क्या विचारों से सफल होते हैं बड़े - बड़े कार्य ?
बिना विचार के कोई कार्य नहीं हो सकता है । मस्तिष्क में अनेक विचार आते है । जो विचार चिन्तन से उत्पन्न होता है । वहीं विचार ही बड़े - बड़े कार्य में सफल हो जाते हैं । यही कुछ " आज की चर्चा " का विषय भी है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
विचारों से ही कार्य सफल होते हैं क्योंकि इनका सीधा संबंध हमारे मस्तिष्क से जुड़ा होता है ।हमारा मस्तिष्क ही विचारों का जन्मदाता है ।उसी के संकेत से ही हमारी दैनिकचर्या की गति चलती है ।हमें जैसे विचार आते हैं, हम वैसे ही काम करने के लिए प्रेरित होते हैं ।ये दोनो तरह के होते हैं ।सकारात्मक और नकारात्मक ।
विचार मानव की जन्मजात प्रक्रिया है ।वह तो उसे जन्म के साथ ही मिलती है ।हम कोई भी काम करने से पहले योजनाएँ बनाते हैं, उन पर बारबार बेहतरी के लिए विचार करते हुए कार्य करते हैं तभी हमें सफलता मिलती है।बड़े बड़े व्यापारी, वैज्ञानिक और उच्च शिखर तक सफलता प्राप्त लोग दिन-रात बेहतर से बेहतर करने के लिए विचारों में खोए रहते हैं ।वे सपने में भी अपनी बड़ी बड़ी चुनौतियों का हल ढूँढ लेते हैं ।
कहा जाता है हमारे महान गणितज्ञों ने तो सपनों में ही अपने विचारों से सवालों के हल निकाल लिए ।बिना विचारों के तो व्यक्ति शून्य होता है फिर वो सफलता कैसे पास सकता है? इसलिए ये शाश्वत सत्य है कि विचारों से ही कार्य सफल होते हैं।सादा जीवन उच्च विचार इसी का परिणाम है ।
- सुशीला शर्मा
जयपुर - राजस्थान
विचारों की ताकत के विषय में आदरणीय रतन टाटा ने कहा है
" One bad thought can destroy your Life like rust
One good thought can change your and Nation life. यह विचारों की शक्ति है।
इसलिए बिना विचारे किसी भी काम को न करें ।जितने भी वैज्ञानिक उपलब्धियां का आनन्द उठा रहे हैं सभी विचार का ही तो परिणाम है। विचारों की उत्पत्ति पीटयूटरी ग्लैणड से निकलने वाले हार्मोन से होते हैं । विचार को सफलीभूत करने के लिए परिश्रम मेहनत लगन प्रयास करने पड़ते हैं ।
एक समय आता है जब मेहनत अपना रंग दिखलाती है और मानव की गिनती उत्कृष्ट श्रेणी में होने लगती है
यह है विचारों का कमाल ।
- डाँ. कुमकुम वेदसेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
कहते हैं, ख्वाब हमेशा ऊँचे देखना चाहिए । क्योंकि ऊँचाई का ख्वाब देखने वाला व्यक्ति ही, ऊँचाई को छू पाता है । विचारों से सफलता प्राप्त हो सकती है, पर मात्र विचारों से ही नहीं ।
किसी भी कार्य को पूर्ण करने के लिए सर्वप्रथम मन में विचार अंकुरित होते हैं, फिर उस पर योजना बनती है और योजना को मूर्त रूप देने के लिए उस पर अमल होतक है ; तब कहीं जाकर कोई कार्य सफल होता है । कार्य की सफलता में विचारों की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है ; किन्तु, मात्र विचारों से ही कोई कार्य सफल हो जाए, ऐसा संभव नहीं । कार्य की सफलता के लिये आचार की भी जरूरत होती है । आचार और विचार के समायोजन से ही कार्य सही ढंग से होते हैं । मात्र हवाई किले बनाने से कुछ हासिल नहीं होता। साथ ही बिना विचारे केवल आचार करने से भी काम बिगड़ते ही है । गिरिधर कवि यह बात वर्षों पहले कह गए-
*बिना विचारे जो करे ,*
*सो पाछे पछताए ।*
*काम बिगारे आपनो,*
*जगमें होत हंसाय।।*
अतः कहा जा सकता है,कि कोई भी सफलता; मात्र विचारों पर निर्भर नही , विचार के साथ आचार का होना भी बहुत आवश्यक है ।
- वंदना दुबे,
धार - मध्य प्रदेश
जो व्यक्ति सोच कर निर्णय करता है , समझता है परिस्थितियों को काल को और अपने विवेक को हमेशा जाग्रत रखता है साकारात्मक विचारों को जन्म देता मनन चितंन कर किसी कार्य को करता है तो सफलता उसके कदम चूमती है
सफल लोगों की सोच तीव्र गामी होती है वे लोग सोच-समझकर निर्णय लेते है और तत्काल प्रक्रिया करते है।
ये कोई मायने नही रखता की आप कितने बुद्धिमान हो या आपने कितनी डिग्रीया हासिल की है। अगर आपके अन्दर काबलियत है तो आप अनपढ़ होकर भी सफल हो सकते हो। तबतक आप इस दुनिया में कुछ बदल नही सकते जबतक आप कोई एक्शन नही ले लेते। किसी चीज को कैसे करते ये जानना और उसे असल में करके देखना। इन दोनों बातो में बहोत बड़ा अंतर है। यदि आप एक्शन नही लोगे तो आपका ज्ञान और आपकी बुद्धिमत्ता किसी काम की नही। इसीलिये आपको अपने ज्ञान की बदौलत सोच-समझकर निर्णय लेने की और निर्णय लेने के बाद उसके अनुसार तुरंत एक्शन लेने की जरुरत है तभी आप सफल बन पाएंगे और अपने सपनो को पूरा कर सकोगे। और आप सफल हुए समझें आपने देश की तरक्की मे भी बहुत बडा योगदान दिया है ।
