स्वामी विवेकानंद जयंती ( काव्य संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी
सम्पादकीय
स्वामी विवेकानंद जयंती पर काव्य संकलन पर सम्पादन
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स्वामी विवेकानंद जयंती पर जैमिनी अकादमी द्वारा ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन रखा गया है । जिसमें अनेंक कवियों ने भाग लिया है। विषय अनुकूल कविताओं का संकलन तैयार करने की इच्छा से कार्य का पुनः सम्पादन किया है ।
स्वामी जी का जीवन सभी के लिए प्ररेणादायक साबित हुआ है । इसलिए सभी उन के जीवन से कुछ ना कुछ सिखाने का प्रयास करते रहते हैं ।इसी कारण से , इन कविताओं का महत्व और भी बढ़ जाता है । इसलिए ई पुस्तक रूप में सम्पादन करने का फैसला लिया है । बाकी पाठकों पर छोड़ देना चाहिए । लेखक , कवि व समीक्षा वर्ग से विशेष अनुरोध है कि अपनी बेबाक टिप्पणी से अवश्य अवगत करवाये । ऐसी हम हब की इच्छा भी है ।
- बीजेन्द्र जैमिनी
सम्पादक
स्वामी विवेकानंद जयंती
काव्य संकलन
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क्रमांक - 01
जय विवेकानंद स्वामी
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भारतीय संस्कृति क्या,
विश्व को बतला दिया।।
जा शिकागो आपने,
क्या धर्म, ये जतला दिया।
विश्व नत मस्तक हुआ,
तब आपके ही सामने,
जय विवेकानंद स्वामी,
धर्म ध्वज फहरा दिया।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
क्रमांक - 02
स्वामी विवेकानंद
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धन्य धन्य वह भूमि है , जन्में जहाँ सपूत ।
शुभ दिन बारह जनवरी, ये ईश्वर के दूत ।।
युवा शक्ति के स्त्रोत बन, दिया सुखद संदेश ।
प्रेम भाव धारण किया, भगवाधारी वेश ।।
दर्शन कर वेदांत का, करते रहे प्रसार ।
मंजिल मिलती है उन्हें, दुर्लभ दृष्टि अपार ।।
जीवन जीते प्रेम से, जोड़ रखें संसार ।
दूर करें कमजोरियाँ, बाँटे प्रीत अपार ।।
सात समुंदर पर जा, दिया वेद का ज्ञान ।
भारत की संस्कृति अमर, मिला मान सम्मान ।।
रुकें नहीं चलते रहें, मिले न जब तक लक्ष्य ।
एक सूत्र में बाँध कर , रखा यही है पक्ष ।।
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश
क्रमांक -03
स्वामी विवेकानंद
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युवाओं के लिए कितना कुछ कह गए ,
वो खुद ही एक मिसाल बन गए ,
रुकना मना है झुकना फिजूल ,
जो करना है कर डालो ,
क्यों डरना है किसी से ,
पहले खुद जागकर आओ ,
मैदान में सुबह सवेरे ही ,
तभी तो सीख मिलेगी ,
सफर में चलने और चढ़ने की ,
उगते हुए सूरज से ,
जब दुनिया ने नीचे रखा ,
वो आधार उसे बना गया ,
बाहर जाते हुए को भी ,
उसका व्याख्यान लौटा लाया,
सुना उसे तो सन्न रह गए ,
विश्व के वक्ता भी तब ,
स्वामी जी के कायल हो गए,
चोगा पहने सिर पर पग ,
वो मस्तमौला से चलते थे,
युवाओं को कर्म करने की ,
हर बात पर सलाह देते थे,
शक्ति का असीम भंडार बताकर,
अकसर ललकारा करते थे ,
ललाट पर तेज लिए वो ,
एक पीढ़ी के सशक्त पुरोद्धा थे ,
ज्ञान ग्रन्थों के भंडार वो तो ,
स्वामी विवेकानन्द जी थे।
- नरेश सिंह नयाल
देहरादून - उत्तराखंड
राष्ट्र गौरव स्वामी विवेकानंद
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मां भारती गौरवान्वित हुई पाकर महान संत को,
सार्थक किया उन्होंने मां-पिता के आंचल को।
विश्व पटल पर भारत को अपूर्व सम्मान दिलाया,
नमन राष्ट्र गौरव स्वामी विवेकानंद जी को।।
वर्ष १८६३ पावन तिथि जनवरी बारह,
अवतरण नरेन्द्र का झूम उठे धरा-अम्बर।
सारा जीवन अर्पित किया देश के सम्मान को,
जन-जन में जागृत किया राष्ट्र स्वाभिमान को।।
पाया मां भुवनेश्वरी पिता विश्वनाथ का वंश,
ज्ञान पाया चरणों में गुरु थे रामकृष्ण परमहंस।
गुरु माता शारदा देवी की कृपा पायी अनन्त,
संयम-शक्ति के पालन से चरित्र बना जीवन्त।।
शिकागो में देश धर्म की पताका फहराई,
विश्व को भारत के ज्ञान की छवि दिखाई।
ऋणी रहेगी भारत-भू विवेकानन्द आपकी,
कर्म-पथ पर ज्ञानी संतों की महिमा बढ़ाई।।
अल्पायु में ही विवेकानन्द काम बड़े कर गये,
सदियों तक युवाओं के प्रेरणास्रोत बन गये।
