क्या अपनी क्षमता को पहचानने वाले ही आगे बढ़ सकते हैं ?

अपनी क्षमता को पहचानने वाले ही आगे बढने की सोच सकते हैं । जो क्षमता को पहचानने में असमर्थ रहता है । वह आगे बढने मे सफलता बहुत कम को प्राप्त होती है । यहीं कुछ जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
     प्राकृतिक क्षमता से जो शक्तिशाली  बनकर उभरता हैं, उसकी ही बुद्धिमान इच्छानुसार जीवन यापन कर जीवित अवस्था में पहुँचने में सफलता मिलती जाती हैं और कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखता हैं, जो उसकी  विवेकाधीन पर निर्भर करता हैं। जो दूसरों को कष्टदायक बनाते हुए अपनी क्षमता का परित्याग करते हुए अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होता हैं, उसे भविष्य में असफलता का सामना करना पड़ता हैं, उसके समस्त प्रकार के कार्यों में बाधाएं आती जाती हैं और अनन्त समय तक चलता रहता हैं और अंत में बुरी तरह से क्षमता विहीन हो जाता हैं और प्रायः वर्तमान परिदृश्य में  देखने को मिलते हैं। हमें सृजगता के सहारे जीवित अवस्था में पहुँचाने विफलताओं का सामना करना चाहिए? अपनी क्षमता को पहचानने वालें ही आगें बढ़ सकते हैं। नहीं तो पछताने फे क्या फायदा होगा?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
  बालाघाट - मध्यप्रदेश
अपनी क्षमता को पहचान कर उसका उपयोग कर दृढ़ निश्चय के साथ लक्ष्य निर्धारित कर आगे बढ़ने से ही सफलता मिलती है अपनी क्षमता को पहचानना मात्र ही पर्याप्त नहीं है बल्कि उसके साथ उसका उपयोग कर सतत प्रयत्नशील रहना भी आवश्यक है। अगर अपनी क्षमता का उपयोग नहीं किया गया तो आगे कैसे बढ़ेंगे ?आगे बढ़ने के लिए क्षमता के साथ साथ क्रियान्वयन आवश्यक है।
- गायत्री ठाकुर "सक्षम" 
नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
सही बात है यह, अपनी क्षमताओं को पहचानने वाले आगे बढ़ते जाते हैं और जितना आगे बढ़ते जाते हैं,सफलता मिलती जाती है। अब यह बात अलग है कि हम अपनी क्षमता के बारे में क्या आकलन करते हैं? हनुमान जी 'अतुलित बल धामा,शैलाभदेहं..'पर विस्मृत है अपना बल,और जब याद दिलाया गया तो लांघ गए समुद्र को भी।लगभग ऐसा ही होता है सबके साथ।जब क्षमताओं का ज्ञान कराने वाला कोई मित्र, कोई गुरु मिलता है तो बस फिर आगे बढ़ने में कोई रुकावट नहीं होती।स्वामी दयानंद को विरजानंद,स्वामी विवेकानंद को रामकृष्ण परमहंस जैसे गुरु मिले दिशा और दशा दोनों ही बदल गयी,अपनी क्षमताओं का ज्ञान मिला और संसार भर को लाभान्वित किया। यह ज्ञान कब और कैसे मिल जाएं, सुनिश्चित नहीं। वैसे अपनी क्षमताओं का ज्ञान सबको होता है बस अधिकांशतः वह ज्ञान अवचेतन में रहता है, इसीलिए भूला रहता है।कभी कभी किसी परिस्थिति में ऐसा कार्य हम कर देते हैं जो हमने सीखा या जाना ही नहीं।ऐसा सवाल हल कर देते हैं जिसे कभी किया ही नहीं।यह हमारे अवचेतन में सृजित ज्ञान के कारण होता है। जिनका यह ज्ञान जाग्रत हो जाता है,क्षमताओं की पहचान हो जाती है,वह निश्चित ही अन्य लोगों से आगे निकल जाते हैं।