क्या कभी कोई भी लक्ष्य मनुष्य के साहस से बड़ा होता है ?
मनुष्य का साहस के आगे कुछ भी नहीं बच सकता है । फिर लक्ष्य कैसा भी क्यों ना हो । साहस से तो बड़े से बड़ा लक्ष्य को पाया जा सकता है । यहीं कुछ जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
व्यक्ति के साहस से बड़ा नहीं है कोई भी मुसीबत, अगर ये विचार आप करेगें तू ऊर्जा का संचार में बढ़ोतरी होगा। हर मनुष्य अपने जीवन में सफलता हासिल करना चाहता है। मगर कभी-कभी उसके मन में नकारात्मकता का भाव उत्पन्न हो जाता है जिसके चलते मनुष्य अपने कार्य में सफल नहीं हो पाता है।
कहते हैं कि सफलता पाने का कोई एक सूत्र नहीं हो सकता है मगर सपने देखने की चाह और उन्हें पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करते रहने वालों को कोई भी पछाड़ नहीं सकता है।
आज के समय मैं जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस महामारी से लड़ रही है तो ऐसे विचारों को फैलाने की जरूरत है जिसमें कि लोगों मे नकारात्मकता दूर हो जाए और नई ऊर्जा का संचार हो।
लेखक का विचार:- *कोई लक्ष्य मनुष्य के साहस से बड़ा नहीं* हारा वही जो लड़ा नहीं। मुट्ठी भर संकल्पवान लोग जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है इतिहास की धारा को बदल सकता है।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखण्ड
लक्ष्य कितना भी बड़ा हो किंतु यदि मनुष्य साहस पूर्वक ठान ले कि मुझे इस लक्ष्य को प्राप्त करके ही रहना है तो वह अपने लक्ष्य को प्राप्त कर ही लेता है। 8400000 योनियों में मनुष्य को सर्वश्रेष्ठ यूं ही नहीं कहा गया ।उसके पास साहस और विवेक दोनों ही होते हैं जिनका बखूबी प्रयोग करके वह अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है । पर इसके लिए उसे अपने लक्ष्य प्राप्ति की लगन होना चाहिए बिना लगन के लक्ष्य प्राप्ति मुश्किल है।
- गायत्री ठाकुर "सक्षम"
नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
कोई भी लक्ष्य मनुष्य के साहस से बड़ा नहीं होता। जीतन मांझी जैसे अनेक मनुष्य इसके उदाहरण हैं। जब कोई मनुष्य लक्ष्य साध कर उस दिशा में मेहनत करना आरम्भ कर देता है तो उसका लक्ष्य धीरे-धीरे नज़दीक आता जाता है और अंततः मनुष्य को लक्ष्य साधने में सफलता मिल ही जाती है। पहाड़ की चोटी के धरातल पर खड़ा होकर यदि किसी मनुष्य को पहाड़ की चोटी को छूना यदि असाध्य लगता है तो वह उस दिशा में प्रयत्न करने की हिम्मत हार देता है और इसके विपरीत दूसरा मनुष्य उस चोटी को अपना लक्ष्य बनाकर उस पर चढ़ाई आरम्भ कर देता है तो एक न एक दिन वह लक्ष्य को प्राप्त कर ही लेता है। अतः मनुष्य के साहस के समक्ष कोई भी लक्ष्य बड़ा नहीं हो सकता।
- सुदर्शन खन्ना
दिल्ली
बड़ी ही प्रसिद्ध एक फिल्म में कुछ ऐसे भाव का डायलॉग बहुत प्रसिद्ध हुआ था कि किसी चीज़ को शिद्दत से चाहो तो उसे मिलवाने के लिए सारी कायनात आपका साथ देती है। बस मिल गया उत्तर कि लक्ष्य हो और उसे पाने का हौसला हो तो लक्ष्य को हासिल करना आसान हो जाता है अतः स्पष्ट है कि साहस बड़ा हो तो हर लक्ष्य अपने आप सहज हो जाता है।
लक्ष्य क्षितिज के पार का हो और हौसला उर्फ साहस आसमान सा हो जीत मिलनी ही है कि---क्षितिज की अप्राप्यता वैसे भी भ्रम है वह तो सदैव हमारे पास है।
बस चाहिए है तो मनोबल और लक्ष्य को पाने की सच्ची लगन।
"मन के हारे हार है मन के जीते जीत "तो बस मन को साधें--लक्ष्य अपने आप सध जाएगा। मनोबल साहस को जन्म देता है और साहस सी सिद्धि है
