क्या हार से सबक न लेने वाले कभी विजेता बन सकते हैं ?

हार कर कोई जिन्दगी खत्म नहीं होती है । जो हार से सबक लेकर आगे बढता है । वह हार को जीत में बदल देता है । जो हार को हार मानकर बैठ जाता है । वह कभी विजेता नहीं बन सकता है । यही जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
हार से सबक नहीं लेने वाले कभी भी विजेता नहीं बन सकते हैं। किसी भी काम में जब अपनी गलतियों से सबक नहीं लेंगें, उसमें सुधार नहीं करेंगे तो गलतियां तो बार-बार होती रहेंगी। तो फिर सफल होना मुश्किल हो जाएगा। किस कारण से हार हुआ है उससे यदि सबक न लेकर उसमें सुधार न करेंगे तो फिर विजेता कैसे बनेंगे। जो अपनी अपनी हार से सबक लेकर उन कमियों को दूर करते हैं वही विजेता बनते हैं। क्षेत्र चाहे कोई भी हो।
- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" 
कलकत्ता - पं. बंगाल
हार से सबक न लेनेवाले केवल एक ही स्थिति मैं जीत सकते हैं ......वो है स्वयं के परिश्रम के बिना ......सिफारिश से या अन्य किसी भ्रष्ट तरीके से
हर हार मनुष्य को एक सबक सिखाकर जाती है ...आवश्यकता है हर हार के पश्चात आत्मविश्लेषण की ....यह सोचने की .....इस बार कमी कहाँ रह गयी ?
यदि मनुष्य इस तरह अपनी गलती सुधारेगा तो निस्संदेह उसे विजेता बनने से कोई रोक नहीं सकता !!
- नंदिता बाली
सोलन - हिमाचल प्रदेश
जो इंसान हार से सबक न लेते हैं कभी भी विजेता नहीं बन सकते हैं। 
जो व्यक्ति हार माना और हार के बारे में मनन  किया वह इंसान आगे चलकर सफल है। 
जितने भी अविष्कार करने वाले हैं उनसे कहीं ना कहीं त्रुटि होती है उस से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ते हैं और सफल होते हैं।
अगर आप समय पर अपनी गलतियों को स्वीकार नहीं करते हैं तो आप एक और गलती कर बैठते हैं।आप अपनी गलतियों से तभी सीख सकते है जब अपनी गलतियों को स्वीकार करते हैं।
 हम चाहे तो अपने आत्मविश्वास और मेहनत के बल पर अपना भाग्य खुद लिख सकते हैं।
समय और परिस्थितियां आपका भाग लिख देगा।
 सपने वह नहीं जो हम नींद में देखते हैं ,सपने वह है जो आपको नींद नहीं आने देती है।
लेखक का विचार:-अपने जीवन के सकारात्मक बातों पर ही ध्यान में रखकर आगे बढ़े और नकारात्मक बातों को अपने मन से निकाल दीजिए। ऐसा करने से सफलता आपके मुट्ठी में होगा।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - मध्यप्रदेश
  कोई भी मनुष्य जिंदगी में हारना नहीं चाहता और जब हार जाता है तोउस हार के पीछे क्या कारण हो सकता है उस पर ध्यान जाने से जिंदगी में हार नहीं जीत होगा हारने वाले व्यक्ति को सबक सीखने की आवश्यकता नहीं जिस कारण हार हुई है उस पर ध्यान जाने से उस गलती को सुधार कर पुनः असफलता पाया जा सकता है जिंदगी में कहीं हार लिखा ही नहीं है अगर हार होती है तो नासमझी के कारण होता है गलतियों के कारण होता है अगर मनुष्य गलतियां नहीं करेगा तो हर कार्य सो गई होगा अच्छा ही होगा और हमेशा विकास की ओर बढ़ेगा विकास जी की ओर बढ़ना है जीत है और हर आज की ओर जाना है हार है अतः हर व्यक्ति को जीत की तरफ अर्थात समझ की तरफ ध्यान देने की आवश्यकता है। अंत में यही कहते बनता है कि क्या हार से सबक न लेने वाले व्यक्ति कभी विजेता बन सकते हैं हां  बन सकते हैं बशर्ते की त्रुटियों पर ध्यान दें और लगन के साथ काम करें यही विजेता था पहुंचाता है।
