मन की भाषा हिन्दी ( काव्य संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी

सम्पादकीय                                                            
ऑनलाइन कवि सम्मेलन का संकलन
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 " मन की भाषा हिन्दी " काव्य संकलन का अस्तित्व ऑनलाइन कवि सम्मेलन के माध्यम से आया है । विश्व हिन्दी दिवस - 2021 के अवसर पर जैमिनी अकादमी  द्वारा आयोजित किया गया है । विषय के अनुकूल कविताओं का समावेश संकलन के माध्यम से आपके सामने पेश है । जो वर्तमान के साथ - साथ भविष्य के लिए भी सार्थक सिद्ध होगा । ऐसी उम्मीद के साथ संकलन का सम्पादन किया गया है । यही उम्मीद से कवियों को सम्मानित भी किया जा चुका है । 
    संकलन में विभिन्न क्षेत्रों के कवियों को शामिल किया गया है । जो अपने क्षेत्र की मिट्टी की खुशबू को अपनी कविता के साथ पेश कर रहें हैं । बाकी तो रचना के पढने पर पता अवश्य चल जाऐगा । अपनी बेबाक टिप्पणी से अपनी राय अवश्य दे । यह कवियों के साथ - साथ हमारी सार्थक सफलता का सवाल है । इसी उम्मीद के साथ संकलन पेश किया जाता है ।
    - बीजेन्द्र जैमिनी
          सम्पादक
  मन की भाषा हिन्दी
   ( काव्य संकलन ) 
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क्रमांक -01
हिंदी_की_महिमा
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हिन्द और हिंदी की बिंदी
सकल जगत से न्यारी है ।
अखिलविश्व की महिमा इसमें
सबकी  राज दुलारी  है ।।

जैसा बोलें  वैसा  लिखते 
बोली  कई   सुहानी  सी ।
देवो की वाणी  कहलायी 
अमृत  अमर  कहानी  सी ।।

इसमें ही सपना देखें हम
लिखें पढें  और  बोलें भी ।
भेद  जिया के  सारे  हरदम 
हिन्दी में  ही खोलें  भी ।।

सब मिलकर अब शपथ निभाना
हिन्द और हिंदी को गाना ।
माँ  ममतामयी प्यारी -प्यारी
संग बुनो तुम  ताना  बाना ।।
- छाया सक्सेना ' प्रभु '
जबलपुर - मध्यप्रदेश

क्रमांक - 02
हिंदी और शिक्षा 
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हिंदी भाषा अपनत्व भरी 
है प्रीत का गीत सिखाती है l 
मधुर बोली, ढाई आखर की 
कान्हा संग रास रचाती है ll 

मानस को पढ़ा जब जीवन में 
संस्कारों का ज्ञान कराती है l 
कर्म योगी का संदेश मिला 
गीता की ज्योति जलाती है ll 

प्रभु वंदन, कीर्तन स्वर लहरी 
मंगल परिवेश बनाती है l 
मात -पिता -गुरु चरणों में 
श्रद्धा का भाव जगाती है ll 

संज्ञान बनें, चेतना से भरें
 अमृत की वर्षा करती है l 
सत और  प्रकाश की ओर चले 
सामगीतियाँ स्तुति करती है ll

दिनकर की जब हुंकार बनें 
देश प्रेम का जज़्बा जगाती है l 
भूषण का ओज और जोश भरे 
दुश्मन के छक्के छुड़ाती है ll 

मानवता का कल्याण करे 
कबीरा-रहीम की वाणी है l 
दादी -नानी की कहानी बन 
पग-पग पर राह दिखाती है ll 

त्यौहार-पर्व उल्लास भरे 
ऋतुओं की छटा दिखाती है l 
छह ऋतुओं में है अनुशासन 
विराम का चिह्न लगाती है ll 

'आ 'आखर पढ़,विद्वान् बनें 
देवनागरी लिपि कहलाती है l 
एकता और अखंडता से
 सद्भावना दीप जलाती है ll  
           - डॉ. छाया शर्मा
             अजमेर - राजस्थान

क्रमांक - 03

मन की भाषा हिन्दी

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मेरे संस्कार
मेरे आचार-विचार
मेरे व्यवहार
मेरे परिवार
मेरे संसार
कि भाषा है हिन्दीI
आँख खुली मिली हिन्दी
मेरी रगो में लहू बन
बहती है हिन्दी
करती सम्मान हर भाषा का
ऐसी है मेरी प्यारी हिन्दी
विश्व में  मान सम्मान
दे रही हिन्दी
मन की भाषा
प्रेम की भाषा हिन्दी I

- सीमा स्मृति
श्रेष्ठ विहार - दिल्ली 

क्रमांक - 04

मेरी भाषा मेरी काया
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मेरे मन की भाषा 
मेरे भारत की हिंदी है 
नमन करूँ नित इसको 
ये माँ भारती के मस्तक की बिंदी है ।।
बिन इसके कोई पहचान 
सकल विश्व में 
हमारी मुश्किल है 
बिन इसके कोई संज्ञान 
हमारा मुश्किल है 
इसको पल पल मैं ध्यायूं  
मेरे मन की भाषा 
मेरे भारत की हिंदी है 
नमन करूँ नित इसको 
ये माँ भारती के मस्तक की बिंदी है ।।
पैदा होते ही हमने 
जो शब्द सुने कानों में 
 पैदा होते ही हमने 
जो शब्द सुने कानों में 
वो और नहीं कोई थी 
बस यही मातृभाषा थी 
बस यही सुरीली ध्वनि थी 
मेरे मन की भाषा 
मेरे भारत की हिंदी है 
नमन करूँ नित इसको 
ये माँ भारती के मस्तक की बिंदी है ।।
यूँ तो पूर्ण विश्व में सबकी 
अपनी अपनी भाषा है 
सब प्यार किया करते है 
उसको जो जो उनको भाता है 
मैं कैसे न स्वीकार करूँ 
मेरे मन की भाषा 
मेरे भारत की हिंदी है 
नमन करूँ नित इसको 
ये माँ भारती के मस्तक की बिंदी है ।।
मेरी संस्कृति मेरी सम्मति 
मेरी आकृति 
एक धरोहर भारत की 
मेरे मन की भाषा 
मेरे भारत की हिंदी है 
नमन करूँ नित इसको 
ये माँ भारती के मस्तक की बिंदी है ।।
- डॉ. अरुण कुमार अग्रवाल
दिल्ली

क्रमांक - 05
विषय-म‌न की भाषा हिन्दी
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हिंदी सीधी सरल भाषा जन को हर्षाती
भारत के हर कोने कोने में बोली जाती
अपने मन के हर भाव विचारों को हम
बहुत सरल सहज रूप में कह देते हैं
सभी उप बोलियों को  समेट हुए ‌समरता
नहीं भेदभाव यह हिंदी भाषा जानती
सभी संस्कार सभ्यता हिंदी में ही समाहित...
हिंदी हमारी पहचान हिंदी से‌ हम भारतीय संस्कृति की पहचान निराली
हिमालय से लेकर गंगा तक हिंदुस्तान...
प्रकृति के हर एक रुप छटा में हिंदी जैसे प्राण भरे..
भारत के कवि महान रचनाकारों ने
काव्य, महाकाव्य रचे...
महान रचनाकारों जनचेतना फैलाई....
दिनकर, सूर्यकांत, प्रेमचंद, सुमित्रानंद पंत, मैथलीशरण गुप्त, जैसे रचनाकारों
ने हिंदी में इतिहास रचा...
मेरे जीवन के कैनवास पर
जितने चित्र उकेरे मैंने ...
मेरी कल्पनाओं ने हिंदी में ही रंग भरे
हिंदी में सरल सहज हो जाती हूं मैं...
सारी अपनी व्यथा कथा हिंदी ही कहती हूं
हिंदी मेरे मन को भाती हिंदी मेरी जननी माता जैसी..
बोलना कहना सुनना मेरा सब कुछ हिंदी में...
हिंदी पर अभिमान मुझे हिंदी मेरी पहचान..
भारत माता के भाल की बिंदी...
हिंदी भाषा से ही सजती है..
तिरंगा ध्वज ले भारत माता हिंदी में ही निखरती है...
हिंदी हम सब भारतवासी की प्राण जान में बसी...
जन-जन को जोड़ती हिंदी है...
आओ हिंदी का मान बढ़ाने..
राजभाषा से राष्ट्रभाषा बनाने
हम सब  हिंदी में ही काम करें...
सभ्यता संस्कार बचाना है...
हिंदी भाषा को अपनाना है...!!!