अथाह सरिता की लहर का साहस देखिए कि वह साहिल से निरंतर टकरा कर भी हौसलों से चट्टानों को काटती है - - रास्तों के अनगढ़ पत्थरों को अपने अनुरूप आकार में ढाल लेती है। बस यही साहस लक्ष्य से बड़ा बनाता है सृजनात्मक भावना के साथ।
- हेमलता मिश्र "मानवी"
नागपुर - महाराष्ट्र
साहस से बढ़कर कोई लक्ष्य नहीं होता। हर लक्ष्य साहस के बल पर प्राप्त किया जा सकता है। बस कदम बढ़ाते जाना है लक्ष्य की ओर।
साहस के बल पर शेर और हाथी को भी वश में कर लिया जाता है।अंतरिक्ष में, दूसरों ग्रहों तक पंहुचने की सफलता की गाथाएं साहस के बल पर ही बनी। बड़ी बड़ी पर्वत चोटियों और गहरे समुद्र में भीतर तक की पंहुच साहस के कारण संभव हुई है। साहस के बल पर ही दशरथ मांझी ने पहाड़ को काट-काट कर अपना लक्ष्य पाया और माउंटेन मैन कहलाया। हर सफलता की कहानी में साहस ही छिपा होता है। साहस
आगे बढ़ने की शक्ति देता है और फिर लक्ष्य कैसा भी हो उसे प्राप्त करने देर नहीं लगती।
अभी हाल ही में जो कोरोना बीमारी से लड़कर स्वस्थ हुए और जो कोरोना योद्धा बिना डरे डटकर अपनी सेवाएं दे रहे हैं, उनके पीछे भी उनका साहस ही है। साहस, हौंसला, हिम्मत यही है वह भाव, जो कुछ करने को प्रेरित करता है। किसी शायर ने लिखा है- मंजिलें उनको मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है।सिर्फ पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है।।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
लक्ष्य…..कोई लक्ष्य मनुष्य के साहस से बड़ा नहीं, हारा वही जो लड़ा नहीं…… यह बात तो सबने सुनी होगी ।
मगर सपने देखने और लक्ष्य प्राप्त करने की चाह और उन्हें पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करते रहने वालों को कोई भी पछाड़ नही सकता हैं
पर सवाल यह है कि कितने अपना लक्ष्य निर्घारित करते है , उन्हें लिखते हैं और पुरा करने की कोशीश करते ..हमारे बहुत कम लोग है बहुत के दिमाग़ में लक्ष्य होता है पर याद नहीं रहता कितने उम्र और ज़िम्मेदारी के चलते कहते रहते ....काश ...
लक्ष्य निर्धारित करना और पुरा करने में जुटे रहना चाहिये
दुनिया के महान लोगों की सफलता से जुड़े हुए विचार पढकर आपको आगे बढ़ने की प्रेरण प्राप्त होती हैं
मैं कुछ लोगों के विचार
आपके समाने दे रही हूँ
"धीरूभाई अंबानी— कठिनाइयों में भी अपने लक्ष्य का पीछा करते रहें और विपत्तियों को अवसरों में बदल दें।
यह सोच हमें निंरन्तर आगे बढ़ने में सहायक होती है ।
सीएस लुईस— आप कभी भी लक्ष्य निर्धारित करने या नया सपना देखने के लिए बहुत बूढ़े नहीं होते।
कितनी साकारत्मक सोच है ।
जेफ्री ऍफ ऐबर्ट— लक्ष्यों के बारे में सबसे महत्वपूर्ण चीज़ है उनका होना।
सही कहा लक्ष्य होगे तभी पुरा करेंगे ।
ब्रायन ट्रेसी— स्पष्ट और लिखित लक्ष्य जिनके होते हैं, वे कम समय में ही इतनी सफलता प्राप्त करते हैं जितनी कि बिना ऐसे लक्ष्यों वाले सोच भी नहीं सकते।
महात्मा गांधी— मुट्ठीभर संकल्पवान लोग जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था हैं इतिहास की धारा को बदल सकते हैं।
यह सोच होगी तो लक्ष्य प्राप्त कर ही लेंगे ।
कुछ लोग है जो भलीभांति जानते है की उनके लक्ष्य क्या है वे लिखते है अपने लक्ष्य को और बताते है दुसरो को की उन्हें जीवन में क्या पाना है, कैसे पाना है और कब तक पाना है, और यही वो लोग है जो अपना लक्ष्य फ़तह करते है । और कहते है कोई लक्ष्य मनुष्य के साहस से बड़ा नही ....हारा वही जो लड़ा नहीं ....
