क्या इज्ज़त बिना इंसान का व्यक्तित्व धूमिल हो जाता है ?

इज्ज़त के बिना इंसान का जीवन समाप्त तक हो जाता है । अगर इज्ज़त नहीं रहती है तो इंसान आत्महत्या तक कर लेता है ।इंसान बिना इज्ज़त के नहीं रह सकता है । यहीं कुछ जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
"नमक जैसा बनाईये अपने व्यक्तित्व, 
आपकी उपस्थिति का भले ही पता न चले पर  आपकी  अनुपस्तिथी का अहसास अवश्य हो"। 
देखा जाए तो इंसान अपनी इज्जत को कायम रखने के लिए खुद  उत्तरदाई होता है क्योंकी इज्जत न पैसों से खरीदी जा सकती है न उधार ली जा सकती है और न किसी के वदले मिलती है न किसी के वदलने से यह तो केवल अपने व्यवहार से मिलती है व दुसरों की भावनाओं का सम्मान करने से मिलती है लेकिन इसके बिना मनुष्य वगैर पूंछ जानबर के समान समझा जाता है, 
तो आईये आज इसी बात  पर चर्चा करते हैं कि क्या इज्जत के बिना इन्सान का व्यक्तित्व धुमिल हो जाता है? 
मेरा मानना है कि, इज्जत आवरू है गहना है इज्जत ही वेटी है बहना है और इसको हमेशा व्यवहार के जरिए दिखाया जा सकता है, 
कहते हैं जीवन मे़ नाम, मान, शोहरत सब चला जाए तो कोई बात नहीं लेकिन अगर आपकी इज्जत ही चली जाए तो तो मानो आपका जीवन ही दांव पर लग जाता है, 
क्योंकी हम सभी जीवन भर अपने चरित्र की रक्षा के लिए जद्दो जहद करते हैं ताकी जब हम इस संसार से चले जाएं तो कम से कम वेदाग होकर जांए कोई भी बेअावरू और और अपमानित होकर जीना नहीं चाहता इसलिए हमें हमेशा अपनी इज्जत का खुद ख्याल रखना चाहिए जो हमें दुसरों को इज्जत देने से ही मिलती है, 
 यही नहीं इसे कमाने के लिए हमैं काफी मेहनत करना पड़ती है,  इज्जत कमाना कोई बच्चों का खेल नहीं है, 
इसके लिए हमें सहायक का काम भी करना पड़ता है व कभी भी किसी का अपमान न करना  हमेशा सभी का सम्मान करना  , गल्त व्यवहार को बर्दास्त म करना, गल्त की आबाज उठाना इत्यादी  अपनाना पड़ता है, 
यही नहीं हमें अपनी बातचीत करने के अंदाज को  सुधारना होगा व दुसरों की बातों को गौर से सुनना होगा, 
क्योंकी इज्जत, सम्मान एक ऐसी चीज है जो हर कोई पाना चाहता है मगर यह कमानी पड़ती है और यह हमारे काम पर निर्भर है कि हम अपने कार्यो को कैसे इन्जाम देते हैं कहने का मतलब हम अपने काम के प्रति कितने ईमानदार हैं हमरा दुसरों के प्रति कैसा वर्ताव है क्या हम दुसरों का सम्मान करना जानते हैं अगर यह सब गुण हम में हैं तो हम अपनी इज्जत कमा सकते हैं, 
अन्त में यही कहुंगा की इज्जत कमाने के लिए खुद से प्यार अपने काम से प्यार व अपनी अच्छाईयों को अपनाए रखें  जिससे आपका शानदार व्यक्तित्व बना रहे यही आप के साथ जाएगा वाकि सब यहां का यहां धरा रह जाएगा यही इन्सानियत की सच्ची पहचान है इसे हर इंसान को संभाल कर रखना चाहिए, 
सच कहा है, 
"जीवन में अपना व्यक्तित्व शुन्य के समान रखिये ताकि कोई इसे घटा न सके, "। 
