क्या जिंदगी से बड़ी होती है आदतें ?
जिंदगी में बहुत सी आदतें होती है । जो अच्छी भी हो सकते हैं बुरी भी हो सकती है । परन्तु आदतें कभी भी जिंदगी से बड़ी नहीं होनी चाहिए । आदतों पर अपना नियंत्रण होना चाहिए । तभी जिंदगी में आदतों से सफलता की ओर चला जा सकता है । यही जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है। अब आये विचारों को देखते हैं : -
आदतें जिंदगी से बड़ी नहीं होतीं। यह जीवन की उत्पत्ति का स्रोत हैं। जिंदगी के पुराने अनुभवों को दुहराने की वृत्ति ही आदतों का मूल है। यही विचार, अनुभव जब दुहराया जाता है तो वह हमारे स्वभाव का अंग बन जाता है और दृढ़ आदत का रूप धारण कर लेता है।
आदतें जिंदगी से बड़ी तो नहीं होती लेकिन हमारी जिंदगी को प्रभावित जरूर करती हैं। श्रेष्ठ आचरण की आदतों से मनुष्य का चरित्र श्रेष्ठ हो सकता है। परन्तु बुरी आदत पड़ जाने से आदमी दुश्चरित्र हो जाता है। ।
किसी काम की आदत पड़ जाने से काम में कुशलता आ जाती है और समय की बरबादी भी नहीं होती ।आदतें कुशलता की जननी हैं। इसी तरह आरम्भ में ही अच्छी आदतें डालने से अच्छा चरित्र निर्माण होता है और बुरी आदतों से जीवन का पतन हो सकता है।
यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि कई बार मनुष्य की बुरी आदतों से जिंदगी हार जाती है। मान लो एक आदमी को नशे की आदत पड़ गई तो उस की आदत छुड़ानी मुश्किल हो जाती है और नशेड़ी अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठते हैं। इस लिए हमें आदतों के प्रति सावधानी बरतने की जरूरत है। अच्छी आदतें डालने के लिए प्रयत्नशील और बुरी आदतों से बचने के लिए सावधान रहना चाहिए।
- कैलाश ठाकुर
नंगल टाउनशिप - पंजाब
नहीं ! जिंदगी से बड़ी कुछ भी नहीं हो सकती है। जिंदगी है तो सबकुछ है जिंदगी नहीं तो कुछ भी नहीं है। आदतें आती हैं और जाती हैं। कोई आदत छूट जाती है तो उसके जगह पर कोई दूसरी आदत बन जाती है।आदत बनती बिगड़ती रहती है। पर जिंदगी एक बार बगड़ी तो फिर हो गई छुट्टी सब कुछ खत्म। आदत बनाया जा सकता है पर जिंदगी नहीं। जिंदगी एक बार ही मिलती है। आदत छुड़ाने के लिए बहुत से तरकीब है। बनाने के लिए भी बहुत से तरकीब हैं पर जिंदगी बर्बाद हो जाय तो फिर दुबारा न मिले। आदत आप स्वयं छोड़ सकते हैं या कोई छोड़ा सकता है पर जिंदगी नहीं। जिंदगी ईश्वर का दिया अनमोल उपहार है। पर आदतें मानव निर्मित स्वयं का ईजाद किया रूप है। इसलिए जिंदगी से बड़ी नहीं है आदतें।
- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश"
कलकत्ता - पं. बंगाल
जान है *तो* जहान है। यह बात अक्षरशः सत्य है और यह हम सब जानते हैं। अत: जान से बढ़कर कुछ नहीं है। इसलिए हमें अपनी आदतें सही रखनी चाहिए। मसलन किसी को अगर नशा करने की आदत हो तो उसे जल्द से जल्द इस बुरी आदत से छुटकारा पाने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि किसी भी तरह का नशा हमारे जीवन को सदैव हानि हीं पहुंचाता है लाभ नहीं। अपना आचार विचार और व्यवहार सदैव हमें सही रखने की कोशिश करनी चाहिए वर्ना हमारे द्वारा किया गया कोई भी ग़लत व्यवहार हो सकता है कि हमारी आदत बन जाए। इसलिए हर बड़े बुजुर्ग बच्चों को सही राह या सही मशविरा देते रहते हैं ताकि हम किसी ग़लत आदत के आदी न हो जाए। समय के अनुसार हीं हमारी नियमित दिनचर्या होनी चाहिए, अन्यथा फिर ग़लत आदतों को हम अपनी सुविधानुसार अपना लेते हैं जो धीरे-धीरे हमारी आदत हो जाती है। जिंदगी से बड़ी कुछ भी नहीं है इसलिए हमें अपनी आदतें सही रखने की अतिआवश्यकता है।
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार
मन शक्ति की तरंगों का ही प्रतिफल हैं, जिसमें जीवन के समस्त प्रकार के पहलुओं को दृष्टिगत रखते हुए आगे अग्रसर होते हैं- आदतें दो प्रकार की होती हैं अच्छी और बुरी?