जयन्ती पर कोटि-कोटि नमन विवेकानन्द,
पुरुषार्थ आपके मार्गदर्शक हमारे बन गये।।
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
क्रमांक - 05
स्वामी विवेकानंद
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विश्व पटल पर भारत का मान बढ़ाने
धरा पर जन्मे एक महापुरुष महान
नाम था उनका नरेंद्र नाथ दत्त
१८ जनवरी १८६३ को कलकत्ता में हुआ उनका अवतरण
जिसे युवा दिवस के रूप में करते हैं हम स्मरण
नव भारत के निर्माण की रखी उसने नींव
शिकागो धर्म सम्मेलन में धर्म को कर दिया सजीव
बचपन का नाम उनका था वीरेश्वर
सब प्यार दुलार से पुकारते थे बिले
३१ बीमारियों से वो ग्रस्त
फिर भी कभी नहीं हुए त्रस्त
१८ वर्ष की उम्र में बने रामकृष्ण
परमहंस के शिष्य बन गए
छोड़ दुनिया के माया मोह
प्रभु भक्ति में लीन हो गए
३९ साल की उम्र में दुनिया को ४
जुलाई १९०२ को अलविदा कह गए
कलकत्ता के बेलूरमठ में वो
समाधिष्ट हो गए
अद्भुत था उनका देश प्रेम
भारत का धूलिकण पवित्र था
भारत की हवा पवित्र थी
भारतभूमि पुण्यभूमि तीर्थस्थान था
प्रेरणा थे युवाओं के हम सबके थे आदर्श
उनके दिए ज्ञान पर होती रहेगी चर्चा और विमर्श
हमें गर्व है अपने इन महापुरुषों पर
"दीनेश" चलेंगे सदा उनके दिखाए रास्ते पर
- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश"
कलकत्ता - पं.बंगाल
क्रमांक - 06
वेद ऋचा से शब्द
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अमेरिकन भाईयों और बहनों
संबोधन के साथ
दिया था संदेश
वसुधैव कुटुम्बकम का।।
फहराई ध्वजा भारतीय संस्कृति की
जन-गण-मन की दृष्टि गुनगुनाई थी।
ज्योति अभिनंदन वाणी के ओज में था मौन वंदन
यशोगान वेद-पुष्पाँजली ले
विदेशों में ऋचाओं की सृष्टि-ध्वज-ध्वनि फहरायी!!
माँ शारदा औ रामकृष्ण परमहंस के
मानस-पुत्र भक्त अनुयायी
थे नरेंद्र
बने विवेकानंद पथ-प्रदर्शक युवा शक्ति ज्योतिर्मयी।।
करती है युवा-शक्ति तुम्हारी सुधियों से वार्तालाप
और स्वस्ति मार्ग की अनंत यात्रा
मृत्युजयी का संदेश ले राष्ट्र भावना जगाती है
पश्चिमी सभ्यता में भी जाग उठता है पूरब से दिनकर
विश्वगुरु की पूर्णाहुति के साथ उठो जागो की ब्रम्हांडीय पुकार के साथ
विवेकानंद के अमिट विराट हव्य के साथ--और
उठो, जगो, रुको ना तबतक
लक्ष्य को पा लो ना जबतक
सिर्फ शब्द नहीं रह जाते बन जाते हैं - -
अटल" ध्रुव "पद के प्रेरक आगार
मानेगा देश युगों-युगों अंतःकरण से तुम्हारा आभार।।
- हेमलता मिश्र" मानवी "
नागपुर - महाराष्ट्र
क्रमांक - 07
स्वामी विवेकानंद
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तेजस्वी थे परमार्थ पथ चले ,
मानव- जीवन मूल्य पहचान ।
स्थूल से सूक्ष्म खोज में रहे ,
नरेन्द्र से विवेका नन्द महान ।
दिशाहीन समाज अटका था ,
न रही थी विश्व गुरु पहचान ।
परतंत्र भारतीय भटका था ,
नई सांसे मांग रही थी जान ।
अवतरित हुए वे नये रूप में ,
परमहंस शिष्य स्वामी महान ।
वेदांत अध्यात्म धारण किये ,
दिए स्वतंत्र विचारों के ज्ञान ।
फिर आई वो कालजयी घड़ी ,
एकत्रित हुए विश्वधर्म विद्वान ।
शून्य समझ उपहास बनाये थे,
भगवां चोगाधारी को अनजान।
पूर्व की सनातन लौ जला कर ,
उठा शिकागो में ऐसा तूफान ।
पश्चिम की तो सोच ही बदली ,
बदला सोया हुआ हिंदुस्तान ।
नई दिशा -दशा दिग्दर्शन हुआ ,
मिले भारतीयोंको नए आयाम।
रूढ़ि वादिता को आहत किये ,
किया युवाओं में नव आहवान ।
उद्यम रक्त -संचार कर गया वो ,
युवा था वो संस्कृति का महान।
युग पुरुष को हम कैसे भूलेंगे ,
युगों-युगों वंदनकरेगा हिंदुस्तान।
तेजस्वी थे परमार्थ पथ चले ,
मानव जीवन- मूल्य पहचान ।
स्थूल से सूक्ष्म खोज में रहे ,
नरेन्द्र से विवेका नन्द महान ।
- डॉ. रवीन्द्र कुमार ठाकुर
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
क्रमांक - 08
विवेकान्द भारत मां का लाल
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"उठो,जागोऔर तब
तक रुको नही
जब तक लक्ष्य प्राप्त
न हो जाए"।
महान विचारक
देशप्रेमी ,वक्ता, युग प्रवर्तन
युवाओंके प्रेरणा
स्वामी विवेकानंद
भारत मां के लाल ने
सनातन धर्म ,हिन्दी भाषा ,
हिन्दू संस्कृति में,प्रेम ,सहिष्णुता
मानवता है सर्वोपरि उस पर
चल कर रह सकती विश्व शान्ति
