योग्यता का आधार : अनुभव या डिग्री ?
हर इंसान में कोई ना कोई योग्यता अवश्य होती है । जो उस की पहचान या रोजगार का साधन बनती है । यहीं कुछ जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
हमारे समाज में हर कोई डिग्री पाकर ऊंचे ओहदे को प्राप्त करता है। डिग्रियां पाकर व्यक्ति अपने आप को बहुत ही बुद्धिमान और समझदार समझने लगता है। लेकिन ऐसा नहीं है। डिग्रियां सिर्फ कागज के पन्नों मात्र होती हैं जो साबित करती हैं कि आप की शैक्षणिक योग्यता इतनी है।
लेकिन जीवन में हर जगह डिग्रियां काम नहीं आती। व्यक्ति का अनुभव व्यक्तित्व, व्यवहार ही उसकी प्रथम पहचान है। व्यक्ति जहां जाता है वहां खुद को प्रस्तुत करता है। डिग्रियों को नहीं।
व्यक्ति के अनुभव ही उसके व्यवहार को प्रदर्शित करते हैं तो मुझे ऐसा लगता है योग्यता का आधार डिग्री ना होकर अनुभव ही है।
एक अशिक्षित व्यक्ति अच्छा कारीगर होता है, चित्रकार भी हो सकता है। कलाकार भी हो सकता है। यहां उसकी योग्यता डिग्री से नहीं अनुभव से साबित होती है।
- वंदना पुणतांबेकर
इंदौर - मध्यप्रदेश
"मनुष्य की शिक्षा उसे बुद्धिमान बनाती है,
लेकिन मनुष्य के अनुभव उसे जीने की कला सिखाते हैं"।
देखा जाए अनुभव और डिग्री की तुलना अलग अलग क्षेत्र मैं अलग अलग तरह से होती है लेकिन कई जगह या कई विभागों में डिग्री को अनुभव से ज्यादा आंका जाता है जिससे हम कुशलता में पीछे रह जाते हैं ,
आईये आज इसी बात पर चर्चा करते हैं कि योग्यता का आधार डिग्री या अनुभव?
मेरा मानना है कि अनुभव और डिग्री दोनों का अपने अपने क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान है
लेकिन ज्ञान चाहे कितना भी हासिल कर लो जब उसकी व्यवहारिक उपयोगिता सिद्ध नहीं होगी तब तक ज्ञान कि श्रेष्ठता भी सिद्ध नहीं होगी क्योंकी ज्ञान से ज्यादा परख को महत्व मिलना चाहिए इसलिए कि अनुभव ज्ञान से ज्यादा सफलता दिलाता है
यही नहीं अनुभव से मिली हर बात में दम होता है,
"अनुभव सच में
एक बेहतरीन स्कूल है
पर कमबख्त फीस बहुत लेता है"
मेरे ख्याल में कैरियर की उंची उड़ान भरने के लिए केवल डिग्री का होना जरूरी नहीं है क्योंकी शिक्षा और
प्रशिक्षण दोनों योग्यता को मजबूत बनाते हैं,
देखा जाए वर्क एकसपीरियंस भी बहुत महत्व रखता है,
ज्यादा डिग्रीयों की बाढ़ लगाने से स्किल कमजोर रहती है लेकिन एकसपीरियंस और डिग्री दोनों किसी भी क्षेत्र में बेहतर मददगार होते हैं,
यह सच ङिग्री के बाद उस टृेड में जानकारी होना बहुत ज्यादा महत्व रखता है जिस क्षेत्र मे़ कोई जाना चाहता है क्योंकी उसका अनुभव आपको बेहतरीन बनाऐगा
सच कहा है,
"किसी भी चीज को समझने के लिए ज्ञान की जरूरत होती है,
लेकिन उसे महसूस करने के लिए अनुभव बहुत जरूरी है"
अन्त मे यही कहुंगा कि योग्यता का अधार डिग्री भी है किन्तु अनुभव उसकी सफलता का अधार है ,
सच है,
ज्ञान से शब्द समझ में आते हैं
और
अनुभव से अर्थ ।
इसलिए योग्यता का आधार ज्यादा अनुभव से आंका जाना चाहिए।
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
