दुष्कर्मियों के पुलिस एनकाउंटर से देश को क्या संदेश गया ?

हैदराबाद सामुहिक दुष्कर्मियों के खिलाफ पुलिस एनकाउंटर  पूरे देश में सोशल मीडिया पर छाया हुआ है ।
पुलिस ने जो काम कर दिखाया है । वह पहले कभी नहीं हुआ है । जनता पुलिस की तारीफ में कहीं भी पीछे दिखाई नहीं दी है । कानून की दृष्टि से भी कुछ भी ग़लत नहीं ‌हुआ है । क्योंकि पुलिस की कस्टडी से आरोपी भाग जाते तो पुलिस पर बहुत से सवाल खड़े हो जाते । ना पुलिस के ज़बाब पर कोई विश्वास करता और पीड़ित के परिवार की सुरक्षा भी ख़तरे में पड़ जाती । जब आमने-सामने गोलीयों से मुकाबला होता है तों कुछ भी हो सकता है । ऐसी स्थिति में पुलिस एनकाउंटर गलत नहीं कहा जा सकता है । अतः " आज की चर्चा " में आये विचारों पर भी नज़र डाल लेते हैं :- 
परिस्थिति भावनाएं सोच उस पर आपका दृष्टिकोण यह सब मिलकर किसी घटना के प्रति आपके विचारों को पोषित करने का कार्य करते हैं कुछ ऐसा ही मिलाजुला दृष्टिकोण या संदेश इस एनकाउंटर की घटना को लेकर देश में चर्चित है।
सामान्य तौर पर आक्रोशित संभावनाएं जो इस घृणित कृत्य से आहत थी इस एनकाउंटर को उचित व वर्तमान में ऐसी घटनाओं पर प्रतिबंध मानती हैं।किंतु दूसरी ओर वह वर्ग जो सामान्य तौर पर' घृणा पाप से करो पापी से नहीं वाले गांधीजी के सिद्धांत को स्वीकार करता है वह इसे अमानवीय अवैधानिक ठहरा रहा है तथा पुलिस को मनमानी करने की स्वतंत्रता मिलने  की आड़का एक बहाना भी मान रहा है।इस तरह दृष्टिकोण की भिन्नता अनुसार या एनकाउंटर अलग-अलग लोगों पर अलग-अलग प्रभाव डाल रहा है।
- रश्मि लता मिश्रा
बिलासपुर - छत्तीसगढ़
दुष्कर्मियों का एनकांउटर होना ही चाहिए था ताकि सभी गंदी सोच वालों में एक भय उत्पन्न हो और वे किसी बेटी पर नजर उठाने की हिम्मत न कर सकें। इस जघन्य कांड से पूरे देश में जो उबाल था उसे थोड़ी सी ठंडक मिली है परंतु उन जानवरों के लिए ये बहुत आसान मौत है। ऐसे दरिंदों के अंग काटकर उन्हें बांधकर तड़पने के लिए छोड़ देना चाहिए। हर आने -जाने वाले उन पर पत्थर मारे या उन्हें भी जिंदा जला देना चाहिए। ऐसी सजाओं से समाज में एक सुखद संदेश जाएगा और भविष्य में बेटियाँ सुरक्षित रहेंगी। इस एनकांउटर के लिए हैदराबाद पुलिस को सलाम। 
डाॅ सुरिन्दर कौर नीलम 
राँची - झारखंड
दुष्कर्मियों का एनकाउंटर बिल्कुल सही है।काश!ये पहले ही शुरू हो जाता तो दरिंदों के मन में दहशत तो आता शायद इनकी दशा और दिशा बदलने में सहायक होता। ऐसा ही होना चाहिए। त्वरित कार्रवाई। पुलिस के जज्बे को सलाम करते हैं। लेकिन कुछ ऐसा हो कि बेटियों को ये दिन कभी देखना नहीं पड़े।
- रेणु झा
दुष्कर्मियों का एन काउंटर होना ही चाहिए ! यह आवाज सभी तरफ से आ रही है !ऐसे  विकृत सोच  रखने वाले विक्षिप्त पुरुष को सजा तो तुरंत मिलनी ही चाहिये ताकि इस तरह का जधन्य अपराध करने से पहले उसकी आत्मा कांप जाये !कब तक...2012 निर्भया काण्ड ,2013 मुंबई शक्ति मिल में जर्नालिस्ट जधन्य गेंगरेप ,2014 में उत्तरप्रदेश में दो बहनों का गेंगरेप 2016 ,17 हरियायाणा में 2018 में कठुआमें आठ वर्ष की बच्ची पर गेंगरेप अरे यह तो कुछ नहीं ढाई वर्ष की फूल जैसी कोमल बच्ची के साथ! शर्म नहीं आई, और अब लगातार यह सिलसिला जारी है ! हर मां बाप यही चाहेगा की उस आदमी की बोटी बोटी नोच ली जाय जिसने उसकी बेटी के साथ एैसी हरकत कर उसे मौत के घाट उतारा !उसे तुरंत न्याय चाहिए ! आज हैदराबाद क्या पूरे देश में दुष्कर्मियों के एन्काउंटर से सभी खुश हैं चूंकि उन्हें तुरंत न्याय मिला !