अच्छी आदतें अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर करती हैं, तो बुरी आदतें विनाश की ओर? दोनों ही आदतें जिंदगी को प्रभावित करने में सफल होती हैं। अच्छा खान पान, कपड़े, आलीशान बंगले, विद्याजन,परिवार, नैतिक, समसामयिक जिम्मेदारियां आदि जो अपने प्रभुत्व गुणवत्ता को उजागर करते हुए, आकर्षित करने तत्परता के साथ ही साथ जीवन यापन कर अपनी इच्छानुसार जीवन यापन करते हैं। बुरी आदतों के बीच से निकलने में काफी लम्बा समय व्यतीत करना पड़ता हैं और यही से प्रारंभ होता हैं प्राकृतिक आपदाओं का जाल? मानव सब समझता हैं और फिर वृहद स्तर पर विभिन्न प्रकार से अपनी आदतों से बाज नहीं आते, यही हैं, जिंदगी से बड़ी होती हैं आदतें?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
बालाघाट - मध्यप्रदेश
आदतें तो जिंदगी का छोटा-सा हिस्सा हैं। उनमें बदलाव तो अवस्था बदलने पर अपने-आप होती रहतीं हैं। कभी-कभी तो परिस्थितिवश भी आदतें बदल जातीं हैं। लेकिन इसके साथ एक पंक्ति भी जुड़ती है - "अगर आप चाहें तो" ।
आदतें तो खाने-पहनने जैसी हैं। उन्हें जब चाहो बदल लो । आज आप देर तक सोना पसंद करते हो , कल को आप ने योगा को अपनाया तो आदतें खुद के अनुसार बदल जाती हैं।
मानसिकता नहीं बदली जा सकतीं हैं। मगर आदतें जिंदगी को खुशनुमा बनाने के लिए बेहतर बनाई जा सकतीं हैं।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
आदतें जिंदगी से बड़ी कभी नहीं हो सकतीं। जिंदगी को सुचारू रूप से चलाने के लिए कई जरूरी आदतों का समावेश जिंदगी में करना होता है। जैसे कि हमारे दैनिक कार्य हैं मुंह धोना, ब्रश करना ,नहाना, खाना पीना ,पहनना ओढ़ना ,पढ़ाई लिखाई ,यह सब आदतें जीवन की आवश्यकता के अनुसार जरूरी आदतें हैं जिन्हें करना हमारे लिए अत्यावश्यक है। किंतु कुछ लोग गलत आदतों के अभ्यस्त हो जाते हैं। जैसे नशा करना, शराब पीना, गुटका मसाला खाना, तंबाकू खाना और भी कई तरह की नुकसानदायक ड्रग्स का इस्तेमाल करना, गलत आदतों में शुमार हो जाता है यह सब जिंदगी को नष्ट करने वाले हैं अतः इनसे बचना चाहिए जिंदगी बड़ी है न की आदतें।
जिंदगी होगी तभी तो किसी आदत की आवश्यकता होगी ।जब जिंदगी ही नहीं होगी ,तो किस की आदत और कैसी आदत? इसलिए गलत आदतों की वजाय जिंदगी को तवज्जो देना चाहिए। वही श्रेयस्कर है।
- श्रीमती गायत्री ठाकुर "सक्षम"
नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
दरअसल कोई भी आदत कुछ खास वजह से ही अच्छी या बुरी होती है। जिंदगी से बड़ी होती है यह आदतें यदि यह कहा जाए कोई गलत नहीं होगा। यदि आपकी आदतें अच्छी है तो परिणाम भी अच्छा होगा और आपकी आदतें गलत है तो परिणाम भी नकारात्मक होगा। आपने यह बात तो सुनी ही होगी कि सेहत है तो सब कुछ है अगर आप स्वस्थ हैं तभी आप अपने सारे काम अच्छे से कर सकती हैं। इसलिए स्वस्थ्य रहना सबको अच्छा लगता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि सेहत सही रखने के लिए आपको क्या-क्या करना चाहिए। सेहतमंद रहने के लिए सबसे जरूरी है कि आपके आदतें अच्छी हो। इसके लिए जरूरी है कि आप दिन भर की हर छोटी से बड़ी बातों का ध्यान रखें। हम आपको उन आदतों के बारे में बताने वाले हैं जिन पर ध्यान देकर आपसे हम मकसद मंगा सकते हैं। तो आइए जानें इनके बारे में कई बार हमारी छोटी-छोटी गलतियां हमें नुकसान पहुंचा जाती है। कुछ बातों को अनदेखा करना ही आपकी सेहत के लिए नुकसान भी हो सकता है। एक छोटी सी गलती जो हम अक्सर ही कर जाते हैं वाह है हम अक्सर खाने की चीजों को खुला छोड़ देते हैं। लेकिन ऐसा बिल्कुल ना करें।