क्या प्ररेणा से अधिक पसीना बाहाने से मिलती है सफलता ?

प्ररेणा का बहुत बड़ा रोल सफलता में होता है।इससे भी बड़ा रोल पसीना बाहाने का होता हैं। तभी सफलता कारगर सिद्ध होती है । प्ररेणा का स्रोत कुछ भी हो सकता है । पसीना बाहाने का रंग भी एक है । फिर भी सफलता अलग अलग होती है । यही " आज की चर्चा " का विषय है । आये विचारों को देखते हैं : -
प्रेरणा और कड़े परिश्रम के संगम से सफलता संभव है।क्योंकि बार-बार प्रयास करने से संभावना बढ़ती जाती है और आशावादी कभी निराश नहीं होते। कटु सत्य यह भी है कि जो सफलता पल भर में मिल जाए।उसका आनंद भी कहां आता है।इसलिए सफलता के लिए पहले पसीना बहाना, फिर अधिक पसीना बहाते हुए, प्रेरणा का तड़का लगाकर सफलता प्राप्त करने का प्रयास अति उत्तम है।  वैसे असफल व्यक्तित्व को सफल व्यक्तित्व बनने के लिए जीवन के प्रत्येक क्षण प्रयासरत रहना चाहिए।क्योंकि असफलता के दंश झेलने से कहीं ज्यादा अच्छा है कि सफलता के लिए संघर्षरत रहें।जिससे आशा भी बनी रहती है और कर्मबीर कर्म भी करता रहता है। सत्य यह भी है कि विजयश्री रूपी दुल्हन अपनी वरमाला कर्मवीर शूरवीर परिश्रमी योद्धा के गले में ही डालना पसंद करती है।
                                 - इन्दु भूषण बाली 
                                 जम्मू - जम्मू कश्मीर
 प्रेरणा अलग चीज है और पसीना अलग चीज है प्रेरणा अर्थात ज्ञान  (आत्मा) के लिए है और पसीना बहाना यह शरीर का काम है अर्थात कार्य करने से हमें शरीर के लिए आवश्यकता की पूर्ति होती है इसे ही वर्तमान में सफलता कहा जा रहा है लेकिन यह सफलता बिना प्रेरणा की नहीं मिलता शरीर से बड़ा आत्मा होती है आत्मा के पास प्रेरणा होता है। इसी प्रेरणा से प्रेरणा पाकर शरीर कार्य करता है ।अगर प्रेरणा( ज्ञान) नहीं होगी तो शरीर कुछ भी नहीं कर पाएगा। अतः मनुष्य को जो भी सफलता मिलती है प्रेरणा से ही मिलती है। अगर मनुष्य मैं ज्ञान है तो वह किस तरह से शरीर को कार्य करवाएगा जिससे उसे सफलता मिलेगी यह बात आत्मा को पता रहता है। प्रेरणा के प्रकाश में ही पसीना बहाया जाता है और पसीना से ही सफलता के लिए कार्य किया जाता है अतः प्रेरणा और पसीना बहाना दोनों सफलता के लिए महत्वपूर्ण है। सफलता पसीना बहाने से ही नहीं मिलता। समझकर करने से ही मिलता है । प्रेरणा आत्मा सेऔर  पसीना शरीर अथवा मेहनत से अर्थात प्रेरणा और मेहनत की संयुक्त अभिव्यक्ति से ही सफलता मिलती है ,दोनों एक दूसरे के पूरक हैं ।प्रेरणा है लेकिन कार्य नहीं है तो सफलता नहीं मिलेगी ।कार्य हो रहा है लेकिन प्रेरणा नहीं है तो सफलता नहीं मिलेगी ।अतः  सफलता के लिए प्रेरणा और श्रम दोनों का होना आवश्यक है।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
