुपाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन का सहारा लेने पर भी चीन से युद्ध नहीं किया। जबकि वह चाहता था कि भारत-चीन युद्ध हो। जिसके लिए वह भारत की सहायता के लिए आगे आने का विश्वास भी दे रहा था। परंतु वह स्वयं सीधे युद्ध से बचना चाहता था।
       कूटनीति के अनुसार अमरीका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति बाइडेन भी भारत से अच्छे संबंध बनाते हुए भारत के युवाओं को आकर्षित करेगा और अपने वायदे अनुसार भारतीय आईटी उद्यमियों को लोकप्रिय एच-1बी वीजे पर लागू अस्थाई प्रतिबंध समाप्त कर देगा। जिससे भारत-अमरीका संबंधों के अधिक प्रगाढ़ होने की संभावना है। चूंकि सर्वविदित है उन्होंने अपने उपराष्ट्रपति काल में भी भारत-अमरीका के रिश्तों को प्राथमिकता देते हुए भारत-अमरीका परमाणु समझौता पारित करवाने में अद्वितीय भूमिका निभायी थी।
       अतः अनेकों सकारात्मक भूमिकाओं की उम्मीदों के साथ-साथ हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत ने अमरीकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के पक्ष में प्रचार किया था। इसलिए सतर्कता के आधार पर रूस की मित्रता को सदृढ़ करने पर भी बल देना चाहिए।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
 दुनिया के लोगों की उम्मीदें अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति  वाइडेन पर टिकी हुई है। राष्ट्रपति की राजनीति मनसा के ऊपर निर्भर है कि वह अपने एवं दूसरे देशों के प्रति क्या व्यवहार कार्य करेगा। लेकिन अन्य लोग तो अच्छे सकारात्मक विकास के ही अपेक्षा करेंगे। लेकिन उनकी मानसिकता के ऊपर है। क्या रणनीति अपनाएं गायत्री वत व्यवहार से व्यापार की उम्मीद और सुरक्षा क्षेत्र की उम्मीद की जा सकती है। वाइडेंन से भारत को यही उम्मीद है सुरक्षा और व्यवस्था क्षेत्र मजबूत हो सकता है।
-  उर्मिला सिदार 
रायगढ़ -  छत्तीसगढ़
वाइडेन, चुनाव जीतने के बाद पहला संदेश में ही कहां है:--मेरे नजरों में "तुर्की चीन और पाकिस्तान है"। इन्हें हम नहीं छोड़ेंगे ‌।
 भारत के साथ और अधिक मजबूत संबंध स्थापित करने का प्रयास करेंगे हर क्षेत्र में मिलजुल कर काम करेंगे। भारत भरोसेमंद देश है।
भारतीय मूल के महिला को  उपराष्ट्रपति नियुक्त किए। उनकी नजर में 11 ऐसे भारतीय-अमेरिकी को अहम भूमिका सौंप सकते हैं जिसमें डॉक्टर विवेक मूर्ति। अर्थव्यवस्था पर विचार देने वाले मिस्टर राज चैटी।वाइडन के भाषण लिखने के काम करते थे:-, विनय रेडी, आदि को उनकी नजरों में अच्छे और इन्हें उचित काम सौंपा जाएगा।
लेखक का विचार आशा है 46 में राष्ट्रपति वाइडन से अच्छा संबंध भारत बनाकर शिखर तक पहुंचने का कोशिश करेगा।
"आशा पर पूरी दुनिया है"
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखण्ड
दुनियाँ की नजरें नव निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन पर टिकी हैं कि उनकी नीतियाँ कैसी रहेंगी l ये नीतियाँ परोक्ष या अपरोक्ष रूप से सारी दुनियाँ को प्रभावित करेंगी l 