  - उर्मिला सिदार 
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
       सौ प्रतिशत सत्य है कि हार से सबक न लेने वाले कभी विजेता नहीं बन सकते हैं। क्योंकि हार से बड़ा संसार में कोई शिक्षक अथवा गुरू नहीं है। चूंकि हार चौबीस घंटे और सातों दिन भुक्तभोगियों को चैन से नहीं बैठने देती। वह उनका सुकून छीन लेती है। जिससे वह बिन पानी मछली की भांति तड़पते हैं। जिससे उनकी रात की नींद और दिन का चैन हराम हो जाता है।
       चुनौतियों पर यदि बात करें तो हार की चुनौती स्वीकार करने वाले बलिदानियों ने कभी हार से भी हार नहीं मानी। वह कर्मयोग हार से सबक लेते हुए उसी हार को लक्ष्य बनाकर उसे विजयश्री में बदल देते हैं या स्वयं जीवन की दौड़ से आउट हो जाते हैं।
      सम्पूर्ण सत्य को स्वीकार करने वाले योद्धा यह स्वीकारते हुए गर्व से कहते हैं कि जब मैं उच्च न्यायालय की एकल खंडपीठ में सकारात्मक तर्क न करने पर हारा था तो उसी हार से सबक लेकर हमने संविधान की छोटी से छोटी बारीकियों पर गहन अध्ययन किया था। जिसके फलस्वरूप अब हम बड़े से बड़े वाद को ज्ञान के कुशल तर्कों से चुटकियों में जीत लेते हैं।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
"मत बैठ हाथ पर हाथ रख
कुछ काम कर
हारना है तो कुछ करके हार"
 जी सही है हार का मतलब मायूसी नहीं
हार का मतलब हमारी मेहनत लगन, कोशिश में कमी होना और वह कमी कहां रह गई यह हमें हमारी हार बताती है
अतः असफल होने पर हमें हार नहीं माननी चाहिए बल्कि जोश से उसी काम में फिर लग जाना चाहिए क्योंकि हार से सबक लेने वाला ही विजेता बनता है।।।
- ज्योति वधवा"रंजना"
बीकानेर - राजस्थान
     जीवन में हार-जीत एक लम्बा सफर तय करता हैं।  जिसने इसका तिरस्कार किया, जहाँ तरह-तरह कि परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं, जिससे निकल पड़े तो विजेता कहलाता हैं। आज परिस्थितियां बिल्कुल बदल चुकी हैं और अंत में बुरी तरह से सामना करना पड़ता, इसके बारें में कोई समझता नहीं हो सकें, परिस्थितियों अनुसार चलना चाहिए ताकि भविष्य में कोई दुष्परिणाम सामने नहीं आये।
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
  बालाघाट - मध्यप्रदेश
जीवन में अनुभव और सीखने का बहुत महत्व है
मानव जीवन निरंतर सतत सीखने की क्रिया है मानव जीवन पर्यंत सीखता है
लेकिन साथ ही साथ उसके लिए यह बहुत जरूरी है‌‌ कि वह अपनी पुरानी गलतियों और हार के करण को पक्ष को जानकर उनसे सबक ना ले और वही गलती बार-बार दोहराए तो विजेता होना मुश्किल है विजेता होने
के लिए पिछली गलतियों और हार से सबक लेना बहुत ही जरूरी होता है
तभी विजेता बन सकते हैं‌ और लक्ष्य तक पहुंच सकते हैं।
इतिहास को कभी दोहराना नहीं चाहिए*गलतियों से सबक लें
- आरती तिवारी सनत
दिल्ली
जीवन में अनेको ऐसे उदाहरण है जिनकी सफलता के आयाम स्वयं स्रष्टी ने निर्धारित किये वही उनकी आश्रय है, थी और रही //  ऐसा लगता , लगता क्या, हो भी रहा और हुआ भी जिन्होने कभी हार से सबक नही लिया अपने कार्य क्षेत्र बदलते रहे, लेकिन ये कहना गळत होगा के उन्होने उस हार से सबक नही लिया , हर असफलता प्राणी को पहले की गई कोशिश से 5 सबक जाने अनजाने में दे कर ही जायेगी 
