वैलेंटाइन डे के अवसर पर कवि सम्मेलन
" वैलेंटाइन डे " के अवसर पर जैमिनी अकादमी द्वारा WhatsApp ग्रुप पर कवि सम्मेलन " गुलाब का फूल " विषय रखा गया है । जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के कवियों ने भाग लिया है । विषय अनुकूल कविता के कवियों को सम्मानित करने का निर्णय लिया है । सम्मान " वैलेंटाइन डे रत्न सम्मान - 2022 " रखा गया है । अतः रचना के साथ सम्मान : -
गुलाब का फूल
***********
मेरे हर लम्हे में तुम शामिल हो
वो हर चीज जो कभी तुमने अपने हाथों से छुआ था ,
वो कलम , डायरी , गुलाब का फूल
जो सूख तो गया है
पर तुम्हारी
छुवन के खुशबू से आज भी महकता है
वो हर याद रोज सिरहाने लेकर सोती हूँ
हर करवट तुम्हारे अहसास
को लेकर बदलती हूँ
बोलो ? क्या तुम्हें मैं याद आती हूँ।
- अनीता सिद्धि
पटना - बिहार
=============
गुलाब
*****
घिरा कांटो से
खुशबु बिखेरता।
कीचड़ को बना घर
हमारे घर को सजाता ।।
फूलों का बन राजा
गुलाब कहलाता।
शहीदों पर चढ़ा खुद को
यादगार बनाता।।
बात हो प्रेम की या हो
रूठने मनाने की।
अहम भूमिका निभाता।।
जीवन में जो हो मुश्किलें
या सफलता का देना हो
सुत्र।
एक खुशनुमा उदाहरण
हो जाता।।
- ज्योति वधवा "रंजना "
बीकानेर - राजस्थान
===============
सुखे गुलाब
********
साठ साल पार के
लोगों की किताबें
जब भी खंगाली जाएंगी
हर किताब में एक नई कहानी
दोहराई जाएगी
हर किताब से मिलेंगे कुछ सुखे फूल
कुछ पन्ने मिलेंगे कोनों से मुड़े हुए
शायरी के अंदाज में लिखे कुछ शब्द
जिन्हें देख उनके चेहरे खिल जाएँगे
हर फूल की अपनी दास्तान होगी
कुछ फूल तोड़े होंगे डाली से
माशूका को देने के लिए
अकेले वो मिली नहीं होगी
सामने देने की हिम्मत नहीं होगी
वो वापिस अपनी ही किताब में सहेजे होंगे
कुछ फूल माशूका तक पहुँचे होंगे
पर वो यादों तक ही सीमित होंगे
फूल रखा होगा किताब में
याद में चुपके से आँसू बहाए होंगे
किसी को याद में किताब के पन्नों को
बार बार बेतहाशा मोड़ा होगा
प्यार के इजहार के कुछ शब्द
लिखे होगें पन्नों पर
ना मिल पाने की मजबूरी भी
सिमट कर रह गई होगी शब्दों तक
कुछ शायर बन गए होगें
कुछ रह गए होंगे दीवाने बनकर
- नीलम नारंग
हिसार - हरियाणा
====================
गुलाब का फूल
***********
गुलाब का फूल हूं मैं
डाली पे खिला हूं यदि
तो महत्व मेरा दुगना है
टूटा तो पैरों की धूल हूं ।
कांटे भी होते बडे नुकीले
उगते ये धरा पे पथरीले
झाड़ कोई बडा नहीं होता
बिखेरे रंग कई भड़कीले ।।
हफते भर ये खिला रहता
भगवन चरणों को तरसता
प्रेमिका के जूडे को मचलता
नेहरुअचकनकहां
कहता
- सुरेन्द्र मिन्हास
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
=====================
गुलाब का फूल
***********
ईश पर अर्पित हो महातम पाये,
इश्क-विश्क में भी प्रथम आये।
प्रेमी-प्रेमिका का पसंदीदा फूल,
बनता उपहार गुलाब का फूल।
खिला रहे तब पाता प्रसिद्धि,
मुरझा कर भी काम आता।
सूखे फूलों का अर्क है बनता,
गुलाब जल से ठंडक मिलता।
तपते गृष्म ऋतु में भी खिलता,
हृदय को प्रफुल्लित कर देता।
बिखरा पंखुड़ी भी है सुगंधित,
वातावरण रहता है आनंदित।
विपत्ति में संघर्ष करो सिखाये,
कांटों में भी खिले रहो बताये।
सुगंध बिखरा महकाये गुलशन,
सजता गुलाब के फूल से चमन।
- सुनीता रानी राठौर
ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
===============
गुलाब
*****
मेरे बगीचे के सुंदर गुलाब
प्रतिदिन करता हैं,
मुझसे एक सवाल
लिखती-पढ़ती तो
खूब हो तुम...,
क्या आज तक हुआ
कभी तुम्हें..?