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
मानव जीवन में हमेशा उतार- चढ़ाव आते-जाते रहते हैं, अगर लक्ष्य निर्धारित हो तो उसे हर पल खुशी ही दिखाई देती हैं और प्रगति के सोपानों की ओर अग्रसर होते जाता हैं। अगर लक्ष्य अघोषित रहा तो हमेशा निराशाऐं ही हाथ लगती हैं और अंत में बुरी तरह से सामना करना पड़ता हैं। कई तो बिना लक्ष्य से चरण वंदना कर आगे बढ़ने का प्रयास करते हैं, लेकिन यह क्षणिक सुख ही निरूपित होता हैं, आज वर्तमान परिदृश्य में देखिए अधिकांशतः इसी के उदाहरण देखने को वृहद स्तर पर विभिन्न प्रकार से मिल रहे हैं, लेकिन वह इतिहास भी उठाकर देख लीजिए, ॠषि मुनियों, एकलव्य, अर्जुन, राजा-महाराजाओं का लक्ष्य किसी साहस का ही परिचायक हैं। परन्तु घमंड के आगे घमासान मचाना भी उचित प्रतीत भी नहीं होता?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
बालाघाट - मध्यप्रदेश
अगर इंसान साहसी है तो कोई भी लक्ष्य बड़ा नही ।अतः हम कह सकते हैं कि हर लक्ष्य इंसान के साहस से छोटा होता है ।
एक कहावत है हिम्मते मर्दा मदद ए खुदा ,।
जो हिम्मती हैं ईश्वर भी उनकी मदद अवश्य करता है ।साहसी तो हर चुनौती को चुनौती देता है ।
जीवन में सबसे जरूरी चीज है कि अपने लक्ष्य का होना ।
लक्ष्य एक होता है और रास्ते अनेक ।
कभी रास्ता बंद हो जाए तो रास्ता बदलना चाहिए लक्ष्य नहीं ।
अगर खोजेंगे तभी तो रास्ते मिलेंगे , वरना मंजिलों की तो फितरत ही होती है कि कभी खुद चलकर आती नहीं ।
हमें ही अपनी मंजिल की तरफ कदम बढ़ाने होते हैं ।
आप कितने सफल होंगे आपका लक्ष्य महत्वपूर्ण रोल निभाता है। फुटबॉल के जैसे जिंदगी में भी आप जब तक आगे नहीं बढ़ सकते तब तक आप अपने लक्ष्य न सेट कर ले ।
यह नितांत सत्य है कि जीवन का महत्व तभी है जब वह किसी महान लक्ष्य के लिए समर्पित हो।सच तो यह है कि मुट्ठी भर दृढ़ संकल्प वाले लोग जिनको अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है वह इतिहास की धारा को बदल सकते हैं ।
जिसके जीवन में कोई लक्ष्य नहीं होता उसका जीवन व्यर्थ है जी बिल्कुल यह बात नितांत सत्य है, जिसके जीवन का कोई ध्येय नहीं वह जीवन किस काम का ।
हमें अपने लक्ष्य के लिए परिश्रम करना चाहिए ।
लक्ष्य किरण है जो व्यक्ति को सकारात्मक दिशा प्रदान करता है, जबकि लक्ष्यविहीन कार्य भटकाव की ओर ले जाता है। जीवन में एक लक्ष्य बनाना चाहिए ,दिन-रात उसी के चिंतन मनन और क्रियान्वयन में लगे रहना चाहिए ।यहां तक कि सपने में भी वहीं लक्ष्य दिखाई देना चाहिए ।
असल में जब आप कोई कार्य करते हैं तो जरूरी नहीं है कि आप सफल ही हो ,लेकिन आपको असफलताओं से घबराना नहीं चाहिए ।
हमें लक्ष्य की प्राप्ति तक स्वयं पर आशा एवं विश्वास रखते हुए आगे बढ़ते जाना चाहिए ।तभी लक्ष्य की प्राप्ति होगी एवम जीवन सार्थक हो सकेगा ,अन्यथा तो कीड़े मकोड़े भी धरती पर जन्म लेते हैं ,हालांकि कुछ कार्य उनके लिए भी कुदरत ने सौंपे है ।
अगर साहस है तो हर लक्ष्य छोटा है ।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
मनुष्य के साहस से बड़ा कोई भी लक्ष्य नहीं होता हालात कितने भी खराब क्यों ना हो अगर साहस के साथ धैर्य रखते हुए समस्याओं का हल खोजा जाए तो जरूर मिलता है और प्रतिकूल समय मे भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है सभी लोग कहते आए हैं की साहस के साथ कार्य करने से आदमी पर्वत को भी चीर सकता है और अनेका अनेक उदाहरण भी संसार में देखने को मिलते हैं जब अकेले ही व्यक्ति ने बड़ी-बड़ी चट्टानों को काटकर रास्ते बनाएं है बिल्कुल सत्य बात है कि कोई भी लक्ष्य मनुष्य के साहस से बड़ा नहीं हो सकता बस जरूरत है सम्यक तरीके से पूरे अनुशासन निष्ठा विश्वास धैर्य समर्पण और कर्तव्य परायणता के साथ काम करने की तब कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है......
- डॉ प्रमोद कुमार प्रेम
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
हारा वही जो लड़ा नहीं, लड़ेंगे तो गिरेंगे और
गिरेंगे तो कुछ नहीं तो मिट्टी ही लेकर उठेंगे l