मेरे विचार में तो व्यक्ति की योग्यता उसके अनुभव से ही जाँची जानी चाहिए| डिग्री लेना तो आजकल बहुत सरल हो गया है | कितने ही लोग डिग्रियाँ ले लेते हैं किन्तु उन्हें तनिक भी ज्ञान नहीं होता | यदि हम इतिहास पर दृष्टिपात करें तो देखें कि क्या संत कबीर, हिन्दी साहित्य के देदीप्यमान नक्षत्र कहे जाने वाले प्रेमचंद आदि क्या कोई डिग्री लेकर महान बने ? यह उनका अनुभव ही था कि वे ऐसी ज्ञान की बातें बता गए जो एक डिग्री धारक भी नहीं लिख सकता | हमारे कितने ही बुज़ुर्ग लोग ऐसे हैं जो उँगलियों पर ही बड़े से बड़ा हिसाब किताब बता देते हैं | यह उनके अनुभव से ही संभव है |
- अंजु बहल
चण्डीगढ़
जीवन के परिदृश्य को परिवर्तित करने अनुभव और डिग्री की आवश्यकता प्रतीत होती हैं। प्रायः देखने में आता हैं, कि अगर डिग्री नहीं हैं, किन्तु अनुभव इतना शक्तिशाली रहता हैं, जिसके सामने डिग्रीधारी भी कुछ नहीं कर सकता, क्योंकि उसकी विचारधारा इतनी प्रबल होती हैं, कि सामने वाला प्रभावित होता हैं और सोचने पर मजबूर हो जाता हैं। अधिकांशतः देखने में आता हैं, कि जिसके परिपेक्ष्य में डिग्री नहीं हैं और वह अनुभव के तहत अपने-अपने तौर तरीके से, अपने-अपने क्षेत्रों में वर्चस्व स्थापित करने में सफल हो रहे हैं। डिग्रीधारी मात्र योग्यताओं को ही बता सकता हैं, अनुभव नहीं? हमेंशा डिग्रीधारी की विचारधारा उग्रवादी प्रवृत्तियों की होती हैं, वह सामने वाले को झुकाना ज्यादा पसन्द करता हैं, नम्रता कोसों दूर रहती हैं, लेकिन कुछ लोगों को नकारा भी नहीं जा सकता हैं । आज तो वर्तमान परिदृश्य में डिग्री हासिल करने के उपरांत भी आरक्षण नीति के तहत उच्च पदों पर पदासीन भी नहीं हो सकता, पग-पग पर संघर्षों का सामना करना पड़ता हैं।
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
बालाघाट - मध्यप्रदेश
योग्यता में अनुभव व शिक्षा (केवल डिग्री नहीं) दोनों की अपनी अहमियत है. यदि व्यक्ति के पास अनुभव है और साथ में शिक्षा भी जुड़ जाये तो उसमें और निखार व परिपक्वता आ जायेगी. ऐसे ही यदि कोरे किताबी ज्ञान के आधार पर या रट्टा मारकर या और किसी जुगाड़ से डिग्री हासिल भी कर ली लेकिन उसे जीवन में उतारना नहीं सीखा, तो इससे दूसरों के साथ व्यक्ति स्वयं की निगाह में भी ज्यादा दिन नहीं टिक पाता है ।
- सरोज जैन
खंडवा - मध्यप्रदेश
अनुभव की तुलना तो किसी से की ही नहीं जा सकती। अनुभव के समक्ष हजार डिग्री फेल हो जाती हैं। परन्तु मैं समझता हूँ कि अनुभव और डिग्री, दोनों का अपना अलग-अलग महत्व है।
डिग्री का होना, यह निश्चित करता है कि व्यक्ति, क्षेत्र विशेष में कार्य करने का अधिकारी है। और जब व्यक्ति कार्य करेगा तो शनैः-शनैः अनुभव प्राप्त करते हुए निपुण होगा।
अनुभव एक दीर्घकालिक प्रक्रिया है जो डिग्रीधारी और बिना डिग्री वाले, दोनों को, निरन्तर गतिशील रहते हुए प्राप्त होता है।
निष्कर्षत: मैं यही कहूंगा कि अनुभव और डिग्री, दोनों का ही अपना महत्व है। योग्यता का आधार दोनों ही हो सकते हैं। अनुभवी डिग्रीधारक तो सर्वोत्तम होता ही है।
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखंड
अनुभव के साथ डिग्री होना तो जरुरी है! शिक्षा के माध्यम से जिस विषय में डिग्री लेते हैं शिक्षा उसका पूर्ण ज्ञान कराती है किंतु वह किताबी ज्ञान होता है! जब हम उस शिक्षा से प्राप्त डिग्री को व्यवहार में लाते हैं, शिक्षा से प्राप्त ज्ञान के आधार पर काम करते हैं उस समय आने वाली समस्या को हल करना ही अनुभव है! सच कहा है डिग्री के साथ अनुभव मिले तो सोने में सुहागा होता है!