दूसरी तरफ एन्काउंटर देश की न्याय व्यवस्था पर भी सवाल खड़ा करती है चूंकि एैसे केस वर्षो वर्ष कोर्ट में चलते हैं और कालक्रम में इतिहास बन जाते हैं! 
एन्काउंटर से हम तभी खुश होते हैं जब लोगों का न्यायीक सिस्टम से विश्वास कम हो जाता है यूं कहें उठ जाता है ! हमारे हाथ बंधे हैं चूंकि हमारे यहां कानून की प्रक्रिया है अत: प्रत्येक राज्य सरकार को अपनी न्यायीक व्यवस्था मजबूत करनी चाहिये !
सांसद में राष्ट्रपति आदरणीय कोविंद जीने भी कहा है की हमारे बंधे नियमों में भी परिवर्तन लाना होगा जिससे एैसे वारदात होने पर पुलिस स्वयं निर्णय ले सके !  
बाकी तो राजनिति  अपना खेल खेल रही है !एक दूसरे की काऩून व्यवस्था पर लांछन लगा रोटियां सेंक रही है ! गंद दुश्मन देश के लोग फैला रहे हैं ! ऱाजनिति छोड़ मिलकर निवारण निकाले तो हल निकल आयेगा वर्ना जनता  स्वयं आरोपी को दण्ड देना जानती है !
- चन्द्रिका व्यास
हैदराबाद पुलिस ने एक गौरव पूर्ण कार्य किया है।सही समय पर सही निर्णय ही बहुत महत्वपूर्ण होता है।यह देश के लिए और देश की बालिकाएं ओर महिलाओं के लिए सम्मान जनक फैसला है। इसे कानून में लाकर सार्थक बनाये ।ताकि जो भी व्यक्ति यही इस प्रकार का साहस करने से पहले एक बार विचार अवश्य करेगा।में हैदराबाद पुलिस को सेल्यूट करती हू।देश के लिए यह बिल्कुल सही संदेश है।यह महिलाओं के लिए एक क्रांति का दिन है। जिसे इतिहास में दर्ज होने चाहिए।में इसका समर्थन करती हूं।
         - वन्दना पुणतांबेकर
हैदराबाद पुलिस ने सवा सौ भारतीयों की आक्रोश और भावनाओं की ललकार को देखते हुए त्वरित कार्य कर साहसी कदम उठाया जिससे क्षणिक मरहम लगा है| काश !ये हर मामले में हो पाता|अब समय आ गया है कठोर और त्वरित कार्यवाही की |ऐसे जघन्य अपराधियों को इनके माता -पिता के हाथों में बन्दूक थमा कर सजाए मौत देने की सजा में प्रावधान लाना चाहिए |
        - सविता गुप्ता
           राँची - झारखण्ड
वर्तमान परिस्थिति में  हैदराबाद में पुलिस की कार्यवाही सही निर्णय है। परंतु दीर्घकालिक समुचित समाधन नही है। भय दहशत से छटपटाते देश को, देश में कानून है, यह संदेश राहत भर दे सकता है,परन्तु स्थायी समाधान नही। जब तक न्यायिक प्रक्रिया को दुरुहताओं से निकलकर उपयोगी नही बनाया जाता। ऐसे निणर्य सिर्फ दिशाभ्रमित  ही करेंगे। ऐसे मामलों का निबटारा पूरी न्यायिक प्रक्रिया के तहत एक समय अवधि के भीतर ही होना चाहिए, तभी अपराधियों के भीतर डर और पूरे जनमानस को कानून और न्यायिक प्रणाली पर विस्वास बना रह पाएगा।
पुलिस ने मुफ्त सवारी योजना शुरू की हैं, जहाँ कोई भी महिला जो अकेली हैं और रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच घर जाने के वाहन नहीं ढूंढ पा रही हैं, वह पुलिस हेल्पलाइन नंबर (1091 ) पर कॉल कर सकती हैं और वाहन के लिए अनुरोध कर सकती हैं। वे 24×7 काम करेंगे। नियंत्रण कक्ष वाहन या पास के पीसीआर वाहन/ एसएचओ वाहन उसे सुरक्षित रूप से उसके लिए गंतव्य तक पहुंचाएगा। यह मुफ्त किया जाएगा। इस संदेश को आप अपने दोस्त,रिश्तेदारों,आस पड़ोसियों ओर जानने वालों को  अधिक से अधिक लोगो तक पहुँचाए।।
