क्या विनम्रता सभी गुणों से सर्वश्रेष्ठ साबित होती है ?

विनम्रता से सभी कार्य सम्भव है । छोटे से छोटे व बड़े से बड़े कार्य हो जाते हैं । विनम्रता से तो असम्भव कार्य भी सम्भव हो जाते हैं ।अतः अन्य गुणों से भी श्रेष्ठ साबित होता है । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है ।आये विचारों को देखते हैं : -
घास तूफान में भी खड़ी रहती है क्योंकि वह झुक जाती है और पेड़ तना रहता है इसलिये धाराशायी हो जाता है। झुक वही सकता है जो विनम्र होगा अर्थात तूफान से भी वही जूझ सकता है।
- दर्शना जैन
खंडवा - मध्यप्रदेश
जी हाँ विनम्रता ही सर्वोत्तम और सर्वश्रेष्ठ गुण है इंसान है जिसके पास है वह माला माल है । विनम्रता एक बहुत ही बहुमूल्य और महान गुण हैं जोकि जिस दिन मनुष्य के चरित्र में होता है वह उसे महान बना देता है। विनम्र होने से हम किसी भी कार्य को करने का एक अच्छा नजरिया रख पाते हैं और ना सिर्फ खुद को प्रेरित करते हैं बल्कि अपने पास के सभी लोगों को दुर्लभ और अति उत्तम तरीके से प्रेरित कर पाते हैं। विनम्रता एक बहुत ही आवश्यक गुण है जो कि जिस भी चरित्र में पाया जाता है वह चरित्र 1 गेंदे के फूल की तरह होता है जिस पर सभी भवरे आकर्षित होते हैं। क्योंकि सभी लोग उस इंसान से बात करना पसंद करते हैं और उन्हें अच्छा समझते हैं जो विनम्र होते हैं गुड हमें एक महान इंसान बनाता है। दुनिया में हर इंसान अगर विनम्र हो, तो यह दुनिया कितनी खूबसूरत होगी। लोग एक-दूसरे से ज़्यादा की माँग नहीं करेंगे, परिवार में झगड़े-रगड़े कम होंगे, कंपनियों में आपस में ज़्यादा मुकाबले नहीं होंगे और देशों के बीच युद्ध कम होंगे। क्या आप चाहते हैं कि दुनिया का माहौल ऐसा हो जाए? शब्द विनम्रता के कई मतलब हैं। जैसे अहंकार या घमंड न करना और अपनी कामयाबी, काबिलीयत और धन-दौलत के बारे में शेखी न मारना, वगैरह वगैरह। एक किताब के मुताबिक, विनम्रता का मतलब “अपनी सीमाओं के अंदर रहना” भी है। विनम्र व्यक्‍ति चालचलन के मामले में अपनी सीमाओं के अंदर ही रहता है। वह अपनी सीमाओं को जानते हुए वही काम करता है जो उसे करना चाहिए और जो उसके बस में है। वह यह भी जानता है कि कुछेक बातों में दखल देना उसके लिए गलत होगा। इसमें कोई शक नहीं कि विनम्र व्यक्‍ति को हर कोई पसंद करता है। एक अँग्रेज़ कवि, जोसफ ऐडिसन ने लिखा, “विनम्र होना सबसे बड़ी खूबसूरती है।” हम असिद्ध इंसानों में विनम्रता का गुण पैदाइशी नहीं होता। इसलिए हमें अपने अंदर इसे बढ़ाने के लिए कोशिश करने की ज़रूरत है। परमेश्‍वर के वचन में ऐसी कई घटनाओं का ब्यौरा दिया गया है, जिनसे हम विनम्रता दिखाने के अलग-अलग तरीके जान सकते हैं और अपने अंदर यह गुण बढ़ाने की कोशिश कर सकते हैं। अगर हम विनम्र होंगे तो दूसरों के साथ भी हमारा रिश्‍ता अच्छा होगा। मिसाल के तौर पर, जो माता-पिता धन-दौलत के पीछे न भागते हुए गुज़र-बसर की चीज़ों में ही खुश रहकर आध्यात्मिक बातों को पहला स्थान देते हैं, उनके बच्चे भी ज़रूर उन्हीं की मिसाल पर चलेंगे। ऐसे बच्चों को उनकी हर मनपसंद चीज़ चाहे न मिले तो भी वे शिकायत नहीं करेंगे बल्कि जो उनके पास है उसी से वे खुश रहेंगे। इस तरह वे भी विनम्रता से जीना सीखेंगे और परिवार में एक-दूसरे के बीच अच्छा संबंध होगा। विनम्र लोगों को मन की शांति मिलती है। विनम्रता से पेश आनेवाला इंसान कभी महत्वाकांक्षी नहीं होता। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उसकी ज़िंदगी में कोई लक्ष्य नहीं होते। मिसाल के तौर पर, अगर वह परमेश्‍वर की सेवा में ज़्यादा ज़िम्मेदारी पाना चाहता है तो इसके लिए वह परमेश्‍वर द्वारा ठहराए गए वक्‍त का इंतज़ार करेगा और जब उसे कोई ईश्वरीय ज़िम्मेदारी मिले तो वह परमात्मा 
का बहुत शुक्रगुज़ार होगा। वह यह नहीं समझेगा कि उसने सब कुछ अपने-आप हासिल कर लिया है।  विनम्रता हमारी जिन्दगी में हमारे स्वाभाव के लिए वो बेहतरीन तोहफा है, जिसे अपनाकर हम सामने वाले के साथ-साथ अपने मन पर भी एक सकारात्मक असर डालते हैं। 
- अश्विनी पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोए।