यह आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। घर की सफाई पर ध्यान दें। इसके लिए जरूरी है कि आप मुझे घर को साफ और स्वच्छ रखें और साथ ही जो सबसे जरूरी है वह है आप अपने टॉयलेट को हमेशा साफ रखें। वाशबेसिन जैसी जगहों पर पानी ना जमा होने दें। इस्तेमाल में आने वाले अनाजों मसालों और भी तरीके से करें। रखें झूठे बर्तन को हमेशा अच्छे से धो कर सुखा कर रखें। खाने में हमेशा ताजिया का इस्तेमाल करें। खाने को हमेशा सब्जी को ज्यादा पर उसमें पौष्टिक तत्व को नष्ट हो जाते हैं। यह हमारी अच्छी आदतें हैं। अब हम बुरी आदतों के बारे में बात करते हैं। उसके बुरे होने का एक ही कारण है कि वह नुकसान दे रहे हैं। अब यह नुकसान हमें खुद को हो रहा है या हमारी आदत की वजह से किसी दूसरे को नुकसान पहुंच रहा है या अलग अलग आदतों पर ही निर्भर करता है। लेकिन कुछ आदतों का नुकसान होते हैं और दूसरे को भी उस में फंसाते हैं हम स्वयं तो सिगरेट के धुए से अपना स्वास्थ्य खराब करते ही हैं। लेकिन एक लेकिन साथ ही पर्यावरण और उसमें रहने वाले लोगों को भी उसके बुरे प्रभाव से प्रभावित करते हैं। हम यहां किसी एक के बारे में क्या क्या बुरे प्रभाव होते हैं। इस पर चर्चा करने वाले हैं बल्कि आपको कुछ ऐसी बुरी आदतों से परिचित कराने लगे हैं जो असल में अच्छी है। लेकिन यह सच है कि आपको कुछ ऐसी बुरी आदत है जो शायद दुनिया की नजर में भी हो। लेकिन आपके खुद की नजर में साबित हो रही है। हम ऐसी बुरी आदतों के बारे में चर्चा करें इसी रूप में फायदेमंद है इसका मतलब यह नहीं कि आप ना लेे। गपशप करना एक आदत है यदि जरूरत के अनुसार गपशप करें कोई अच्छी बात है नहीं जरूरत से ज्यादा करें तो नुकसान पहुंचा सकती है। चाय पीना खाना खाना हर काम जरूरत के अनुसार हो अच्छी आदतें हैं और जरूरत से अधिक हो तो हमें नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए जीवन में अच्छी आदतों को अपनाएं और उस पर अमल करें।
- अंकिता सिंह कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
मानव जीवन में महत्व जीवन का होना चाहिए
संसार में मानव जीवन एक बार मिला समय और सांसे गिनती की मिली हुई है अब यह व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह अपनी जिंदगी को महत्व देता है अपनी गलत आदतों को शरीर से ही आप संसार में सभी कार्य को करने के लिए सक्षम है आदतें हम छोड़ सकते हैं आत्मविश्वास बढ़ा कर नया लक्ष्य बनाकर अपने परिवार मित्रों के बीच बैठकर अपनी परेशानियों को साझा करके हल निकाला जा सकता है।
*बड़ भागी मनुज तन पावा*
*होइहै कहां विश्राम बतावा सकल*
*समय सद्गुण करम बितावा नाहीं*
*होइहैं भारी पछतावा*
- आरती तिवारी सनत
दिल्ली
आदतें का अर्थ आचरण होगा तो जिंदगी से बड़ी होती है आचरण। अगर किसी व्यक्ति का मूल्यांकन किया जाता है तो आचरण को ही देखा जाता है जिसकी आचरण अच्छी मानी जाती है या संस्कारित होती है तो वहां जिंदगी से बड़ी होती है जिंदगी का मतलब है हम जन्म से लेकर मृत्यु तक जीते हैं अर्थात शरीर को जिंदा रखते हैं इसी का नाम जिंदगी है जिंदगी में अगर संस्कार ठीक है अर्थात आचरण ठीक है आदतें ठीक है तो व्यक्ति की जिंदगी सुख शांति के साथ चलता है और अगर आदतें ठीक नहीं है आचरण ठीक नहीं है संस्कार ठीक नहीं है ऐसी स्थिति में जिंदगी जीना दूभर हो जाता है अतः इस संदर्भ में यही कहा जा सकता है कि जिंदगी में आचरण का बड़ा महत्व है अर्थात आचरण जिंदगी से बड़ा है आचरण का एक नाम और है नियम। नियम जिंदगी में बड़ा होता है अतः नियम का पालन करना अर्थात आचरण का पालन करना हर मनुष्य के लिए जरूरी है और आचरण से ही मनुष्य सुखमय जिंदगी पाता है।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
सत्य वचन है, जिंदगी से भी बड़ी होती है आदतें। सत्य तो यह भी है कि जिंदगी ना मिलेगी दोबारा।
यक्ष प्रश्न यह है कि जिंदगी बड़ी या आदतें?
