क्या बिना लक्ष्य के सफलता मिलती है ?
बिना लक्ष्य के तो अंधेरे में तीर चलाना के बराबर है । फिर भी सफलता मिलती देखी है । यह प्रभु का प्रसाद है । यह जीवन की सफलता नहीं कहीं जा सकती है । जीवन में लक्ष्य अनिवार्य होना चाहिए । देखते है आये विचारों को :-
लक्ष्य का होना बडा अवशयक है
लक्षय के बिना मंज़िल पर कैसे पहुँचेंगे
हो सकता है किसी को लक्ष्य के बिना सफलता मिली हो पर ऐसे लोग गिने चुने ही होगे सक्षय को लेकर चलने वाला व्यक्ति अच्छे परिणाम प्राप्त करता है और जीवन मे
सफलता प्राप्त करता है
- मुरारी लाल शर्मा
पानीपत - हरियाणा
लक्ष्य यानी अपनी मंजिल खुद तय करना ।जब अपनी मंजिल पता हो तो ,कार्य करने में हम अपनी पूरी उर्जा लगा सकते हैं ।अपना लक्ष्य स्पष्ट होना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए । अपने लक्ष्य को प्राप्त करना एक बड़ी उपलब्धी होती है ।
- रंजना वर्मा
यदि जीवन में सफल होना है तो लक्ष्य निर्धारित कर उसे साधना अनिवार्य है ।बिना लक्ष्य के सफलता की कल्पना करना ही व्यर्थ है
- सुरेन्द्र मिन्हास
बिलासपुर
हि प्र 174001
बिना लक्ष्य सफलता कभी नही मिल सकती।अपना एक लक्ष्य निर्धारित करना होता है और उसे पूरा करने हेतु मन लगाकर मेहनत।सफलता तभी मिलती है।मेरे अनुसार अगर बिना लक्ष्य सफलता मिले इसे मात्र एक संयोग कहा जायेगा।
- पूनम रानी
कैथल - हरियाणा
अगर लक्ष्य नहीं है तो सफलता की कोई परिभाषा ही नहीं है। जब हम तय कर लेंगे कि हमें क्या करना है, क्या होना है, क्या बनना है, कहाँ तक जाना है, कहाँ पहुंचना है, तभी सफलता के रास्ते दिखेंगे और लक्ष्य हासिल होगा।
- नन्दनी प्रनय
रांची - झारखंड
लक्ष्य का होना आवश्यक है, क्योंकि यह पता होना चाहिए कि मुझे क्या प्राप्त करना है। तभी उसके अनुरूप प्रयास किया जाएगा। कभी-कभी लक्ष्य प्राप्त नहीं भी हो सकता है। ऐसे में विकल्प भी तैयार रखना चाहिए। यह न हो कि हम एकमार्गी ही बने रहें। जीवन में उतार-चढ़ाव लगे रहते हैं। हर परिस्थिति का सामना करने के लिए हम स्वयं को तैयार रखें।
- भोला नाथ सिंह
बोकारो
लक्ष्य के बिना कदमो की गति शिथिल पड़ जाती है। बुद्धि भ्रम काम में अवरोध उत्पन्न करता है। मानवीय उर्जा का ह्रास होता है।
- सरिता गुप्ता
दिल्ली
लक्ष्य के बिना तो जीवन ही दिशाहीन होगी, फिर सफलता किस बात की। सफलता तो हमें तब मिलती है जब हम कुछ हासिल करना चाहते हैं। जिस चीज को हम पाना चाहते हैं वही हमारा लक्ष्य होता है। जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में भिन्न भिन्न पड़ावों पर कभी बड़ा कभी छोटा लक्ष्य हम हमेशा निर्धारित करते हैं और उसे पाना ही सफलता प्राप्ति का संकेत है। अतः एक लक्ष्य विहीन जीवन में सफलता शब्द ही बेमानी हो जाता है।
- रूणा रश्मि
राँची - झारखंड
हाँ। मिल तो सकती है, तब जब बिल्ली के भाग से छीका टूट जाय।अन्यथा लक्ष्य नहीं तो सफलता किस बात के लिए होगी।
सफलता कर्म की अनुगामिनी होती है।कर्म बिना लक्ष्य के नदी हके किनारे बैठ पैर छपकाने.जैसा होता है।
