सफलता के लिए सहनशीलता क्यों आवश्यक है
सहनशीलता के बिना सफलता हाथ से निकल जाती है ।सहनशीलता जीवन की मह्त्वपूर्ण चरण है। जो इस को प्राप्त कर लेते है । वह सफल इंसान कहाँ जा सकता है । यही जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
आज की चर्चा में जहां तक यह प्रश्न है की क्या सफलता के लिए सहनशीलता आवश्यक है तो इस पर मैं कहना चाहूंगा हां सफलता के लिए सहनशीलता और विचार शीलता बहुत आवश्यक सहनशील व्यक्ति सोच विचार कर उचित समय पर उचित निर्णय ले पाता है और यदि व्यक्ति सहनशील नहीं है तो वह जल्दबाजी में गलत फैसले करता है जो उसकी उन्नति में बाधक सिद्ध होते हैं और कभी-कभी वह अकारण ही हानी उठा बैठता है एवं यह उसके लिए तथा उसकी प्रतिष्ठा के लिए हानिकारक सिद्ध होता है इसलिए समय परिस्थिति व समय को देखते हुए ही निर्णय लेकर आगे बढ़ना चाहिए यह सफलता के मार्ग को प्राप्त करने के लिए बहुत आवश्यक है यदि व्यक्ति जल्दबाजी करता है और गलत फैसले लेता तो वह अपने लिए परेशानियां उत्पन्न कर लेता है इसलिए सहनशील होना सफलता के लिए बहुत आवश्यक है !
- प्रमोद कुमार प्रेम
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
सफलता के लिए सहनशीलता इस लिए जरूरी है कयोंकि जीवन एक संघर्ष है। जीवन में हमें सफलता हासिल करने के लिए कई परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। जीवन फूलों की सेज नहीं है। कंटीले रास्तों से भी गुजरना पड़ता है। सहनशीलता के गुण से ही इन विकट परिस्थितियों से निपटा जा सकता है। जिस में सहनशीलता नहीं होगी वह विपरीत परिस्थितियों में टूट जाएगा अंर फिर सफलता कैसे मिलेगी।
जीवन में सफलता के लिए सहनशीलता और आत्मविश्वास जरूरी है। आत्मविश्वास की जननी सहनशीलता है अर्थात सहनशीलता मनुष्य में आत्मविश्वास भरती है। सहनशीलत व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। सहनशीलता के अभाव में मनुष्य अपना विवेक और संयम खो देता है। सहनशीलता का गुण ही मनुष्य को सब प्राणियों से श्रेष्ठ सिद्ध करता है। क्रोध से तो बने काम भी बिगड़ जाते हैं। इस लिए सफलता के लिये सहनशीलता आवश्यक है
- कैलाश ठाकुर
नंगल टाउनशिप - पंजाब
सहनशीलता तो मनुष्य जगत की सफलता का एक मूलमंत्र है। हमारे अच्छे व्यक्तित्व के लिए जिन गुणों की आवश्यकता होती है उनमें सहनशीलता भी एक है। हमारी संस्कृति, हमारे संस्कार, महात्माओं, संतों, वेदों की वाणियां यही शिक्षा देती हैं कि हमें जीवन में सहने की प्रवृति रखनी चाहिए। सहनशील व्यक्ति समाज में शांति और सौहार्द्र कायम रख सकता है। आधुनिक जीवन-शैली और परिवेश में असहनशीलता का अभाव रिश्तों में दरार डालती है। सामाजिक जीवन में रिश्तों का ही तो महत्व है। जिसने असहनशीलता का प्रदर्शन कर रिश्तों में दरार डाल दी वह सफल कैसे हो सकता है? अतः हम जीवन में सहनशीलता का गुण विकसित कर सफल हो सकते हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है। अतः सफलता के लिए सहनशीलता जरूरी है।
- सुदर्शन खन्ना
दिल्ली
सफलता के सहनशीलता आवश्यक है।धैर्यवान और सहनशीलता से जीवन की कठिन राहें आसान हो सकती है!जिसने समन्वित समयानुसार अपने हृदय को सयंमित और नियंत्रण करता है।सहनशीलता ही एक ऐसा यंत्र स्थापित किया जा सकता है जिससे ऊर्जा का संचार होता है।सहनशीलता जीवन के पथ मे औषधियों की भातिं जीवन को सकारात्मकता और सक्रियता प्रदान करता है।जीवन की डोर को सहनशीलता एक मंजिल तय करने मे सहायक सिद्ध होता है।जीवन की गतिविधियों मे सहनशीलता का असर पड़ता है हम निर्धारित समय मे अगर विपरीत परिस्थितियों मे सहनशीलता का दामन थाम कर रखते हैं तो मंजिल की चौखट तक पहुंचने मे संजीवनी बूटी की तरह कार्य करने मे अपनी भुमिका निभाता है।जीवन की भागीदारी सुनिश्चित होती है हम हमेशा अपने कदमों को सहनशीलता से आगे बढ़ाते हैं तो जीवन की सफलता प्राप्त होती हैं।