अपना शीतल करें, औरन को सुख होए।।

धीरे धीरे रे मन, धीरे सब कुछ होए।
माली सींचे सौ घड़ा ,ऋतु आए फल होए।।

कबीर दास जी के इस दोहे में विनम्रता के गुणों के बारे में कहा गया है कि वाणी ऐसी एक चीज है, जो तलवार से भी ज्यादा तेज है अगर किसी को एक बार गलत शब्द के दिए तो वह हम वापस नहीं ले सकते और संबंधों में हमेशा के लिए गांठ पड़ जाती है विनम्रता तो मनुष्य का कहना है विनम्र स्वभाव से सभी के दिल को जीता जा सकता है प्रेम से हम दुनिया को भी अपने वश में कर सकते हैं। जो सज्जन पुरुष या विनम्र व्यक्ति होते हैं उनका कहना है कि फलों से लदा हुआ वृक्ष विनम्रता के कारण ही झुका रहता है और अपने फल से सबको आनंदित करता है उसका काम सिर्फ देना ही रहता है लेना नहीं आशावादी व्यक्ति हमेशा विनम्र रहता है। थोथा चना धन-धन बसता है जिनके पास ज्ञान से परिपूर्ण नहीं होते वही मनुष्य ज्ञानी होने का ढोंग करते हैं और अपने गुणों के कारण ही समाज में अराजकता को फैलाते हैं अधजल गगरी छलकत जाए आदि मुहावरे हैं इसलिए मनुष्य को अपने जीवन में विनम्रता लानी चाहिए विनम्रता से ही सज्जनता आती है रहीम दास जी के और कबीर दास जी के अन्य दोहों के माध्यम से समाज में हमें यह बात समझाई गई है कि वाणी को संयमित रखना चाहिए और तोलमोल कर बोलना चाहिए विनम्र व्यक्ति ही सर्वत्र पूजा जाता है।
 - प्रीति मिश्रा
जबलपुर - मध्य प्रदेश
विनम्रता निश्चय ही महत्वपूर्ण गुणों में से एक है|विनम्रता का संबंध दिल से होता है जिस व्यक्ति में  अंह होता है वह धन -दौलत तो कमा सकता है लेकिन लोगों के दिलों में जगह नहीं बना सकता|विनम्र व्यक्ति की पहचान ऐसी होती है जो भीड़ में भी अलग दिखते हैं और इज़्ज़त के हक़दार होते हैं |विनम्रता से हमारे सोचने समझने की शक्ति का भी विकास होता है और हमारा व्यक्तित्व भी निखरता है| 
                           - सविता गुप्ता 
                         राँची - झारखंड
विनम्र व्यक्ति में अहं की मात्रा न के बराबर होती है। अहं अनेक दुर्गुणों को पुष्ट करता है जैसे अहं से ही ईर्ष्या जन्म लेती है , अहं ही घृणा का कारक होता है फिर  निंदा, क्रोध, बैर आदि सभी अहं जनित बुराइयाँ है । जब अहं नही रहेगा तो कई बुराइयाँ स्वतः ही विलुप्त हो जाएँगी । विनम्रता सामने वाले के क्रोध को पारे की ठंडा कर देती है । अहंकारी भी तब ज्यादा अकड़ता है जब उसके सामने दूसरा व्यक्ति भी अहंकारी ही हो । विनम्र व्यक्ति को अहंकार दिखाने का कोई लाभ नहीं । इसी तरह बैर, ईर्ष्या ,घृणा आदि भी विनम्रता के समक्ष हथियार डाल देते हैं । इतना ही नहीं, विनम्र किसी का स्नेह प्राप्त करने , दया प्राप्त करने  , क्षमा प्राप्त करने और किसी की सेवा प्राप्त में  सफल रहता है । विनम्र व्यक्ति के मुख पर संतोष की एक पवित्र मुस्कान बनी रहती है । वह लोभ व मोह से दूर रहता है इसलिए उसे मानसिक तनाव भी कम होता है ; जिसके कारण वह स्वस्थ रहता है और सकारात्मक विचारों का पोषक भी होता है । विनम्र व्यक्ति का धैर्य ही उसे सफलता दिलाता है । इस प्रकार विनम्रता सभी गुणों में श्रेष्ठ साबित होती है ।
- वंदना दुबे 
  धार - मध्य प्रदेश 
कहते हैं फलों से लदा पेड़ झुका रहता है। विनम्रता तो श्रेष्ठ है ही परंतु जिन्हें इसकी कदर नहीं है वो इसे बुजदिली भी समझ लेते हैं। विनम्र स्वभाव वाले को उपयोग करके कुछ लोगों को अपनी बुद्धि पर गर्व होता है। विनम्रता सभी मानवीय गुणों में श्रेष्ठ है, जो आज कल बहुत कम दिखाई देती है।उग्र होना आसान है परंतु विनम्र रहने के लिए धैर्य चाहिए।
- डॉ सुरिन्दर कौर नीलम
रांची - झारखंड
भारतीय धर्म , संस्कृति , आध्यात्म , दर्शन में विनम्रता को सर्वश्रेष्ठ माना है । अनम्र अहम का प्रतिरूप है । विनम्र का विरोधी शब्द अनम्र कहूँ तो अतिशयोक्ति नहीं होगी । विनम्रता का समानार्थी नम्र ,दैन्य , विनय , शालीनता , सौम्यता , सुशीलता  आदि शब्द हैं । यह सभी नम्र के पर्यायवाची शब्द आत्मा को कोमल रूप में लुभा रहे हैं । विनम्रता हमारी आत्मा से उत्पन्न होती है । जो दिखावटी नहीं होती है । व्यक्ति के आभामंडल से ही ज्ञात हो जाता है कि यह व्यक्ति विनम्र है । कितने चालाक व्यक्ति दूसरों से अपना काम  निकालने के लिए बनावटी विनम्रता का जामा पहन लेते हैं ।उनका  बनावटीपन चेहरे से साफ झलकता है । ऐसे व्यक्ति एक आधा बार अपने काम करवाने में सफल हो सकता है । हर बार नहीं सफ़लनहो सकता है । हकीकत एक दिन पोल खोल ही देती है ।
