अध्यवसाय ( लघुकथा संग्रह ) : नूतन गर्ग
नूतन गर्ग का लघुकथा संग्रह " अध्यवसाय " में 88 लघुकथाओं को प्रकाशित किया गया है । लेखकीय उद्गार में बहुत कुछ जानकारी पढने को मिलीं है । जो सार्थक जीवन की परिभाषा से कम नहीं है । ऐसे इंसान ही साहित्यकार बनने के काबिल होते है । फिलहाल लघुकथा के साथ - साथ कविता , दोहा , चोका , घनाक्षरी , हाईकू , संस्मरण आदि लिखती है । साई बाबा की भक्त होने के कारण लेखन में आध्यात्मिकता आना स्वाभाविक है । अध्यवसाय पुस्तक की भूमिका आदरणीय उमाकांत भारती , सम्पादक : पलाश , भागलपुर - बिहार ने लिखी है । भारती जी लिखते हैं कि " इसे अणुबम भी कहा जा सकता है जो शक्तिशाली बिस्फोट तो करता है लेकिन यह विनाशकारी नहीं होता है बल्कि पाठक मन को सुप्त पड़ी मानवीय संवेदना को सजग कर देता है । " भारती जी का यह कथन लघुकथा के लिए बहुत ही सार्थक है । लघुकथा का क्षेत्र बहुत बड़ा तो नहीं है । परन्तु लघुकथा में गहराई छुपी होती है ।
आचार्य संजीव वर्मा ' सलिल ' , विश्ववाणी हिंदी संस्थान. जबलपुर - मध्यप्रदेश से पुस्तक के बारे में लिखते है कि " इन लघुकथाओं में आम आदमी की पक्षधरता. सहज दृष्टव्य है ।" यह कथन पुस्तक के लिए एकदम सटीक है । शुभकामनाएं में बीजेन्द्र जैमिनी , पानीपत - हरियाणा व सदानंद कवी , दिल्ली व नेहा राहुल शर्मा , दुबई शामिल है । सदानंद जी ने लिखा है कि " यह लेखिका का साहस ही तो है कि उन्होंने लघुकथा के कलेवर को लेकर अनेक प्रयोग किए है । " यह पुस्तक में देखने को मिलता है । आदरणीय मुदित गर्ग ने भावनाएं समर्पण में लिखा है कि " एक दिन किसी के लिए भी पहला कदम रखना बहुत भारी होता है । यदि उसको पूरा समर्थन मिल तो नईं दिशाएं और नए आयाम हासिल करना आसान हो जाता है । " यह सब एक किरण की उम्मीद अवश्य नज़र आती है ।
पुस्तक की 88 लघुकथाओं में से कई लघुकथाओं का शीर्षक कहावतों व मुहावरों पर आधारित है जैसे :- जितनी लंबी चादर उतरे पैर , आस्तीन का साँप , आ बैल मुझे मार , एक हाथ से ताली नहीं बजती , जिसकी लाठी उसकी भैंस , एक अनार सौ बीमार । लघुकथा "जिसकी लाठी उसकी भैंस " में राजा एक पात्र है जो जनता को ऐसे - ऐसे आदेश देता है । जो व्यवहारिक नहीं है । ऐसे किस्सों से इतिहास भरा पड़ा है । लेखिका ने इस में भी सीखं देने का प्रयास किया है । बहुत सी लघुकथाओं के शीर्षक आध्यात्मिकता पर आधारित हैं जैसे : - अंतरात्मा की आवाज , आशीर्वाद , कर्मो का फल , मन का सच , मै कौन हूँ ,मुझे पवित्र रहने दो , आत्ममंथन । मन का सच लघुकथा में मन के डर को दिखाया गया है । जिस को हर व्यक्ति को सामना करना पडता है यह जीवन की सच्चाई है ।
लघुकथा " सफेद बालों का हुनर " में पार्क की सैर की गपशप नज़र आती है । अपने - अपने अनुभव साझा करते हैं । जिससे हम टाईम पास भी कहं सकते है ।
पुस्तक की सभी लघुकथा अनुभव पर आधारित है । भाषा स्पष्ट है । कुछ लघुकथाएं समाज को आईना दिखाती है कुछ समाज का प्रतिनिधित्व करती है तो कहीं नये - नये आयाम देखने को मिलते हैं । पुस्तक शुरू से अन्त तक पाठकों को बाधें रखने में सफल है । लेखिका साधुवाद के पात्र है ।
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