- प्रतिमा त्रिपाठी
पुलिस इतनी सामर्थ्यवान है कि वह यदि ठान ले कि अपराधियों को उनके किये की सजा देना या दिलवाना ही है तो वह संभव है। 
  - नरेन्द्र श्रीवास्तव
अब किसी प्रियंका का ना बलात्कार हो।
जो घिनौंना काम करे वो सबका गुनहगार हो।।
सज़ा ऐसे ही मिलेगी दरिंदों अब जाओ सीख।
एक दिन ऐसे भी आयेगा 
जब माँगोगे मौत की भीख।।
-  पूनम रानी
कैथल - हरियाणा 
सड़क चलती महिलाओं पर अश्लील फब्तियाँ कसने वाले, महिलाओं को केवल भोग्या वस्तु समझने वाले,वासना पूर्ति का साधन समझकर महिलाओं की हत्या करने वाले, साल दो साल की बच्चियों को अपना शिकार बनाकर बलात्कार करने वाले लोग बेहद बीमार मानसिकता के होते हैं | 
आज आये दिन मासूम नन्ही बालिकाओं से लेकर वृद्घा तक इन दुष्ट दुष्कर्मियों के बीच असुरक्षित हैं | 
मुझे लगता है कि बचपन से ही बच्चें के कोमल मन को महिलाओं का सम्मान,संस्कार  जैसी शिक्षा अति आवश्यक है | साथ ही नैतिक शिक्षा का पालन करना अनिवार्य होना चाहिए | 
दुराचारियों के द्वारा बलात्कार की बढती घटनाओं के कारण सरकार द्वारा सख्त कानून बनाये जाने की भी महती आवश्यकता है | 
हैदराबाद के सामूहिक दुष्कर्म में चारों आरोपियों को पुलिस मुठभेड़ में मार दिया गया | 
इस समाचार से खुश जन समुदाय ने पुलिसकर्मियों की सराहना करते हुये पुष्पबर्षा की है | 
ऐसे कदम उठाये जाने अति आवश्यक हैं क्योंकि इनसे भयभीत, चिंतित जनमानस में बेटियों की सुरक्षा को लेकर व्याप्त असुरक्षा का डर कुछ कम होगा | 
सख्त कानून बनाकर कड़ाई के साथ पालन करने से दुराचारियों के मन में भी भय व्याप्त होगा | 
- सीमा गर्ग मंजरी
सुप्रभातम वर्तमान परिस्थिति में हैदराबाद पुलिस का निर्णय सही है तत्कालीन सन्देश के लिए पर यह स्थायी समाधान नहीं है उसके लिए समाज सरकार और पुलिस को मिलकर समयबद्ध काम करना होगा तथाकथित मानवाधिकार संगठनों लोगों को अपना चश्मा बदलने का समय आ गया है साथ ही न्याय एक माह में होने के साथ-साथ सभी दिखने वाला भी होना चाहिए 
- शशांक मिश्र भारती
पिछले कई दिनों से ,समाज के  वहशियों,दरिंदों द्वारा हैदराबाद में एक मासूम के साथ किये गये जघन्य अपराध से सारा देशआँखों में आँसू और ह्रदय में विचलित संवेदनाऐं लिये जीने को विवश था, खुद मैं न जाने कितने दिनों से सो नहीं पा रही थी,  ऐसे में आज सुबह सुबह हैदराबाद पुलिस द्वारा उन चारों आरोपियों का एनकाउंटर में मारे जाने की सूचना हम सब के लिए बहुत बड़ी राहत की खबर है। हैदराबाद पुलिस द्वारा एनकाउंटर के माध्यम से  त्वरित इंसाफ दिलाने से  लोगों में प्रशासन और न्याय व्यवस्था के प्रति टुटती उम्मीद ,टूटने से बच पायी है।