विनम्रता सभी गुणों से इसलिए श्रेष्ठ है क्योंकि यह हमारे विचारों को साकारात्मक , व्यापक सोच , ह्रदय निर्मल , और सत्य बोलने को अग्रसर  करती है । विनम्रता के गहने जिसने भी पहने हैं । उन्होंने दूसरों का दिल आसानी से जीत लेता है। उदाहरण के तौर पर जो व्यक्ति गंगा या नदी की धारा के विपरीत बह रहा  है । तो मौत निश्चित है ।धारा का बहाब  तो उसे अनुकलता नहीं प्रदान करेगा  । अगर वह व्यक्ति विनम्र है । तो प्रतिकूलताओं की परिस्थितियों को अपने अनुकूल बना लेगा ।   यानी अपने आप को  खुद बदल के विपरीत दिशा को के अनुसार अपने को ढाल लेगा । क्योंकि नम्र व्यक्ति को झुकना आता है ।वृक्ष पर जब फल  लगते हैं । तब टहनियाँ  अपने आप झुक जाती हैं । ऐसे ही सन्तों को स्वभाव होता है ।
मेरे जीवन के  कई पड़ावों में  बड़ी - बड़ी भारत की शख्शियतों ,  महापुरुषों से मुलाकात हुई है ।उन्हें मैंने विनम्रता जे अस्त्रों से सज्जित ही पाया है । मिसाल के तौर पर बचपन में  ऋषिकेश मेंमहामहिम राष्ट्रपति स्व  डॉ राजेन्द्र प्रसाद जी मुलाकात पर । बड़े होने पर अनूप जलोटा जी  , फ़िल्म अभनेत्री शबाना आजामी , साहित्यकार स्व गोपालदार नीरज जी  से मुलाकात हुई थी । जिन्होंने मुझ पर अपनी सौम्यता , विनम्रता का प्रभाव छोड़ा है । इसी तरह जितने भी  संत , सज्जन , महापुरुष हुए हैं । उनका स्वभाव विनम्र होता है । ऋषिकेश , उत्तराखण्ड गंगा का तीर्थ धाम  है । ऐसे आध्यात्मिक परिवेश में मैंने आँखें खोली हैं । मेरा जन्मस्थान है । जहाँ सुबह - शाम गंगा आरती से चारों दिशाएँ गूँजती हैं । सारे दिन वहाँ के घाटों , आश्रमों में सत्संग , प्रवचन होते हैं । जहाँ पर सन्तों की  विनम्रता की कल्याणकारी वाणी से मानव की जीवनधारा सराबोर रहती है । ऐसा विनम्रता का  महान गुण मेरे स्वभाव  में संस्कारों के संग आया है ।
 हर प्राणी  का मरण शाश्वत है । मरने के बाद हर प्राणी 
का शरीर भारी और कड़क हो जाता है । कहते है मुर्दा अकड़ गया । यह अकड़ ही कठोरता का प्रतिरूप है ।
कठोरता हमारी जीवन की पराजय , असफलता का रूपक है । कठोर का विलोम शब्द कोमल हमारे जीवन की उन्नति , विकास का प्रतीक है । इसी संदर्भ में दृष्टांत दे  रही हूँ । धनाढ्य परिवार की बेटी जिसने मायके में कभी काम नहीं किया । नोकरों , दलितों सभी पर रोब से बात करती थी । सिर उसका हमेशा तना रहता था । जब शादी हो के ससुराल आयी । तो घर में घुसने पर चौखट पर उसका सिर फुट गया । खून की धारा बहने लगी । जख्म हुआ सो अलग । तभी सास बोली , बेटी थोड़ा नवना कर लेती , झुक के चलती तो चोट ही नहीं लगती ।कहने का मतलब यही है  कि हमें अपनी अकड़ , अहम नहीं रहना चाहिए ।  ऐसा व्यक्ति जीते जी मुर्दे  के समान है ।  जिन्होंने ने विन्रमता को धारण किया है । उन्होंने अपने जीवन में सफलता प्राप्त की है । महामहिम राष्ट्रपति स्व एपीजे अबब्दुल कलाम जी का व्यक्तित्व विनम्रता से गढ़ा  था। विनम्र व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति से अपना काम आसानी से करवा सकता है । विनम्रता से  सफलता के मार्ग खुल जाते हैं । जिस तरह हम धातुओं जैसे पीतल , अलमयूनियम , सोने से कोई भी  वस्तु बनाएँ । तो उन्हें आग पर पिघलाना होता है । तब वह तरल रूप में हो जाती है । यही तरलता , कोमलता का प्रतीक नम्रता  व्यक्ति के विकास , चरित्र निर्माण के लिए आवश्यक है ।मिसाल के तौर पर  शक्तिशाली राजा ये  सभी रावण , कंस , दुर्योधन आदि का नाम विनम्रता से कभी नहीं जुड़ा है । इन तीनों राजाओं के कुल , वंश ही उजड़ गए।