मेहनत का फल मीठा होता है । यह तो सब जानते हैं पर सवाल ये है कि मेहनत कैसे औरकितनी  की जाऐ जिससे फल अधिक मिले । जब भी हम निराश और हताश होते है तो कुछ प्रेरणादायक शब्द हमारे लिए एक टॉनिक का काम करते है, जो हमे मुश्किल परिस्थितियों से उबारते है.प्रेरणा दायक विचार हमें साहस देते है साकारात्मक सोच देते पर सफलता पाने के लिये पसीना तो बहाना ही पड़ता है । हमारी हार इसमें नहीं है की कोई दूसरा हमे नहीं पहचानता, हार इसमें है की हम खुद अपने आप को नहीं पहचान पाते
सफलता या असफलता इस बात पर निर्भर नहीं करती की आपके पास क्या है, ये इस बात पर निर्भर करती है की आप क्या सोचते है. वह इंसान कभी भी सफल नहीं हो सकता जो रास्ते पर नहीं रास्ते पर आने वाली दिक्कतों के बारे में ज्यादा सोचता है. दुनियां आपको गिरा सकती है पर हरा तब तक नहीं सकती जब तक आप खुद हारना न चाहे. एक सफल और खुश व्यक्ति वो है जो अपने बीते हुए कल से कुछ सीखता है, अपने आज में जीता है और आने वाले कल से उम्मीद रखता है. अगर आप कभी असफल नहीं हुए तो इसका मतलब है आपने आज  तक सफल होने के लिए कोई कोशिश नहीं की.
एक कमजोर इंसान तब रुकता है जब वो थक जाता है जबकि एक विजेता तब थमता है जब वो जीत जाता है इंसान की किस्मत उसके हाथ में नहीं होती पर उसके निर्णय उसी के हाथ में होते है ! आपकी किस्मत आपके निर्णय नहीं बदल सकते पर आपके निर्णय जरुर आपकी किस्मत बदल सकते है. बुराई उन लोगो में नहीं जो आपको कहते है की आप कुछ कर नहीं सकते क्योकि वो उनकी आदत है. बुराई आपमें में है जो उनकी बातो को सच मानकर हार मान लेते है. आत्मविश्वास और मेहनत एक ऐसी सवारी जो अपने सवार को कभी भी गिरने नहीं देती न किसी की नजरो में और न ही किसी के कदमो में
जब एक शेर छलांग मारता है तो वह हमेशा अपना एक कदम पीछे लेता है इसलिए जब कोई समस्या आपको पीछे की और धकेले तो कभी हार न माने क्योकि जिन्दगी आपको सफलता की एक ऊँची छलांग देने के लिए अब तैयार है. जब तक आप अपनी परेशानियों का कारण  अपने भाग्य को मानते है तब तक सही मायने में आप अपनी परेशानियों से मुक्ति नहीं पा सकते
जिन्दगी में अनुभव अच्छे हो या बुरे उनसे सीखकर खुद को बदलने की जरूरत होती है। अगर हम बदलना बंद कर देते हैं तो एक ही जगह रुक जाते हैं। जो बदलता है वही आगे बढ़ता है. हम में से बहुत से लोग प्रतिभा की कमी से नहीं हारते बल्कि इसलिए हारते है क्योकि वे जितने से पहले ही मैदान छोड़ कर अपनी हार मान लेते है. सिर्फ़ प्रेरणा से सफलता नहीं मिलती सफलता पाने के लिये जम कर मेहनत करनी पड़ती है प्रेरणा हो पर हम हाथ पर हाथ रख कर बैठे रहे तो सफलता नहीं मिलेगी हमें उस दिशा में काम करना होगा पसीना तो बहाना ही पड़ेगा । प्रेरणा और मेहनत मिलकर ही नया इतिहास रचते है । 
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