आजकल डिग्री लेने के साथ साथ बच्चे नौकरी भी करते हैं! डिग्री के साथ 2-3 साल का अनुभव भी ले लेते हैं!
सी. ए (डाक्टर )एम.बी.बी .एस की डिग्री के साथ साथ अनुभव (प्रैक्टिस) भी साथ चलता है! डाक्टर बनने के बाद भी 2-3 साल किसी के अंडर में काम करते हैं वो अनुभवी कहलाते हैं पास होकर तो फ्रेशर ही कहलाती हैं! नौकरी के इस्तहार में भी लिखा होता है फ्रेशर चाहिए अथवा 2-3 साल का अनुभव हो! (एक्सपिरियंस) जीवन में समय के साथ अनुभव मिलता है परिपक्वता आती है और शिक्षा हममे ज्ञान भरती है !व्यक्ति की योग्यता में शिक्षा और अनुभव दोनों का समन्वय अपना अपना स्थान रखती है!
- चंद्रिका व्यास
मुंबई - महाराष्ट्र
अनुभव और डिग्री दोनों जरूरी है। किसी भी नौकरी, सरकारी गैर सरकारी संस्था में पहले डिग्री के महत्व दिया गया है बाद में अनुभव को देखा जाता है। यो कहे, नौकरी पाने के लिए डिग्री एक तरह का प्रवेश पत्र है उसके बाद आपका स्किल, अनुभव देखा जाता है। अधिकतर युवा यह संशय में रहते हैं ।जहां तक मेरा अनुभव है कंपनी में प्रवेश करने के लिए डिग्री जरूरी है जब आप प्रवेश कर जाते हैं तो स्किल एक्सपीरियंस से फायदा होता है। स्किल मांजना जरूरी है
यानि कंपनी के चारों ओर का गतिविधि की जानकारी रखना । जब आपकी पदोन्नति का समय आती है तो ये सब मायने रखता है। अगर आप किसी ट्रेड में अपना स्किल डेवलप किए हैं और दूसरे व्यक्ति अपना ट्रेड के साथ-ही-साथ कंपनी की गतिविधियों की भी जानकारी रखता है तो उन्हें पदोन्नति दी जाती है। इसी को कहते हैं स्किल मांजना । वह व्यक्ति धीरे-धीरे कंपनी के शिखर पर पहुंच जाता है।
इसलिए डिग्री प्लस अनुभव दोनों जरूरी है।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखंड
योग्यता का आधार हमेशा अनुभव ही रहा है l डिग्री या शैक्षिक प्रमाण पत्र नहीं l यद्यपि शिक्षा के आधार पर व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र को उन्नत बनाने का अवसर मिलता है लेकिन हमारी डिग्री मानवीय गरिमा के अनुरूप विभूतियों का समावेश नहीं करके उद्यत, स्वच्छंद दुर्गुणों का समावेश करती है तो हमारा समाज ऐसी परिस्थिति में अशिक्षित से भी गया गुजरा सिद्ध हो सकता है l हमारी शिक्षा रचनात्मकता की अपेक्षा विध्वंसात्मक शक्ति के रूप में उभरती है तो योग्यता का आधार
अनुभव ही होगा l
योग्यता के अंकन में जागरूकता, विचारशीलता और विवेक निष्ठा आदितत्वों का समावेश हो,जो मनुष्य की रीति-नीति में कायाकल्प जैसा परिवर्तन कर सके और यह यह प्रक्रिया अनुभव से ही संभव है l
शिक्षा जन्म से लेकर मृत्यु पर्यन्त चलने वाली सतत प्रक्रिया है जो हमारे व्यवहार को परिमार्जित करे l मैं निःसंकोच कहना चाहूँगी कि किताबी डिग्री /प्रमाण पत्र न केवल इस क्षेत्र में असफल हैं अपितु बुरी तरह पराजित भी हैं l अतः योग्यता का आधार अनुभव ही है l "मैं लूंगा, दूसरों को नहीं दूंगा "यह नीति कलह, द्वेष ईर्ष्या और असंतोष की जड़ है l कैकयी ने अनुभवहीनता का परिचय देते हुए इस नीति को अपनाकर अयोध्या को नरक बना दिया l राम जैसे निर्दोष तपस्वी को वनवास ग्रहण करना पड़ा l ऐसा व्यावहारिक अनुभव की कमी के कारण हुआ l
यदि हमारे मन, कर्म, वचन में मलीनता है तो आपकी डिग्री और योग्यता पर प्रश्न चिन्ह लगना स्वाभाविक ही है l
चलते चलते ---
हनुमान जी महाराज कहते हैं -
श्री गुरु चरण सरोज रज
निज मन मुकुर सुधार.....