- आरती तिवारी सनत
 दिल्ली

क्रमांक - 06
मन को लुभाने वाली
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रसभीनी, भावभीनी,मन को लुभाने वाली
सहज,सरल हिंदी,भाषा अलबेली है।
अलंकारों, रसों और छंदों से है अलंकृत,
कितनी ही बोलियां भी,इसकी सहेली हैं।
ब्रजभाषा, भोजपुरी, हरियाणवी,अवधी,
पंजाबी व राजस्थानी, बुंदेली, बघेली है।
इसके ही साथ साथ, छत्तीसगढ़ी,मालवी,
नागपुरी, कुमाऊंनी भी करें अठखेली है।      

लोकप्रिय निज देश, विदेश समूचे में यह
भारत की मातृभाषा, हिंदी ही है जानिए।
इसके बिना तो मानो,मूक और बधिर ही
बिना हिंदी अभिव्यक्ति, पूर्ण नहीं मानिए।
राजभाषा बनी हुई,अब बने विश्वभाषा,
हिंदी भाषा का महत्त्व,आप पहचानिए।
अभिलाषा भारत के,जन मन की है ये ही
इसे पूरा करने की,मन में भी ठानिए।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश

क्रमांक - 07 
मन की भाषा  हिंदी
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     मन की भाषा है हिंदी
फिर क्यों फल फूल रही अंग्रेजी
     कारण जानकर अंजान
     बनते हैं हम सभी !
     
व्यापार ,व्यवहार के विस्तार में
   होता है अंग्रेजी का प्रसार
    धन कमाने का तरीका
   होता है भाषानुसार !

   जुडी़ हर काम से इसीलिए
     बनी वह मान की भाषा
  आज विश्व का अभिमान बन
      खडी़ है अंग्रेजी भाषा !

      बचपन में जब दादी नानी 
      खिंचती थी झूले की डोरी
      तब कानों में रस घोलती थी
        हिंदी में ही मां की लोरी !

         हिंदी मेरे मन की भाषा है
        बने अब राष्ट्र की भाषा 
        यही हर हिंदी प्रेमी की
        बनी है जीवन की अभिलाषा !
        
       हिंदी महज भाषा  ही नहीं 
        इसमें हमारी मां बसती है
      एकता में अनेकता की सुवास
         लिए विश्व में प्रसरति है!

         भाषा का प्रवाह जब
         बनती है नदी की धारा 
        होता सागर से मिलकर
         जिस भाषा का संगम
         वह हिंदी ही होती है !

     बना हिंदी को राज भाषा
     काम अग्रेजी में करते रहे
       अगर भाषा मरी तो 
     बच नहीं पायेंगे हम भी !

   गुणों की खान लेकर भी 
   बिना हिंदी हम कुछ रच नहीं सकते
    अपने ज्ञान के भंडार का पट
     हम खोल नहीं सकते !

तो ,
   आओ बाजार से हटा दें 
       हम अंग्रेजी भाषा
  बना लें फिर से हिंदी को
    हम व्यापार की भाषा
    बना लें फिर से हिंदी को
      अपनी प्यार की भाषा
    बना लें फिर से हिंदी को
      अपने मन की भाषा !

आओ पहचान दे हिंदी को
    विश्व के हर कोने में
सम्मानित कर अपनी भाषा को
     परचम अपना फहरायें !

            -चंद्रिका व्यास
          मुंबई - महाराष्ट्र

क्रमांक - 08
हिन्दी
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मानो हिन्दी जान है, भारत की यह शान।
प्रसार हो संसार में,बढ़ता जाए मान।

भारत की आवाज है,हमारी स्वाभिमान ।
हम सब की ये प्राण है,करते हम अभिमान ।
आत्मा भारत की कहे, हिन्दी सबकी जान।
प्रसार हो संसार में,बढ़ता जाए मान। 

तुलसी, कबीर, शूर की, अरु मीरा की गान।
दिनकर,बच्चन,पंत की,समझो ये है शान।
प्रेमचंद की है कथा,भरी जैसे खदान ।
प्रसार हो संसार में,बढ़ता जाए मान ।

बाँधे सबको सूत्र से, जैसे हो परिवार ।
भारत की संस्कृति कहे,पाते सब संस्कार ।
मानो भाषा शान है, दुनिया में सम्मान ।
प्रसार हो संसार में,बढ़ता जाए मान ।
                 - रंजना वर्मा 'उन्मुक्त '
                 राँची -  झारखंड

क्रमांक - 09
मन की भाषा हिन्दी
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ज्ञान की गंगा का आविर्भाव है हिन्दी ,
चेतन मस्तिष्क का प्रादुर्भाव है हिन्दी। 
हिन्दी भाषा को समर्पित हो हर मन, 
जन - जन के मन की भाषा है हिन्दी।। 

मिट्टी के पुतले को मानव बना देती है हिन्दी,
धरा से गगन पर उसे बैठा देती है हिन्दी। 
मां हिन्दी का थाम लिया जिसने आंचल, 
उस मानव मन को शिखरता देती है हिन्दी।। 

चाह यही मन में हिन्दी विश्व शिखर को पा जाये। 
जन-जन का मन 'अ' से 'ज्ञ' के चरण छू पाये।। 
सहज, सरल, सुगम हिन्दी भाषा को अपनाकर, 
मन की भाषा, अभिव्यक्ति का मार्ग पा जाये।। 

है शोभायमान हिन्दी कश्मीर से कन्याकुमारी तक, 
समेटे सुधाकर सी शीतलता, दिवाकर सी चमक।
नदियों की कल-कल, पवन की छन-छन में है हिन्दी, 
भारत-भू के कण-कण में बसी है हिन्दी की धमक।। 

हम सन्तान हिन्दी की मन का गौरव है हिन्दी, 
करें वन्दन इसको मां भारती का सौरभ है हिन्दी। 
विश्व हिन्दी दिवस पर कामना यही है हृदय में, 
बांध ले स्नेह के धागों से विश्व को मां हिन्दी।। 
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड

क्रमांक - 10
 हमारी हिंदी
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कोटि-कोटि कंठों से गूंजी,
हिंदी की नव कोकिल तान,
इस हिंदी पर न्योछावर हैं,
तन-मन-धन और ये प्राण.

हिंदी आन हमारी है अब,
हिंदी ही है सबकी शान.
एक साथ सब मिलकर बोलें,
जय हिंदी जय भाषा महान.

तुलसी-मीरा-सूर-रहीमन,
कुतुबन-मंझन इसकी शान,
इसी में छेड़ी तान जिन्होंने,
कबीर-दादू इसकी आन.

पंत-निराला इसके गौरव,
दिनकर-माखन इसके लाल,
गुप्त ने गाए गीत इसी में,
बच्चन जी ने बढ़ाया मान.

वैज्ञानिक है हिंदी भाषा,
लिखने-सीखने में है सरल भी,
राजभाषा की पदवी पाई,
संपर्क भाषा है हम सबकी,

हिंदी मन की भाषा है, 
हिंदी मन की आशा है, 
संकट विपदा में संबल बन, 
करती दूर निराशा है, 

आओ हिंदी को अपनाएं,
इसके गीत मनोहर गाएं,
भारत मां के चरण युगल में,
स्नेह-सिक्त सब सुमन चढ़ाएं.
-लीला तिवानी 
दिल्ली

