क्या वर्क फॉम होम से प्रभावित हो रही है आंखे ?

कोरोना काल के  लॉकडाउन में वर्क फॉम होम शुरू होने से  लैपटॉप व मोबाइल का प्रयोग बहुत अधिक शुरू हो गया है । लगातार काम करने से आंखों पर भी असर पड़  है । फिर  भी अपने रोजगार को बचाने के लिए लग रहे हैं । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
आंखों के ऊपर बहुत बुरा असर पड़ रहा है इसमे कोई शक नही है।लेकिन इसका कारण अकेला work from home हो ऐसा भी नही है।लोग आज कल मोबाइल से चिपके रहते हैं।facebook whatsaap instagram messenger chatting youtube prime videos service...और भी ना जाने क्या क्या।बच्चों की online क्लासेज सब मे आंखों का ही बाज़ा बज रहा है।
एक शेड्यूल पर अगर हम लोग चलें तो हमारे सारे काम भी हो जायेगे और आंखे भी सुरक्षित रहेगी। सारा दारोमदार दिनचर्या का है।लोग 8 से 10 घण्टे मोबाइल चला रहै हैं।आदतें तो बदलना ही पड़ेंगी। बच्चों को क्या संदेश और संस्कार हम दे पा रहे हैं वो भी सोचने का विषय है।
- रोहन जैन
देहरादून - उत्तराखंड
कोरोना वायरस के प्रभाव को कम करने के लिए पूरे देश में पिछले ७२दिनों से लॉकडाउन की स्थिति है। ऐसे में ज्यादातर लोग वर्क फ्रॉम होम यानि कि घर से ही काम कर रहे हैं। वहीं, स्टूडेंट्स का अधिकतर समय भी लैपटॉप के साथ ही गुजरता है। लगातार लैपटॉप पर नजरें गड़ाए रखने से आंख से संबंधित कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इससे आंखों पर बहुत ज्यादा स्ट्रेन या दबाव पड़ता है जो सेहत के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं है। ऐसे में आइए जानते हैं कि वर्क फ्रॉम होम या फिर किसी और काम के लिए लैपटॉप का सहारा लेने वाले लोगों को किन बातों का ध्यान रखना है जरूरी
लैपटॉप, कंप्‍यूटर ,टीवी और स्‍मार्टफोन पर अधिक समय बिताने से हमारे आंखों पर ज्‍यादा दबाव पड़ने लगता है। इसी वजह से आंखों में थकान और दर्द होने लगता है
क्या आप घंटों कंप्यूटर, लैपटॉप पर काम करते हैं. सुबह से देर रात तक आपका ज्यादातर वक्त कंंप्यूटर स्क्रीन के सामने ही गुजरता है.
क्या आप आंखों में जलन, ड्राइनेस, धुंधली नजर जैसी परेशानियों का सामना कर रहे हैं. हो सकता है कि आप इसकी वजह घंटों कंप्यूटर या लैपटॉप स्क्रीन पर लगातार देखते रहने को समझते हों. ये बात काफी हद तक सही भी है. घंटों लगातार कंप्यूटर और लैपटॉप स्क्रीन पर देखते रहने से आपको आंखों में कई परेशानियों से दो-चार होना पड़ सकता है.
ज्यादा देर तक लैपटॉप का इस्तेमाल करने और स्क्रीन के सामने घंटों बैठे रहने से आंखों में स्ट्रेन या फिर ड्राई आईज की समस्या होती है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक लैपटॉप स्क्रीन से निकलने वाली नीली रौशनी आंखों के लिए हानिकारक है। करेंट मेडिकल रिसर्च एंड ओपिनियन में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार ड्राय आई न केवल हमारे स्वास्थ्य पर असर करता है बल्कि इससे हमारी डेली वर्क प्रोडक्टिविटी भी प्रभावित होती है।
इन बातों का रखें ध्यान: काम करने के दौरान हर घंटे 15 से 20 मिनट का ब्रेक लें और किसी दूर की चीज पर नजर गड़ाने की कोशिश करें। लैपटॉप स्क्रीन से ब्रेक लेने का मतलब ये नहीं है कि आप टीवी या फोन देखने लगें। इस समय में आप म्यूजिक सुन सकते हैं या किसी से बात कर सकते हैं। अगर आपकी आंखें लाल हैं, आंखों से पानी निकल रहा है या फिर खुजली होने पर बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी आई ड्रॉप का इस्तेमाल न करें। अगर आप चश्मा पहनते हैं तो उन्हें साफ रखें और आंखों को कम से कम छुएं। लेटकर लैपटॉप पर काम न करें, साथ ही साथ किसी ऐसे कमरे में लैपटॉप न रखें जहां पर्याप्त मात्रा में रौशनी न हो।
काम तो करना ही है तो पूरी सावधानी के साथ करे ।
आंखों का ख्याल रखे कुछ सावधानियां रखे । 
- आश्विन पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
समय की चाल देखिये... कुछ दिनों पहले तक जो कम्प्यूटर /मोबाइल आंखों के लिए अत्यन्त हानिकारक बताये जा रहे थे वही आज जीवन की अनिवार्यता बन गये हैं। इस कोरोना काल में तकनीक के कारण वर्क फ्राॅम होम की व्यवस्था तो कर दी गयी परन्तु हमारी नाजुक आंखों का दर्द कौन जान सकता है। आज की इस व्यवस्था के दुष्प्रभाव भविष्य में नजर आयेंगे जब समय से पहले ही आंखे अपनी शक्ति खो देंगी क्योंकि वर्क फ्राॅम होम से आंखे निरन्तर कम्प्यूटर /मोबाइल पर टिकी हैं और यह तो स्थायी सत्य है कि 'अति सर्वत्र वर्जयते'। 
परन्तु यह भी यथार्थ है कि जब तक कोरोना का आंतक जारी है तब तक हमें कार्य की इसी व्यवस्था को अपनाना है। इसलिए इस व्यवस्था को स्वीकार करते हुए हमें कम्प्यूटर पर काम करते हुए कम्प्यूटर ग्लास पहनना, हर तीस मिनट में पांच मिनट का विराम लेना, इस विराम के समय में आंखों को पानी से धोना, कम्प्यूटर स्क्रीन व आंखों के मध्य 25 सेंटीमीटर की दूरी रखना, स्क्रीन पर एंटी-रिफ्लेक्टिव ग्लेयर रिडक्शन फिल्टर का प्रयोग करना, फाॅन्ट बड़ा रखना, पलकें झपकाते रहना आदि-आदि सावधानियां रखनी आवश्यक हैं। 
किसी भी विषम परिस्थितियों में विकल्प तलाश लेना मानवीय शक्ति है और शनैः-शनैः किसी भी विकल्प की  उसके हानि-लाभ के संग स्वीकार्यता भी हो जाती है। 
अत: वर्क फ्राॅम होम के कारण आंखे प्रभावित तो होंगी परन्तु आंखों का प्रयोग सावधानियां बरतते हुए किया जाये तो दुष्प्रभावों को नियंत्रित किया जा सकता है। 
- सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
वर्क फ्रॉम होम का अर्थ है घर पर बैठकर कार्य करना। और घर पर बैठकर केवल ऑनलाइन माध्यम से ही किसी भी संस्था का कार्य किया जा सकता है। आजकल सभी संस्थान चाहे वह प्राइवेट है या सरकारी अपने कर्मचारियों को इस सुविधा का लाभ दे रहे हैं।मगर इस सुविधा का लाभ लेने के लिए हमें लैपटॉप या एंड्रॉयड मोबाइल का इस्तेमाल करना आवश्यक है, किसी भी वर्क के लिए कुछ घंटे हमें लैपटॉप या मोबाइल पर बिताने पड़ते हैं। इतना समय लगातार स्क्रीन पर बिताना हमारी आंखों के लिए बहुत नुकसानदायक होता है। नेत्र विशेषज्ञ भी इस बात से सहमत हैं की मोबाइल अथवा लैपटॉप पर अधिक से अधिक समय बिताने पर हमारी आंखों की क्षमता पर बहुत प्रभाव पड़ता है।आजकल छोटे-छोटे बच्चे भी ऑनलाइन क्लासेस ले रहे हैं जिसमें उन्हें मोबाइल पर नजरें गड़ाए रखनी पड़ती है। इसी प्रकार अन्य कर्मचारी जो अपने ऑफिस का कार्य इन माध्यम से कर रहे हैं वह भी घंटों स्क्रीन पर समय बिता रहे हैं। फतेह मैं यह कहना चाहूंगा कि भले ही हमें घर पर बैठकर काम करने की सुविधा प्राप्त हो रही हो परंतु हमारी आंखों को बहुत अधिक नुकसान हो रहा है।