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए उस कार्यक्षेत्र, विषय से संबंधित, योग्यता, जानकारी और क्षमता का होना बहुत जरूरी है। हमारा जीवन अपेक्षाओं से परिपूर्ण होता है जिन्हें पूरा करने के लिए लक्ष्य निर्धारित करना पड़ता है और उस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए सक्षमता अति आवश्यक है। इसके लिए सबसे जरूरी है अपने आप को समझाना, किसी कार्य के अनुरूप योग्यता को समझना अर्थात अमुक कार्य को करने की हमारी क्षमता है या नहीं यह जानना बहुत जरूरी है ,क्योंकि हर योग्यता का आधार क्षमता ही है। जीवन में आगे बढ़ने के लिए क्षमता बहुत जरूरी है, क्षमता को पहचानना बहुत जरूरी है। साधारण शब्दों में इसे आत्मनिरीक्षण, आत्मपरख या आत्म विश्लेषण भी कह सकते हैं। 
इतिहास में कुछ ऐसे भी उदाहरण हुए हैं, किसी दूसरे व्यक्ति की क्षमता की पहचान अन्य व्यक्ति के द्वारा की गई हो। 
ऐसी स्थिति में कोई शुभचिंतक/हितैषी बन कर मार्ग दर्शन करता है और जीवन उन्नति के मार्ग पर अग्रसर होता है। 
- शीला सिंह
 बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
        हां सोलह नहीं बल्कि अठारह आने सच है कि अपनी क्षमता को पहचानने वाले ही आगे बढ़ सकते हैं। चूंकि अपनी क्षमता को पहचानना ही आत्मनिर्भर कहलाता है और आत्मनिर्भरता वाले ही आगे बढ़ सकते हैं? जिनकी क्षमता के आगे असफलताएं घुटने टेकने पर विवश हो जाती हैं।
        कहते भी हैं कि ईश्वर उन्हीं की सहायता करता है जो अपनी सहायता स्वयं करते हैं। इसी के संदर्भ में किसी ने कहा हुआ है कि गिरते हैं वही मैदान-ए-जंग में जो घुड़सवार होते हैं। वह क्या गिरेगा जो घुटनों के बल चले?
        अर्थात कहने का तात्पर्य यही है कि अपनी क्षमता को पहचानों और सफलता प्राप्ति के लिए आगे बढ़ो। जैसे मैं दूसरों के कारण खोए अपने संवैधानिक मौलिक अधिकारों के लिए माननीय जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय में अपनी याचिका स्वयं (पिटिशनर इन पर्सन) दाखिल कर न्याय मांग रहा हूं और सफलता प्राप्ति की ओर अग्रसर हूं। 
        जिससे शत-प्रतिशत प्रमाणित होता है कि अपनी क्षमता को पहचानने वाले ही आगे बढ़ सकते हैं।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
किसी के लिए केवल अपनी क्षमता को पहचानना ही काफी नहीं होता है ।   पूर्ण लगन के साथ जब कोई व्यक्ति सही दिशा में परिश्रम करता रहता है तो अवश्य ही आगे बढ़ता है । ऐसे लोग जो अपनी प्रतिभा को निखारने हेतु सदैव प्रयत्नशील रहते हैं वे अपनी क्षमता से अधिक आगे बढ़कर इतिहास रच देते हैं ।
जैसे माउण्टेन मैन दशरथ माँझी, बछेन्द्री पाल, बबिता फोगाट, मेरीकॉम  आदि । इन सभी ने अपनी क्षमता को पहचान कर खूब मेहनत की और आज एक प्रेरक व्यक्तित्व के रूप में विश्व में पहचाने जाते हैं ।
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश
ईश्वर ने प्रत्येक व्यक्ति को क्षमता रूपी गुण प्रदान किया है परन्तु अपनी क्षमताओं से परिचय करना मनुष्य के मस्तिष्क का कार्य है। जो व्यक्ति अपनी सुप्त क्षमताओं को अपने मन-मस्तिष्क के प्रयोग से जागृत कर लेता है वह निश्चित रूप से उन्नति को प्राप्त करता है। 
समस्या यही है कि हम अपनी क्षमता को या तो जान-बूझकर अनदेखा कर देते हैं अथवा अनजानी समस्याओं से भयभीत होकर अपनी क्षमता का पूरा उपयोग नहीं करते हैं। 
मैं समझता हूं कि व्यक्ति को अपनी क्षमता को पहचानने के लिए अधिक श्रम नहीं करना पड़ता बल्कि समय-समय पर अन्तर्मन क्षमता के विषय में सूचित करता है। आवश्यकता केवल अपनी क्षमता को धरातल पर उतारने की है। 
इसीलिए कहता हूँ कि........ 