किसी को मद्यपान, सिगरेट, तंबाकू वगैरह गलत बातों की आदत है। वह इन वस्तुओं का सेवन करेगा ही करेगा। चाहे इसके लिए उसे असत्य बोलना पड़े ,चोरी-चकारी करनी पड़े,किसी की हत्या करनी पड़े, जैसे कि हम पढ़ते हैं और होते देख रहे हैं।
मतलब उसके लिए आदतें बड़ी हैं, जिंदगी से भी। मतलब यह है कि क्षणिक सुख वाली आदत के लिएवह अपनी जिंदगी भी दांव पर लगा देता है
दूसरी तरफ परोपकार करने वाला भी अपनी जिंदगी को जोखिम में डाल देता है।अपनी इंसानियत की आदत के लिए।हमारे शहर में चार लड़के एक लड़की को बेइज्जत कर रहे थे।सभी मूक बनकर दर्शक की तरह देख रहे थे
एक लड़का इंसानियत और परोपकार की आदत का दिवाना था।वह उनके सामने लड़की की इज्जत बचाने कूद गया और चार लड़कों से संघर्ष में अपना प्राणों की आहूति दे दी।उस लड़के की आदत भी तो जिंदगी से हर लिहाज से बड़ी थी।
डॉ•मधुकर राव लारोकर
नागपुर - महाराष्ट्र
जी नहीं! आदतों से ज्यादा जिंदगी मूल्यवान है। अक्सर बहुत से लोगों को शराब, चरस, गांजा, अफीम, बीड़ी, सिगरेट आदि चीजों से नशा करने की आदत होती है लेकिन हम सब जानते हैं नशा हमारे जीवन को तबाह कर देता है उसमें रिश्ते नातों का भी ध्यान नहीं रहता।
जिस व्यक्ति को नशे की आदत पड़ती है वह धीरे-धीरे उसके जिंदगी को लोहे में लगे जंग की भाँति नाश करना शुरू कर देती है। एक बार बीमारी लगने के बाद बड़ी मुश्किल से काबू में आती है।
हमने देखा है जिन लोगों को ज्यादा गुटका खाने की आदत होती है। उनमें से बहुतों को जीभ का, गले का कैंसर हो जाता है और उनकी जीभ तक काटनी पड़ जाती है और अंत में वह अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठते हैं।
सो नशे की आदत पूरी जिंदगी तबाह कर देती है। हाँ! यदि हमें कोई आदत डालनी ही है तो वह नेक कामों की आदत होनी चाहिए। नेक कामों की आदत हमारा जीवन बनाती है, बुरी आदतें जीवन बिगाड़ती हैं। सो आदतें कदापि जिंदगी से बड़ी नहीं होती। जो भी आदत हो हमें इतना ज्ञान होना चाहिए कि वह आदत हमारी जिंदगी के लिए अच्छी है या बुरी है।
- संतोष गर्ग
मोहाली - चंडीगढ़
जीवन में जो भी अच्छे बुरे आदतें हैं, एक दिन में नहीं बनते, कई दिनों का वक्त लग जाता है।लेकिन एक बार किसी चीज की आदत लग जाती है तो उसे खत्म करने में जिंदगी में बहुत मुश्किलें आती है।
इसलिए अच्छे आदत को अपनाएं बुरी आदत से दूर रहें।
बुरी आदत यानी नशा, जुआ, फिजूलखर्ची आदि। जिसको समाज नकारात्मक दृष्टि से देखती हो उसे नहीं आदत में शामिल करना चाहिए।
समाज में अगर पहचान बनाना है तो अच्छी आदतों को अपनाए।
लॉकडाउन के समय देखा गया है, हमारे समाज के नई पीढ़ी कुछ चीजें पर रोक लगाएं जैसे बाहर का खाना, घूमना, सैर- सपाटा,मार्केटिंग आदि।
घर में रहकर मिलजुल कर तरह-तरह के खाने बना कर परिवार और बच्चों के साथ आनंद ले कर खाना।
पूरा मार्केट लॉकडाउन होने के कारण घूमना फिरना मार्केटिंग करना सब बंद हो गया।
परिवार के साथ मिलकर समय का सदुपयोग किए। कुछ अच्छी आदतें अपनाए लोग। अब इसका महत्व भी समझने लगे।
लेखक का विचार:-रोजाना हमारे दिन चर्चा में शामिल कुछ आदते ऐसी होती है जिनके फायदे या नुकसान के बारे में हम कभी नहीं सोचते। और जीवन के अंतिम पड़ाव में महसूस होने लगता है। इसलिए बुरी आदत को नहीं अपनाना चाहिए।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखंड
नहीं, जिंदगी से बड़ा कुछ नहीं। आदतें तो किसी भी तरह जिंदगी से बड़ी नहीं है। जो लोग हानिकारक आदतों को नहीं छोड़ते, उनके गुलाम बने रहते हैं,वो भी जब संकट में होते हैं,बस जिंदगी की भीख मांगते हैं।बस अब जान बच जाए,यह आदत हम छोड़ देंगे। आदतों को बड़ा मानना भ्रम है। आदतें, जिंदगी
मिलने के बाद ही तो आती है,इस दृष्टि से भी बड़ी तो जिंदगी ही है। आदत का संबंध हमारे मस्तिष्क के रिवार्ड सर्किट से भी है। जब कोई काम अच्छा लगता है तो मस्तिष्क के न्यूरोट्रांसमीटर, डोपामाइन नामक रसायन जारी करते हैं, जिससे आनन्द का अनुभव होता है।
इस आनन्द की प्राप्ति के लिए वह कार्य बार बार किया जाता है,और आदत बन जाता है। इसके परिणाम अच्छे भी हो सकते हैं और बुरे भी। परिणाम बुरे हो या अच्छे,कोई भी आदत जिंदगी के सामने बहुत ही बौनी,छोटी है।
- डॉ.अनिल शर्मा:अनिल'
धामपुर -उत्तर प्रदेश
यह सच है जिंदगी है तो समानांतर रुप से हमारी आदतें ,स्वभाव ,हमारे विचारों का एक दूसरे के साथ आदान प्रदान होना स्वाभाविक है किंतु यहां प्रश्न यह है कि जिंदगी से बड़ी आदते होती हैं ? यहां यह कहना होगा आदतों का हमारे जिंदगी में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है ! आदते ही चरित्र निर्माण करती है ! बुरी आदते जैसे नशा का होना चाहे फिर वह किसी भी तरह का हो हमार मार्ग में बाधाक बन जाता है !शराब, गांजा ,अफिम जैसा नशा हमारी समाज में छबि खराब करता है वहीं दौलत का नशा अहंकारी बना हमारे पतन का कारण बनता है ! बुरी आदते हमारी जिदंगी को नर्क बनाती हैं वही अच्छी आदतें जिंदगी को स्वर्ग बनाती है ! बचपन से अनुशासन मे रहना यानि अपनी आदतों को सही दिशा देना होता है !यदि जिंदगी को सही तरीके से जीना है और लंबी और सुखद बनाना है तो आदतों का बहुत बड़ा योग है !