जी हाँ,बिलकुल सही, प्रेरणा से अधिक पसीना बहाने से मिलती है  सफलता ।प्रेरणा से हमारे कर्म को एक दिशा प्रदान होती है लेकिन सफलता पाने के लिए हमें अथक परिश्रम और पसीना बहाना नितांत आवश्यक है ।कहा भी जाता है कि *मेहनत का फल सदैव मीठा होता है ।* मेहनत एवं प्रयास करने से कभी शीघ्रता से या कभी विलंब ,हमें सफलता अवश्य ही मिलती है ।साथ में  हमारे पास प्रेरणा हो तो" *यह सोने पे सुहागा* " वाली बात हो जायेग।
    - रंजना वर्मा
रांची - झारखण्ड
हम सभी अपने घर-परिवार, आसपास के लोगों को देख कर, प्रसिद्ध व्यक्तियों के बारे में पढ़ कर अपना आदर्श बनाते हैं, उनसे प्रेरित होकर अपनी रुचियों के अनुसार अपना लक्ष्य चुनते हैं और उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भगीरथ श्रम करते हैं। प्रेरणा हम किसी से भी ले सकते हैं और लेते हैं। तभी तो एक असाधारण व्यक्तित्व का निर्माण होता है। साधारण व्यक्ति हों या असाधारण....वे जो भी लक्ष्य अपने लिए निर्धारित करते हैं उसके लिए अपनी क्षमता अनुसार भर पूर श्रम करते हैं। पसीना बहाने का अर्थ श्रम की अग्नि में तपना ही है। जो अपने लक्ष्य के लिए कछुए की तरह लगातार  श्रम करता हैं, अर्जुन की तरह अपने लक्ष्य पर अपनी दृष्टि गड़ाए रखता है वही सफलता प्राप्त करता है। तो महत्वपूर्ण यह है कि हम अपने जीवन के आदर्शों से प्रेरित होकर अपना लक्ष्य चुनें, उसे प्राप्त करने के लिए असाधारण श्रम करें और जीवन में सफलता प्राप्त करें।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून - उत्तराखण्ड
किसी भी कार्य में सफल होने के लिए लक्ष्य का होना अतिआवश्यक है तभी हमें सफलता मिलती है |लक्ष्य तक पहुंचने के लिए उचित मार्गदर्शक का होना ज़रूरी है जिससे प्रेरित होकर कठिन परिश्रम कर सफलता हासिल किया जा सके|जब तक कोई मंज़िल या ध्येय ना हो ,तब तक व्यर्थ में हाँथ पाँव मारने या पसीना बहाने से कुछ नहीं मिलता|प्रेरणा में वह बल है जो सफलता की सीढ़ी चढ़ने में मददगार होती है ,जिसे हम बुद्धि और ज्ञान  के सहारे हासिल करते हैं | 
                       - सविता गुप्ता 
                     राँची - झारखंड
सफलता के लिये जितनी प्रेरणा की आवश्यकता होती है,उतनी ही श्रम की भी। दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। प्रेरणा से लक्ष्य बनता है और लक्ष्य पाने के लिये श्रम की आवश्यकता पड़ेगी। बिना श्रम किये सफलता मिलना कठिन ही नहीं असंभव है और श्रम भी थोड़ा नहीं,अधिक...लगातार जब तक सफलता हासिल न हो जाये तब तक। 
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