मेरे अंगों को चुभते हुए
इन काँटों का भी एहसास...!!,
मैं मुस्कुरा कर अपना चेहरा
उसकी तरफ घुमायी।
और फिर अपनी तर्जनी को
उन काँटों से स्पर्श करायी।
बह निकला रक्त की
कुछ बूँदे दो-चार...,
लेकिन,
खरोंचो से डरकर
गुलाब टूटने से बच गया।
फिर समझ आया,
उस गुलाब को कि वह कैसे
इन काँटों से ही महफूज़ हो
खुद को सुरक्षित रख पाया।।
- डाॅ.क्षमा सिसोदिया
उज्जैन - मध्यप्रदेश
=============================
ये गुलाब
*******
ये गुलाब!
रखूँगी अपने
बिस्तर के साथ लगी
छोटी मेज पर
पानी से भरे
काँच के ग्लास में,
आते-जाते
दिखता रहे मुझे,
सूखने लगेगा जब
तब रख लूँगी
अपनी डायरी के
पन्नों के बीच...!
जानती हूँ
दूरियाँ बहुत
दुख देती है,
पर प्रेम की ये
छोटी-छोटी स्मृतियाँ
उस दुख को भी
हर लेती हैं
ले आती हैं मुस्कान
उन अधरों पर
जो तुमसे दूर होने पर
हँसना भूल गए हैं।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून - उत्तराखंड
==============
गुलाब के फूल
**********
प्रेम गुन का प्रतीक हूँ,कहते मुझे गुलाब।
मुझसा पाकर तोहफा,खिले जैसे शबाब।
भाँति भाँति के रूप हैं, चमन में कई रंग।
राजा सी मेरी अदा ,शोभे अचकन संग।
फूलों का राजा धरा,लाजवाब हूँ फूल।
सदैव ही हँसता रहूँ,संगी चाहे शूल।
मंदिर में चढ़ता रहूँ,जाता अर्थी साथ।
पंखुड़ियाँ हैं काम के,कोमल मेरी गात।
ख़ुशबू फैलाता सदा,चाहें दिन हो रात।
प्रेमियों की चाहत बनूँ,ऐसा मैं सौग़ात।
खिल कर मुरझाना नियति,होता नहीं उदास।
ख़ुशियाँ मिलती बाँट कर,गुलाब हूँ मैं ख़ास।
- सविता गुप्ता
राँची - झारखंड
================
गुलाब का फूल
***********
फूलों की घाटी में आशियाना हमारा है
फूलों की सुन्दरता का दीवाना जगत सारा है
पुष्पों की पवित्रता का कद्रदान जगत प्यारा है
फूलों की सुन्दरता का दीवाना जगत सारा है।
कभी पुष्प महकते हैं
कभी पुष्प सिसकते हैं
होठों पर जो बैठ जाएं
तो पुष्प दहकते हैं
पुष्पों की कोमलता का अहसास दुलारा है
फूलों की सुन्दरता का दीवाना जगत सारा है।
पुष्पों में है नजाकत
पुष्पों में है नजाफत
फूलों संग कांटे भी रहते
जिंदगी की यही हकीकत
पुष्पों सम सम्मानित जीवन सपना हमारा है
फूलों की सुन्दरता का दीवाना जगत सारा है।
पुष्पों की पवित्रता का कद्रदान जगत सारा है
फूलों की सुन्दरता का दीवाना जगत सारा है।
- प्रो डॉ दिवाकर दिनेश गौड़
गोधरा - गुजरात
====================
मेरे आंगन के गुलाब
***************
बसन्त फिर लौटा मेरे आँगन
खिलें गुलाब मेरी वाटिका में
प्यार भरे मौसम में
जब से खिले हैं...........
झकोरों से झाँकते से लगते ....
अँखिया ठहर जाती तुम पर ..
कुछ कहते से लगते हो ,
तुम्हारी खुशबु महकाती तन ,मन
आंगन में धूप से खिले हो तुम ,
न जाने क्यों तुम्हारे मौन की
गहनता में प्रणय के भाव से...