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
इंसान के लिए इज्जत से बढ़कर कोई दूसरी चीज नहीं। जिस इंसान को इज्जत नहीं मिलती वह उसके लिए प्रयासरत रहता है। निश्चित रूप से इज्जत पाने से व्यक्तित्व में निखार  आता है क्योंकि तब इंसान को आत्म संतुष्टि मिल जाती है अन्यथा कुंठित होने से व्यक्तित्व धूमिल होने लगता है। प्रभावशाली व्यक्तित्व वाला इंसान भी इज्जत न मिलने से असहाय एवं निर्बल व्यक्तित्व का प्रतीत होने लगता है।
- गायत्री ठाकुर "सक्षम" 
नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
     अपनी संस्कृति और संस्कारों में प्रायः कहा जाता हैं, कि "प्राण जाऐं पर वचन न जाऐं।" यानें हमारी इज्जत हमेशा बरकरार रहें। अपनी इज्जत के खातिर कुछ भी निछावर कर सकते हैं, जैसे जमीन, जायदाद वगैरह-वगैरह, इतना ही नहीं ब्रजपात, आत्महत्या, आत्मग्लानी के शिकार भी हो जातें हैं।  अधिकांश जनों को देखने में आता हैं, कि कुछ भी नहीं रहने उपरान्त भी इज्जत को सर्वोपरि मानते हैं, अहसास जनों को सबक देने का प्रयास भी करते हैं। कई तो बिना लहर की बूँद के खातिर भी कुछ नहीं कर सकते हैं और दूसरों के बोझ के तले तेरी-मेरी करते रहते हैं। 
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
  बालाघाट - मध्यप्रदेश
इंसान का व्यक्तित्व धूमिल तब हो जाता है,जब कोई भी काम स्वार्थ के लिए करते हैं,तो आपका व्यक्तित्व धूमिल हो जाता है।
अगर आप यह  सोचे कि मेरा जो काम है बिना किसी स्वार्थ भाव से है, दिखावे के लिए नहीं, जिससे कि अपने अच्छे गुण आए, जब अच्छे गुण आ जाएंगे तो खुद एक दिन सभी लोग इज्जत करने लगेंगे क्योंकि उगते हुए सूर्य को चाहे वह कितने भी बादल क्यों ना घेर के रखें तो भी लोग उसे देखते और पूजते हैं।
लेखक का विचार:-- अगर आपके पास कुछ ऐसा है जिससे दूसरों को बताने से उनकी जीवन बेहतर हो या वह कुछ सीखे तो उससे जरूर साझा करने की कोशिश करें।
अपने आप को विन्रम बनाएं-क्योंकि इज्जत देंगे तब ही इज्जत मिलेगा। तब इंसान के व्यक्तित्व धूमिल नहीं हो पाएगा।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखंड
इज्जत व्यक्ति के व्यक्तित्व का एक घटना है आत्मसम्मान है स्वाभिमान है इज्जत के लिए पैसा नहीं चाहिए अमीरी नहीं चाहिए गरीबी नहीं चाहिए व्यवहार में मान मर्यादा की आवश्यकता होती है उदाहरण के लिए एक रिक्शावाला है ऑटो वाले हैं अगर उन्हें उनके उम्र के हिसाब से हम उनसे बात करते हैं आप क्या लेंगे क्या भाव है क्या किराया है वहां चलेंगे तो इन छोटे से व्यवहार के माध्यम से उन्हें एक इज्जत दी जाती है और उनका व्यक्तित्व में एक निखार आता है
किसी भी व्यक्ति का इज्जत अगर नहीं होती है तो उसका व्यक्तित्व धूमिल पड़ता है आज हर इंसान अपनी इज्जत अपने सम्मान अपने मान स्वाभिमान की रक्षा के लिए एक दूसरे के प्रति कटिबद्ध है