प्रेरणा  एक  मानसिक  उर्जा  है ,पसीना  बहाना  शारीरिक  मेहनत  या  परिश्रम  करना  कहलाता  है  । सफलता  के  लिए  पसीना  बहाना  अति आवश्यक है  ।शारीरिक  मेहनत  को  प्रेरणा बार बार  उर्जित  करते  रहती है  शारीरिक  और मानसिक  समन्वय  ही  सफलता  को  हासिल करने मे  सहायक  होते  है । दोनो  को  अगर  अलग अलग  रूप  से  देखा  जाए  तो  दोनो  अधूरा  है  ।संयुक्त  रूप  से किया  गया  प्रयास  ही सफलता  का  श्रेय  पाता  है ।
- डाँ. कुमकुम  वेदसेन 
मुम्बई - महाराष्ट्र
प्रेरणा तो अधिक परिश्रम , अच्छा साहित्य पढ़ने से ही मिलती है,प्रेरणा से ही व्यक्ति महान बनता है महान बनने के लिए किसी ने किसी से प्रेरणा , या उसके चरित्र से प्रभावित होता है जैसे गांधीजी टॉलस्टॉय, बाल कृष्ण गोखले के राजनीतिक गुरु थे। समाज सुधारक किसी ना किसी से प्रभावित होते हैं। समाज परिवेश में प्रकृति, पास के वातावरण से प्रभावित होकर वह बहुत कुछ सीखना है परिश्रम सफलता की कुंजी ह
मानव सारी शक्ति लक्ष्य की प्राप्ति में लगाने के लिए परिश्रम करना ही पड़ता है बिना परिश्रम के भोजन को भी मुंह में नहीं डाल सकते उसके लिए तो आपको हाथ पैर चलाना ही पड़ेगा यह पक्षियों से ज्यादा अच्छे से सीख सकते हैं। अपनी सफलता के लिए मानव ईमानदारी से प्रयास करना चाहिए । एक व्यक्ति को यदि हम समुद्र के अंदर या नदी में फेंक दें, वह अपनी जान बचाने के लिए हाथ पैर चलाएगा और बाहर निकलने की कोशिश करेगा कि किसी तरह मेरी जान बचा जाए लोगों को पुकारेगा। ठीक उसी तरह से हमें हाथ में चलाने तो निश्चित है हम जो भी लक्ष्य चाहेंगे हमें वह प्राप्त होगा। 
विद्या एक ऐसा धन है जिसे कोई चुरा नहीं सकता और जितना खर्च करोगे उतना ही पड़ेगा और सर्वत्र पूजा भी जाता है।
- प्रीति मिश्रा
 जबलपुर - मध्य प्रदेश
जीवन में अपने लक्ष्य को सफलता तक ले जाने के लिए हमें संघर्ष तो करना होगा !अपना नमक और पसीना देना होगा मेरे लिए तो संघर्ष ही मेरी प्रेरणा है !एक पक्षी भी संघर्ष करते हुए अपने नीड़ का निर्माण करता है तो मनुष्य क्यों नहीं ?
 हां यहां पक्षी मेरा प्रेरक अवश्य है संघर्ष करते हैं तो हमारा परिश्रम ,हमारा अथक प्रयास ,लगन,आत्मविश्वास,आत्मनियंत्रण ,सकारात्मक सोच दृढ़ संकल्पता ,संयम आदि आदि अनेक हमारे अंदर के गुण हैं वे सभी आ जाते हैं ! बिना परिश्रम के हमें क्या सफलता मिलती है ?नहीं  और परिश्रम करने से पसीना तो आएगा ही किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए श्रम कर अपना पसीना बहाना होगा बाकी संघर्ष करते समय हमें उपरोक्त गुणों को साथ लेकर चलते हैं तो हमें हमारी सफलता के कदम चूमने से कोई नहीं रोक सकता (आत्मविश्वास ,आत्म नियंत्रण ,परिश्रम ,अथक प्रयास, सकारात्मक सोच , संयम आदि आदि )अंत में कहूंगी सफलता परिश्रम से ही मिलती है !
श्रम की कीमत वह क्या जाने आया जिनको नहीं पसीना !
ऊन, शीत का भेद ना जाने वह क्या जाने जीवन जीना !
