महिलाओं के सशक्तीकरण में शिक्षा की क्या भूमिका होनी चाहिए ?

महिला काफी समय से दबी , कुचली व सहम रहने के कारण मानसिक व शारीरिक शोषण का शिकार रहीं है । परन्तु शिक्षा से महिला सशक्तिकरण हुआ है । जिस से अनेंक क्षेत्रों में महिलाओं ने अपनी पहचान बनाई है और अपने अधिकारों  व सम्मान के प्रति जागरूक हुईं हैं । आज की चर्चा का उद्देश्य भी शिक्षा से महिला सशक्तिकरण की पहचान करना है :-
 महिला सशक्तिकरण में शिक्षा की भूमिका एक मज़बूत मार्गदर्शक की होनी चाहिए |शिक्षा हर व्यक्ति के नींव को मज़बूती प्रदान करता है|महिला के गोद से होकर ही हर व्यक्ति आगे बढ़ता है |महिला यदि शिक्षित होगी तभी समाज को मज़बूत आधार और स्वस्थ समाज का निर्माण होगा|शिक्षा के अभाव में महिलाएँ अपने अधिकारों से लाभान्वित होने से वंचित रह जाती हैं |आज शिक्षित महिलाएँ सशक्त होकर आसमान छू रही हैं और मदों के कंधे से कंधे मिलाकर आगे बढ़ रही हैं |
                               -  सविता गुप्ता
                             राँची - झारखण्ड
महिला सशक्तिकरण में शिक्षा की भूमिका महत्वपूर्ण होनी चाहिए ।महिलाएं तब तक सशक्त नहीं हो सकतीं हैं जब तक उनके लिए आत्मनिर्भरता के रास्ते नहीं खुलते हैं ।एक ऐसी व्यवस्था तैयार हो जिसमें स्कूली शिक्षा के बाद तुरंत स्त्रियों को आत्म निर्भर बनने में मदद करें ।जिससे स्त्रियाँ घर और बाहर दोनों स्तरों पर शोषण का शिकार होने से बच जाएँगी ।हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि एक बड़ा हिस्सा भारतीय गाँवों से जुड़ा है । वहाँ शिक्षा और सशक्तिकरण दोनों साथ-साथ चलने चाहिए ।गरीबी के कारण स्त्री शिक्षा अधूरी रह जाती है ।शिक्षा केन्द्रों के बाहर भी छोटे छोटे पैमाने पर सशक्तिकरण के लिए ठोस कदम उठाने होंगे ।और आत्म निर्भर बनाना होगा ।ताकि दहेज़, आत्महत्या, उत्पीड़न और गरीबी जैसी समस्याओं से लड़ा जा सकें ।जब स्त्रियाँ सशक्त दिखाई देंगी तब समाज की मानसिकता में भी बड़ा भारी बदलाव आएगा ।
- डॉ .आशा सिंह सिकरवार
 अहमदाबाद - गुजरात
महिला सशक्तिकरण में शिक्षा ने बहुत महत्वपूर्ण रोल अदा किया है शिक्षित होने के बाद ही अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हुइ है । शिक्षा ने ही उनको आर्थिक आज़ादी दी है जिसके बाद ही सही मायने में वो सशक्त हो पाई है
- नीलम नारंग
हिसार - हरियाणा
वैसे  तो  शिक्षा  का  महत्व  सभी  क्षेत्रों  में,  सभी  के  लिए  है  ।  शिक्षा  को  यदि  महिला  सशक्तिकरण  से  जोड़ा  जाता है  तो  उसका  महत्व  और  भी बढ़  जाता  है  क्योंकि  शिक्षित  महिलाएं  ही  अपने  अधिकारों  तथा  कर्तव्यों  के  प्रति  पूर्णरूप   से  जागृत  हों  सकती  है  । लेकिन  उनके  लिए  शिक्षा  का  स्वरूप  वर्तमान  स्थिति  को  ध्यान  में रखते  हुए  उनका  तन, मन, धन  से  मनोबल  बढ़ाने  वाला  होना  चाहिए  । शिक्षा  ऐसी  हो  कि  वह  किसी  भी  क्षेत्र  में  किसी  पर  आश्रित  न  रहे  । 
        - बसन्ती पंवार 