विश्व में शान्ति का दिया संदेश
देश का विश्व मे मान बढाया
देश मे,हर नर ,नारी हो
स्वालम्बी,शिक्षित
ना रहे जात पात का दानव
घृणा सब जन से मिट जाये
नवभारत का निर्माण हो
देश बढ़े प्रगति पथ पर
ऐसा हम सब ले प्रण
चले विवेकान्द के बताये रास्ते हम
तभी कहलायेगा देश जगत गुरु ।।
- बबिता कंसल
दिल्ली
क्रमांक - 09
विवेकानंद
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विश्वनाथ दत्त के घर में जन्मा नरेंद्र तो हुआ आनंद।
परमहंस की दीक्षा के बाद मिला विवेक तो बने विवेकानंद।।
जनक की मृत्यु के बाद घर की हर जिम्मेदारी में आता आनंद।
खूद भूखा रह कर भूखे को खाना खिलाकर आता परमानन्द।।
शिकागो में धर्म का कर विस्तृत विवेचन खिल उठा हरेक मन।
विदेशी धरती में बजा भारत संस्कृति का डंका हर्षित हुआ हरेक जन।।
युवाओं उठो जागो तब तक ना रुको जब तक ना मिले लक्ष्य पथ गमन।
प्रगति का यही मंत्र जीवन में आगे बढ़ने और जीने का यही चलन।।
गुरु सेवा भक्ती मां की ममता का अपनापन वहीं विवेकानंद।
आदर्शों पर चल पडे हरेक युवा तन खुश होगी आत्मा विवेकानंद।।
- हीरा सिंह कौशल
मंडी - हिमाचल प्रदेश
क्रमांक - 10
विवेकानंद
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कोलकाता 12 जनवरी 18 63 में
कुलीन परिवार में जन्म हुआ..
नाम नरेंद्र नाथ दत्त...
महान समाज सुधारक वह
शालीन गरिमावान व्यक्तित्व के धनी
गुरु रामकृष्ण परमहंस
के शिष्य विवेकानंद कहलाये
महान आध्यात्मिक गुरु
विश्व पटल पर धर्म ध्वजा फहराया..
भारत की विरासत पर गर्व था उन्हें..
भारत के अतीत और वर्तमान के बीच सेतु बनकर
वेद वेदांत उपनिषदों के ज्ञाता
बांग्ला और अंग्रेजी के ओजस्वी वक्ता
महान लेखक महान विचारक
युवाओं के प्रेरणास्त्रोत सच्चरित्र निर्माण हेतु ऊर्जावान बनाया
अमेरिका इंग्लैंड यूरोप में हिंदू दर्शन के सिद्धांतों का प्रसार किया..
शिकागो में 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में..
भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया...
युवाओं को संदेश दिया..
*उठो जागो और तब तक नहीं रूको*
*जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाए*
उनके जन्मदिवस को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है..
रामकृष्ण मिशन की स्थापना की
सच्चे देशभक्त सन्यासी के रूप में हुए महान विद्वान...
अध्यात्म ज्ञान विज्ञान नव जागृति का संचार किया..
युगपुरुष विवेकानंद कहलाए..
4 जुलाई 1902 को बेलूर मठ
हावड़ा में धर्म सितारा क्षितिज में विलीन हुआ...
ज्ञान का प्रकाश सारे जगत में प्रचार प्रसार किया...
चमक रहा यह आज सितारा...
धर्म ध्वज फहरा रहा है..
युवाओं को प्रेरणा देकर...
ऊर्जा का संचार भर रहा...!!
- आरती तिवारी सनत
दिल्ली
क्रमांक - 11
विवेकानंद जयंती के दोहे
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युवाशक्ति को है नमन्,जो रचती इतिहास।
हो हिमगिरि-सा दृढ़ युवा,ऊँचा ज्यों आकाश।।
युवा उठे तो हो सृजन,विचले तो विध्वंस।
युवा विवेकानंद है,है मानस का हंस।।
तूफ़ानों को जीतकर,ला दे नवल विहान।
युवा सदा गतिशील है,है वह मंगलगान।
भगतसिंह,सुखदेव है,युवा लगे 'आज़ाद'।
हर बाधा से लड़ करे,युवा वतन आबाद।।
युवा जोश का नाम है,रखता नित विश्वास।
पराभूत नहिं हो युवा,अंतस रक्खे आस।।
युवा बदल दे देश का,सारा ही भूगोल।
युवा दिव्यता ले चले,रखे कर्म के बोल।।
युवा पुष्प-सा खिल करे,सृजित नवल मधुमास।
युवा-हृदय की चेतना,करे अमंगल नाश।।
रहे अग्रसर नित्य ही,किंचित नहीं विराम।
युवा हक़ीक़त है मधुर,है व्यापक अभिराम।।
गौरवमय है हर युवा,रखता वंदन-योग।
पर उसके सामर्थ्य को,मिले न कोई रोग।।
लेकर के संकल्प नव,युवा करे उत्थान।
युवा देश का मान है,युवा देश की शान।।
- प्रो(डॉ)शरद नारायण खरे
मंडला - मध्यप्रदेश
क्रमांक - 12
स्वामी विवेकानंद जयंती
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12 जनवरी 1863 कलकत्ता में
महान आत्मा का अवतार हुआ
असंभव की सीमा लांघ
संभवता को पहचाना
वे स्वामी विवेकानंद ही थे !
लक्ष्य प्राप्त करके ही तुम थमना
तब तक तुम नहीं रुकना
ज्ञान हमें जिसने सिखलाया
वे स्वामी विवेकानंद कहलाये !