हम डिग्री के भ्रांत अहंकार में न रहें, मन का परिमार्जन करते रहें l
- डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
देखिए! योग्यता का पहले तो हमें अर्थ लेना चाहिए कि आप किस योग्यता की बात कर रहे हैं। यदि हम किसी सरकारी नौकरी को लेकर बात करते हैं तो उसमें डिग्री का होना बहुत जरूरी है। डिग्री के हिसाब से ही हमारी जॉब होती है। उसके बाद डिग्री के बाद अनुभव आता है कि आपका अनुभव कितना है और कैसा है यदि डिग्री नहीं है खाली अनुभव है तो हमें कोई भी नौकरी पर नहीं रखने वाला और यदि खाली डिग्री है लेकिन अनुभव नहीं है (आजकल कई बार नकली डिग्रियां भी लोग लेकर फिरते हैं) तो उसके आधार पर भी योग्यता का मापदंड खरा नहीं उतरता।
यदि हम प्राइवेट नौकरी की बात करें, डिग्री नहीं भी हो तो उसमें अनुभव के आधार पर योग्यता देखी जा सकती है जैसे:- आप किसी मंदिर में मैनेजर की सेवा पर लगे हो, किसी अन्य धार्मिक स्थल पर हो या फिर किसी ऐसे संस्थान पर हो यहां पर डिग्री कोई मायने नहीं रखती वहां अनुभव के आधार पर योग्यता को मापा जाता है। कुल मिलाकर यदि हमारा बातचीत करने का तौर तरीका सही है हम दूसरों को हर बात के लिए संतुष्ट कर पाते हैं दूसरे आप के स्वभाव से प्रभावित होते हैं, कहीं-कहीं ऐसा देखा गया है जिनका अनुभव अच्छा होता है उनकी योग्यता को देखकर झटपट काम मिल जाता है.. तो योग्यता का आधार काम पर निर्भर करता है कि वहाँ डिग्री ज्यादा जरूरी है या अनुभव।
- संतोष गर्ग
मोहाली - चंडीगढ़
मेरा मानना है शिक्षा तो जरुरी है पर डिग्री के साथ अनुभव भी हो तो सोने पर सुहागा होता है ...योग्य व्यक्ति है तो वह हर जगह अपना स्थान बना लेगा , कोरी डिग्री होगी और कुछ अनुभव नहीं होगा तो भी नौकरी में कठिनाई आती है योग्यता के लिये दोनों का होना जरुरी है कई बार हम देखते हैं की अनुभव डिग्री कोपीछे छोड़ देता है ।
कई बार हम देखते आदमी के पास डिग्री तो बहुत है पर अनुभव की कमी है जो उसे पदोन्नति में बाधा बनती है
आप की पूरी सफलता के लिये अनुभव भी जरुरी है अनुभव और आपकी योग्यता बहुत बड़ा काम कर जाती है जो एक...डिग्री धारक नहीं कर पाता
इसलिये दोनो का होना जरुरी है तभी आप एक कामयाब इंसान बन सकते हो ।
समझने की बात यह की हम अपने अनुभव और रुची के अनुसार पढ़ाई करें ताकी सही काम कर सकें रुची के अनुसार कान कर सकें
पर कई बार हम देखते हैं की बच्चे दोस्तों के कहने पर डिग्री कुछ लेते हैं और काम कुछ और करते है तो कहाँ से आप परिपूर्ण होंगे ,
काम भी आपका सही नहीं होगा ,
आफिस में सुनना पड़ेगा ।
बहुत जरुरी है चुनाव करना आप किया बनना चाहते है आपकी रुची क्या है और क्यों बनना है बहुत से सवालों का मंथन करें फिर आगे बढ़े सफलता जरुर मिलेगा
योग्यता का आधार दोनों ही है डिग्री हमें तकनीकी ज्ञान देती है , कम्पनी में ज्वाइन करने के लिये डिग्री की आवश्यकता है प्रोमोशन में अनुभव कामयाबी दिलाता है
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