सफलता प्राप्त करने के लिए धैर्यवान सहनशीलता संवेदनशील परिश्रमी सरलीकरण सारे तत्वों का मिश्रण अभिव्यक्ति मे होना अतिआवश्यक है। जिंदगी की अनमोल तोहफा सफलता होती है अगर इंसान सफल है तो उसे जीवन की सारी चीजें आसानी से मिलती है।सफलता के लिये सहनशीलता का होना आवश्यक होता है।तभी जीवन की कीमत भी पता चलता है ।असफल इंसान तनाव मे घिरा रहता है शांतिपूर्ण तरीके से जीवन की योजनाओं पर अमल नही कर पाता है।सफल इंसान बिना किसी तनाव के अपनी बातों को रखकर समस्याओं से उलझनों से बाहर निकल जाता है।जीवन सुखद अनुभव और दुखद पहलू का समाविष्ट है ऐसे मे जीवन मे सहनशीलता को अपना यंत्र बनाया जाना बुद्धिमान व्यक्ति की पहचान होती है।सहनशीलता से इंसान बेहद खूबसूरत तरिके से आसानी मार्गों पर चल सकता है।और हृदय भी एकत्रीकरण की दिशाओं मे प्रेरित होकर अपने सहनशीलता के उच्चतम स्तर गुण को अपना भविष्यफल के लिए तैयार करता है।सफलतापूर्वक कार्य संपन्न के लिए शांति और सहनशीलता का होना चाहिए ताकि आपसी सहमति और तालमेल बना रहे।सफलता के लिए सहनशीलता का होना अतिआवश्यक है।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
सफलता के लिए सहनशीलता इसलिए आवश्यक है कि सफलता प्राप्त करने के लिए बहुत कुछ करना पड़ता है। जिसमें कई तरह की समस्याएं आती हैं उन्हें दूर करने के लिए धैर्य की जरूरत होती है और धैर्य सहनशीलता से ही प्राप्त होता है।
सोना आग में तपाया जाता है तभी वो गहने का रूप धारण करता है। और महिलाओं का चहेता बनता है। एक पत्थर को मूरत बनने के लिए कितना छेनी और हथौड़े का मार सहन करना पड़ता है। सहन शक्ति के कारण ही रास्ते में ठोकर खाने वाला पत्थर मंदिर में स्थापित हो पूजा के योग्य हो जाता है। जो सहन करेगा वही योग्य बनेगा। लोहा भी सहन करता है तभी कोई उपयोगी वस्तु बनता है। उसका जीवन सफल हो जाता है। नहीं तो कहीं पड़े-पड़े जंग खाते-खाते सड़ गल जाता।
ठीक उसी तरह मनुष्य की भी हालत है। समय के थपेड़े को सह लेगा तो सफलता उसके कदम चूमेगी। एक छोटा सा पौधा फलदार पेड़ बनने के लिए कितना सहन करता है। धूप बारिश आंधी सबको सहन करता है तब फलदार पेड़ बनता है।
इसलिए सफलता के लिए सहनशीलता जरूरी है।
- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश"
कलकत्ता - पं. बंगाल
सहनशीलता का दूसरा नाम स्वाभाव गति है मनुष्य अपने स्वभाव गति में ही रह कर विकास करता है अर्थात सफल होता है स्वभाव गति ना होने से आवेशित हो जाता है जिससे कोई भी कार्य बनने की बजाय बिगड़ने लगता है। स्वभाव गति मेरा करें व्यक्ति सही कार्य करता है और सफलता प्राप्त कर विकास करता है। इसीलिए सहनशीलता अर्थात स्वभाव गति में होना जरूरी है बिना सौगात स्वभाव गति में रहे बिना कोई भी व्यक्ति आवेशित होकर पर किसी भी कार्य में सफल नहीं हो सकता अतः यही कहते बनता है कि सफलता के लिए सहनशीलता का होना आवश्यक है बिना सहनशीलता अर्थात बिना स्वभाव गति में रहे बिना कोई भी विकास नहीं हो पाता है विकास ना होने के कारण व्यक्ति सफल नहीं हो पाता है। सहनशीलता से ही सफलता प्राप्त हो सकती है। इसीलिए सफलता के लिए सहनशीलता अति आवश्यक है।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
त्रेतायुग में प्रभू श्री राम जी ने लंका में आक्रमण कर ,अपनी पत्नि माता सीता को (जिसे रावण ने अपहृत कर ले गया था)वर्षों तक सहनशीलता का परिचय दिया था,क्यों कि उस समय राम जी ने मनुष्य रूप में अवतार लिया था। तब उन्हें सफलता मिल पायी थी।
