क्या जीवन में सपनें टूटने के बाद निराश होना चाहिए ?

जीवन में सपनें जरूर देखने चाहिए । बिना सपनें के जीवन अधूरा है । सपनें टूट भी जाऐं तो निराश नहीं होना चाहिए । पुनः ऊर्जावान होकर नये सिरे से कार्य करना चाहिए । क्योंकि निराश का अर्थ कुछ भी हो सकता है यानि आत्महत्या भी  हो सकती है । ऐसे ही विचारों को " आज की  चर्चा " में पेश किया जा रहा है : -
सपनों का सम्बंध महत्वाकांक्षा से होता है ,टूटने से निराशा होना स्वाभाविक है लेकिन उस वक्त थोड़ी सहजता और विवेक से काम लेना उचित होता है ।कहते हैं ....आँधी आवे बैठ गवाँवे ...। अर्थात दुःख के वक्त कुछ समय के लिए रुको ।पुनः पूरी शक्ति और बुद्धी के साथ प्रयास रत  हो जाओ ,जरुर सफल होगे । निराशा का नाता सपनें के टूटने से नहीं होना चाहिए ।
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
प्रत्येक मनुष्य की प्रवृत्ति होती है सपने देखना, बिना सपनों के हमारा जीवन अधूरा लगता है। और यह सच है कि जब सपने पूरे नहीं होते हैं तो हम निराश भी हो जाते है क्योंकि अगर सपने न हो तो हमारा जीवन मकसद हीन हो जाता है। टूटना - जुड़ना, पाना - खोना यह सब जीवन की रीत है, अतः व्यर्थ निराशा न हो कर पुनः प्रयास में जुट जाना चाहिए, ताकि अंशतः ही सही अपने सपने को साकार कर सके।
- ईशानी सरकार
पटना - बिहार
यह सच है कि हर व्यक्ति का सपना पूरा नहीं होता पर हो सकता है विधाता ने उसके लिए कुछ और सोच रखा है । इसलिए व्यक्ति को अपना कर्म करते रहना चाहिए । इस संदर्भ में गाने की एक पंक्ति याद आती है..सपने हैं सपने कब हुए अपने ,आंख खुली और टूट गये ।मेरा मानना है खुली आंखों से सपने देखने चाहिए और उसे पूरा करने के लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए क्योंकि बंद आंखों से देखे गये सपने अक्सर टूट जाते है ।  
  - प्रतिभा सिंह
  रांची - झारखण्ड
सपने तो सपने होते हैं जिसमें हम कल्पनाओं से जीवन के तार जोड़ लेते हैं और ये तो सुप्त अवस्था की प्रक्रिया है कि जो हम दिन रात सोचते हैं, महसूस करते हैं या किसी विषय की गहरी छाप हमारे मन मस्तिष्क में निरंतर चलायमान रहती है वही सपने में बुनने लगते हैं ।हाँ वास्तविक जिंदगी में हम कुछ बनने या हासिल करने के सपने देखते हैं और वो पूरे नहीं होते तो हम निराश जरूर हो जाते हैं लेकिन जीवन में उतार चढ़ाव तो आते ही हैं ।जीवन में जो भी होता है वो अच्छे के लिए ही होता है, ये मानकर कर्म करते रहना चाहिए । विकल्प बहुत हैं नई राह सृजन कर आगे बढ़ने से सफलता जरूर मिलती है ।
- सुशीला शर्मा 
जयपुर - राजस्थान
आज की चर्चा सपने पानी के बुदबुदे से होते हैं। हां सपनों के आधार पर हम जीवन में लक्ष्य निर्धारित करते हैं। परिश्रम के बाद भी जब लक्ष्य पूरे नहीं होते, तब नैराश्य होता है।आत्मबल तथा विवेक की मदद से उसे दूर करके पुन:नियोजित रूप से प्रयास किये जा सकते हैं।
- डाँ. चंद्रा सायता
इन्दौर - मध्यप्रदेश