हर सफल व्यक्ति दिन निकलने से पहले उठता है। सुबह देर से उठने वाले व्यक्ति के सभी कार्य देरी से होते हैं और वह कभी भी समय का पाबंद नहीं बन पाता। जबकि सुबह जल्दी उठने वाले लोगों के पास अपने सभी कार्य करने के लिए अधिक समय रहता है और वे हर कार्य को कुशलता से करते हैं।
खाली समय का सही इस्तेमाल -
सफल व्यक्ति हर कार्य में खुद को माहिर करने की कोशिश करते हैं। वे अपने खाली समय को भी इस्तेमाल करते हैं और उस समय भी कुछ न कुछ रचनात्मक करते रहने की कोशिश करते हैं। उन्हें खाली समय बर्बाद करना नहीं पसंद होता। उस समय वे भविष्य के लिए योजनाएं बनाते हैं।
नया सीखने की लालसा -
एक सफल व्यक्ति वही होता है, जो उतने में संतुष्ट न हो जो उसे किस्मत से मिला है। वह हर समय कुछ न कुछ नया सीखने और करने की चाह रखता है। यह चाहत हर किसी के अंदर नहीं होती और यही चाहत एक व्यक्ति को रचनात्मक बनाती है।
किसी भी कार्य को जब आप सुरू करने लगते है। तो सबसे पहले उसमे सकारात्मक भाव रखे और उस कार्य को दुनिया का सबसे श्रेष्ठ कार्य समझे उसे पूरी लगन और मेहनत से करे। कभी भी साॅर्टकट उपजाने की कोशिश न करे क्योंकि शार्टकट हमेशा असफल की ओर ले जाता है।
सफलता पाने के लिए सबसे पहले अपने मन से बाते करे कि यही काम है जो तुम्हारे लिये बना है। इसी मे पूरी आस्था समा करके एक सच्चे भक्त की तरह समाहित हो जाना है जब तब भक्त अपने ईष्ट का आशीर्वाद प्राप्त नही कर लेता वह उसकी आराधना करना नही छोडता। उसी प्रकार जबतक तुम भी सफलता को प्राप्त न करना लो चैन की सांसे मत लो। फिर देखिए कामयाबी आपके कदमों मे होगी।
संयम--
--- किसी भी कार्य को जब हम शुरू करते है तो उसमे संयम होना बहुत जरूरी है। कार्य छोटा हो या बडा बिना संयम तालमेल के कोई भी मंजिल हासिल नही हो सकती। इसीलिए कभी भी किसी कार्य मे उतावला पर न दिखाएं। वह आपके जोश को कहीं न कहीं ठण्डा कर देगा। इन बातों का ध्यान रखिए सफलता आपके साथ होगी।
दक्षता होना
किसी भी कार्य को सुरू करने से पहले यह जान ले कि यह कार्य आपको ठीक प्रकार से आता है , आप इसमे दक्षता रखते है। आपको किसी की मदद की जरूरत नही पडेगी । क्योंकि तब हम दूसरे की मदद के प्रति अधिक आश्रित होते है। और जब कोई समय पर मदद नही करता तो फिर हमे वह काम बोझ लगने लगता है।
इसीलिए कार्य को तभी स्टार्ट करे जब आप पूर्ण रूप से सहमत हो जाये। फिर कामयाबी आपके साथ होगी।
सावधानियां---
किसी कार्य के प्रति सावधानी बरतना बहुत जरूरी है नही तो हम अपनी जिद या हुकूमत के बल पर उस कार्य को करते है और वह काम हमेशा हमे असफलता की ओर ले जाति है।
यदि हम सावधानी नही बरतेंगे तो एक छोटी सी गलती हमारे मार्ग को रोक सकती है। इसीलिए सावधानी से कार्य शुरू करे कामयाबी आपके साथ होगी।
धैर्य --
कहा जाता है कि जहां आश है वही विश्वास है। यानी जहां धैर्य है कामयाबी वहीं बसती है। आदमी के पास धैर्य नही है तो किसी भी कार्य को सही प्रकार से नही कर सकता। उसका मन कही न कही फल की ओर अधिक रहता है वह कार्य को शुरू भी नही करता और फल की कामना पहले ही करने लगता है। तभी सफलता प्राप्त नही हो पाती है , इन को नजरअंदाज कीजिये और कार्य पर ही पूरा ध्यान केंद्रित कीजिये सफलता और फल अपने आप प्राप्त होता है
सफलता हमारे जीवन के लिए महत्वपूर्ण साबित होती है बिना सफलता प्राप्त किए मनुष्य का जीवन सफल नही माना जाता । क्योंकि अगर किसी कार्य मे हमे सफलता हासिल न हो तो उसे करने का कोई औचित्य नही माना जाता। सफलता चाहे बडी हो या छोटी वह मनुष्य को नयी शक्ति प्रदान करता है, उसके अन्दर कार्य के प्रति रूची उत्पन्न होती है तथा वह उस कार्य को लगन और मेहनत से करता है।
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
यह बात हंड्रेड परसेंट सही है, कार्य को करने से पहले उसकी रूपरेखा बनानी पड़ती है तभी तो वह सफल होगा।
विद्यार्थी को अध्ययन के लिए आपकी दिनचर्या को अनुशासन और नियमों के अनुकूल वादिनी पड़ती है तभी वह आगे अपने जीवन में सफल होता है। सिक्के के दो पहलू होते हैं और यदि भटकती युवा पीढ़ी है तो दूसरी ओर आदर्शवादी ,सभ्य सुसंस्कृत पीढ़ी है, जिसके बलबूते पर नैतिक मूल्य टिके हैं। जिन्हें भारती संस्कृति को ना सिर्फ जीवंत रखा है वरना उससे गौरवान्वित भी किया है आज भारतीय लेखों को वैज्ञानिक, चिकित्सकों लोहा संपूर्ण विश्व मानता है। भारतीय संसार का शिरोमणि कहलाने वाले अत्यंत प्राचीन देश है भारत में सबसे पहले संसार को ज्ञान का संदेश दिया था वेदों का ज्ञान उपनिषद युवा सारे संसार के कोने-कोने तक पहुंचाया था आज हम सब मिलकर प्रण करें कि यह सामने चुनौती को जन मन धन से इसके विकास में योगदान करेंगे शिक्षा का प्रसार करेंगे अशिक्षा को जड़ से मिटा एंगे को जड़ से मिटा