और वो व्यक्ति उनको समझे न समझे तो भी जाने अनजाने में उनका उपयोग / सीख / अपने sub conscious / अर्ध सुप्त मानस के माध्यम से करेगा ही करेगा // 
[[[ये 5 नसीहात हैं , १ साहस , २ कर्म ३ आस्था , ४ भरोसा , 5 पुख्ता इच्छा ,   मेरी समझ से इन 5 के सिबा कोई कार्य सफल नही होता , हां प्रभू साथ खडे होवे और हांथ पकड के सफल बना दे, ऐसा भी संभव है लेकिन आगे कि यात्रा मनुष्य को फिर भी स्वयं करनी पडेगी ..... हा हा हा ....  कर्मण्ये वाधिका रस्ते ... फोर्मुला लगे ही  लगे  // 
पुन्ह .......]]] एक अच्छा  मौका मिला और या वर्तमान कार्य क्षेत्र में मन नही लगा या उस से सम्बन्धित कर्मचारी , म|लिक, सह्भागी आदि से खटपट हो गई, एक पळ गंवाये बिना सोचे बिना वो कार्य क्षेत्र छोड दिया // मै स्वयं इसका जीता जागता उधाहरण हूँ || 
विजेता का अर्थ यदि किसी प्रतियोगिता से न लिया जाय , यदि , तो जीवन के मेरे वो सभी निर्णय जो असफलता से अंकुरित हुये मुझे और नये आयाम देते गये // आज उमर के 5.5 दशक पार करने के उपरांत भी मै उस परमपिता कि अनुक्म्म्पा के सहारे ही खा पी रहा हूँ मुझे अपने जीवन से कोई शिकायत नहीं !
- डॉ. अरुण कुमार शास्त्री
दिल्ली
जरुरी नहीं व्यक्ति को हमेशा ही सफलता मिलती रहे !कभी कभी असफलता का स्वाद भी चखने को मिलता है !जब बच्चा माता पिता की बात नहीं सुनता और गल्तियों पर गल्ती करता है तभी माता -पिता कहते हैं ठोकर लगेगी न तब समझेगा और यह सोलह आने सच होती है !ठोकर लगने पर जो चोट लगती है वह उसका अपनी गल्ती को अहसास करने का सबसे बड़ा अनुभव होता है पुनः वह गल्ती कतई नहीं दोहराना  चाहेगा ! हर कोई अपनी  नादानी में हुई गल्तियों से सबक लें तो सफलतता अवश्य प्राप्त होगी ! हां ! हमारा अहम् अथवा दंभी स्वभाव भी बहुत बार हमारी असफलता का कारण बनता है अतः हमारे स्वभाव और कार्यप्रणाली में परिवर्तन लाना आवश्यक है ! पिछली हार को भूलकर जोश, उमंग एवं सकारात्मक उर्जा के साथ सिद्दत से कार्य करें तो सफलता अवश्य प्राप्त होगी !
- चंद्रिका व्यास
 मुंबई - महाराष्ट्र
जो लेते सबक नहीं हार से,
वो कैसे हो सकते सफल?
जो गलती रही आज तक
वो ही होगी फिर से कल।।
हार से सबक न लेने वाले विजेता नहीं बन सकते । जिस गलती या चूक की वजह से हार मिली,सबक न लेने पर फिर दोहरायी जाएगी,तो फिर हार भी सुनिश्चित है। हार के बाद,पुन: प्रयास करना जरूरी है और यह प्रयास करने की प्रवृत्ति ही सफलता का मार्ग प्रशस्त करती है। 
जो लेकर सबक निज हार से
करते गलतियों में सुधार।
पाते हैं वो ही सफलता
होती जय जयकार।।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
निःसंदेह हार से सबक लेकर ही हम विजेता बन सकते हैं l
 1. हार के पश्चात बेहतर रणनीति आपके जीवन को सफल बना सकती है l इसके अभाव में जीवन अराजकता के माहौल में चला जायेगा, जहाँ सफल होने की संभावना ही नहीं है l 
2. यदि आपकी रणनीति और उद्देश्य सकारात्मक है तो आपको विजय श्री से कोई रोक नहीं सकता l 
3. संगत करें और पंगत हो अच्छी, कहा गया है कि -
1. जैसा करें संग, वैसा चढ़े रंग l 