अर्थात कोई भी लक्ष्य मनुष्य के साहस से बड़ा नहीं हो सकता l लक्ष्य के बिना मनुष्य एक भटका हुआ देवता है l
हमारा साहस ही लक्ष्य को निर्धारित करता है l और साहस का निरूपण क्रमशः संकल्प, पुरुषार्थ, ईमानदारी, उत्साह, लगन के साथ ही साथ सकारात्मक सोच हमें साहस प्रदान करती है l
प्रतिस्पर्धा के इस युग में लक्ष्य संधान में हर पल स्थिति में तनाव के झोंके आते रहते हैं अतः तनाव मुक्त होकर लक्ष्य की तरफ बढे और यह केवल एक ही अवस्था में संभव है जब हम सुख दुःख की अधीनता को छोड़कर उन पर अपना स्वामित्व स्थापित करते हुए अपना लक्ष्य निर्धारित करेंगे तो सफलता निश्चित होगीl
"तेज हवाओं के बाद भी दिये जलते रहे
नजर मंजिल पर थी इसलिए मुसाफिर चलते रहे l"
चलते चलते ----
1. साहस ने हमें पुकारा है l
समय ने, युग ने, कर्तव्य ने, उत्तरदायित्व ने, विवेक ने हमें पुकारा l नव निर्माण और आत्म निर्माण लक्ष्य निर्धारण कर आत्मा के मार्ग दर्शन में विवेक प्रकाश का अवलम्बन कर लक्ष्य संधान करना है l
2. अपनी अंतरात्मा और अपनी साहस रूपी पतवारों से मंजिल पर पहुँचना है l
- डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
साहस मनुष्य को जीना सिखाता है। क्योंकि साहस ही उन्नति व विकास का आधार होता है। जो लक्ष्य निर्धारित करता है। जिसे पूर्ण करने की शक्ति मनुष्य का साहस होता है। और मनुष्य के साहस से बड़ा कोई भी लक्ष्य नहीं होता।
सर्वविदित है कि साहसी मनुष्य क्षणिक टूटता है, जुड़ता है, हारता है, गिरता है, भूलता है, फूलता है, डूबता है, तैरता है, रोता है, हंसता है, विफल होता है और जीवन के अन्त में समस्त विफलताओं के प्राप्त अनुभवों से अपने निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त कर लेता अर्थात विजयी होता है।
उल्लेखनीय है कि जिस मनुष्य के पास साहस होता है वह कभी हार ही नहीं सकता। क्योंकि मन के हारे हार है और मन के जीते जीत प्राप्त होती। गीता का भी यही ज्ञान है कि कर्म करते जाओ और फल ईश्वर पर छोड़ दो।
यही साहस है जिसे समाज मनुष्य का पागलपन कहता है, उसे गरीब की संज्ञा देता है, झाड़-फूंक के लिए विवश करता है, सामाजिक ही नहीं बल्कि आर्थिक तिरस्कृत करने में भी समाज अपनी सम्पूर्ण भूमिका निभाता है। परंतु उन समस्त परिस्थितियों में भी जो मनुष्य अपने धैर्य और साहस को बनाए रखता है। उसे ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है और वह अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है।
जो प्रमाणित करता है कि मनुष्य के साहस से बड़ा कोई भी लक्ष्य नहीं होता।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
स्वमी विवेकानंद ने कहा ,"उठो ,जागो और तब तक न रुको ,जब तक कि लक्ष्य की प्रप्ति न हो जाय ।"
मुझे उपरोक्त हर शब्द में साहस की झलक मिल रही है । जब आत्मा में साहस होगा ,तभी किसी भी लक्ष्य की प्रप्ति कर सकते हैं ।
पहले व्यक्ति स्वप्न देखता है या कहें कि लक्ष्य निर्धारित करता है ,उसको पूरा करने के लिए प्रयास करता है । कभी असफल होने परपुनः दुगने साहस के साथ कर्म में लग जाता है और उसके लक्ष्य की पूर्ति होती है ।ये बातें हमारे साथ ही नहीं घटित होती हर जीव लक्ष्य निर्धारित करता है फिर साहस के साथ ,समय का उतार -चढ़ाव झेलते ,उसे पूरा करता है । एकलव्य का लक्ष्य श्रेष्ठ धनुधर बनना था । गुरु द्रोणाचार्य ने शिक्षा देने से मना कर दिया । लेकिन यह एकलव्य का साहस था कि गुरु की मिट्टी की प्रतिमा बनाकर निरन्तर साहस के साथ अभ्यास कर के एक श्रेष्ठ धनुधर बना । लक्ष्य तो बहुतेरे निर्धारित करते हैं लेकिन पूरा कितनों का होता है ।पूरा वही कर पाते हैं जिनके पास दृढ़ इच्छा शक्ति और कठिनाईयों से जूझने का साहस होता है । हर लक्ष्यप्राप्ति में बाधायें तो आती है ।
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