एंगे। संसार रूपी सागर की ओपन की लहरों को जिसने चुनौती देना सीख लिया सफलता की मणि उसने ही बटोर ली।
अब नाव जल में छोड़ दी, तूफान मैं ही मोड़ दी।
दे दी चुनौती सिंधु को तो पार क्या मजेदार क्या।
- प्रीति मिश्रा
जबलपुर - मध्य प्रदेश
कार्य बड़े या छोटे नहीं होते बल्कि कार्य कार्य ही होते हैं।छोटी या बड़ी हमारी मानसिक प्रावृति होती है।जिससे विचार उत्पन्न होते हैं।जैसे अमेरिका में भारतीय पहले भी थे।किंतु इसका कभी विचार ही नहीं किया कि वे वहां की राजनीति को प्रभावित कर सकते हैं।जिसके कारण वहां के राष्ट्रपति भारतीय प्रधानमंत्री को अमेरिका ससम्मान बुला सकते हैं।
यही नहीं अमेरिका का राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत आकर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और भारतीय नागरिकों के समक्ष पाकिस्तान को खरी-खोटी सुना सकते हैं।यह विचार ही तो हैं।जिनके प्रयासों से भारत विश्व के सब से शक्तिशाली राष्ट्र का मित्र राष्ट्र बना है।जो शत्रु राष्ट्रों की आँख की किरकिरी बना हुआ है।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
विचार ही तो हैं जो हमें कुछ अच्छा करने के लिए प्रेरित करते हैं । किसी भी कार्य की सफलता के लिए सबसे महत्वपूर्ण विचार शक्ति ही है । जब तक हम सकारात्मक विचारधारा के साथ कार्य नहीं करते तब तक न तो लक्ष्य का निर्धारण होता है न ही कार्यों की पूर्णता । विचार और परिश्रम मिलकर कार्य को अमलीजामा पहनाते हैं । जब तक दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ अपने विचारों को लागू नहीं करेंगे तब तक सफलता न
हीं मिल सकती । आदिकाल से ही विचारकों को ज्ञानीपुरुष कहा जाता रहा है । जितने भी धार्मिक ग्रन्थ हैं वे सब विचारों का संयोजन या संकलन हैं । अच्छी संगत से अच्छे विचार पनपते हैं ।इसलिए कहा जाता है जैसी संगत वैसी रंगत ।
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर- मध्यप्रदेश
जरूर इसमें कोई दो राय नहीं है हम किसी भी कार्य को करने से पहले विचार करते हैं कि हमें क्या करना है, कैसे करना है ,और क्यों करना है ? बिना विचार किए तो हम कोई काम नहीं करते हैं ! विचार के साथ हमारी कार्य करने की नीति ,सोच महत्व रखती है कि हम किस विषय को लक्ष्य बना रहे हैं ! हमारे विचार तथाकथित विषय के अनुसार बैठते हैं या नहीं तदुपरांत हम उसे अपनी योजना का रूप देते हैं !विचार आना स्वाभाविक है ! हमारा मस्तिष्क बहुत कुछ विचार करता है और सबसे बड़ी बात तो यह है कि उसे दौडा़ने वाला हमारा मन होता है ! मन चंचल होता है अतः पहले तो हमें अपने मन की विचारधारा को सही दिशा देनी होगी ! जब मनुष्य विचार कर लेता है कि उसे क्या करना है तभी यह तय हो जाता है कि उसे क्या नहीं करना है ! विचार उच्चकोटि के और सकारात्मक हो तो बड़े से बड़ा कार्य कर सकते हैं ! किसी भी कार्य को करने से पहले विचार करते हैं यानी कि जो करना है उसकी पहले रूपरेखा तैयार करते हैं! सबसे पहले हम विचार करते हैं कार्य की संपन्नता में कितना समय ,खर्च आदि आदि के अलावा अनेक बातें हैं जिनका ध्यान कार्य को अंजाम देते देते आता है ! जीवन है तो मनुष्य की आवश्यकताएं भी है जिसकी पूर्ति कभी नहीं होती ! विज्ञान के जरिए हम कितने आगे बढ़ गए ! हमारे विचार ही हैं जो हमें आगे बढ़ते रहने को प्रेरित करता है ! भौतिक सुख के साथ विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ने की ही सोचता है यूं कहें विचार करता है ! विज्ञान और भौतिक सुख का विचार है तो सादगी और विचारों की उच्चता का भी घनिष्ठ संबंध है उच्चता और सादगी भरा जीवन गांधी बापू स्वामी विवेकानंद जी का स्मरण कराता है जिन्होंने समाज और देश सेवा को ही आध्यात्मिक चिंतन मान लिया था उनके विचार उच्च कोटि के होते हैं किंतु संपन्नता में लोग अहंकार आडंबर भरा जीवन जीते हैं वे स्वार्थी होते हैं और उनके विचार भी तुच्छ ,संकीर्ण और निम्न कोटि के होते हैं ! आज देश में बड़े-बड़े कार्य हो रहे हैं वह आपस में बैठ विचार-विमर्श कर करते हैं किसी भी विचार के आते ही हम तुरंत कार्य चालू नहीं कर देते विचार के साथ धैर्य समय परिश्रम लाभ हानि का भी मंथन होता है हमारी सोच सकारात्मक होनी चाहिए एवं विचार उच्च कोटि के हों! लोगों को ,गरीबों को ,देश को ,यहां तक हमारे आने वाली पीढ़ी के फायदे को भी ध्यान में रख कार्य करें ना कि दूसरे के साथ बिना विचारे भेड़ की चाल चले वह कहते हैं बिना "विचारे जो करे सो पीछे पछताए "
हमारे आदरणीय मोदी जी भी अपने कार्य को अंजाम देने से पहले अपने विचारों का मंथन करते हैं चूंकि उनके विचार उच्चकोटि के देश के हित के लिए होते हैं !अंत में कहूंगी विचार हमारे सकारात्मक और उच्च कोटि के साथ दूसरों के हित के लिए हों!