सफलता प्राप्त करने के लिए बहुत से तत्व होते हैं, जिसमें सहनशीलता सर्वोच्च होती है। क्योंकि एक बार के प्रयास में तो सफलता मिलेगी, इसकी कोई गारंटी नहीं है। अतः सफल होने के लिए सहनशीलता आवश्यक होती है। अनेक बार देखने में आता है कि असफल होने पर बहुत से लोग, आत्महत्या तक कर लेते हैं अर्थात उनमें सहनशक्ति का अभाव था। डिप्रेशन, दुख,निराशा में उनकी सहनशीलता कहीं गुम हो जाती है, परिणाम जीवन का अंत। वे यह भी भूल जाते हैं कि ये जिंदगी ना मिलेगी दोबारा। विद्यार्थी फेल होने पर निराशा में सहनशीलता के अभाव में अपनी जीवन लीला का अंत कर लेते हैं। फिल्मी दुनिया के आसिफ बसरा ने अभी अभी यही किया है। अतएव सफल होने के लिए सहनशीलता का होना नितांत आवश्यक होता है। ।
- डॉ• मधुकर राव लारोकर
नागपुर - महाराष्ट्र
सफलता के लिए सहनशीलता अति आवश्यक है क्योंकि सहनशीलता हमें धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करता है , हमारी उग्र प्रवृत्ति पर नियंत्रण करता है, आत्म संयम के साथ आत्मविश्वास पैदा करता है। हम आशावादी और सकारात्मक विचारों के साथ आगे बढ़ने का प्रयास करते हैं।
सहनशीलता के साथ सदा प्रयत्नशील रहने का शुभ फल यह होता है कि सफलता कदम चूमती है।
हमें इच्छित फलों की प्राप्ति होती है। हम अपने मुकाम तक पहुंचने में सफल हो पाते हैं।
उग्रता और व्यग्रता हमें नाकामियों के करीब ले जाता है। थोड़ी सी असफलता से हम असंतुष्ट होकर प्रयास करना छोड़ देते हैं जबकि धैर्य और सब्र का फल मीठा होता है हम आशावादी सोच के साथ कर्म क्षेत्र में प्रयत्नरत रहते हैं।
इसलिए कहा गया है कि सफलता के लिए सहनशीलता आवश्यक है। कर्म क्षेत्र तपोभूमि है। कर्म करें फल की प्राप्ति होगी। ईश्वर भी हमारे सहनशक्ति, सहनशीलता की परीक्षा लेते हैं। धैर्य पूर्वक कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ते रहें सफलता कदम चूमेगी।
- सुनीता रानी राठौर
ग्रेटर नोएडा - उत्तरप्रदेश
जीवन में हर पग पर सहनशीलता की आवश्यकता होती है,सफलता के लिए तो यह बहुत जरूरी है। जन्म से मृत्यु पर्यंत पग पग पर शारीरिक, मानसिक,आर्थिक, सामाजिक आदि में से पर पर कोई न कोई तनाव,कष्ट सामने बना ही रहता है, जिसको सहन करना प्राणी की नियति कहिए या कुछ और नाम दीजिए।इससे सहनशीलता तो विकसित हो ही जाती है।जीवन यात्रा को बिना सहनशीलता के सहज रुप से चलाना कठिन ही नहीं असंभव है। इसलिए यह गुण कम याअधिक सभी प्राणियों में मिलता है। जीवन में किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति में पग पग पर अनेकानेक चुनौतियों का सामना करते हुए, परेशानियों को सहते हुए आगे बढ़ते रहने वाले ही सफलता प्राप्त करते हैं।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
किसी भी कार्य को करने में कुछ समय तो लगता ही है और सफलतापूर्वक कार्य को संपादित करने में समय की नितांत आवश्यकता होती है। किसी भी कार्य को ढंग से सोच विचार कर पूर्ण जानकारी लेकर विधिवत करने में समय लगना स्वाभाविक है। धैर्य पूर्वक कार्य को अंजाम देने से सफलता की ओर कदम बढ़ते जाते हैं और अंततोगत्वा सफलता हासिल हो जाती है। यदि बेसब्री से कार्य किया जाएगा तो त्रुटियां होंगीं और कार्य में सफलता नहीं मिल पाएगी। परिणाम संतोषप्रद प्राप्त नहीं हो पाएंगे। अतः सफलता प्राप्ति के लिए सहनशीलता अत्यावश्यक है। जितनी सहनशीलता धारण करके कार्य किया जाएगा उतना ही अच्छा कार्य परिणाम प्राप्त होगा।
- श्रीमती गायत्री ठाकुर "सक्षम"
नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
सफल होना आसान नही होता कई बांधाओं को पार करना पढता है। कई बार असफलताओं से भी झुझना पढ़ता है। और कई ऐसे प्रसंग भी आते है जब हम असहनशिलता के शिखर पर अपने आप को पाते है। जो व्यक्ती अपने मन ओर स्वभाव पर बुद्धी का अन्कुश रखता है सही मायनो मे वही सफलता के चरण पर पहुचता है। अपनी सफलता को पचा पाता है। सफलता का स्वाद शान्ती एकाग्रता से गृहण कर पाता है।
- कुन्दन पाटिल
देवास - मध्यप्रदेश
''धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय,
माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय.''