- कवि कपिल जैन
नजीबाबाद - उत्तरप्रदेश
     आंखें ही दिनचर्या को परिवर्तित तथा जनसमूह को आकर्षित करती  हैं। जो खान पान के ऊपर निर्भर करता हैं। हमेंशा बड़े बुजुर्ग कहा करते थे, प्रातः काल उठों और दुबारी के ऊपर चलने से आंखों की रोशनी तेज होती हैं।  समय बदला, ॠतुएं बदली धीरे-धीरे आंखों की चमक कम होते जा रही हैं, पूर्व में कम मात्रा में,  आंखों में चस्मा हुआ करता था,  अब चश्मा लगाना फैशन बन गया हैं। पहले कार्यालयीन कार्यों में हस्तलिपि हुआ करती थी, एक समयसीमा होती थी, कार्य करने की।  अब सभी प्रकार के कार्यों को अंजाम दिया जा रहा हैं, कम्प्यूटर के माध्यम से देर समय तक कार्य किया जा रहा हैं।
      अध्ययन-अध्यापनरत, व्हाटसाप,  फेसबुक, दूरदर्शन में चलचित्र, तकनीकी संबंधी कार्य,  वाहनों को चलाने, सिलाई बुनाई, कारख़ानों, उद्योगों में कामगार, जिनके  कमर,पीठ, गर्दन तथा आंखों की रोशनियों पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा हैं। तेज हवाओं की धूलों भी आंखों को प्रभावित करती हैं। कईयों की आंखों की रोशनी असमय प्रभावित होती हैं, जिससे मोतियाबिंद आदि बीमारियों का शिकार होना पड़ता हैं। जिसके कारण नंबरों के चश्मे बदलने पड़ते हैं। आंखों की रोशनी को पुनः स्थापित करने आपरेशन भी किये जाते हैं, जिनकी ज्यादातर आंखें प्रभावित होती हैं, उन्हें दूसरों की आंखें तथा बकरे बकरी की आंखें लगाई जाती हैं।  जीवित अवस्था में आंखें दान का भी सिलसिला चल रहा हैं। 
- आचार्य डॉ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
 बालाघाट - मध्यप्रदेश
कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देश में लाॅकडाउन लगाया गया । स्वास्थ्य  , सुरक्षा  , बैंकिंग व आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति जैसी सेवाओं के इलावा स्कूल - कालेज , आफिस - कार्यालय  , कम्पनियां - फैक्टरियाँ  , उद्योग आदि बंद कर दिए गए । अधिकांश कार्यालयी कार्य घर से आनलाइन ही किए जाने लगे । लैपटॉप  , मोबाइल फोन के जरिए कार्य निपटाया जाने लगा । एक तो मोबाइल फोन की स्क्रीन की ब्राइटनैस से आँखों पर ज्यादा असर पड़ता है । ये उपकरण इलैक्टरोमैग्नैटिक रेडिएशन छोड़ते हैं जो मनुष्य के लिए हानिकारक होती हैं । दूसरे लगातार फोन पर एकटक नजरें गड़ाए रखने से आँखों को नुकसान होता है । वजह यह है कि पलकों की ब्लिंकिंग रेट कम हो जाती है । सामान्यतया प्रति मिनट 12 से 14 दफा पलक झपकनी चाहिए लेकिन कम्प्यूटर , लैपटॉप व मोबाइल फोन पर कार्य करते रहने से ब्लिंकिंग रेट आधी रह जाती है यानि प्रति मिनट यह 6 से 7 दफा ही हो पाती है । आनलाइन वर्क  , आनलाइन स्टडी आँखों पर ज्यादा दबाव डालती है । इसके इलावा कामकाजी के लिए मनोरंजन और समय बिताने के लिए टेलीविजन देखना और छात्रों का आनलाइन स्टडी के इलावा मोबाइल गेमस खेलना आँखों पर असर तो डालेगा ही । 
- अनिल शर्मा नील 
 बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
वर्क फॉम होम से आँखें प्रभावित हो रही है नही ऐसा नही है आँखें ख़राब वर्क से नही बल्कि वर्क के तनाव से जल्द प्रभावित होती हैं बच्चों को स्कूल की तरह स्वतंत्रता पूर्वक वर्क करने दें बड़े अपने कार्य के दबाव से मुक्त हो कर बच्चों के साथ बैठे तथा उनके फ़्री स्टाइल में काम करने के लिए प्रेरित करें न कि जल्दी समाप्त करने के लिए दबाव बनाए अभिभावकों को अपने मस्तिष्क के हिसाब से नहीं सोचना चाहिए बल्कि बच्चों के हिसाब से सोचें । आँखों को प्रयोग करते समय ध्यान रखें थकान न हो कभी कभी ऐसा होता है कि वर्क पूरा करने के लिए थकान को इग्नोर कर देते हैं । 
 थकान को दूर करने के लिए खाने में पोषक तत्वों का विशेष ध्यान रखें आँखों को स्वस्थ रखने के लिए आँवला जूस कैन्डी, फल व सब्ज़ियों आदि का बच्चों के लिए प्रयोग करें ।
वर्क करते समय आँखों को ठंडे पानी से धोने का बार-बार ध्यान रखें ताकि आँखों में गर्मी महसूस न हो ।
 फिर भी ये कह सकते हैं कि आँखों को लेकर ये वर्क फॉम होम का तरीक़ा बिल्कुल भी ठीक नही है वर्क लोड कम करना चाहिए ।
आमतौर थकान की स्थिति या ज़्यादा वर्क करने सम्बंधी गतिविधियाँ जिनके लिए कंप्यूटर स्क्रीन या स्मार्टफोन में मिले चमक और झिलमिलाहट पर ध्यान केंद्रित करने, लिखने, ध्यान केंद्रित करने जैसे कार्यों के लिए निरंतर गतिविधि और आंखों का ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता होती है. मोबाइल और कम्प्यूटर पर वर्क के अलावा वीडियो गेम जैसी गतिविधि शरीर के साथ-साथ कंप्यूटर दृष्टि सिंड्रोम में अधिक गंभीर बीमारियों की उपस्थिति जो लगभग 50 से 60% बच्चों को हिट करती है जो दैनिक आधार पर कंप्यूटर स्क्रीन का उपयोग करते हैं और लंबे समय तक, इस स्थिति में बने रहते हैं प्रभावित होते हैं ।
 उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए बच्चों के स्वास्थ्य की ज़िम्मेदारी बड़ों पर है ज़िम्मेदार गार्जियन होने के नाते ध्यान रखें ।
- डॉ भूपेन्द्र कुमार 
 बिजनौर - उत्तर प्रदेश
ये बात सत्य है कोरोना संक्रमण के फैलने से लॉक डाउन की स्थिति बनी जिसके कारण घर पर रहकर ऑनलाइन माध्यम बना कार्य करने का ऑफिस से लेकर स्कूल तक की क्लास ऑनल लगाई गई जिस के कारण कई कई घण्टे मोबाइल लैपटाप पर कार्य करना पड़ता जिसके कारण सिर मे दर्द आँखो मे पानी धुंधले पन की शिकायत रहने लगी लॉक डाउन के कारण बच्चो की पढ़ाई ऑनल लाइन हो रही है कई घण्टे बच्चा मोबाइल मे लगा रहेगा तो आँखे प्रभावित ताे होगी जी बिल्कुल आँखें वर्क फॉम होम से प्रभावित हो रही है बच्चों को आँखो से सम्बधित कई बिमारियों का सामना करना पड़ रहा है। छः से आठ घण्टे ऑन लाइन कार्य करेगे तो आँखे प्रभावित निश्चित रूप से होगी। मेरा मानना है सरकार को कुछ विचार करना होगा नही तो अभी समस्या कोरोना की हैै आने वाले समय मे आँखो सम्बधित समस्या उत्पन्न होगी आँखो को आराम चाहिए ऑनलाइन वर्क फोम होम से आँखो के  रेटीना पर असर पड़ता हैै अव परिस्थिति की माँग है ऑनलाइन बड़ी समस्या है इससे निबटना होगा।
ऑनलाइन का ज़माना
आँखो को अपनी बचाना I
 समस्या हुई ये भारी
बच्चे करे पढ़ाई की तैयारी
फैल रही आँखो की बिमारी
पानी बहता धुंधला पन  सिर मे रहता दर्द
ऑनलाइन से ना छुट्टी ढूढो कोई इसका मर्ज
बच्चे बूढ़े और जवान
इस समस्या से है परेशान
ऑनलाइन वर्क फॉम होम से
मिलें मुक्ति हो छुट्टी' ।।
- नीमा शर्मा हंसमुख
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