      भारत के लिए महत्वपूर्ण यह है कि अमेरिका और भारत के रिश्ते किस दिशा में आगे बढ़ेंगे l माना जाता है कि अमरीकी विदेशनीति पर बाइडन की अच्छी पकड़ है l भारत के जुड़े मुद्दों पर उनका खास नजरिया महत्वपूर्ण होगा l मुद्दों की ताकत शुरू से उनके साथ है उनकी अगुवाई में अमेरिका क्षेत्रीय सहयोग के जी-7या जी  -20जैसे मंचो पर फिर सक्रिय होता है जिस पर ट्रंप ने दिलचस्पी नहीं दिखाई, तो यह भारत के लिए भी हितकर होगा l 
         भारत और अमरीका के बीच व्यापारिक साझेदारी बढ़ाने के कुछ नये रास्ते खुल सकते हैं l आतंकवाद के खिलाफ साझा कार्यक्रम भी चलाया जा सकता है l उम्मीद की जानी चाहिए कि बाइडन के आगमन के बाद भारत, अमरीका के रिश्ते और अधिक मजबूत होंगे, जो दक्षिण एशिया में शांति तथा समृद्धि के लिए जरूरी है l 
      भारत अमरीका के संबंध भविष्य में भी मधुर ही बने रहेंगे l दोनों देशों ने विश्व के महानतम प्रजातंत्रों की हैसियत से एक दूसरे पर सदा भरोसा किया है l एक सच्चे मित्र के रूप में दोनों हमेशा एक दूसरे की बातों को सम्मानपूर्वक स्वीकार करते रहेंगे क्योंकि दोनों के अधिकांश मूलभूत हित समान हैं l इस आपसी विश्वास का एक बडा आधार यूएस में रह रहे लाखों भारतीयों का कार्यकलाप और उनका व्यवहार भी रहा है l भारत -अमरीका संबंधों को गति देने में अमरीका में बसे विशाल प्रवासी भारतीयों का भी अहम योगदान रहा है l वे बेहद मजबूत, सम्मानित, अनुशासित और समृद्ध प्रवासी समूह है l
      चलते चलते ----
तुम मुझको विश्वास दो, मैं तुमको विश्वास दूँ l 
शंकाओं के सागर  हम लँघ  जायेंगे l 
    - डॉo छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
जो बाइडेन अमेरिका के नवनियुक्त राष्ट्रपति चुने गए हैं। भारत की उम्मीद उनसे निम्नतः है__
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए वे समर्थन करेंगे। बराक ओबामा के कार्यकाल में वे उपराष्ट्रपति रहते ऐसा कर चुके हैं। 
    बाइडेन ने अपने घोषणा पत्र में कहा था कि वे दक्षिण एशिया में किसी तरह का आतंक बर्दाश्त नहीं करेंगे। आतंकियों के खिलाफ वे भारत का सहयोग कर सकते हैं। 
    भारत अमेरिका के बीच पूर्व प्रेसिडेंट ट्रम्प के समय से चली आ रही व्यापारिक समझौते में वृद्धि कर सकते हैं। भारत के साथ अन्य व्यापारिक समझौते भी हो सकते हैं।
   भारतीयों के लिए बाइडेन वीजा नीतियों में उदारता बरत सकते हैं। जिसे ट्रम्प ने बैन कर दिया है। लगभग 1•10करोड़ भारतीयों को वे अमेरिकी नागरिकता दे सकते हैं। इन सभी का फायदा भारतीयों को विविध तरह से समय -समय पर मिल सकता है। क्योंकि जिस तरह से भारत ने हर क्षेत्र में विकास किया है, अमेरिका और अमेरिकन प्रेसिडेंट भारत को हल्के में नहीं ले सकते हैं। 
   यह मेरा मौलिक लेख है।
- डॉ•मधुकर राव लारोकर 
नागपुर - महाराष्ट्र
