आलोक सक्सेना , दिल्ली द्वारा मेरा साक्षात्कार


                                साक्षात्कार

1. प्रश्न : हिन्दी भाषा के विकास में संचार माध्यमों की भूमिका के बारें में आप की राय क्या है . इस संबंध में आप क्या कहना चाहेंगे ?
बीजेन्द्र जैमिनी -  हिन्दी  भाषा के विकास में तीन प्रकार के  संचार माध्यमों की भूमिका सामने आती हैं :-
          1. मुद्रित माध्यम - अखबार और पत्रिकाएं मुद्रित संचार माध्यम के अंतर्गत आती है। शिक्षा से लेकर, खेती बाड़ी, खेलकूद, स्वास्थ्य, सिनेमा, टेलीविज के कार्यक्रम, बाजार भाव, भविष्यफल, आदि के  विभिन्न समाचार प्रकाशित होते हैं।  समाचार पत्रों में प्रतिदिन घटने वाली घटनाओं देश विदेश की महत्वपूर्ण खबरे प्रकाशित की जाती है। लोकतंत्र के तीन खंभे होते है। विधायिका, कार्यपालिका,और न्यायापालिका। चौथा खंभा पत्रकारिता  कहलाता है। विधानपालिका कानून बनाती है कार्यपालिका उसे लागू करती है और न्यायपालिका कानून तोड़ने वालो को दंडित करती है परन्तु इन तीनों में होने वाली गड़बड़ियों को पत्रकारिता उजागर करता है।  जिससे लोकतंत्र की रक्षा होती है। इसीलिए संविधान में प्रेस को स्वतंत्रता दी गई है। सरकार उसकी आजादी में बाधा नही डालती। यदि प्रेस नहीं होती तो हम अपने अधिकारों के प्रति इतने सजग नही हो पाते तथा लोकतंत्र की रक्षा नहीं हो पाती। सामाजिक मुद्दो जैसे-जनसंख्या वृद्धि, भ्रूण हत्या, लिंग भेद, अन्य सामाजिक बुराइयों को अखबार प्रकाशित कर लोगों को जागरूक बनाने का प्रयास करता है। प्राकृतिक आपदाओं, प्रदूषण, प्राकृतिक संपदा के दोहन से होने वाली हानियों को प्रकाशित कर के लोगों को जानकारी देता है। इस प्रकार  आज के युग में मुद्रित संचार माध्यमों सर्वश्रेष्ठ स्थान रखता है। वर्तमान में इन सबमें हिन्दी का स्थान सबसे ऊचा है ।
            2. श्रव्य माध्यम - श्रव्य माध्यम सूचनाओं के प्रसारण का एक सशक्त माध्यम है जिन्हें सिर्फ सुना जा सकता है।   जिसमे समाचार, विज्ञापन, सूचनाओं का प्रसारण किया जाता है। परन्तु श्रव्य माध्यमों का लाभ कम पढ़े लिखें या निरक्षर भी उठा सकते है।  इसके अलावा इसे कहीं भी किसी भी जगह ले जाया जा सकता है। रेडियों पर आजकल एक.एम.चैनल  के जरिए  कार्यक्रम भी प्रसारित होते है। आजकल चीप्प या मोबाइल से रिकार्ड करके बार - बार सुना जा रहा है । जो हिन्दी के विकास में मील का पत्थर साबित हो रहा है ।
          3. दृश्य-श्रव्य माध्यम - दृश्य-श्रव्य माध्यम के जारिए न सिर्फ कार्यक्रमों को सुना जा सकता है बल्कि घटनाओं को चित्र के रूप में देखे भी जा सकते है। टेलीविजन दृश्य- श्रव्य माध्यम है । टेलीविजन के कार्यक्रमों में श्रव्य के साथ-साथ दृश्य सामग्री भी होते हैं इसलिए ये अधिक समय के लिए मन में अंकित रहते है । आजकल दूरदर्शन व अन्य चैनल महत्पूर्ण संचार माध्यम के रूप में विकासित हो चुका है। चौबीसों घंटे इसका प्रसारण होने के कारण समाज के विविध पक्षों को दिखाने, हर पल की घटनाओं को प्रसारित करने में आसानी होती है। यह एक अत्याधुनिक उपकरण होने के कारण इसके माध्यम से सूचनाएं एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाना आसान हो गया है तथा घटना स्थल से भी सीधे आंखों देखा हाल प्रसारित किया जा सकता है। टेलीविजन पर किसी भी घटना के तत्काल समाचार हमारे सामने होते हैं। किसी दूसरे देश में बैठे व्यक्ति से टिप्पणी ली और प्रसारित की जा सकती है। विभिन्न कंपनियां अपने उत्पादों का विज्ञापन टेलीविजन पर प्रसारित कराते हैं।