 जी हां वर्क फ्रॉम होम से प्रभावित हो रही है आंखें जब से वैश्विक महामारी करो ना आया है तब से लोग परेशान हैं इस परेशानी से बचने के लिए लोग अनेक प्रकार के उपाय अपना रहे हैं उसी में से एक उपाय हैं लाख डाउन लाभ डाउन से चलते लोग बाहर नहीं निकल पा रहे हैं अपना समय और कार्य घर बैठे ही कर रहे हैं आंशिक तौर पर कुछ कार्य हो रहा है तो घर पर पूरे कार्य हो रहे हैं ऐसी स्थिति में अंश कार्य के तौर पर लैपटॉप और मोबाइल फोन के माध्यम से काम लिया जा रहा है बार-बार लैपटॉप और मोबाइल पर आंखें बड़ी रहने से आंखों मे धुंधलाहट और जलन हो रही है। छोटे बच्चे भी मोबाइल का उपयोग करने लगे हैं क्योंकि सरकार ने ऑनलाइन द्वारा बच्चों को पढ़ाने के लिए कहा जा रहा है इसका ज्यादा प्रभाव छोटे बच्चों पर पड़ रहा है बच्चों की आंखों में आंसू एवं कसक जैसी स्थिति बन रही है बड़े लोग भी हाथ में मोबाइल पकड़ करके ज्यादा देर तक पढ़ाने से जलन हो रही है एवं आंखों में जलन और कुछ कुछ परेशानियां भी आ रही है करुणा की मार से सभी परेशान हैं मोबाइल से पढ़ना यह प्राकृतिक नियम नहीं है मानव द्वारा जो सांस्कृतिक नियम बनाई गई है वह समस्यात्मक की होता है समाधान नहीं होता प्रकृति के नियम से ही किया गया कार्य समाधान इस होता है अतः सबके लिए प्रकृति के नियम के अनुसार जीना है सुखद होता है टेक्नोलॉजी की दुनिया में मनुष्य अपने को धुरंधर और बहुत होशियार मानता है लेकिन प्रकृति के सामने लाचार हो जाता है अतः मनुष्य को प्रकृति के साथ तालमेल पुरवा की तरह से जिया जाए इसके बारे में पहुंचने और चिंतन करने की आवश्यकता क्योंकि मनुष्य में ही सोचने समझने की शक्ति होती है मनुष्य की ताकत होती है इस ताकत को प्रकृति की व्यवस्था में लगाना चाहिए और प्रकृति के साथ तालमेल पुरवा जीना चाहिए ताकि सभी की व्यवस्था बनी रहे मनुष्य का वर्तमान में बौद्धिक ज्ञान की कमी है और भौतिक विज्ञान की अधिकता हो गई है जो विनाश की ओर जा रहा है इसी को समझना और समझ कर देना ही मनुष्य का परम कर्तव्य है नहीं तो यह धरती धीरे-धीरे विनाश की ओर जाएगी और मनुष्य का अस्तित्व खत्म हो जाएगा अतः अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए मनुष्य को भौतिकता की  बबीता और वास्तविकता पर ध्यान देना चाहिए तभी मनुष्य का जीना संभव हो पाएगा आडंबर दुनिया में परेशानी ही परेशानी है करुणा के आने के बाद ही कुछ लोगों को पता चला है कि वास्तविक जिंदगी क्या है और दिखावटी जिंदगी क्या है जिसको आपका नंबर भी खाते हैं आडंबर पर मनुष्य आलीशान बंगला मोटर कार तब बना लिया है लेकिन सुखी नहीं है करुणा की चपेट में कुछ आलीशान बंगला मोटर वाले मनुष्य मर गया क्या मिला नहीं कर पाया ऐसी आडंबर जिंदगी की वजह है सभी के साथ तालमेल पूर्वक जीना प्रगति को ध्यान में रखते हुए जीना मनुष्य के साथ प्रेम पूर्वक जीना सभी के साथ विश्वास ने अभाव से जीना ही मनुष्य का मानत्व है अपने मानत्व में जीना ही मनुष्य का गर्व है मनुष्य गौरवान्वित हो करके जीता है यही उसका वैभव है अतः अपनी वैभव के साथ जीते हुए प्रकृति की वैभव को बनाए रखना है मनुष्य का पहचान है अपने पहचान को बनाए रखना और करोड़ों को हराकर के प्रकृति के विकास के लिए भागीदारी करना ही मनुष्य का परम धर्म है।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
 ढ़ाई महीने का वक्त बीत चुका है ,पहले लाॅक डाउन था और अब मन का डर लोगों को घर से ही काम करने को मजबूर कर रहा है ।घर और दफ्तर के काम करने की सुविधा में अन्तर होता है ।काम करते समय लोंगों को देख कर या बातें करके ही आँखे आराम ले लेती हैं ।घर पर काम खत्म करने की बेचैनी होती है ,निरंतर आँखे स्क्रीन से चिपकी रहती हैं।थोड़ा सर्दी जुकाम होने पर तो आँखें लाल हो जाती हैं, पानी बहने लगता है ,आठ-आठ घंटो का काम निरंतर ,आँखे तो प्रभावित होंगी ही ।अति सर्वत्र वर्जित ।बहुत से लोगों को आंँखों में खुजली ,लाल होना सूखापन ,आंँखें भारी होना जैसी समस्यायें आरही हैं ।अतः मेरा मानना यही है ,वर्क फाॅम से आज नही तो  कल आँखें प्रभावित होंगी ही ।
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
वर्क फ्रॉम होम से आँखें ही नहीं शरीर भी प्रभावित हो रहा है। अॉफिस के काम हों, स्कूल की अॉनलाइन पढ़ाई हो... सभी काम घर से मोबाइल, कंप्यूटर, लैपटाप द्वारा हो रहे हैं। सभी नौकरीपेशा लोग, शिक्षक,विद्यार्थी इन्हीं पर काम कर रहे हैं। ऐसे में इन पर आँखें गड़ाए गर्दन, कमर में दर्द, आँखों में दर्द, जलन, पानी आना जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो गयी हैं, इसी के कारण नींद पूरी नहीं होती, काम और पढ़ने-पढ़ाने की तैयारी में लगे रहना पड़ता है, कोई नियमित दिनचर्या सोने, खाने और आराम की नहीं बन पाती है तो आँखें क्या, शरीर, और संबंध भी प्रभावित हो रहें हैं। घरों में चिड़चिड़ाहट का वातावरण पंप रहा है।
         जब तक घर से काम करना चलना रहेगा तब तक इन समस्याओं से जूझना ही है, तो अपनी विवेक/बुद्धि का प्रयोग करते हुए ही इनसे पार पाना होगा।
         स्थिति तब और खराब लगती है जब घर पर रह कर, इतना मर-मर कर काम करने के बाद भी सैलरी समय पर नहीं मिलती, आधी मिलती है। जब घर पर रह कर पूरा काम लिया जा रहा है तो पैसे पूरे देने में इतना मुश्किल क्यों हो रही है... यह समझ में नहीं आता। जो भी हो, आजीविका और घर-परिवार चलाना विवशता है तो स्वास्थ्य के मूल्य पर भी सब झेल रहे हैं।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून -  उत्तराखंड
बहुत ही रोचक विषय है वर्क फ्रॉम होम में घर से ही बैठकर डिजिटल के माध्यम से सभी प्रकार के ऑफिशियल कार्य को किया जा रहा है स्वाभाविक है इस जीवन शैली में आंख की भूमिका अत्यधिक है आंख क्या ज्ञानेंद्रिय की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है आंखों पर प्रेशर बहुत अधिक रहता है जिसके कारण कम उम्र से ही चश्मे का इस्तेमाल होने लगता है आंखों की रोशनी में एक पावर आ जाता है दो दशक पहले यह पहलू बहुत ही जागरूक करने वाला था पर आज वर्तमान समय में इसे स्वीकार लिया गया है और मनसे माता पिता परिवार वाले तैयार रहते हैं कि आंखों में तो पावर आ ही जाएगा आंखों के नीचे गहरा कालापन हो जाना यह डिजिटल का ही तो परिणाम है अब तो वैश्विक महामारी के समय डिजिटल की उपयोगिता बढ़ गई है घर से दूर जाना नहीं और घर में रहकर सभी कार्यों को करना है ऐसी परिस्थिति में एकमात्र सहारा है स्मार्टफोन और लैपटॉप।
आंखों की सुरक्षा के लिए या तो डिजिटल पर कार्य करने के समय जिन्हें आंखों में पावर नहीं भी है वह भी सुरक्षा के ख्याल से चश्मे का प्रयोग करें साथ ही खानपान में विटामिन ए त्रिफला से आंख धोने की परंपरा शुरू करें त्रिफला का पानी से आंख धोने से आंखों में पावर आने का चांसेस कम रहता है