जब आँधी , तूफान आते  हैं । वनस्पतियाँ , पेड़ उखड़ जाते हैं । विनम्रता का गहना पहने  दूब घास का बाल बाँका नहीं होता है । इन हवाओं के थपेड़ों से बच जाती है । कठोर भूमि में जब किसान हल जोत के जमीन को मृदु , कोमल बनाता है । तभी बीज बोता है । अच्छी लहराती फसल उसे मिलती है । विमरता में अंहकार होता नहीं है । मान  - अपमान को नहीं मानती है । हमारे कितने महापुरुषों का अपमान हुआ है । वे दुर्वचनों को सुन के सह लेते हैं ।तो उन्होंने इसे खारिज किया । विनम्रता के साथ जिए । प्रकृति भी विनय से सराबोर रहती है । वृक्ष की फल से भरी डाली को नम्रता देख के दुनिया को फल मिलते हैं ।अहम से भरा मनुष्य दुखदायी होता है । विनम्रता से भरा मानव सुखदायी होता है । ऐसे व्यक्तियों के लिए मोक्ष के द्वार खुल रहते हैं । नम्रता क्रोध से दूर रहती है । मैत्री , सहयोग  भाव की जन्मदात्री होती है । काँटे को कभी किसी ने झुका हुआ देखा है क्या ?जवाब नहीं है । काँटा तना ही रहता है । दुख का कारक होता है । नम्रता सदा हितैषी बन के साथ निभाती है । हमारे राधतर पिता महात्मा गांधी जी विनम्रता की प्रतिमूर्ति थे ।अब150 वीं जयती भारत देश के साथ विश्व मना रहा है । आज उनके गुणों से ओतप्रोत मानवीय दर्शन हर सदी का  मार्ग दर्शन करेगा ।
एक बार गाँधी जी को  बादल छाने से समय का पता नहीं लगा। तब उनके पास घड़ी नहीं थी ।  देर व्यायाम की पाठशाला में पहुँचे । व्यायाम का समय खत्म हो गया था । गुरु जी उन पर जुर्माना लगाया । गांधी जी नम्रता पूर्वक सच बता दिया । जुर्माना गुरु जी माफ कर दिया । मित्रो , बच्चों देखी आपने नम्रता  की शक्ति। हम सब विनम्र बने । जो व्यक्ति परहित में जीवन जीते हैं , दूसरों की सेवा करते हैं । वे व्यक्ति भी विनम्र होते हैं । विनम्र हनुमान जी ने राम - सीता की दास भाव से सेवा की थी । 
कबीर जी का दोहा प्रासंगिक है 
कबिरा नवै सौ आपको , पर को नवै न कोय ।
घालि तराजू तौलिये , नवै सो भारी होय ।
नरम पुरुष प्रिय रामैंकां ,  नित लह राम - प्रसाद ।
अभिमानी निज दोष ते , भोगै  सदा विषाद ।
 अब मैं अपने दोहों में विनम्रता के लिये कहती हूँ -
जिसमें होती नम्रता , मिलता  उसको प्यार ।
रहके  हम सब  नम्र से  पाय सपन  संसार ।

 पाठ  नम्रता विनय का  , होता है  अनमोल ।
जीवन में  जो धारता , होते सार्थक बोल ।

 होती निसर्ग में  विनय , झुकती फल की डाल।
 पेड़ों की भाषा नम्र , मिलता  फल हर हाल ।
- डा मंजु गुप्ता 
 मुंबई - महाराष्ट्र
सचमुच नम्रता एक श्रेष्ठ गुण है। लेकिन आज के समय में ये लुप्त हो रही है।लोग इसे कमजोरी समझते हैं।लोग नहीं जानते कि जहां नम्रता से आपसी प्रेम आदर की भावना बढ़ती है। अभी कलह की स्थिति पैदा नहीं होती। नम्रता से ही हम सामने वाले को झुका सकते हैं। नम्रतापूर्वक तो बिगड़े काम भी बन जाते हैं। फलों से लदे बृक्ष सदा झुके होते हैं। नम्रता श्रेष्ठता की पहचान है।
- रेणु झा
रांची - झारखण्ड
मानव का व्यक्तित्व विभिन्न गुणों के सम्मिश्रण से बनता है। उन विभिन्न गुणों में से एक गुण विनम्रता है और मेरी दृष्टि में यह सर्वश्रेष्ठ गुण है।   विद्या विनय देती है यानी विनम्रता। विनम्रता सब कुछ पाने की योग्यता प्रदान करती है। फिर व्यक्ति धन, धर्म और सभी सुख प्राप्त करना है। विनम्रता बिगड़े काम सँवार देती है,
व्यक्ति को सर्वप्रिय बनाती है। आज के समय में विनम्रता को कमजोरी मानने का एक फैशन सा हो गया है, जो नितान्त गलत है। विनम्रता किसी की हानि तो करवा ही नहीं सकती, बल्कि इस गुण को आत्मसात करते हुए व्यक्ति सफलता के शिखर पर पहुँचने में सफल होता है।वह अजातशत्रु होता है।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून - उत्तराखंड
नर की अरु नलनीर की, गति एक सम होय ।
जैतो नीचौ व्है चले,तेतो ऊँचो होय ।।
महान संत बिहारी का ये दोहा जीवन में पूर्ण रूप से चरितार्थ है ।जिस प्रकार नल का पाइप जितना पतला और जमीन के नीचे होता है पानी की धार उतनी ही तीव्र गति से ऊपर जाती है ।उसी प्रकार मनुष्य जितना विनम्र, मृदुभाषी, सहनशील,परोपकारी और संवेदनशील दयालु होता है वह सर्वश्रेष्ठ बन जाता है ।उसमें दिखावा, छलावा आडंबर, धोखा, लालच नहीं होता ।सरल स्वभाव ही दुनिया में पूजनीय होता है ।हमारे सामने ऐसे अनेक उदाहरण हैं जिन्होंने 'सादा जीवन उच्च विचार 'को अपने जीवन का आदर्श बनाया ।अनेक आदर्श पुरुष भारत के रत्न हैं जिन्होंने अपने एक मात्र विनम्र व्यवहार से देश को विश्व गुरु के स्थान पर स्थापित कर पूजनीय बना दिया है । कहते हैं ना हमारी तो प्रकृति भी इतनी विनम्र है जो बाँहें खोलकर हमें अपना सब कुछ बाँट देती है ।नदी अपना जल, वृक्ष अपने फल, सूर्य अपनी रौशनी, चाँद अपनी शीतलता आदि ।इसलिए विनम्रता सभी गुणों से श्रेष्ठ मानी जाती है जो अहंकार को दूर करने में मदद करती है ।