योग्यता का आधार मुलतःअनुभव होता है ।कागज की डिग्री याद कर कोई भी प्राप्त कर सकता है सूचना के स्वरूप में। अनुभव आत्मा करती है जो हर पल हर क्षण आत्मा के पास अनुभव ज्ञान के स्वरूप में होता है। अनुभवी व्यक्ति अपनी पात्रता के अनुसार योग्यता को व्यक्त करता है ।अतः योग्यता का आधार अनुभव है कागज की डिग्री साम-दाम-दंड-भेद से भी मिल जाती है। लेकिन अनुभव प्रमाण के रूप में स्वयं में निरंतर बना रहता है। अनुभव के आधार पर समाधान विचार किया जा सकता है ।विचार के आधार पर न्याय किया जाता है और न्याय के साथ व्यवहार कार्य किया जाता है ।यही योग्यता का पहचान है। जिसका आधार अनुभव है। बिना अनुभव का कोई भी कार्य सफल नही। होता है अनुभव के सामने डिग्री का कोई महत्व नही है। डिग्री प्राप्त करने के बजाय अनुभवी होना जरूरी है।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
योग्यता को मापने का वर्तमान में जो चलन है- वह है डिग्री । विभिन्न विषयों में ली गई डिग्रियां व्यक्ति को उस विषय में योग्य सिद्ध करने का प्रमाणीकरण है ।
डिग्री धारियों की जमीनी हकीकत से लगभग सभी वाकिफ हैं कि ऐसे लोग कितने योग्य हैं । लेकिन ऐसा भी नहीं है कि सभी, सिर्फ डिग्री में ही योग्य हैं ।
डिग्री, लोगों को बड़ी-बड़ी पोस्ट पर आरूढ़ करवा सकती है परंतु वे उन पर कितने खरे उतरते हैं, यह तो अनुभव पर निर्भर करता है ।
वर्तमान समय में डिग्री की अहमियत बहुत अधिक है, जरूरी है क्योंकि इसके बगैर अच्छी नोकरी मिलना कठिन है ।
अनुभव की बराबरी डिग्री से नहीं की जा सकती । जो कार्य डिग्री धारी नहीं कर सकते या करने में वक्त लगाते हैं, वही कार्य कम पढ़ा लिखा या अनपढ़ और अनुभवी चुटकियों में कर डालता है ।
कई डिग्री धारी तो 'नीम हकीम' की श्रेणी में आते हैं । डिग्री के पीछे लोग भागते हैं, उसे येन केन प्रकारेण खरीद भी लेते हैं जबकि अनुभव की पाठशाला में पढ़ कर जो शिक्षा मिलती है, योग्यता अर्जित की जाती है, वह जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में उपयोगी है, उसकी बराबरी डिग्री से नहीं की जा सकती ।
- बसन्ती पंवार
जोधपुर - राजस्थान
अनुभव जो जीवन में व्यावहारिक रूप से अर्जित किया हो और डिग्री जो शिक्षा अर्जित करते समय ईमानदारी और मेहनत से प्राप्त की हो, दोनों ही योग्यता का आधार हैं। इस जीवन में पुस्तकों के ज्ञान के अलावा व्यावहारिक ज्ञान होता है जो किसी पुस्तक में नहीं लिखा होता परन्तु शिक्षित व्यक्ति या कहें कि डिग्री प्राप्त व्यक्ति शिक्षा के फलस्वरूप प्राप्त संस्कारों और विवेक के बल पर मुश्किलों का या जीवन की राह में आई कठिनाइयों का सामना कर लेता है और इससे प्राप्त अनुभव को अपनी योग्यता बनाकर समाज की सेवा करता है। वर्तमान आपदा में जहां अनुभव लाभकारी साबित हो रहे हैं वहीं योग्यता प्राप्त चिकित्सक भी जनसेवा कर रहे हैं।
- सुदर्शन खन्ना
दिल्ली