        जोधपुर - राजस्थान 
शिक्षा के बिना,,तो मानव "पूंछ विहिन पशु समाना" कहा गया है । महिला हर बच्चे की प्राथमिक शिक्षिका होती है,और घर प्र थम  पाठशाला । महिला अगर शिक्षित हो तो वह हर क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा सकती है,खुद भी सबल होकर आगे‌ बढती है ‌और दूसरों को भी इससे प्रेरणा मिलती है ,फलत: हमारा पूरा महिला  समाज शसक्त होता है ।आज महिलाओं के सशक्तिकरण में कोई कमी नहीं है, परन्तु आज भी वह अपनी ईश्वरीय बनावट के कारण  बहुत बार पुरुष के नापाक इरादों की शिकार हो जाती‌ है। आज‌ के‌ समय में हमें अपनी बेटियों को नैतिक शिक्षा देने के साथ हीं बेटों को ‌भी नैतिकता की घुट्टी पिलाने की अति आवश्यकता है ।बेटों पर भी लगाम उनकी, दोस्ती,उनका चाल चलन,उनका अगर देर से आये तो स्पष्टीकरण मांगने की जरूरत है। महिला शिक्षित होगी तो‌,वह शसक्त ख़ुद ब ख़ुद हो‌‌ हीं जाएंगी । ऐसा मेरा मानना है ।
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार
एक शिक्षित नारी स्व का फिर परिवार का पुनः प्रत्यक्ष,अप्रत्यक्ष रूप से देश का विकास भी कर
सकती है इसलिए नारी का शिक्षित व सशक्त होना आवश्यक  है।नारी के सशकि करण में  शिक्षा के योगदान हेतु उसकी भूमिका,महत्व उसके कर्तव्यों पर चर्चा पाठ्यक्रम में   शामिल करके उसे अपनी भूमिका व महत्व के 
   प्रति जागरूक किया जा सकता है।
- रश्मि लता मिश्रा
बिलासपुर - छत्तीसगढ़
महिलाओं के सशक्तिकरण में शिक्षा की भूमिका अहम है, शिक्षा व्यवहारिक व सांस्कृतिक होनी चाहिये और फिर यह शिक्षा महिलाओं को ही क्यों पुरूषों को भी दी जानी चाहिये क्योंकि यह ज्यादा जरूरी है।
- दर्शना जैन
खंडवा - मध्यप्रदेश
सिर्फ महिलाएँ ही नहीं, हर किसी के सर्वांगीण विकास में शिक्षा की सशक्त भूमिका है। सही-गलत की समझ उचित शिक्षा से ही सम्भव है। समाज को कई कुरीतियों से मुक्त कराने का श्रेय शिक्षा को ही जाता है। एक शिक्षित समाज में आपराधिक घटनाएं कम मात्रा में देखी जाती हैं अशिक्षित समाज की तुलना में । अतः शिक्षा सभी वर्गों के सशक्तिकरण के लिए अति आवश्यक है।
           - गीता चौबे
           रांची - झारखंड
ममहिलाओं के सशक्तिकरण में शिक्षा की सदैव महत्वपूर्ण भूमिका रही है आज भी है और आगे भी रहेगी ।हां यह चिन्तन का विषय है कि उसको शिक्षा कैसी किस प्रकार की दी जा रही है ।प्रथम गुरू मां की क्या भूमिका रही है ।प्रारम्भिक शिक्षा परिवेश से कितनी जुड़ी है ।उसके परिवार व समाज की क्या स्थिति है ।वर्तमान में सबसे सशक्त संचार क्रांति कितना जीवन में दखल दे रही है ।यह सब उसके सशक्तिकरण में साध्य और साधन हैं ।
-  शशांक मिश्र भारती 
शाहजहांपुर - उत्तर प्रदेश
महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए शिक्षा की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है ।प्रश्न यह उठता है कि शिक्षा का प्रारूप कैसा होना चाहिए? पाठ्यक्रम में समाहित बिन्दुओं का विषय क्या होना चाहिए ? यदि पाठ्यक्रम मे महिलाओं के स्तर तथा उनके प्रति सोच को सुधारने के लिए आवश्यक सामग्री है तभी ऐसी शिक्षा का औचित्य है।यदि हम भावी पीढ़ी की मानसिकता को शिक्षा के माध्यम से  बदलने में सक्षम है तभी शिक्षा की भूमिका महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए सार्थक है।