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
ऐसा संयोग से कभी-कभी तो हो सकता है ।सदा नहीं ।कारण प्रेरणा के पीछे प्राणशक्ति का आधार रहता है ।यह प्राणशक्ति ही निराशा में आशा का संचार करती है ।सफलता के सोपान खोलती जाती है ।बार बार की असफलता भी उसके पैर डगमगा नहीं पाती और  अन्ततः वह सफल होता भी है ।
यदि हम पसीना पर पसीना बहाते जा रहे है न लक्ष्य है न सही पथ मार्गदर्शक तो यह श्रम निरथर्क है ।सफलता तो कोसों दूर रहेगी ही ।अतः बुद्धि कौशल के साथ किया गया श्रम समय समय पर प्रेरणा ही सफलता दिलाती है ।
- शशांक मिश्र भारती 
शाहजहांपुर - उत्तर प्रदेश
सफलता के लिए परिश्रम करना बहुत आवश्यक होता है । जब तक श्रम से पसीना नहीं निकलता अर्थात पूरे मन से जी तोड़ कोशिश नहीं होती तब तक सफलता नहीं मिलती । यदि भाग्यवश कुछ मिल भी गया तो ज्यादा समय तक टिकता नहीं है । क्योंकि सफलता स्थायी नहीं होती इसके लिए सतत जी जान से कोशिश करनी पड़ती है ।संघर्ष के दौरान बहुत कटु अनुभव भी होते हैं ; जो उन विजय पा लेता है वही विजेता बनता है । ये बात सही है कि प्रेरणा के अभाव में केवल एक दिशा कार्य  करते रहने से कुछ नहीं होगा । हमें सकारात्मक सोच के साथ प्रेरणादायक साहित्य व  सच्चे लोगों का साथ भी चाहिए तभी श्रम से उपजे पसीने को  शीर्ष तक पहुँचाया जा सकता है ।
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश
कभी प्रेरणा से अधिक पसीने बहाने से मिलती है सफलता । तो कभी बिना पसीना बहाए सफलता मिल जाती है । 
  पहले हम प्रेरणा का अर्थ जाने । किसी प्रभावशाली व्यक्ति या क्षेत्र की ओर से कुछ कहने या करने के लिए होनेवाला संकेत किसी को किसी कार्य में लगाने अथवा प्रवृत्त करने की क्रिया या भाव
प्रेरणा से अधिक पसीने बहाने से सफलता  मिलती है । सफलता के पीछे हमारे संकल्प , परिश्रम , उमंग , दृढ़ निश्चय , हौंसला , सच आदि सूत्र होते हैं । जो हमें सफलता की मंजिल पर पहुँचाते हैं । हर हम काम शुरू कर दें । फिर काम को छोड़ दें तो कभी वह काम पूरा नहीं होगा । न ही हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे ।  इंटरनेट की सदी में कंप्यूटर की जानकारी नहीं  हो आज के जमाने में तो तकनीकी युग में हमारी अज्ञानता ही है । हम संसार नहीं जुड़ सकेंगे ।  तो हमारी प्रेरणा इसे सीखने के लिए उत्सुक होती है नयी  - नयी जानकारी  लेने - देने के लिए ।  उम्र के किसी भी पड़ाव पर शिक्षार्थी बन हमारी जिज्ञासा हमें सीखने के लिए बाध्य करती है । हम अपनीं रुचि से आसानी से बिना पापड़ बेले तकनीकी ज्ञान सीख लेते हैं । बच्चे - बड़े  जिज्ञासा शांत करने के लिये काम करते है। अनुभव से ,  नई जानकारी से सफलता प्राप्त कर लेते हैं ।  बच्चों में बड़ी उत्सुकता होती है । प्रश्न पूछ के 
जानकारी चाहते हैं।  यह उनके व्यवहार और अभिव्यक्ति जैसे मुस्कुराहट , पूछने के  माध्यम से दिखाया जाता है। जब उन्हें सही जवाब नहीं मिलता है । वे दुखी हो जाते हैं। इसलिये मनाव की प्रकृति है रोमान्चिक अनुभवो की खोज करने में लगे रहते हैं ।