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
मन में विचारों का आना स्वाभाविक है,हम जिस माहौल में रहते हैं,आस पास की परिस्थितियाँ,वातावरण इन सबका प्रभाव हमारे विचारों में परिदृश्य होता है |कई बार विचार आता है, फला कार्य अच्छा है,उस कार्य को कैसे किया जाए की फलीभूत हो |हमारे मन में विचारों की आँधी हर वक्त चलती रहती है ,लेकिन यह भी सत्य है कि विचारों को सहीं अंजाम तक पहुँचाना सही दिशा और परिश्रम से संभव है |यह हमारी क़ाबिलियत पर निर्भर है कि हम उस काम को कितनी मेहनत और निष्ठा से करते हैं |अत: सोच विचार कर योजनाबद्ध तरीक़े से कार्य करने से बड़े से बड़े काम आसानी से हल हो जाते हैं और हम सफलता की सीढ़ी चढ़ शिखर पर पहुँच जाते हैं ।
- सविता गुप्ता
रांची - झारखण्ड
सफलता के लिये जितना श्रम आवश्यक और महत्वपूर्ण होता है,उतना ही वैचारिक मंथन। हमारे पास विचार नहीं होंगे तो सफलता का ध्येय तय नहीं हो सकता और ध्येय नहीं तो मंजिल तक पहुंचने की तैयारी करना सहज नहीं होगा। ऐसा ही दूसरा पक्ष है। हमारे पास विचार हैं,समझ है, योजना है परंतु हम मेहनत नहीं करना चाहते तो हमारे विचार, हमारी योजना, हमारा ध्येय कैसे कार्यान्वित हो पायेगा? इसे समझने के लिये एक सूक्ति सार्थक होगी " उद्यमेन ही सिद्धयंति ,कार्यारणी न मनोरथै। न सुप्तस्य सिंहस्थे प्रवशन्ति मुखै मृगाः ।" याने कि जिस प्रकार सोते हुये सिंह के मुख में मृग प्रवेश नहीं कर सकता, आहार के लिये मेहनत तो करनी होगी। उसी प्रकार किसी भी ध्येय की पूर्ति के लिये कार्य तो करना ही होगा। अतः सार यह है कि किसी भी उद्देश्य की पूर्ति और उसमें सफल होने के लिये उत्तम विचार, दृढ़ संकल्प, सच्ची लगन और कड़ी मेहनत अत्यंत आवश्यक, महत्वपूर्ण और उचित होगा।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
“हमेशा दूसरों की सफलता के बारे में जानने के बजाए ख़ुद की सफलता पर काम करना चाहिए।”
विचारवान कर्मठ व्यक्ति सफलता प्राप्त करता है
सफल व्यक्ति का मतलब होता है, जो व्यक्ति अच्छा आचरण, समाज में अपना स्थान, रिश्ते, ह्रदय में प्रेम, दया, मान-सम्मान एवं मानवता की भावना रखता हो। कोई भी व्यक्ति तब सफल कहलाता है, जब वह अपनी नैतिक एवं सामाजिक ज़िम्मेदारियों को समझता है एवं उनको पूर्ण भी करता है और देश एवं समाज की तरक्की में भागीदार बनता है
सफल लोगों की अच्छी आदतें :-
नकारात्मक विचारो को अपने अंदर नहीं रखते
हमेशा कुछ न कुछ नया सीखते है
असफलता से डरते नहीं
जो इंसान अपने जीवन में सफलता हासिल करता है वह व्यक्ति अपने जीवन का पहले से एक लक्ष्य बनाकर चलता है जब वह व्यक्ति लक्ष्य बनाकर चलता है तभी उसे सफलता प्राप्त होती है इसीलिए अगर आप एक सफल व्यक्ति बनना चाहते हैं तो इसके लिए आपको अपना एक लक्ष्य निर्धारित करना होगा और उसी लक्ष्य पर काम करना होगा तभी आप भी एक सफल व्यक्ति बन सकेंगे। आपने अक्सर कई लोगों से सुना होगा More Risk More Profit इसका मतलब होता है कि आप जितना अधिक रिस्क लेते हैं आप प्रॉफिट भी उतना ही अधिक होता है। इसीलिए जो व्यक्ति सफल होते हैं वह रिस्क लेना जानते हैं और रिस्क लेकर ही अपने हर तरह के काम को सफल बनाते हैं तभी वह व्यक्ति सफल व्यक्ति कहलाते हैं। आत्मविश्वास हर व्यक्ति के लिए बहुत जरूरी होता है जिस व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास होता है वह हर काम पूरे कॉन्फिडेंस के साथ करता है। इसलिए सफल व्यक्तियों में भी अक्सर यह देखा जाता है कि वह अपने आत्मविश्वास के दम पर ही सफलता हासिल करते हैं इसीलिए अगर आप सफल व्यक्तियों के गुणों को अपनाना चाहते हैं तो आपको यह गुण ही अपनाना होगा। सकारात्मक सोच से ही इंसान अपने जीवन में सफलता की सीढ़ियां चढ़ना शुरू कर देता है इसीलिए आपको अपनी सोच को सकारात्मक रखना होगा व किसी भी तरह की नकारात्मक विचारों को अपने अंदर नहीं आने देना है तभी आप सफल बनते हैं। यही एक सफल व्यक्ति के गुणों को दर्शाता है जो सफल व्यक्ति होता है उसके अंदर भी यही गुण पाया जाता है। अगर आप सफल व्यक्ति की जीवनी, सफल लोगों की जीवनी, महान व्यक्तियों की जीवनी, सफलता के मंत्र, सफलता पर कहानी, सफल व्यक्ति