क्रमांक - 11
           हिन्दी भाषा मेरी माँ 
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     मातृभूमि को शत शत नमन
     जन्म दात्री माँ  को प्रणाम
      मातृभाषा को कोटिशः सलाम।।
   तुतले शब्दों में बोला माँ ,बा , पा, आ 
    ऐसी मेरी भाषा को हिन्दी को प्यार 
     सहज सरल सौम्य मेरी हिन्दी महान
    माँ बोली हिन्दी है ,आन बान शान
       करे हम माँ मान सदा प्रणाम
     हिन्दी में ही सीखूं ज्ञान -विज्ञान
..  पढ़ूं में राम कृष्ण नानक की वाणी
     बनूँ तब मैं सच्चा हिंदुस्तानी
      गुरूओं और संतों की वाणी
       हिन्दी भाषा का नही कोई सानी
       सीखे सब राष्ट्र भाषा जो है माँ 
       विश्व में भी गूँजे हरदम संस्कारित हिन्दी
         माँ समान सदा रखे जो हमारा मान
       शीष ना इसका झूकने पाए, रखे हम याद
       हिन्दी भाषा ,हिन्दुस्तान की मान मर्यादा
              मातृभूमि को शत शत नमन
                जन्मदात्री माँ को प्रणाम
                मातृ भाषा को कोटिशः सलाम ।।
         -  ड़ा. नीना छिब्बर
             जोधपुर - राजस्थान
क्रमांक - 12
हस्ताक्षर करो
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भारत की तू शान है ,
हिन्दी तू अभिमान है ।
शान से कहेंगे हम ,
हिन्दी मेरी जान है|

माथे की यह बिंदु है,
सजी भी चँद्रबिंदु है।
स्वर देखो बह रहा ,
हिन्दी मेरी शान है|

व्यंजन चमक रहे,
अक्षर दमक रहे।
मीठी सी यह भाषा है,
हिंदी आबाद रहे|

चलो हर काम करे,
हिन्दी का ही नाम करें ।
बोली ये मधुर है ,
क्यों ना गुमान करें |

नहीं करो शर्म हया ,
चलो करो धर्म बया ।
हिंद के वासी हम ,
दिखा मत तू दया|

ऐसी पवित्र ये  भाषा,
आधे अक्षर को दे आशा ।
वर्णों की सुंदर माला,
जगाए है जिज्ञासा|


घर से ही शुरू करो,
आगे हिंदी को करो।
हैलो ना नमस्ते कहो,
नहीं तू शर्म करो|

हस्ताक्षर हिन्दी में करो,
भाषा का प्रचार करो।
आओ सब मिलकर ,
हिंदी की इज़्ज़त करो|
- सविता गुप्ता
राँची -  झारखंड

क्रमांक - 13

           मुक्तक हिंदी के नाम 
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न माया की दीवानी हूँ, 
           न मोदी की दीवानी हूँ। 
न राहुल की दीवानी हूँ, 
           न ममता की दीवानी हूँ। 
तुम्हें बतलाऊँ क्या यारो, 
        कि मैं किसकी दीवानी हूँ ।
मैं हिन्दुस्ताँ की बेटी हूँ, 
          मैं हिन्दी की दीवानी हूँ ।
- डॉ. नेहा इलाहाबादी
दिल्ली

क्रमांक - 14
मनमोहक भाषा हिन्दी
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सरल सहज मनमोहक भाषा हिंदी,
हिंदुस्तान के माथे की बिंदी हिन्दी।
अशिक्षित के हृदय को भी सुहाती,
18 क्षेत्रीय भाषाओं को बांधे हिंदी।

जन-जन की प्रेममयी भाषा हिंदी,
हिंदुस्तान की गौरव गाथा हिन्दी।
सुगम शब्दों की संवाहक ये भाषा,
देश की कालजयी भाषा है हिन्दी।

संस्कृत की लाडली बेटी हिन्दी,
ओजस्विनी और अनूठी हिन्दी।
तुलसी कबीर मीरा भी साधक,
सूर के सागर की गागर है हिन्दी।

वर्तनी हिन्दी व्याकरण है हिन्दी,
संस्कृति हिन्दी आचरण है हिन्दी।
आत्मिक संतुष्टि देती है जो भाषा ,
हमारे मन के भावों का तार हिंदी।

एकता का अनुपम मिसाल हिन्दी,
हिंदुस्तान का स्वाभिमान है हिन्दी।
मनाता है सारा विश्व हिन्दी दिवस,
कामना चहूंओर प्रतिष्ठित रहे हिन्दी।
                - सुनीता रानी राठौर
                 ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश

क्रमांक - 15
मन की भाषा
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दिल खोलकर जो
लिख जाती हूँ
हाँ मैं देश विदेश
का गौरव कहलाती हूँ
मन के अंतहीन भावनाओं
को अंदर तक निचोड़ जाती हूँ
हाँ मैं हिंदी हूं हिंदी भाषा कहलाती हूँ।

मुझ सा मिठास तुम कहा पाओगे
जिस जहा मे जाओ मुझे बोलता पाओगे।
समृद्ध हूं सरल सहज और अग्रज भी हूँ
हाँ मैं हिंदी हूँ
सम्पूर्ण विश्व, सम्पूर्ण भारत की शान हूँ
हाँ हिंदी हूँ मैं हिंदुस्तान की अभिमान हूँ
तोड़मरोड़ के हिंदी की बोलियां भी प्रचलित हैं
कही देशज तो कही संस्कृत निष्ठ तो कही भाषाओं का सागर है।
हिंदी हूँ मैं मुझसे भरता प्रेम ममत्व वात्सल्य का गागर है।
हिंदी हूँ भाषा हूँ
अभिलाषा हूँ
जो पढ़ सके वो अंतरंग गाथा हूँ
कही तो मैं अल्पविराम और पूर्णविराम मे सब बात कह जाती हूँ।
कही एक मात्रा से
जीवन की यात्रा करा जाती हूँ।
हिंदी हूँ ताज धरोहर थाती हूँ
मन की भाषा सब पढ़ जाए 
मैं ऐसी पाती हूँ।
हिंदी हूँ, भावनाओं संवेदनाओं की
भाषा हूँ।
हाँ हिंदी हूँ मन की गहराई को जो भांप ले,जो पिरो कर बया कर जाए ,जो हर रूह को छू जाए
जो मनमस्तिष्क शांत कर जाए 
वो भाव हूँ, हाँ हिंदी हूँ
मैं अविर्भाव हूँ
हाँ मन की भाषा हूँ।
हाँ मैं जन जन की परिभाषा हूँ।
हाँ मैं हिंदी हूँ।
- मंजुला ठाकुर
भोपाल - मध्यप्रदेश

क्रमांक - 16
हिंदुस्तान की पहचान हिंदी
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हिंदुस्तान की पहचान हिंदी
हिंदी तो सिर्फ नहीं एक भाषा
जन-जन की तू है परिभाषा
हिंदुस्तान की पहचान हिंदी

सहज सरल तेरा स्वभाव
छंद अलंकार तेरा राग अनुराग
अल्पविराम,पूर्णविराम तेरी शान
हिंदुस्तान की पहचान हिंदी

संस्कृत है हर भाषा की जननी
परी हिंदी तेरी तो वह संगिनी
हिंदी की भुजाओं में है मान
साहित्यकारों को मिला मान सम्मान

हिंदी तू ही कृष्ण तू ही शिव
तू ही अर्जुन तू ही सारथी
पाकर तुझे बन गए महारथी
हिंदुस्तान की पहचान हिंदी

- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र

क्रमांक - 17
मेरे मन की भाषा हिंदी है
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ये होंठ भले कुछ भी कहें
पर मन की भाषा हिंदी है।।
जिसके श्रृंगार में गोल- गोल सी माथे लगती बिंदी है।
मेरे मन की भाषा हिंदी है।।

जिसने सब का कल्याण किया।
है जन-जन को सम्मान दिया।।
जो पुल की भांति काम करे।
नहीं थकती सुबह- शाम करे।। जिसने है वेद- ग्रंथ रचे। 
बड़ी सहज है भाषा प्रिय सखे! कागज भी धन्य- धन्य हुआ।
मन भी लिखकर प्रसन्न हुआ।। मेरे मन की भाषा हिंदी है ।
जिसके श्रृंगार में गोल-गोल सी, माथे लगती बिंदी है।।। 
जो गद्य- पद्य में सजती है। 
दोहों में प्यारी लगती है।। चौपाइयों का तो क्या कहना। तुलसी के आंगन का गहना।।यदि गीत-छंद की बात करूं। बातों- बातों में रात करूँ।।
जब गा कर उसको रिझाऊं मैं। परमानंद को पाऊँ मैं। ।
मेरे मन की भाषा हिंदी है 
जिसके सिंगार में गोल-गोल सी माथे लगती बिंदी है।। मेरे मन की भाषा हिंदी है। 
मेरे मन की भाषा हिंदी है।
- संतोष गर्ग
मोहाली - चंडीगढ़

क्रमांक - 18
मन की भाषा हिंदी
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     हिंदी हमारी आशा है,
     हिंदी हमारी भाषा है।
     हिंदी की उन्नति हो,
     यह ही हमारी अभिलाषा है।
     हिंदी को हम रुकने ना देंगे,
      हिंदी को  हम झुकने ना देंगे।
      हिंदी से हम सब कुछ सीखा है,
      इसको हम कभी मिटने ना देंगे।
     सारी भाषाएं लेती हिंदी का सहारा
     जय हिंद,जय भारत, यह है नारा 
      हमारा ।
     जागो जागो भारतीयों कहां गया 
     हमारा स्वाभिमान!!
 