2. जैसा खावे अन्न, वैसा बने मन l मन और अन्न आपको सफलता दिला सकने में रामबाण औषधि हैं क्योंकि महाभारत में दुर्योधन उतना बुरा नहीं था जितना मामा शकुनि उसे बुरे मार्ग पर ले गया l यदि आपकी संगत शकुनि जैसी ही है तो हारकर भी सबक लेने के बाद भी आप विजयी नहीं होंगे क्योंकि मन मस्तिष्क पर नकारात्मक विचारों का प्रभाव ही प्रबल होता है l 
4. थोथा चना  बजे घना वाले जो समाज को दिग्भ्र्मित करते हैं, उनसे बचें क्योंकि अधजल गगरी छलकत जाये l 
5. दोस्त और दुश्मन की पहचान करना सीखें l कौरवों का साथ दे रहे भीष्म, द्रोण और विदुर अंततः पांडवो का ही साथ दे रहे थे वे लड़ाई तो कौरवों की तरफ से लड़ रहे थे लेकिन प्रशंसा पांडवो की करते थे l कहा गया है -दुर्जनों की प्रशंसा की अपेक्षा सज्जनों की गाली अच्छी l 
6. संयमित, मर्यादित भाषा बोले l पौराणिक काल, महाभारत काल और वर्तमानकाल राजनीति में महाभारत का युद्ध नहीं होता यदि कुछ लोग अपने वचन पर संयम रखते l "अंधे का पुत्र भी अंधा "प्रतिशोध आपको हारकर भी विजय नहीं दिला सकती l 
7. लड़ाई से डरने वाले मिट जाते हैं l जिंदगी एक उत्सव है, संघर्ष नहीं l अपनी विजय के लिए -
छीनता हो स्वत्व तेरा और तू धैर्य से काम ले l 
पाप नहीं पुण्य है विच्छन्न कर देना बढ़ रहा तेरी तरफ जो हाथ है ll 
         चलते चलते -----
जिंदगी के इस रण में, कभी कृष्ण, कभी अर्जुन बनना पड़ता है l 
यहाँ महाभारत गैरों से कम अपनों से ज्यादा लड़ना पड़ता है l 
 -डॉo छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
मनुष्य को जीवन में हार-जीत दोनों का सामना करना पड़ता है। जीता तो विजेता कहा गया और हार गया तो पराजित। कोई भी हार विजयी मार्ग पर पुनः चलने के लिए प्रेरित करती है। परन्तु फिर से हार न हो, इसके लिए हार से सबक लेना अनिवार्य है। एक हार से सबक न लेने वाले को फिर से हार का मुंह देखना पड़ सकता है।
यह तो निश्चित है कि हार के अनेक कारण हो सकते हैं। इन कारणों में स्वयं की गलतियों का बहुत बड़ा हाथ होता है। इन्हीं गलतियों पर दृष्टिपात करने को हार से सबक लेना कहा जाता है और जिसने यह सबक का पाठ पढ़ लिया, वही विजेता बन सकता है।
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
हार हमें जीत की एहमियत बतलाती है, यह कथन अपने आप में ही बहुत कुछ कह जाता है | हर हार कुछ ना कुछ सबक दे कर जाती है लेकिन ज़िंदगी में आगे वही बड़ता है जो अपने जीवन में हो रही छोटी बड़ी घटनाओं या हारों से सबक लेता है |
कई बार बहुत सारी हारें हमारे जीवन में कोई बदलाव नहीं लाती और कई बार बस एक हार ही हमें हमारी मंज़िल के करीब ले जाती है ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हम उन घटनाओ को दिल पर नहीं लेते जब चोट दिल पर लगती है अहम को ठेस पहुँचती है तो जीवन में बदलाव आता ही है पर यदि इतना सब होने के बाद भी कोई सबक नहीं लेता तो वह कभी भी विजेता नहीं बन सकता| 
जैसे तीर की कमान को जितना पीछे खींचोगे तीर उतना ही आगे जायेगा वैसे ही हार इंसान को तीर की तरह आगे ले जाने में सहायक होती है |
बचपन में हमें मकड़ी की कहानी सुनाई जाती थी जब भी हम कभी निराश होने लगते थे तो ये कहानी हमें सुबह की नई किरण सी लगती थी, मकड़ी का बार बार गिरके उठना सच मे एक नई उमंग भर जाता था |
जब तक हम अपनी हार को अपनी ताकत नहीं बना लेते तब तक हमारा विजेता बनना निश्चय ही असम्भव है |