जीवन में लक्ष्य, कर्म और सफलता एक क्रम में संबंधित होते हैं।केवल दुर्भाग्य ही इस क्रम को बिगाड़ सकता है।
- डा. चंद्रा सायता
इंदौर - मध्यप्रदेश
बिना लक्ष्य के सफलता मिलना असंभव है ठीक उसी प्रकार से कि कोई चौराहे पर खड़ा है कहां जाना है यह पता नहीं ।अतः किसी भी स्तर पर सफलता के लिए पहले लक्ष्य निर्धारित करना आवश्यक है ।फिर पथ से भटकाव की संभावना बहुत कम हो जाती है
- शशांक मिश्र भारती
लक्ष्य विहीन जीवन उस मुसाफिर की तरह है जो अनवरत चलता तो रहता है लेकिन उसे जाना कहाँ है, गंतव्य ही पता नहीं होता ।
या दूसरे शब्दों में कहाँ जाए तो लक्ष्य बगैर जीवन उस मृत शरीर की तरह है जिसमे शरीर की आकृति तो है लेकिन चेतना नहीं है ।
इतिहास गवाह है की आज तक लक्ष्य को भेदकर ही अनगिनत उपमाएँ हमारे सम्मुख हैं।
अर्जुन से लेकर सुनिता बिलियम्स तक ।
बगैर उदेश्य के जीवन रंग हीन है जिसमे कोई आकृति नहीं उकेरी जा सकती और न ही किसी गंतव्य को प्राप्त किया जा सकता ।
लक्ष्य हमें एक दिशा देता है, एक उद्देश्य देता है जिसकी प्रप्ति के लिए हम अथक प्रयास करते हैं और एक दिन हम अपनी मंजिल को प्राप्त कर लेते हैं।
लक्ष्य विजेता के लिये विजय का शंखनाद है । लक्ष्य प्रगति के लिये विजय पथ है ।
लक्ष्य मुर्दो में भी जान डालने वाला महा मृत्युन्जय मंत्र है ।
लक्ष्य प्रेरणा है ,लक्ष्य लगन है लक्ष्य योगता का आँकलन है ।लक्ष्य विभेदीकर है अपने अन्तर्मन की जिज्ञासा का ।
लक्ष्य वो अंलकार है जिसके आवरण से मन में चल रहे द्वन्द को एक कवच मिलता है । एक फतह मिलती है, एक उपमेय मिलता है।
लक्ष्य कोई भी हो सकता है परन्तु सार्थक व स्वयं के कल्याण के साथ साथ समाज और देश के लिए सर्व सुखाय एंव सर्व हिताय होना चाहिए ।
जिस तरह प्राण विहीन देह का कोई अस्तित्व नहीं होता उसी तरह लक्ष्य हीन इंसान का कोई वर्चस्व नहीं होता ।
अन्त में इतना ही कहना चाहती हूँ कि सार्थक जीवन के लिये लक्ष्य दिशा निर्धारण करता है जिसमे चलकर मनुष्य एक निश्चित मुकाम पर पहुँचकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करता है और अपने उद्देश्यों का संसार के सम्मुख एक उदाहरण रखता है ।
- पं० आभा अनामिका दुबे
बिना लक्ष्य के हमारी स्थिति 'न घर की न घाट की' रहती है। अगर हम एक ही लक्ष्य लेकर चलते हैं तो उसमें मंजिल भी ज़रूर मिलती है। इसके विपरीत यदि कई जगह अपने पाँव फैलाते हैं तब स्थिति भी डावाँडोल हो जाती है। बिना लक्ष्य के कभी सफलता नहीं मिलती।
-संतोष गर्ग
पंचकूला (चंडीगढ़)
लक्ष्य के बिना कार्यों में विविधता, अस्पष्टता,अस्थिरता ,अनि्श्चिताऔर अपूर्णता रहेगी। जिससे किया जा रहे कार्य के संबंध में सफल हो रहें हैं या असफल?आकलन करना कठिन होगा।लक्ष्य लेकर कार्य करने से ही कार्य सही दिशा और दशा में किया जा सकता है। जिसमें सफलता मिलने की गुंजाइश भी रहेगी।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
बिना लक्ष्य के किसकी और कैसी सफलता ?