- चंद्रिका व्यास
मुंबई - महाराष्ट्र
बिलकुल नही आदतें कभी जिंदगी से बड़ी नही हो सकती है आदतें है क्या? हर एक की आदतें भिन्य भिन्य हो सकती है, और होती ही है और इन ही आदतो से कोई परषान रहता है तो ये आदतें किसी के लिये मुशिबत बन जाती है। कुछ एक अच्छी आदतें भी होती है जैसे सेवा के भाव एवं कर्म दान या फिर फिजुल की बातो को छोड़ देना यह भी कुछ अच्छी आदतें है पर आदतें मेरे मत से कभी भी जिंदगी से बड़ी नही हो सकती हैं।
- कुन्दन पाटिल
देवास - मध्यप्रदेश
जिंदगी की बगिया रिश्तों के फूलों से सजती है। रिश्तों से ही जिंदगी महकती है तो हमारी आदतें उन रिश्तों से बड़ी कतई नहीं हो सकती। सबसे पहले हम स्वयं से स्वयं के रिश्ते को लें, जो आदतें हमारे लिए गलत हैं उन्हें हमें छोड़ना चाहिए। यह हम तभी छोड़ पायेंगे जब स्वीकार करेंगे कि हममें गलत आदत है। अब हम लेते हैं हमारे पारिवारिक, सामाजिक, व्यावसायिक आदि रिश्तों को। अन्य को हमारी जो आदतें अच्छी नहीं लगती, परेशान करती हैं उनपर विचार कर उन्हें छोड़ देना चाहिए। फिर हम लेते हैं हमारे व भगवान के रिश्ते को। जो बातें भगवान को भी दुखी कर सकती हों उन्हें भी छोड़ देना चाहिए।
- दर्शना जैन
खंडवा - मध्यप्रदेश
मनुष्य में आदतें होना कोई अस्वाभाविक बात नहीं हैं। आदतें जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, परन्तु सकारात्मक आदतें स्वयं को लाभान्वित करती हैं और नकारात्मक आदतें मनुष्य की जिन्दगी के लिए हानिकारक होती हैं। खराब आदतें मनुष्य के लिए धन, सम्मान की क्षति का माध्यम तो बनती ही हैं, कभी-कभी जिन्दगी को भी लील जाती हैं।
आदतों को बदलना मनुष्य के नियन्त्रण में है परन्तु आदतों की वजह से जिन्दगी के नुकसान की भरपाई मनुष्य के हाथ में नहीं है। इसलिए इसमें कोई दो मत नहीं कि आदतें जिन्दगी से बड़ी नहीं होती।
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
जिंदगी से आदतें बड़ी नहीं होती। जिंदगी अनमोल है कीमती है मूल्यवान है। जिंदगी में हर कदम पर हम अलग-अलग परिस्थितियों का सामना करते हुए आगे बढ़ते हैं और उसके अनुसार हम अपनी आदतों में परिवर्तन भी करते रहते हैं। अगर हम लकीर के फकीर बने रहे तो सामंजस्य स्थापित करना नामुमकिन हो जायेगा।
आदतों में बदलाव प्रकृति का नियम है। प्रकृति हमें सिखाती है कि समय के साथ किस तरह खुद को ढालना जरूरी है। हम नये नये जगह पर नए-नए वातावरण में विभिन्न परिस्थितियों में सामंजस्य स्थापित करते हुए अपने व्यवहार,अपनी आदत में बदलाव करते हुए जीवन को सही दिशा देने का प्रयास करते हैं। कभी सफलता मिलती है कभी नहीं भी पर हम सदा प्रयत्नरत रहते हैं।
जिंदगी सुकून और शांति से जीने की खातिर आदतों में हर पल बदलाव करना पड़ता है और जरूरी भी है।
जिस तरह अकड़ी और तनी हुई पेड़ की डाली तेज हवाओं के झोंके से टूट जाती है पर लचीली डाली नहीं टूटती ठीक उसी तरह से आदतों में बदलाव लाकर सामंजस्य स्थापित करने वाला इंसान हर स्थिति में खुद को ढालकर आगे बढ़ने का प्रयास करता है और सफलता हासिल करता है। अतः नि:संदेह कह सकते हैं कि जिंदगी बड़ी होती है आदतें नहीं।
- सुनीता रानी राठौर
ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
"ना किस्सों से ना किस्तों से,
यह जिन्दगी बनती है कुछ रिस्तों से"।
आईये बात करते हैं जिंदगी को लेकर कि जिंदगी में हम कई किस्म की आदतें डाल लेते है्ं जिनमें कुछ आदतें जिंदगी को संवार देती हैं तो कुछ जिंदगी को विगाड़ देती है्,
क्या यह आदतें ता उम्र तक चलती हैं या हम इन्हें बदल भी सकतै हैं।
देखते हैं जिंदगी वड़ी होती है या आदतें यूं भी कह सकते हैं क्या जिंदगी से वड़ी होती हैं आदतें।