सोई दुनिया को जगाकर
सिंह को सिंह बनाया
योग हो या भक्ति योग
एक रहस्यमयी सूत्र बताया
दूसरों को सुख देना
दूसरों के लिए जीना
नर पशु में मतभेद बताया
वही आत्मज्ञान का महापुरुष स्वामी विवेकानंद कहलाया !
दुर्बलता से दूर रहो
दुर्बल मन को सशक्त बनाए
ज्ञान हमें जिसने दिया
स्वामी विवेकानंद कहलाया !
सोचो तो कमजोर बनोगे
सोचो तो महान बनोगे
ज्ञान हमें जिसने दिया स्वामी विवेकानंद कहलाया!
सब मिलकर एक नये समाज
का निर्माण करें
स्वामी विवेकानंद जी को नमन करें !
- चंद्रिका व्यास
मुंबई - महाराष्ट्र
क्रमांक - 13
युवाओं के पथप्रदर्शक
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युवा चरित्र की संक्रांति का शुभारंभ करने वाले,
अदम्य साहसी और विलक्षण पराक्रमी,
प्राची में जन्म लेकर पूरे संसार को आलोकित करने वाले,
युवाओं को हमेशा शान से जीने का पाठ देने वाले,
अज्ञानता, दरिद्रता, भय, जड़ता, मोह, दुर्बलता,
इत्यादि में लिप्त मनुष्य को बाहर निकालने वाले,
वैज्ञानिक परिद्रष्टता-आध्यात्म का समावेश करने वाले,
धर्म और मानवता का पाठ पढ़ाने वाले,
छल और आडम्बर से मुक्त होकर,
चरित्रवान युवाओं की आवश्यकता पर बल देने वाले,
दुर्बल जीवन की सर्वांगीण प्रगति के लिए,
वेदान्त की शिक्षाओं का नुस्खा बताने वाले,
काम अभी करने पर विश्वास करने वाले,
हमारे स्वामी विवेकानंद जी को हार्दिक अभिनन्दन।
- नूतन गर्ग
दिल्ली
क्रमांक - 14
आत्मसम्मान
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कॅरियर डे ओ विवेकानंद
जयंती हमने साथ मनाई
अलख जगाया समाज मे
कुरीतियों को दूर किया
आत्मसम्मान, आत्मविश्वास
भावना का विकास है कराया
मजबूत युवा शक्ति है जहाँ
भविष्य उज्ज्वल उस देश का
युवाओं पर था विश्वास जहाँ
लहरों से सीखा है बढ़ना
शिक्षक मार्ग दर्शन देता है
प्रेरित करता पद चिन्ह बना
भविष्य को मद्देनजर रख कर
निर्देशन कक्ष बनाया गया
हुनर के बल पर रोजगार मिले
आत्मा को उनकी जगाया गया
- डॉo छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
क्रमांक - 15
विवेकानन्द
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विवेकानन्द
विवेक +आनंद
ज्ञान और आनंद
की प्रतिपूर्ति ने
अमेरिका की
धर्म सभा को
संबोधित कर कहा-
'बहनों और भाइयों'
सुनकर थे सभी मंत्रमुग्ध
आत्मविश्वास से परिपूर्ण
ओजस्वी वाणी में
दिया मानवता का संदेश....
भारतीय संस्कृति का
परचम लहराया संसार में
'उठो, जागो और
तब तक मत रुको
जब तक प्राप्त
न हो जाए लक्ष्य '
उनके इस मूल मंत्र में
छुपा हुआ है
सफलता का सारा राज
मानेंगे तो कर पाएंगे
हम दुनिया पर राज....
- बसन्ती पंवार
जोधपुर - राजस्थान
क्रमांक - 16
देश की पहचान
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उठ जोश मे रह होश मे
कर देश के हित मे काम
देश की पहचान युवा देश की पहचान ।
ना व्यर्थ कर तू समय अपना
ना सो चादर तान उठ जाग तू
संघर्ष कर तू तू मेरा अभिमान ।
चलाया था अभियान
गा रहा गुण तुम्हारे
सारा जहान स्वामी विवेकानन्द महान
- नीमा शर्मा हँसमुख
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
क्रमांक - 17
स्वामी विवेका नंद जयन्ती
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देकर चले गए तुम,
बलिदान बेमिसाल ।
शत-शत नमन है तुमको,
हिन्दोस्ताँ के लाल।।
धर्म और देश पे बलिदान हो गए।
त्यागऔर प्रेम की मिसाल हो गए।
करते रहे सदा तुम
दुश्मन यहाँ हलाल।।
शत - शत नमन है तुमको --------
जो आया है यहाँ पर जाएगा एकदिन
मौत सामने खड़ी है हर घड़ी पलछिन
जीवन जिया था शेर का ,
था कुछ नहीं मलाल ।।
शत-शत नमन है तुमको --------