योग्यता का आधार अनुभव होता हैं।डिग्री फर्जी तरीके से हासिल की जा सकती हैं पंरतु अनुभव के सच्चे और कड़वे पहलुओं को योग्यता का आधार मिलता हैं जीवन की परिस्थितियों में हम अपने अनुभव को हर तरिके से जीते हैं और फिर सफलतापूर्वक कर्म को संपन्न करते हैं।हम जब कभी भी हिम्मत हारते हैं तो मीठेपन का अनुभव हमारे जीवन को गतिमान बनाने में अपनी भूमिका निभा जाते हैं।डिग्री हासिल करना कोई बडी बात नहीं पैसों केंद्र में डिग्रियां प्राप्त होती है।जीवन के झूठ को डिग्री फर्जी हो तो और खराब कर देती हैं।अनुभव से विपरीत परिस्थितियों में भी हम हौसलों को बनाए रखने में सार्थकता प्राप्त होता है।
योग्यता हमारे चरित्र का अहम चरण होता है अगर हम में योग्यता है तो हम अनुभव को जीते है इसका मुख्य आधार अनुभव ही है जो जीवन को मजबूत संबल देता है।जीवन के क्षेत्रों में हम जीत हार का सामना करते हैं पंरतु योग्य व्यक्ति हमेशा जीवन को जीत कर शांतिपूर्ण तरीके से जीने की कोशिश करते हैं हम कितना भी तकलीफों से गुजरें योग्यता हमारी हमें अंदर से संबल देती हैं।डिग्री का कुछ नही होता महज कागज़ के टूकडों की भांति अलमारियों में पडा रहता है।पंरतु जीवन की,सच्चाई ,आंनद,संवेदनशील ,सरलीकरण को हमारी योग्यता ही अनुभव के माध्यम सें हमें बताता है।जीवन मे हमें अनुभव ही सिखाता है हम किस उचाई पर हैं और योग्यता ही हमें आगे बढ़ने को गतिशील बनाये रखने में अपनी भूमिका निभा जाता है।अनुभव अच्छे और बूरे दोनों का अलग स्वाद होता है।अनुभव से ही हम जीवन की हर बात ,हर अदा को समझने की कोशिश करते हैं।डिग्री तो सिर्फ भीड़ कि एक हिस्सा होती है अतः जीवन में योग्यता का आधार अनुभव ही है
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
सामान्य रूप से देखा जाय तो योग्यता के लिए अनुभव और डिग्री दोनों जरूरी है। लेकिन बिना किसी कागजी प्रमाण के कोई मानेगा ही नहीं। इसलिए योग्यता का आधार डिग्री ही है। किसी के पास कंप्यूटर चलाने का बहुत अनुभव है लेकिन बगैर डिग्री के उसे कहीं नौकरी नहीं मिलेगी। एक ड्राइवर बहुत अच्छा गाड़ी चलाता है लेकिन बिना डिग्री यानी लाइसेंस के कोई उसे काम देगा ही नहीं। इंजीनियरिंग का लाख अनुभव हो लेकिन बिना डिग्री के कहीं काम नहीं मिलेगा। एक आदमी बहुत अच्छी तरह बच्चों को पढ़ा सकता है। लेकिन जब शिक्षक की नौकरी की बात आएगी तब देखा जाएगा वो B. Ed. किया है कि नहीं। इस तरह से हम देखते हैं कि योग्यता का आधार डिग्री ही है। बिना डिग्री के कहीं काम मिलने वाला नहीं। काम मिलने के बाद ही उसके अनुभव का लाभ उसे मिल सकता है। जब दो व्यक्ति नौकरी के लिये आवेदन करें। एक के पास केवल डिग्री है और एक के पास डिग्री और अनुभव दोनों है तो वही नौकरी पायेगा। कहीं भी डिग्री के आधार से ही काम मिलेगा तभी तो वह अनुभव हासिल करेगा। अपवाद स्वरूप भले ही किसी को अनुभव के आधार पर काम मिल जाय लेकिन डिग्री तो आवश्यक है ही। क्योंकि किसी को डिग्री जानकारी के आधार पर ही मिलती है। इसलिए योग्यता का आधार डिग्री ही है।