हम भारतीयों को जो उम्मीद ट्रंप से थी वही उम्मीदें वाइडन से भी रहेगी। हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी जिस तरह से ट्रंप से दोस्ती का हाथ मिलाते हुए अपने भारत के खुशहाली के लिए संकल्पबद्ध रहे वही संकल्पबद्धता बाइडेन के साथ भी निभाना चाहेंगे ताकि वहां रहने वाले भारतीयों के पक्ष में कार्य हो। भारत के उत्तरोत्तर विकास में सदा उन का सहयोग हो। 
अमेरिका- भारत व्यापार परिषद( यूएसआईबीसी) ने कहा है कि बाइडेन ने बराक ओबामा प्रशासन में अमेरिका  के रणनीतिक संबंधों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसलिए उद्योग जगत ने भी उम्मीद जताई है कि ब्रिटेन के नेतृत्व में भारत अमेरिका के बीच संबंध और सहयोग और अधिक मजबूत होगा।
 हम एक शक्तिशाली और विकसित देश के साथ कदम से कदम मिलाते हुए आगे बढ़ते रहें। हमारी दोस्ती और प्रगाढ़ बने। सकारात्मक सोच के साथ हम वाइडन से भी वही अपेक्षा रखेंगे जो ट्रंप से अपेक्षा थी।
                   - सुनीता रानी राठौर 
               ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
              भारत के लिए बाईडेन कोई नया चेहरा नहीं है। अमेरिका की भूतपूर्व सरकार में बाइडन पहले से ही विभिन्न पदों पर रहे हैं। भारत और अमेरिका के रिश्ते पिछले कुछ दिनों से कुछ मामलों में मजबूत हुए हैं। और उम्मीद है कि बाइडेन के आने से भारत के साथ रिश्ते और मजबूत होंगे ।
              भारत और अमेरिका के रक्षा संबंध और अच्छे हो सकते हैं। चीन और भारत के बीच तनाव को लेकर अमेरिका का रुख पहले से कुछ कमजोर हो सकता है। भूतपूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत के पक्ष में कई बार  चीन के खिलाफ बोलते रहे हैं। आने वाले समय में ऐसी उम्मीद है कि बाइडेन उतनी मजबूती नहीं दिखा सकेंगे जितने ट्रंप ने दिखाई ।            
       ओबामा प्रशासन में जब बाइडेन उपराष्ट्रपति पद पर थे, उस वक्त भारत के प्रति उनका उदार रवैया देखा गया है। आज भारत अमेरिका के करीब है। हालांकि बाइडेन ने आज तक आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ने की बात कही है।व्यापारिक रिश्तों में हमें उनसे कोई खास उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। 
               साथ ही डोनाल्ड ट्रंप के समय में विदेशियों के रोजगार के बारे में जो नीति रही उसमें कुछ कमी आ सकती है।अर्थात रोजगार के अवसर बढ़ सकते हैं।नागरिकता देने के संबंध में बाइडन ने भारत के लोगों को नागरिकता देने की बात भी कही है ।कुल मिलाकर उम्मीद की जाती है कि जो रिश्ते  वर्तमान में हैं। लगभग उन्हीं के समानांतर चलेंगे और कुछ मामलों में सख्ती और कुछ में तनाव कम होने की उम्मीद है, हालांकि बाइडेन एक उदारवादी चेहरा है, जिससे हम ट्रंप की अपेक्षा और अधिक उम्मीद कर सकते हैं।अब तक का अनुभव है कि अमेरिका की चाल को समझना कोई आसान नहीं है।
- सुरेंद्र सिंह
अफ़ज़लगढ़ - उत्तर प्रदेश