डंका बजाया वेदों का,सारे ही विश्व में ,
भारत का नाम कर दिया रौशनथा विश्व में
दुश्मन भी देख -देख के ,
होते रहे निहाल ।।
शत-शत नमन है तुमको ---------
- डॉ. नेहा इलाहाबादी
दिल्ली
क्रमांक - 18
अनमोल रत्न स्वामी विवेकानंद
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महान चिंतक व महान देशभक्त
युवाओं के प्रेरणा स्रोत दार्शनिक।
नरेंद्रनाथ उर्फ स्वामी विवेकानंद,
है व्यक्तित्व कृतित्व प्रेरणादायक।
बना दो शब्द मिल विवेकानंद
विवेक और आनंद यानी
बुद्धि और खुशियां
बांटे वही दो चीज वो दुनिया में।
अनमोल पहचान बना विश्व में,
दिया जोशीला मंत्र युवाओं को।
उठो जागो तब तक मत रुको,
जब तक लक्ष्य तक न पहुंचो।
युवाओं हेतु प्रेरणात्मक विचार-
स्वयं के ऊपर करो विश्वास।
दिल -दिमाग की हो टकराव
सदा सुनो तुम दिल की बात।
ज्ञान स्वयं में जीता वर्तमान है,
प्रेम जीवन है और द्वेष मृत्यु है।
शक्ति जीवन है निर्बलता मृत्यु है,
विस्तार जीवन, संकुचन मृत्यु है।
जो विचार लो, जीवन बनाओ,
उसी पर सोचो उसी पर जिओ।
एक समय में एक ही काम करो,
और उसमें पूरी तरह खो जाओ।
पढ़ने के लिए जरूरी एकाग्रता,
एकाग्रता के लिए जरूरी ध्यान।
ध्यान से इंद्रियों पर करें संयम,
रखें मन में सदाअनमोल विचार।
धन का दूजे की भलाई में मूल्य है,
अन्यथा वह बुराई का एक ढेर है।
न्याय का मार्ग ही होता सन्मार्ग,
सत्कर्म जीवन का ध्येय बनाओ।
परोपकारी और सहृदय व्यक्तित्व,
हिंदुत्व व धर्म के प्रचारक-प्रसारक।
विराट कृतित्वधारक अनमोल रत्न,
विवेकानंद जी को शत शत नमन।
- सुनीता रानी राठौर
ग्रेटर नोएडा- उत्तर प्रदेश
क्रमांक - 19
जाग युवा जाग
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जाग युवा जाग
कि तेरे जागने से देश जगेगा
देश जगेगा
और
हर क्षेत्र में विकास करेगा,
भ्रष्टाचार और दुराचार का
अंधियारा छंटेगा,
भारतीय संस्कृति और सभ्यता का सूरज
सारे संसार को
आलोकित करेगा,
हर क्षेत्र में भारत सबकी अगुआई करेगा.
तुम जानते हो
जब-जब
भारत का युवा जगा है
विवेकानंद का उदय हुआ है
विवेकानंद के घट में
विवेक के आनंद का उदय हुआ है
फिर
विवेकानंद ने
सबको
विवेक के आनंद से परिचित कराया है
भारतीय संस्कृति और सभ्यता से
अखिल जगत को परिचित कराया है.
तुम जानते हो
जब-जब
भारत का युवा जगा है
वीर हकीकत का उदय हुआ है
भगतसिंह का उदय हुआ है
लक्ष्मीबाई का उदय हुआ है
फिर
वीर हकीकत ने
भगतसिंह ने
लक्ष्मीबाई ने
सबको
देशभक्ति के साहस से परिचित कराया है
इसी साहस से उन्होंने
अखिल जगत को साहस का पाठ पढ़ाया है.
तुम जानते हो
जब-जब
भारत का युवा जगा है
आर्यभट्ट का उदय हुआ है
आर्यभट्ट ने
1-10 अंकों
और दशमलव का आविष्कार किया है,
वाराहमिहिर का उदय हुआ है
वाराहमिहिर ने
शून्य का आविष्कार किया है,
सी. वी. रमन का उदय हुआ है
सी. वी. रमन ने
रमन इफैक्ट का आविष्कार किया है,
अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम भारतीय महिला
कल्पना चावला का उदय हुआ है
कल्पना चावला ने
भारतीय अमरीकी अंतरिक्ष यात्री के रूप में
देश का मान बढ़ाया है,
पी. वी. सिंधु का उदय हुआ है
पी. वी. सिंधु ने
ओलम्पिक खेलों में
महिला एकल बैडमिंटन का रजत पदक
जीतने वाली पहली खिलाड़ी के रूप में
देश को सम्मान हासिल कराया है,
लता मंगेशकर का उदय हुआ है
भारत कोकिला लता मंगेशकर ने
गायन के क्षेत्र में
अनुपम कीर्तिमान स्थापित किया है,
होमी जहांगीर भाभा का उदय हुआ है
होमी जहांगीर भाभा ने
परमाणु ऊर्जा संस्थान स्थापित किया है.
जाग युवा जाग
कि तेरे जागने से देश जगेगा
देश जगेगा
और
हर क्षेत्र में विकास करेगा.