सहनशीलता के अभाव में व्यक्ति में क्रोध पैदा होता है और क्रोध को मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु माना गया है. क्रोधी व्यक्ति अक्सर अपना ही नुकसान कर बैठता है. क्रोध में उसे कोई नया विकल्प दिखाई-सुझाई नहीं देता. सहनशीलता से मनुष्य शांतचित रहकर सफलता के अनेक रास्तों में से कोई रास्ता चुनकर सफलता पा सकता है.,
''सहनशीलता के दरवाजे बंद,
तो सफलता का मार्ग अवरुद्ध.''
-लीला तिवानी
दिल्ली
सहनशीलता ही सफलता की सीढ़ी है भारतीय संस्कारों में सहनशीलता को बहुत महत्व दिया गया है। अगर किसी व्यक्ति को सहनशीलता के अभाव है तो उसे कई अप्रिय स्थितियां से गुजरना पड़ता है।
सहनशीलता के अभाव में व्यक्ति क्रोधी हो जाता है। क्रोध मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु माना गया है। क्रोधी व्यक्ति अक्सर अपना ही नुकसान कर बैठता है।
सहनशीलता एक बहुत बड़ा गुण है जो मानव को अन्य प्राणियों से श्रेष्ठ सिद्ध करता है। मानव जीवन सदैव एक जैसा नहीं रहता, सुख- दुख सभी के जीवन में रात दिन की तरह होती है।
जो व्यक्ति ईश्वर को सदैव अपने मन से अनुभव करता है वह कष्ट सहकर पुनः जीवन संग्राम में कर्मठता से उतर पड़ता है। सहनशीलता का यही गुण बहुत कुछ संस्कारों पर निर्भर करता है।
आजकल के नई पीढ़ी में सहनशीलता की मात्रा कम होती जा रही है इसका प्रमुख कारण भौतिकवाद एकाकी परिवार पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव है जिनके कारण उनके बच्चे दादा दादी नाना नानी तथा परिवार के अन्य सदस्य से वंचित हो जाते हैं।
उनके बच्चे टीवी मोबाइल इंटर में खोए रहते हैं संचार जगत के माध्यम से बच्चों को सद्गुण से ज्यादा दुर्गुण प्रभावित करता है जिसके कारण भारतीय संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं।
लेखक का विचार:--सहनशीलता मनुष्य का आभूषण है, इसे अपनाने से हर क्षेत्र में सफलता मिलती है सद्गुण के अभाव में व्यक्ति क्रोधित होता है और वह मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखंड
सहनशीलता तो व्यक्ति में सदैव होनी चाहिए। सहनशीलता एक अति उत्तम गुण है जिसके कारण व्यक्ति हर परिस्थिति का डट कर सामना करने हेतु समर्थ होता है। व्यक्ति के जीवन में बहुत से उतार- चढ़ाव आते हैं। अतः यदि व्यक्ति सहनशील ना हो तो वह डगमगा जायेगा और विषम परिस्थितियों का सामना करने में विफल हो सकता है। इसलिए व्यक्ति को हर स्थिति में अपनी सहनशीलता को बरकरार रखनी चाहिए। हमारी सफलता का मूलमंत्र सहनशीलता और धैर्य हीं होता है, तभी हम सफ़लता की सीढ़ी पर चढ़ अपना परचम लहरा सकतें हैं।
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार
सफलता अनायास नहीं मिलती। लक्ष्य के प्रति पूर्ण समर्पण भाव से निष्ठा और मेहनत के पश्चात ही मनुष्य शनैः-शनैः सफलता का वरण करता है। सफलता की प्राप्ति हेतु सभी सकारात्मक प्रयासों के साथ सहनशीलता अर्थात् धैर्य का होना अनिवार्य है।
यदि सहनशीलता का अभाव होगा तो मनुष्य सफलता प्राप्ति से पहले ही थककर बैठ सकता है।
सहनशीलता ही, सफलता प्राप्ति के मार्ग में आयी बाधाओं के कारण मन में उत्पन्न निराशाजनक भावों से, युद्ध करती है।
निष्कर्षत: यह सत्य है कि सफलता के लिए मनुष्य में सहनशीलता का होना अति आवश्यक है।
इसीलिए कहता हूं कि.......
