अनिल शूर आज़ाद ( दिल्ली ) के लघुकथा सम्बंधित सवालों के जबाब

आदरणीय मित्र,
     अपनत्वपूर्ण स्मरण!
    आशा है स्वस्थचित्त होंगे..कृपया शीघ्र निम्न जानकारी उपलब्ध कराएं कि -
 
1. आपकी प्रथम लघुकथा (नाम भी दीजिए) किस पत्र/पत्रिका/पुस्तक में तथा कब प्रकाशित हुई?

बीजेन्द्र जैमिनी : मेरी प्रथम लघुकथा " दु:ख और मजबुरी " 01 दिसम्बर 1987 को पथ - बन्धु ( सहारनपुर - उत्तर प्रदेश ) पाक्षिक में प्रकशित हुई है । इसके बाद जेलस टाइम्स ( 15 फरवरी 1988 ) राजपुरा - पंजाब , यू.एस.एम ( मार्च - अप्रैल 1988 ) गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश , सवेश ( मार्च 1988 ) कैथल - हरियाणा , छात्र युवा दर्पण ( 16 मार्च 1989 ) इन्दौर - मध्यप्रदेश , सामाजिक आक्रोश ( मार्च 1989 ) सहारनपुर - उत्तर प्रदेश , हमारा युवा ( 17 जुलाई 1989 ) मुजफ्फरनगर - उत्तर प्रदेश , नया स्वप्न ( 21 अगस्त 1989 ) कैथल - हरियाणा , युवा सत्य शक्ति ( 21 अगस्त 1989 ) श्रीगंगानगर - राजस्थान आदि पत्र - पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई है । यह लघुकथा कई जगह " मजबुरी " शीर्षक से भी प्रकाशित हुई है ।

पेश है लघुकथा :-
               
                        दुःख और मजबुरी

         फटेहाल युवती को भीख माँगते देखकर दो मनचले लड़के उसके पास आये और बीस रूपय का नोट दिखा कर बोले- लेगी ?
       युवती ललचाई निगाहों से रूपये देखकर बोली- इत्ते रूपये
         बोले- कम है ?
दोनों उसकी ओर घूर रहे थे। वह बोली- चलो ! मेरे साथ ।
         थोड़ी दुर चलने के बाद वे एक टूटे – फूटे मकान में घुसे तो खाट पर पडे बूढे़ की ओर इशारा करती बोली-
        मेरे बाप को पाँच सालों से टी बी है और मैं खुद एडस से पीडि़त हूँ। यही दुःख और मजबुरी भीख मगंवाती है।
         वह सिसक उठी ! नंजर उठाई तो दोनों मनचले गायब थे।
                                ****


2. अभी तक आप कितनी लघुकथाएं लिख चुके हैं?

बीजेन्द्र जैमिनी : फिलहाल गिनती करना सम्भव नहीं है । क्योंकि अधिकतर लघुकथाएं पत्र - पत्रिकाओं में प्रकाशित है । फिर भी तीन सौ से अधिक तो अवश्य हैं

3. आपका कोई/कुछ एकल लघुकथा-संग्रह प्रकाशित हुआ हो/हुए हों ..तो कृपया उनके नाम, प्रकाशक का नाम, प्रकाशन-वर्ष तथा संग्रहीत लघुकथाओं की पुस्तक-वार संख्या सूचित करें।

बीजेन्द्र जैमिनी : मेरे एकल लघुकथा संग्रह इस प्रकार हैं :-
1. प्रातःकाल ( लघुकथा संग्रह ) -1991 , 77 -लघुकथाएं , प्रकाशक : जैमिनी पाँकेट बुक्स ,पानीपत - हरियाणा
2. नई सुबह की तलाश ( लघुकथा संग्रह ) - 1998 , 53 - लघुकथाएं , प्रकाशक : पानीपत साहित्य अकादमी , पानीपत - हरियाणा
3.  इधर उधर से ( लघुकथा संग्रह ) - 2001 ,  55 - लघुकथाएं , प्रकशक : माण्डवी प्रकाशन , गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
4. मेरी पच्चीस लघुकथाएं ( लघुकथा संग्रह ) - 2018 ( ब्लॉग व प्रतिलिपि एप पर प्रसारित ) , 25 - लघुकथाएं

4. लघुकथा विधा को आप किन शब्दों में परिभाषित करते हैं?

बीजेन्द्र जैमिनी : कम से कम शब्दों में सम्पूर्ण कथा को लघुकथा कहना चाहिए । एक शब्द फालतू भी सहन नहीं करना चाहिए ।

5. लेखन की विधा के रूप में आपने लघुकथा को क्यों चुना है?

बीजेन्द्र जैमिनी : ऐसा नहीं है कि सिर्फ़ लघुकथा ही लिखी हैं । इसके अतिरिक्त कहानी , एंकाकी , कविता , हाईकू , लेख , आलेख ,  फिल्म समीक्षा आदि के साथ - साथ सम्पादन भी किया है ।

6. लघुकथा विधा के वर्तमान परिदृश्य एवं भावी संभावनाओं के बाबत (अधिकतम डेढ़ सौ शब्दों में!) अपनी टिप्पणी दीजिए!

बीजेन्द्र जैमिनी : वर्तमान समय सोशल मीडिया का जमाना है । जिसमें सभी पाठक लघुकथा लेखक बन गये है । जिससे लघुकथा साहित्य का विस्तार तो हो गया है परन्तु स्तर दिन- प्रतिदिन गिर रहा है ।

    कृपया उपरोक्त समस्त जानकारी टाइप करके..केवल मैसेंजर के माध्यम से शीघ्रताशीघ्र मुझे भेज दीजिए।(यह प्रश्नावली किसे भेजनी है -यह कृपया हमें ही तय करने दीजिए। अतः कृपया इसे अग्रसारित नही करें।)
       इसका उपयोग समयानुसार "आधुनिक हिंदी लघुकथा-शोधपीठ, नई दिल्ली" के शोध-अन्वेषण हेतु होना है।

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