- सुशीला शर्मा
जयपुर - राजस्थान
मानवता सब से बडा गुण है । विनम्रता भी उसी का एक भाग है । विनम्र मनुष्य ही दूसरों के दर्द को महसूस कर सकता है । किसी की आत्मा के शब्दों को समझ सकता है।किसी के अपशब्दों को शांति से झेलने की शक्ति रखता है। विनम्रता हमेशा से दाता रही है। इसलिए पेड़ को विनम्र की संज्ञा दी गई है। इस गुण का धारक कभी भी हारता नहीं है। उसके लिए जीत बाँहें पसारे खड़ी रहती है। यही कारण है कि विनम्रता को सर्वश्रेष्ठ बताया गया है ।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
"विद्या ददाति विनयम "अर्थात विद्या से ही विनय कीप्राप्ति होती है l विद्या बड़ी कठिन साधना है l यह कोई सुखद अथवा सहज कर्म नहीं ,बड़ा कठिन कार्य है l ज्ञान की प्राप्ति तो सभी करते हैं लेकिन वास्तव में विद्या ही वह श्रेष्ठ धन है जिससे व्यक्ति का व्यक्तित्व उभर कर आता है l विनम्र व्यक्ति सदा झुककर चलता है l अहंकार तो उसमें लेश मात्र भी नहीं होताहै l यही विनयशीलता और सदाचार उसके व्यक्तित्व में चार चाँद लगा देते हैं lवह सकारात्मक विचारों से ओतप्रोत होकर सम्यक रूप से  रचनात्मक ,सृजनात्मक कार्यो की ओर उन्मुख रहता है l विकट परिस्थितिओं मेंभी वह अपना आपा नहीं खोता है l फलों से लदे वृक्षों की तरह जग में आनंद और मधुर प्रेम की वर्षा करता है l व्यवहारिक जीवन में सुख का दृष्टिकोण बना लेने पर विद्या की साधना में श्रम करना कठिन हो जाता है l सात्विक और संयम पूर्ण जीवन का अभ्यास प्राचीन भारत में तप के समान साधनामय होता था l गुरु की प्रेरणा ,स्वाध्याय ,अभ्यास आदि विद्या के साधनों का फल निरन्तन साधना के बाद समयसे होता है l
- डाँ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
आज की चर्चा:-क्या  विनम्रता सभी गुणों से श्रेष्ठ होती है?.
   यह सच है। गुणी व्यक्ति में यदि विनम्रता का गुण है तो उसके व्यक्तित्व का कद बहुत ऊंचा हो जाता है  औरउस ऊंचाई में स्थिरता भी रहती है। इसके अलावा उसकी निर्णय क्षमता भी विलक्षण है जाती है।  समाज में उसका सम्माननीय सस्थान होता है। कभी कभी तो पाषाण हृदय भी पिघल जाते हैं।
- डा. चंद्रा सायता
इंदौर - मध्यप्रदेश
मानव विभिन्न गुण ,अवगुण से जैसे क्रोध द्वेष अहंकार विवेक विनय, विनम्रता आदि आदि अनेक गुणों को अपने में लेकर रहता है ! हां! इसमें विनम्रता एक ऐसा गुण है जो हमारे सभी अवगुणों को छांव दे अपने में समाहित कर लेता है !एक अहंकारी के लिए अहंकार का त्याग कठिन है परंतु विवेक से उस पर अंकुश लगाया जा सकता है और विवेक जागृत होने से हम स्वाभाविक तौर पर नम्र हो जाते हैं अहंकार को नियंत्रण में करने के लिए हममे विनम्रता तो होनी चाहिए ! विनम्रता संवेदनशील होती है ! विनम्र व्यक्ति दूसरों की वेदना, दुख को समझता है वह उसका आत्मीय बन जाता है एवं जब हम दूसरे के प्रति सच्ची आत्मीयता रखते हैं तो वही विनम्रता हमें महानता की ओर ले जाती है ! विद्या ददाति विनयम ज्ञान हमें विनयशील बनाता है ! जिस ज्ञान से अहंकार  जागे वह ज्ञान नहीं है ! विनम्रता अहंकार को तोड़ देती है  कहते हैं ना फल भी जब पकता है तो डाली पर झुक जाता है यह उसकी नम्रता है ! प्रकृति भी हमारे प्रति विनम्रता का भाव रखती है फिर हम तो इस सर्वश्रेष्ठ गुण को धारण कर ही सकते हैं !
विनम्रता से बिगड़ी बात बढ़ती नहीं है विनम्र होने से संयम और धैर्य अपने आप आ जाते हैं !स्वामी विवेकानंद अपनी विनम्रता से सभी को अपनी ओर आकृष्ट कर लेते थे !अंत में कहूंगी विनम्रता से हमारे भीतर अनेक सदगुण उत्पन्न होते हैं ! यदि हम विनम्रता से अहंकार को झुका सकते हैं तो यही विनम्रता  दुनिया को भी झुका सकती है !
