मां शारदा (मैहर)
मां शारदा (मैहर)
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जबलपुर ( मध्यप्रदेश ) से 147 किलोमीटर की दूरी पर मां शारदा का मंदिर मैहर तहसील में है जिसका जिला सतना है यह शक्तिपीठ है यह अत्यंत प्राचीन मंदिर है यहां पर आल्हा रोज सुबह आते हैं ऐसा स्थानीय लोग और मंदिर के पुजारी कहते हैं।
माई का हार
मैहर नाम पड़ा।
मां शारदा के कारण यह जगह बहुत प्रसिद्ध है ,
शक्तिपीठ की बहुत मानता है यहां पर दूर-दूर से लोग दोनों नवरात्रों में दर्शन करने आते हैं ( चैत्र और कुंवार)
बहुत बड़ा मेला लगता है इस मेले को पुलिस प्रशासन द्वारा कंट्रोल किया जाता है और मंदिर की समिति भी बनी हुई है।
रुकने के लिए भी बहुत सारे धर्मशाला और होटल है।
मंदिर में ऊपर दर्शन करने को आप सीढ़ी से भी जा सकते हैं यदि किसी को सीढ़ी चढ़ने में दिक्कत है तो मंदिर में रोपवे भी है
इस मंदिर के प्रधान पुजारी महाराज श्री देवी चरण जी हैं और उन्हीं के वंशज पुत्र/ पौत्र मंदिर मैं पूजा पाठ करते हैं । शक्तिपीठ की बहुत ही रोचक कहानी जुड़ी हुई है वहां के स्थानीय लोग कहते हैं कि पुराने समय में एक चरवाहा रोज एक काली गाय को चराता था और उसके मालिक से उसे पैसे नहीं मिलते थे एक दो महीने तो उसने गाय चराई और वह परेशान होकर उसकी मालकिन के पास गया , जब वहां पहुंचा तो वहां उसे एक वृद्ध महिला दिखाई दी उसने कहा कि आपकी गाय को रोज में दिनभर चराता हूं मैं चरवाहा हूं, पर आप इसका मुझे पैसा नहीं देती।उस महिला ने उसे वहां नीचे से मिट्टी और कुछ कंकड़ उठा कर दे दिए उसने अपने गले में टांगे हुए गमछे में बांध लिया। उसे बहुत गुस्सा आया और उसे आधे रास्ते भर गिराते हुए चला आ रहा था कि अब कल से इसकी गाय की देखभाल नहीं करूंगा।
वह अपने घर पहुंचा और उसने अपने पिताजी और घरवालों को बताया कि एक काली गाय एक बुजुर्ग की है वही उसके पास गया था, उसने मुझे मिट्टी के कुछ पत्थर दे दिया। मैं रास्ते पर फेंक आया इसी गमछे में। जब उसने वह गमछा देखा तो उसमें दो हीरे और कुछ जवाहरात और सोने के रूप में दिखे उसे बहुत आश्चर्य हुआ और सुबह वह कुछ लोगों के साथ वहां पर गया तो माता ने मूर्ति का रूप ले लिया था। तब से लोग ऊपर पहाड़ी पर मां के दर्शन करने को जाने लग गए और मां शारदा के नाम से यह मंदिर प्रसिद्ध है। मानता है कि मां के द्वार से कोई खाली नहीं लौटता जिस ने जो मांगा वह पाया है ।
- उमा मिश्रा प्रीति
जबलपुर - मध्य प्रदेश
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