"अविरत कर्म करने का नाम है जिन्दगी। 
स्वयं की शक्ति की पहचान है जिन्दगी।। 
जीवन पथ समतल कहीं तीखी नोक है, 
वक्त पर क्षमता का इम्तिहान है जिन्दगी।।"
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
       खुद को साबित करने के लिए खुद की क्षमता पहचानना बहुत जरूरी है। जिस ने खुद को नहीं जाना,उस ने जीवन फलसफे को नहीं समझा। अपनी क्षमता पहचानने वाले ही आगे बढ़ सकते हैं। जब मनुष्य खुद के अंदर झांकता है तो नयीं ताकत मिलती है। अपनी कमियों को जानने का मौका मिलता है। 
           जब हम खुद के रूबरू होते हैं तब सही आंकलन होता है। हमें अपनी क्षमता का अहसास होता है। फिर जब हम तन मन से अपने लक्ष्य की ओर लग जाते हैं तो सफलता भी आवशय मिलती है और हम जीवन में आगे ही आगे बढ़ सकते हैं। खुद को पहचान,जानो और आगे बढ़ो।यही मूल मंत्र है। 
 - कैलाश ठाकुर 
नंगल टाउनशिप - पंजाब
आजकल दुनिया के हर व्यक्ति जीवन में आगे बढ़ने की योजना बना रहा है। कुछ इंसान होते हैं जो सफल हो पाते हैं ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वह अपनी क्षमताओं को सही तरह से मूल्यांकन कर लेते हैं। उनमें जो कमी होती है उसे पहचान कर दूर कर लेते हैं। अगर अपनी क्षमताओं को पहचानने में लक्ष्य प्राप्त करना चाहते हैं तो आप विफल हो सकते हैं।आपको क्षमताओं के अनुरूप अपना लक्ष्य तैयार करना चाहिए।हालाकि लगातार क्षमता बढ़ाने की कोशिश करना भी चाहिए।
लेखक का विचार:--- अनुभवों से सीखने की कोशिश;---- अपने जीवन से लगातार सीखते हैं अगर आपने अपनी गलतियां से ही सीखाना बंद कर दिया तो आप बार-बार गलत निर्णय लेंगे। अगर आप गलतियों को अनुभवों का नाम देते हैं तो एक बार अपनी क्षमताओं को ठीक कर तरह से पहचान सकते हैं। मैं एक कहावत का वर्णन करता हूं:--मूर्ख आदमी गलतियों से कोई सबक नहीं लेता है समझदार अपनी गलतियों से सबक लेता है और बुद्धिमान दूसरों की गलतियों से सबक लेता है। अतः क्षमता बढ़ाने के लिए दूसरे के  गलतियों से सबक लेकर आगे बढ़े।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखंड
कुछ गुजर जाने की इच्छा हो परंतु से समझ नहीं आता कि क्या करें और कैसे करें जिससे उन्हें मनचाही सफलता प्राप्त हो सके।अधिकांश लोगों की सफलता का रहस्य इसमें नहीं छिपा होता है कि वह क्या काम करते हैं बल्कि वह अपने काम को किस प्रकार करते हैं। कुछ ऐसी बातें हैं जो आपको जीवन में सफलता के लिए जरूरी है। व्यक्ति को अपनी असीम शक्तियों को पहचानने की क्षमता होनी चाहिए अपना महत्व समझे। अपना दायित्व संभालो उचित लक्ष्य का चयन अपने शत्रुओं को पहचानो। साधारण बाधाओं के चंगुल से बचे। सशक्त विचारों का लाभ मिले इसका प्रयास जारी रखना चाहिए। अपने व्यवहार को सुधारो। कुछ भी बोलने से पहले तोलो फिर बोलो। हमेशा सतर्क और सचेत रहो। बुरे वक्त को भूल जाओ। मानवीय गुणों का महत्व समझो। सफलता को बनाए रखने के लिए लगातार प्रयास करते रहो। दिमाग कि हमारे शरीर में कितनी आयत है यह बताने की जरूरत नहीं है। शरीर की हर क्रिया का संचालन दिमाग के बिना संभव नहीं है। दिमाग से कमजोर व्यक्ति समाज में काफी उपेक्षित होता है इसलिए हर कोई अपने दिमाग की क्षमता बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास करते रहना चाहिए।