कोई दिशा और लक्ष्य होगा जिस पर आगे बढ़ा जाय और सफलता को आँका जाय । दिशाहीन प्रयास कहाँ जा सकता है ?
- रेखा श्रीवास्तव
मानव जीवन में कई अवस्थाओं आती है |सत्कर्म ,नि:स्वार्थ,विवेक पूर्ण ध्येय होगा तो जीवन में ;बिना लक्ष्य के भी सही दिशा की ओर अग्रसर हो सफलता प्राप्त किया जा सकता है |
- सविता गुप्ता
रांची - झारखंड
हाँ बिना लक्ष्य के सफलता मिल सकती है। जब व्यक्ति पर दैवीय अनुकंपा हो।
जैसा कि कहा भी गया है-
"मूकं करोति वाचालं पंगुं लंघयन्ते गिरिं।यत्कृपा तमं."।
हाँ बिरले लोग ही जीवन का लक्ष्य निर्धारित करते हैं। वो भी लक्ष्य के प्रति एकाग्रता,कर्मठता,तत्परता से ही अधिकांश सफल होते हैं।जैसा कि 🐦 की आँख भेदने में अर्जुन की सफल धनुर्धारिता ।
परंतु यदा-कदा सब कुछ सामान्य होने के बाद भी व्यक्ति विधि के हाथों की कठपुतली या वंचना से ठगा सा रह जाता है।
फिर भी लक्ष्य बनाकर तदनुरूप कर्म करना हमारा अधिकार है। जैसा कि गीता में भी कहा गया है--- "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचना "।
- डाॅ.रेखा सक्सेना
्बात ऐसी है कि बिना चिंगारी आग लग सकती है क्या ? जब लक्ष्य नही है तो पथ कौन सा है ? तब सफलता कैसी ? संन्यासी साधन करते हैं क्या बिना लक्ष्य । बिना लक्ष्य एकलव्य नही बना जा सकता । बिना लक्ष्य अर्जुन का वाण मछली की आँख को नही भेद सकता अौर बिना लक्ष्य कोई
ए. पी. जे. अब्दुल कलाम नही बन सकता। लक्ष्य विहीन तो प्राणी सदृश्य हैं।
बिना लक्ष्य के बॉल को इधर उधर फैंका जा सकता है लेकिन आऊट करने के लिए बॉल को विकेट पर मारना लक्ष्य होना आवश्यक है। अपना निश्चित लक्ष्य व समय रखिये तभी सफलता अर्जित की जा सकती है।
- डॉ . विनोद नायक
नागपुर - महाराष्ट्र
लक्ष्य के अभाव में सफलता संदिग्ध रहती है । अर्जुन ने चिड़िया को नहीं, बल्कि उसकी आॅख को लक्ष्य करके निशाना साधा और सफलता हासिल की । प्रत्येक कार्य में सफलता के लिए सर्वप्रथम लक्ष्य का निर्धारण करना अता आवश्यक है ।
- बसन्ती पंवार
जोधपुर ( राजस्थान )
" आज की चर्चा " में Twitter पर भी विचार आये हैं । पढ़ने के लिए लिंक को क्लिक करें :-
एक सार्थक विषय पर सभी की टिप्पणियाँ लगभग एकमत ही हैं।
ReplyDeleteसफलता के लिए लक्ष्य जरूरी,सभी एकमत 👍👍
ReplyDeleteसफलता के लिए लक्ष्य जरूरी,सभी एकमत
ReplyDeleteचर्चाओं का अच्छा समय चल रहा है एक ही विषय पर अनेक विद्वानों के विचार हर बार कुछ न कुछ सिखाते हैं सभी का आभार
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