जीवन में सपना देखने का अधिकार सबको है|सपने टूटते हैं ,मरते नहीं |सपने टूट गए तो क्या हुआ खुद कभी ना टूटे |सदा प्रयत्नशील रहे |हो सकता है उस सपने से भी बेहतर आपके नसीब में हो|हमेशा आशावान बने सफलता क़दम चूमेगी |संघर्ष किजीए परिस्थितियों से लड़िए सपने को कभी मरने मत दिजीए |सपने को जीने से मंज़िल अवश्य मिलती है|इसलिए सपने टूटने पर निराश मत होइये और सपना देखना मत छोड़िए क्या पता जीवन के किस मोड़ पर आपके सपने पूरे हो जाए ।
                        - सविता गुप्ता 
                      राँची - झारखंड
सपने अवश्य देखना चाहिए, पर उसके पुरी होने की शर्त के साथ नहीं! मानव के मन में उठते भावनाओं का सुषुप्त दर्पण ही तो स्वप्न है। जब यह दर्पण टूटता है, तो हृदय भी टूटता है।पर, एक स्वप्न के टूटने से निराश नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह अंत नहीं है। संभावनाओं का अभी अंत नहीं हुआ है।किसी दुसरे स्वप्न की आकांक्षा के द्वार अभी खुले हुए हैं।जब तक जीवन है, तब तक स्वप्न भी है। 
- डॉ.विभा रजंन ' कनक '
  नई दिल्ली
सपने काल्पनिक होते हैं। जिन्हें हम सुषुप्त अवस्था में हमारे मन-मस्तिष्क में व्याप्त अतृप्त आकांक्षाओं की स्वप्निल परिणिति भी कह सकते हैं। उनके होने, न होने का न कोई महत्व नहीं और ऐसी महत्वहीन स्वप्निल दृश्यों  के लिये क्या निराशा, क्या हताशा। यदि इसी के लिये रोना-धोना कर लिया तो आने वाले समय में हम कमजोर, निराशावादी,व्यथित और थकित ही बने रह जायेंगे। हमें ऐसी नकारात्मक ऊर्जा से बचते हुये सदैव खुशमिजाज,उत्साही और सकारात्मक सोच लेते हुये आगे बढ़ना चाहिए। हमारा रुझान सपनों के बदले संकल्प पर होना चाहिए। जीवन नश्वर जरूर है,पर सामर्थ्यवान इतना है कि कठिन भले ही हो,असंभव कुछ भी नहीं। जब तक है ,अवसर की कमी नहीं। अतः निराश होना, एक और अच्छे अवसर को खोना है।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
 गाडरवारा - मध्यप्रदेश
जीवन में सपनों का महत्व है। सपने दो तरह के होतें हैं। एक खुली आँखों से देखे भविष्य के सपने जिस में संभावनाओं को नये पंख व उड़ान का हौसला मिलता है। दूसरे सपने नींद में देखे हुए जोकि हमारी अपूर्ण इच्छाएं, अधूरे काम और अवचेतन मन में दबे छिपे ऐसी कामनाएँ और भाव जिन्हें हम कभी पूर्णतः किसी को बता नहीं सकते हैं।  सपनों की दुनिया अद्भुत है।  सच्चे इंसान की पहचान ही यही है कि वो निराशा में से आशा ढूंढे। सपनों के टूटने से  कभी  निराश नहीं होना चाहिए। आसमान में जिस तरह बादलों के नव रूप बनते हैं उसी प्रकार जीवन को आशा के आसमान सा मान नयी कोशिश के बादल अवतरित करते रहना चाहिए। 
सपने को हकीकत में बदलना आदत बना लें ।।
- ड़ा.नीना छिब्बर
जोधपुर - राजस्थान
जीवन में सपने देखना भी ज़रूरी है और उनको पूरा करने की पूरी कोशिश करना भी ज़रूरी है। लेकिन हर समय हर सपना पूरा नहीं होता। सपना टूटने पर निराश न होकर हमेशा आशा का दामन थामकर रखना चाहिए ।व आपने गोल को पाने की फिरसे कोशिश करना चाहिए। जिस तरह दुःख हमेशा नहीं रहता इसितरह निराशाको कुछ समय के लिए ही पकड़ कर रखना चाहिए।आशवादी सोच ही हमको निराश के गर्त से निकाल सकती है ।