हमारे रोजमर्रा जीवन की बहुत सी आदतें ऐसी होती है जो हमारे दिमाग की क्षमता पर असर डालती है। अगर हम समय रहते उन आदतों को बदलने तो हमारा दिमाग और बेहतर तरीके से काम कर सकता है। हम लोगों में से अधिकांश लोग यह सोचते कि हमारी स्मृति स्थिर और अपरिवर्तनीय। लेकिन ऐसा नहीं है। कुछ तकलीफ हो के जरिए अपनी याददाश्त और मस्तिष्क के काम की छमता में जबरदस्त इजाफा हो सकता है।24 घंटे के भीतर हम इंसान के सोचने इस दुनिया में चीजों को महसूस करने और समझने के तरीके को पूरी तरह से बदल सकते हैं। यह बिल्कुल सही बात है की अपनी क्षमता को बचाने वाले लोग ही आगे बढ़ सकते हैं।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
झारखंड - जमशेदपुर
ज्यादातर लोग अपनी क्षमता को पहचान कर ही आगे बढ़ते हैं कि मैं ये कार्य कर सकता हूँ। जैसे कोई तैरना जानता है तभी वह नदी पार कर सकता है और वही नदी पार करने की कोशिश भी करेगा। जो नहीं तैरना जानता है वो नदी पार करने के लिए आगे बढ़ेगा ही नहीं। इस तरह से अपनी क्षमता को पहचानने वाला ही आगे बढ़ सकता है। जिसके पैरों में दर्द होगा वो दौड़ प्रतियोगिता में भाग ही नहीं लेगा। क्योंकि वह जानता है कि उसके पैरों में दर्द है और वह दौड़ नहीं पायेगा। इससे साफ जाहिर होता है कि जो अपनी क्षमता को जानता है वही आगे बढ़ सकता है।
       कभी-कभी कुछ लोग उत्साह में आकर भी आगे बढ़ जाते हैं। कुछ लोग लोगों की प्रेरणा पाकर भी आगे बढ़ जाते हैं। कुछ लोग दूसरों के द्वारा अपनी शक्ति याद दिलाने पर जोश में आगे बढ़ जाते हैं। जैसे रामायण में हनुमानजी जामवंत जी के द्वारा उनकी शक्ति याद दिलाने पर वो समुन्द्र पार कर गए थे।
         जिसके अंदर ये बात आ जायेगी कि मैं ये काम कर सकता हूँ वो आगे बढ़ सकते हैं।
- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" 
कलकत्ता - पं. बंगाल
अपनी क्षमता व्यक्ति खुद ही पहचान सकता है। उसके अनुसार काम कर सकने की हिम्मत भी उसे खुद ही करनी पड़ती है। इसलिए विकासशील बनने के लिए क्षमता का मुल्यांकन जरूरी है। 
  क्षमता के साथ रुचि भी जरूरी है। रुचि के साथ किया हुआ काम ज्यादा दूर तक ले जाता है। व्यक्ति के कदम आगे बढ़ते जाते हैं।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
आज की चर्चा में जहां तक कि यह प्रश्न है कि क्या अपनी क्षमताओं को पहचानने वाले ही आगे बढ़ सकते तो इस पर मैं कहना चाहूंगा कि हां यह बात बिल्कुल सही है कि अपनी क्षमताओं को पहचान कर उनके अनुरूप अनुशासित तरीके से मेहनत करके उन्नति के मार्ग पर आगे बढ़ने वह वाला व्यक्ति ही अपनी उन्नति का मार्ग प्रशस्त कर सकता है वास्तव में आत्म मूल्यांकन बहुत आवश्यक है परंतु यह कोई आसान काम नहीं है इसके लिए व्यक्ति को पूरी तरह से ईमानदार होना पड़ता है मूल्यांकन करते वक्त अपना मूल्यांकन करना तो और भी कठिन कार्य है और यदि कोई ऐसा कर पाता है और अपनी कमियों को दूर करने का साहस रखता है और योग्यता भी तब उसे आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता यह भी एक निर्विवाद सत्य है जिसे भुलाया नहीं जा सकता़.