तमाम भारतवासियों के साथ मैं भी इसका स्वागत करती हूं,।हलांकि इक सोच उस ओर भी जाती है कि यदि ये आरोपी समाज के हाई-प्रोफाईल वर्ग का हिस्सा होते तो क्या तब भी हमारी पुलिस उनके साथ ऐसा सलूक कर पाती या फिर इन्हे सरकारी मेहमान बनाकर लंबे समय तक इनकी खातिरदारी के लिए विवश होती।इन सारी आशंकाओं, अनिश्चितताओं क का जवाब एकमात्र हमारी न्यायप्रणाली के पास है जिसे अब रेप जैसे वारदातों में सशक्त कानून बनाने की आवश्यकता है।हमसभी 'रेप मुक्त भारत' में दहशत मुक्त होकर जी सकें इसके लिए हमसभी की आशान्वित नजरें अब भी अपनी न्याय व्यवस्था पर टिकी है। ऐसे में हमसभी को अब भी प्रतीक्षा है कि देश में एक सशक्त कानून बने और समान तरीके से सब पर लागू हो सके ताकि  आनेवाले दिनों में हमसभी दहशत मुक्त होकर जी सकें उसके लिए न्यायप्रणाली को दूरदर्शी होकर एक कड़े कानून बनाने की आवश्यकता है। आशान्वित हूं कि शीघ्र ही सरकार न्याय प्रणाली में सुधार कर, संशोधन कर अपनी बेटियों को सुरक्षा देने का काम कर पायेगी और फिर किसी निर्भया और प्रियंका के साथ हुए वहशी हादसों के लिये हमें यूं न्याय के लिए संघर्ष करने की या असहाय महसूस करने की जरुरत नहीं पड़ेगी।
- डॉ.राशि सिन्हा
नवादा - बिहार
पूरे देश में हर्ष की लहर है, होनी भी चाहिए क्योंकि पहली बार हैदराबाद पुलिस ने चार बलात्कारियों को कुत्ते की मौत देकर नरक की सैर कराई है | और यह काम बहुत ही क़ाबिले तारीफ़ है | कोटिश: बधाई हैदराबाद पुलिस को
.. हृदय गद-गद हो गया... बहिन डॉ. प्रियंका जी को न्याय मिल गया, अब उनकी आत्मा को शांति मिल सकेगी |
 जैसा कि अपने भारत में ऐसा पहली बार हुआ है, तो कुछ प्रश्नचिन्ह उभरकर सामने आये हैं | अपने भारत में बलात्कार की घटनाएं आये दिन घटती हैं और इतनी हृदयविदारक रुप से घटती हैं कि हृदय कांप जाता है | इन घटनाओं में वे घटनायें ही हाइलाइट हो पाती हैं, जिनपर भारतीय मीडिया मेहरबान होती है | और जो घटनाएं हाईलाइट होती हैं, उनपर ही भारतीय  जनता का खून खोलता है | बाकी घटनाएं तो ऐसा लगता है जैसे पडौसी मुल्क पाकिस्तान में घटी हों | खैर सब छोडिये मुख्य मुद्दे पर आते हैं |
अपने भारत वर्ष में बलात्कार के आरोप में अधिकांश राजनेता, धर्मगुरु कारागार में जा रहे हैं और बड़े आराम से पिकनिक मनाकर बाहर आ रहे हैं और कुछ वहीं रुक भी गये हैं | बाकी राजनेता जिन्होंने बलात्कार किये हैं | भारतीय जनता ने संसद भवन, विधान भवन पहुंचा दिये हैं, इनमें से किसी का कोई एनकाउंटर नहीं हुआ | हालांकि जनता इसकी मांग शुरु से करती रही है और अब आ कर हैदराबाद में उसकी मांग पूरी हुई है | लेकिन ये भारत है भैया यहाँ कुछ भी सम्भव है तो कहीं हैदराबाद में किसी बड़ी मछली को बचाने के चक्कर में इतनी बुलेटस्पीड में न्याय तो नहीं किया गया...  