- जगदीप कौर
अजमेर - राजस्थान
शिक्षा का अर्थ होता है ज्ञान व संस्कार को आत्मसात करना । यह  शब्द संस्कृत के शिक्ष धातु में अ प्रत्यय के जुड़ने से बनता  है ।  महिलाओं के शिक्षित होने से पूरा घर शिक्षित हो जाता है । हर बच्चे  की प्रथम गुरु माँ ही होती है । यदि वो पढ़ी लिखी होगी तो अच्छे संस्कार स्वतः ही बच्चों में आयेंगे जिससे घर का वातावरण  सुखद व समृद्ध होगा ।
शिक्षा से सद्गुणों का विकास होता है । यह अंतरनिहित शक्तियों को जाग्रत करने का कार्य करती है । आज के बदलते परिवेश में आवश्यक हो गया है कि महिला सशक्त हो जिससे वो अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होकर एक नयी सोच के साथ समाज के विकास में निडर होकर योगदान दे सके । जब पढ़ी लिखी महिला होगी तो कोई भी उसके साथ खराब व्यवहार करने का दुस्साहस नहीं कर पायेगा ।
जहाँ एक ओर शिक्षा अपने व्यापक अर्थ में आसपास के परिवेश से सीखना, अवलोकन , इतिहास की जानकारी,  संस्कृति से जुड़ना आदि सिखाती है तो वहीं दूसरी ओर सीमित अर्थ में विद्यालय व महाविद्यालय में ज्ञानार्जन से आती है । 
जब महिला विचारों से सुदृढ़ होगी तो अवश्य ही उसकी सोचने समझने की क्षमता  विकसित होगी और वो सही समय पर सही निर्णय ले सकेगी । अतः शिक्षा से जुड़कर सभी को शक्तिशाली होना चाहिए ।
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश
किसी महान विचारक ने सच ही कहा है "जो हाथ पलना झुला सकते हैं वे शासन भी कर सकते हैं।"और इन दोनो कार्यों को सुचारू रूप से करने के लिए शिक्षा किताबी और व्यावहारिक दोनों प्रकार की ग्रहण करना आवश्यक है ।जहाँ तक बात महिलाओं के सशक्तीकरण  की है तो एक शिक्षित महिला हर बात को तार्किक रूप से समझने और समझाने में सक्षम बनती है ।शिक्षा ही वो माध्यम है जो उसे चहुंमुखी ज्ञान देती है, हर समस्या के समाधान का सहजता से मार्ग खोजने की सामग्री प्रदान करती है,लेकिन हमारे बड़े कहा करते थे, "जो भी पढ़ो उसे गुणों भी ",अर्थात उस सब ज्ञान को आत्मसात कर अपने जीवन में, अपने व्यवहार में उतारो ।नारी सशक्त तभी बन सकती है वर्ना कहा गया है अधूरा शिक्षित एक अनपढ़ से ज्यादा खतरनाक होता है इसलिए स्वयं को अंदर और बाहर दोनों तरफ से शक्तिशाली बनाएँ ।मेरी राय में तो शिक्षा की यही भूमिका है महिलाओं के सशक्तीकरण की ।
- सुशीला शर्मा
जयपुर - राजस्थान
महिलाओं के सशक्तिकरण में शिक्षा की भूमिका, शिक्षा के विविध आयामों की अपेक्षा रखती है। जिसमें सर्वप्रथम पारिवारिक शिक्षा जहां रिश्तों का महत्व आदर एवं मान सम्मान से  ज्ञानित होना अति आवश्यक है।
 तदुपरांत सामाजिक शिक्षा शारीरिक एवं स्वास्थ्य शिक्षा, जिसमें अपनी क्षमताओं का ज्ञान एवम उत्तम स्वास्थ्य की जानकारी  के साथ- साथ लाभान्वित होना भी जरूरी है।