- मोनिका सिंह
डलहौजी - हिमाचल प्रदेश
हार से सबक न लेने वाले भाग्य भरौसे अधिक रहते है वे अपनी हार को पचा भी नही पाते और विजेताओं पर ही चाल बाजी अन्याय धोकाधड़ी का आरोप लगाकर इतिश्री कर लेते है पर अपनी हार क्यो और किस कारण हुई इसका मन्थन नही करते।सायद इसी लिये वै जीत से दूर बहुत दूर होते जाते है खुदा न खास्ता यदी किसी कारण वै विजेता बन भी जाये तो उसे अखण्ड नही रख सकते क्यो की उनका कोई विजन नही होता ओर भीर उनहे हार का सवाद चखना पढता है कहने का तात्पर्य यही है कि हार कर मंथन न करना सबक  न लेना अपना कोई उदेश्य न रखना यह सभी बाते आपको हार कि ओर ही ले जाती है।
- कुन्दन पाटिल 
देवास - मध्यप्रदेश
हमारा जीवन अपेक्षाओं और योजनाओं से भरा होता है. हर अपेक्षा को पूरा करने के लिए हमारे पास कोई-न-कोई योजना होती ही है. यह योजना कभी सफल होकर विजय दिलाती है, तो कभी ठोकर के रूप में हार बन जाती है. ठोकर संभलना भी सिखाती है, क्योंकि एक बार ठोकर खाकर बच भी गए, तो बार-बार ठोकर खाकर बचा नहीं जा सकता. इसलिए ठोकर से भी कोई सबक सीखना होता है. किस्मत अच्छी होने के कारण कोई चमत्कार हो जाए तो बात और है, लेकिन ठोकर या हार से सबक न लेने वाले कभी विजेता नहीं बन सकते. जिंदगी में आप कितनी बार हारे ये कोई मायने नहीं रखता क्योंकि आप जीतने के लिए पैदा हुए हैं. मैदान में हारा हुआ इंसान फिर से जीत सकता है लेकिन मन से हारा हुआ इंसान कभी नहीं जीत सकता, मन के हारे हार है और मन के जीते जीत. हार से सबक लेकर विजेता बना जा सकता है.
- लीला तिवानी 
दिल्ली
"मैं टूटा तो सही मगर हो गया काबिल, 
चलो हार से महज  कुछ तो हुआ हासिल"। 
यह शेयर हमें इशारा करता है कि हार से ही हमें जीत का सबक मिलता है"।   
 तो आईये आज चर्चा करतो हैं कि  हार से सबक न लेने वाले कभी विजेता बन सकते हैं, 
मेरे ख्याल में हर हार के पीछे जीत का रहस्य छिपा होता है क्योंकी हार हमें अपनी गलतियों को एहसास दिलाती है और मुश्किलों से जुझना भी जिनको हल करके हम पुना अपना लक्ष्य ग्रहण कर सकते हैं, 
लेकिन अगर हम   किसी कारणवश हार जाते हैं हमेंमहसूस होता है हम से वो गल्ती हो गई थी और उस को  सुधारणा चाहिए मगर हम नहीं सुधारते और हार जाते हैं कि यह अब हम से नहीं होगा तो आप कभी भी जीत हासिल नहीं कर  सकते, 
क्योंकी कईबार हमें हार भी देखनी पड़ती है इसका यह मतलब नहीं कि हम हार से  निराश होकर अपना लक्ष्य ही छोड़ दें बल्कि हमें हार से सीखना  पढ़ेगा कि कौन सी कमी रह गई थी  हमेंउस कमी को दूर करने का प्रयास करना होना तभी जा कर हम सफल हो सकते हैं। 
यही नहीं हमारे लक्ष्य  की राह में लाख मुश्किलें भी आएं हमें हार नहीं माननी चाहिए, 
हमारा मन ही हमें हौंसला दे सकता है इसलिए अपने मन में विश्वास की लौ को हमेशा जला के रखिये और अपना लक्ष्य निधारित रखिये आप  पक्का सफल होंगे। 
हालात विपरीत हों याअनुकूल लेकिन अपने उपर संयम बनाए रखें और दृढ़  निश्चय से अपना कार्य करते रहें आप को खुद मालुम होने लगेगा की अब अंधेरी रातें कटने वाली हैं। 
 हम इंसान हैं हमसे गलतियां होती रहती हैं लेकिन इनसे हमें सीख लेनी होगी, 