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
जिस समाज में हम रहते हैं वहां इज्जत का बहुत महत्व है। हम अच्छे कार्य करके इज्जत कमाते हैं और बुरे कार्य करके इज्जत गंवाते हैं। अच्छे कर्मों के कारण हम समाज की नज़रों में ऊपर उठ जाते हैं और बुरे कर्म करके, किसी का विश्वास करके, धोखाधड़ी करके नीचे गिर जाते हैं और हमारा व्यक्तित्व जो हमारी इज्जत के कारण बना होता है वह धूमिल हो जाता है।
- सुदर्शन खन्ना 
दिल्ली 
मनुष्य महत्वकांक्षाओं का पुतला है l महत्वकांक्षाओं के आधार पर पद, पैसा, प्रतिष्ठा के क्षेत्र में प्राप्त सफलता आपके व्यक्तित्व का निरूपण करती है l लेकिन व्यक्तित्व के मूल्यांकन की कसौटी भिन्न भिन्न हैं l कोई अध्यात्म को व्यक्तित्त्व का आधार तो कोई भौतिक सफलता को आधार मानते हैं l अर्थात एक उपलब्धि को जहाँ भिन्न भिन्न अर्थ दिये जा रहे हैं और प्रत्येक अर्थदाता अपनी मान्यता के अनुसार उसे अर्जित करने के लिए आजीवन प्रयत्नशील हो तो व्यक्तित्व की सर्वमान्य परिभाषा नियत कर पाना कठिन है l अतः सम्मान के बिना हमारा व्यक्तित्व धूमिल हो जाता है,यह कहना तर्क संगत नहीं है l
मीरा राजवधू के सम्मान में कोई कमी नहीं थी लेकिन उनके जीवन में अध्यात्म पक्ष ऐसा निखार लेकर आया -
"मरयाँ पाछै स्वर्ग मिले है मैं सुन्यो री मीरा
पर तू जीवित री श्याम समा गई री मीरा l "
      अर्थात सम्मान के अभाव में भी मीरा के व्यक्तित्त्व में निखार आया, धूमिल नहीं हुआ l
सफलता -धन -सम्पत्ति, यश -प्रतिष्ठा और विद्या -बुद्धि के अनेक अर्थ रखती है इनका समुच्च रूप ही आपके व्यक्तित्त्व की सफलता है l केवल अंतर इतना है कि व्यक्तित्त्व की इस कसौटी में इस समुच्चय के किस अंग को हम अधिक महत्त्व देते हैंl
       तथाकथित सफलता का दूसरा पक्ष -व्यक्ति अपने मानवीय गुणों और सामाजिक आदर्शो के प्रति कितना निष्ठावान है l जिसने अनीति पूर्वक इज्जत प्राप्त की है क्या ऐसे व्यक्ति को हम सम्मान देंगें? यह विचारणीय प्रश्न है l
    मेरी दृष्टि में महत्वकांक्षाओं का विकृत और परिष्कृत स्वरूप को समझकर निर क्षीर विवेक द्वारा व्यक्तित्व मूल्यांकन के मानदंड बदलने पर ही सच्चे अर्थो में व्यक्तित्व निर्धारण हो सकेगा l
        चलते चलते -
व्यक्तित्व का धूमिल और निखार कुछ पंक्तियों में समर्पित -
"इंसान का व्यक्तित्त्व उसके चुने हुए शब्दों से बयां होता है l रावण के शिव ताण्डव और श्री राम की शिव स्तुति कहलाती है l
      - डॉ. छाया शर्मा
 अजमेर - राजस्थान