डेमोक्रेट प्रत्याशी जो बाइडन अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में जीत चुके हैं. उनकी जीत की ख़ुशी में इस समय पूरा अमेरिका जश्न मना रहा है. नये राष्ट्रपति से अमेरिका के लोग काफी उम्मीदें लगाये बैठे हैं. कोरोना महामारी की वजह से जिनकी नौकरियां छूट गई हैं वे अब जो बाइडन की ओर नौकरी के लिए उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं. जो बाइडन और कमला हैरिस को उनकी अभूतपूर्व जीत पर भारत ने भी हार्दिक बधाइयां दी हैं. स्वभावतः भारत और भारतीय भी बाइडन की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं. अमेरिका की राजनीति पर करीब से नजर रखने वाले एक्सपर्ट्स के मुताबिक डेमोक्रेट प्रत्याशी जो बाइडन का बतौर अमेरिकी राष्ट्रपति चुना जाना एच1बी वीजाधारकों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है, क्योंकि बाइडन शुरू से ही इस बात पर बल देते आये हैं कि अमेरिका में एच1बी वीजाधारक समेत उच्च कौशल (हाई स्किल्ड) वाले वीजा की संख्या को बढ़ाया जाए. बाइडन प्रशासन किसी देश के कितने व्यक्तियों को रोजगार आधारित वीजा दिया जा सकता है, उसकी सीमा को भी खत्म करने की योजना पर भी काम कर रहा है. ऐसे में अगर बाइडन ऐसा कोई कदम उठाते हैं तो इससे हजारों भारतीय आइटी प्रोफेशनल्स को फायदा होगा. इ.सके अतिरिक्त ग्रीन कार्ड वीजा की सीमा अवधि भी बढ़ाई जा सकती है. उद्योग जगत ने उम्मीद जताई है कि बाइडन के नेतृत्व में भारत-अमेरिका के बीच संबंध और सहयोग और मजबूत हो सकेगा. फिलहाल तो मास्क पहनने पर जोर देते हुए अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन ने चुनाव जीतने के बाद सबसे पहले कोरोना महामारी से निपटने के लिए कोविड-19 टास्क फोर्स का गठन किया है. उन्होंने कहा कोरोना महामारी से निपटना उनके प्रशासन की पहली प्राथमिकता है. भारत को बाइडन से विदेश नीति पर सहमति से लेकर व्यापार नीति में सहयोग की अनेक सकारात्मक उम्मीदें हैं. भारत भी इस ओर अपनी पहल जारी रखेगा.
- लीला तिवानी 
दिल्ली
बहुत से मामलों में मेरा भारत देश एक स्वयं - आत्मनिर्भर देश है, फिर भी बड़े बड़े शक्तिशाली देश एक दुसरे के सहयोग के बिना आज के परिपेक्ष्य में एक दुसरे पर आधारित रहते है जैसे , रक्षा, अन्न , औषद्यि , प्राकृतिक आपदाएं , व्यापार , खनिज , आणविक सामग्री , विमानन , यातायात आदि आदि | उसी  प्रकार आपसी सामंजस्य भाईचारा , अप्रसार निति अपराध व् आतंकवाद भी उतने ही महत्वपूर्ण विषय हैं | 
भारत को भी इन्ही के सतह पर हर समय अन्य देशो से जिनमे अमेरिका भी शामिल है जरूरत रहती है | 
जब भी किसी देश में सत्ता परिवर्तन होता है उसके साथ २ सत्ता पक्ष की विचारधारा का भी परिवर्तन हो जाता है भारत ने अपनी आज के नेतृत्व की  काबलियत के दम पर जो मुकाम आ ०  ट्रम्प महोदय , ओबामा महोदय के साथ स्थापित किये , मुख्य रूप से Mr. Joe Biden से अमेरिका के राष्ट्रपति पद संभाल लेने की स्थिति में / व् संसार  का सबसे समर्थ देश होने के नाते, भारत की उम्मीद भी उन्ही सब मसलों पर टिकी रहेगी || और उन्ही के अनुरूप  आशाएं भी रहेंगी //  
जो की मुख्यतः ये हैं 