कम्प्यूटर- कम्प्यूटर से अब कोई व्यक्ति अपरिचित नहीं है। आज यह संचार का एक महत्वपूर्ण एवं सशक्त माध्यम है। यह ऐसा उपकरण है जिसके कारण संचार के क्षेत्र में क्रांति आ गई है। आज संसार भर में ऐसा केाई क्षेत्र नही है जहाँ कम्प्यूटर की पहुंच नही है। इस पर अखबारों, रेडियो, टेलीविजन के लिए समाचार लिखे जा सकते है, संपादित किए जाते है तथा प्रसारित किये जाते है। मोबाइल फोन बिना तार के काम करता है जिसे लेकर आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है। इसे जेब में रखकर ले चलने की सुविधा के कारण इनके सेट काफी छोटे-छोटे तैयार किए जाने लगे हैं। यह एक दूसरे से बातचीत करने के अलावा इसका उपयोग संदेश भेजने पाने , फोटो खीचने और तुरंत उसे दूसरे व्यक्ति के पास भेजने, बातचीत रिकार्ड करने और उसे दूसरे व्यक्ति के पास भेजने, फिल्में देखने, गाने देखने, समाचार देखने के लिए भी किया जात है।
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2. प्रश्न : संचार में भाषा के महत्व के संबंध में आप क्या कहना चाहेंगे ?
बीजेन्द्र जैमिनी - संचार के माध्यम के रूप में हिन्दी का प्रयोग कोई नयी बात नहीं है, अभिव्यक्ति की क्षमता पाते ही, जन-कथा एवं पुराण कथा के रूप में हिन्दी जनसंचार का माध्यम बन गई थी। अब तो भारतीय नेता भी  हिन्दी की शक्ति को समझते हैं, इसलिए जनसभा संबोधन  में हिन्दी का व्यापक प्रयोग कर रहे है । अंग्रेजी चैनल भी  धीरे-धीरे विज्ञापन के लिए हिन्दी को अपना रहे हैं। विज्ञान पर आधारित कार्यक्रम, नेशनल योग्राफिक एवं डिस्कवरी भी हिन्दी में प्रसारित किया जा रहा है। देश में  कम्प्यूटर एवं मोबाइल पर हिन्दी के ब्लाग बनाये जा रहे हैं, और इनकी संख्या तेजी से बढ़ रही है। अतः भारत में हिन्दी के बिना संचार माध्यम भी अधूरे हैं ।
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3. प्रश्न : मुद्रित पत्रकारिता और हिन्दी भाषा का अंतसबध के विषय में आपकी क्या राय है ?
बीजेन्द्र जैमिनी -  योहानेस गुटेनबर्ग ने  धातु के अक्षरों से छापने की मशीन का आविष्कार किया।  इस के फलस्वरूप किताबों का ही नहीं, अखबारों का भी प्रकाशन संभव हो गया।16वीं शताब्दी के अंत में यूरोप के योहन कारोलूस नाम का कारोबारी धनवान ग्राहकों के लिये सूचना-पत्र लिखवा कर प्रकाशित करता था। लेकिन हाथ से बहुत सी प्रतियों की नकल करने का काम महंगा भी  और धीमा भी था । तब वह  मशीन ख़रीद कर 1605 में समाचार-पत्र छापने लगा। समाचार-पत्र का नाम था ‘रिलेशन’। यह विश्व का प्रथम मुद्रित समाचार-पत्र माना जाता है। मगर भारत का पहला अख़बार  1776 (कहीं 1766 भी लिखा गया है) में प्रकाशित हुआ। इस का प्रकाशक ईस्ट इंडिया कंपनी का भूतपूर्व अधिकारी विलेम बॉल्ट्स था। यह अख़बार  अंग्रेजी भाषा में निकलता था तथा कंपनी व सरकार के समाचार प्रकाशित होते थे । 1826 में पंडित युगल किशोर शुक्ल ने कलकत्ता से ‘उदंत मार्तंड’ नाम से हिंदी के प्रथम समाचार-पत्र का प्रकाशन प्रारंभ किया। भारत में सबसे अधिक 20,589 समाचार पत्र हिन्दी में प्रकाशित होते हैं, जबकि अंग्रेजी में 7596 समाचार पत्र छपते हैं।
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4. प्रश्न : आकाशवाणी एवं उसके हिन्दी कार्यक्रमों की भाषा  के विषय में बताएं ?