की कहानी, गुण के प्रकार, छात्रों के लिए अच्छी आदतें, सफल, बिजनेस मैन की कहानी, सफल होने के उपाय, जीवन में सफल होने के लिए याद रखे ये चाणक्य सूत्र, सफल लोगों की आदतें, सफल व्यक्ति की कहानी, छात्रों के लिए अच्छी आदतें, सफल लोगों की अनमोल आदतें, गुड हैबिट्स चार्ट तथा बच्चों की अच्छी आदतें के बारे में जानने के लिए यहाँ से जान सकते है। नकारात्मक विचारों से जितना हम दूर रहे उतना ही हमारे लिए बेहतर होता है अब तक जो भी सफल व्यक्ति हुए हैं यह अपने नकारात्मक विचारों से दूर रहते हैं। इसीलिए उन लोगों ने अपने जीवन में सफलता हासिल की है अगर आप भी उन्हीं लोगों की तरह सफलता हासिल करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको अपने अंदर से नकारात्मक विचारों को त्यागना होगा। जिस व्यक्ति के अंदर नया सीखने की ललक होती है वही व्यक्ति सफलता हासिल कर पाता है और यह ललक सफल लोगों के अंदर देखी जा सकती है। यही वह गुण है जिसके लिए हम सफल हो सकते हैं जो व्यक्ति जितना अधिक और जल्दी सीखता है वह उतनी ही जल्दी तरक्की की राह पर अग्रसर हो जाता है। हम जब कोई भी काम करते हैं तो हमें उसमें असफलता जरूर मिलती है लेकिन असफलता से ना डरकर लगातार प्रयास करते रहना है एक सफल व्यक्ति की निशानी होती है और सफल व्यक्तियों में यही गुण पाया जाता है। इसीलिए सफल व्यक्ति का एक महत्वपूर्ण यह भी होता है कि वह लोग अपनी असफलताओं से भागते नहीं है बल्कि उनसे ना कुछ नया सीखते हैं। सफलता, एक ऐसा शिखर है, जहाँ तक पहुंचने का कोई शॉर्टकट नहीं होता। प्रत्येक सफल व्यक्ति परिश्रमी होता है, वह अपनी मेहनत के दम पर सफलता हासिल करने में विश्वास रखता है और अपने सपनों को पूरा करने के लिए दिन-रात एक कर देता है। सफल व्यक्ति अपनी सफलता का श्रेय उन सभी लोगों को देता है, जिन्होंने उनके इस प्रयास में उसका साथ दिया है। सफलता के शिखर पर पहुंचकर भी धरती से जुड़े रहने वाला व्यक्ति, सही अर्थों में सफल कहलाता है। सफल व्यक्ति समय के पाबंद होते हैं, वे अपने दिन के प्रत्येक मिनट का सही उपयोग करना जानते है। ऐसे लोग अपने कार्यों को पूर्व नियोजित करते हैं और उसी अनुसार कार्य करके तय समयावधि में लक्ष्य प्राप्त करते हैं। सफल व्यक्ति अपनी गलतियों से कभी निराश नहीं होते, बल्कि गलतियों को सफलता की पहली सीढी मानकर आगे बढ़ जाते हैं। अपनी गलतियों से सीखकर ही इंसान सफल बनता है। सफलता का मार्ग आसान नहीं होता, अनेक मुश्किलों को हिम्मत से पार करके तथा धैर्य के साथ आगे बढ़कर ही लोग सफल होते हैं। एक सफल व्यक्ति के अंदर कई प्रकार की खूबियां होती है, जो उसे एक सफल तथा सुंदर जीवन प्रदान करती है l
हर काम करने के पहले अच्छा बुरा सोचता है ।
कमिया, असफलता को दूर करने, काम को समय पर करने, कामयाबी के जूनून मे समय पर काम नहीं करने की भूल नहीं करने, गलती से सबक लेने, समय समय पर समीक्षा करना नवीन तकनीक से परिचित होने, कार्य क्षमता, की वृद्धि, विचार, विमर्श करना, अपनी बात किसी पर नहीं थोपना, अन्य लोगो के विचार का सम्मान करना मुख्य खुबियां है।
एक सफल व्यक्ति कभी यह नहीं सोचता है कि वह सब कुछ जानता है, बल्कि वह तो छोटे से और बड़ों से सभी से ज्ञान प्राप्त करता रहता है।
वह व्यक्ति हमेशा सभी की बातों को ध्यान से सुनता है, तथा अपने मन की करता है तथा वह किसी के भी मन को ठेस या हानि नहीं पहुंचाता है, वह सभी की भावनाओं तथा अपनों से बड़ों का सम्मान करता है तथा छोटे बड़े सभी से आदर की भावना बात करता है तथा वह हमेशा परिश्रम करता रहता है वह आलस नहीं करता है, वह अपने आप को एक सफल बनाने के लिए कई प्रकार की परेशानियों का सामना करता है, वह उनसे डरता नहीं है इसलिए वह एक सफल व्यक्ति बनता है l और वह अपने से छोटों को भी शिक्षा देता है ना की किसी को गलत व्यवहार कर उन्हें ठेस पहुंचाता है और वह हमेशा ही परिश्रम करता रहता है तथा वह कई प्रकार के अलग-अलग रास्ते ढूंढता है जिससे कि वह एक सफल व्यक्ति बने तथा वह अपने आप की समाज में पहचान बना सके।
- अश्विनी पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
क्या विचारों से सफल होते हैं, बड़े- बड़े कार्य?