- प्रमोद कुमार प्रेम 
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
अधिकांशतः यह बात ठीक है कि अपनी क्षमताओं को पहचानने वाले ही आगे बढ़ते हैं क्योंकि क्षमता की स्थिति यों यथा-- रुचि, योग्यता और कार्य कुशलता  के आधार पर ही हम अपने लक्ष्य की दिशा में बढ़ने के साथ-साथ सफल होंगे। इसके लिए जो दिशा हमने आगे बढ़ने की तय की है उसके लिए धैर्य निरंतरता को बनाए रखना जरूरी होगा। साधन भी जुटाने होंगे। तन- मन के सहयोग के साथ- साथ कार्य- दिशा में आगे बढ़ते समय उसमें आने वाली चुनौतियां फेस करने के लिए सकारात्मक सोच भी जरूरी है; यही तो हमारी क्षमता का सफल मूल्यांकन है। तभी हम आगे बढ़ पाएंगे।
   इसीलिए किसी ने कहा भी है कि--
" बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताए
 काम बिगाड़े आपनो जग में होत हसाए।"
- डाॅ. रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
सिर्फ अपनी क्षमता को पहचानने वाले ही नहीं बल्कि अपनी क्षमता को पहचान कर उसके अनुरूप कार्य करने वाले ही जीवन में आगे बढ़ सकते हैं। इसके अतिरिक्त दूसरों के अनुभवों से सीख लेकर कार्य करने वाले भी आगे बढ़ सकते हैं।
- सुदर्शन खन्ना 
दिल्ली 
सच जो अपनी क्षमता पहचान कर आगे बढ़ते हैं वही जीवन में सफलता पाते है l क्षमता से तात्पर्य जबरदस्ती शारीरिक बल आदि का उपयोग से नहीं, विकास और नवाचार के क्षेत्र में आगे बढ़ने से है l अपनी योग्यतानुसार अभिवृद्धि करने से है l जब हमारे अंतःस्थ में कुछ कर गुजरने की शक्ति का जज़्बाउतपन्न होगा और रूचि जागृत होगी, हम अच्छा काम कर जायेंगे और सफलता हमारे कदम चूमेगी l
सकारात्मक सोच और विश्वास के साथ आगे बढिये l पहल तो कीजिये l जब इंसान कुछ सोच लेता है, ठान लेता है तो समुन्दर को भी रास्ता देना पड़ता है l
       चलते चलते ----
खम ठोक ठेलता है जब नर
पर्वत के जाते पाँव उखड़ l
     - डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
"हवाओं के भरोसे मत उड़, 
चट्टानें तुफानों का भी रूख मोड़ देती हैं, 
अपने पंखों पर भरोसा रख 
हवाओं के भरोसे तो पतंगें उड़ा करती हैं"। 
यह बिल्कुल सच है कि इंसान को अपने में भरेसा होना चाहिए फिर न मुमकिन भी मुमकिन बन जाता है, हर इंसान आगे बढ़ना चाहता है लेकिन जब तक उसको अपने पर भरोसा नहीं हो कि वो किसी कार्य को करने में सक्ष्म है तो तब तक कामयाबी उसके हाथ नहीं लग सकती, 
तो आईये आज इसी बात पर चर्चा कपते हैं  कि क्या क्षमता को पहचानने वाले ही आगे बढ़ सकते हैं? 