मैं इसी प्रसंग में अपना अनुभव साँझा कर रही हूँ । मैं सीबीएससी स्कूल में हिंदी की शिक्षिका थी । बच्चों को जन्मदिन आते थे । तब मैं उन्हें कविता के माध्यम से शुभकामनाएँ देती थी । सभी बच्चों को बढ़िया लगती थी । जब किसी बच्चे का जन्मदिन अगके दिन आता था । बच्चे आपस में शर्त लगाते थे कि । मेम वही कविता बोलेगी । में आँसू कवयित्री हूँ । मुझे शौक है नयी कविता रचने का उन्हें मैं उसी समय दूसरी शुभकामनाओं की कविता बोलती थी । मेरे छात्र बहुत खुश होते थे । वे भी मेरी कविताओं से प्रेरित होते थे ।  मेरी कविता की पंक्तियाँ उनके हृदय में अंकित ही जाती थी ।  फिर मैं होली , दिवाली पर उन्हीं की कविता को पोस्टर बना के स्कूल में प्रदर्शनी करते थे ।  यह मेरी प्रेरणा पोस्टर के रूप में  उनकी सफलता के कदम थे । मुझे , पूरे विद्यालय , अभिभावकों यह रचनात्मक अभिव्यक्ति पसन्द आती थी । क्योंकि नया सृजन करने को विद्यार्थियों को मिलता था । 
 दसवीं के विदाई समारोह में विधायर्थियों ने मुझे एक शब्द मोटिवेटर के रूप में वर्णित किया था । मेरे  व्यक्तित्व के लिए इससे बड़ा सौभाग्य क्या हो सकता है । छात्रों की कार्य करने की भावना को बढ़ावा मिलता है । बीजेन्द्र जैमिनी जी के इन आलेखों में मेरे नित्य नए आलेखों में मेरे लिखे दोहे पढ़ सकते हो । लोग प्रेरित होते हैं । उन्हें मेरे लेखन से सकारात्मक दिशा मिलती है ।  अधिकतर व्हाट्सएप के समूह पर प्रबुद्ध वर्ग से यही टिप्पणी मिलती है । आपकी कलम गतिशील रहती है । हम आप से प्रेरित होते हैं ।  मैं अपने जीवन में इसे सफलता का सौपान कहूँ तो कम नहीं होगा । इसी बात से साबित होता है कि मैंने तो पसीने नहीं बहाए । सफलता हासिल की । मानव प्रेरित होक किसी भी क्षेत्र में प्रभावी काम करे । 
हम प्रकृति से प्रेरित होते हैं । हरे - भरे वृक्षों को , फलों , फूलों , पहाड़ों , नदियों के देख के आनंदित होते हैं । बिन माँगे हमें वे अनमोल खजाना लुटाते हैं । इसी तरह प्रेरणा हमें सफलता के लिये प्रेरित करती है । प्रेरणा को जीवन का रस कहूँ तो अतिशयोक्ति नहीं होगी ।  सफ़लता हमें साकात्मक ऊर्जा देती है ।साकारत्मक चिंतन , -मनन, सोच को साकारात्मक बनाये रखना ही मानव धर्म है । सफलता से ही मानव साधारण  से असाधारनबन जाता है । नर से नारायण बन जाता है । साकारत्मक ऊर्जा उसे गलत काम करने से रोकती है । 
 अब मैं  पसीने बहा के मिली सफलता की मिसाल पेश करती हूँ । कारोबारी रत्न टाटा ने जब नैनो कार को आम जनता के लिये कम दामों में उपलब्ध कराने की सोची । तो उन्हें कई चुनोतियों का सामना करना पड़ा । अंत वे अपने इस उद्देश्य में सफल हुए । ओलम्पिक खिलाड़ियों को पसीने बहा कर यानी 20  , 22  साल की मेहनत  ही जीत का  रंग लाती है ।
भारत के जाने माने उद्योगपति रत्न टाटा जी के विचार इस सन्दर्भ में बहुउपयोगी हैं । उन्हीं के विचार हैं :-