१.  सुरक्षा प्रणाली २. आतंकवाद ३. आपसी भाईचारा ४. यातायात , ५.  अप्रवासी भारतीय मूलक लोगों के हित ६. अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत का सहयोग 
७. व् विशेष कर हमारे देश से प्रॉक्सी युद्ध में सलगन देशों से असहयोग // 
यूनाइटेड नेशन ऑर्ग।   में  भारत की पक्की सीट  का समर्थन आदि २ सर्वाधिक महत्वपूर्ण विषय हैं 
- डॉ. अरुण कुमार शास्त्री
दिल्ली
अमेरिका में नई सरकार एक सुखद बदलाव है। इसलिए कि 'जो बाइडेन' एक जुझारू नेता हैं और साथ में 'कमला हैरिस' भारतीय मूल की हैं तो यकीनन ये उम्मीद की जानी चाहिए कि वो भारत देश के हित में काम करेगी। व्यापार के साथ-साथ सांस्कृतिक क्षेत्रों में आदान-प्रदान बढ़ेगा।जो भारतीय पांच साल से अधिक समय से अमेरिका में रह रहे हैं उनको ग्रीन कार्ड मिल सकता है।  भारतीयों को एच वन वीज़ा मिलने की उम्मीद है एक बार फिर जो ट्रम्प सरकार ने रोक दिया था।सैन्य क्षेत्र में भी आदान-प्रदान बढ़ेगा ऐसी आशा की जा रही है
- संगीता राय
पंचकुला - हरियाणा
भारत और अमेरिका का संबंध ट्रंप के समय से ही मधुर रहा है वाइडऐंड से उम्मीद है कि वह मधुर संबंध को बनाए रखेंगे बहुत सारी अपेक्षा वाइडेड महोदय से है भारतीय निवासियों के प्रति सद्भावना व्यापार के संबंधों में मित्रता आतंकवादियों के प्रति भारत की नीति पर पूर्ण रुप से समर्थन मिलता रहे विकासवादी दृष्टिकोण पर भारत वि वाइब्रेंट का समर्थक है और वजन भी भारत के समर्थक बने
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
भारत और अमेरिका के संबंध पूर्व शासन काल की तरह ही रहेंगे 
21वीं सदी में भारत और अमेरिका के रक्षा रणनीतिक और सुरक्षा संबंध मजबूत हुए हैं बाइडेन के प्रमुख रणनीतिकार एंथनी  ब्लिंकेन कह घ
चुके हैं "एक जैसी वैश्विक चुनौतियों से बिना भारत को साथ लिए नहीं निपट
सकते हैं "भारत के साथ रिश्तों को मजबूत और गहरा करना हमारी उच्च प्राथमिकता में रहने वाला है।"
चीन को लेकर मतभेद हैं इसका असर भारत अमेरिका और भारत चीन के रिश्तों पर भी देखने को मिलेगा
अमेरिकी चीनी अर्थव्यवस्था को अलग कर ट्रंप जैसी ही राय रखी है राष्ट्रीय सुरक्षा और क्रिटिकल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अलगाव हो सकता है बाकी सब कुछ पहले जैसी ही नीतियां रहेंगी
बाइडेन से उदारता की उम्मीद है।
उनकी सलाहकार भारतीय मूल की कमला हैरिस जी  हैं उपराष्ट्रपति चुनी गई हैं।
- आरती तिवारी सनत
 दिल्ली
अभी अभी अमेरिका में राष्टृपति चुनाव में 
बाइडेन ने  डोनाल्ड टृंप को कडे मुकाबले से हराया जिसके लिए भारत ने  बाइडेन को वधाई भी दी है और अमेरिका से भारत के प्रति कुछ उम्मीदें भी  जताई हैं। 
आईये आज चर्चा करते हैं कि नये राष्टृपति भारत के लिए क्या क्या  कर दिखाते हैं। 
मुझे ऐसा महसूस हो रहा है कि अमेरिका के नव निर्वाचित राष्टृपति बाइडेन का प्रशासन भारत को संयुक्त राष्टृ सुरक्षा का स्थाई सदस्य बनवाने में मदद करेगा, आतंकबाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोग  जारी रखने  में मदद करेगा यही नहीं अमेरिका भारत के बीच के संवधों को मजबूत करने में सहायक बनेगा, 