फिलहाल सब छोडिये... अब बलात्कारियों का यही अंजाम होगा | मैं हैदराबाद के ऐनकाउंटर का समर्थन करता हूँ |
- मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
ग्राम रिहावली, डाक तारौली गूजर, 
फतेहाबाद, आगरा - उत्तर प्रदेश
संदेश बिलकुल स्पष्ट है," कर भला तो हो भला, कर बुरा तो हो बुरा"।
परन्तु हमारी न्याय प्रक्रिया की लचर कब सुधरेगी? अतः अपराधी का अपराध सबूत के साथ स्पष्ट है तो न्याय की यही प्रक्रिया अपनानी चाहिए, ताकि इस तरह के अपराध को अंजाम देने से पूर्व अपराधी स्वयं के सजा को भी सोच ले।
- ईशानी सरकार
पटना - बिहार
जनता के क्रोध के उबाल को शांत करने के लिए तो ये एनकाउंटर एक सही कदम है किन्तु ये एक क्षणिक समाधान ही है। इससे एक लाभ तो अवश्य होगा कि ऐसे दरिंदों के मन में भय उत्पन्न होगा और भविष्य में ऐसी घिनौनी हरकत करने से पहले सोचने पर मजबूर अवश्य होंगे। लेकिन इस विकट समस्या के स्थाई समाधान के लिए कुछ अत्यंत कठोर नियमों का बनना अत्यंत आवश्यक है जो ऐसे दरिंदों के मन के अंदर दहशत पैदा कर सके। साथ ही इन बातों के लिए अलग से त्वरित कानूनी प्रक्रिया की व्यवस्था भी अवश्य होनी चाहिए। तभी हमारे समाज में बच्चियाँ और महिलाएं निर्भयतापूर्वक जीवनयापन कर सकेंगी।
                                   - रूणा रश्मि 
                                 राँची - झारखंड
भले ही पूरा देश दुश्कर्मियों के पुलिस ऐन्कोन्टर पर भरी खुशी और जश्न मना रहा है किन्तु ये कुछ प्रश्न  भी खडे करता है:
मसलन दस सशत्र पुलिस जवानों के सामने वो चार निहत्थे दरिंदे क्या मुकाबला कर सकते थे।
ये सीन उन को टपकाने के लिये ही तैयार किया गया लगता है ।
मान सकते है की  उनको मार कर पुलिस ने  बुराई का अन्त किया किन्तु ये मौत उन दरिन्दों के लिये बहुत आसन रही ।
इस घटना से समाज का कानून से विस्वास उठ गया वहीँ पुलिस को मन्मर्जी करने का भविष्य के लिये लाई सैंस  मिल गया ।
अब पुलिस कहीं भी किसी को भी ऐसे षड्यंत्र कर के मार देगी चाहे वो दोषी हो या निर्दोष ।।
      - सुरेन्द्र मिन्हास
 बिलासपुर  - हि प्र  
कल का एनकाउंटर जस को तस का परिणाम है । समाज कराह रहा है इन घटनाओं से । ये दुष्कर्मी इतने धृष्ट हैं कि कल फिर एक बेटी को जलाया गया क्योंकि वह दुष्कर्म का आरोप वापस नहीं ले रही थी । एक वर्ग की नजर में गलत हो सकता है और ये वही हैं जो दुष्कर्म को अपना अधिकार मानते है ।
            मानवाधिकार आयोग बेटियों के जलने पर खा़मोश रहता है और अपराधियों के लिए मुखर हो जाता है ।
- रेखा श्रीवास्तव
कानपुर - उत्तर प्रदेश
दुष्कर्मियों के एनकाउंटर करने से देश मे सकारात्मक संदेश गया हैं। अब ऐसे कुकृत्य करने वालो के बीच भय पैदा होगा। जिस तरह से आदालतों का फैसला आते आते गुनाहगार बूढ़े हो जाते थे या मर जाते थे। लोगों का कानून व्यवस्था से भरोसा उठने लगा था। कुछ V I P बलात्कारियों को जमानत पर छोड़ दी जाती हैं या जेल में मेहमानों की तरह रखा जाता हैं। देश की न्यायालय को 3 या 6 महीने के भीतर सजा का प्रावधान होना चाहिए था पर निराशा हाथ लगता हैं ऐसे में हैदराबाद एनकाउंटर  से देश में अच्छा संदेश गया हैं।