    -  विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखण्ड

क्रमांक - 19
मन की भाषा हिन्दी 
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हिन्दी भाषा से बनी मेरी पहचान 
क्यों न करूँ मैं इस पर अभिमान। 
      विदेशों से इस ने ताआरूफ़ करवाया 
     बोली से ही मैं भारतीय कहलाया 
राष्ट्र भाषा बन हिन्दी बनी पटरानी 
कोई भाषा न बनी इस की सानी
       शब्द भंडार से यह सब को भाती
       रोजी-रोटी के लिए बनी यह दाती 
सभी को अपनी ओर आकर्षित करती
सारी बोलियाँ इस का पानी भरती 
     दुनिया में इस ने भारत का मान बढ़ाया
    तभी तो राष्ट्र भाषा का दर्जा पाया
हिन्दी से भारत, भारत से हिन्दी 
सब ने माना, यह भारत की बिन्दी 
         मन की भाषा हिन्दी कहलाती
         सभी जज्बात मैं इस में कहती
    हिन्दी भाषा से बनी मेरी पहचान 
    क्यों न करूँ मैं इस पर अभिमान 
- कैलाश ठाकुर 
नंगल टाउनशिप - पंजाब 

क्रमांक - 20
हिंदी का दर्द
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मैरी जननी है संस्कृत
शब्दभण्डार मेरा विस्तृत

शब्दभण्डार मेरा विस्तृत
कर लेती मैंउन्हें ग्रहन

संस्कृत से प्राकृत
प्राकृत से अपभ्रंश

मुझमें सम्मिलित इन
भाषाओँ के अंश

कोई शब्द नहीं मूक
मैं तो हूँ दो टूक

बोलने लिखने मैं सरल
भाषा प्रवाह अविरल

विश्व की हूँ मैं
भाषा एक महान

भारतवासी ही समझ
सकते मेरा योगदान

होनी चाहिए थी जब
मैरी सर्वांगीण उन्नति

अफसोस हो रही
निरंतर मैरीम अवनति

मैरी छवि देखो निराली
इसमें  भारत कीखुशहाली

मुझमें समाया हिन्दुस्तान
मुझसे भारत की है शान

प्यार चाहती हूँ
दुलार चाहती हूँ


मैं हिंदी हूँ
मैं हिंदी हूँ

- नंदिता बाली
सोलन - हिमाचल प्रदेश

क्रमांक - 21
मन की भाषा हिंदी
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मन है हिंदी तन है हिंदी।
मन की भाषा हिंदी।
हिंदी से है हिंद हमारा।
विश्व  आत्मा हिंदी। ।। सारे जहां से अच्छी भाषा।
मुझको लगती हिंदी।
स्वर और व्यंजन जोड़ जोड़ कर।
बहुत पढ़ी हूं हिंदी।।

हिंदी सरस हृदय की भाषा।
भक्ति   रस में हिंदी।
छंद सवैया काव्य कला में।
मन   ही  बोले हिंदी।

अंतर्मन के उठे भंवर को।
लिख रही है हिंदी।।
मात्र हृदय की ममता हिंदी।
दुल राती है हिंदी।
आंचल में ढक लेती सबको।
प्यार लुटाती हिंदी।
अपने मन के बातों को।
राखी कहती है हिंदी।

हिंदी विधि विधाता सबकी।
तुलसी और कबीरा हिंदी।
पंत निराला महादेवी के।
उद्गारों में बहती हिंदी।
भाषाओं में श्रेष्ठ है हिंदी।
चाहे उड़िया हो या सिंधी।

हिंदी मेरी साध्य साधना साधना।
भाव हृदय के हिंदी।
विरह वेदना की पीड़ा को।
व्यक्त कर रही हिंदी।।

मन है हिंदी तन है हिंदी।
मन की भाषा हिंदी।
हिंदी से है हिंद हमारा।
विश्व आत्मा हिंदी।।

- अन्नपूर्णा मालवीय सुभाषिनी 
 प्रयागराज - उत्तर प्रदेश

क्रमांक -22
 मन की भाषा हिंदी 
***************

मेरी हिंदी ,हिंदुस्तान की भाषा ,
        झेल   रही  थी  घोर  निराशा 

हर बालक के कंठ से निकली   
     मीठी  -  मीठी   प्यारी   भाषा।

 आत्मनिर्भर की चली डगर पर,   
            हिंदुस्तान  की  बेगानी  भाषा ।

 संस्कृत   के   गर्भ   से   उपजी ,
        कबीर, भारतेंदु की धरोहर भाषा।

 अ  से  ज्ञ तक  के  सब वर्णों  से
           ज्ञानी बनूं   बस यही अभिलाषा।
  
 कंप्यूटर  के   क्षेत्र  में   अग्रणी ,
 करे   खूब  गुणगान   ये भाषा।

 गूगल , यूट्यूब,  इंस्टा,  टि्वटर,
 पढ़ाई ऑनलाइन, बड़ी जिज्ञासा।

 अभिव्यक्ति से भी थी अनजानी,    
        अब डिजिटल हो गई हिंदी भाषा।

 सदियों  से जो  राह  तके  थी ,
विश्व   में  छा  गई  हिंदी भाषा।

मेरी हिंदी हिंदुस्तान की भाषा।     
        विश्व  में  छा  गई  हिंदी  भाषा ।

- रंजना हरित           
 बिजनौर - उत्तर प्रदेश

क्रमांक - 23
हिंदी
****

 मातृभाषा है
 हमारी हिंदी भाषा
 बड़ी सरल

 सबसे अच्छी
 बोलने में आसान
 मधुर बड़ी

 है दुनिया की
 श्रेष्ठतम भाषा वो
  नहीं विकल्प 

 लालायित हैं
 उसके तो विदेशी
 प्यारी इतनी

 अभिमान है
 हम सबका  वह
 शान भी वही

 गर्व से बोलो
 पढ़ लिख कर भी
 हिंदी में सभी

- श्रीमती गायत्री ठाकुर "सक्षम"
 नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश

क्रमांक - 24
हिंदी भाषा
********

जननी  जिज्ञासा रही , हिंदी भाषा एक ।
आन विदेशी सीखते ,पढ़ते ग्रन्थ अनेक ।।


भाषा सभी महान हैं , किन्तु हिंदी अनूप ।
प्रथम रही लालित्य में , प्रथम रूपसी रूप ।।


भाषा ये अधिकार की , आंदोलन हुँकार ।
अधिकारों सामर्थ्य की , गीतों की झंकार ।।


तुलसी सुर कबीर की , हिंदी है पहचान ।
छायावाद  के रूप में , पसरा हिंदी मान ।।

हिंदी हिंदुस्तान की ,बनी राष्ट्र की शान ।
हिंदी पढ़ कर मिल रहा ,हिंदी को सम्मान ।।

आकर्षित सब देश हैं , लख हिंदी परिवेश ।
भाषा जैसा सरल है ,अपना भारत देश ।।

जैसा उच्चारण रहा , वैसी लिक्खी जाय ।
हिंदी निज पहचान में ,नभ को छूती जाय ।।

- सुशीला जोशी " विद्योत्तमा"
मुजफ्फरनगर - उत्तर प्रदेश

क्रमांक -25
मैं हिंदी 
******

संपूर्ण विश्व में 
कहीं किसी भी 
कोने में तुम 
जाकर देखो 
संग सभी के 
मैं रहती हूँ....!
प्राण वायु सम 
मन-प्राणों में 
मैं बहती हूँ......!!
मैं ही गंगा मैं ही यमुना 
मैं ही सभ्यता मैं ही संस्कृति 
भारत के हर जन से 
मैं कहती हूँ.........!!!
मैं प्रार्थना मंदिर की 
मैं पूजा की शंखध्वनि हूँ 
मैं ही विशाल और अनंत 
नभ पृथ्वी के समान 
सर्वत्र व्याप्त हूँ........!!!!
कभी हास कभी रुदन हूँ 
कभी गीत कभी प्रीत हूँ 
कभी दृष्टि कभी सृष्टि हूँ 
निर्माण कभी तो 
कभी संहार हूँ 
कहीं संवाद कहीं विवाद हूँ 
सबके हृदय में रक्त की तरह 
मैं बहती हूँ........!!!!!
नानी-दादी के 
किस्से-कहानियों में 
लिपटी रहती हूँ 
बच्चों के कानों में 
मिसरी सी घुलती रहती हूँ,
खेल-खेल में 
बातों-बातों में 
उनके मन में घर कर लेती हूँ.......!!!!
सबकी सहचरी, सखी, प्रिया 
जो भी समझो तुम 
अपनी धुन में खोयी रहती हूँ 
मैं हिंदी!
तुम सबके घर में 
निश्चिंत बनी रहती हूँ 
सबके होते मैं क्यों सोचूँ कुछ 
मेरे अपने तुम 
सबके अपनेपन में 
सबके संग-संग 
अपनी लय और ताल पर 
थिरकती रहती हूँ.........!!!!!!

- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून - उत्तराखंड

क्रमांक - 26
 मेरे मन की भाषा हिन्दी
*******************

सरहदें तोडती 
दिलों को जोडती
जरूरत बन गई सबकी
मुख नही मोडती 
मेरे मन की भाषा हिन्दी 
दुनिया में न्यारी है
ये सभी को प्यारी है
जिसकी खुशबू जग मे है 
एक ऐसी फुलवारी है
मेरे मन की भाषा हिन्दी 
नही अब कोई निराशा 
मन मे आशा ही आशा 
ये समय है हिन्दी का
ग्लोबल बन रही भाषा 
मेरे मन की भाषा हिन्दी 

- प्रमोद कुमार प्रेम 
 नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश

क्रमांक - 27
मन की भाषा हिन्दी
***************

मन की भाषा हिन्दी है।
जन-जन की भाषा हिन्दी है।
भारत माँ के माथे की बिंदी है।
प्यार और दुलार की भाषा हिंदी है।
मान और शान की भाषा हिन्दी है।
हिन्दुस्तान की भाषा हिन्दी है ।
जन मन गन की भाषा हिन्दी है।
हम सबकी जान हिन्दी है।
हमारा अपना ईमान हिन्दी है।
हमारी अपनी पहचान हिन्दी है।
त्याग और बलिदान की भाषा हिंदी है।
अपनापन की भाषा हिन्दी है।
आपसी सहयोग भाषा हिन्दी है।
संयम और विश्वास की भाषा हिंदी है।
साहस और उत्साह की भाषा हिंदी है।
दया और क्षमा की भाषा हिन्दी है।
जो लिखते वही पढ़ते भाषा हिन्दी है।
सब भाषा की बड़ी बहना हिन्दी है।
एकता और भाईचारे की भाषा हिंदी है।
"दीनेश" सबसे मधुर भाषा हिन्दी है।

- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" 
कलकत्ता - पं. बंगाल

क्रमांक - 28
हिन्दी मन की भाषा
**************

मन की बातें बहुत हैं,
कैसे और किससे कहें ,
भाव इतने गहरे हैं ,
किस जुबान से मुखरित करें,
जो निकल गए उनको,
जमाने के पृष्ठों पर ,
अन्नत काल तक सजोना चाहते हैं,
फिर अल्फाजों की तलाश में,
गोते लगाए बोली भाषा के सागर में,
भाषाएं कई मिली ,
मुलाकात भी ग्रन्थों से हुई ,
पर किताबों तक ही अक्षर रहे,
मन की बात तो निकली ,
पर भाव दबे दबे से ही रह गए ,
तब स्वर व्यंजनों की मनहारी,
मनोरम हिन्दी से मुलाकात हुई,
अपनी सबसे खास ,
हिन्दी मन की भाषा बनी,
यही भावनाओं की ,
असल संगिनी बनी।

- नरेश सिंह नयाल
देहरादून - उत्तराखंड

क्रमांक - 29
मन की भाषा हिन्दी
***************

मेरे मन का राग है हिन्दी
मेरा तो अनुराग है हिन्दी
मेरा तो अरमान है हिन्दी
सचमुच बहुत महान है हिन्दी
अंतर का तो हर्ष है हिन्दी
विजयप्राप्त संघर्ष है हिन्दी
हर पल ही उत्थान है हिन्दी
सकल विश्व का मान है हिन्दी
सच में ही बलवान है हिन्दी
अतुलित गुण की खान है हिन्दी
अंतर की भाषा है हिन्दी,
मेरी अभिलाषा है हिन्दी।
                - डॉ.नीलम खरे
                मंडला - मध्यप्रदेश

क्रमांक - 30
हिंदी की बिंदी 
***********

मन की भाषा हिंदी है ,
हमको बहुत लुभाती हिंदी है ।।
हिंदी बहुत महान है ।।
हिंदी की बिंदी भारत की शान हैं !
भारत माता के भाल की बिंदी देश का मान है !!
जन जन की बोली है हिंदी बहुत महान है !
हिंदी  हिंदुस्तान का  मान और सम्मान है !!
मन की भाषा हिंदी है ।
हिंदी हिंदुस्तान है , हिंदी की बिंदी न्यारी है !!

हिंदी में रचित सारे वेद पुराण है ! 
हिंदी में पढ पढ़ कर बने हम सुशिक्षित है !!
अंग्रेज़ी बोलो तुम पर हिंदी को उपेक्षित मत करो !
सभी लोगों से प्यार पाने के लिए 
अपेक्षित हूँ !!
हिंदी हिंदुस्तान है , हिंदी की बिंदी न्यारी है !!
मन की भाषा हिंदी है 
हमको बहुत लुभाती हिंदी है ।।

हिंदी में है स्वर व्यंजन अलंकार शब्दों का श्रृंगार  !
मुझे पढ़ कर लिख कर ही बनते साहित्यकार !!
हिंदी में नौकरी होगी , देश की उन्नति होगी !
बिंदी से ही होता हिंदी साहित्य समृद्घ साकार !!
हिंदी हिंदुस्तान है , हिंदी की बिंदी न्यारी है !!
मन की भाषा हिंदी है 
हमको बहुत लुभाती हिंदी है ।।

जब तक धरती माता और गगन है ! 
जब तक सागर की लहरे और पवन है !!
भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी रहेगी 
जब तक मानव से मानव की जलन हैं ! !
हिंदी हिंदुस्तान है , हिंदी की बिंदी न्यारी है !!
मन की भाषा हिंदी है 
हमको बहुत लुभाती हिंदी है ।।

- डॉ अलका पाण्डेय 
 मुम्बई - महाराष्ट्र

क्रमांक -31
एकता की भाषा हिन्दी
******************

बड़ी प्यारी सरल बोली लगे न्यारी सहज हिन्दी
कभी कॉमा लगाए है कभी सजती भली बिन्दी।
संवरती अलंकारों से कहानी के रचे हर बिम्ब
पावन गंग धारा है सधी मानस की लिपि हिन्दी।।
   
कभी तुलसी की रामायण कभी गीता की है माया
कबीरा के दोहों में बसी कभी रसखान ने गाया।
हमारे वेद ये कहते हैं न करना द्वेष आपस में
एकता की भाषा हिन्दी जग ने गुणगान है गाया।
           - कल्याणी झा कनक
          राँची - झारखंड

क्रमांक - 32
हिन्दी का सम्मान
*************

हिन्दी हितकर है सदा,हिन्दी इक अभियान 
हिन्दी में तो आन है,हिन्दी में है शान ।।

हिन्दी अंतर में बसे,बनकर के सम्मान।
हिन्दी नित बढ़ती रहे,यही रखूँ अरमान।।

हिन्दी सदा विशिष्ट है,हिन्दी है उत्कृष्ट ।
हिन्दी अपनायें सभी,होकर के आकृष्ट ।।

कला और साहित्य है,पूर्ण करे अरमान ।
हिन्दी में है उच्चता,"शरद" सभी लें मान ।।

हिन्दी का उत्थान हो,हिन्दी का सम्मान ।
हिन्दी पर अभिमान हो,हिन्दी का गुणगान ।।

हिन्दी तो समृध्द है,हिन्दी है सम्पन्न ।
हिन्दी माने हीन जो,वह नर सदा विपन्न ।।

हिन्दी में सामर्थ्य है,हिन्दी में है तेज ।
हिन्दी तो सचमुच सरल,क्षमता से लबरेज ।।

हिन्दी में अध्यात्म है,हरसाता है धर्म ।
लेखक,कवि जो कह रहे,समझे हर इक मर्म ।।

हिन्दी है भाषा बड़ी,संस्कार की धूप ।
हिन्दी है हितकर सदा,दास होय या भूप ।।

भाषा हिन्दी राष्ट्र की,लिये राष्ट्र हित भाव ।
हिन्दीभाषी नित रखें,निज भाषा का ताव ।।

संस्कार पोषित करे,अनुशासन-उद्घोष !
हिन्दी हमको दे रही,सच्चाई का होश !!
    