दुनिया का कोई भी लक्ष्य मनुष्य के साहस से बड़ा नहीं हो सकता है। क्योंकि मनुष्य अपने साहस से बड़ा से बड़ा लक्ष्य हासिल कर लेता है। आज मनुष्य अपने साहस से ही संसार की सबसे ऊँची छोटी माउन्ट एवेरेस्ट का लक्ष्य प्राप्त कर लेता है। साहस से ही चाँद पर पहुँच गया है। उसके बाद सबसे बड़ा लक्ष्य था मंगल ग्रह पर जाना वहाँ मनुष्य अपनी उपस्थिति दर्ज करा दिया है। उत्तरीध्रुव दक्षिणी ध्रुव की खबर मनुष्य रखता है तो इससे बड़ा लक्ष्य और क्या हो सकता है। वैज्ञानिक इंजीनियर डॉक्टर अपने साहस से दुनिया का हर लक्ष्य प्राप्त कर ले रहें हैं। साहस से ही बड़े-बड़े अविष्का करते हैं। बड़े-बड़े असाध्य ऑपरेशन कर देते हैं। बड़े-बड़े खतरनाक जगहों पर ब्रिज इत्यादि का निर्माण कर लेते हैं। इसलिए हम कह सकते हैं कि मनुष्य के साहस से बड़ा कोई भी लक्ष्य नहीं हो सकता है।
- दिनेश चन्द्र प्रसाद "दीनेश"
कलकत्ता - पं. बंगाल
लक्ष्य साहस से बड़ा होता है। मानव जीवन की उत्पत्ति लक्ष्य प्राप्त करने के लिए ही हुआ है। मानव लक्ष्य है जागृति। जागृति का मतलब है ज्ञान के प्रकाश में सत्य को जानना ,मानना, पहचानना ,निर्वाह कर, सत्य राह पर चलना को ही जागृति कहा जाता है ।यही मनुष्य का सबसे बड़ा लक्ष्य है ।इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अनेक छोटे-छोटे पडाव वाले लक्ष्य के प्रति क्रियाकलाप किया जाता है। इस लक्ष्य को पाने के लिए साहस, साधन रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसमें बौद्धिक और शारीरिक दोनों बल लगाकर इस लक्ष्य को पाया जाता है। इससे यही कहा जा सकता है कि लक्ष्य से बड़ा साहस नहीं होता ।लक्ष्य तक पहुंचने का साहस माध्यम है। मनुष्य का सबसे बड़ा लक्ष्य जागृति है। इसी के लिए सभी मानव जाति वर्तमान में प्रयासरत हैं।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
"मन के हारे हार है, मन के जीते जीत" मनुष्य के मन में यदि साहस है तो निश्चित ही कोई भी लक्ष्य उससे बड़ा नहीं हो सकता।
साथ ही यह भी सही है कि साहस के साथ-साथ मनुष्य की क्षमता, उत्पन्न संसाधन, परिस्थितियों की अनुकूलता, मन-वचन-कर्म की शुद्धता और लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्धता भी लक्ष्य प्राप्ति में सहायक होती हैं।
इस सन्दर्भ में "माउन्टेन मैन - दशरथ माँझी" के उदाहरण से अच्छा और क्या हो सकता है।
निष्कर्षत: मैं कहना चाहूंगा कि सफलता-असफलता तो बाद की बात है। लक्ष्य प्राप्ति के लिए मनुष्य के मन-मस्तिष्क में साहस की उपस्थिति अति आवश्यक है।
इसीलिए कहता हूँ कि......
"जीवन में हो आस सदा, रख लो साहस अपने मन में।
ईश्वर पर विश्वास रखो, संकट हो चाहे जगत जन में।।
क्षीण तमस से न डर मनुज, प्रभामय आवरण छाएगा।
पतझड़ बाद आये बसंत, उपवन सुरभित हो जाएगा।।
आशा रथ पर हो सवार, मन से सकारात्मक हो जाएं।
दिनकर से लेकर प्रकाश, आओ आशा दीप जलाएं।।"
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
लक्ष्य और साहस सिक्के के दो पहलू हैं लक्ष्य होता है तो चुनौती आती है यही चुनौती हमें साहस देती है!
जीवन में कितनी भी कठिनाइयां आये जो मैदान छोड़कर नहीं जाता अंत तक साहस दृढ़ता ,आत्म-विश्वास, और सबलता के साथ कठिनाइयों का सामना करते हुए मैदान में टिका रहता है वह अपने लक्ष्य को प्राप्त कर ही लेता है!
जीवन में जो जीता वही सिकंदर!
जीतते वही हैं जो अंत तक हार नहीं मानते!
जब कोई व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में विजय हासिल करने का लक्ष्य बना लेता है तो उसने एक चुनौती को स्वीकार किया है!यह चुनौती उसे मजबूत, साहसी और आत्मविश्वासी बनाता है! फिर उसे पाने के लिए उसे कितना भी संघर्ष क्यों न करना पडे़ वह कभी पीछे मुड़कर नहीं देखता! संघर्ष आशा की किरणों को टूटने नहीं देती!
लक्ष्य प्राप्ति के पथ पर कठिन परिस्थितियां हमारे पथ पर अवरोध बन खड़ी होती हैं किंतु जो डटा रहा वह जीत गया !
संघर्ष और साहस के साथ लक्ष्य प्राप्त करने वालों के ज्वलंत उदाहरण -: के एफ सी रेस्टोरेंट के संस्थापक हेनरी फोर्ड, धीरु भाई अंबारी, इंफोसिस कंपनी के मालिक, ऐसे अनेक हैं! एकलव्य ने तीरंदाज़ी को लक्ष्य बना अनोखी विजय हासिल की, विज्ञान के क्षेत्र में भी हमने सफलता प्राप्त की है!
जो बिना लडे़ मैदान से भागा वह हारा! जिसमें लक्ष्य प्राप्त करने का साहस, जुनून, आत्म विश्वास, दृढ़ता हो वही जीता!