- लीला तिवानी
दिल्ली
क्रमांक - 20
विवेकानंद एक संत
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नरेन्द्र नाथ दत्त वास्तविक नाम,
जन्म हुआ था कोलकत्ता।
वेदांत के प्रख्यात प्रभावी ज्ञाता,
आध्यात्मिक गुरू और प्रखर वक्ता।
राम कृष्ण परम हंस गुरू महान,
शिष्य , विवेकानंद ने रखा मान।
परम भक्त स्वामी अपने गुरू के,
उत्तम सेवा अनन्य भक्ति देखा जहान।
शिकागो में हिन्दी में भाषण,
जीत लिया था सबका मन।
संस्कारों का नींव पड़ा बचपन ,
स्थापना किया राम कृष्ण मिशन।
पच्चीस वर्ष की आयु में ही ,
धारण कर लिया गेरूआ वस्त्र।
घुम घुम कर धर्म का प्रचार किया,
संत रूपी विवेकानंद ने सर्वत्र ।
मानव प्रेमी, सच्चे देशभक्त थे ,
स्वतंत्रता संग्राम के प्रेरणा स्त्रोत थे।
अंग्रेज़ी शिक्षा के विरूद्ध थे,
सर्वागिण शिक्षा दर्शन के पक्षधर थे।
अल्पायु में महासमाधि ले दिया प्राण
विवेकानंद ने दिया युवाओं को दर्शन ज्ञान।
“उठो ,जागो ,स्वयं जागकर औरों को जगाओ “उनका था यही कथन।
- सविता गुप्ता
राँची - झारखंड
क्रमांक - 21
युग-पुरुष स्वामी विवेकानंद
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युग-प्रवर्तक, पथ-प्रदर्शक,
युव-शक्ति का वो था समर्थक
देश का गौरव फैला तब जग में
जब विश्व-गुरु कहलाया वो चिंतक।
धर्म-संस्कृति का मान बढ़ाया
जग को वेदों का पाठ पढ़ाया,
मानवता को सर्वोपरि मानकर
विश्व-शांति का अलख जगाया।
संत था वो, न था कोई नेता,
नव-भारत का वो था प्रणेता।
छूत-अछूत, पाखंड मिटाकर,
प्रेम-सहिष्णुता का मर्म था देता।
लक्ष्य, राष्ट्र-निर्माण था करना,
जन-जन का उत्थान था करना।
शिक्षित कर हर नर-नारी को,
स्वावलम्बन-स्वाभिमान था भरना।
जग बदला, पर ज्ञान ना बदला,
उस युग-पुरुष का मान ना बदला,
घृणा मिटा, ओ मनुज हृदय से,
आज भी ये आह्वान ना बदला।
आओ प्रतिज्ञा करें मिलकर हम,
धर्म-जात पर न लड़े कभी हम।
विश्व-गुरु बन जाए देश फिर,
चरित्र का यूँ निर्माण करें हम।
- अमृता सिन्हा
पटना - बिहार
क्रमांक - 22
लालअनूठा
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मानवता का प्रसून सुनहरा,
अवनी का ये लाल अनूठा।
संघर्षों से खिला उपवन,
परहित कर्तव्यों का भाव अनूठा।
देश हित को समर्पित जीवन ,
प्रेम त्याग का सागर अनूठा।
जन-जन हृदय में ये बसा,
योग गुरु का दर्शन अनूठा।
संवेदना का अखंड दीप तुम,
सुभाषित साहित्यिक उत्कृष्ट ज्ञान अनूठा।
मधु,,,सर्वधर्म समभाव का विचार ,
निज कर्म ज्योत का दरिया अनूठा।
हिंदुत्व का परचम विश्व में लहराया,
हिंदी भाषा का बढ़ाया मान अनूठा।
- मधु वैष्णव "मान्या"
जोधपुर - राजस्थान
क्रमांक - 23
उठो जागो सिंहो
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उठो ,जागो सिंहो
यही कहना था कई सदियों पहले,
उस महान साधु ने,
जिसका नाम था विवेकानंद!
आज भी परिभाषित है,
उसकी और वाणी से निकले हुए वचन,
जिसका नाम था स्वामी विवेकानंद!
जिसने हमें संदेश दें,
किया जागृत संपूर्ण युवाओं को,
मुश्किलों से भाग जाना आसान होता है,
हर पल जिंदगी का इम्तिहान होता है,
डरने वालों को कुछ नहीं मिलता,कुछ जिंदगी में,
लड़ने वालों के कदमों में मंजिलें होती हैं।
उस महान व्यक्तित्व को मेरा शत-शत नम:
- "प्रीति "मिश्रा
जबलपुर - मध्य प्रदेश
क्रमांक - 24
स्वामी विवेकानंद
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उच्च कुलीन बंगाली परिवार में जन्मे थे
माता-पिता के लाडले नाम जिनका था नरेंद्र
नटखट बहुत थे पर था अध्यात्म से भी लगाव
अपने ज्ञान और तप से बने उर्जा का केन्द्र
बचपन से थे मेधावी और था अलग स्वभाव
ऐसे कृत्य करके गये कि सब पर पड़ा प्रभाव
कम उम्र में घर-परिवार त्याग धरा तपस्वी वेश
अपने उच्च व्यक्तित्व से बदला कुल का परिवेश
धर्म-कर्म में मन रमता था बुद्धि थी बड़ी कुशाग्र
वेदों और पुराणों को यूं बखानते जयूं गरजे व्याघ्र
रामचन्द्र परमहंस से प्रभावित हुए भूल सब क्लेश
देश-विदेश का भ्रमण किया पहुंचाया धर्म-संदेश
मानव उत्थान के लिए करते रहे सतत प्रयास
जग को सिखा गये कि हर जीव में ईश्वर का वास
विश्व पटल पर भारतीय अध्यात्म का मान बढ़ाया
आज तक कोई भी न उस ऋण को चुका पाया
बहुत कम समय का था जीवन पाया
पर जो कर गये वो आजतक कोई कहां कर पाया
स्वामी विवेकानंद ने धर्म और कर्म पथ पर चलकर
हर युग के युवाशक्ति को है अद्वितीय पाठ पढ़ाया
- संगीता राय