- शारदा गुप्ता
इन्दौर - मध्यप्रदेश
सपने टूटना कोई निराशा का कारण नहीं सपने फिर बुने जा सकते हैं देखे जा सकते है जीवन का निश्चित उद्देश्य जीने के लिए क्या है यह अधिक महत्वपूर्ण है ।इसलिए कुछ करने का निश्चय कर आगे बढ़ना चाहिए जिससे भविष्य में कुछ बनने व सपनों के पूरा होने का रास्ता स्वयं खुल जायेगा ।
- शशांक मिश्र भारती 
शाहजहांपुर - उत्तर प्रदेश
निराशा ही मृत्यु है, आशा ही जीवन है. समग्र जीवन जीने के लिए सपने बुनना भी  आवश्यक है. अपने सुनहरे पूरा करने के लिए -
  सपनों को आँखों में मत बसाइये 
 आंसुओं के संग बह जायेंगे l 
इन्हें ह्रदय की धड़कन में बसाइये 
ये हर धड़कन में याद आयेंगे ll 
दिल की धड़कन में बसे सपने जीवन में अवश्य ही पूरे होते हैं. 
ज्योतिष के अनुसार सपने हमारे मन के प्रश्नों के उत्तर देते हैं और हमें कई बार कार्यों के प्रति सचेत भी करते हैंतथा आने वाले भविष्य की ओर इंगित भी करते हैं. इसलिए हमें सपनों को समझना भी चाहिए. सपना देखना और समझना अपने आप को समझाने जैसा है. ध्यान रहे -सपने तो सपने होते हैं, ये कब अपने होते हैं. सपने टूटने पर निराश मत होइए, अपने आप को धरातल पर खड़े रखियेगा.क्योंकि जिंदगी एक हसीन ख़्वाब है, जिसे जीने की चाहत होनी चाहिए. ग़म ख़ुशी में बदल जायेंगे. सावधान -हर कोई क़ातिल है इस जमाने में, कुछ सपनों का, कुछ उम्मीदों का. ऐसे परिवेश में जीवन सपने टूटने के बाद निराश नहीं होना चाहिए. कभी नहीं, पुनः चिड़िया की तरह नीड़ का निर्माण करना चाहिए.
डाँ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
जीवन में सपना देखना लक्ष्य पर निर्धारित रहता है जब कोई हम लक्ष्य लेकर चलते हैं वह लक्ष्य प्राप्त नहीं होता है तो हमारी सपने में दरारें पैदा हो जाती है जिसे हम सपने का टूटना कहते हैं कहा जाता है वो व्यक्ति ही क्या जिसका कोई सपना ना हो। ऐसा व्यक्ति जिसने अपने जीवन में कोई सपना ही ना देखा हो, उसका जीवन व्यर्थ ही है। वह ना तो दूसरों से प्रेरणा ले सकता है और ना ही किसी के लिए प्रेरणास्त्रोत बन सकता है। लेकिन उस व्यक्ति का क्या जिसने अपने जीवन में सपना भी देखा और उसे पूरा करने की कोशिश भी की... परंतु दुर्भाग्यवश उसका वह सपना टूट गया। अब उसके सामने कोई उम्मीद की किरण नहीं है.. वह खुद को हारा हुआ, हताश, असफल इंसान समझता है।
- लक्ष्मण कुमार
सिवान - बिहार