         - प्रो.(डॉ)शरद नारायण खरे
            मंडल - मध्यप्रदेश

क्रमांक - 33
मन  की भाषा  हिंदी 
****************

हिन्दी भाषा महान है 
इसकी अब पहचान है 

मैं हिन्दी का सेवक हूँ 
मैं हिन्दी का साधक हूँ 

हिन्दी देवताओं की भाषा है 
ये खुद अपनी परिभाषा है 

हिन्दी इतनी मीठी बोली है 
जैसे मिश्री सी घोली है 

सबसे प्यारी मेरी हिन्दी है 
ये भारत माँ की बिंदी है 

ये संस्कृत की बेटी है 
सब भाषाएँ इससे निकली हैँ 

हिन्दी भाषा महान है 
हिन्दी ही हिंदुस्तान है 

- डॉ रमेश कटारिया पारस
ग्वालियर - मध्यप्रदेश

क्रमांक - 34
मैं हिन्दी हूँ
*********

कवि की कल्पना  मैं हूँ।
कबीर ने मुझे चाहा,रहीम ने मुझे पोसा ।

मैं खुसरो की पहेली मैं , सूर के पदों में हूँ।
गिरधर की कुण्डली में, अलंकारो में बसती हूँ ,उपमाओ से सजती हूँ।

मैं हिन्दी हूँ।

तुलसी के दोहो में छन्दो में ,चौपाई में मेरा स्थान है ऊँचा।
मैं रसखान की भाषा में झलकती हूँ,महादेवी की कविता में।

निराला के साहित्य में छलकती हूँ,।
परसाई के व्यंगो में,हँसी बन कर खनकती हूँ।

मैं हिन्दी हूँ

हरिवंश की मधुशाला में,गुप्त की पंचवटी में मैं हूँ।
प्रेमचंद के उपन्यास के पाञो में जीवन्त हूँ।

व्यंजनो की व्यंजना में,विषेशण की विशेशता में।
मैं सजती हूँ संवरती हूँ ,मैं गद्यों में मैं पद्यों समाचारों में।

मैं हिन्दी हूँ

मैं ईश्वर की कृपा में,सरगम के सात स्वरो में हूँ ।
 गजलो में ,मैं भजनो में राष्ट्र के गान में मैं हूँ।

मैं हिन्दी हूँ

- अर्विना गहलोत
 नोएडा - उत्तर प्रदेश

क्रमांक - 35
हिन्दी का जयगान
**************

हिन्दी का जय गान  ज़रूरी है
हिन्दी का सम्मान ज़रूरी है।।

हिन्दी से ही नाता सदियों का 
अब उस पर अभिमान ज़रूरी है

हिन्दीमय संसार बना देंगे 
ऐसा इक अभियान ज़रूरी है।।

जन-जन के मन की अभिलाषा है
हिन्दी की पहचान ज़रूरी है ।।

हम ‘ उदार’ सब हिन्द निवासी हैं
हिन्दी हिन्दुस्तान ज़रूरी है।।

- डॉ० दुर्गा सिन्हा ‘ उदार ‘ 
फ़रीदाबाद - हरियाणा

क्रमांक - 36
भारत की शान है
*************

चाहे कितनी ही
भाषाएँ पढ लो,
मन में तो हिंदी ही
रचती बसती है,

हिंदी! भारत की शान है,
इस देश की मान है,
भारत का अभिमान है,
हम सबकी पहचान है,
मत भूलें ये हिंदुस्तान है ।

- पूनम झा
कोटा - राजस्थान

क्रमांक - 37
कैसी चली हवा ये
*************

कैसी चली हवा ये
सब कुछ भुला दिया
रहते है हम वतन में
हिन्दी नही आती ॥
है बैठ एक कोने में
रोती है हाय हिन्दी 
अब हर तरफ इंग्लिश का
जमाना है दोस्तो 
अब हर तरफ इंग्लिश का फसाना है दोस्तो
हिन्दी से हिन्द और हिन्दुस्तान दोस्तो
हिन्दी से है वतन की पहचान दोस्तो ॥
होती है हर कवि की शान ये हिन्दी
होती है हर कवि की पहचान ये हिन्दी
कैसी चली हवा - - - - - - - - - - --
है राष्ट्र भाषा हिन्दी हम गर्व है करते
हिन्दी को हम शत् शत् नमन है करते
कैसी चली हवा ये सब कुछ भुला दिया ॥

- नीमा शर्मा हँसमुख 
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश

क्रमांक - 38
भारत की शान , हिंदी
****************

भारत की शान है , हिंदी
विश्व की पहचान है हिंदी
इस देश की आन बान है हिंदी
हिन्द की जुबान है , हिंदी

आ आो हम सदा इसे अपनाये
हिंदी का गुनगान हम सदा गाये
हम सबके लिए वरदान है, हिन्दी
विश्व की ................... 

उत्तर से दक्षिण, पूर्व से पश्चिम
मातृ भूमि कि पहचान है , हिन्दी
हम सबका सममान है हिन्दी । 
इस देश की आन बान हे हिंदी । 
विश्व की  .................

हिन्द की जुबान है हिन्दी । 

        - जयप्रकाश सूर्य वंशी " किरण "
                 नागपुर - महाराष्ट्र

क्रमांक - 39
हिन्दी
****

खुली आँखों से देखता हूँ बस सपने तेरे,
तेरी चाहत जन जन में फैलाना चाहता हूँ।
संयुक्त राष्ट्र भाषा बनाने का मकसद समझ,
विश्व पटल पर परचम फहराना चाहता हूँ।
जानता हूँ चाहत उडने की खुले गगन में,
हिन्दी को बाज से सशक्त पंख देना चाहता हूँ।
मेरी चाहत, मेरा सपना, मेरा प्यार यही तो है,
वेद ऋचाओं का सार दुनिया को बताना चाहता हूँ।
सभ्यता, संस्कृति, मानवता, सब भारत की देन,
भारत को फिर से विश्व गुरू बनाना चाहता हूँ।
संस्कृत को देव वाणी शास्त्रों में बताया गया,
हिंदी की सरलता को विश्व भाषा बनाना चाहता हूँ।

- डॉ अ कीर्तिवर्धन
मुजफ्फरनगर - उत्तर प्रदेश

क्रमांक - 40
हिंदी हिंद की शान है
****************

बिन हिंदी कौन हिंद को जाने,
कौन हमें फिर हिंदू माने!  हिंदी अपनी पहचान है! हिंदी हिंद की शान है! 
हिंदी भाषा को अपनाकर,
देश उन्नति पथ चढ़ जायेगा!
जो मां का सम्मान करेगा,
जग मे गौरव बढ़ जायेगा!
मां को उचित सम्मान मिले, ये हम सबकी जिम्मेदारी है!
भाषा अपनी जग में महके, यह अपने दिल की क्यारी है!
आओ मिलकर ठानें हम सब,
हिंदी को सम्मान दिलायेंगे! दूर देश तक हिंदी का परचम हम लहराएंगे!