एडिसन  को विजली  का  बल्व बनाने   के   प्रयास में १००००बार फेल होना पड़ा लेकिन उसने हार नहीं मानी और आखिरकार विजली का बल्व वना ही डाला वो हर बार यही कहता मेरे से कोई कमी रह रही है, 
आखिरकार यही कहुंगा कि हमें जिंदगी में हार कर भी परेशान नहीं होना चाहिए मगर अपने प्रयास को जारी रखना चाहिए  ताकी कामयाबी हमारे कदम चुमे। 
यही नहीं अगर हम हार से भी सबक न ले पाए तो हम कभी विजेता नही् बन सकते। 
सच है, 
"मुश्किलें तेरे आत्मविश्वास को आजमाती हैं, 
स्वपन के पर्दे निगाहों से हटाती हैं, 
हौंसला मत हार गिर कर ऐ दोस्त, 
ठोकरें ही इंसान को चलना सिखाती हैं"।
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
हार से सबक न लेने वाले  भी विजेता कैसे बन सकते हैं? हार से सबक का आशय है ज्यादा मेहनती, कर्मठ और संघर्षशील बनना। हार से सबक लेना बहुत जरूरी है, यदि कोई हार से सबक न लेकर भी सफल हो जाता है तो वह उसका अच्छा भाग्य ही माना जाएगा। व्यक्ति जब अपने  उद्देश्य की पूर्ति नहीं कर पाता और असफल हो जाता है तो वह निराश, हताश होकर बैठ जाता है।  बिना सबक लिए, बिना परिश्रम किए  सफलता केवल विरासत में ही मिल पाती हैं। खानदानी, पारिवारिक बपौती मनुष्य को भाग्यवादी बना देती है। फिर भी इस वाक्य को समर्थन नहीं दे सकते कि हार से सबक न लेने पर भी कोई विजयी हो पाता है । किसी व्यक्ति के समक्ष दिव्य व्यंजनों से भरी थाली रख दी जाए, तो  मुंह तक ग्रास पहुंचाने के लिए उसे अपने हाथ तो हिलाने ही पढ़ेंगे । प्रयास ज्यादा न होकर थोड़ा तो करना ही पड़ता है । हार से सबक न लेकर किया गया कार्य का प्रयास गुणवत्ता विहीन ही माना जाता है । उसमें ज्ञान और अनुभव का सार नहीं है । उसमें मेहनत और संघर्ष का बल नहीं है । अतः हार से सबक लेकर  मेहनत और संघर्ष पर आधारित विजय दिव्य अनुभवों से युक्त होती है 
- शीला सिंह 
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश 
हार तो एक ज्ञान है अपनी त्रुटियों को समझने का। जब यह ज्ञान हो जाये तो इस ज्ञान का उपयोग कर हारा हुआ विजेता बन सकता है। परन्तु यदि कोई हार से सबक न ले अर्थात् ज्ञान न ले तो वह वही गलतियां दोहराता रहेगा और विजेता नहीं बन पायेगा। अतः हार से सबक न लेने वाले कभी विजेता नहीं बन सकते।
- सुदर्शन खन्ना 
 दिल्ली
यह पिछले प्रश्न का ही उल्टा प्रश्न है कि "क्या एक असफलता से सब कुछ समाप्त हो जाता है।" या " क्या हताश न होना ही सफलता का मूलमंत्र है?"
इन्हीं सबसे आगे बढ़ते हुए हमारे आधार पर हार तो प्रथम पायदान होती है। वही आगे सीढ़ी के दर्शन कराती है। यहीं पर व्यक्ति अपनी कार्यविधि का मंथन करता है और अगले कदम को बढ़ाने में पूरी तैयारी करता है। लेकिन हार देखकर उसी पायदान पर थक कर मुँह मोड़ लेना कभी मंजिल का सही रास्ता नहीं दिखाएगी। हर कर बैठना अपने पर भरोसा नहीं होने का द्योतक है।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
यह कहना अनुचित नहीं है कि हार से सबक न लेने वाले भी विजेता बन सकते हैं। जीवन में कर्म के साथ भाग्य भी जुड़ा होता है। इसे संयोग और अवसर माना जा सकता है। अतः हार से सबक लेना अवश्य चाहिए। सबक हमारी कमियों, खामियों, अज्ञानताओं और असावधानियों को उजागर करता है। जिन्हें दूर करने से मंजिल पथ सुगम हो जाता है। अतः हार से कभी भी घबराना नहीं चाहिए। न निराश होना चाहिए।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