"सहनशीलता संग जीवन मानव को विजय दिलाता है,
विषमताओं से संघर्ष सफलता से परिचय कराता है।
सौ गुणों की खान के बाद भी अधूरा रहता है मानव,
धैर्य ही वह गुण है जो मानव को सम्पूर्ण बनाता है।।"
- सतेन्द शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज में रहकर वह अपना जीवन यापन करता है। समस्त जीवो में मनुष्य को विवेक/ बुद्धि युक्त प्राणी माना गया है। जिस कारण वह अपने जीवन में अच्छे बुरे फैसले लेने में सक्षम होता है । ईश्वर द्वारा प्रदत्त गुणों को अपनाकर मनुष्य अपना जीवन सार्थक बनाता है। उनमें से एक है 'सहनशीलता' का गुण । सहनशीलता मनुष्य का आभूषण है जो व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता प्रदान करती है परंतु यह गुण प्रत्येक प्राणी में नहीं मिलता । सहनशीलता के अभाव में व्यक्ति में क्रोध, ईर्ष्या, अहंकार का भाव पैदा होता है जो मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु माना गया है । क्योंकि सहनशीलता के अभाव में मनुष्य को अनेक कठिनाइयों, समस्याओं से जूझना पड़ता है । कई अप्रिया एवं अवांछित स्थितियों से गुजरना पड़ता है । इसके विपरीत सहनशीलता सफलता की कुंजी है। सफल जीवन की पहचान है सहनशील व्यक्ती कभी अपना धैर्य नहीं खोता है हमेशा विनम्र रहता है और विनम्रता का संदेश ही समाज में देता है । घर, परिवार व समाज में सहनशील व्यक्ति सम्मान, इज्जत पाता है । मानवीय रिश्तो की सफलता में भी सहनशीलता महत्वपूर्ण मानी गई है । दो व्यक्तियों के मध्य जब रिश्ते जुड़ते हैं तो उनके बीच उद्देश्य, रुचि और व्यक्तित्व की समानता ओं का आकर्षण होता है जिसे वे आसानी से अपना लेते हैं । उदाहरण के लिए पति पत्नी दो अलग अलग व्यक्तित्व है परंतु एकदम समान नहीं हो सकते । उनके मध्य विषमताओं का उभरना हो सकता है लेकिन आपसी संबंधों को बनाए रखने उनकी सफलता के लिए सहनशीलता का होना अति आवश्यक है। दूसरे व्यक्ति के स्वभाव, प्रवृत्ति, प्रकृति के अनुकूल अपने आपको ढालना, स्वीकारना, मानवीय संबंधों की सफलता को बनाए रखना सहनशीलता के बिना संभव नहीं है। सहनशीलता दोनों पक्षों के लिये अनिवार्य है। एक तरफा सहनशील भाव अन्याय को जन्म देता है। अतः किसी विशेष संदर्भ, परिप्रेक्ष्य ,समय, वातावरण, परिस्थिति के अनुकूल सहनशीलता का भाव अति श्रेयकर है ।सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है । जीवन में खुशियां देता है । जीवन सार्थक और सफल बनाता है।
- शीला सिंह
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
हमें किसी भी कार्य में सफलता अर्जित करने के लिए सहनशीलता,कठिन परिश्रम और दूर दृष्टि की आवश्यकता होती है।अपने जीवन को सुखमय बनाने के लिए सहनशीलता बहुत आवश्यक है।
सहनशील व्यक्ति को प्रत्येक कार्य में सफलता मिलती है।वह मार्ग में आने वाली चुनौतियों से आसानी से पार पा लेता है।कहते है जो सहना जानता है, वह जीना जानता है।सहनशीलता मनुष्य को अन्य
प्राणियों से श्रेष्ठ सिद्ध करती है।
अच्छे संस्कारों के समावेश से ही सहनशीलता का गुण विकसित होता है।इससे व्यक्ति विपरीत परिस्थिति को भी सम्भाल लेता है।सहनशील व्यक्ति को क्रोध भी कम आता है।अतः उसका कार्य सफल हो जाता है।
सहनशीलता के बिना सुखमय जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती।सहनशील व्यक्ति को सभी पसंद करते है।उसे हर क्षेत्र में सफलता मिलती है।
