चालीस वर्ष से कम उम्र के 12 % ब्रेन स्ट्रोक मरीज़


पानीपत : देश में हर साल ब्रेन स्ट्रोक के लगभग 15 लाख नए मामले दर्ज किये जाते हैं। स्ट्रोक भारत में समय से पहले मृत्यु और विकलांगता का एक महत्वपूर्ण कारण बनता जा रहा है। संवाददाता सम्मेलन में मैक्स सुपर हॉस्पिटल, शालीमार बाग के न्यूरोसर्जरी की निदेशक डॉ. सोनल गुप्ता और न्यूरोसर्जरी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. मनोज खनाल ने बताया कि नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफार्मेशन (एनसीबीआई) के अनुसार, कोरोनरी धमनी रोग के बाद स्ट्रोक मौत का सबसे आम कारण है। इसके अलावा, यह क्रोनिक एडल्ट डिसएबिलिटी का एक आम कारण है। 55 वर्ष की आयु के बाद 5 में से एक महिला को और 6 में से एक पुरुष को स्ट्रोक का खतरा रहता है। डॉ. सोनल गुप्ता ने कहा, ‘‘स्ट्रोक का अटैक किसी भी उम्र, किसी भी वर्ग और लिंग के व्यक्ति को हो सकता है। स्ट्रोक के मामलों में वृद्धि और कम उम्र के व्यक्ति में भी स्ट्रोक का होना चिंताजनक है, क्योंकि स्ट्रोक के लगभग 12 प्रतिशत मरीज 40 वर्ष से कम उम्र के होते हैं। उच्च रक्तचाप, मधुमेह, उच्च रक्त कोलेस्ट्रॉल और गर्भ निरोधक गोलियों का सेवन करने वालों को ब्रेन स्ट्रोक होने का अधिक खतरा रहता है।’’डॉ. मनोज खनाल ने कहा, ‘‘भारत में स्ट्रोक खासकर युवाओं में खतरनाक दर से बढ़ रहा है। इस वृद्धि का मुख्य कारण तनाव का बढऩा, खराब आहार का सेवन और आराम तलब जीवन शैली है। ब्रेन स्ट्रोक का इलाज नहीं कराने पर, यह मस्तिष्क कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है, चलने- फिरने और बोलने की को प्रभावित कर सकता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इलाज में देरी होने पर लाखों न्यूरॉन्स क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और मस्तिष्क के अधिकतर कार्य प्रभावित होते हैं। इसलिए, रोगी को समय पर चिकित्सा सहायता प्रदान करना महत्वपूर्ण है क्योंकि स्ट्रोक होने पर शीघ्र बहुआयामी उपचार की आवश्यकता होती है।’’ 

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