 गाडरवारा - मध्यप्रदेश
हार जीवन का प्रेरणादायक स्त्रोत है।जीवन मे हम हारते तब कुछ न कुछ सबक या सीख लेते है परंतु जो मनुष्य अपने हार और असफलता के अनुरूप विकसित नही होते वो जीवन मे विजय पथ से काफी दूर होते हैं।जीवन की हर परिस्थितियों मे अपने आप को हार और जीत के अनुसार ढा़लना चाहिए सही विजेताओं मे शामिल वहीं होता जो हार से सबक लेकर खुद को और मजबूत बनाने की कोशिश करता है।हम अक्सर अकेले और तनाव, तनहा मे होते तब अपनी हार और असफलता का मंथन किया जाना चाहिए ताकि भविष्य मे सुधार कर आगे कठिन परिश्रम से हार का सामना ना करना पड।जीवन अनमोल धरोहर है हार एक मोती है मालाओं मे से एक हार की मोती शंख हमें सबक देती है और हम अपने राहों मे सबक लेकर आगे मंजिल तय करते हैं।हार को अनदेखा कर वहीं गलती दुहराया जाये तो जीवन मे हार असफलता निश्चित तौर से मिलेगें।इस कठिन परिश्रम से हम हार को अपनी जीत मे बदल सकते है जीवन की पतवार सबक से तय करने मे आसानी होती है। विजेता घोषित होने के लिए धैर्यपूर्वक सहनशीलता संवेदनशील परिश्रमी आशावादी अन्य विभिन्न प्रकार के उच्चतम गुणों का समाविष्ट अभिव्यक्ति मे अनिवार्य है ।हार से घबराकर हम मंजिल की तरफ़ रूख करने मे संकोची हो जाते जो हमारे लिए हानिकारक प्रभाव पड़ता है।हम जीवन की सवारी मे हार को किनारे स्थित कर के अपने मार्ग मे बढ़ते रहना चाहिए।जो हार से सबक नही लेते हमेशा पीछे जीवन की गतिविधियों मे रह जाते हैं।उम्मीद  सकारात्मकता का थामे रखना ही जीवन की सच्चाई को प्रदर्शित करती है।जिंदगी की हार को अपनी हथियार बना आगें बढ़ना ही जीवन है।अतः हार से सबक ना लेना एक बेवकूफी की निशानी है ।मंदबुद्धि है कि हम हार को हल्के मे लेकर किनारे कर देते हैं।पंरतु हार से सबक लेने वाले लोग हमेशा जीत विजय की परचम लहराते है।
सबक तो दिल को एक हार ने दिया  
नही तो दिल टुटता और जुड़ते जा रहा था।
जबतक सबक नही लेते हम अपने दिल को भी छलते है। आसानी से तोडऩे और जोडऩे की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।विजय प्राप्त वहीं करते जो हार से हलपल सबक और सीख लेते है।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर -  झारखंड
आज की चर्चा में जहाँ  तक यह प्रश्न है कि क्या हार से सबक न लेने वाले कभी विजेता बन सकते तो इस पर मैं कहना चाहूंगा जो व्यक्ति अपनी असफलताओं या हार से कुछ नहीं सीखते और असफलता के कारण नहीं तलाश करते उन्हें सफलता मिलना आसान नहीं होता और वह बार-बार असफल होते रहते है हारते रहते है  असफलता या हार के कारणों से सबक लेना जीवन में बहुत आवश्यक है और न केवल सबक लेना आवश्यक है बल्कि उन सब कारणों  को दूर करना भी बहुत आवश्यक है तभी हम जीवन में आगे बढ़ सकते और सफलता प्राप्त कर सकते हैं यदि एक बार हमें यह समझ में आ गया कि किन कमियों के कारण हमें असफलता मिली या हमारी हार हुई और हमने उन पर ध्यान दिया उन्हें दूर करने का प्रयास किया तो सफलता प्राप्त करने की आशा सौ प्रतिशत बढ जाती है 
ऐसे व्यक्ति जो हार या असफलता से सबक नही लेते उनकी जीत की संभावना कम ही होती है
आप सभी को धनतेरस दीपावली गोवर्धन व भाई दूज की हार्दिक सुभकामनाओं सहित ..!