बीजेन्द्र जैमिनी - भारत में रेडियो प्रसारण की शुरुआत मुंबई और कोलकातामें सन १९२७ में दो निजी ट्रांसमीटरों से हुई। १९३० में इसका राष्ट्रीयकरण हुआ और तब इसका नाम भारतीय प्रसारण सेवा (इंडियन ब्राडकास्टिंग कॉरपोरेशन) रखा गया। बाद में १९५७ में इसका नाम बदल कर आकाशवाणी रखा गया।
  हिन्दी भाषा के कुछ कार्यक्रम पर नजर डालते हैं :-
सखी सहेली
विविध भारती पर शुरू हुआ सखी सहेली कार्यक्रम। पिछले दो से ज्‍यादा वक्‍त से दिन में तीन बजे प्रसारित होने वाला विविध भारती का सखी सहेली कार्यक्रम महिलाओं द्वारा प्रस्‍तुत एक बेहद लोकप्रिय कार्यक्रम बन गया है। श्रोताओं की मांग को देखते हुए इसमें एक दिन फोन इन कार्यक्रम हैलो सहेली भी प्रसारित किया जाता है।
मंथन
विविध भारती के मंथन कार्यक्रम ने भी अपनी लोकप्रियता का झंडा लहराया है। इसमें किसी ज्वलंत मुद्दे पर श्रोताओं से राय मांगी जाती है। इस फोन से कार्यक्रम के ज़रिए बेहद सामयिक और ज्‍वलंत मुद्दे पर जनता को जागृत करने का  प्रयास किया जा रहा है।
यूथ एक्‍सप्रेस
विविध भारती ने युवाओं के लिए  मार्गदर्शक कार्यक्रम का आगाज  किया गया ।  जिसे नाम दिया गया यूथ एक्‍सप्रेस। इस कार्यक्रम में सामयिक जानकारियां, प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयारी के निर्देश, कैरियर गाइडेन्‍स समेत युवाओं की दिलचस्‍पी के कई मुद्दे होते हैं।बदलते वक्‍त के साथ बदलाव की इस परंपरा में अब श्रोता ना सिर्फ टेलीफोन पर अपने इस प्रिय चैनल से जुड़ सकते हैं बल्कि ई मेल पर भी जुड़ सकते है।
उजाले उनकी यादों के
विविध भारती देश का ये एकमात्र रेडियो चैनल है जिसने संगीत को अपना धर्म माना है और हर तरह के संगीत को अपने कार्यक्रमों में जगह दी है। विविध भारती ने डॉक्‍यूमेन्‍टेशन का काम भी किया है। विविध भारती मूलत: फिल्‍मी मनोरंजन की सेवा है इसलिए यहां जानी मानी फिल्‍मी हस्तियों की रिकॉर्डिंग्‍स को सदैव प्राथमिकता दी जाती है। विविध भारती के पास फिल्‍मी हस्तियों और संगीत जगत की हस्तियों की जितनी रिकॉर्डिंग हैं उतनी शायद कहीं और नहीं होंगी। 
संगीत-सरिता
सुबह साढ़े सात बजे प्रसारित होने वाले कार्यक्रम संगीत सरिता के माध्यम से विविध भारती ने अपने तमाम श्रोताओं के भीतर संगीत की समझ कायम करने का प्रयास किया है। संगीत सरिता में आमंत्रित विशेषज्ञ संगीत की बारीकियों को बहुत सरल शब्‍दों में समझाते हैं। किसी राग पर आधारित फिल्‍मी गीत सुनवाकर श्रोताओं को उस राग से पूरी तरह परिचित करा देते हैं।
     अतः ये सभी कार्यक्रम हिन्दी में प्रसारित होते हैं ।
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5. प्रश्न : दूरदर्शन एवं उस के हिन्दी कार्यक्रमों की भाषा के विषय में बताएं ?