- चंद्रिका व्यास
खारघर नवी मुंबई - महाराष्ट्र
कोई भी लक्ष्य मनुष्य के साहस से बड़ा नहीं होता है क्योंकि साहसी व्यक्ति अगर लक्ष्य को हासिल करने की ठान लेता है तो पीछे नहीं हटता परन्तु बड़ी बात यह है कि बहुत सारे लोग लक्ष्य को जानते ही नहीं है कि किस प्रकार लक्ष्य तय किया जाता है और जो जानते हैं वो पूरा करने के लिए साहस नहीं जुटा पाते हैं
एक शोध के अनुसार संसार के 85% लोगों के पास तो लक्ष्य होते ही नहीं हैं उनका जीवन केवल और केवल आहार भय निद्रा और संतानोत्पत्ति तक ही सीमित हो जाता है और जिन 15% के पास होते है उनमें से 12% लोगों के लक्ष्य केवल उनके दिमाग में ही होते हैं और वो जीवन भर वहीं रहते हैं ।चूँकि ये लोग अपने लक्ष्य न तो जीवन भर लिखते हैं और न ही किसी से बताते हैं और बढती उम्र के साथ ज़िम्मेदारियों और मजबूरियों की एक मोटी चादर में दम घोंटते ये लक्ष्य हर रोज मरते हुए अगर और शायद जैसे शब्दों के साथ अफ़सोस और पछतावे में बदल जाते हैं, क्योंकि ये लक्ष्य केवल दिमाग में रहे कभी भी पेपर पर लिखे ही नहीं, क्योंकि शायद इन लक्ष्यों में वो जान नहीं थी की साकार हो पाते या शायद लक्ष्य ही गलत चुने गए और बहुत से लोग तो दुनिया के मजाक के डर से या खुद पर भरोसे की कमी के कारण इन्हें अपने अन्दर ही रखते हैं और किसी के सामने प्रदर्शन नहीं करते । बाकी बचे 3% लोग ये वो लोग हैं जो भलीभांति जानते हैं कि उनके लक्ष्य क्या हैं वे लिखते हैं अपने लक्ष्य को दूसरों को बताते हैं कि उन्हें जीवन में क्या पाना है, कैसे पाना है और कब तक पाना है, और यही वो 3% लोग है जो दुनिया के बाकी 97% लोगों को और इस संसार की अर्थवयवस्था को नियंत्रित करते हैं | और बाकी की भीड़ जिनके खुद के गोल नहीं होते वो दूसरों के गोल के लिए काम करती है । दरअसल साहस के साथ ज्ञान धैर्य और पूँजी का होना एक बड़े लक्ष्य की प्राप्ति में सहायक होती है बशर्ते ये क्रम ज्ञान साहस धैर्य और पूँजी के क्रम में होना चाहिए क्योंकि ज्ञान होने पर साहस में सकारात्मक वृद्धि होती है और व्यक्ति धैर्य के साथ अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अग्रसर हो जाता है । इसलिए हम कह सकते हैं कि लक्ष्य प्राप्ति में साहस बहुत ज़रूरी है साथ ही लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ज्ञान और धैर्य भी अनिवार्य है फिर लक्ष्य बहुत बड़ा नहीं रह जाता ।
-डॉ भूपेन्द्र कुमार
धामपुर - उत्तर प्रदेश
लक्ष्य साहस से बड़ा नहीं, वरन् साहस से लक्ष्य बड़ा बन जाता है, क्योंकि साहस ही तो लक्ष्य तक ले जाने की कुंजी है. साहस, निडरता, समझदारी व लगन से लक्ष्य की ओर उठाया गया छोटा सा अडिग कदम भी बहुत बड़ा होता है क्योंकि आखिरकार वही लक्ष्य तक पहुँचा सकेगा.बिना रूके चलकर लक्ष्य हासिल करने वालों एवं बीच राह में ही थककर हार जाने वालों, दोनों ही श्रेणियों के उदाहरण दुनिया में मौजूद हैं लेकिन पहली श्रेणी के उदाहरण ही पठनीय, अनुकरणीय व प्रेरणास्पद होते हैं यह भी अक्षरशः सत्य है।
- सरोज जैन
खंडवा - मध्यप्रदेश
मेरे अनुसार तो लक्ष्य, साहस से बड़ा ही होता है। हाँ, लेकिन निरंतर और कड़ी मेहनत से साहस को ,लक्ष्य के अनुरूप कर , लक्ष्य को पाया जा सकता है। रामायण में जटायु और उनके भाई संपाती की कथा है। जो सूरज तक पहुंचना चाहते थे। दोनों में अदम्य साहस था, पर लक्ष्य जोखिम भरा। आखिर लक्ष्य तक नहीं पहुंच सके।
लक्ष्य के लिए साहस, संकल्प और हौसला के अलावा योग्यता भी महत्वपूर्ण होती है। लक्ष्य के लिए पहले उसके लिए वांछित योग्यता भी हासिल करनी होती है।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
कोई भी लक्ष्य मनुष्य के साहस से बड़ा नहीं होता है। साहस के बल पर मनुष्य अपने लक्ष्य को प्राप्त करता है। मनुष्य में साहस है थोड़ा कुछ भी हासिल कर सकता है। कहते हैं ना कि मनुष्य चाह ले तो वह आसमान में भी सुराग बना सकता है। आज के दौर में चांद पर बसने के सपना देखना है। क्योंकि उनमें वह साहस है जिसके बल पर हो इस सपने को साकार करने में लगे हुए। यह भी सत्य है कि दुनिया में 100% में से 15% लोग ही ऐसे हैं इनके पास से लक्ष्य होता है। जीवन में हर मनुष्य सफलता हासिल करना चाहता है लेकिन कभी-कभी उसके मन में नकारात्मक भाव उत्पन्न हो जाता है जिसके कारण मनुष्य अपने कार्य में सफल नहीं हो पाता है। कहते हैं कि सफलता पाने का कोई एक सूत्र नहीं हो सकता है मगर सपने देखने की इच्छा और उन्हें पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करते रहने वाला व्यक्ति अपने लक्ष्य को हासिल कर सकता है। आज के समय में पूरी दुनिया कोरोना महामारी से लड़ रही है तो ऐसे विचारों को फैलाने की जरूरत है जिसके चलते लोगों में नकारात्मकता दूर हो जाए और उसमें नई ऊर्जा का संचार हो। आज पूरी दुनिया में भारत कोरोना के दूसरे स्टेट से गुजर रहा है जो बहुत ही बयां हुआ है। हर रोज लगभग 400000 से अधिक लोग कोरोना संक्रमित हो रहे हैं और 4000 के आसपास मौतें भी हो रही है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि लोग जीना छोड़ दिए अपने को बचाव करने के लिए हर वह उपाय कर रहे हैं जो जरूरी है। भारत में कोरोना का सबसे पहले वैक्सीन बनाया जिसे दुनिया भर के देशों में मांग बढ़ी। दूसरा स्टेज भी भले ही खतरनाक हो लेकिन अब नियंत्रित होता है नजर आ रहा है। देश के वैज्ञानिक दवा की खोज कर रहे हैं नए नए प्रयोग हो रहे हैं उन्होंने साहस नहीं छोड़ा, बल्कि साहस के बल पर ही आगे बढ़ रहे हैं। दुनिया के महान लोगों के सफलता से जुड़े हुए विचार जानकर आपको आगे बढ़ने की प्रेरणा प्राप्त होती है और आज हम आपको उन्हीं के विचारों से अवगत कराने जा रहे हैं। अब धीरूभाई अंबानी का ही उदाहरण ले लीजिए। कठिनाइयों में भी अपने लक्ष्य का पीछा करते रहे और विपत्तियों को अवसरों में बदलें। सीएस लुईस / इनका कहना है कि आप कभी भी लक्ष्य निर्धारित करने क्या नया सपना देखने के लिए बूढ़े नहीं होते। जीवन में हर व्यक्ति को आगे बढ़ने के लिए विकास करने के लिए लक्ष्य निर्धारित करना जरूरी होता है। सफलता उसे ही मिलती है जो लक्ष्य निर्धारित कर आगे बढ़ता है। कोई जरूरी नहीं है कि जिस काम को आप करना चाहे एक बार मैं ही उसे पूरा कर ले। लक्ष्य पूरा करने के लिए कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ता है, लेकिन सफल वही होता है जिस में हिम्मत साहस और धैर्य होता है।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
मेरे विचार से कोई भी लक्ष्य मनुष्य के साहस से बड़ा नहीं हो सकता। लक्ष्य का निर्धारण करना आसान होता है। किसी काम का आकर्षण हमें अपनी ओर खींच सकता है अथवा भावना में बह कर हम कोई काम करने की बात सोच तो लेते हैं लेकिन वह काम ज़रूरी नहीं कि उतना आसान हो जितना हम सोच लेते हैं। उस काम को करने की हमारे भीतर क्षमता होनी चाहिए। साहस होना चाहिए। लक्ष्य निर्धारण में कल्पना का पुट रहता है, हम ऐसा करेंगे या ऐसा हो सकता है लेकिन साहस वह जज़्बा है , हमारे भीतर से उठती भावनाओं की वे तरंगें हैं जो उसे क्रियान्वित करने में सहायक होती हैं।
साहस है तो लक्ष्य बड़ा हो सकता हैअन्यथा कोई भी लक्ष्य साहस से बड़ा नहीं हो सकता।
- सुदर्शन रत्नाकर
फरीदाबाद - हरियाणा
लक्ष्य से तात्पर्य -- जीवन में कुछ प्राप्ति योग्य ऐसी दर्शनीयता है जहां परिश्रमी व्यक्ति अपने प्रयत्नों को निर्देशित करता है और निरंतरता को ध्यानस्थ करते हुए लक्ष्य तक पहुंचता है।साहस और लक्ष्य एक दूसरे के पूरक हैं क्योंकि साहस होगा तभी लक्ष्य तक पहुंचने में कामयाबी मिलती है।
जीवन तो स्वयं ही लक्ष्य है पर कामयाब जीवन के लक्ष्य तक तो जोश, उत्साह, सकारात्मक विचारों से युक्त साहस के सोपानो से चढ़ते हुए ही पहुंचा जा सकता है। दुनिया में जितने भी महान लोग हुए हैं सब की सफलता के पीछे उनका अपराजित, अनुपम साहस ही था। संघर्षपूर्ण स्थितियों एवं उतार-चढ़ावों की परवाह न करने वाला ही सच्चा साहसी होता है ;जो जीवन के हर लक्ष्य को पार करता जाता है। जो विघ्न बाधाओं से डर गया वह समझो हार गया। मंजिल तक जाने से ना डरते वहीं मुसाफिर सच्चे हैं किसी ने कहा भी है।और सच ही कहा है जैसे कि समुद्र से मोती , एवरेस्ट पर ध्वजारोहण एवं समस्त आविष्कार अदम्य साहस के फलीभूत लक्ष्य हैं।
- डॉ. रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
"उम्मीदों की कश्ती को डुबोया नहीं करते,
मंजिल दूर हो तो रोया नहीं करते,
रखते हैं जो दिल में साहस कुछ पाने का,
वो लोग जिन्दगी में कुछ खोया नहीं करते"।
बात साहस की हो रही है, मेरे ख्याल में जीवन में हर व्यक्ति सफल होना चाहता है लेकिन सफलता उसी को मिलती है जो समझदारी और साहस से काम लेता है,
यही नहीं हर किसी का जीवन में कुछ बनने का लक्ष्य होता है लेकिन सपने तभी पूर्ण होते हैं जब उन्हें पूरा करने के लिए हमारे अन्दर साहस हो,
तो आईये बात करते है़ कि क्या कोई भी लक्ष्य मनुष्य के साहस से बडा होता है?