- अंजू अग्रवाल 'लखनवी'
अजमेर - राजस्थान

क्रमांक - 41
 हिंदी मेरी पहचान
**************

जन्म लिया मां ने सिखलाई,
बड़ा हुआ पिता ने बतलाई,
पढऩे गया तो गुरु ने सिखाई,
हिंदी यूँ मेरी पहचान बताई।

छोटे थे मां की गोदी में बैठे,
दूध पिया कभी हँसे तो रूठे,
मां ने सुनाई लोरी फिर सोये,
हिंदी में मां हँसकर कहे झूठे।

बचपन में पिता पकड़ा हाथ,
पशु पक्षी की सुनाई थी बात,
कहानी सनाते थे वो देर रात,
हिंदी भाषा ने तब दिया साथ।

स्कूल पहुंचे गुरु कहे कहानी,
हिंदी में ही मांगा था हम पानी,
हिंदी में गुरु को, दिया सम्मान,
हिंदी यहां से बनी थी पहचान।

तख्ती लिखते और पहाड़ा गाये,
बारहखड़ी की मिल तान सुनाये,
हिंदी ही लिखते सफा कहलाए,
हिंदी तो सबकी पहचान बनाये। 

गये कालेज याद आये शायारी,
मंच से भाषण की करते तैयारी,
मिले सैकड़ों मंच से ही सम्मान,
यूं बनी हिंदी मेरी एक पहचान।

विश्वभर में प्रसिद्ध हो रही हिंदी,
भारत में 53 करोड़ बोलते लोग,
हिंदी मधुर सरस सलिल है गान,
यूं हिंदी मेेरी बनी अब पहचान।

हिंदी है हिंदुस्तान की, मातृभाषा,
हिंदी से नौकरी की अनेक आशा,
हिंदी की लो मिल छेड़ देते तान,
हिंदी अब मेरी एक बनी पहचान।।

- होशियार सिंह यादव
 महेंद्रगढ़ - हरियाणा

क्रमांक - 42
माथे की विन्दी है हिन्दी
******************

माथे की विन्दी है हिन्दी, भारत माँ की शान ।
देश के बसते इसमें प्रान ।।

वैदिक वाड़्यमय की वातिन । 
वैभवमय साहित्य की नातिन ।
अवधी व्रज बुन्देली  बहिना, सबरे रस की खान ।।........१.

गाथा वीर काल का सासो ।
 जामे रचे गये थे रासो ।।
जगनिक और परमाल भाल का , यह है पवित्र निशान ।.......२

मीरा सूर का यह है गायन ।
इसमें तुलसी रची रामायन ।।
पंचमेल कबिरा की खिचडी , है साखि सबद प्रमान ।.......३

पंत , निराला और मधुशाला ।
छंद शास्त्र मणियों की माला ।।
गुप्त सुप्त साहित्य धरा का , यह ही कवियों का गान ।........४

आजादी के  जो दीवाने ।
 इसमे ही थे उनके गाने ।।
जय हिन्द जय वंदे मातरम् , का था कितना सम्मान ।...........५

- राजेश तिवारी "मक्खन"
झांसी - उत्तर

क्रमांक - 43
मन की भाषा हिंदी 
**************

हिंदी तो हमारी शान है,
हिंदी हमारी अस्मिता है,
हिंदी से हिन्दोस्ता,
हिंदी से जीवन प्राण है।
हिंदी की रचना करें,
हिंदी में सर्जन करें,
हिंदी में राजकाज हो,
यह धर्म हैविज्ञान है।
हिंदी ही बोलचाल में,
और नित्य गीत नित्य ताल में,
सरल ,मधुर, सुबोध है यह
प्राचीन है पुराण है।
हिंदी में इस ध्यान हो,
अरदास हो ध्यान हो,
हिंदी में हम जिए मरे,
यह गीता है कुरान हैं।।

- उमा मिश्रा" प्रीति "
जबलपुर - मध्य प्रदेश

क्रमांक - 44
मन की भाषा हिन्दी
***************

तन   का  मन   मन्दिर  है  ,
मन्दिर  की   भाषा  हिंदी ।
मन  मन्दिर  से  भाव  झरे ,
वो  हैं  रस  रागिनी  मीठी ।

दिल  है  रस  का सम्राज्य ,
बहे दृश्य अनुभव के साथ । 
शब्द  फूटें  हृदय  तल  से ,
हर पल है अच्छे की आश ।

मेरे रसों की खान  है हिन्दी,
उत्तर  से  दक्षिण  की ओर ।
भारत माता की जान हिन्दी,
पूर्व  से   पश्चिम   की  ओर ।

जन - जन  की  ग्राह्य  बनीं,
है  हिन्दी  बड़ी  चित  चोर ।
स्वर व्यंजन जब शब्द बनें ,
ढले बहें सुर ताल की ओर ।

गद्य - पद्य  से  भंडार  भरे ,
मन  शब्द भाव  पुष्प झरे ।
निश - दिन  उन्नति  ही करे ,
पढ़े  उसके  दुःख  दर्द  हरे ।

सिंधु - हिन्दू की सीमा तोड़ ,
निकली है विश्व भ्रमण ओर।
मन  हृदय  में  बसती जाती ,
स्वागत करे विश्व हाथ जोड़ ।

अपनों  से  है  ठोकर  खाती ,
दूसरों को खिंचे अपनी ओर।
दूसरी न जानें क्यों भरमाती ,
अंग्रेजों की पूँछ बनें हैं चोर ।

सिंधु  मन  की भाषा  हिन्दी ,
बिंदु मन शून्य  बना कठोर ।
राज  तेज  मिलने  पर  भी ,
खींच सका न हिन्दी की डोर।

तन   का  मन   मन्दिर  है  ,
मन्दिर  की   भाषा  हिंदी ।
मन  मन्दिर  से भाव  झरे  ,
वो  हैं  रस  रागिनी  मीठी ।।

  - डॉ. रवीन्द्र कुमार ठाकुर
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश

क्रमांक - 45
हिन्दी भाषा की उत्पत्ति
******************

भाषा की उत्पत्ति संस्कृत के भास
धातु से
भास का अर्थ हुआ कहना 
हिन्दी फारसी का एक शब्द है 
जो है संस्कृत भाषा का गहना ।

विश्व की अति प्राचीन भाषा संस्कृत 
मानव उत्पत्ति  का1500ईसा पूर्व
संस्कृत में लिखे थे दो ग्रन्थ 
ऋग्वेद और ईरान का अवेस्ता ग्रन्थ ।

संस्कृत के  मिलते दो रूप हमें
एक वैदिक दूजी उत्तर संस्कृत
काल 1500 से 1000 ईसा पूर्व तक 
वैदिक संस्कृत या देव वाणी संस्कृत का ।

उत्तर संस्कृत ब्राह्मण संस्कृत,लौकिक संस्कृत भी कहलाती
इससे हुआ एक नई भाषा का निर्माण 
संस्कृत से जो उपजी पाली भाषा कहलाती
जिससे किया बोधों ने अपने ग्रन्थ का निर्माण ।

पाली भाषा भारत की प्रथम रही 
जिससे देसी व जन भाषा का हुआ उदय
प्रथम शताब्दी से 500 ई0तक 
बाद में प्राकृत भाषा का हुआ उदय ।

प्राकृत बनी मलेच्छों  की भाषा 
जैन लोगों ने किया अपने धर्म का प्रचार 
इसकी अवधी 500 से 1000ई0तक रही 
प्राकृत भाषा अब अपभ्रंश में करे प्रसार ।

अपभ्रंश भाषाके सात प्रकार है
शौरसेणी,खश,पैशाची अपभ्रंश 
महाराष्ट्री     ब्राचड़ अपभ्र॔श 
अर्धमाधवी अपभ्रंश,माधवीअपभ्रंश ।


शौरशेणी से पश्चिम में बोली जाने वाली भाषा 
पश्चिमी हिन्दी,गुजराती,राजस्थानी हिन्दी 
खश से पहाड़ी हिन्दी,ब्राचड़ से सिन्धी
महाराष्ट्री से मराठी,अर्ध माधवी से पूर्वी हिन्दी 
माधवी अपभ्रंश से बांग्ला,अस्मिया,उड़िया और पूर्वी हिन्दी ।

खड़ी हिन्दी के उदय होने से पूर्व 
सनातन धर्म लुप्त हो रहा था 
बोधों का चहुं ओर पाली भाषा में
अपने धर्म का प्रसार हो रहा था ।

अष्टछाप सन्तों ने अपभ्रंश हिन्दी से 
उजागर करने सनातन धर्म की अलख जगाई 
देश-प्रदेश  घूम- घूम कर फिर 
अपने धर्म की जोत जलाई।