यह तो शत प्रतिशत सच है कि जब तक हम अपनी क्षमता को सही पहचान पांएगे हम एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकते, 
हर आदमी एक लक्ष्य  अपना कर ही आगे बढ़ सकता है  क्योंकी उसके मन में यह धारणा होती है क् मैंने यह कार्य करना है और करके ही रहुंगा क्योंकी वो उस का्र्य को करने की क्षमता रखता है और उसे पूरा करने के लिए किसी हद तक भी जा सकता है, 
सच कहा है, 
"मन के हारे हार है मन के जीते जीत पार व्रह्म को पाईए ं मन की ही प्रतीत"। 
जब हमारे मन ने यह बात ठान ली हो कि उक्त कार्य को करना ही है चाहे कुछ भी हे जाए फिर कोई भी दूनिया की ताकत आपको पीछे नहीं कर सकती, 
देखा जाए तो हर काम को हाथ में लेने से पहले यह जानना जरूरी हो  जाता है कि क्या में उक्त काम को समय पर पूरा कर सकुंगा या नहीं यानी अपनी क्षमता को जानना जरूरी हो जाता है तब जाकर वो कार्य सिरे चढ़ सकता है, 
अगर हमारे में क्षमता ही नहीं है कुछ कर दिखाने की और हम सिर्फ हवाई किले बनाते रहें तो हम वद से वदतर होते जाएंगे हम कार्य को कभी भी पूरा नहीं कर पांयेंग 
इंसान को तो आगे बढ़ने का जुनून होना चाहिए मंजिल खुद वखुद ही मिल जाऐगी तब यह नहीं देखना है कि कितनी रूकाबटें हमें रोक रही हैं, जो बीर होते हैं जिन्हें अपने पर फक्र होता है वो कभी पी़छे नहीं हटते क्योंकी उनको अपने पर अटल विश्वास होता है, 
सच कहा है, 
वीर तुम बढ़े चलो धीर तुम बढ़े चलो सामने पहाड़ हो सिहं की दहाड़ हो तुम निडर डरो नहीं  तुम निडर डटो वहीं
कहने का मतलब हमारी क्षमता को कोई भी आंधी तुफान पीछे नहीं कर सकता सिर्फ हमारा लक्ष्य व भावना सच्ची होनी चाहिए, 
आखिर मे यही कहुंगा कि जो भी आज तक आगे बढ़ा है उसने अपनी क्षमता को अजमाया है और लक्ष्य को पाने के जुनून से अपने आप को जीता है और जो कार्य को देख कर ही डर गया समझो वो मर गया इसलिए आगे  बढ़ने के लिए हरेक को अपनी क्षमता को  वरकरार रखना चाहिए तभी मंजिल मिल सकेगी वरना बिना अपने आप को जाने व  अपनी क्षमता को पहचाने कुछ भी हाथ नहीं आता, 
सच कहा है, 
ख्वाहिसों से नहीं मिलते महज फूल झोली में, 
कर्म की शाखा को हिलाना होगा, 
अंधेरे को कोसने से पहले अपने हिस्से का दिया खुद को जलाना होगा। 
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
यह काफी  हद्द तक सही है किंतु व्यक्ति को पहले अपने आपको पहचानना होगा कि उसकी क्या कमियां है क्या खूबियां है ! अपनी कमियों को दूर कर अच्छाइयों को सामने ला वह अपना लक्ष्य निर्धारित कर सकता है ! सकारात्मक सोच के साथ अपने आप को महत्व देना चाहिए ! जीवन में हमारी अनेक इच्छायें , आकांक्षायें , अपेक्षायें होती हैं जिसे प्राप्त करने के लिए हम लक्ष्य निर्धारित करते हैं और पूरी मेहनत ,जोश और विश्वास के साथ जुट जाते हैं तो सफलता अवश्य मिलती है !
कभी कभी हमें अपनी क्षमताओं पर संदेह भी होता है दूसरे की सफलता देख अपनी योग्यता पर विश्वास नहीं होता ऐसे समय में हमें खुद को महत्व देते हुए  अपने आत्म विश्वास को बढा़वा देना चाहिए... मैं कर सकता हूं ऐसी सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ना चाहिये ! ऐसे में दूसरों की मदद भी ले सकते हैं ! बस हमें अपनी अंदर की शक्ति के साथ अपने आप को पहचानने की ताकत रखनी चाहिए ! 