ऐसे ही  सांस्कृतिक शिक्षा के साथ रोजगारपरक शिक्षा महत्वपूर्ण बिंदु है,क्योंकि  जहां स्वाबलंबन से सशक्तिकरण का पथ उजागर होता है वहीं आज के बौद्धिक अतिवादी युग में हर महिला को  संपूर्ण शिक्षा पाने के बाद भी अपनी व्यक्तिगत क्षमताओ एवम परिवेश का सम्यक ज्ञान भी अति आवश्यक एवं अनिवार्य है। तदनुरूप ही  महिलाओं द्वारा उठाया गया हर कदम निसंदेह शक्तिदायक होगा ।
  डाॅ.रेखा सक्सेना
 महिला के सशक्तिकरण में शिक्षा की अहं भूमिका होनी चाहिए प्रथम शुरुवात घर से ही होती है !यदि एक महिला शिक्षित है तो उसका परिवार भी शिक्षित होगा! देश का हर परिवार शिक्षित है तो  देश भी सशक्त होगा अत: महिला का शिक्षित होना आवश्क है !
महिला समाज की असली शिल्पकार होती है !
 महिला पुरुष की एक साथी है जो बराबरी की मानसिक क्षमता के साथ प्रतिभावान है !
 चूंकि महिला और पुरुष एक दूसरे के पूरक हैं !एक सुरक्षित और स्थायी सरकार बनाने के लिए राष्ट्रीय मामलों में हमें महिलाओ के विचार की जरुरत है !
मां और गृहणी एकमात्र एैसे कर्मचारी है जिनका काम खत्म करने का समय नहीं है अत: कोई भी काम सिद्दत से करती है !
अत: महिलाओं के सशक्तिकरण मे शिक्षा का बहुत ही महत्व है
- चन्द्रिका व्यास
शिक्षा कोई पैमाना नहीं सशक्तिकरण को नापने का किन्तु शिक्षा से महिलाओं को ज्ञान मिलता है , जानकारी मिलती है और सबसे बड़ा फायदा , हर शिक्षित  महिला एक परिवार को शिक्षित कर सकती है और करती है 
शिक्षित महिला ही अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होती है 
- नंदिता बाली 
सोलन -हिमाचल प्रदेश
महिलाओं के सशक्तिकरण में शिक्षा की अहम भूमिका है। शिक्षित होने से उनकी सोच बदलती है। लोगों को समझने का नजरिया बदलता है। महिलाएं आत्मनिर्भर बनती है। बच्चों को अच्छा माहौल और अच्छी परवरिश मिलती है। जिससे आने वाली पीढ़ी पर इसका अच्छा प्रभाव पड़ता है। अतः महिला सशक्तिकरण एक दूरगामी सोच है।
           - कल्याणी झा
              राँची - झारखंड
शिक्षा  जलता हुआ दीपक है।ऐसा दीपक जो व्यक्तियों को अंधेरे में प्रकाश फैलाकर सही राह बताता है। सभी का सर्वांगीण विकास करता है। शिक्षा महिलाओं के लिए बेहद जरूरी है।शिक्षित महिलाएं आत्मनिर्भर होकर परिवार , समाज,देश के विकास में बहुमूल्य योगदान देती है। सरकार की नयी- नयी स्त्री उन्मुखीकरण कार्यक्रम अपना कर सशक्त हो रही है।शिक्षित स्त्रियाँ हर क्षेत्र में सफलता का परचम लहरा कर अपना लोहा साबित कर रही हैं। शिक्षित महिलाएं सबके साथ कंधे से कंधे मिलाकर कदम बढा रही हैं।महिलाओं को सशक्त करने में ज्ञान किरण का महत्वपूर्ण भूमिका है।
          - रीतु देवी " प्रज्ञा"
    दरभंगा - बिहार


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18 मार्च 2011 को बीजेन्द्र जैमिनी को सम्मानित करते हुए डी सी श्री जे एस अहलावत



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