   - प्रेमलता सिंह
पटना - बिहार
बहुत अच्छा और सराहनीय कदम,,एक संदेश तो निश्चित गया कि हां,,ऐसा भी किया जा सकता है। कानूनी दांव पेंच से परे इसी तरह की कार्रवाई जारी रखनी चाहिए,, वर्ना अपराधी जब  जेल से छूट कर आते हैं,तो बदला स्वरूप एसिड कांड और आग लगाने जैसा अमानवीय कृत्य करने में जरा भी नहीं डरते हैं । इसलिए ऐसी सही एनकाउंटर से‌ देश के  दुष्कर्मियों में शायद एक क्षण को भी ऐसी सज़ा ‌से डर व्याप्त हो ।
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार
जैसा कि हम सब जानते हैं कि  'justice delayed is justice denied'...हमारे देश में किसी भी मुकदमे का फैसला आते-आते एक जीवन बीत जाता येहै।       न्याय  पाने की आशा भी तब ख़त्म हो जाती है जब फांसी या उम्रकैद की सज़ा पाये हुए अपराधी भी दया-प्राप्ति की अपील करके छूट जाते हैं और समाज में सीना ताने घूमते हैं।
मेरे विचार में बलात्कार जैसे संगीन अपराध की सज़ा फांसी तो होनी ही चाहिए और वह भी त्वरित न्याय अर्थात एक महीने के अंदर। 
लेकिन हमें पता है कि हमारी  न्याय-व्यवस्था इतनी जल्दी फैसला देने में सक्षम नहीं... न्यायालयों में फ़ाइलों और मुकदमों का अंबार है,जजों की संख्या भी सीमित है।
तो पीड़ित परिवार या व्यक्ति क्या करे... क्या न्याय पाने की आशा  में पूरा जीवन बिता दे?
नहीं! इसका कोई समाधान तो ढूंढना ही होगा!
पुलिस-प्रशासन ने उन अपराधियों का एनकाउंटर करके हमें एक समाधान तो बता ही दिया है।यह बिल्कुल उचित कदम है । ऐसे अपराधियों का अंग-भंग करके उन्हें नपुंसक बना दिया जाए या उनके हाथ-पैर काटकर चलने-फिरने से लाचार बना दिया जाए।भीख मांगें जीवन - भर । यह सब अगर नहीं, तो फिर हमारे कुछ बहादुर पुलिस-अफ़सर तो हैं ही...उनकी सलामती की कामना के साथ...!
- मंजुला सिन्हा
रांची - झारखंड
एनकाउंटर नियम भगोड़ों के लिए बनाया गया था । लेकिन आज उसका सही उपयोग किया गया । इसने एक बार तो अवश्य हीं अपराधी के दिल को दहलाया होगा। लेकिन पुलिस को इसकी छूट कदापि नहीं मिल सकती । देश को जनता की उग्रता का संदेश मिलता है । लोगों के आक्रोश की पराकाष्ठा पता चलती है ।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार

" आज की चर्चा " में Twitter पर भी विचार दिये हैं । पढ़ने के लिए लिंक को क्लिक करें :- 


Comments

  1. वर्तमान का सबसे महत्वपूर्ण विषय उस पर एक अच्छी चर्चा बधाई

    ReplyDelete
  2. सामयिक विषय पर एक महत्वपूर्ण चर्चा। सभी के विचार सराहनीय, अनुकरणीय। बधाई

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

वृद्धाश्रमों की आवश्यकता क्यों हो रही हैं ?

लघुकथा - 2024 (लघुकथा संकलन) - सम्पादक ; बीजेन्द्र जैमिनी

इंसान अपनी परछाईं से क्यों डरता है ?