इसलिए वर्क फ्रॉम होम से आंखों के नीचे कालापन और आंखों में पावर आना एक स्वाभाविक प्रक्रिया मानी जा रही है
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
कोरोना वैश्विक महामारी के दौरान हिंदुस्तान समेत विश्व भर में सरकारों के निर्देश पर सरकारी कर्मचारियों ने लॉक डाऊन के दौरान घर पर रह कर कार्यालय के अधिकांश कार्य निपटाए ।
कम्पनियों और सरकारी उपक्रमों द्वारा अपने कर्मचारियों को प्रोग्रेस के हिसाब से वेतन दिया गया ।
उधर कर्मचारियों ने भी घर बैठे बारह से अठारह घंटों तक कार्य  किया जिसका उन्हें उचित भुगतान भी नहीं मिल सका और उन के स्वास्थ्य पर भी इस ओवर वर्क का विपरीत प्रभाव पडा । इन कर्मचारियों को आंखों, कानों, शरीर मेँ सुन्नगी, और अन्य कई प्रकार की अनेक समस्याएँ पैदा हो गई । मुख्य तौर पर कर्मचारी वर्ग आंखों की समस्या से प्रभावित हो गये हैं ।। 
- सुरेन्द्र मिन्हास
 बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
                  हम सभी अपने जीवन में सबसे ज्यादा काम आंखों से लेते हैं लेकिन  आंखों के बारे में या आंखों के स्वास्थ्य के बारे में बहुत कम विचार करते हैं ।वर्क फ्रॉम होम अर्थात घर से ही काम का सिलसिला लॉक डाउन के दौरान प्रारंभ हुआ और इस दौरान अधिकांश लोगों ने अपने कंप्यूटर अथवा लैपटॉप पर घर में ही रहते हुए काम किया। इनके इस्तेमाल में एक बात प्रायः देखी गई कि बहुत से लोगों ने अपने स्टडी टेबल पर लैपटॉप या कंप्यूटर को न रखकर इन्हें बिस्तर पर या टांगों पर ही रख कर घंटों  काम किया ।स्क्रीन आंखों के समानांतर नहीं रही और इसका असर बहुत  हानिकारक पड़ा ।आंखों के समानांतर स्क्रीन ना होने के कारण आंखों पर बहुत अधिक जोर पड़ता है ।इससे आंखों में स्ट्रेन या आंखों में सूखेपन जिसे ड्राई आइज कहते हैं की समस्या का सामना करना पड़ा । मैं विचार करता हूं कि वर्क फ्रॉम होम  समय को देखते हुए एक अच्छा प्रयास था लेकिन इससे आंखों की समस्याएं बहुत ज्यादा बड़ी है। इस दौरान लोगों ने मोबाइल स्क्रीन पर भी अपनी नजरें गड़ाए रखी। इन सभी चीजों का आंखों के स्वास्थ्य पर बहुत हानिकारक असर पड़ा। मेरे दृष्टिकोंण में वर्क फ्रॉम होम  समय के अनुकूल प्रयास था लेकिन इससे आंखों की बहुत सारी समस्याएं आना प्रारम्भ हो गई हैं ।
  - डॉ अरविंद श्रीवास्तव 'असीम '
 दतिया - मध्य प्रदेश
कोरोना काल के लॉकडाउन के दौरान ही भारत सरकार के आदेश पर सरकारी हो या गैर सरकारी सभी अधिकारियों को घर से ही काम करने को कहा गया था, ताकि कोरोना वायरस   संक्रमण से बचा जा सके। हालांकि सरकार वर्तमान समय मे कार्यालयों में आधी संख्या में अधिकारियों व कर्मचारियों से काम करवा रही है। बाकि को घर से ही काम करना पड़ रहा है। इस स्थिति में घर पर काम करने से आंखे प्रभावित हो रही है। इसका कारण है कि कार्यालय में जो भी लोग कम्प्यूटर पर काम करते है। उनको प्रयाप्त रौशनी मिलती है। साथ ही कम्प्यूटर से काम करने वाले व्यक्ति की दूरी होती है। वहीं घर पर लैपटॉप या फिर मोबाईल पर काम करना पड़ता है। अब घर मे बिजली नहीं तब भी काम चलते रहता है। अब घर पर जरूरत के अनुसार रौशनी नहीं मिलने के कारण आंखों पर अधिक दबाव पड़ता है। जिसके कारण आँखें प्रभावित हो रही हैं। जमशेदपुर आई हॉस्पिटल के डॉक्टरों नितिन धीरा ने बताया कि सरकारी या प्राइवेट कंपनियों में काम करनेवालों की आँखों के इलाज के क्रम में शिकायत रहती है कि उनको ठीक से दिखाई नहीं दे रहा है। पूछे जाने पर मरीज बताते हैं कि घर से ही उनको काम करना पड़ रहा है। इसलिए बिजली नहीं रहने पर भी उनलोगों को मोबाईल पर काम करना पड़ता  है। घर पर काम करने से आंखें 
प्रभावित हो रही है। वहीं कोरोना वायरस संक्रमण के मामले देश मे जिस तेजी से बढ़ रहे हैं। आने वाले कई महिनों तक घर से ही कार्यालयों के काम निपटना होगा। केन्द्र सरकार की ओर से लॉकडाउन में सुबह 7 बजे से लेकर रात 9 बजे तक कोरोना के कारण छूट दी गई है, लेकिन फिर से पूरे देश मे फुलटाइम लॉकडाउन कब से लागू हो जाय कहना मुश्किल है, क्यों कोरोना पर नियंत्रण तब तक नहीं हो सकता जब तक इसकी दवा बाजार में नहीं आ जाता।
- अंकिता सिन्हा साहित्यकार
जमशेदपुर - झारखंड
आँखे तो कोरोना वायरस एव उसकी रोकथाम के रूप में किये गये उपायों से भी प्रभावित हुई हैं। कोरोना वायरस को रोकने के लिये दुनियाँ भर में अपनाया गया लाॅकडाउन लगाया गया जो काफी कारगर उपाय साबित हुवा लोग घरो में लाक हो गये अब लोग सब दूर से पुरी तरह से टेंशन मुक्त हो गये पर समस्या यह हो गई की अब घर पर करे क्या ? तो दो काम थे टी वी ओर मोबाईल ओर हर व्यक्ती टी वी ओर मोबाईल पर लग गया फिर कार्य की महत्ता को देखते हुये वर्क फाॅन होम सुरू हुवा टी वी मोबाईल ओर अब लेफटाप तिनो पर काम सुरू हुवा अब काम हो या मनोरंजन हो फील्म देखना हो गाने सुन्ना हो या गेम खेलना हो सब के सब घर बैठे सुरू हो गये ओर ऐसे भिड़े की घन्टो से एक जगह आखे गड़ाकर लगे रहे अब उसके परिणाम स्वरूप आंखें तो प्रभावित हो रही हैं प्रभावित तो दुर मैं कहता हु की इस कोरोना वायरस एव लाॅकडाउन में सबसे ज्यादा लोगों की आंखें ही खराब होगी।
- कुन्दन पाटिल 
देवास - मध्य प्रदेश
      "तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है" - - - - मधुर मधुरम यह गीत सभी ने सुना होगा और जीवन में आँखों की अहमियत जानी और मानी होगी--निःसंदेह कोरोना बैरी के चलते वर्क फ्राॅम होम की व्यवस्था ने आँखो को कुछ बीमार कुछ अव्यवस्थित तो अवश्य किया है। लैपटॉप पर चिपकी आँखें आसपास कुछ सुनकर भी देखना नहीं चाहतीं कि-- डाटा गलत ना हो जाए कि-- काॅल पर चल रही वीडियो कांफ्रेंसिंग में खलल ना पड़ जाये।
         आॅफिशियल माहौल क्रियेट करने के लिए घर को बरबस साउंड प्रूफ रखना पड़ता है। इस चक्कर में एक ही स्थान पर बैठे बैठे आँखों में तो तारे नाचते हैं ही कमर हाथ पैर की अकड़न अलग कष्ट देती है। तात्पर्य यही कि" घर पर कार्य" यह कुछ दिनों के लिए तो स्वीकार्य है परंतु लांग-टर्म के लिए स्वागत योग्य नहीं है।
    स्क्रीन पर घूमते अक्षर कभी-कभी तारे जमीन पर पिक्चर की तरह आँखों के आसपास नाचने लगते हैं क्योंकि घर तो घर है--बिस्तर भी टेबल के बदले काम देता है - - आँख तब खुलती है जब बंद होने लगती है अनजानी सी थकान से। भई आँखों के लेंस हैं कैमरे के थोड़ी हैं जो हर कोण से स्क्रीन पर फिट हो जाएं। आँखे तो आँखे काम भी प्रभावित!!