अतः कहा जा सकता है कि सफलता के लिए सहनशीलता बहुत आवश्यक है।
- सुरेंद्र सिंह
अफ़ज़लगढ़ - उत्तरप्रदेश
सहनशीलता मिट्टी का आत्मिक और व्यक्तिगत स्वभाव है व्यक्तिगत गुण के कारण किसी भी कार्य में उत्पन्न बाधाओं को खेलने में उसका समाधान करने में सहनशीलता की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है जो व्यक्ति सहनशील होते हैं वह विचलित नहीं होते और काम को धैर्य पूर्वक इमानदारी से पूरा करते हैं फल स्वरूप कोई भी काम सहनशीलता धैर्य और स्थिर स्वभाव के कारण सफलता मिलने में आसानी हो जाती है
सहनशीलता एक तपस्या है परिपक्वता है जो व्यक्ति के क्रोध बेचैनी ईर्ष्या लोग को संयमित करता है जिस व्यक्ति के स्वभाव में सहनशीलता होगी वह अपने लक्ष्य की ओर निश्चित तौर पर सफलता प्राप्त करेगा
- कुमकुम वेद सेन
बोकारो - झारखंड
जीवन में प्रगति के सोपानों की ओर अग्रसर होना हैं, तो सहनशीलता का परिचय नामा प्रस्तुत करना पड़ता हैं, ताकि भविष्य में समस्त प्रकार की बाधाओं का सामना करते हुए अपने लक्ष्य की ओर अग्रेषित होकर अपना वर्चस्व स्थापित करने में सफल हो सकें। आवश्यकता मानव के विकास की जननी तो कहते हैं, उससे कैसे सामना करना हैं, वह अपने ऊपर निर्भर करता हैं। जिसने समय के सदगुणों को समझ लिया तो उसे हर पल खुशी ही दिखाई देती हैं और अनन्त समय तक चलता रहता हैं।आज के तंत्र में भागम-भाग की जिन्दगी समुंदर का एक झोंका हैं, उस झरने को सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर पल-पल में समझने की कोशिश और अपनी सार्थकता की आवश्यकता प्रतीत होती हैं?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
बालाघाट - मध्यप्रदेश
*सफलता और सहनशीलता दोनों नदी के किनारों की तरह साथ साथ चलते हैं*
मानव के लिए किसी भी क्षेत्र में सफलता के लिए बहुत कठीन मेहनत और दृढ़ लगन धैर्य और साहस की आवश्यकता होती है सफलता कोई एक दिन में किसी भी व्यक्ति को नहीं मिलती संघर्ष अनुभव दिन-रात की मेहनत जेठ की तपती धूप, सावन भादो की वर्षा, माघ पूष की ठिठुरन भरी सर्दी में की गई तपस्या साधना जैसी होती है कर्म भी तपस्या है साधक को बहुत साधना पड़ता है कर्म रूपी अध्यात्म है सहनशीलता ही इसका
लक्ष्य की ओर बढ़ने और मुकाम तक पहुंचने का मूल मंत्र है।
*धैर्य धीरज तप करें ध्यान प्रभु नाम*कुछ भी जग में असंभव नहीं सहनशीलता दान*
- आरती तिवारी सनत
दिल्ली
सफलता के लिए सहनशीलता का आधार उतना ही आवश्यक है जितना कोई इमारत बनाने के लिए नीव का / यदि आपकी नीव / सहनशील प्रवृति नहीं होगी तो उसपर खड़ी ईमारत अस्थिर होगी अर्थात आपकी सफलता स्थाई न होगी |
जीवन के लिए खास कर एक मानवीय जीवन के लिए सहनशील होना नितांत आवश्यक है यहाँ मैं एक उदाहरण देना जरुरी समझता हूँ जैसे एक पशु ट्रेनर खूंखार से भी खूंखार जानवर को सहनशीलता के चाबुक से अपने इशारों पर नचाता है कैसे सफल प्रदर्शन कर पाता है / ये सिर्फ और सिर्फ सहनशील प्रवत्ति के साथ ही स्थापित सफल हो पाता है | सहनशीलता आपको समूल सफल व्यक्ति होने के लिए बन पाने के लिए व् स्थापित रहने के लिए मूँज [ बर्तन मांजने वाला जूना ] का काम करती है प्रतिपल चमकाती है उत्तरोत्तर आपके मानस को व्यक्तित्व को व् कृतित्व को सफलता के नए आयाम पैदा करती है | तभी जाकर महान व्यक्ति बन पाता है , ऐसे महान व्यक्तियों के असंख्य उद्धरण हैं मैं पटल नियंता के निर्देश संक्षेप निर्देश का पालन करते हुए विराम लेता हूँ