कोई भी कार्य विचारों से ही किया जाता है चाहे वह सफल हो, चाहे असफल ,विचारों के अनुसार ही निर्णय लिया जाता है। निर्णय के अनुसार ही कार्य किया जाता है ।अगर हमारे विचार लक्ष्य से संबंधित है तो सफलता अवश्य मिलेग औरअगर लक्ष्य का पता ही नहीं है अर्थात सफलता वाले कार्य का पता ही नहीं है ऐसे विचार और निर्णय से सफलता नही मिलती ।कोई भी कार्य करने के पहले मनुष्य 4 आयामों से कार्य करता है पहला अनुभव ,दूसरा विचार ,तीसरा व्यवहार ,चौथा कार्य ।इन 4 आयामों मे कोई भी कार्य करने के पहले उस कार्य का अनुभव होना आवश्यक है ।जैसे ही अनुभव होता है, उसी के अनुसार विचार किया जाता है ,जैसे ही विचार में आता है तो वैसे ही निर्णय लिया जाता है और निर्णय होने पर व्यवहार और कार्य से उस कार्य को संपन्न किया जाता है ।अगर अनुभव के अनुसार विचार, व्यवहार और कार्य में एक सूत्रता होती है ,तो सफलता अवश्य मिलती है ।अगर विचार में अनुभव के अनुसार व्यवहार, कार्य नहीं होता है ,तो कार्य में असफलता मिलती है ।विचार हमारे जीवन की अर्थात आत्मा के चित् क्षेत्र का कार्य है चित् से चिंतन, चिंतन से विचार ,विचार से से कार्य किया जाता है। हर विचार समाधान के लिए होता है ना की समस्या के लिए ।कोई भी व्यक्ति असफल या समस्या ग्रस्त होकर जीना नहीं चाहता। अतः विचार से ही बड़े-बड़े कार्य सफलता पूर्वक किया जा सकता है ।कोई भी कार्य के पीछे अनुभव और विचार व्यवहार और कार्य होती है ,अतः जब विचार करें तो समाधान के लिए करें अर्थात सफलता के लिए करें हर आदमी समस्या से मुक्त होकर सफलतापूर्वक जीना चाहता है। यही उसका लक्ष्य होता है ,इस लक्ष्य को पाने के लिए मनुष्य हर पल हर छड विचार करता है। कहा जा सकता है कि समाधानीत विचार से ही बड़े-बड़े कार्य सफल हो सकते हैं।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
विचार मस्तिष्क की पृष्ठभूमि में उपजते हैं। यह सुमार्गी भी हो सकते हैं और कुमार्गी भी। सकारात्मक विचारों को पूर्ण करने की योजना और क्रियान्वयन में बुद्धि की अहम भूमिका होती है,; जब हम विचारों को तर्क की तुला पर तोल कर यानी तर्क- वितर्क करके प्रचंड शक्ति संपन्न बना लेते हैं; तब बड़े से बड़ा कार्य सफलता के शिखर पर पहुंच जाता है। यथा- जेम्सवाट के द्वारा केतली के गरम पानी की भाप को देखकर मस्तिष्क में उपजे विचार से रेलगाड़ी के इंजन का सफल अविष्कार हुआ। मानवीय विचारों में इतनी क्षमता एवं सामर्थ्य है कि परिस्थिति की दशा को परिवर्तित कर दिशा को भी मोड़ सकता है; पर यह सब सकारात्मक चिंतन- प्रक्रिया में ही उचित है; अन्यथा तो अध: पतनकारी और असफल ही होगा।
- डॉ रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
खाली दिमाग शैतान का घर होता है... यह बात हम सभी घर-बाहर सुनते ही रहते हैं। तो जिसके मस्तिष्क में कोई विचार ही न हो वह कोई भी काम करने की सोच ही नहीं सकता, हाँ व्यर्थ के उलटे-पलटें कामों में लग कर अपने समय का दुरुपयोग करता है और दूसरों को परेशान करता है।
मानव मस्तिष्क विचारों का केंद्र है। इसे हम भंडार भी कह सकते हैं। मानव अपने आसपास, परिवेश, वातावरण को देखता है। उसके मन में बहुत से विचार उत्पन्न होते रहते हैं। मन में मंथन चलता रहता है। इसी मंथन के चलते वह अपने विचारों को मूर्त देने के लिए काम करने की योजना बनाता है, उस पर श्रम करता है और सफलता प्राप्त करता है।
काम छोटे हों या बड़ें.... पहले वे विचारों के रूप में ही मानव मस्तिष्क में जन्म लेते हैं। हमारे देश के ऋषि-मुनि, गणितज्ञ, वैज्ञानिक, कवि, लेखक, चित्रकार, समाज सुधारक, महान सन्यासी... सभी ने अपने विचारों को मंथन से योजना बना कर कार्य रूप में परिणत किया और सफलता पायी।
जीवन में सभी ऐसा ही करते हैं, तभी तो आज आधुनिक भारत की नयी छवि निरंतर निखरती जा रही है।
इसलिए यह पूर्णतः कहा जा सकता है कि विचारों से छोटे ही नहीं, बड़े से बड़े कार्य सफल होते हैं।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून - उत्तराखंड