           स्कूली बच्चों और कालेज गोईंग यूथ पर भी यह" प्रोजेक्ट वर्क फ्राम होम" उतना ही कष्ट दायी है। दुआ करें कि बेशरम कोरोना भागे--
       और हम, हमारा समाज, हमारा देश, हमारा विश्व और हमारा ब्रम्हांड बढे़ आगे---आगे आगे अंतरिक्ष के पार---कि
     सितारों से आगे जहां और भी हैं मगर
      अभी इस जहां के इम्तहां और भी हैं -
- हेमलता मिश्र "मानवी"
 नागपुर - महाराष्ट्र
वर्क फ्रॉम होम का फायदा सिर्फ लोगों को नहीं बल्कि ग्लोबल वार्मिंग जैसे समस्या से निजात  मिलेगी। 
दुनिया का विकास बीते एक-दो दशकों में जो हुआ है उसका कारण:- इंटरनेट स्मार्टफोन लैपटॉप जैसी चीजों से घर बैठे ऑनलाइन कार्य करना, शॉपिंग शिक्षण मनोरंजन व्यापार जैसे कई काम घर बैठकर करने लगे जिसके कारण नव युवक को कम उम्र में ही आंखो मैं काले घेरे बनना शुरू हो गया यह बहुत बड़ी समस्या उत्पन्न हो रहा है। इसके लिए कुछ नियम बनाया गया है उसको पालन करना जरूरी है जैसे नेट से आपके ऑख के दूरी रखना, स्पेशल टाइप का चश्मा का प्रयोग करना चाहिए। बीच-बीच में ब्रेक लेना चाहिए। 24×7 लोग न बैठे।
आंख की समस्या उत्पन्न हो रही है लेकिन ऊपर दिए हुए बातों को ध्यान रखा जाए तो आंख प्रभावित होने में समय लगेगा।
कई ऐसे सेक्टर है जहां वर्क फ्रॉम होम होना मुश्किल है जैसे:- इंजीनियरिंग, निर्माण क्षेत्र,रियल स्टेट,मेडिकल, टूरिज्म आदि में ऑनलाइन संपन्न नहीं कराया जा सकता है।
वर्क फ्रॉम होम का फायदा लोगों को नहीं बल्कि ग्लोबल वार्मिंग जैसे समस्या से निजात मिलेगी।
लेखक का विचार:- वर्क फ्रॉम होम से आंख प्रभावित हो रही है लेकिन उसके नियम से चलने पर और नवयुवक समस्या का समाधान है।
- विजेंयेद्र मोहन
बोकारो - झारखंड
पहले कहते रहे कि कंप्यूटर और मोबाइल से ज्यादा देर तक ना चिपके रहें उनसे निकलने वाला रेडिएशन बहुत बेकार होता है या  स्वास्थ को हानी पहुँचाता है।अब समय ये है कि बाहर मत निकलो,ऑफिस मत आओ और स्कूल नहीं जाना पर अपना मोबाइल,लैपटॉप और कंप्यूटर साथ रखना।वो खराब और बुरा कहलाने वाला रेडिएसन भी इतना समझदार है कि सोचता है चलो जाने दो अभी कोरोना काल चल रहा है तो अभी नुकसान नहीं पहुंचाऊंगा।
         बदलाव हुआ और स्कूल तथा ऑफिस घर ही आ गए हैं।"वर्क फ्रॉम होम" के माध्यम से।लोगों को इन काम मिल रहा है ऑफिसों से कि बहुत लंबे समय तक इनकी स्क्रीन में ही अपनी आंखें गड़ाए रहते हैं।जिनका असर स्वास्थ पर तो पड़ता ही है परन्तु सबसे ज्यादा और सबसे पहले दुष्प्रभाव सीधे आंखों पर पड़ता है।आंखों का इतना बुरा हाल होता जा रहा है कि आंखों से नींद गायब है।उनमें  तनाव आने लगा है।
           अगर वर्क फ्रॉम होम चलता रहा तो इसका दुष्प्रभाव और भी बढ़ेगा।जिसका सीधा और सर्वप्रथम शिकार हमारी आँखें ही होंगी।हालांकि बाजार में आंखों की सुरक्षा के लिए तरह -तरह के उपायों की उपलब्धता बताई जाती है परंतु लंबे समय की अवधि में वे भी उतने कारगर सिद्ध नहीं होते।तो वर्क फ्रॉम होम का बुरा और सीधा असर आंखों पर पड़ना निश्चित है।
- नरेश सिंह नयाल
देहरादून - उत्तराखंड
अॉखें तो प्रभावित हुई ही है इन दिनों। वर्क फ्राम होम के कारण अधिक समय लेपटाप या डेस्कटाप का प्रयोग करने से। जिन्होंने काम नहीं किया उनकी आंखें मोबाइल और लेपटाप पर लेखन,फिल्म देखना,चैटिंग करना के कारण,पढ़ना आदि के कारण प्रभावित हुई। छात्र तो आजकल आनलाइन पढ़ाई कर ही रहे हैं। इन दिनों आंखों में जलन,लाल होना,खाज आना,थकान होना, रोशनी सहन न कर पाना जैसी समस्याएं बढ़ी है। चश्मे का नं भी तेजी से बढ़ा है। यह समस्या 99% लोगों के साथ हो रही है।कुछ महसूस कर रहे हैं,कुछ नहीं। लेकिन आंखें प्रभावित हो रही है। देर रात तक मोबाइल का प्रयोग भी इसका एक कारण है।लेपटाप, मोबाइल का कम प्रयोग करें।यह कम प्रयोग की बात व्यवहारिक नहीं होगी शायद।प्रयोग न करें तो काम कैसे होगा? काम तो करना ही होगा। ,  अब इस समस्या से निपटा कैसे जाएं। चिकित्सकों की सलाह लें।ठंडे,ताजे पानी से दिन में कई बार आंखों को धोएं। विटामिन ए से भरपूर खाद्य सामग्री,फल,सब्जी सेवन करें। खीरे के टुकड़े आंखों पर रखकर उनको सुकून दिया जा सकता है।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर -  उत्तर प्रदेश
वर्क फ्रॉम होम के कारण सभी का जहां काम आसान हो गया है वहीं पर आंखों को बहुत तकलीफ हो रही है जलन हो रही है क्योंकि सारा दिन लोग टीवी मोबाइल लैपटॉप के मैं ही अपना काम कर रहे हैं इस कारण से उन्हें थकान बहुत रहने लग गई है और उनका काम बढ़ गया है।सभी को चाहिए कि काम के साथ-साथ अपने आंखों और शरीर का बहुत ध्यान रखें आंखों को बार बार ठंडे पानी से धोएं और लैपटॉप और कंप्यूटर पर काम करते समय आपसही तरीके से बैठे नहीं तो आपके कमर में भी दर्द हो जाएगा और जॉइंट ही भी प्रॉब्लम हो जाएगी अपने काम के साथ-साथ हमें अपने शरीर का भी बहुत ध्यान देना है पौष्टिक आहार लेना है हमें और साथ ही साथ विटामिन ए के लिए पपीता गाजर पालक आदि चीजें खानी है जिससे हमारी आंखें भी अच्छी रहे अपना आपका बहुत ध्यान देना है और ध्यान देते हुए हमें काम करना है तन मन स्वस्थ रहेगा तभी  हम काम कर सकेंगे।
स्वस्थ रहो मस्त रहो
- प्रीति मिश्रा
 जबलपुर - मध्य प्रदेश
जैसा कि सर्वविदित है कि मानव एक सामाजिक प्राणी है।बिना समाज के उसकी कल्पना सम्भव नहीं है।विगत ढाई महीनों से लॉक डाउन के चलते लोगों को समाज से दूरी बनाकर चलना पड़ रहा है। आज तो हालत यह आ गए हैं कि लोगों को अपनी जीविका हेतु कार्य भी घर पर बैठकर तकनीकी के माध्यम से करना पड़ रहा है।
   लगातार कम्प्यूटर तथा मोबाईल फोन पर कार्य करने के कारण लोगों की आंखें बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं। न केवल आंखें ही अपितु मानसिक तनाव भी लोगों का बढ़ रहा है।लोगों को सावधानी बरतते हुए बीच बीच में अपनी आंखों को विश्राम देना चाहिए।इस मुश्किल घड़ी में कार्य का दबाव तो लोगों पर है ही परन्तु सावधानी से चलते हुए अपनी सेहत और आंखों को आराम देने का प्रयास अवश्य करना चाहिए।
- डॉ.विभा जोशी (विभूति)
दिल्ली 
कोरोनावायरस के फैलते प्रकोप और लॉकडाउन की वजह से कई कंपनियों ने वर्क फ्रॉम होम की सुविधा दी ताकि 'कॉम्यूनिटी ट्रांसमिशन' को रोका जा सके। जहां सुविधाओं से कुछ फायदे होते हैं वहीं कुछ नुकसान भी। जो सहूलियतें ऑफिस में मिलती हैं वह हर व्यक्ति के घर में मौजूद नहीं होतीं। जैसे--समुचित लाइट की व्यवस्था न होना, बैठने का सटीक जगह न होना, बेढंगे तरीके से बैठकर काम करना, 8 घंटे की जगह 10 घंटे काम करना आदि समस्याओं का दुष्प्रभाव नि:संदेह आंखों को प्रभावित कर रहा है।
      समयानुसार चीजें काफी बदली हैं। काम को वक्त पर पूरा करने का मानसिक दबाव भी रहता है। घर से काम करने का निश्चित टाइम नहीं होता। कई घंटा एक्स्ट्रा भी काम करना पड़ता है। रात 1या 2 बजे तक ग्रुप डिस्कशन चलता रहता है। लैपटॉप के स्क्रीन पर आंखें जमी रहती है जब तक काम पूर्ण न हो जाए।
    युवा हो स्कूली बच्चे ऑनलाइन कार्य करने की वजह से ज्यादातर समय स्क्रीन पर आंखें गड़ाए रहने से आंखों का लाल होना, आंखों में सूजन होना, आंखों में पानी आना जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। वर्क फ्रॉम होम में 8-10 घंटे लैपटॉप पर कार्य करना , घर पर होने के कारण टीवी देखना, मोबाइल पर भी बेब सीरीज देखते रहना  किसी ना किसी रूप में स्क्रीन पर आंखें गड़ाए रहना, आंखों के लिए अहितकारी साबित हो रहा है। 
    आंख हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण एवं बहुमूल्य अंग है। वर्क फ्रॉम होम करने वाले युवाओं को अपनी आंखों को सुरक्षित रखने हेतु चाहिए कि बीच-बीच में बाहर खुली हवा में थोड़ी देर घूमकर पलकों को झपकाएं,  ठंडे पानी से आंखों को धोएं, इससे आंखों में जलन होने से बचाया जा सकता है। सोते वक्त आंखों पर गुलाब जल की रूई की पट्टी भिगोकर रखें या खीरा का स्लाइस काट कर रखें। इससे आंखें आपकी स्वस्थ रहेंगीं।
    नि:संदेह वर्क फ्रॉम होम में उचित सुविधाएं उपलब्ध ना होने के कारण आंखें प्रभावित हो रही हैं पर सावधानियां बरतते हुए अपनी आंखों को स्वस्थ रख सकते हैं। आंख है तो जहान है। इस बात को हमेशा ध्यान में रखें।
                          -  सुनीता रानी राठौर
                            ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
आज का युग तकनीकी युग का है! वैसे भी आजकल कम्प्यूटर,  मोबाइल, लैपटॉप पर ही सब कार्य होने लगे  हैं! आफिस में  भी कार्य इसी पर आंख गडाए करते थे और घर पर भी !