- डॉ. अरुण कुमार शास्त्री
दिल्ली
'सहज पके सो मीठा होए'
और सहजता से पके हुए मीठे फल को खाने के लिए हर किसी को सहनशील होना ज़रूरी है | मेहनत करने पर ही सफलता मिलती है, और कई बार तो दो चार बार कोशिश करने पर भी सफलता दूर नज़र आती है, कुछ पाना है तो कुछ ना कुछ खोना ही पड़ता है | सफलता के लिए अपनी नींद, भूख, घूमना- फिरना त्याग कर अपने लक्ष्य की तरफ ध्यान देना होता है और एकाग्र चित से पूरी दुनिया की बातों को अनसुना कर के आगे चलना होता है जिसके लिए सेहनशील होना ज़रूरी है और यदि मेहनत करने के बावज़ूद सफलता ना मिले तो सहनशीलता की ज़रूरत दो गुना हो जाती है |
बार- बार कोशिश करके अपना लक्ष्य साधते हुए ही सफलता प्राप्त की जा सकती है जिसके लिये सेहनशील होना आवश्यक है |
- मोनिका सिंह
डलहौजी - हिमाचल प्रदेश
वास्तव में सहनशीलता मनुष्य का आभूषण है। सहनशील व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। इसके उलट अगर किसी व्यक्ति में सहनशीलता का अभाव है तो उसे कई बार अप्रिय स्थितियों से भी गुजरता पड़ जाता है। सहनशीलता के अभाव में व्यक्ति में क्रोध पैदा होता है और क्रोध को मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु माना गया है। कहने का आशय यह है कि अगर मनुष्य के अंदर सहनशीलता नहीं है तो वह क्रोध में कुछ भी उल्टे सीधे निर्णय ले लेता है इसका प्रभाव उसके सीधा जीवन पर पड़ता है,
- रजत चौहान
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
"जज्बा देख इन आंसूओं का, आंखें पूछ वैठी, अभी मन नही् भरा तुम्हारा,
आंसू, मैं तो कब का थक चुका होता यह आंखें जो इतनी सहनशील न होतीं"।
वास्तव में सहनशीलता मनुष्य का आभूषण है और सहनशील व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता मिलती है लेकिन जिन व्यक्तियों के पास इसका अभाव है उनको कई बार अप्रिय परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है।
तो आईये आज चर्चा करते हैं कि सफलता के लिए सहनशीलता क्यों जरूरी है।
मेरा मानना है कि सही मायने में सहनशीलता ही सफलता की सीढ़ी है, भारतिय संस्कारों में सहनशीलता को बहुत महत्ब दिया गया है क्योंकी इसके अभाव से क्रोध पैदा होता है और क्रोध को मनुष्य का सबसे वडा़ शत्रु माना गया है, क्रोधी व्यक्ति अपना ही नुक्सान कर बैठता है,
कहने का मतलब सहनशीलता सफलता का बहुत वड़ा गुण है जो मानव को अन्य प्राणियों से ऋेष्ठ सिद करता है।
देखा जाए तो आजकल की पीढ़ी में सहनशीलता की मात्रा कम होती जा रही है इसका प्रमुख कारण भौतिकतावाद, एकाकी, परिवार संस्कृति का अभाव, माता पिता का बच्चों को अधिक समय न दे पाना, बुजुर्गों के साथ ताल मेल न होना इत्यादी आता है तथा टीवी, मेबाइल, इंटरनैट पर खोये रहने से बच्चों में दुर्गुण पैदा होते हैं जिससे वे संस्कृति से दूर हो जाते हैं जिससे सहनशीलता का अभाव हो रहा है और उनको जीवन में सफल होने में दिक्कत आ रही है।
सोचा जाए तो सहनशीलता एक ऐसा गुण है जिससे हर रिस्ते के बीच के संबंध अच्छे रहते हैं इसलिए हरेक ने इस भावना को अपने अन्दर विकसित करना चाहिए,