किसी भी कार्य को सफ़लता पूर्वक अंजाम तक पहुंचाने के लिए पहले ,,"सोच विचार" करना अति आवश्यक है तभी हम उस कार्य को सही अमलीजामा पहना सकते हैं । हमें किसी कार्य को सफल करने के पहले एक रूपरेखा कार्य के निष्पादन के लिए बनानी हीं पड़ती है । इसलिए हमारे विचारों का प्रभाव तो पड़ता ही है । हमारे विचार सहायक की भूमिका किसी भी कार्य में बखूबी निभाते हैं । हां हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि हम जो भी विचार किसी कार्य को सफल बनाने के लिए करें , उसके लिए अपनी पूरी मेहनत, काबिलियत ,और योग्यता का भरपूर इस्तेमाल करें फिर सफ़लता अवश्य हासिल होगी ।
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार
जी हाँ , विचार अंग्रेजी में आइडिया कहते हैं । इसलिए तो कहावत है ,'सादा जीवन उच्च विचार ।'
जिनकी सोच , विचार उच्च होते हैं । उन्होंने शैक्षणिक सर्जनात्मक ,आध्यात्मिक , वैज्ञानिक , सांस्कृतिक सामाजिक , पारिवारिक , राष्ट्रीय जीवन में सफलता पायी है ।
84 लाख योनियों में से केवल विवेकशील मानव के पास वैचारिक शक्ति है । विचारों से ही मानव पशुओं से अलग है । वैचारिक शक्ति सभी मानवों में अलग - अलग होती है । हर व्यक्ति की वैयक्तिक क्षमता , योग्यता कम , ज्यादा होती है । किसी की बौद्धिक क्षमता का पायदान शिखर पर होता है । किसी की शून्य होती है । मानव पाषाण युग से आज उन्नति - सभ्यता के शिखर पर बैठा है । यह अद्भुत विचार शक्ति की सफलता ही तो है । शिक्षिका , लेखिका , कवयित्री होने के नाते मेरा सामाजिक जीवन में कम , ज्यादा बौद्धिक क्षमताओं के छात्रों , व्यक्तियों , शिक्षिकाओं , प्रधानाचार्यों को विचार शक्तियों से उपलब्धियों के सौपानों पर चढ़ते , गिरते देखा था । कोई असफ़लता के पायदान भी रहा है । एक सदी तक भारत में विदेशी शक्तियों ने शासन किया । भारत को गुलामी में जकड़ा । विचार शक्ति से गांधी जी महात्मा बने और उनके साथ बौद्धिक वर्ग की सोच से भारत ने 15 अगस्त 1947 में आजादी प्राप्त की । इस सामूहिक वैचारिक क्रांति से हमने सफलता प्राप्त की । हुनर , कला संगीत , साहित्य आदि सोच पर ही निर्भर है । नयी खोज , अविष्कार मानव
वेद , गीता , रामायण , रामचरितमानस आदि धर्म ग्रन्थ विचारों की अपार सृजनात्मक ऊर्जा से आज लिखित किताबें हमारे सम्मुख हैं । विरासत से मिला सोच साहित्यनामा हमारे विचारों को प्रेरित करते हैं । सोच के परिणाम से ही सत्ता तंत्र बनते , उखड़ते हैं ।विचार शक्ति की निधियों समान कोई भी शक्ति संसार के समक्ष नहीं है । सोच से गौतम बुद्ध ने डाकू अँगूलीमार का जीवन एक पल में बदल दिया था और वह डाकू बुद्ध का शिष्य बना । कहने का मतलब यह अच्छी सोचवाले अत्याचारियों , दुराचारियों को अपने विचारों की शक्ति से उनके जीवन में अच्छे परिवर्तन ला देते हैं ।
जनसँख्या दिन दूनी रात चौगनी सड़क जैसी लम्बी चौड़ी फैली जा रही है । जल , जमीन ,जंगल गायब हो रहे हैं । अपने भौतिक सुख के लिए सोसाइटियाँ , मॉल , आदि बना रहा है ।मानव पशु बन के पक्षियों , जंगली जानवरों के बसेरों को उजाड़ने में लगा हुआ है । इस सोच को स्वार्थी सोच ही कहेंगे । पक्षियों की नस्लें ख़त्म हो रही हैं , जंगली जानवर महानगरों में आ रहे हैं ।मानव को जाति को ऐसे विध्वंसात्मक विचारों में परिवर्तन करना होगा । इस असंतुलित परिस्थितियों में सन्तुलन लाना होगा । भारत के कानून एनसीआर के विरोध में आज 25 फरवरी को दिल्ली के जाफराबाद, करावलनगर आदि जगहों पर उपद्रवियों ने अराजकता मचा के 200 लोग जख्मी हुए लोगों की मौत , तोड़ - फोड़ मोटरसाइकिलों को आग की भेंट चढ़ा दी । हिंसा की सोच की शक्ति ने हिंसक प्रदर्शन का परिणाम है । मरना , मारना , उपद्रवों को करना आसामाजिक तत्वों को काम होता है । यह हिंसक पराजित विचार हालातों को बिगाड़ते हैं ।
बुद्ध , महावीर , सम्राट अशोक , गांधी जी के विचारों जाग्रत करके समाज को परिष्कृत , परिमार्जन करना होगा । तभी व्यक्ति नर से नारायण , जन से जिन बन सकता है ।