हां बच्चों के लिए  यह विकट समस्या हो गई  है! सारा दिन टीवी और मोबाइल में आंख गडा़ए रहते थे अब पढाई भी आनलाईन! 
इसमे कोई दो राय नहीं है लगातार कम्प्यूटर, लैपटॉप पर काम करने से आंखों में  जोर पड़ता है, दबाव पड़ने से आंखों में  जलन, ड्रायनेस आ जाती है! लैपटॉप से आने वाली रेस हमारी आंखों को नुकसान पहूंचाती है! वैसे लगातार जो इसपर कार्य करते हैं  वे बचाव के लिए अलग चश्मा भी पहनते हैं जो खास आंखों को बचाने की दृष्टिकोण को लेकर ही बना है फिर भी अति किसी भी चीज के लिये हानिकारक होती है!
आंखों के नीचे कालापन का आना, आँखों का प्रेशर बढ़ना, सिर में दर्द का होना, नींद का न आना बहुत से कारण उत्पन्न हो जाते हैं! 
वैसे भी आजकल पौष्टिक आहार की कमी से पहले ही विटमिन्स की कमी रहती है! 
लगातार एक ही जगह आंखे गड़ाकर रखने से आंखों पर तो जोर आता ही है साथ ही हमारी गर्दन, पीठ और हाथ में  भी दर्द नस के दबने से आ जाता है! 
लगातार कम्प्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल  पर काम करने से मानसिक तनाव भी आता है! 
किंतु तकनीकी युग में अब हमें इसके साथ ही चलना है तो हमें अपने शरीर के अंगों को इसकी आदत देनी होगी उसी के हिसाब से ढालना होगा एवं इससे होने वाले तकलीफों का इलाज स्वयं ढूँढना और करना है !
कोरोना के साथ ही अब जीना है जानकर हमने अपनी जीवनशैली ही बदल दी ठीक उसी तरह तकनीकी युग में हमें इसके साथ ही काम करना है अतः नियम बना लें कैसे करना है! 
पौष्टिक आहार विटामिन डी, सी, के प्रचुर मात्रा में  लें!
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
हाँं यह बिल्कुल सही बात है की वर्क फ्रॉम होम से आँखों का प्रभावित होना अप्रत्याशित नहीं है क्योंकि अधिक देर तक कंप्यूटर या लैपटॉप पर कार्य करने से  निसन्देह आँखों पर प्रभाव पड़ेगा और स्क्रीन से निकलने वाल हानिकारक  विकिरणआँखों की रोशनी को प्रभावित करेंगा लगातार काम करने का प्रभाव और अधिक हानिकारक हो सकता है इससे बचने के लिए स्क्रीन गार्ड का प्रयोग बहुत आवश्यक हो गया है जो किसी हद तक स्क्रीन से निकलने वाली हानिकारक किरणों को सीधे आंखों पर पड़ने से रोकता है  जिससे  आंखों को किसी हद तक सुरक्षा  मिलती है  स्क्रीन पर कार्य करते समय बीच-बीच में थोड़ा आराम करना पलके झपक लेना बहुत आवश्यक है इससे आँखों पर पड़ने वाले प्रभाव को काफी कम किया जा सकता है वर्तमान हालात में इससे बचा तो नहीं जा सकता परन्तु हाँ सावधानी बरतने से इसके प्रभाव को कुछ कम अवश्य किया जा सकता है परन्तु फिर भी आँखों पर प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है ।
- प्रमोद कुमार प्रेम 
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
वर्क फ्रॉम होम यह एक ऐसा तरीका है जो बड़ी-बड़ी कंपनियों का काम कोरोना काल में भी नहीं रुकने पाया । इस तरह की सुविधा ये कंपनियाँ पहले भी देती आई हैं । लेकिन उसके लिए कुछ पाबंदियाँ थीं । अभी तो सभी कर्मचारी इसी सुविधा के तहत काम कर रहे हैं । यहाँ तक की बच्चे भी मोबाइल से ही पढ़ाई कर रहे हैं।
निरन्तर मोबाइल या लैपटॉप पर काम करने वालों के लिए कुछ सावधानियाँ निर्धारित की गईं हैं । जैसे 1 मीटर की दूरी रखना, थोड़ी देर के बाद स्क्रीन से हट कर आंखें बंद करना, अंगुलियों को भी आराम देना। घर से काम करने से इन सभी नियमों का पालन मुश्किल हो जाता है । बच्चों को भी मोबाइल पर काम की आजादी मिल गई है । 2-3 घंटे की लगातार क्लास करने का असर तो आंखों पर पड़ेगा ही । सबसे बड़ी बात कि पोस्चर भी सही नहीं रह पाता । कभी वे लेट कर काम करते हैं , कभी वे बिस्तर पर बैठ कर काम करते हैं उन सब में दूरी का ध्यान नहीं रख पाते और उसका असर उनकी आँखों पर पड़ता है । ऑफिस में निर्धारित समय तक ही काम करना है , लेकिन घर पर समय सीमा समाप्त हो जाती है ।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
महामारी की वजह से आज हर काम ऑनलाइन किया जा रहा है।वर्क फ्रॉम होम का चलन ज़ोरों पर है,कुछ लोगों का मानना है कि इससे आंखों पर बुरा असर पड़ रहा है पर मुझे ऐसा नहीं लगता क्योंकि आजकल ज़्यादा ज़्यादा काम वैसे भी कंप्यूटर,लैपटॉप पर ही होते हैं,चाहे ऑफिस में जाकर करें या घर से करें,तो आंखे तो पहले भीअफेक्टेड होती ही थीं वर्क फ्रॉम होम की वजह से कुछ खास फ़र्क़ नहीं पड़ रहा है आंखों पर
 - संगीता सहाय
रांची - झारखंड
वर्क फ्रॉम होम ने लोगो को मोबाइल और लैपटॉप पर लेकर रोक दिया है । जो मोबाइल पहले ही लोगो की आदत में शुमार था अब वो वर्क फ्रॉम होम लागू करने से उनकी तोजी रोटी का भी एक हिस्सा बन गया । वही बड़े लोगो को तो फिर भी इन सब चीजो की सामझ होती है तो वो लोग जरूरी एहतियात बरत लेते है परंतु वर्क फ्रॉम होम और स्कूलों के ऑनलाइन पठन पाठन की चलने वाली 3 , 4 घण्टो की क्लासों ने बच्चो के मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डाला है और उनकी आंखों छीनने की भरपूर कोशिश की है । दरसल ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे बच्चो में सर दर्द , गर्दन में दर्द व लंबाई में दिक्कत आने जैसी समस्याओं सहित स्पाइन की दिक्कत भी आ सकती है ।
जिसके लिए माँ बाप को ही बच्चो पर ध्यान देने की आवश्यकता है कि बच्चो का मोबाइल लैपटॉप अथवा एलइडी से कनेक्ट कर , उनकी पढ़ाई कराये साथ ही उनके बैठने की अवस्था पर भी ध्यान दें । क्योंकि बच्चा यदि ज्यादा झुक कर पढ़ाई करता है तो वह जल्दी ही गर्दन , सर व कमर के दर्द से पीड़ित हो सकता है । इसीलिए ऑनलाइन क्रियाए न केवल आंखों की रोशनी की दृष्टि से बल्कि स्वास्थ्य की दृष्टि से भी  ध्यान देने योग्य है ।
- परीक्षीत गुप्ता
बिजनौर -  उत्तरप्रदेश
लॉक डाउन के चलते सभी दफ्तरों का काम बंद पड़ गया था।उस समय लोगो को घर से ही लैपटॉप पर काम करने की सलाह दी गई। बड़े पैमाने पर निजी कम्पनियों ने अपने कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम करने को कहा।तब से अबतक लोग अपने घर से ही काम कर रहे हैं। चाहे विद्यार्थी हो या शिक्षक आज सभी लोग ऑनलाइन ही कर रहे हैं जिससे उन्हें घंटो अपने कम्प्यूटर, लैपटॉप या फोन पर ही चिपके रहते हैं।और उसका असर उनकी आँखों पर बहुत अधिक पड़ रहा है। आँखे लाल हो रही है। पानी निकल रहा है। और तो और आँखो में जलन व दर्द तो आम बात है।  