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
विनम्रता ही मानव जीवन का सर्वोपरि गुण है, विनम्रता व्यक्ति को व्यक्ति से जोड़ती हैं।विनम्र स्वभाव के व्यक्ति बहुत ही सरल और सहज होने से सभी को सहजता से अपना लेते हैं।उन्हें अपनी गुणवता का बखान नही करना पड़ता।उनका स्वभाव उनके व्यवहार में स्प्ष्ट रूप से दिखाई देता है।विनम्रता सभी गुणों में श्रेष्ठ हैं, जो झुकना जानता है,वही संबधो को सही मायने में समझता है। प्रत्येक व्यक्ति को विनम्रता को अपनाकर अपने जीवन में अवश्य ही धारण करना चाहिए।
      - वन्दना पुणतांबेकर
इन्दौर - मध्यप्रदेश
विनम्रता सभी सद्गुणों का ठोस आधार है
विनम्रता क्या है? इस प्रश्न का असंदिग्ध उत्तर सभी के लिए संभव नहीं है। इसके बावजूद, कई लोग मानते हैं कि विनम्रता एक सच्चे मानव का मुख्य गुण है। यह वह गुण है जो मनुष्य में सबसे पहले भगवान की सराहना करता है। विनम्रता जिम्मेदारी की पूर्वज है। एक विनम्र व्यक्ति का दिल किसी भी स्थिति को स्वीकार करता है और सभी जिम्मेदारी के साथ इसे हल करने की कोशिश करता है। विनम्रता का आदमी हमेशा अपने दिव्य स्वभाव को महसूस करता है और याद करता है कि वह इस ग्रह पर कहां और क्यों आया है। आत्मा की विनम्रता का अर्थ है आपके हृदय में प्रभु की पूर्ण स्वीकृति और आपके मिशन की प्राप्ति, जिसमें आपके गुणों पर निरंतर काम करना शामिल है। विनम्रता व्यक्ति को ईमानदारी से प्रभु और सभी जीवित प्राणियों की सेवा करने में मदद करती है। एक विनम्र व्यक्ति ईमानदारी से मानता है कि इस दुनिया में जो कुछ भी होता है वह ईश्वरीय इच्छा के अनुसार होता है। यह समझ एक व्यक्ति को हमेशा उसकी आत्मा में शांति और शांति बनाए रखने में मदद करती है। अन्य लोगों के संबंध में, एक विनम्र व्यक्ति कभी भी मूल्यांकन नहीं करता है, तुलना नहीं करता है, इनकार नहीं करता है, और किसी अन्य व्यक्ति की प्रकृति की उपेक्षा नहीं करता है। वह लोगों को वैसे ही स्वीकार करता है जैसे वे हैं। पूर्ण स्वीकृति दूसरे के प्रति एक सचेत और चौकस रवैया है। मन के साथ नहीं बल्कि आत्मा के साथ, हर चीज को स्वीकार करना आवश्यक है। मन निरंतर मूल्यांकन और विश्लेषण करता है, और आत्मा स्वयं भगवान की आंख है।
विनम्रता  श्रेष्ठ गुणों में से एक है 
सर्वश्रेष्ठ गुण कहना मुश्किल है कई गुण है जो सर्व श्रेष्ठ हो सकता है इंसान में एक से बढ़ एक गुण भरे परे है । 
विनम्रता मनुष्य की अपनी सीमाओं और कमजोरियों को पहचानने और जमीन पर अपने पैरों के साथ काम करने की क्षमता है, जो हमेशा दूसरों का सम्मान करती है.यह गुण, ईमानदारी के साथ, जो स्वयं और दूसरों के साथ ईमानदार होने की क्षमता है, हमें विश्वास और सम्मान के योग्य बनाता है। उस तरह के लोगों के साथ खुद को घेरना किसे पसंद नहीं है?? विनम्रता में कुछ ऐसा होता है जो अजीब रूप से दिल को उद्वेलित करता है विनम्र होना सबसे अच्छा गुण है जो मनुष्य के पास हो सकता है. विनम्र होने का अर्थ है दूसरों के विचारों के प्रति सहिष्णु होना.
जीवन विनम्रता का एक बड़ा सबक है
जीवन हमें हर दिन सिखाता है कि हमें अपने पैरों को जमीन पर रखना चाहिए.उडना  नहीं चाहिऐ 
नम्र बनो और अपने कान सुनो
यह कहने का एक तरीका है कि हमें विनम्र होना चाहिए और दूसरों को सुनना चाहिए.
अच्छे लोगों के साधन हमेशा   नम्र होते है
हमारे मूल्यों में से एक हमेशा विनम्र होना चाहिए.
वास्तविक योग्यता, एक नदी की तरह, जितनी गहरी है, उतना ही कम शोर
जब कोई विनम्र होता है, वह अपनी जीत के बारे में डींग नहीं मारता. दूसरे उन्हें अकेले पहचान लेंगे.
धन्यवाद" सबसे अच्छी प्रार्थना है जिसे कोई भी कह सकता है। अत्यधिक कृतज्ञता, विनम्रता और समझ को व्यक्त करें धन्यवाद कहना दूसरों के काम करने पर आपने उसके सहयोग कीकद्र  की सुन कर अच्छा लगेगा । 
नम्रता, वह मधुर जड़ जिसमें से सभी स्वर्गीय गुण विकसित होते हैं
मैं हमेशा कही हूं "विनम्र लेकिन दृढ़ रहो"। विनम्रता और खुलापन आपके विश्वासों से समझौता किए बिना सफलता की कुंजी है
कृतज्ञता और विनम्रता की तुलना में हमारे लिए कुछ गुण अधिक लाभदायक हैं.
कुछ विनम्र हैं, क्योंकि आपको एक आत्मसम्मान की आवश्यकता है जो कुछ के पास है
उच्च आत्म-सम्मान हमें विश्वास के साथ व्यवहार करने में मदद करता है। हमें ढोंग करने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि हम जो हैं, उसके साथ सहज हैं.