क्योंकी सहनशीलता रहेगी तो क्रोध नहीं आयेगा जब क्रोध नहीं आता तो कोई गल्ती नहीं होती और वो व्यक्ति कामयाव हो जाता है इसलिए सफलता के लिए सहनशीलता जरूरी है।
कहने का मतलब सहनशील व्यक्ति ही सभी कार्यों में सफल होते हैं क्योंकी कोई भी धैर्य वाला मनुष्य सोच समझकर कार्य करता है और सफल हो जाता है वैसे भी सहनशीलता की शक्ति से कठोर कार्य भी सरल हो जाता है,
सहनशीलता का गुण जिसमें होता है वह गम्भीर होता है जो गम्भीर होता है बह गहराई मे जाने वाला होता है और जो गहराई में जाने वाला होता है वो किसी भी कार्य से घबराता नहीं और गहराई में जाकर सफलता को प्राप्त करता है, इसलिए सहनशीलता सफलता का मूल मंत्र माना गया है।
आखिरकार यही कहना चाहुंगा कि मनुष्य की सहनशीलता ही उसका सबसे वड़ा धन है, अनेकों प्रकार के धन होते हुए भी यदि धैर्य रूपी धन न हो तो वह सारी जिंदगी परेशान रहता है,
सच कहा है तुलसीदास जी ने,
"गौधन, गजधन, बाजिधन, रतनधन खान,
जब आये संतोष धन सब धन धूरी समान"।
कहने का मतलब संतोष ही सबसे वड़ा धन है यानी धैर्य ही जीवन का सच्चा धन है जो व्यक्ति की महानता का प्रतीक माना गया है,
सहनशीलता मनुष्य का आभूषण है इसे हमेशा पहन कर रखिये आप कभी भी विफल नहीं होंगे,
सच कहा है,
" कोशिश जारी रख, जरूर सफल तेरा काम होगा,
तू बस धैर्य बांधे रख,
शीर्ष पर तेरा ही नाम होगा, "।
यह भी याद रखना सहनशीलता और धैर्य को किसी की कमजोरी मत समझना चाहिए यह तो ताकत के संकेत हैं,
इसलिए अगर जगत में सफलता चाहते हो तो इसे मत खोईए क्योंकी सहनशीलता ही मनुष्य की सफलता का राज है।
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
सफलता एक लम्बी दौड़ है और लम्बी दौड़ के नियमानुसार संतुलित दौड़ने वाला प्रतिभागी ही विजयी होता है। सामाजिक सफलता के लिए इसी संतुलन को "सहनशीलता" की संज्ञा दी गई है।
उल्लेखनीय है कि शीघ्रता में आगे दौड़ व पीछे चौड़ हो जाता है और जम्मू-कश्मीर में तो यूं भी आपरेशन सद्भावना के बाद जबसे आल आऊट का सिद्धांत लागू हुआ है तब से आज़ादी मांगने वालों को तुरंत आज़ाद कर दिया जाता है।
अब धीरे-धीरे शीघ्र सफलता प्राप्त करने वालों को समझ आ रहा है कि सहनशीलता क्यों आवश्यक है? सहनशीलता क्योंकर आवश्यक है? इसका ज्ञान हमारे कश्मीरी नेताओं को भी आ गया है। अब वह तिरंगे का सम्मान भी करने लगे हैं। यही नहीं वह तो सारा जाता देखकर आधा लीजिए बांट के सिद्धांत पर भी गहन अध्ययन एवं विचार-विमर्श कर रहे हैं।
सत्य तो यह है कि जब से भारत ने बालाकोट एयर स्ट्राइक कर पाकिस्तान के दांत खट्टे किए हैं तब से आतंकवादी भी भारत की सहनशीलता के नाम से थरथराने लगे हैं।
अतः इसी सहनशीलता व सहनशक्ति का प्रताप है कि चीन ने भारत से युद्ध लड़ने के स्थान पर पीछे हटने में ही अपनी बुद्धिमानी समझी। जो भारत की सफलता का प्रतीक बन विश्व विख्यात हुई है। इन्हीं आधारों के कारण 'सहनशीलता' को 'सफलता' के लिए 'आवश्यक' माना गया है।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
" मेरी दृष्टि में " सहनशीलता हर कोई व्यक्ति नहीं हो सकता है । जो सहन करना सिखं गया है । वह सफलता दर्ज करने में कामयाब अवश्य हो जाता है । यह जीवन में संधर्ष भी कम कर देता है ।
- बीजेन्द्र जैमिनी
डिजिटल सम्मान
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