सिर्फ आंखे ही नहीं, सिर में दर्द, कंधे, गर्दन,बाजू ,पीठ यानी कुल मिलाकर पूरे शरीर पर पड़ रहा है। घर के अंदर एक जगह बैठे रहने से, एक ही पोजिशन में लंबे समय तक लोग बैठने को मजबूर हैं।कभी इंटरनेट प्रॉब्लम हो तो कनेक्ट होने में ही काफी समय बर्बादी हो जाता है। अब समय आ गया है कि लोगो को सुबह उठ कर योग या अन्य कोई तरीके अपनाकर खुद को स्वस्थ रख सकते हैं  क्योंकि अभी कोरोना से जंग खत्म होने में लंबा समय लगेगा।।
- सीमा मोंगा
रोहिणी - दिल्ली
कुदरत का अनुपम उपहार हैं आँखें l वर्क फ्रॉम होम ने इन आँखों पर भी बोझ बढा दिया है l कार्यालय में 5-6घंटे काम करते है तो इस अवस्था में 8-10 घंटे काम कर रहें है l लेपटॉप छोड़ा तो, टी. वी. मोबाईल सीरियल देखने लगे, परिणाम आँखों में जलन, दर्द यहाँ तक की रोशनी पर भी प्रतिकूल असर पड़ने लगा है l आँखें बहुत कीमती है हमें इनकी हिफाजत करनी ही चाहिए l दिनभर की थकी आँखों को सुरक्षा देने के लिए प्रातः काल आँखों की रिलेक्शेसन एक्ससाइज करें l प्रातः त्रिफला के पानी से आँखें धोये तथा आई ग्लास में पानी लेकर ऑंखें खोलें और बंद करें इससे डस्ट पार्टिकल भी बाहर आ जायेंगे व स्ट्रेस से राहत भी मिलेगी l 
आप कहीं दूरी पर टारगेट फिक्स कर उसे देखने की कोशिश करें और यह क्रम दाएँ बाएँ भी करें l यदि आँखों में सूजन महसूस हो रही हो तो रुमाल में कुछ टुकड़े लेकर आँखों के पास घुमाएँ, राहत मिलेगी l रात को सोते समय दूध में भीगी कॉटन पेड दस मिनट आँखों पर रखें प्रातः ऑंखें फ्रेश मिलेंगी रात को कमरे में लाइट बंद कर काम नहीं करें l सीधी आँखों पर गिरी रोशनी प्रतिकूल प्रभाव डालती है l 
    विटामिन A की आपूर्ति बनाये रखें इसके लिए गाजर, मूली, पालक, बादाम, काजू, मूंगफली आदि का सेवन करें l आँखों के रक्षण अनुरक्षण हेतु ये कारगर हैं l 
वर्क फ्रॉम होम के दौरान यदि आँखों के नीचे काले घेरे बन गये है तो रात को भीगे चावल का पेस्ट बनाकर चार बूंद शहद डालकर घेरों /सर्किल पर लेप करें दस मिनट बाद धो लें l आँखों का सूखापन, खुजली, जलन का अहसास हो तो हर दो घंटे में दस मिनट का ब्रेक कार्य के दौरान करें l स्क्रीन बीस इंच की दूरी पर रखें l आँखों की सुरक्षा के लिए 20-20फार्मूला अपनाये अर्थात बीस मिनट काम करने के बाद बीस मिनट का ब्रेक लें और बीस फिट दूरी तक देखें आँखों का तनाव कम होगा l दूसरे चरण me बीस सेकेण्ड तक ऑंखें बंद करें, सूखापन नहीं आयेगा l स्क्रीन हमेशा आँखों के नीचे रखें ताकि पलकों से ऑंखें कवर हो सकें l 
स्क्रीन का फॉण्ट साइज सही रखें l कुर्सी ऐसी हो जो रीढ़ और पैरों को सपोट दे l 
चाहें विद्यार्थी हो या शिक्षक अथवा कार्यालय वर्क फ्रॉम होम कार्य करने वाले कार्मिक आँखों
 पर असर तो सभी के पड़ता है l 
          चलते चलते --
1. ध्यान रहे "आँख है तो जहांन है" कई बार ये सोचकर दिल मेरा रो देता है कि मुझे ऐसा क्या पाना था जो मैंने आँखों को हो खो
 दिया l  
2. हर सुबह दुआ देना हसरत है मेरी, हर एक को खुश देखना हसरत है मेरी l 
मैं किसी को याद आऊँ या न आऊँ, सबको दुआओं में याद रखना आदत है मेरी ll
- डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
वर्क फ्राम होम से आंखों के प्रभावित होने का कोई संबंध नहीं है।  हमारी दिनचर्या ही ऐसी बन चुकी है कि मोबाइल स्क्रीन, लैपटाॅप, डैस्कटाॅप, बड़े-बड़े एलईडी टीवी हमारे जीवन का हिस्सा बन चुके हैं। डाॅक्टर समय-समय पर आंखों के प्रति सचेत करते रहते हैं।  समय-समय पर आंखों की एक्सरसाइज़ और आई ड्राॅप्स या साफ पानी से धोने की सलाह देते रहते हैं।  स्क्रीन पर अपलक देखते रहने से आंखों में शुष्कपन आ जाता है। डाॅक्टरों की सलाह पर हम आई ड्राॅप्स भी ले आते हैं।  कुछ दिनों तक डालते हैं फिर लापरवाह हो जाते हैं।  बच्चों का इन गैजेट्स के प्रति झुकाव हो रहा है, कुछ आधुनिक जीवन शैली के चलते, कुछ पढ़ाई की जरूरतों के चलते। बहुत पहले से ही स्कूलों में आनलाइन गृहकार्य दिये जाते हैं और वे कम्प्यूटर पर ही करने होते हैं। मोटे-मोटे चश्मे लग चुके हैं।  युवा वर्ग आंखों की सर्जरी कराकर चश्मे से मुक्ति पा लेता है। पर यह सब तो अप्राकृतिक है। मैं एक बात अवश्य कहना चाहूंगा कि वर्क फ्राम होम से आंखों पर पड़ने वाला बुरा प्रभाव कम हो रहा है जिसकी एक मुख्य वजह है कि आधुनिकतम सुविधाओं से लैस कारपोरेट आफिसों में कार्य करने वाले एक ऐसे वातावरण में काम करते हैं जहां रक्त जमा देने वाला वातानुकूलन  होता है।  कम्प्यूटर और बड़े-बड़े सर्वर कहीं ठप्प न हो जाएं इसलिए।  पर इस शीत लहर जैसे वातानुकूलन में आंखों पर सबसे बुरा प्रभाव पड़ता है।  आंखों में बहुत ज्यादा ड्राईनैस आ जाती है।  शरीर पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है।  प्रतिरोधक क्षमता कम होती है।  मगर अफसोस कि मशीन के आगे इंसान की कोई कीमत नहीं है। मेरे अनुसार निष्कर्ष यह है कि वर्क फ्राम होम से आंखें प्रभावित नहीं हो रहीं।  
- सुदर्शन खन्ना
 दिल्ली
आज इस आधुनिक युग में तो हर काम लगभग कम्प्यूटर, मोबाइल से हीं चल रहा है।हम सब इसके आदी हो चुके हैं ।इस कोरोना वायरस के कारण हर कार्य अब आन लाइन हीं चल रहा है ।आफिस के कार्य के अलावा बच्चों की पढ़ाई ,योगा ,जूमबा, स्विमिंग क्लासें सब इसी नेट और कम्प्यूटर पर निर्धारित हो गई है ।फलत:  उनसे निकलने वाली विकिरणों का हमारी आंखों पर कुप्रभाव तो पड़ता ही है ।अब ऐसे में हमें इसके लिए सावधानी बरतनी चाहिए।खास कर बच्चों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।जब भी कम्प्यूटर या मोबाइल से कार्य करें ,बीच _बीच में पलकों को झपकाते रहें , ठंडे पानी के छीटें आंखों पर डालते रहे ,एक खास दूरी बनाकर हीं काम करें । अति सर्वत्र वर्जिते‌ ,यानी जब जरूरी हो तभी इसका इस्तेमाल करें वर्ना इससे दूर हीं रहे ।आज इसके अलावा दूसरा आप्सन भी नहीं है । इसलिए हम  खुद हीं जागरूक रहें । आंख हमारे जीवन में अनमोल हैं । कार्य के साथ  हीं  आंखों का बहुत ध्यान रखें ।
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार
:- जी हां! कोरोना के कारण सभी स्कूल बंद हैं और विद्यार्थी घर में ही बैठे- बैठे काम कर रहे हैं। लगातार सुबह से शाम तक लैपटॉप- मोबाइल पर बैठे-बैठे उनकी आंखों में दर्द तो होगा ही। मैं देखती हूं- हमारी बिटिया सवेरे सो कर उठते ही अपना लैपटॉप लेकर बैठ जाती है और नहा धोकर फिर से स्कूल की ड्रेस पहनकर लैपटॉप के आगे क्लास  शुरू .. उसके बाद भी वह छुट्टियों के कारण लगातार देर रात तक अपने काम में जुटी रहती है। देखती हूं उसकी आँखें एकदम लाल होती हैं। डर रहता है कि एक तो पहले से ही उसको चश्मा लगा हुआ है और ऊपर से यह होम वर्क..।