पंचकुला - हरियाणा
क्रमांक - 25
प्ररेणा की प्रतिमूर्ति
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स् _____सदविचार की
वा________वाहुलता
मी_________मिलता रहे जीवन को
वि____विश्वास
वे______वेमिसाल
का_____कांतिमय
नंद_____नंद
स्वामी विवेकानंद
प्रेरणा की प्रतिमूर्ति
भारत के दक्षिण में
कन्याकुमारी या इंदिरा पॉइंट
पर स्थित प्रेरणा की मूर्ति
देश के युवाओं को
दे रहा है संदेश
उठो जागो और कब तक
नहीं रुको जब तक
तुम अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर लेते
खुद को कभी कमजोर ना समझो ऐसा समझना बड़ा पाप है
दिल और दिमाग के टकराव में
सदा अपने दिल की सुनो
जिस समय जिस काम का संकल्प करो उस काम को
उसी समय पूरा करो वरना
आप पर विश्वास करना छोड़ देंगे
जीवन में ज्यादा रिश्ते
होना जरूरी नहीं है
बल्कि जो रिश्ते हैं
उनमें जीवन होना जरूरी है
दिन में खुद से जरूर बात करो
वरना आप महत्वपूर्ण व्यक्ति से
बात करने का मौका खो दोगे
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
क्रमांक - 26
हम योद्धा हैं
********
हम योद्धा हैं, हम योद्धा हैं
हिम्मत न कभी भी हारेंगे
हम हँसते- हँसते रोएँगे
रोते - रोते भी गाएँगे।
हम छुपा- छुपा कर रखेंगे
अपने निज की सारी पीड़ा
औरों के दुख हरने को हम
अपना सर्वस्व लगा देंगे।
विपरीत हवाओं में भी हम
अब सपने नए सजाएँगे
तूफानों में भी आशा के
हम अनगिन दीप जलाएँगे।
सभी युवा- शक्ति के मन में, विवेकानंद जगाएंगे ।।
हम योद्धा हैं, हम योद्धा हैं
हिम्मत न कभी भी हारेंगे।।
- संतोष गर्ग
मोहाली - चंडीगढ़
क्रमांक - 27
युवा दिवस
*********
युवाओं के प्रेरणा स्रोत नरेंद्र,
बने स्वामी विवेकानंद, दुनिया में
अनुपम दिखें नरेंद्र से बने युवा
विवेकानंद इनके पीछे पीछे हो
गएविश्व के युवक -युवती
नर -नारी बन गये प्रेरणा स्रोत।
*शिकागो*मैं जाकर के हिंदू धर्म
का लहराया परचम सदा रहे हिंदू विशेष
*विजय* बोल गए हिंदू धर्म अतुल्य दुनिया में *उठो जागो और तब तक मत
रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो
जाए*
-विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखंड
क्रमांक - 28
राष्ट्र का गौरव
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भारत की सोई आत्मा को जगाया
कायर में जोश भर कर सिंह बनाया
उठो जागो, जाग कर औरों को जगाओ
मत रुको जब तक लक्ष्य न पाओ
प्रेम योग और भक्ति योग को अपनाया
समाज सेवा, इंसानियत का धर्म सिखाया
लौकिक, परलौकिक शिक्षा का पाठ पढ़ाया
समाज को बराबरी का मूल मंत्र सिखाया
भारत का सांस्कृतिक ध्वज फहराया
स्वाभिमान" का भारत के पाठ पढ़ाया
शिकागो में भारत का नाम चमकाया
विश्व को भारतीय दर्शन का दर्पण दिखाया।
भारत की सोई आत्मा को जगाया
वो स्वामी विवेकानन्द जी कहलाया
- कैलाश ठाकुर
नंगल टाउनशिप - पंजाब
क्रमांक - 29
वो थे हमारे विवेकानंद
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विवेक से भरपूर
आनंद देते प्रचुर
महान थे जिनके कर्म
वो थे विवेकानंद
उनके व्यक्तित्व् का निखार
करता भारतीयता का प्रसार
मधुर थे जिनके सबसे सम्बन्ध
वो थे हमारे विवेकानंद
ज्ञान का किया प्रसार
कर्मों से बढ़ाया निखार
उनको कोटि कोटि नमन
वो थे हमारे विवेकानंद
- नंदिता बाली
सोलन - हिमाचल प्रदेश
क्रमांक - 30
स्वामी विवेकानंद जयंती
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सरस्वती पुत्र तुम्हें ,
शत शत प्रणाम मेरा।
जो विवेक को से है भरे,
विवेकानंद नाम तेरा।।
12 जनवरी को कोल,
काता में है जन्म हुआ।
माता भुवनेश्वरी और,
पिता विश्व दत्त है।।
प्यार और दुलार से,
बुलाती मां नरेंद्र देव।
शांति चित् भावनाओं,
के ये देवपुत्र है।।
धार्मिक प्रवृत्ति के,
हृदय में चित्र वृत्ति धर।
महाभारत गीता और,
रामायण को सुनाते हैं।।
ऐसे देवतुल्य युवा,
भक्तों को नमन मेरा।
सरस्वती पुत्र तुम्हें,
शत शत प्रणाम मेरा।।
- अन्नपूर्णा मालवीय सुभाषिनी
प्रयागराज - उत्तर प्रदेश
क्रमांक - 31
स्वामी विवेकानन्द
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उठो, जागो और रुको मत
जब तक न हो प्राप्त लक्ष्य
जीवन में तुम भी करो संघर्ष
इस सृष्टि का हर जीव
प्रगति के लिए करता संघर्ष
खुद को नहीं समझो कमजोर
कमजोर समझना है इक पाप
सब कुछ अंदर से ही है सीखना
सबसे अच्छा शिक्षक तुम्हारी आत्मा
सत्य कहने के हों तरीके हज़ार