मेरे ख्याल में जीवन में आदतें होती हैं, जीवन आदतों में नहीं होता,
इनमें कुछ आदतें सरल और कुछ जटिल होती हैं पर आदमी की ऊर्जा वड़ी लचीली होती है।
कई अजीबो गरीब आदतें पाल लेते हैं लोग,
सोते वैठते हमेशा तकिया को अपने साथ रखना, बाहर जाते वक्त हाथ में छाता रखना या वैग वगैरा टांग लेना, नाखून चबाना, एक ही बात को दोहराना, कई बार हाथ दोते रहना इत्यादी यह आदतें नुक्सानदेह तो नहीं लेकिन व्यसन बनकर हमारा नुक्सान करती हैं।
हमारी दिनचर्या में शामिल कुछ आदतें ऐसी होती हैं जिनके फायदे या नुक्सान के बारे मों हम नहीं सोचते, ऐसी ही कुछ आदतें हमारी उम्र को कम कर रही हैं जिनमें अकेलापन, नींद , घटों वैठना, टी वी देखते रहना वगैरा वगैरा।
हमें अकेलेपन से वचना चाहिए यह आपको अवसाद ग्रस्त बना सकता है अवसाद आपकी जिंदगी को कम करने का अहम कारण है, शरीर और दिमाग को आराम के लिए आठ घंटे की नींद बहुत जरूरी है इसी तरह से कुछ आदतें ऐसी हैं जो हमारे शरीर को तंदरूस्त रखने के लिए फायदेमंद होती हैं इसलिए इन्हें अपनाना चाहिए,
लेकिन कुछ आदतें हमारे शरीर को नष्ट कर देती हैं
जैसे नशे की लत लगना, नशा कोई भी हो वो हर तरह का नुक्सान ही करता है ऐसी आदतों से हमें वचना चाहिए, जब नशे की लत एकबार लग जाए तो यह जिंदगी तक लगी रहती है और जिंदगी तवाह कर देती है।
ऐसी आदतें हीं जिंदगी से लम्वी लगने लगती हैं और इन्सान को मरने तक मजबूर कर देती हैं ।
आखिरकार यही कहुंगा की जीवन ईश्वर का अनमोल उपहार है इसे सुरक्षित रखिए , लाखों डालर खर्च करके भी एक सेकेंड का समय वापिस नही़ आता इसलिए हर दिन की अहमियत को समझना चाहिए, बुरी आदतों से वचिए ओर इनको लम्वा मत होने दिजिए जिंदगी बहुत अहम व लम्वी है देखना कहीं आदतें लम्वी न पड़ जाए़ और हमारी जिंदगी छोटी पड़ जाए फिर पछतावे के विना कुछ नहीं मिलेगा।
बेहतर वनने की केशिश किजिए बड़े लक्ष्य वनाईए आदतें नहीं, अपने हुनर को रोज संवारिए चुनिंदा लक्ष्य बनाइए हमें अध्यन, मनन और चिंतन की जीवन में जगह देनी जरूरी है, ताकि हमें जिंदगी लम्वी जीने के लिए हासिल हो न के बुरी आदतें हमारी जिंदगी को छोटा कर दें। याद रखिए,
अकेले ही गुजरती है जिंदगी,
लोग तसल्लियां देते हैं साथ नहीं।
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
आदतें जिंदगी से बड़ी नहीं होती हैं, लेकिन आदतें तो आदतें ही होती हैं, बदलते-बदलते ही बदल पाएंगी. पहले तो आदत पड़ने का पता नहीं चलता, लेकिन जब तक किसी आदत के पड़ने का पता चलता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है. न जाने कब पहले दांएं पांव में मौजा पहनने की आदत पड़ती है, लेकिन पहले दांएं पांव में ही मौजा पहनने की आदत वालों को देखा गया है. इसी तरह सोते-बैठते हमेशा तकिये को अपने साथ रखना, बाहर जाते वक्त हाथ में छाता या बैग वगैरह टांग लेना, नाखून चबाना, एक ही बात को दोहराना, दिन में कई-कई बार हाथ धोते रहना आदि आदतें भी देखी जाती हैं. ये आदतें तो भले ही नुकसानदेह न हों, लेकिन बेवजह गुस्सा करने, धूम्रपान करने, नशा करने, मार-पीट करने जैसी आदतें जिंदगी में जहर घोल देती हैं. आदतों की ऊर्जा बड़ी लचीली होती है. वे उतनी अपरिवर्तनीय नहीं होतीं, जितनी दिखती हैं. सजग रहकर प्रयास करने पर बुरी आदतें बदली जा सकती हैं. नशे के दुष्परिणामों पर सोचे-समङो तो नशे की आदत वाला शराब छोड़ भी सकता है, भले ही उसे यह कठिन लगे. पढ़ाई छोड़ देने वाला बच्चा नई आदतें डाल कर एक सफल संगीतकार भी बन सकता है, लेकिन जिनको बेवजह गमों में डूब जाने की आदत हो, उनका क्या किया जाए! गम सबकी जिंदगी में आते रहते हैं, बिंदास रहने वाले लोगों का मानना है-
''क्या बिगाड़ेगी गमों की आंधी हमारा,
अपनी तो आदत है मुस्कुराने की.''