नेट पर काम करने का चस्का  
इतना भयानक है कि जब तक दिमागी नसों में दर्द नहीं होने लगता और आंखें थक नहीं जाती तब तक व्यक्ति इस नेट को छोड़ नहीं पाता।
यदि काम बंद करने के लिए कहा भी जाए तब भी उसके पास 100 बहाने होते हैं कि अभी मेरा काम पूरा नहीं हुआ। ऐसे में बच्चे क्या काम करते हैं क्या नहीं आप और हम अंदाजा नहीं लगा सकते।
दफ्तरों में भी सोशल डिस्टेंस के कारण कर्मचारियों को घर में ही काम करने को कहा जाता है ऐसे में वह सुबह से ही काम करना शुरू करते हैं और देर रात तक मोबाइल पर लगे रहते हैं कभी वह ऑफिस का काम करते हैं तो कभी बीच-बीच में अपना व्हाट्सएप और फेसबुक को लेकर बैठ जाते हैं। यदि वह दफ्तर नहीं जाते तो इसके सिवाय उनके पास कोई चारा भी नहीं है। वर्क फ्रॉम होम के कारण वह तनाव में जी रहे हैं चुपचाप एकांत में बैठना, मेल मिलाप से छूट जाना और बातचीत न करना, हँसने- हँसाने से दूर रहना इन सभी कारणों के कारण व्यक्ति तनाव में जीने लगा है। इसी कारण से आँखों और दिमाग पर बहुत असर पड़ रहा है। आँखें अमूल्य निधि हैं हमारी ..इन्हें बचाना बहुत जरूरी है। 
- संतोष गर्ग
 मोहाली - चंडीगढ़
मोबाइल, लैपटॉप या कम्प्यूटर को लगातार देखना तो हानिकारक माना ही गया है। इसलिए बच्चों को इन सब से दूर रहने की सलाह दी जाती है क्योंकि बच्चों की आंखों पर जल्दी बुरा असर पड़ता है। आजकल देखा जा रहा है कि छोटे छोटे बच्चों की आंखों पर मोटे-मोटे चश्में चढ़ जाते हैं और नेत्ररोग होने की वजह से चिकित्सक के पास चक्कर लगते रहते हैं।
परंतु आज जब हम सभी लॉक डाउन में घरों में बंद हैं तो सभी काम घर से ही होते हैं चाहे वो स्कूल की ऑनलाइन क्लास या फिर ऑफिस के काम। इसके सिवा कोई उपाय नहीं है तो स्वभाविक है कि आंखों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।
कहीं आना-जाना नहीं है तो परिवार के अन्य सदस्यों का भी अधिक समय मोबाइल पर बीतता है।कोरोना वायरस के कारण अखबारों का आना भी बंद कर दिया गया है तो समाचार देखने और पढ़ने का काम भी मोबाइल से हो रहा है। साहित्यकारों, कवियों आदि के कवि सम्मेलन, गोष्ठियां इत्यादि सब मोबाइल पर ही ऑनलाइन हो रहीं हैं। ऐसे में आप कहां तक बच सकते हैं। आंखे प्रभावित तो होंगी ही।
सावधान रहने की जरूरत है। लगातार नजरें न गड़ा कर बीच में विश्राम लिया जाए। थोड़ा घूम फिर कर या अन्य काम करते हुए ब्रेक लिया जाए ताकि आंखों को आराम मिले। कुछ आई ड्राप डॉक्टर की सलाह से डालते रहें। बीच-बीच में आंखों पर ठंडे पानी के छींटें मारते रहने से आराम मिलता है। बहुत जरूरी हो तभी मोबाइल देखें।
- डॉ सुरिन्दर कौर नीलम
राँची - झारखंड
जी बहुत फर्क पड़ रहा , आफिस से ज्यादा है थाम था बोझ और दिन रात लैपटाप पर थाम खरे आंखों पर बुरा प्रभाव पड़ना ही है क्या आप घंटों कंप्यूटर, लैपटॉप पर काम करते हैं. सुबह से देर रात तक आपका ज्यादातर वक्त कंंप्यूटर स्क्रीन के सामने ही गुजरता है. क्या आप आंखों में जलन, ड्राइनेस, धुंधली नजर जैसी परेशानियों का सामना कर रहे हैं. हो सकता है कि आप इसकी वजह घंटों कंप्यूटर या लैपटॉप स्क्रीन पर लगातार देखते रहने को समझते हों. ये बात काफी हद तक सही भी है. घंटों लगातार कंप्यूटर और लैपटॉप स्क्रीन पर देखते रहने से आपको आंखों में कई परेशानियों से दो-चार होना पड़ सकता है.पर ज्यादा देर तक काम करना हो सकता है सेहत के लिए खतरनाक आजकल कंप्यूटर इंसान की जिंदगी का एक अहम हिस्सा हो गया है। बढ़ती टेक्नोलॉजी के इस युग में लैपटॉप या कम्प्यूटर के बिना हम अपनी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। हमारे रोजमर्रा के ज्यादातर काम और यहां तक कि व्यक्ति का भविष्य और जॉब कंप्यूटर पर ही आधारित है। ऐसी स्थिति में कंप्यूटर का अधिक उपयोग होना लाजिमी है। लेकिन कंप्यूटर के अधिक इस्तेमाल के कारण व्यक्ति को बीमारियां भी उतनी ही तेजी से अपनी चपेट में ले रही हैं। डॉक्टरों के पास मांसपेशियों, जोड़ों, कमर दर्द, स्ट्रेस जैसी समस्याओं के ऐसे मरीजों की संख्या ज्यादा है जो कंप्यूटर पर चार घंटे से अधिक देर तक काम करते हैं।
आंखों में होने वाले दर्द और थकान को कम कर सकते हैं।
अधिक देर तक एक जगह बैठकर कंप्यूटर पर काम करने के कारण वयस्कों में मृत्युदर बढ़ी है। डॉक्टरों का मानना है कि लंबे समय तक कंप्यूटर पर काम करने के कारण मांसपेशयां संकुचित हो जाती हैं जिसके कारण ब्लड स्ट्रीम से वसा बहुत धीमी गति से निकलती है और शरीर में इंसुलिन की कमी हो जाती है और मेटाबोलिज्म धीमा पड़ जाता है। यही कारण है कि अधिक देर तक कंप्यूटर पर काम करने के लिए मना किया जाता है। काम करे पर ध्यान दे बीच बीच में आंखों को विश्राम दे । कुछ बातों का ध्यान रखे ..
कंप्यूटर को टेबल पर इतनी ऊंचाई पर रखें कि वह आपकी आंखों के बराबर ऊंचाई पर रहे ताकि आपको आंखें झुकाकर कंप्यूटर स्क्रीन को न देखना पड़े। काम के दौरान बीच बीच में कुर्सी से उठकर टहलते रहें, लगातार काम न करें।
कंप्यूटर पर काम करते समय अपने आंखों की पलतों को झपकाते रहें और संभव हो तो आंखों से संबंधित कोई एक्सरसाइज भी करें। हर उम्र के लोगों के लिए कंप्यूटर पर काम करने के लिए एक अलग चश्मा आता है, आप चश्मा लगाकर ही कंप्यूटर पर काम करें।
लैपटॉप या कंप्यूटर पर काम करते समय कुर्सी पर सही तरीके से बैठें। पीठ सीधा रखें, पैरों को जमीन से छूने दें और गर्दन टेढी न रखें।
कंप्यूटर पर काम करते समय रोबोट न बन जाएं बल्कि अपने शरीर में हलचल रखें और हिलते डुलते रहें।
कीबोर्ड से टाइपिंग करते समय कोहनी को नब्बे डिग्री के कोण पर रखें ताकि कोहनियों में दर्द न हो।
चश्मे के पोछते रहें और आंखों को आराम देने के लिए ठंडे पानी से आंखों को धोते रहें।
काम तो करना ही है तो सावधानी रखें कर करें 
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र

" मेरी दृष्टि में " लॉकडाउन ने  लोगों को वर्क फॉम होम करने पर मजबूर कर दिया है ।  जिससे लोगों की आंखों पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है । इसलिए लोगों को आंखों पर विशेष ध्यान देना चाहिए ।
                                                - बीजेन्द्र जैमिनी 
सम्मान पत्र




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