प्रतीक्षा में भी मिलन की चाह सी ..
अतृप्ति में तृप्ति का बोध सा ..
निशा में खोले पलक
भोर सी ...हर पल हर क्षण,
प्रणय मुखर सा ..
मुझमें खुद को ,या खुद को
मुझमें देखते हो ..
फिर भी दूरियाँ परस्पर ..
धरती ,आकाश सी ..
बसे एक दुजे में ..
तुम सुमन ,मैं सुगंध सी..
कृष्ण में राधा सी .......।
- बबिता कंसल
दिल्ली
============
गुलाबों को महकता देखो
********************
गमों को अलविदा करके तो देखो
अस्ताचल नहीं उदय होता सूरज देखो
कुमुदिनी को रात में खिलता देखो ।
बेला और गुलाबों को महकता देखो।
अरूणोदय की लालिमा फिसलते देखो।
बर्फ आच्छादित पहाड़ों पर हीरे सी चमकती किरणें देखो।
आजद परिंदों सा जीकर तो देखो
खुद खुद रहकर देखो अलमस्त हवाओं में सांसे भर कर देखो
खुद के लिएसांस लेकर तो देखो
औरो के लिए कियाखुद के लिए कर देखो
समय है ! थोड़ा सा खर्च करके देखो
खुश हो तो हँस कर देखो
एक दिन के लिए बच्चा बनकर देखो
भूल जाओ क्या हो आपने नाम को जिंदा करके तो देखो
एक दिन के लिए सहीअपना ख्याल रखकर देखो।
अपनी परवाह करके तो देखोशीशा भी गवाही देगा
जरा गौर से देखकर तो देखो।
खूबसूरत हसरतों को मुकम्मल करके तो देखो।
- अर्विना गहलोत
प्रयागराज - उत्तर प्रदेश
=================
गुलाब का फूल
***********
गुलाब का फूल प्रेमियों का प्रतीक है।
दो प्रेमियों को एक दूसरे का,
इजहार करने का एक रीत है।
खुशबू सेआकर्षित हो मन तरंगित है।
फूल की सुंदरता में खुशबू चार चांद,
अरु वातावरण मदहोश बना देता है।
गुलाब फूल सदियों से खिल रहा है।
प्रदूषण वातावरण से प्रकृति ह्रास ,
पंखुड़ियों की सुंदरता मन हर लेता है।
डालियों में गुलाब की रौनता बढती
है।
प्रेमियों की हाथों में गुलाब सजती है।
गुलाब की छवि सबकोअच्छी लगती है।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
======================
गुलाब का फूल
***********
सुखद भोर होते ही-
बगिया में घूमूं,
मखमली वसुधा को-
हाथों से चूमूं.
पीत,श्वेत,लाल वर्णी-
महकें गुलाब कई,
हौले-हौले जाकर मैं-
उन सब को छू लूं.
'गुलाब का फूल' ही-
भाता है मुझको,
कांटो में मुस्काता-
कैसे यह भूलूँ .
कर्म करो अच्छे सब-
भूल जाओ फल,
देता संदेश यह-
कष्टों में पल.
गुलकंद खा लो-
पीलो गुलाब जल,
कीट-पतंग इन पर-
जाते मचल.
चाचा की शेरवानी-
शोभित है इससे,
गूंथे जाते हैं-
प्रेमियों के किस्से.
खुद को महकाओ-
सुयश फैलाओ,
बनकर गुलाब तुम-
सब पर छा जाओ.
- डॉ अंजु लता सिंह गहलौत
दिल्ली
==================
गुलाब
*****
सदा मुस्कुराता
महफिल सजाता
कभी बनता सजावट
कभी बनता इबादत
कांटो में खिलता
इठलाता इतराता
है राजसी शान
है अद्भुत मान
है सबका दुलारा
आंखों का तारा
गजब है शबाब
यह है गुलाब
- नंदिता बाली
सोलन - हिमाचल प्रदेश
==================
गुलाब
*****
गुलाब,
है जो अपने अंतिम पड़ाव में
ज़रा सी छुअन से,
न जाने.. कब बिखर जाए
हो कर पत्ती- पत्ती..।
वह भी -पास रखता है अपने
अधखिली सी अनेक कलियाँ..
शायद ..नहीं खोना चाहता
किसी मानव की भाँति,
अपना अस्तित्व .. ।
छोड़ना चाहता है वह..