व्यक्तित्व जिन गुणों से मिलकर बनता है। उनमें एक अहं गुण होता है इज्जत,सम्मान। इसमें इज्जत देना और पाना दोनों ही शामिल होते हैं। सामान्यत: रंगरुप,कद-काठी को व्यक्तित्व कह दिया जाता है जबकि इसमें, इनके साथ साथ उस व्यक्ति के गुण भी समाहित होते हैं।इन गुणों में इज्जत एक विशेष गुण है। दूसरों के प्रति सम्मान जनक व्यवहार करना,इज्जत देना व्यक्तित्व का वह गुण होता है जो लोकप्रियता दिलाने में सहायक होता है। यहां यह भी एक तथ्य है कि इज्जत देने वाले को इज्जत मिलती ही है और यह गुण व्यक्तित्व में श्रीवृद्धि करता है। शिकागो की धर्म संसद सभा में मेरे भाइयों बहनों के सम्मानजनक संबोधन ने स्वामी विवेकानंद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बना दिया। इज्जत ( देना,मिलना दोनों ही) के अभाव में व्यक्तित्व धूमिल हो ही जाता है।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल '
धामपुर - उत्तर प्रदेश
पहले तो हमें समझना होगा कैसी इज्जत ? गरीब होने से जो इज्जत हमें नहीं मिलती ,या चरित्र पर लांछन होने पर लोग इज्जत नहीं करते अथवा स्वभाव के कारण ..इसके सिवाय अनेक  कारण हो सकते हैं... गरीबी में लोग दीन हीन की भावना से जरुर देखते हैं किंतु वह अपने हुनर से अवश्य आगे अपनी इज्जत बना लेता है ! स्वाभिमानी व्यक्ति कभी अपनी इज्जत दाव पर नहीं आने देते ! 
व्यक्ति का व्यक्तिगत जीवन ही उसके व्यक्तित्व को उजागर करता है ! यदि व्यक्ति का व्यक्तिगत जीवन  झूठ,चोरी , किसी के चरित्र हनन को प्रेषित कर मान सम्मान पाता है ...सत्य सामने आने पर इज्जत धूमिल अवश्य होती है ! सफलता ,इज्जत मेहनत से मिलती है ! जो हमारे आत्मविश्वास को सदा बनाये रखता है !आत्म विश्वास वह परिधान है जो खरीदी नहीं जा सकती स्वयं निर्मित करनी होती है ! ठीक उसी तरह इज्जत भी जो कभी धुमिल नहीं होगी बल्कि उभरकर आयेगी !
           - चंद्रिका व्यास
       मुंबई - महाराष्ट्र
एक कहावत है कि...... 
"पैसा गया तो कुछ नहीं गया, स्वास्थ्य गया तो कुछ गया परन्तु साख (इज्ज़त) गयी तो सब कुछ गया।" 
इसलिए कहता हूँ कि.... "इज्ज़त के बिना मनुष्य जीवन भी कोई जीवन है। 
बल्कि इसकी अपेक्षा यह सत्य है कि....."मनुष्य जीवन का सौन्दर्य है इज्ज़त । 
सच्चा मनुष्य अपनी इज्ज़त की खातिर भौतिक सुखों को त्यागने के लिए सदैव तैयार रहता है।
इज्ज़त माँगने से अथवा छीनने से नहीं मिलती। इसको तो अर्जित किया जाता है और यह अर्जन मनुष्य के सत्कर्मों और सद्व्यवहार द्वारा संभव होता है।
पद, पैसे, ताकत के द्वारा प्राप्त इज्ज़त कुछ समय के लिए ही होती है। परन्तु मानवीय सद्गुणों को अपने मन-मस्तिष्क में समाये मनुष्य अपने जीवन में परिवार, समाज के मध्य जब सद्व्यवहार करता है तो प्रत्युत्तर में उसे वह सम्मान मिलता है जो चिरस्थाई रहता है। 
निष्कर्षत: मनुष्य का कपटपूर्ण और निकृष्ट व्यवहार उसे कभी इज्ज़त नहीं दिलाता। इसलिए मैं इस बात से सहमत हूँ कि "इज्ज़त के बिना इन्सान का व्यक्तित्व धूमिल हो जाता है।" 
बेगैरत जिन्दगी से अच्छा, ना हो जिन्दगी का साया,
बदकारी के महलों की छत से, शीतल पेड़ की छाया। 
जमीं पर बैठकर, इज्जत की सूखी रोटी भी भली लगती है, 