एक आदमी को अपनी गलतियों को स्वीकार करने के लिए पर्याप्त बड़ा होना चाहिए, उनका लाभ उठाने के लिए पर्याप्त स्मार्ट और उन्हें सही करने के लिए पर्याप्त मजबूत होना चाहिए
हर कोई, हमारे जीवन में कुछ बिंदु पर, गलतियाँ कर सकता है। लेकिन विनम्रता और ताकत से हम उन्हें हल कर सकते हैं.
अभिमान हमें कृत्रिम बनाता है और विनम्रता हमें वास्तविक बनाती है
विनम्रता हमें अपने आप को दिखाने में मदद करती है जैसे हम हैं. यह हमें प्रामाणिक बनाता है.
विनम्रता के बिना कोई मानवता नहीं हो सकती
विनम्रता हमें अच्छा इंसान बनाती है। लोगों को ही नहीं विनम्र रहने में हर किसी अपने आप से अच्छा लगेगा मज़ा आएगा.
जो आदमी सोचता है कि वह दूसरों के बिना रह सकता है वह गलत है; वह जो सोचता है कि दूसरे उसके बिना रह सकते हैं और भी अधिक बहक गया है
एक वाक्यांश जो बात करता है कि हम कैसे बेहतर हो सकते हैं.विनम्रता स्वयं का सही अनुमान लगा रही है
नम्रता जमीन पर पैरों से छू रही है, अपने आप से जुड़ी रहती है.
विनम्रता  सर्वोत्तम गुण है इसे धारण करने वाला  ईश्वरीय गुणों को पा जाता है और सबका प्रशंसा पाता है ।
विनम्र बने नम्र रहे ..,
- डा. अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
विनम्रता शब्द का अर्थ है- झुका हुआ। पेड़- पौधों से लेकर मनुष्य तक में इस सहज गुण को देखा जाता है। यह गुण किसी के द्वारा थोपा हुआ नहीं है; बल्कि जन्मजात संस्कारित उपज है। यह गुण सदैव मनुष्य के लिए शक्ति- संरक्षण के साथ- साथ तथा उसके स्वयं के अस्तित्व को बनाए रखने वाला भी है। विनम्र व्यक्ति सदैव हृदय से कोमल एवं वाणी से विनीत और मृदुभाषी होते हैं। यानि ऐसे व्यक्ति जो विनम्रता से युक्त हैं; सुशील और अच्छे व्यवहार वाले इसी गुण के कारण सर्वत्र सम्मान पाते हैं।  ऐसा विनम्र व्यक्ति स्वयं भी  आत्मिक शांति पाता है।  कहा भी गया है- "सादगी से बढ़कर कोई श्रृंगार नहीं होता और विनम्रता से बढ़कर कोई व्यवहार नहीं होता"। अंधखिले पुष्प सी मंद सस्मिता, कर्णप्रिय वाणी, नयनों से आदरणीय एवं स्नेहीजनों के प्रति यथा योग्य अभिवादन, करबद्ध मुद्रा, सौम्य,  सुशील व्यक्तित्व के धनी, विनम्र व्यक्ति की पहचान है । प्राय: यह कहना ठीक ही होगा कि विनम्रता से वह सारे काम भी बन जाते हैं जो कभी-कभी कठोरता से नहीं बन पाते हैं ।अतः संपूर्ण दैवीय  गुण इस गुण से युक्त व्यक्ति में स्वत: ही विद्यमान होने लगते हैं । अतः विनम्रता सर्वश्रेष्ठ मानवीय गुण है ।
-  डॉ. रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
हर आभूषण जैसे अपने आप में एक विशेषता लिए होता है,वैसे ही मनुष्य में हर गुण भी एक विशेषता लिए होता है। विनम्रता भी उन्हीं में से एक है और उसकी विशेषता को किसी अन्य गुणों से कमतर नहीं आंका जा सकता। वह सर्वश्रेष्ठों में से एक है।  विनम्रता, अपने को जितना छोटा मानने का प्रदर्शन है,प्रतिक्रिया में वह उतनी ही बड़ा और ऊँचा मान-सम्मान पाने का अवसर पाता है। विनम्रता में इतनी शक्ति होती है कि वह विषम स्थिति में सामंजस्य स्थापित कर व्यवहार और वातावरण में माधुर्यता ला सकती है। क्रोध और क्रूरता में ढाल बनकर शांति का मार्ग प्रशस्त कर सकती है।  अपने आचरण और व्यवहार में विनम्रता रखना शिष्ट और सभ्यता का परिचायक होता है। जो समाज में प्रेम और सम्मान दोनों पाता है।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
मनुष्य  में तो  गुण, अवगुण  दोनों का होता  मिश्रण है । व्यक्ति में अनेक प्रकार के गुण होते हैं जिसमें  "विनम्रता" को हम सभी गुणों में सर्वश्रेष्ठतम कह सकते हैं इसी गुण पर मेरे विचार से व्यक्ति विशेष का सम्पूर्ण व्यक्तित्व निर्भर करता है । विनम्र स्वभाव वाला व्यक्ति हर व्यक्ति से अच्छी तरह निभा सकता है । जीवन में बहुत सारी ऐसी परिस्थिति आती है जब हमारा मन उद्वेलित,, उदिग्न हो जाता है , वैसी  स्थिति में विनम्रता वाले गुण से  हीं हम खुद को संयमित कर लेते हैं ।  "कुछ तो  लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना"  ,, ये हम सब जानते हैं कि हमारा समाज हमारे कुछ अच्छा करने पर भी उसमें " मीन _ मेख" निकालता हीं रहता है ,,,ऐसे समय में हमारी "विनम्रता " वाली गुण हीं   हमारे आहत मन पर  " मरहम रूपी लेप  लगाती है जो हमारे लिए अत्यंत आवश्यक होती है । इसलिए मेरा भी यही मानना है कि  "विनम्रता" सभी गुणों से सर्वश्रेष्ठ है।