धरा पर
अपनी कई निशानियाँ..।।
- संतोष गर्ग
मोहाली - पंजाब
========================
गुलाब का फूल
***********
मैं हूँ फूल गुलाब का,
भाषा प्यार की जानूँ।
झूमूं स्वर लहरों में,
गीत प्रीत के गा लूॅं।
कांटों संग संग रहता,
शान्ति शक्ति मन ठानूॅं।
सौहार्द हो सबके प्रति,
क्रोध को वश में पालूॅं।
सजकर सुन्दर बालों में,
रूप सौंदर्यऔर बढ़ा लूॅं।
कभी बन जाता गलमाल,
श्री चरणों में शोभा पाऊं।
मैं ही हूँ प्रतीक प्रेम का,
प्रेमी का मन बहलाऊँ।
दुख में अर्पण होकर,
सिजदों में पूजा जाऊँ।
भिन्न भिन्न रंगों से रंग कर,
भिन्न भाव पहचान बनाऊॅं।
सब रंगों को बान्ध एक नाम,
मैं तो केवल गुलाब कहाऊं।
- शीला सिंह
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
===================
गुलाब तेरी खुशबू
**************
जिंदगी के हसीन लम्हे
गुलाब के फूल देखकर
याद आ जाते हैं दिल खिल जाते हैं
गुलाब तेरी खुशबू
सबको कर देती है मदहोश
कांटो के बीच तुम खिलती
मन सबका मोह लेती
तेरे रंग है अनेक
बिन तेरे गुलदस्ता है फीके
बालों में लगने पर सुंदरता बढ़ा देती
कोट में लग जाने पर व्यक्तित्व निखर जाती
प्यार की इजहार हो गुलाब तुम
इश्क का पैगाम हो गुलाब तुम
कुश्ती का नजराना हो गुलाब तुम
चाचा नेहरू और गुलाब का दोस्ताना है अंदाज तुम
अभी तो कहलाती हो
तू फूलों का राजा
कांटो के बीच पलकर खिलती हो
खुशबू से मदहोश कर देती हो
कल ही हो या खिलती गुलाब
सभी के दिलों की नाज
व्यापार की दुनिया की तू सरताज
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
===================
गुलाब का फूल
***********
चाचा नेहरू को था ,
अति प्यारा लाल गुलाब।
सुन्दर हर रंग में दिखता है गुलाब।।
कभी सजता बालो में यह गुलाब।।
पूजा हो,
या श्रद्धा सुमन, सब में चढ़ता है गुलाब ।
कितना नसीब वाला यह गुलाब क्यूँकि आज के दिन होता यह गुलाब दिवस के नाम से प्रख्यात।
खिलना , बिखरना इसकी नियती।
पर आज के दिन
यह गुलाब खूब है बिकती।
रोज डे जो कहलाता ,
यह सोच -सोच
गुलाब भी है इठलाता।।
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार
=====================
गुलाब का फूल
************
हे गुलाब तू सबको प्यारा।
जग में है रुतबा तेरा न्यारा।।
विविध रंग के रूप तुम्हारे।
हर इजहार में साथ हमारे ।।
गुलाबी गहरी यह रंगत ।
सुदामा कृष्ण सी संगत ।
चटक तेरा लाल सा यहरंग।
प्रेम अनुभूतियों के संग ।।
किसी मंदिर के जागरण में ।
पहुंचता देवों की शरण में ।।
कहीं अहमन्यता के साथ ।
मृत आत्माओं से करते बात ।।
हे गुलाब फिर भी तू नायाब
- डॉ.रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
======================
गुलाब का फूल
***********
कांटो से घिरे होकर भी
मुस्कुराता है ये गुलाब
हर हाथों को अपनी खुशबू से
कर देता है लाजवाब
हर फूलों पर होती है
सभी की आस्था
पर हर मंदिर की बंदगी पर निखरता है यह गुलाब !
कांटों संग रहकर भी
मैं सबके दिल का राजा हूं
प्रेम का प्रतीक बनाये है मुझको
जब वेलेन्टाइन डे आता है!
कभी प्यार का तोहफ़ा बन जाता
कभी स्त्री के जुड़े की शोभा
कभी दूल्हे की गाड़ी सजाता
कभी अमर शहीदों की शैय्या!
खिलकर तो मैं खुश करता हूं
सुखकर भी काम आता हूं
कांटों संग रहकर भी खुश रहना
मानव को सुख-दुख संग
जीने का बोध कराता हूं!