" अगर स्टार्टअप्स एक असेवित या मौकों के अभाव वाले क्षेत्र में काम करने के बावजूद अपने आसपास एक विचार का निर्माण कर रहे हैं। मैंने 20 से 30 वर्षों तक चिमनी से चलने वाले ऐसे उद्योगों में काम किया है जहां आपको एक छोटे से पदार्थ का निर्माण करने के लिये भी लाखों डाॅलर खर्च करने पड़ते हैं तब जाकर आपको सफलता मिलती है। आज के समय के स्टार्टअप जगत के साथ सबसे बेहतरीन बात यह है कि आप अपने विचार को बहुत ही कम समय में मूर्त रूप दे सकते हैं, फिर चाहे वह साॅफ्टवेयर का क्षेत्र हो या फिर चिपसेट डिजाइन का, और साथ ही आप दुनिया के उस विशेष क्षेत्र को देखने का नजरिया भी बदलने में कामयाब होते हैं। इस क्षेत्र की यही बात अपने आप में अद्भुत और स्फूर्तिदायक है।  " 
 कहने का मतलब यही है तकनीकी के अभाव में मीडिया , प्रेस , अखबार आदि  छपने में पसीने बहाने पड़े थे । आज तकनीकी से सब कम आसानी  से सफलतापूर्वक हो जाते हैं ।आज तकनीकी युग में सही विचार,  सोच की जरूरत है । स्मार्ट फोन की संचार क्रांति से आज गरीब - अमीर लाभ ले रहा है । दोहे में मैं कहती हूँ : - 
प्रेरणा से प्रेरित हो , करें  हम नव  तलाश ।
रखे शिखर को  चूमने  ,  हृदय में  सफल आस ।
- डा मंजु गुप्ता 
 मुम्बई - महाराष्ट्र
कुछ लोग दूसरों के अनुभव से शिक्षा ग्रहण करते हैं और कुछ स्वयं संघर्ष द्वारा ठोकर खाकर सीखते हैं । जहाँ तक स्वयं  के परिश्रम और  संघर्ष द्वारा सफलता अर्जित करने की बात है, तो इसमें समय, शक्ति, बुद्धि और धन  सभी कुछ ज्यादा व्यय करना होता है । लेकिन दूसरे के कार्यों से प्रेरित होकर कार्य करने से, प्रेरक व्यक्ति द्वारा पूर्ण कर लिये गए कार्य में परिश्रम की और मात्रा बढा देने पर, उस प्रेरक से भी, कहीं अच्छे परिणाम सामने आते हैं । क्योंकि - *"गुरु गुड़ रह जाता है और चेला शक्कर बन जाता है ।"* 
 आधुनिक पीढ़ी इसका सबसे अच्छा उदाहरण है । उसने विगत पीढ़ी से प्राथमिक जानकारी तो हासिल की, किंतु जहाँ पुरानी पीढ़ी की सोच खत्म होती है ; वहाँ से नई पीढ़ी की सोच प्रारंभ होती है । और उस सोच में  बुद्धियुक्त  श्रम को धन करने पर परिणाम गुणात्मक ही आता है । सैद्धांतिक ज्ञान में व्यावसायिकता का श्रम,  सफलता का एक नई इबारत लिखता है । इसलिए कहना चाहूँगी, कि केवल व्यर्थ में स्वयं पसीना बहने की बजाय, बुद्धिमत्ता दिखाएँ और अपने अहं त्याग कर, दूसरों से प्रेरणा लेकर नवीन सोच और श्रम के साथ कार्य को उन्नत दिशा और नया रंग प्रदान करें ।
- वंदना दुबे 
  धार -मध्य प्रदेश
प्रेरणा केवल दरवाजे को खोलती है । प्रवेश तो हमें खुद के कदमों से करना होगा । इसलिए प्रेरणा को सफलता समझना गलत है । प्रयास हीं मंजिल दिलाती है । जितनी ज्यादा मेहनत होगी उतना ही सफल व्यक्तित्व उभरेगा । प्रेरणा लेना भी व्यक्ति पर निर्भर है । उसके लिए भी सजगता चाहिए । कर्म के प्रति लगाव ही प्रेरणा का स्त्रोत बन सकता है । सभी कुछ आपकी विचार धारा पर निर्भर है ।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार

" मेरी दृष्टि में " प्ररेणा तो परिस्थितियों पर निर्भर करती है । सफलता पाने के लिए भाग्य का साथ होना चाहिए । तभी पसीना बाहाने का उद्देश्य सफल होता है । बाकि तो अन्धविश्वास के अतिरिक्त कुछ नहीं है।
                                                      - बीजेन्द्र जैमिनी






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