- लीला तिवानी
दिल्ली
जिंदगी में इन्सान विभिन्न आदतों से ग्रस्त रहता है। हर किसी की अलग-अलग आदतें होती हैं। स्वभाव अनुसार कोई चुगलखोर होता है और जब तक वह किसी की किसी से चुगली न करले उसको उसका खाना नहीं पचता।
उल्लेखनीय है कि मानव की आदतें किसी भी प्रकार से उसकी जिंदगी से बड़ी नहीं हो सकतीं। चूंकि आदतें जीवन को सुखमय जीने के लिए बनाई जाती हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि आदतें बदली जा सकती हैं। जैसे शराब व तम्बाकू सेवन करने की आदत, जुआ और अन्य बुरी आदतें बदली जा सकती हैं। किन्तु जीवन मृत्यु से पहले बदलना सम्भव नहीं है।
सर्वविदित है कि कईयों की विचित्र आदतें होती हैं। जैसे दूसरों की मुफ्त में प्रशंसा करना, बिना अर्थ बोलते रहना, कुछ पल भी चुप नहीं रह सकना, अपने-आप को अत्यंत बुद्धिमान और दूसरों को मूर्ख मानना, वक्त पड़ने पर गधे को भी बाप बना लेना और समय आने पर खाली होते हुए भी व्यस्त होने का बहाना बनाना। जो बाद में मनोरोग में परिवर्तित हो जाती हैं। जबकि जिंदगी तो जिंदगी है। जिससे बड़ा कुछ भी नहीं है।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
आदतें जिंदगी से बड़ी कभी नहीं हो सकती, क्योंकि "जीवन में आदतें होती है, जीवन आदतों में नहीं होता । "
व्यक्ति के जीवन में आदतें समाहित होती है चाहे वह अच्छी हो या बुरी। अच्छी आदतें जीवन में श्रेष्ठ परिवर्तन लाती हैं ,वहीं बुरी आदतें जीवन को बर्बाद भी कर देती है । अच्छी आदतें जीवन को सरल, सुखमय बनाती हैं जबकि बुरी आदतें कष्टमय बनाती हैं ।
कुछ आदतें सरल होती हैं और कुछ जटिल।
लेकिन जटिल आदतें हमारे जीवन में विशेष प्रभाव डालती हैं। जीवन में जो आदते हमें हानी या कष्ट झेलने पर विवश कर रही हैं उन्हें त्याज्य मानना चाहिए, इन्हें अपनाना श्रेयाकर नहीं होता।
कुछ आदतें जैसे बात बात पर किसी को शर्मिंदा करना ,व्यंग्य करना अर्थात उपहास मजाक उड़ाना, दूसरों को छोटा समझना या हेय दृष्टि से देखना, ईर्ष्या ,घृणा का भाव रखना, ज्यादा बोलना, बात बात पर दूसरों को टोकते रहना, ये ऐसी आदतें हैं जो घर, परिवार, समाज ,मित्रों ,रिश्तेदारों में परस्पर शत्रुता का भाव पैदा करती हैं ।
किसी भी व्यक्ति को इन आदतों को अपने जीवन पर हावी नहीं होने देना चाहिए । स्कारात्मक सोच से युक्त आदतें अच्छी आदतें हैं । समय और कर्म की महत्ता जानना ,आगे बढ़ने की होड़, तरक्की उन्नति के मार्ग पर अग्रसर होने का जुनून , मानवीय गुण /परोपकार की भावना से युक्त स्वभाव/ प्रवृत्ति जीवन में खुशहाली भरती है। लेकिन ज्यादा अंश में कोई भी आदत जीवन पर ज्यादा प्रभाव डालती है। आदतों के अनुरूप जीवन नहीं चलाया जा सकता जिंदगी से बड़ी नहीं हो सकती है आदतें । दृढ़ता के साथ उनमें परिवर्तन लाया जा सकता है ।
- शीला सिंह
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
जी हाँ, आदतों का जिंदगी में महत्वपूर्ण योगदान होता है । अच्छी आदतें न केवल हमें लोकप्रिय बनातीं हैं , वरन हमारे लक्ष्य को हासिल करने में भी मददगार होतीं हैं ।
नैतिकशिक्षा के द्वारा हम सभी को बाल्यकाल से ही अच्छी आदतें अपनाने की प्रेरणा दी जाती रही है । बोध कथाएँ, पंचतंत्र की कथाएँ, दादी नानी द्वारा सुनाई जाने वाली कथाएँ भी आदतों को सुधारने की दिशा में उठाया जाने वाला सशक्त कदम होता है ।
नेक व्यक्तियों का जीवन उपयोगी होता है तो केवल उनकी अच्छी आदतों से । किसी को चुगली की, किसी को चोरी की , किसी को मारपीट की ,ऐसी ही न जाने कितनी आदतें हैं जो जिंदगी को नरक बना देती हैं ।
आपकी जिंदगी कैसी होगी ये आपकी आदतें ही निर्धारित करती हैं अतः कहा जा सकता है कि जिंदगी से बड़ी आदतें होती हैं ।
- डॉ. छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश
जिंदगी बहुत मूल्यवान है जिंदगी से बड़ी आदतें नहीं हो सकती हैं यह अवश्य है आदतों की वजह से जिंदगी बड़ी हो सकती है और जिंदगी छोटी भी हो सकती है।