जमीर बेचकर पायी रियासतें, कौन साथ ले जा पाया।। 
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग ' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
जी बिल्कुल इज्जत के बिना इंसान का व्यक्तित्व धूमिल हो जाता है ।
असल में व्यक्तित्व क्या होता है,,, व्यक्तित्व इंसान की वह पहचान है यह सवाल तब और अधिक महत्वपूर्ण बन जाता है जब आप इस को विकसित करने के बारे में सोचते हैं ।
व्यक्तित्व मनुष्य के मानसिक दृष्टिकोण को दर्शाता है, इससे सामने वाला व्यक्ति आपके आचार विचारों से आपकी मानसिकता का अंदाजा लगा पाता है ।
आपके मानसिक विचार ही आपके व्यक्तित्व को निखारते या बिगाड़ते हैं ।
व्यक्तित्व आपके व्यावहारिक दृष्टिकोण, आपके आचार विचार, आपके कार्य करने के अंदाज और विचारों की समझ का एक मिलाजुला मिश्रण है ,,,जो आपको एक छवि प्रदान करता है।
 दुनिया का हर व्यक्ति अपने व्यक्तित्व को आकर्षक बनाना चाहता है, परंतु इस दुनियां  में कुछ भी मुक्त नहीं होता जब आप त्याग करते हैं उसके फलस्वरूप आप उसका फल मिलता है। आपकी मेहनत आपके उसूल और आप को सबसे बेहतर और मजबूत व्यक्तित्व प्रदान करते हैं। हमारे संस्कार और हमारी समझ एवम समाज के लिए हमारा समर्पण भाव ही हमारे व्यक्तित्व को विकसित करते हैं। लोग आपसे आकर्षित होते हैं जब आप उपलब्धियां प्राप्त कर चुके होते हैं और लोग आपके जैसे बनना चाहते हैं ।
इसलिए अपने व्यक्तित्व को ऊंचा बनाने के लिए हमारे लिए सफलताओं का होना भी काफी महत्वपूर्ण होता है ।
लेकिन सच  तो यह भी  है कि बिना इज्जत  के इंसान का व्यक्तित्व धूमिल हो जाता है ।अन्य चाहे उसमें कितने भी गुणों का भंडार क्यों ना हो ।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
हाँ, इज्ज़त के बिना इन्सान का व्यक्तित्व धूमिल हो जाता है। किसी भी इंसान के लिए इज्जत बहुत जरूरी है। इज्जत के बिना उसका व्यक्तित्व धूमिल ही नहीं बेकार या कहें बर्बाद हो जाता है। इज्जत के बिना मनुष्य एक सूखे पेड़ के की भांति हो जाता है जिसे कोई महत्व नहीं देता है। इज्ज़त हीन व्यक्ति की कहीं भी पूछ नहीं होती है। चाहे वो कितना भी ज्ञानी हो कितना भी धनी-मनी व्यक्ति हो। हर कोई उससे नफ़रत ही करता है। इज्जतदार व्यक्ति भले ही गरीब हो हर जगह उसकी पूछ होती है। एक अच्छा भला इंसान जब कोई गलत कार्य कर देता है तो समाज में उसकी कोई इज्जत नहीं रह जाती है और उसका व्यक्तित्व किसी दाग लगे कपड़े की तरह हो जाती है। वो कहीं भी जाता है चाहे किसी दफ्तर में काम करने वाला हो। साधारण आदमी हो। कोई नेता अभिनेता हो सभी को उसके कारनामें  याद आते हैं और वो एक दागदार व्यक्ति के रूप में याद किया जाने लगता है। कई संतों महात्माओं का व्यक्तित्व भी इज्जत के बिना धूमिल हो चुका है। एक कहावत है-"धन चले जाने से फिर धन कमाने पर वापस आ सकता है। स्वास्थ जाने से भी दवा दारू से वापस आ सकता है। लेकिन एक बार जब इज्जत चली गई तो वापस आना मुश्किल हो जाता है। इज्जत जाने से सबकुछ चला जाता है। इंसान का व्यक्तित्व धूमिल हो जाता है।
- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" 
कलकत्ता - पं.बंगाल
        व्यक्तित्व में किसी व्यक्ति की कई विशेषताओं और हुनर का प्रतिबिंब दिखाई देता है।यह सभी गुण इन्सान की इज्जत को बढ़ाते हैं। बढ़े बूढ़े कहते हैं कि इज्जत बनाने में वर्षों लग जाते हैं लेकिन मिटाने में एक पल भी नहीं लगता।
       इस तरह जब मनुष्य की इज्जत नहीं रहती तो उस के व्यक्तितव के सारे गुण धूमिल हो जाते हैं। तभी तो कहा जाता है कि चढ़ते सूर्य को सभी सलाम करते हैं। जब इज्जत बनी होती है तो कुछ कमियां भी अच्छाई  में बदल जाती हैं। जब इज्जत नहीं रहती तो हरेक अच्छाई भी बुराई नजर आती है।मनुष्य का व्यक्तितव मिट्टी में मिल जाता है अर्थात धूमिल हो जाता है। 
- कैलाश ठाकुर 
नंगल टाउनशिप -  पंजाब
आज की चर्चा में जहां तक यह प्रश्न है कि क्या इज्जत बिना आदमी का व्यक्तित्व धूमिल हो जाता है तो इस पर मैं कहना चाहूंगा हां यह बिल्कुल सही बात है कि इज्जत बिना आदमी का व्यक्तित्व धूमिल हो जाता है परंतु दूसरी तरफ यह भी सही बात है कि आदमी का व्यक्तित्व सही कार्य करने और अनुशासित जीवन जीने से ही बनता है और निखरता है और उसे समाज में इज्जत भी तभी मिलती है जब वह ठीक ढंग से अनुशासित जीवन जीते हुए न केवल अपने लिए बल्कि परिवार समाज के लिए कार्य करता है ऐसा व्यक्ति सभी की नजरों में आदर और सम्मान का पात्र बन जाता है दूसरी ओर केवल अपने ही स्वार्थ के लिए काम करने वाले लोग इसकी तुलना में समाज में हेय दृष्टि से देखे जाते हैं और उन्हें इतना मान सम्मान और इज्जत नहीं प्राप्त हो पाती
- प्रमोद कुमार प्रेम
 नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
जिस इंसान के पास इज्जत ना हो वह किसी काम लायक नहीं रह जाता है। पैसा कमाना कोई बड़ी बात नहीं है क्योंकि व्यक्ति छोटा हो या बड़ा पैसा तो किसी भी तरह कमा ही लेता है लेकिन इज्जत कमाना हर किसी के बस की बात नहीं होती है आजकल कोई भी काम हो बिना पैसे का कोई भी काम नहीं करता है इस दुनिया में सभी लोग कुछ न कुछ कमाने को निकले हैं और कमाना भी चाहिए कि हमारे जीवन में ऐसा धन दौलत यह सब जरूरी होता है जिसमें से कुछ लोग बहुत ही ज्यादा कमा लेते हैं तो कुछ लोग बहुत ही कम परंतु हर किसी के पास में कोई ना कोई कमाई करने का साधन तो होता ही है।लेकिन इज्जत कमाना हर किसी के बस में नहीं होता है।