यह जानकारी चुनाब प्रचार के दौरान बाइडेन की और से जारी एक पालसी पेपर में  दी गई है। 
यही  नहीं बाइडेन ने २००६ में कहा था मेरा सपना है कि २०२० में दूनिया के दो सबसे करीबी मुल्क भारत और अमेरिका हों अगर ऐसा होता है तो दूनिया पहले से अधिक सुरक्षित हो जाएगी बाइडेन ने यह बात एक पालिसी पेपर में दोहराई है। 
७७वर्षिय  बाइडेन अमेरिकी इतिहास के सबसे उम्रदराज राष्टृपति होंगे याद रहे कि बाइडेन २००७मे अमेरिका के उपराष्टृपति भी रह चुके हैं। 
पालिसी पेपर के अनुसार बाइडेन प्रशासन ने रणनीतिक, रक्षाआर्थिक, क्षेत्रिय चुनौतियों पर भारतऔर अमेरिका के सहयोग को  गहरा  रखने का     और हर तरह के भाईचारे को निभाने का विचार प्रकट किया है  जिससे भारत को नये राष्टृपति से बहुत सी उम्मीदों पर खरा उतरने  का   विश्वास हो रहा है जो हमारै लिए एक अच्छा कदम है। 
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
बाइडेन का अमेरिका का राष्ट्रपति बनना लोकतंत्र में बदलाव की जीत है । भारत -अमेरिका के बीच रिश्ते मजबूत होंगे , एच - 1बी वीजा की सीमा बाधा सकते हैं 
और वह विभिन्न देशों के लिए  रोजगार आधारित वीसा कोटा को खतना कर सकते हैं । भारत के लोगों  को लाभ मिलेगा। रक्षा संबन्धों को बढ़ावा मिलेगा ।चीन से संबन्ध में बाइडेन की नरम नीति रहेगी । 1998 में पोखरण परमाणु टेस्ट में बाइडेन ने भारत का साथ दिया था जबकि अमेरिका के राष्ट्रपति ने विरोध किया था ।भारत के प्रति बाइडेन की सोच उदार ही रहेगी क्योंकि उन्हें भी भारत के दोस्ती पर नाज है।
- डॉ मंजु गुप्ता
 मुंबई - महाराष्ट्र
बाइडेंन अमेरिका के नये 46वें राष्ट्रपति बनें हैं | इनके आने से भारत को क्या फायदे हो सकते हैं ये तो वक़्त ही बतलायेगा लेकिन ये कहा जा सकता है कि IT के क्षेत्र में तो बड़ा बदलाव आने वाला है, हम जैसे लोग जो IT से जुड़े हुए हैं उनको इनके आने से काफी उमीदें नजर आ रही हैं, भारत के साथ IT के प्रोजेक्ट जुड़ सकते हैं तथा अमेरिका के साथ इस क्षेत्र का कारोबार अच्छा चल सकता है | कई भारतीय लोगो को जो वहाँ पर कारोबार कर रहे हैं या करने के इच्छा रख रहे हैं उनको ग्रीन कार्ड के लिए अनुमति मिल सकती है |
अगर बात करें राजनीति की तो पहले की तरह ही सेन्य समझौते होते रहेंगे और हालात अच्छे ही रहने की उमीद है| 
अमेरिका में भी एक मन्जहे हुए राजनीतिज्ञ के आने से काफी सुधार आ सकते हैं |
और भारत के लिए तो मेरी दृष्टि में IT और करोबार के क्षेत्र में नई उमीदें दिख रही है |
- मोनिका सिंह
डलहौजी - हिमाचल प्रदेश

" मेरी दृष्टि में " बाइडेन की नीतियों को भारत किस नज़र से देखता है । यही बात सबसे बड़ी चुनौती है । भारत की विश्व में अपनी अलग पहचान है । जो विश्व में नेतृत्व करने की इच्छा रखता है ।
- बीजेन्द्र जैमिनी
डिजिटल सम्मान

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