मानव जीवन में आदत का महत्व है आदत एक व्यवहार है जिसके माध्यम से जीवन को सुख और दुख दोनों मिलते हैं सही आदत मानव को खुशियां देती है संतोष देता है शांति मिलती है लेकिन यदि कुछ ऐसी आदत है जो असामाजिक या असंगठित है तो निश्चित ही इंसान को तकलीफ में डाल देती है जैसे नशा का सेवन करना यह आदत अगर मानव के जीवन का एक हिस्सा बन जाता है तो वह जीवन को किसी ना किसी तरीके से कमजोर और छोटा बना देता है उसी प्रकार क्रोध करने की प्रवृत्ति असंतुष्ट रहने की आदत मानव को भिन्न-भिन्न बीमारियों को झेलने के लिए मजबूर कर देता है जिससे जीवन छोटी और असंतुष्ट हो जाती है इस तर्क में जिंदगी से बड़ी आदत हो जाती है लेकिन सामान्य तौर पर जिंदगी बड़ी होती है आदत छोटी होती है आदत को बदलना इंसान के हाथ में होता है
- कुमकुम वेदसेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
आदतें बदलना आसान नहीं होता है इसलिए उसे आदत कहते हैं। हम अपने दैनिक जीवन में कुछ ऐसे भी काम निरन्तर किया करते हैं जो बहुत ज़रूरी न होकर भी हमारे दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा बन जाते हैं। कई बार हम उन्हें चाह कर भी नहीं छोड़ पाते हैं क्योंकि वो हमारी आदत बन जाते हैं और धीरे-धीरे हमारी-आपकी जिंदगी का हिस्सा बन जाते हैं। जाने-अनजाने में हम ही उसे पोषित करते रहते हैं।ऐसे में कुछ लोग कुछ ग़लत आदतों के गुलाम बन जाते हैं,मसलन नशा करना ,झूठ बोलना, चोरी करना इत्यादि। मेरे विचार से ग़लत आदतों को वक्त रहते छोड़ देना ही हितकारी होता है।ये काम मुश्किल अवश्य है पर असंभव नही। इन्हें छोड़ने के बाद ही
उन्नति के नए रास्ते खुलते हैं। आदतें ज़िंदगी से बड़ी नही हो सकती।
- संगीता राय
पंचकुला - हरियाणा
जिंदगी में सुकुन, संतोष है तो जिंदगी लम्बी होगी और यदि इसके विपरित असंतोष,कलह, लोभ होगा तो जिंदगी छोटी हो जाएगी और यह दोनों पक्ष हमारी आदतों पर निर्भर करता है अर्थात आदतें ही उम्र को छोटा या बड़ा नही बनाती हैं अतः अच्छी आदतें हमारे में साकारात्मक सोच भरती हैं और अच्छी सोच एक उर्जावान मनुष्य बनाती है अतः मनुष्य को अच्छी आदतों का आदि होना चाहिए अच्छी आदतें न केवल हमेें बल्कि हमारे परिवार को भी खुश रखती हैं और यदि मानव खुश तो देश खुश।।
- ज्योति वधवा"रंजना"
बीकानेर - राजस्थान
आदतें ही हैं जो ज़िंदगी बनाती और बिगाड़ती हैं, जिंदगी मे क्या बनना है, क्या पाना है, ये सब काफी हद तक आदतों पर भी निर्भर होता है | हम अपना लक्ष्य हासिल करने में कामयाब होते हैं या नहीं ये सब हमारी आदतों का ही परिणाम है, कुछ सपने तो ऐसे होते हैं जो हमारी आदतों के कारण सिर्फ सपने ही रह जाते हैं, वो हमारी ज़िंदगी का हिस्सा कभी नहीं बन पाते |
उठने बैठने, खाने पीने, लिखने पड़ने, लोगों के साथ मिलने जुलने, हर प्रकार के नियमों का पालन करना, यहां तक कि हमारी शख़्सियत की पहचान में भी हमारी आदतें काफी हद तक भागीदार होतीं हैं |
हमारी सेहत में व हमारे कार्य व्यापार में भी हमारी आदतों का असर दिखता है|
इतिहास गवाह है जिसने भी अपनी आदत में मेहनत और लगन को अहम हिस्सा बना लिया है वो संसार में अपना नाम सुनहरे अक्षरों में गढ़ गया है |
- मोनिका सिंह
डलहौजी - हिमाचल प्रदेश
हमारी आदतें ही तो हमारा चरित्र निर्माण करती हैं। हमारा चरित्र अच्छा निर्मित होता है या बुरा निर्मित होता है यह हमारी शिक्षा, संस्कारों, विवेक और संगति पर निर्भर करता है। यदि हम सत्संगति में पड़ जाते हैं तो अच्छी आदतों का निर्माण होता है। अच्छी आदतों से हमारा चरित्र अच्छा बनता है और हमारा जीवन सार्थक सिद्ध होता है। इसके विपरीत यदि हम कुसंगति में पड़ जाते हैं तो हमारे अन्दर बुरी आदतों का निर्माण होता है। बुरी आदतो के कारण हम दुश्चरित्र वाले व्यक्ति कहलाये जाते हैं और सभ्य समाज हमें स्वीकार नहीं करता। दोनों ही तरह की आदतों का हमारी जिंदगी पर अपने-अपने अनुसार प्रभाव पड़ता है। अतः हमारी जिंदगी को प्रभावित करने वाली आदतें निःसंदेह जिंदगी से बड़ी होती हैं।
- सुदर्शन खन्ना
दिल्ली
" मेरी दृष्टि में " आदतों को कभी भी जिंदगी पर हावी नहीं होने देना चाहिए । इसलिए किसी भी आदतें को हल्के में नहीं लेना चाहिए । जिंदगी से बड़ा कुछ भी नहीं है । यही सच्चाई को ध्यान में रखना चाहिए ।
- बीजेन्द्र जैमिनी
डिजिटल सम्मान
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