क्या आप लोकतन्त्र में विपक्ष की भूमिका से संतुष्ट हैं ?
लोकतन्त्र में विपक्ष की भूमिका का सवाल है । परन्तु फिर भी आलोचना पर प्रश्न चिन्ह क्यों लगता है । क्या विपक्ष को आलोचना का अधिकार नहीं है ? अधिकार तो है परन्तु आलोचना का भी कोई स्तर होता होगा या नहीं ? या सरकार के सभी कार्य की आलोचना करने के अतिरिक्त कुछ मत करों । इन सब का उत्तर जानने के लिए " आज की चर्चा " रखी गई है । देखते हैं आये विचारों में सामने क्या आता है :-
- प्रतिमा त्रिपाठी
रांची - झारखण्ड
किसी भी देश में सरकार सही दिशा में देश की जनता के लिए कार्य कर रही है या नहीं या किस क्षेत्र में ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत है|कहां उपेक्षा हो रहा है,कहाँ मनमानी हो रही है,पक्षपात हो रहा है या फिर सत्ता पक्ष अपनी रोटी सेंकने में ही लगा है,इन कमियों को उजागर करने के लिए एक परिपक्व मज़बूत,जागरुक नि:स्वार्थी विपक्ष का होना अत्यन्त आवश्यक है|पक्ष विपक्ष तो बदलते रहते हैं |जनता ने जिसे अपना क़ीमती वोट देकर चुना है |जनता उससे लाभान्वित हो रही है या नहीं ये विपक्षी दल को समय समय पर उजागर करते रहना चाहिए और जनता से जुड़े रह कर उनके भले के लिए कार्य करते रहना चाहिए |चुनाव के समय ही जनता याद आए ऐसा नहीं होना चाहिए |
- सविता गुप्ता
राँची - झारखंड
विपक्ष सत्तापक्ष द्वारा जनता के लिये किये जाने वाले फैसलों पर जनहित में समर्थन या विरोध प्रकट करता है ।
भारत में पिछ्ले आठ दस वर्षों से विपक्ष की भूमिका में भारी नैतिक गिरावट आयी है अच्छे निर्णयों का विरोध करना विपक्ष की आदत बन गयी है आम जनता वर्तमान में विपक्ष की भूमिका से कतई संतुष्ट नहीं है ।।
- सुरेन्द्र मिन्हास
बामटा, बिलासपुर - हि प्र
लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका बहुत अहम होती है।सत्ता पक्ष पर अंकुश लगाने का काम विपक्ष सही तरीके से कर सकता है बशर्ते विपक्ष खुद भी मजबूत हो एवं उसकी भूमिका पारदर्शी हो जो सत्ता पक्ष के कार्यों का सही आकलन कर,उनकी गलतियों को उजागर करे और सही ढंग से कार्य करने के लिए बाध्य करे न कि सिर्फ राजनीति करने के लिए सत्ता पक्ष के निर्णयों का विरोध करे।अफसोस है कि हमारे देश मे विपक्ष का काम बस सत्ता पक्ष का मात्र विरोध करना ही रह गया है।सरकार कोई भी कदम उठाए विपक्षी उसका विरोध करना अपना धर्म मानते हैं
- संगीता सहाय
राँची - झारखण्ड
बिल्कुल नहीं आजकल विपक्ष देशहित में या जनता के लिए कम अपने स्वार्थ के लिए या कहें विरोध के लिए विरोध करता अधिक दिख रहा है ।जिसका परिणाम अब जनता विपक्ष या उसके विरोध भूमिका हल्के में ले रही सरकार सही राह पर चले समय से निर्णय ले उसके लिए विपक्ष की महती भूमिका है उसे समझना चाहिए
- शशांक मिश्र भारती
लोकतंत्र चूंकि समूह या भीड़ तंत्र का पर्याय है। बल्कि एक विदेशी विचारक के अनुसार तो मूर्खों का तंत्र भी है।
अतः लोकतंत्र की दिशा विहीनता की दशा में एक स्वस्थ ,मजबूत एवं सक्रिय विपक्ष अत्यंत आवश्यक है जो देश हित हेतु अनुचित या नुकसान देय क्रियानव्य के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करें। क्योंकि नैतिकता के हास व स्वार्थी चलन के माहौल में सभी भेड़ चाल चल रहे हैं तो देश हित की सोचते कितने लोग हैं ?यह उनकी सोच पर निर्भर करता है।
जहां सोच महज व्यक्तिगत स्वार्थ हो वहां दोनों पक्षों की ही भूमिका संदिग्ध हो जाती है बस झगड़ा ज्यादा बुराई से कम बुराई कर रह जाता है किंतु अपनी भूमिका में ईमानदारी का निर्वहन अत्यंत आवश्यक है और विपक्ष के भी इस प्रयास से पूर्ण संतुष्ट हम नहीं हो पाते।
- रश्मि लता सिंह
लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका अति महत्वपूर्ण है ।वे सत्ता पक्ष पर एक अंकुश की तरह काम करते हैं । लेकिन विपक्ष अपनी भूमिका ठीक से नहीं निभाते।वे राष्ट्र हित के बजाय अपने राजनीतिक लाभ में ज्यादा संलिप्त दिखते हैं ।
