बीजेन्द्र जैमिनी द्वारा विभिन्न लघुकथा संकलन का सम्पादन
बीजेन्द्र जैमिनी की प्रथम लघुकथा " दु:ख और मजबुरी " 01 दिसम्बर 1987 को पथ - बन्धु ( सहारनपुर - उत्तर प्रदेश ) पाक्षिक में प्रकशित हुई है । जो लघुकथा साहित्य में विशेष स्थान रखती है । इसके बादयह लघुकथा जेलस टाइम्स ( 15 फरवरी 1988 ) राजपुरा - पंजाब , यू.एस.एम ( मार्च - अप्रैल 1988 ) गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश , सवेश ( मार्च 1988 ) कैथल - हरियाणा , छात्र युवा दर्पण ( 16 मार्च 1989 ) इन्दौर - मध्यप्रदेश , सामाजिक आक्रोश ( मार्च 1989 ) सहारनपुर - उत्तर प्रदेश , हमारा युवा ( 17 जुलाई 1989 ) मुजफ्फरनगर - उत्तर प्रदेश , नया स्वप्न ( 21 अगस्त 1989 ) कैथल - हरियाणा , युवा सत्य शक्ति ( 21 अगस्त 1989 ) श्रीगंगानगर - राजस्थान आदि पत्र - पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई है । यह लघुकथा कई जगह " मजबुरी " शीर्षक से भी प्रकाशित हुई है :-
पेश है लघुकथा :-
दुःख और मजबुरी
दुःख और मजबुरी
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फटेहाल युवती को भीख माँगते देखकर दो मनचले लड़के उसके पास आये और बीस रूपय का नोट दिखा कर बोले- लेगी ?
युवती ललचाई निगाहों से रूपये देखकर बोली- इत्ते रूपये
बोले- कम है ?
दोनों उसकी ओर घूर रहे थे। वह बोली- चलो ! मेरे साथ ।
थोड़ी दुर चलने के बाद वे एक टूटे – फूटे मकान में घुसे तो खाट पर पडे बूढे़ की ओर इशारा करती बोली-
मेरे बाप को पाँच सालों से टी बी है और मैं खुद एडस से पीडि़त हूँ। यही दुःख और मजबुरी भीख मगंवाती है।
वह सिसक उठी ! नंजर उठाई तो दोनों मनचले गायब थे। ●●●●
युवती ललचाई निगाहों से रूपये देखकर बोली- इत्ते रूपये
बोले- कम है ?
दोनों उसकी ओर घूर रहे थे। वह बोली- चलो ! मेरे साथ ।
थोड़ी दुर चलने के बाद वे एक टूटे – फूटे मकान में घुसे तो खाट पर पडे बूढे़ की ओर इशारा करती बोली-
मेरे बाप को पाँच सालों से टी बी है और मैं खुद एडस से पीडि़त हूँ। यही दुःख और मजबुरी भीख मगंवाती है।
वह सिसक उठी ! नंजर उठाई तो दोनों मनचले गायब थे। ●●●●
इसके बाद इस लघुकथा का अनेक भाषा में अनुवाद है । पंजाबी , गुजराती , भोजपुरी , तेलुगू , मराठी , तामिल , मलयालम आदि भाषा में अनुवाद हुआ है । इसके अतिरिक्त बीजेन्द्र जैमिनी द्वारा लिखित लघुकथा संग्रह प्रातःकाल (1990 ) , नईं सुबह की तलाश ( 1998 ) , इधर उधर से (2001 ) प्रकाशित हो चुके हैं ।
चांद की चांदनी ( लघुकथा संकलन ) - 1990
बीसवीं शताब्दी की लघुकथाएं (लघुकथा संकलन ) -2001
लघुकथा - 2018 (लघुकथा संकलन)
लघुकथा - 2019 ( लघुकथा संकलन )
नारी के विभिन्न रूप ( लघुकथा संकलन ) - जून - 2019
लोकतंत्र का चुनाव ( लघुकथा संकलन ) अप्रैल -2019
मां ( लघुकथा संकलन ) मार्च - 2019
जीवन की प्रथम लघुकथा ( लघुकथा संकलन ) जनवरी - 2019
लघुकथा - 2020 ( लघुकथा का संकलन ) का सम्पादन - 2020
कोरोना वायरस का लॉकडाउन ( लघुकथा संकलन ) का सम्पादन-2020
पशु पक्षी ( लघुकथा संकलन ) का सम्पादन- 2020
लघुकथा - 2021 ( ई - लघुकथा संकलन )
होली (ई - लघुकथा संकलन ) का सम्पादन - 2021
मध्यप्रदेश के प्रमुख लघुकथाकार ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2021
हरियाणा के प्रमुख लघुकथाकार (ई - लघुकथा संकलन ) -
2021
मुम्बई के प्रमुख हिन्दी महिला लघुकथाकार (ई लघुकथा संकलन ) - 2021
दिल्ली के प्रमुख लघुकथाकार ( ई लघुकथा संकलन ) - 2021
महाराष्ट्र के प्रमुख लघुकथाकार ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2021
उत्तर प्रदेश के प्रमुख लघुकथाकार ( ई लघुकथा संकलन ) - 2021
राजस्थान के प्रमुख लघुकथाकार ( ई लघुकथा संकलन ) - 2021
भोपाल के प्रमुख लघुकथाकार ( ई लघुकथा संकलन ) - 2021
हिन्दी की प्रमुख महिला लघुकथाकार ( ई लघुकथा संकलन ) - 2021
झारखंड के प्रमुख लघुकथाकार ( ई लघुकथा संकलन ) - 2021
हिन्दी के प्रमुख लघुकथाकार ( ई लघुकथा संकलन ) - 2021
सुबह की बरसात ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2021
आदरणीय बीजेंद्र जी! आपके इस साहित्यिक योगदान को, त्याग- तपस्या को राष्ट्र का इतिहास कभी नहीं भुला पाएगा ✍
ReplyDelete- संतोष गर्ग (वरिष्ठ कवयित्री, लघुकथाकार, बाल उपन्यासकार)
अध्यक्षा- राष्ट्रीय कवि संगम, चंडीगढ़
उपाध्यक्षा- अ. भा. साहित्य परिषद, हरियाणा प्रांत
( WhatsApp से साभार )
आपकी उत्तम कोटि की विचारणा से लघुकथा के विविध आयामों पर एक शोधार्थी को निस्संदेह शत प्रतिशत व्यापक, विस्तारित , सहायक सामग्री आपने उपलब्ध करा दी है ; यह सभी के लिए गर्व का विषय है। जिसके लिए आप बधाई के पात्र हैं।
ReplyDelete- डॉ. रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
( WhatsApp से साभार )