अपनी क्षमता को पहचानने वाले मेहनत और विश्वास के साथ अवश्य आगे बढ़ते हैं !
                 - चंद्रिका व्यास
                 मुंबई - महाराष्ट्र
यह सत्य है कि हर मनुष्य की शारीरिक और मानसिक क्षमतायें अलग - अलग होती हैं । उसी के अनुसार  हर इंसान  अपना लक्ष्य निर्धारण करता है और सफल होता है ।हम देखते हैं कि हर क्षेत्र में प्रवीण लोग हैं । यह उनके क्षमताओं के मुल्याकंन का ही नतीजा है । साथ ही वे अपनी क्षमता को और बढ़ाने के लिए अपनी मेहनत ,समय और पैसा सब खर्च करते हैं ।
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
              जीवन में हर मनुष्य आगे बढ़ने की चाहत या भावना रखता है और इसी चाहत या भावना के कारण मानव का विकास हुआ है। मानव ने अपने विकास के कई सोपान तय किए हैं लेकिन इस विकास में जिस चीज की सर्वाधिक आवश्यकता महसूस  होती है वह है अपनी क्षमता के बारे में अवगत रहना ।यदि व्यक्ति अपनी क्षमता को बिना पहचाने कोई कदम उठाता है तो उसे कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। क्षमता का अर्थ है- सामर्थ्य से अर्थात कुछ करने की योग्यता या सीमा ।हर व्यक्ति की अपनी मानसिक या शारीरिक शक्ति होती है जिसके आधार पर वह कोई काम करने का प्रयास करता है तथा उसमें समर्थ होता है। उदाहरण के लिए- यदि कोई व्यक्ति की क्षमता पांच  किलोमीटर चलने की है और वह अपनी क्षमता को पहचाने बिना उससे अधिक चलने का प्रयास करता है तो ऐसी स्थिति में अच्छे परिणाम आने की संभावना कम रहती है ।हर मनुष्य को आगे बढ़ने के लिए अपनी क्षमता अर्थात अपने सामर्थ्य का ज्ञान अवश्य होना चाहिए यदि वह अपनी मानसिक या शारीरिक क्षमता को पहचान कर कार्य करेगा तो निश्चय ही वह अपने जीवन में सफलता को उपलब्ध होगा।
- डॉ अरविंद श्रीवास्तव 'असीम'
 दतिया - मध्य प्रदेश
खुद को साबित करने के लिए स्वयं को जानना जरूरी है ।
जिसने स्वयं को नहीं जाना उसने जीवन के फलसफे को नहीं जाना।
 जब व्यक्ति खुद के अंदर झांकता है तब उसे नई ताकत मिलती है।
 वह परिष्कृत होता है तो प्रतिभा में निखार आता है ।
स्वयं को जानना एक अभ्यास है, अपनी कमियों को दूर करने का और अपनी अच्छाइयों को आगे कर जीवन के लक्ष्य को पाने का।
 इसीलिए हमें स्वयं को हर हाल में पहचानना होगा।
 अपनी क्षमता को पहचानने के लिए निश्चित ही स्वयं को जानना होगा ।
बिना अपनी क्षमता को पहचाने आगे बढ़ना मुश्किल होता है।
 तीन तरह के ,सेल्फ,हैं जो व्यक्ति को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं, आत्म जागरूकता ,आत्मविश्वास और आत्म बल ।
स्वयं के महत्व को समझने और जानने के बाद ही अपनी पहचान बन सकेगी ।
स्वयम को जानने से सफलता निश्चित तौर पर मिलेगी। जिसने खुद को  नहीं पहचाना उसने अपनी क्षमता को नहीं जाना।
 अपनी क्षमताओं को साबित करने के लिए स्वयं को पहचानना बहुत जरूरी है  और यही सफलता का मार्ग प्रशस्त करेगा।
-  सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