मैंने 8 किताबें लिखीं ।काव्य पाठों , चर्चाओं से दूरदर्शन , आकाशवाणी में , पत्र , पत्रिकाओं में सर्जनात्मक शक्ति का परिचय दे के सफलता हासिल करना तो तभी संभव है । जब विधायक भावों की वैचारिक शक्ति मुझे यह साकारात्मक काम करने को प्रेरित करती है । मानव जीवन साकारत्मकता से चलता है । आइंस्टीन ने सापेक्षता का नियम संसार को दिया । अणुबम जैसा विनाशक हथियार भी बना और नागासाकी की विनाशलीला से आज का मानव सीख नहीं ले रहा है । हम इसे सृजन कार्यों में भी उपयोग में करें न कि विध्वंस में लगाएँ । विश्व का मनुष्य नये -नये तकनीकी के हथियार अपनी सुरक्षा के लिए बना रहा है । अगर मानव मूल्यों को अपने जीवन में उतार लें तो हथियार नहीं बनेंगे । इस साकारात्मक ऊर्जा को मानव जाति के हित में लगाए । तो राम राज्य की कल्पना कर सकते हैं ।
अब बीजेन्द्र जैमिनी जी के ब्लॉग की परिचर्चा में साहित्यकार अपने विचारों से पाठकों को जागृत करते हैं । समाज को चेतना मिलती है । हर विषय की भावना तो एक होती है ।लेकिन विचार तो अलग - अलग होते हैं । किसी साहित्यकार के विचार पाठक के हृदय में स्थान बना लेते हैं ।तो वही साहित्यकार सफल है । अगर हम महापुरुषों की किताबों का चिंतन करें । उनके विचारों की शक्ति को अपने जीवन में उतार के चले । जीवन में सफलता अवश्य मिलेगी । स्वामी विवेकानन्द जी के विचार हमारे में देशप्रेम देश भक्ति को जगाते हैं ।मानव की मानसिकता को स्वस्थ बनाते हैं । यही हमें सफलता के सौपानों पर ले जाते हैं ।
किसी विचारक ने कहा है , "स्वस्थ विचार भोजन की तरह है । जो उचित मात्रा में मन को मिलते रहने चाहिए ।बिना विचारों के मन का कोई अस्तित्व ही नहीं रहेगा । "
कवि ने कहा है : -
करत -करत अभ्यास के , जड़मति हॉट सुजान।
रसरी आवत जात ते , सिल पर पड़त निसान।
कहावत भी इस संदर्भ में सटीक है
मन के हारे हार है , मन के जीते जी ।
जी हाँ मन हमारे विचारों की जन्मस्थली है । मन ने किसी काम के लिये कदम ही नहीं बढ़ाए तो हार ही है । वही मन के विचार ने हजार कदमों को चलने के लिये एक कदम बाहर निकला तो मंजिल तो जरूर मिलेगी ।
- डॉ मंजु गुप्ता
मुंबई - महाराष्ट्र
बबड़ा ही महत्वपूर्ण विषय है ।व्यक्ति अपनी भावना के अनुरूप अनुभव करता है ।उसका परिवेश आसपास परिवार व समाज कहीं न कहीं उसके विचारों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित अवश्य करते हैं ।कुछ के पास कोई विचार नहीं होता कुछ विचारों के गड़बड़ झाले में फंसकर रह जाते हैं तो कुछ वैचारिक रूप से परिपक्वता का परिचय देते हुए दिखते हैं सफलता का प्रतिशत भी इन्हीं का रहता है ।विचार का प्रगटीकरण ही सामान्य को विशेष लौकिक को अलौकिक बनाने का कार्य करता है ।देश और उनकी सभ्यता संस्कृति विचार बदलने का अनेक बार आधार बने हैं विचार ही रहे जिन्होंने भारतीय संस्कृति को अक्षुण्ण रखा मिस्र रोम मिट गये ।
- शशांक मिश्र भारती
शाहजहांपुर - उत्तर प्रदेश
एकदम सार्थक और गहनतम प्रश्न, अपने में बहुत कुछ समेट हैं, श्रेष्ठ विचार का फल भी श्रेष्ठ होगा ।विचार जो केवल अनुभव या परिस्थितियों वश नहीं जन्म लेता बल्कि आत्म ज्ञान से जन्म लेता है ।नित नये की खोज मनुष्य की प्रकृति है ।यदि नवीन विचार की उद्भावना होती है वह निश्चय ही मनुष्य प्रकृति को आकर्षित करेगा यही सफलता का प्रयोजन भी बनेगा ।
- डॉ .आशा सिंह सिकरवार
अहमदाबाद - गुजरात
" मेरी दृष्टि में " विचारों का भण्डार मस्तिष्क में होता है । जिस का हर समय विस्तार होता रहता है । विचारों को चिन्तन ही बड़े बड़े कार्य सफल करवाते हैं ।
- बीजेन्द्र जैमिनी
सुंदर परिचर्चा। विचारों का मानव जीवन में बहुत महत्व है। विचारों से हार्मोन प्रभावित होते हैं, हार्मोन का असर सारे शरीर पर होता है। अब हमारे ऊपर निर्भर है कि हम कैसे विचार मस्तिष्क में आने दें। सकारात्मक या नकारात्मक।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ! देखना ये होता है कि विचारों का कितना चिन्तन होता है !
Deleteनिरन्तर अच्छी चर्चाएं बहुत बहुत बधाई व शुभकामनाएं
ReplyDeleteअच्छे विचार और सही रास्ते पर चलने से ही बात बनती है
ReplyDelete- मुरारी लाल शर्मा
पानीपत - हरियाणा
( WhatsApp ग्रुप से साभार )