जीवन   में  बच्चे,  युवा,  बुजुर्ग सभी  सपनेे  देखते  हैं,  चाहे  वे पूरे   हो  अथवा   न  हो  ।  सभी  के  सपने  अपनी-अपनी  आयुनुसार  अलग-अलग  रंग- रूप  लिए  होते  हैं  ।  माना कि  सभी  के  सपने  पूरे  नहीं  हो पाते  मगर  फिर  भी  ये  असीम  सुकून  देते  हैं  ।  एक  ऐसी  उम्मीद   जिसके  सहारे  आगे  बढ़ा  जा  सकता  है ।  हकीकत  में   देखे  गए  सपनों  के   टूटने  का  दर्द  कभी-कभी  असहनीय  हो  जाता  है  ।  मगर  निराश  होकर  बैठ  जाना  व्यर्थ  है  ।  सकारात्मक  सोच  के  साथ  पुनः  प्रयासरत  होना  ही  समझदारी  है  ।  परदा  बहुत  खूबसूरत  लगता  है  भ्रम  और  सच्चाई  के  बीच,  ये  जीवन  को  खुशहाल  बनाए  रखता  है  ।  कभी  मिलेगी  कहीं  तो  मिलेगी  सपनों  को  मंजिल  ।  बस  आत्मविश्वास  से  उन्हें  पूरा  करने  का  प्रयास  आवश्यक  है  ।
     - बसन्ती पंवार 
       जोधपुर - राजस्थान 
जीवन मे सपनें के टूटने के बाद व्यक्ति को निराश नहीं होना चाहिए, क्योंकि एक सपना टूटने के बाद बहुत सारे सपना पुर्ण करने का रास्ता खुलता हैं। सपना पूरा करने के लिए व्यक्ति को जितना मेहनत, जोश और जनून की जरूरत पड़ता हैं, वो लगाया नहीं जिसके कारण सपना पूरा नहीं हुआ। 
     -  प्रेमलता सिंह
      पटना - बिहार
जीवन विविधताओं से भरा हुआ है । तरह -तरह के रंग अपने दामन में समेटे कई बार व्यक्ति ऐसे कल्पना लोक में खो जाता है जहाँ वो बिना परिश्रम किये सपनों के पूरा होने की ख्वाहिश कर बैठता है । अब जाहिर सी बात है बिना कर्म कुछ भी नहीं मिलता सो जो सपना देखा था वो कैसे पूरा हो , बस इसी बात से   व्यक्ति  निराश हो जाता है ।
जितने भी लोग सफल हुए हैं न जाने कितनी बार उनको हार का मुख देखना पड़ा होगा परन्तु उन्होंने हार नहीं मानी , जितनी बार गिरे, उतनी बार पूरी ताकत से उठे, अपनी कमियों को ढूंढा और चल पड़े सपनों को पूरा करने ।
इसका जीता जागता प्रमाण सदी के महानायक बिग बी हैं जिनको आकाशवाणी ने उनकी आवाज को अच्छी नहीं कह के  अपने कार्यक्रम से अलग कर दिया था । बाद में दुनिया उनकी उस वशिष्ट आवाज व बोलने की शैली से प्रभावित हुयी है । कौन बनेगा करोड़पति के सफल संचालक के रूप में उनका कोई सानी नहीं है ।
निष्कर्षतः ये कहा जा सकता है कि यदि आपका सपना टूटे तो निराश होने के बजाए आप नए उपाय अपनाते हुए जुट जाइये उसे पूरा करने के लिए । क्योंकि कहा भी गया है यदि एक रास्ता बंद होता है तो हजारों रास्ते खुलते हैं ।
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश
निराशा खुद-ब- खुद आती है । कोई चाहता नहीं है । लेकिन इससे बाहर निकलना अपने हाथ में है ।व्यक्ति के सपने जब टूटते हैं तो व्यक्ति मानसिक रूप से टूट जाता है । मानसिक तनाव मौत का  रूप भी ले  सकती है । मानव को खुद में शक्तिशाली बनना होगा। एक व्यक्ति परिवार का महत्वपूर्ण अंग होता है । परिवार के लिए खुद को निराशा से निकलना है ।
संगीता गोविल
पटना - बिहार
सपने लगभग सब देखते हैं और बहुत ही कम लोग होते हैं जिनके सपने तुरंत पूरे हो जाएँ ।सपने जब टूट जाते हैं तो निराश होने के बजाये यदि मनुष्य अपने प्रयासों मैं कमियों का अवलोकन व  विश्लेषण करे तो कामयाबी  अवश्य मिलेगी
निराशा मैं आशा के के बिखरे कणो को एकत्रित करने मैं ही सफलता का राज़ छिपा है !!