आदिकाल से आधुनिक काल तक
साहित्यकार कवियों ने हिन्दी का प्रसार किया 
साधारण जन-जन तक अपनी बात पहुंचाने
सरल हिन्दी में प्रचार किया ।

- ललिता कश्यप सायर
 बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश

क्रमांक - 46
हिन्दी
*****

हिंदी मेरे दुख-सुखकी भाषा 
यह मेरी जीवन अभिलाषा

 हिंदी में जगें मन के उद्गार                      
हिंदी खोले प्रगति के द्वार

हिंदी में प्रकटूं  मन के भाव 
हिंदी में मिले ममता की छांव

हिंदी को सब दिल से लगाओ
सहज भाव से इसे अपनाओ।

- डॉ सुनील बहल
 चंडीगढ़

क्रमांक - 47
मन की भाषा हिन्दी
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हिन्दी से हिन्दुस्तान बना यह वतन की असल निशानी है
यह राष्ट्रभाषा है भारत की, सब भाषाओं की रानी है

हिन्दी की बिंदी को देखो इसकी तो शान निराली है
यह बिंदी तो सच कहती हूँ हर दिल को मोहनेवाली है

है फलक के पहलु में बिंदी, चंदा की भी यह शान बनी
नारी के माथे पे चमकी तो नारी का सम्मान बनी

हिन्दी हिन्दुस्तान की भाषा हिन्दी से हमें प्यार
हिंदी बिन रह ना पायें हिंदी में हो सब व्यवहार 

सबसे ज़्यादा राज्य हमारे हिन्दी में सब काम करें
हिन्दी में बातें होती और हिन्दी में सब पत्राचार 

इसी लिए तो हिंदी को हम कहते है मन की भाषा
हिन्दी में सब भाव उभरते हिन्दी में ही आये विचार

हिन्दुस्तान देव भूमि है ग्रंथ भी सारे हिन्दी में
मुझको लगता है सब देवों को भी है हिन्दी से प्यार

बड़ी ममता भरी यह भाषा है फ़ासले दिल के करती दूर
कवि हिन्दी में जो लिखेंते है हो जाते है सब मशहूर

मुझको मेरे कृष्णा ने हिन्दी में गीता लिखाई है
लगता है मुझपे प्रभु ने अपनी रहमत बरसाई है

सबसे मेरी विनती है करो हिन्दी से तुम प्यार
हिन्दी बेहद प्यारी भाषा , हिन्दी में करो पत्राचार

- सुदेश मोदगिल नूर
पंचकूला - हरियाणा

क्रमांक - 48
मन की भाषा हिन्द
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हिन्दी है शान,
हिन्दी है मान।
हिन्दी है सुर,
हिन्दी है गान।
हिन्दी है आन,
हिन्दी जयगान।
हिन्दी अभिमान,
हिन्दी अरमान।
हिन्दी उत्थान,
हिन्दी है आन।
हिन्दी है शान,
हिन्दी है प्रान।
हिन्दी बलवान,
हिन्दी विज्ञान।
              - डॉ.संध्या श्रीवास्तव 
          दतिया - मध्यप्रदेश

क्रमांक - 49
प्रकट करें जिज्ञासा हिंदी
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भारत माँ की भाषा हिन्दी
कवियों की अभिलाषा हिंदी,
ख्वाब संजोए अंतर्मन की
मधुमय शीत सुवासा हिन्दी।

अखिल विश्व में है सम्मान
सार्थक सकल प्रतिष्ठावान,
देश काल से परे कांतिमय
अनुपम सी उल्लासा हिंदी।

माघ महाकवि का श्रृंगार
भारतेंदु का चिर सत्कार,
तुलसी की चितवन चौपाई
नवयुग की परिभाषा हिंदी।

मीरा के सुर,भजन सूर के
कालजयी दोहे कबीर के,
चंचल दृष्टि बिहारी की रति
रहिमन की प्रत्याशा हिंदी।

सहज भाव मे पीर उकेरे
दुख दुखियों के हैं बहुतेरे,
महादेवी निराला दिनकर
सबकी शोक पिपासा हिंदी।

शब्दों से सेवा नित करते
नवांकुर आलोक उभरते,
कहाँ छोर है मानस तट का
प्रकट करे जिज्ञासा हिंदी।

हिंदी की सेवा का वर दो
हे ईश्वर वह दृष्टि मुझे दो,
देख सकूं तेरा विस्तार
तू शिव तो कैलाशा हिंदी।।

-देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत

क्रमांक - 50
 हिन्दी
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सूरज जैसी जिसमें दिखती बिंदी है
वही हमारी प्यारी भाषा हिंदी है

हिंदी बोलते, पढ़ते व लिखते है
हिंदी से ही हिंदुस्तानी दिखते है

छंद अलंकारों का समावेश है इसमें
मुहावरे लोकोक्तियाँ विशेष हैं इसमें

शब्द वाक्यों से हिंदी रस टपकाती है
माधुर्य भाषा से अपनापन झलकाती है

हिंदी भारत की संस्कृति दिखाती है
रीति नीति और संस्कार सिखाती है

हिंदी भाषा में एक आदर सत्कार है
इसमें सब कुछ कहने का चमत्कार है

हिन्दू हिंदुस्तानी हिंदी ही बोलेंगे
इसके द्वार हम चहुँ दिश खोलेंगे

आओ मिलकर राजभाषा को राष्ट्रभाषा बनाएं
हर विभाग का काम काज हिंदी में ही करवाएं

हिंदी ही सबका मान और सम्मान है
हिंदी ही हर जन का स्वाभिमान है

हिंदी का पखवाड़ा नहीं पूरा साल मनाएं
हिंदी में पढ़ लिख कर अपनी ढाल बनाएं

हिंदी हिंदुस्तान के लोगों की आशा है
क्योंकि यह एक समृद्धशाली भाषा है

- छगनराज राव "दीप"
जोधपुर - राजस्थान


क्रमांक - 51
         हिंदी है विश्व की शान
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हिंदी से बनी है भारत की विश्व पहचान।
हिंदी भाषा से विश्व में चमका हिंदुस्तान।। 
भाषा के ज्ञान ने दिया भारत को राष्ट्र गान। 
विश्व के अनेक देशों में हिंदी का हो सम्मान।। 
संस्कृत तनया हिंदी बनाती संस्कार महान।
विश्व में हिन्दी भारत में भी बने हरेक की जान।। 
आओ हम सब मिलकर करें हिन्दी का गुणगान।
भाषा के अधिकार क्षेत्र में हिंदी का बने प्रथम स्थान।। 
हिंदी हिंद के साथ साथ विश्व की भी बने शान। 
काम काज की भाषा बने तभी बनेगी हिंदी महान।। 

- हीरा सिंह कौशल 
 मंडी - हिमाचल प्रदेश 

क्रमांक - 52
हिन्दी 
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हिन्दी मेरी मातृभूमि है । 
हिन्दी अविरल बहती भाषा है ॥ 
हिन्दी माँ का अनुराग है 
हिन्दी पिता का त्याग है 
हिन्दी गुरु की परछाई सी 
हिन्दी ब्रह्माण्ड की गाथा है 
हिन्दी मेरी मातृभूमि है । 
हिन्दी अविरल बहती भाषा है ॥ 
हिन्दी हिन्द का ताज है 
हिन्दी विश्व का आज है 
हिन्दी है उत्पति सृष्टि की 
हिन्दी मन की अभिलाषा है 
हिन्दी मेरी मातृभूमि है । 
हिन्दी अविरल बहती भाषा है ॥ 

- विशाल चतुर्वेदी  ' उमेश '
जबलपुर - मध्यप्रदेश 

क्रमांक - 53
मन की भाषा हिन्दी
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जो -
देश   की   भाषा    हिन्दी !
राजनीति की भाषा हिन्दी !
भाषा   कैसा   भी  हो -
वोट   की   भाषा   हिन्दी !

जो -
रोजगार की भाषा  हिन्दी !
विज्ञापन की भाषा हिन्दी !
देखते  है   समझते  है - 
आय  का  साधन  हिन्दी !

जो - 
प्यार की भाषा  हिन्दी !
रिश्तों की भाषा हिन्दी !
परिवार का हो सम्बंध -
मन की  भाषा  हिन्दी !

- बीजेन्द्र जैमिनी
पानीपत - हरियाणा

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विश्व हिन्दी दिवस पर सम्मान

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