सत्य सदैव एक ही होगा पर
अंदर का स्वभाव हो सुन्दर
चमकेगा यह व्यक्तित्व के ऊपर
इस ब्रह्माण्ड की अनेक शक्तियां
इन सभी के अधिकारी हो तुम
जब तुम यह जाते हो भूल
तब रोते हो अंधकार को तुम
समस्त जगत है इक व्यायामशाला
इसमें संघर्ष कर मजबूत बनो तुम
जीवन जान लो तुम है केवल शक्ति
और निर्बलता तो सिर्फ है मृत्यु
प्रगति विस्तार प्रेम हैं जीवन
संकुचित जीवन द्वेष है मृत्यु
काम करो तुम होकर संकंेद्रित
जीवन का उसमें तुम डालो सार
जब तक जीना तब तक सीखना
अनुभव जगत का सर्वश्रेष्ठ शिक्षक
खुद पर सदा तुम करो विश्वास
तभी कर पाओगे भगवान पर विश्वास
चिंता नहीं चिंतन करो मनन करो
जन्म नये विचारों को तुम दो
तुम हो भाग्यशाली यदि तुमको
ईश्वर ने चुना मानव सेवा को
सेवा के बदले कुछ न मांगो
जो देना है तुम सहर्ष दे दो
सेवा का पुण्य तुम्हें सदा मिलेगा
पर उसके बारे में अभी न सोचो
हर वो कुछ जो करे तुम्हें कमजोर
शारीरिक, बौद्धिक या मानसिक
त्यागो तुरन्त उसे जहर की भांति
निंदा करना सदा ही पाप है
मदद के लिए अपने हाथ बढ़ाओ
गलत नहीं सही मार्ग दिखाओ
सत्य बनो सत्य को साहस से बोलो
दुर्बलता को कभी प्रश्रय मत दो
सत्यवान रहो निर्भीक बनो
उठो, जागो और रुको मत
जब तक न हो प्राप्त लक्ष्य
जीवन में तुम भी करो संघर्ष
- सुदर्शन खन्ना
दिल्ली
क्रमांक - 32
नया सवेरा
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युवा शक्ति का करो सम्मान
बने देश सशक्त समृद्ध महान।
घर घर में हो सदा नया सवेरा,
युवा शक्ति करे आवाहन तेरा।
जन जन में गूंजे अब नारे,
देशभक्ति से ओतप्रोत हो सारे।
निज भाषा से जागा स्वाभिमान
कर्म फल से बनता सफल इंसान।
सादा जीवन से मिलता
कितना आंनद,
युवाओं के प्रेरणास्त्रोत बने विवेकानंद।
- रंजना हरित
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
क्रमांक - 33
युवा शक्ति
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युवा शक्ति आवाहन तेरा
करता जगती का नर नार
जब जब तूने अंगड़ाई ली
जीत हो गयी थी जो हार
अरि पलों में सहम गए थे
भूल गए सब व्यर्थ विचार
सबल किया तूने निर्बल को
निज शक्ति का कर संचार
- डॉ भूपेन्द्र कुमार
धामपुर - उत्तर प्रदेश
क्रमांक - 34
मैं विवेकानंद!
*********
आज मेरे
अवतरण दिवस पर
मुझे स्मरण कर रहे हो
अच्छा लग रहा है
पर एक बात बताओ
कब तक
केवल मेरी
उपलब्धियों को ही
स्मरण करते रहोगे?
जो मैंने किया
और जितना किया
उससे आगे
तुम भी तो सोचो
क्या करना है
कैसे करना है
कब करना है ?
गुणगान तक
सीमित न हो जाए
अपनी परम्परा,
चारण और भाट
बन कर न रह जाएँ
देशवासी,
इसलिए
उठो,
जागो और
खड़े हो जाओ
पहले स्वयं मानव बनो
तब भटके हुए
विवेकहीन समाज को
मार्ग दिखाओ,
थक चुका मैं
तुम्हारा आदर्श बनते-बनते
अब तुम मुझे मेरा
आदर्श बन कर दिखाओ
अपने जन्मदिवस पर
मैं आज सबसे
केवल इतना ही
चाहता हूँ।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून - उत्तराखंड
क्रमांक - 35
स्वामी विवेकानंद
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बारह जनवरी को युवा दिवस
मनाते हैं हम जन्म दिवस
विवेक से विवेकानन्द ने किया आव्हान
देश के नवनिर्माण में
डाली थी जान
जिनके जीवन में थी उत्साह की बातें
दीन हीन दासता की कटे सुख से राते
वे चाहते थे भारत के युवा आगे आए
विश्व समुदाय में अपनी जगह बनाए
युवा उच्च मानवीय मूल्यों का परिचय दें
शिक्षा, रोजगार एवं संतुलित जीवन दें
उच्च विचारों से देश को उन्नति मिले
एक नई ऊर्जा और नए सपने मिले
सशक्त देश के लिए नारी को भी
समाज में बराबर की भागीदारी मिले
सभी को मिले शिक्षा की शक्ति
युवाओं के मन में रहे कामयाबी की भक्ति
- दीपा परिहार 'दीप्ति'
जोधपुर - राजस्थान
क्रमांक - 36
नकारात्मक कहीं भी नहीं
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सकारात्मक सोच है स्वामी विवेकानंद ।
युवा उत्थान है स्वामी विवेकानंद ।
ज्ञान विज्ञान की सोच है ।
हर क्षेत्र का ज्ञान है ।
फिर भी विज्ञान है धार्मिक -
धार्मिक आस्था ही विज्ञान है ।
संगीत प्रतीक की सोच है ।
आस्था का सवाल बना है ।
विश्व गुरु का ये कमाल -
देता उत्थान की सोच है ।
हिन्दु तत्व की सोच है ।
भाई - चारा का संदेश है ।
नकारात्मक कहीं भी नहीं -
ऐसी रास्ट्रीयता की सोच है ।
- बीजेन्द्र जैमिनी
पानीपत - हरियाणा
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