- नंदिता बाली 
सोलन - हिमाचल प्रदेश
सपने देखना यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है।कहा जाता है कि व्यक्ति जो भी सोचता या चाहता है वो सब सपने में उसे आनंदित करते हैं क्योंकि अधिकांशतः बातें हक़ीक़त में पूर्ण नहीं हो पातीं हैं , परन्तु वही इच्छा , अभिलाषा सपना में पूरी कर  व्यक्ति क्षणिक हीं पर अपार हर्ष प्राप्त कर लेता है । यह बात भी सही है कि सपने टूटते हीं है जागने पर ,,,,।अब यही व्यक्ति को समझना है कि सपना और हकीकत में बहुत अंतर होता है । सपना पानी के बुलबुले के समान क्षणिक है यथार्थ नहीं । सपने सुनहरे और हसीन होते हीं है पर "आंख खुली और टूट गये" इस सच्चाई को भी हमें मान लेना चाहिए । हमें सपने टूट जाने पर निराशा की जगह उसे पूर्ण करने  के लिए धैर्य,मेहनत और साहस के साथ रणरूपी जिंदगी के कर्म-क्षेत्र में दुगने  उत्साह से भीड़ जाना चाहिए, निराशा से मन व्यथित हीं होगा , हासिल कुछ नहीं होगा ।सदैव व्यक्ति सकारात्मक सोच रखें तो सपने के टूटने पर वह नियंत्रण या सामांजसय बनाए रखे,तो बेहतर है ।
- डॉ पूनम देवा
पटना -बिहार
सपने टूटने पर निराश होने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता। मानव स्वप्न देखता है, उन देखे सपनों में से अपना लक्ष्य चुन कर उसकी प्राप्ति के लिए भगीरथ श्रम करता है और अपने इच्छित लक्ष्य को पा अपने स्वप्न के पूरे होने पर हर्षित होता है। यदि स्वप्न टूटते हैं तो कुछ समय निराशा की स्थिति रहने पर भी व्यक्ति उससे उबरता है और पुनः अपने लिए स्वप्न बुन कर उन्हें पाने की ओर कर्मरत हो जाता है। मनुष्य की यही तो विशेषता है कि वह बड़े से बड़े दुख, निराशा के अंधेरे से निकल कर अपने लिए प्रकाश खोज लेता है। सपने टूटने पर नये स्वप्न बुनना, उन्हें पाने के लिए रास्ता ढूँढ कर उसके पूरा होने तक कर्मपथ पर चलना ही तो उसे ऊँचा उठाता है।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून - उत्तराखंड
आज का चर्चा का विषय बहुत ही महत्वपूर्ण है। क्योंकि सपने टूटने से निराशा कभी भी नहीं आनी चाहिए। क्योंकि लोग सपने बहुत देखते हैं। हमेशा प्रयत्नशील रहने पर सपने जरूर पूरे होते हैं। इसलिए सिर्फ एक बार प्रयत्न करने पर निराशा हाथ लगे तो निराश नहीं होना चाहिए, बल्कि प्रयत्नशील रहना चाहिए। खासकर बच्चों में टेन ,प्लस टू के बच्चे या प्रतियोगिता में शामिल बच्चे जब कंपटीशन में कंप्लीट नहीं कर पाते हैं, तो वह कई तरह के घातक, जानलेवा, आत्महत्या जैसी घटना को अंजाम देते हैं जो कि यह सरासर गलत है। इसलिए सपने जरूर देखें और वह जरूरी नहीं कि एक बार में ही पूरे हो। इसलिए प्रयत्नशील  रहे और सपने जरूर पूरे होंगे। सपने टूटने पर निराश कभी नहीं होने चाहिए।
 - मीरा प्रकाश
 पटना - बिहार 

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पानीपत साहित्य अकादमी के बसन्त आगमन के अवसर पर कवि सम्मेलन का संचालन करते हुए बीजेन्द्र जैमिनी
स्थान
एस. डी. मार्डन पब्लिक स्कूल
दिनांक 08 फरवरी 2009


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