मेरा तर्क है कि कोई भी लक्ष्य मनुष्य के साहस से बडा नहीं होता, हारता वोही है जो जो लड़ा नहीं मन में नाकारात्मका का भाव उतपन्न हो जाने से मनुष्य अपने काम में सफल नहीं हो पाता लेकिन सपने देखने की चाह और उन्हें पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करने वालों को कोई पछाड़ नहीं सकता बशर्ते हम साहस और होशियारी से काम लें,
जिन लोगों ने साहस, हिम्मत व मेहनत से काम किया उन्होंने अपने लक्ष्य को जरूर हासिल किया,
इसके लिए हमें मन में प्रतिज्ञा लेनी होगी कि मैं लक्ष्य को पाकर रहुंगा चाहे कितनी भी बाधाओं को पार करना पड़े,
क्योंकी जब हम ठानलेते हैं हमें कुछ नया करना है चाहे कितनी भी परेशानीयां घेर लें
तब साहस का जन्म होता है
और साहस तभी आता है जब हमारे पास कोई मकसद हो एक जूनून हो,
यही नहीं साहस, शक्ति, शौर्य, धैर्य आदि से उतपन्न होता है इसलिए दूनिया के सभी धर्मों में साहस का ऋेष्ठ स्थान है,
और साहस का साकारत्मकता से गहरा रिश्ता है,
प्लेटो ने कहा है कि,
"साहस हमें डर से मुकाबला करना सिखाता है"
लेकिन जब तक व्यक्ति अपनी क्षमता और प्रतिभा को नहीं जान लेता तब तक वो सफल नहीं हो सकता
अन्त मे़ यही कहुंगा कि साहस एक ऐसी शक्ति है जो किसी व्यक्ति को कार्य करने के लिए प्रेरित करती है तथा साहस को प्रभावित करने में
एहसास, दृष्टिकोण, भावना इत्यादी का बहुत महत्व होता है, साहस ही समृद्दी की राह बनता है इसके बिना सफलता असंभव है इसके साथ साथ सतकर्ता, उद्दयन और दृढनिष्टा गुण जरूरी हैं
इसके ऐलाबा लगन हिम्मत आत्मविश्वास और मनोबल भी अति जरूरी है इनके बिना कोई भी मंजिल नहीं मिलती,
विवेकानंद जी ने कहा था विश्व मे़ अधिकांश लोग इसलिए असफल हो जाते है़ कि उनमें समय और साहस का संचार नहीं हो पाता और वह भयभीत हो जाते हैं,
इसलिए साहसपूर्ण जीवन केवल एक सीढी नहीं है यह तो अंतहीन सिलसिला है जिससे हर सीढी के बाद नया आत्मविश्वास मिलता है, जिससे जाहिर होता है कि कोई भी लक्ष्य मनुष्य के साहस से बड़ा नहीं होता,
साहस से तो हर मंजिल संभव है,
सच कहा है,
"यूंही नहीं मिलती राही को मंजिल,
एक जूनून सा दिल में जगाना होता है,
पूछा चिड़ियों से कैसे बनाया आशियाना, बोलीं भरनी पड़ती है उड़ान बार बार,
तिनका तिनका उठाना पड़ता है"।
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
लक्ष्य ऑब्जेक्टिव है और साहस सब्जेक्टिव है लक्ष्य और साहस यदि दोनों एक साथ काम करने लगे तो लक्ष्य पाना आसान हो जाता है
साहस निश्चित ही लक्ष्य से बड़ा
लक्ष्य तो बहुत लोग निर्धारित करते हैं पर साहस कर उसको पाने की हिम्मत करना कम लोगों मैं होता है
लक्ष्य को कभी सपने के तरह हम देखने लगते हैं और व्यक्तिगत तौर पर बहुत कम लोग मेहनत करते हैं उसे पाने के लिए लेकिन लक्ष्य को पाने के लिए अगल-बगल जाते रहते हैं
मन के हारे हार है मन के जीते जीत अगर हिम्मत साहस हौसला के साथ अपने लक्ष्य को पाने के लिए परिश्रम करते रहें तो निश्चित तौर पर लक्ष्य की प्राप्ति होगी सफलता पाएंगे तो साहस लक्ष्य से ऊपर हो जाता है साहस से ही आत्मविश्वास आत्म बल सकारात्मक प्रवृतियां बनती है एक ही वर्ग में पढ़ने वाले विद्यार्थियों में जो कठिनाइयां आती हैं वह विद्यार्थी जिसके पास साहस है वाह हर हाल में उस कठिनाइयों का सामना करते हुए आगे बढ़ जाता है लेकिन उसी जगह पर दूसरे विद्यार्थी कठिनाइयों का रोना रोकर पीछे हट जाते हैं और परिस्थिति को दोषी ठहरा देते हैं
हमारे विचार से लक्ष्य से बड़ा साहस है।
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
" मेरी दृष्टि में " साहस से तो लक्ष्य की पूति होती है । यहीं जीवन का साहस से लक्ष्य को हासिल किया जाता है । लक्ष्य को कभी छोटा नहीं समझना चाहिए । यहीं लक्ष्य प्राप्त करने का रहस्य है ।
- बीजेन्द्र जैमिनी
Comments
Post a Comment