बीजेन्द्र जैमिनी - दूरदर्शन का पहला प्रसारण 15 सितंबर, 1959 को प्रयोगात्‍मक आधार पर आधे घण्‍टे के लिए शैक्षिक और विकास कार्यक्रमों के रूप में शुरू किया गया। उस समय दूरदर्शन का प्रसारण सप्ताह में सिर्फ तीन दिन आधा-आधा घंटे होता था। तब इसको ‘टेलीविजन इंडिया’ नाम दिया गया था बाद में 1975 में इसका हिन्दी नामकरण ‘दूरदर्शन’ नाम से किया गया। हिन्दी भाषा के कार्यक्रम में ‘हम लोग’ ने ऐसी छाप छोड़ी कि  लोग आज भी उस पल को भुला नहीं सके हैं. इसके बाद बुनियाद, चित्रहार, सुबह सवेरे, रामायण, श्रीकृष्णा, महाभारत, मालगुडी डेज, वाह जनाब ने दूरदर्शन को जमीन से शिखर पर लाकर खड़ा कर दिया.शक्तिमान, जूनियर जी, ही-मैन, व्योमकेश बक्शी, टर्निंग प्वाइंट, अलिफ़ लैला, चंद्रकांता जैसे कार्यक्रमों ने हिन्दी भाषा के  दिलों पर राज किया है
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6. प्रश्न : निजी दूरदर्शन चैनलों की हिन्दी भाषा किस हद तक ठीक है ?
बीजेन्द्र जैमिनी - एक अनुमान के अनुसार भारत में  872  निजी उपग्रह टेलीविजन चैनल हैं। पूरे भारत में  क्षेत्रीय चैनल भी उपलब्ध हैं। यह बीएआरसी रेटिंग के अनुसार भारत के शीर्ष दस टेलीविज़न चैनलों की सूची इस प्रकार है।
1.सन टीवी
2.स्टार प्लस
3.ज़ी अनमोल
4.जी टीवी
5.स्टार माँ
6.स्टार भारत
7.स्टार उत्सव
8. कलर्स
9. ज़ी तेलुगु
10.स्टार विजय
        उक्त चैनलों में हिन्दी भाषा की उपयोगिता एक दम स्पष्ट नज़र आती है । जी तेलुगु को छोडकर बाकी चैनलों पर हिन्दी भाषा के कार्यक्रम का बोलबाला है ।
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7. प्रश्न - बेब माध्यम की हिन्दी भाषा पर अपने विचार व्यक्त करें ?
बीजेन्द्र जैमिनी - आज इंटरनेट पर हिंदी ब्लॉग्स की संख्या एक लाखों में हैं.14 सितंबर 2011 को हिंदी दिवस के दिन माइक्रोब्लॉगिंग सोशल वेबसाइट ट्विटर को हिंदी भाषा में जारी किया गया था. इंटरनेट पर हिंदी प्रयोक्ताओं का स्थान अंगरेजी के बाद दूसरा है.15 डोमेन नाम इंटरनेट के लिए भारत की ओर से जून 2012 तक आवेदन किये गये. इनमें से तीन डोमेन नाम देवनागरी लिपि के थे. यूनीकोड ने कंप्यूटर पर हिंदी के लिए शानदार काम किया है. बेशक, इसके आने के बाद हिंदी और कंप्यूटर की दोस्ती मजबूत हुई है. लेकिन, कई तरह के की-बोर्ड को लेकर अभी भी भ्रम की स्थिति कायम है. आज भी हिंदी में एक सर्वमान्य की-बोर्ड नहीं है. की-बोर्ड में एकरूपता का न होना भी बड़ी समस्या है.
हिंदी प्रेमी सेलेब्रिटी इंटरनेट पर हिंदी की स्थिति बेहतर बनाने में बड़ा योगदान दे सकते हैं. दिक्कत यही है कि अभी तक ऐसा दिखा नहीं है. अमिताभ बच्चन, प्रियंका चोपड़ा और शाहरुख खान जैसे सेलेब्रिटी के माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर लाखों फॉलोअर्स हैं और उनका एक संदेश बार-बार री-ट्वीट होते हुए करोड़ों लोगों तक पहुंचता है. हिंदी सिनेमा के इन दिग्गजों का हिंदी के प्रचार-प्रसार में बड़ी भूमिका हो सकती है, लेकिन अभी तक इनकी तरफ से कोई ऐसी पहल नहीं दिखी.
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                       बीजेन्द्र जैमिनी
                       जैमिनी अकादमी
                       554- सी ,सैक्टर - 6
                       पानीपत - 132103 हरियाणा
                       मोबाइल 9355003609
                       ईमेल : bijender1965@gmail.com



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  1. इसे पत्रिका में छापने ले जा रही हूँ

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