- रंजना वर्मा
भारत एक लोकतान्त्रिक देश है। किस भी लोकतान्त्रिक देश में विपक्ष की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। विपक्ष को एक आईने की तरह होना चाहिए। जिसके द्वारा सत्ता पक्ष के अच्छे कार्यो की तस्वीर जनता तक हूबहू पहुँच सके। साथ ही सत्ता पक्ष यदि देश को गुमराह कर रही है, या अपने सत्ता का दुरूपयोग कर रही है। तो विपक्ष की भूमिका एक घुड़सवार जैसी होनी चाहिए। जिसे समय समय पर लगाम खींचकर उसे सही राह की ओर अग्रसर करती रहे। साथ में विपक्ष को अपनी भूमिका व आचरण का भी ध्यान रखना चाहिए की शीशे की तरह पारदर्शी ही रहे। उसपर विद्वेष व दुराभाव की धूल न जमने पाये।परंतु हमारे देश में विपक्ष की भूमिका व्यक्तिगत स्वार्थ के निहित हो चली है। सौतियाडाह की इस परम्परा को विपक्ष आज भी कायम रखा है। जब...जो भी विपक्ष में बैठा हो, इस विद्वेष से मुक्त नही हो पाया।- प्रतिमा त्रिपाठी
रांची - झारखण्ड
हर तरफ अपवाद है, सुकून की ही तो कमी है।
विपक्ष की आलोचना पर ही जनता की नजरें थमी हैं।
है कभी स्प्ष्टता तो कभी नये विचारों की पुष्टि है।
आजकल है वक्त ऐसा किसे पूर्ण संतुष्टि है?
- पूनम रानी
कैथल - हरियाणा
लोकतंत्र में विपक्ष एक आइने की तरह होना चाहिये जिसमें सत्तापक्ष अपना सही चेहरा देख सके और चेहरे पर यदि कोई गंदगी हो तो उसे भी साफ कर अपना चेहरा निखार सके।
- दर्शना जैन
खंडवा - म.प्र.
लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका का विशेष महत्व होता है।एक दमदार भूमिका! लेकिन आजकल विपक्ष की भूमिका बेहतर नहीं है।एक तो बहुमत में कम। और वो सत्र चलने ही नहीं देते हैं। हंगामा ज्यादा करते हैं ना संसद की गरिमा का ख्याल रखते हैं ना ही भाषा की मर्यादा का। इसलिए मैं विपक्ष की भूमिका से संतुष्ट नहीं हूं।
- रेणु झा
किसी भी लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था को सुचारु रूप से चलाने के लिए एक सशक्त विपक्ष का होना अत्यावश्यक होता है। विपक्ष का मतलब यह नहीं कि शासन के प्रत्येक निर्णय में अनावश्यक दख़लंदाज़ी करें या संसद के कार्यों में अकारण विघ्न डालें,बल्कि विपक्ष को चाहिए कि सरकार के ग़लत कार्यकलापों पर अपना विरोध उचित तरीके से और नियमों का पालन करते हुए प्रकट करे ।
परंतु वर्तमान विपक्ष की भूमिका पारदर्शी और निष्पक्ष नहीं है।
सत्ता-पक्ष किसी मामले में यदि उचित निर्णय न ले पा रहा है या विपक्ष की दृष्टि में उनका निर्णय सत्ता का दुरुपयोग लग रहा हो तब वे उचित तरीकों से विरोध प्रकट करके सरकार पर सही कार्य करने का दबाव डाल सकते हैं ।राजनीति से प्रेरित होकर सरकार की अच्छी कार्ययोजनाओं में भी बाधा डालना विपक्ष का जन्मसिद्ध अधिकार नहीं है।
- मंजुला सिन्हा
रांची - झारखंड
संसद में जब अमर्यादित व्यवहार .....असभ्य भाषा का प्रयोग ......मारपीट आदि देखते हैं, जिसे न तो सभ्यता कहा जा सकता और न ही हमारी संस्कृति की मर्यादा तो ऐसी स्थिति में लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका से कोई कैसे संतुष्ट हो सकते हैं । विपक्ष को पारदर्शी..... सशक्त ......अपने निजी स्वार्थ को त्याग कर देशहित में इमानदारी से अपनी भूमिका निभानी आवश्यक है ।
- बसन्ती पंवार
जोधपुर - राजस्थान
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इस चर्चा से स्पष्ट है कि विपक्ष अपनी भूमिका से भटक चुका है यह देश हित नहीं है न ही लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए ।जनता को चुनावों में अपनी भूमिका और साफ करनी होगी ।सार्थक व उद्देश्यपूर्ण चर्चा के लिए सभी मित्रों का आभार
ReplyDeleteशशांक मिश्र भारती शाहजहांपुर उत्तर प्रदेश