एक कहावत है कि पैसा दो कोई भी किसी तरह गलत काम करके भी कमा सकता है लेकिन इज्जत कमाना एक और अलग बात है। जीवन में हर व्यक्ति की अपनी प्राथमिकताएं होती है और वह प्राथमिकता है लेकर पैदा नहीं होता है। समाजीकरण के दौरान कुछ ऐसी घटनाएं घटती है कुछ ऐसे किस्से होते हैं जो हमारे उससे अब करते हैं।हमारे व्यक्तित्व को निखारने हैं बनाते हैं। अगर किसी इंसान ने अपने जीवन में पैसे को लेकर तंगी देखी है। यह जिसको लगता है कि अगर पैसा हो तो मैं कुछ भी कर सकता हूं। यह चीज को मैं कंट्रोल कर सकता हूं तो जीवन में इमोशनल पर लाइफ कंट्रोल करने के लिए मुझे पैसे का होना जरूरी है। लेकिन यह भी सच है कि सब कुछ पैसा ही नहीं होता है। गलत तरीके से कमाया हुआ धन से आप इज्जत नहीं पा सकते। यदि आपका अपने ही घर में कोई इज्जत नहीं है तो बाहर के लोग आपका क्या इज्जत करेंगे। इसलिए जरूरी है कि अपनी इज्जत बनाने की शुरुआत अपने परिवार से ही की जाए। आपके परिवार के लोग इज्जत कर रहे हैं तो समाज में भी इज्जत मिलेगी और देश में भी आपको लोग इज्जत से पुकारेंगे। 
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
प्रत्येक व्यक्ति की मानसिकता अलग-अलग होती है। कुछ लोग अपने स्वार्थ के खातिर अपने मान-सम्मान या इज्जत को ताख पर रख देते हैं । लेकिन सभी ऐसे नहीं होते हैं ।
जहाँ तक व्यक्तित्व की बात है तो ये उसकी अपनी विशेषता है । इसमें इज्जत या आदर मात्र एक हिस्सा है पूरा व्यक्तित्व नहीं ।
अर्थात् मान-सम्मान से किसी व्यक्ति के संपूर्ण व्यक्तित्व को नहीं आंका जा सकता है ।
- पूनम झा
कोटा - राजस्थान
इज्जत अर्थात मान-सम्मान के बिना इंसान का व्यक्तित्व धूमिल ही नहीं हो जाता बल्कि नर्क बन जाता है। जिसकी पीड़ा से इंसान जीना तो क्या चैन से मर भी नहीं सकता। 
         कहते भी हैं कि जिस तन लागे सो मन जाने अर्थात जिसे लगती है वही उस पीड़ा का अनुभव करता है। 
         अतः मैंने यही पीड़ा आज अपनी सुनवाई में भावुकता से डबल बैंच को सुनाई है। जिसमें पारिवारिक कष्टों से लेकर सामाजिक तिरस्कार ही प्रकट नहीं किया बल्कि यह भी बताया है कि किस प्रकार विभागीय क्रूर अधिकारीयों ने मुझे नौकरी पर रहते हुए जांच के दौरान वेतन बंद कर भीख मांगने पर विवश किया था। जिस तिरस्कार की पीड़ा को यदि तिरस्कार का बलात्कार कहा जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। 
       संभवतः डबल बेंच के न्यायाधीश महोदय यही जानने के लिए असिस्टेंट सालिसिटर जनरल आॅफ इंडिया को बार-बार यही पूछ रहे थे कि क्या इन्हें (मुझे) डिसमिस किया गया था? जिसका उत्तर देने में असिस्टेंट सालिसिटर जनरल आॅफ इंडिया झूठ का सहारा लेते हुए मेरी मानसिक दिव्यांगता पेंशन का उल्लेख कर रहे थे। जिससे मेरा ही नहीं बल्कि मेरे परिवार का भी मान-सम्मान धूमिल होकर बिखर चुका है।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर

" मेरी दृष्टि में " जब व्यक्तित्व धुमिल होता है तो इंसान को बरदाश्त नहीं होता है । हत्या से लेकर आत्महत्या तक होती देखी गई है । यह सब इज्ज़त के लिए होता है ।
- बीजेन्द्र जैमिनी 

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