- दिनेश चन्द्र प्रसाद "दीनेश"
कलकत्ता - पं. बंगाल
निश्चित रूप से योग्यता का आधार अनुभव ही होता है और यदि उसमें डिग्री और मिल जाए तो सोने पर सुहागा। कुछ लोगों के पास डिग्रियां होती है किंतु अनुभव शून्य होने की वजह से उनकी डिग्रियों का कोई औचित्य नहीं रह जाता। कभी कभार डिग्रियों के आधार पर नौकरियां भी हासिल हो जाती हैं ,पर अनुभव हीनता की वजह से अपना कार्य करने में सक्षम नहीं रहते। योग्यता के लिए सही ज्ञान का होना अति आवश्यक है। पढ़ाई करते समय यदि पाठ्यवस्तु को समझ कर पढ़ा जाए और उस पर अमल किया जाए तभी वह कारगर होती है वरना नहीं।
- गायत्री ठाकुर "सक्षम"
नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
अनुभव की डिग्री से बड़ी कोई डिग्री नहीं है। मैंने कृषि विज्ञानिकों को कृषकों से सीखते देखा है और रसायन विज्ञान में मास्टर डिग्रीधारकों को वाशिंग पाउडर बनाने में विफल होते देखा ही नहीं बल्कि साक्षात झेला है।
हिंदी के अध्यापकों से अशुद्ध हिंदी पड़ी हुई है और शुद्ध हिंदी सीखने के लिए हाथों पर डंडे खाए हैं। जबकि अपना दोष यह है कि अंग्रेजी भाषा को विदेशी भाषा मानते हुए हम सीखना नहीं चाहते थे। हालांकि आज माननीय उच्च न्यायालय में याचिकाओं को दाखिल करने के लिए अंग्रेजी की परम आवश्यकता पड़ने पर लोहे के चने चबाते और खून के आंसू बहाते हुए याचिकाओं को लिखा है। यह बात अलग है कि उन याचिकाओं की उसी न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीशों ने भूरी-भूरी प्रशंसा की है, जिस न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ने मुझे पागल कहते हुए खुली न्यायायल में मेरा अपमान किया था। जबकि विधिक शिक्षा में एलएलबी की डिग्री प्राप्त करने के बाद वरिष्ठ अधिवक्ता तथाकथित विद्वान श्री डी.सी. रैणा ने चुप्पी साध ली थी। ऐसी डिग्रियों का न होना ही अच्छा है जो न्याय के स्थान पर घूसखोरी को प्राथमिकता दें। ऐसे डिग्रीधारी दण्ड के पात्र हैं। जिनके कारण मासूम याचिकर्त्ताओं का जीवन ही बर्बाद हो जाए।
यही नहीं जो डाॅक्टर एमबीबीएस की उपाधि लेने के बाद रोगियों का उपचार करने के स्थान पर उनका धंधा करते हैं वह भी दण्ड के पात्र हैं। क्योंकि रोगी उन्हें ईश्वर का रूप मानते हैं और वह राक्षस का दायित्व निभाते हैं। वर्तमान कोरोना काल में रोगियों के परिजनों का विलाप मेरे उक्त तर्क का स्पष्ट समर्थन करते देखे जा रहे हैं।
अतः स्पष्ट है कि योग्यता डिग्री की मोहताज नहीं है। परंतु इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि डिग्री एक पहचान है जो ट्रेडमार्क का काम करती है।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
" मेरी दृष्टि में " योग्यता का आधार डिग्री के बाद भी अनुभव की आवश्यकता पड़ती है । अनुभव से ही हर कार्य को सम्पन्न किया जाता है । जो पहचान या रोजगार का प्रतीक बन कर उभरती है ।
- बीजेन्द्र जैमिनी
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