यह सच है कि अपनी क्षमता को पहचानने वाले ही आगे बढ़ सकते हैं ,साथ ही यह भी और भी बड़ा सच है कि अपनी क्षमता को बढ़ाया भी जा सकता है। 
   सक्रियता, अनुभव, ज्ञान, लगन, धैर्य, मेहनत और मिलनसारिता से क्षमता का विस्तार संभव है। 
  अपनी क्षमता को लेकर जितने आशावान रहेंगे, सफल भी होते चलेंगे। यह क्षमता ही है जो साहस बनाए रखती है और ऊर्जावान किए रहती है और आगे बढ़ने का मार्ग भी प्रशस्त कर सफलता सुनिश्चित करती है। निराशा और हताशा से बचाती है। बौद्धिक रूप से परिपक्व कर तार्किक और दूरदर्शिता से परिपूर्ण करती है। यही क्षमता ही है जो उलझनों से निकलने और निपटने के लिए संयम बरतते हुए सुझाव और उपाय खोज लेती है। अतः अपनी क्षमता के प्रति सदैव आस्थावान और आशावान रहते हुए उत्साहित और संकल्पित रह सक्रिय रहना चाहिए ताकि निर्भीकता, सहजता और सरलता से लक्ष्य तक पहुंचने में हम सुनिश्चित  रहें।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवार - मध्यप्रदेश
यह शत प्रतिशत सत्य है, कि अपनी क्षमता को पहचानने वाले शख्स ही जीवन पथ पर आगे बढ़कर सफल हो सकते हैं । आइने में  खुद को देखकर आंकना जितना मधुर है,उतना ही प्रभावी है स्वयं की भीतरी योग्यताओं की पकड़।
ईश्वर ने सबको ही किसी न किसी विशेष क्षमता को देकर जमीन पर भेजा है। बस आवश्यकता है,उस सामर्थ्य को खंगालने की। हौसलों  से ही उड़ान संभव है।
संघर्ष करते हुए जो भी आगे बढ़कर यशस्वी हुए हैं, सभी क्षमतावान हैं, यह जगजाहिर है।
- डा.अंजु लता सिंह
दिल्ली
जी हां! व्यक्ति को अपनी पहचान होना अति आवश्यक है। हम औरों से कम स्वयं से ज्यादा उलझते हैं क्योंकि पता ही नहीं होता कि मैं क्या कर सकता हूँ, मेरी क्षमता कितनी है। प्रत्येक व्यक्ति की अपनी-अपनी क्षमता होती है। एक व्यक्ति को राई उठाने में भी मुश्किल आती है और दूसरा व्यक्ति पहाड़ को भी हिला देने की क्षमता रखता है। कोई व्यक्ति प्रबंधन बहुत अच्छा कर लेता है और कोई एकाउंट अच्छे से संभाल सकता है। कोई व्यक्ति की क्षमता होती है कि वह दिन में सिर्फ 6 घंटे ही काम कर सकता है और दूसरा 18 घंटे करने के बाद भी प्रसन्न चित्त रहता है।  कुछ व्यक्ति रात्रि में नौ बजे ही सो जाते हैं और कुछ बारह-एक बजे तक कार्य करके भी सूर्य उदय से पहले उठ जाते हैं। सभी की अपनी-अपनी क्षमता पर निर्भर करता है। जितनी चादर हो उतने ही पैर पसारने चाहिए। कभी भी किसी दूसरे की देखा- देखी अपने आत्मविश्वास में, अपने काम करने की क्षमता में, स्वयं का धैर्य नहीं खोना चाहिए। जब हमें अपनी क्षमता की पहचान हो जाती है और उसी के अनुसार कार्य करते हैं तब शांति भी भंग नहीं होती और सफलता भी हाथ  लगती है क्योंकि दुनिया में अपनी क्षमता पहचानने वाले ही आसमाँ की बुलंदियों को छूते हैं। 
- संतोष गर्ग
मोहाली - चंडीगढ़

" मेरी दृष्टि में " अपनी क्षमता की पहचान की शक्ति सभी में होनी चाहिए । परन्तु ऐसा होता नहीं है । जिस के कारण से अपनी क्षमता का सही उपयोग नहीं कर पाते हैं ।
- बीजेन्द्र जैमिनी 

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