- प्रमोद शर्मा प्रेम
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
जीवन में हार  और जीत एक  ही सिक्के के दो पहलू हैं । ऐसा कभी भी संभव नहीं हो सकता है कि एक व्यक्ति हमेशा जीतता ही चला जाए कभी ना कभी उसे भी हार का सामना करना पड़ता है। सफलतम व्यक्तियों का जीवन  यह दिखलाता है कि उन्हें भी जीवन में हार का स्वाद चखना पड़ा लेकिन एक बात उन्हें विशेष बनाती है कि  हारने के बाद भी उन्होंने हार से एक अनुभव हासिल किया और सबक लिया। उन्होंने अपना मनोबल नहीं गिरने दिया।हिम्मत के साथ फिर उठ खड़े हुए ।कहा जाता है-'हिम्मते मर्दा,मददे खुदा'          
 हार के आगे  उन्होंने  कदम बढ़ाया और जीवन में आगे बढ़ते चले गए।
 उन्होंने अपनी हार में  जीत की संभावना  बनाए रखी। यदि कोई अपनी  हार को जीत में बदलना चाहता है तो उसे अपनी हार से सबक लेते हुए मनोबल को उस चींटी की तरह ऊंचाई तक ले जाना  चाहिए जो ग्यारह बार दीवाल से गिरकर बारहवीं बार चढ पाने में  सफल  हो जाती है।      
     -  डॉ अरविंद श्रीवास्तव 'असीम '       
      दतिया - मध्यप्रदेश
हार से सबक न लेने वाले विजेता नहीं बन सकते हैं क्योंकि ऐसे लोगों आत्मविश्व , आत्मबल खत्म हो जाता है । संसार में  अधिकतर जितनी भी आत्महत्या होता हैं वे जीवन से हार जाते हैं और तनावग्रस्त हो जाते हैं ।असफलता हमें सिखाती है कि हमने कहाँ कमी की है उत्साह , जोश साथ लिए मेहनत से लक्ष्य हासिल करने में लग जाता है । प्रयास करने वालों की कभी हार नहीं होती है चींटी भी चढ़ जाती है दीवार से गिर -गिरकर
    - डॉ मंजु गुप्ता
 मुंबई - महाराष्ट्र
हार के आगे जीत है ऐसा कहा गया है । इसलिए हमें सदैव अपनी हार यानी‌ विफलता से सबक मतलब सीख लेनी चाहिए। हार मिलने पर व्यक्ति अपनी कमियों को ढूंढता है और फिर उस खामियों को दूर कर पुनः दुगने प्रयास के साथ उस कार्य को सफल करने में लग जाता है। अतः यह सही नहीं  है कि व्यक्ति को हार से सबक नहीं लेनी चाहिए  अपनी हार से सबक लेकर हीं हम विजेता यानी सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ते हैं।
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार
जिंदगी में जीत-हार चलती रहती है। हमें अपने कर्त्तव्यों को निभाते हुए जीवन पथ पर आगे बढ़ना चाहिए। अनेकों बार ऐसा होता है कि किसी काम में हमे  मनमुताबिक परिणाम  नहीं मिलता और हम या तो निराश हो जाते हैं या लापरवाही वश अपने काम करने के तरीके का मूल्यांकन करना भूल जाते हैं और   फिर उसी काम को उसी प्रक्रिया से दोबारा करते हैं और फिर असफलता मिलती है।मेरे विचार से एक बार अगर किसी काम में असफलता मिले तो उससे सबक लेते हुए अपने  काम का मूल्यांकन करना चाहिए और काम करने का तरीका बदल लेना चाहिए तब सफलता निश्चित है।
- संगीता राय
पंचकुला - हरियाणा
क्या हार से सबक न लेने वाले विजेता बन सकते हैं
जिंदगी में हार और जीत लगी रहती है जो व्यक्ति हार से कोई सबक नहीं ले सकते हैं या लेते हैं वह भी विजेता बनते हैं ऐसे बहुत सारे दृष्टांत हमारे सामने हैं है कोई भी स्वीकार कर लेता है कि हां मेरी हार हुई है और हम अपनी कमी को दूर करना चाहते हैं कोई इस विषय पर साइलेंट रहता है और कहीं ना कहीं पहले से बेटर करने के उद्देश्य से परिश्रम ज्यादा करता है आर और उसे सफलता मिल जाती है।
- कुमकुम वेदसेन
मुम्बई - महाराष्ट्र


" मेरी दृष्टि में " हार का औचित्य जब तक है । जब तक आप हार को जीत में नहीं बदल देते हैं । जो हार को जीत में बदल देता है वह कामयाब इंसान होता है। यहीं कामयाब इंसान की सफलता का राज है और जीवन में कभी ना कभी  हार का सामना अवश्य करना पड़ता है ।
- बीजेन्द्र जैमिनी
डिजिटल सम्मान


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