- चंद्रिका व्यास
मुंबई - महाराष्ट्र
=======================
कूका प्रेम गुलाब
************
साथ सजना का मिला जब , प्रेम मन में है खिले।
गीत अधरों पे सजे अब , तार सुर के हैं मिले।।
रंग सभी अब जीवन के , चमन को महका रहे ।
गुलाब , गेंदा , कुमुद ,
फूल , फाग बन दहका रहे।।
साम गीतों की तरह तुम , धड़कनों के हो गए।
शंख ध्वनियों की तरह प्रिय ,गगन के गुंजन हो गए।।
राग से अनुराग की नव , साधना होने लगी ।
कृष्ण - राधा - सी उमंगें , साधिका होने लगी।।
- डॉ मंजु गुप्ता
मुंबई - महाराष्ट्र
==================
गुलाब का फूल
***********
रंग - बिरंगे फूल, अलग है सौरभ सबका।
खिलते काँटों संग, काज कैसा यह रब का।।
नयनों को दे तेज, फूल गुलाब जब खिलता।
होते भाग्य अनूप, ईश पद पंकज मिलता।।
सुरभित होते फूल, सदा ही हैं मुस्काते।
मन जाये सब भूल, गीत जब पुष्प सुनाते।।
खिल जाये मन मोर, बैठ उपवन के अन्दर।
कण-कण में रसधार, बहे मन प्रीत समन्दर।।
- सतेन्द्र शर्मा ' तरंग '
देहरादून - उत्तराखंड
=====================
गुलाब खिला दिल में
***************
पृथ्वी पर काटों,
के साथ लगा,
धीरे-धीरे उदय होता गया,
माली के साये में,
साथ-साथ,
जब कलियों में था,
बन गया आकर्षित,
जब खिला तो,
सूरज की रश्मियां,
तितलियों की चहक,
कोई भगवान को चढ़ायें,
कोई मालाओं में पिरोयें,
कोई अन्यों को पहनायें,
कोई दो दिलों को मिलायें
शनैः-शनैः महत्व बढ़ता गया,
फिर क्या था,
गुलाब का फूल,
अपने अपनों के साये में,
घमंडी हो गया,
जब घमंड टूटा,
तब मृतात्मा के सर पर था?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
बालाघाट - मध्यप्रदेश
=====================
गुलाब का फूल
***********
हाथों में अपने लिए,
फूल गुलाब का,
मैं उस पल को कोसता रहा,
प्रेम के प्रतीक पुष्प को,
लेकर नम आँखों से ,
अपनी निहारता रहा,
मन में वेग कई उठते गए,
कदम किस ओर बढ़ाऊं,
बस यही द्वंद चलता रहा,
प्रेम प्रसंग भी अपना,
अब रंग बदलता रहा,
याद कर कर उनको,
अश्कों से गुलाब भिगोता रहा,
तस्वीर प्रियतमा की आंखों में थी,
मन में राष्ट्रभक्ति का सैलाब,
अब उमड़ता ही रहा,
जीत न पाया जंग खुद से ही,
मैं दिल से हार गया,
सीना चौड़ा हुआ,
गर्व उन वीरों पर,
आँखें मूंद ली मैंने तब,
खुली तो ज्वाला थी,
देशभक्ति की अगन में,
गुलाब को प्रियतमा,
मैं उनकी शहादत पर झुलसा आया,
मौन श्रद्धासुमन बनाकर,
प्रेमपूर्ण आहूति भारत माता के,
सपूतों पर गुलाब चढ़ा आया।
- नरेश सिंह नयाल
देहरादून - उत्तराखंड
====================
सूखी पंखुड़ियाँ
************
भूली बिसरी उन गलियों में
चली वह मुझसे गलबहियाँ डाल
दूर कही उस झुरमुट में बैठी
यादें मेरी, सुन रही मेरी पदचाप
फूटे थे जब प्यार के अंकुर
सोलह सावन ही बीता था
गुलाब की उन पंखुड़ियों ने
मन को जैसे इत्र से सींचा था
मन सरिता बन बह चला
उन खाई खन्दक को लांघ
सपने संग डूबता उतराता रहता
दूर कहीं क्षितिज के पार
अब भी दबी पड़ी है अकेली
मन में मीठी कसक की तरह
वो गुलाब की सूखी पंखुडियाँ
छूकर देखती हूँ अक्सर जिसे
एहसास के गीले तल की तरह
गीले तल की तरह!!
- मधुलिका सिन्हा
कोलकाता - पं. बंगाल
=============================
कार्य अभी जारी है
Comments
Post a Comment