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार
विनम्रता मनुष्य का सबसे बड़ा गुण होता है । विद्या से यह गुण हमें मिलता है - *विद्या ददाति विनयम*
 हर परिस्थिति में विनम्र बने रहना कहने सुनने में भले ही सरल लगे पर बहुत कठिन होता है । जीवन यात्रा के दौरान ऐसे बहुत से अवसर आते हैं जहाँ कठोर वाणी का प्रयोग करना ही पड़ता है । पर हमारी कोशिश होनी चाहिए कि  हम अपनी वाणी में विनत भाव रखें । ध्यान योग व प्राणायाम हमें स्वनियंत्रण रखने की शक्ति देते हैं । जब हम मीठे शब्दों में किसी से कोई कार्य करने को  कहते हैं तो अक्सर वो पूरे हो जाते हैं । मनुष्य का सच्चा आभूषण विनम्रता को ही कहा गया है । हमें सदैव प्रयास करना चाहिए कि मन वचन कर्म से जहाँ तक संभव हो सत्य व प्रिय वचन विनम्रता के साथ बोलें ।
जितने भी महापुरुष हुए हैं वे सब अपने आचरण में धैर्यवान व विनम्र दिखते हैं । एक बहुत रोचक कहानी है कि एक साधु नदी में  स्नान कर रहा था तब एक केकड़ा उसे बार - बार काट रहा था और वो साधु उसे हर बार   अपने से दूर कर देता । ऐसा देखकर उसके शिष्य को बहुत क्रोध आया उसने केकड़े को मारने का प्रयास किया तो उस साधु ने उसे रोकते हुए कहा-  बेटा केकड़े का स्वभाव काटना है और हमारा स्वभाव विनम्रता है ; जब वो अपना स्वभाव नहीं छोड़ रहा है तो हम मनुष्य का मूल स्वभाव क्यों छोड़ें ।अर्थात हमें विनम्र भाव धारण करना चाहिए ।
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश
क्या विनम्रता सभी गुणों में श्रेष्ठ है
यह कथन बिल्कुल सही है विनम्र स्वभाव वाले व्यक्ति के व्यवहार में सरलता सहजता धैर्य सहनशीलता और मिठास झलकता है। हमेशा दूसरों की परवाह करना, अगले को मेरे कारण। कष्ट नहीं हो , समर्पण की भावना का होना ही तो विनम्रता है । पेड़ या वृक्ष जब फूल फल से लद जाता तो झुक जाता है यही तो विनम्रता है  ।अहम की भावना को अपने व्यक्तित्व से निकाल देना और व्यवहार में सरलता सहजता मिठास ले आना  ही विनम्रता की पहचान है
डाँ. कुमकुम वेदसेन  
मुम्बई - महाराष्ट्र
 आचरण अर्थात भावों को परस्परता में व्यक्त करते समय या परस्पर ता में व्यवहार करते समय वाणी में विनम्रता भाव से संबोधन होता है तो वहां व्यवहार में श्रेष्ठता का गुणात्मक परिवर्तन होता है विनम्रता के माध्यम से श्रेष्ठता का पहचान होता है इस दृष्टि से देखें तो विनम्रता सभी गुणों अर्थात मूल्यों में सर्वश्रेष्ठता को व्यक्त करता है ।विनम्रता और निवेदन मनुष्य का स्वभाव रूपी वह साधन या हथियार है जिसके माध्यम से अहंकारी भी झुकने को मजबूर हो जाता है ।अतः कहा जा सकता है ,कि विनम्रता भाव की ,क्षमता विकसित कर अज्ञानी को आत्मज्ञान तक पहुंचाने की क्षमता रखता है ।इस  दृष्टि से विनम्रता सभी गुणों से सर्वश्रेष्ठ साबित होता है। अतः मनुष्य को अपने भावों को व्यवहार स्वरूप में व्यक्त करते समय विनम्रता पर ध्यान देना आवश्यक है ।विनम्रता भाव हर पल ,हर क्षण हर मनुष्य को सुख का अहसास कराता है और मनुष्य का लक्ष्य है खुद सुखी होना और औरों के साथ सुखी होना चाहता है।इसीलिए विनम्रता भाव सभी गुणों से श्रेष्ठ साबित होता है ।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
यदि विनम्रता सभी गुणों में सर्वश्रेष्ठ साबित होती है।तब कठोरता का जन्म ही नहीं होता।पांचों उंगलियां समान नहीं होतीं।इसलिए विनम्रता को सर्वश्रेष्ठ माना गया है।किंतु आतंकवाद,नक्सलवाद विनम्रता से समाप्त नहीं हो सकता।जहां सुई काम करती है।वहां तलवार काम नहीं करती है।शासन प्रशासन मात्र विनम्रता से नहीं चलता।जब तक उसे कठोरता का तड़का ना लगाया जाए।विनम्रता एक सीमा तक सर्वश्रेष्ठ है।परंतु सीमा लांगनें वालों का उपचार कठोरता से संभव है। इसलिए विनम्रता सभी गुणों में सर्वश्रेष्ठ साबित नहीं होती है।
                                         - इन्दु भूषण बाली
                                         जम्मू - जम्मू कश्मीर 


" मेरी दृष्टि में "  विनम्रता से बढ़ कर कुछ नहीं होता है। यह जीवन में सकरात्मकता पर चलने का एक रास्ता है । इससे सफलता के कदमों को भी चुभा जा सकता है। यह जीवन का वशिष्ठ पहलू है 
                                              - बीजेन्द्र जैमिनी 


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