क्या अब हर चेहरे पर आवश्यक हो जाना चाहिए मास्क ?
कोरोना वायरस ने सभी की जीवन शैली को प्रभावित कर दिया है । और तो और रोजगार भी अछूता नहीं है ।इन सब को पटरी पर लाने के लिए चेहरे पर मास्क बहुत ही जरूरी हो गया है । फिर कुछ बचाओ जीवन में सम्भव हो सकता है । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को भी देखते हैं : -
कोरोना वायरस ने जीवन में टर्निंग प्वाइट ला दिया है । संक्रमण के भय ने जीवन शैली में बदलाव कर दिया । सावधानियों ने आदमी की आदतों में एक नया आयाम जोड़ दिया है । दहलीज़ लांघते ही आदमी ठिठक सा जाता है । मास्क व सैनिटाइजर उसे आवश्यक से जान पड़ते हैं । पर्स मोबाइल की भाँति मास्क और सैनिटाइजर उसके चेतन मन को अलर्ट कर देते हैं । आज की चर्चा में महत्वपूर्ण सवाल किया गया है कि क्या अब हर चेहरे पर आवश्यक हो जाना चाहिए मास्क ? बेशक सावधानी और एहतियात तौर पर मास्क जरूरी है पर जहाँ भीड न हो और उचित सामाजिक दूरी हो वहाँ पर मास्क लगाने की बाध्यता नहीं होनी चाहिए । नहीं तो ऐसा ना हो कि भविष्य में इसके साईड इफैक्टस से दो चार न होना पड़े । कहीं ऐसा न हो कि इससे स्वसन संबंधी बीमारी होने का खतरा बढ जाए ।
- अनिल शर्मा नील
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
हमारा देश संक्रमितों की संख्या में विश्व में पांचवें नंबर पर पहुंच चुका है। जिस तीव्र गति से कोरोना संक्रमितों की संख्या का पता चल रहा है उससे मन में भय पैदा होता है और सामने वाला हर व्यक्ति संदिग्ध महसूस होने लगता है। खुद का भी पता नहीं कि हम संक्रमित हैं या नहीं।
इसलिए एहतियातन अपने और दूसरों की सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए सभी को बाहर निकलते समय मास्क पहनना अनिवार्य होना चाहिए।
WHO के अनुसार कोविड-19 संक्रमित व्यक्ति के मुंह से निकले पानी के छींटे से निकलकर 5-6 मीटर की दूरी तक दूसरे लोगों के पास तक पहुंच सकता है। यह वायरस नाक-मुंह के जरिए ही बाहर आने वाली बूंदों से फैलता है। नाक-मुंह के जरिए ही शरीर के अंदर पहुंचता है।
अतः जरूरी है कि इस वायरस से बचाव हेतु मास्क जरूर पहनें। पर यह भी ध्यान रखें कि मास्क अच्छी क्वालिटी का हो। पहनते व निकालते समय हाथ भी साफ रखें। इन्हें थोड़े-थोड़े समय पर बदलने का प्रयास करें। ठीक से डिस्पोज करें। पर इस गलतफहमीं में भी न रहें कि मास्क पहनने पर हम वायरस के शिकार नहीं होंगे। यह संक्रमित होने की संभावना को सिर्फ कम करता है।
खतरा कम हो इसलिए आवश्यक है कि हर चेहरे पर मास्क हो। हमें किसी को कहने की जरूरत न पड़े। एक दूसरे से किसी को खतरा न हो। मास्क का प्रयोग करते हुए सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करते हुए एक दूसरे से कम से कम 2 मीटर की दूरी बनाए रखें, तभी हम इस भयानक वायरस से खुद को और अपने परिवार को बचा कर रख सकते हैं।
- सुनीता रानी राठौर
ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
वर्तमान युग में कोरोना नामक महामारी ने सारी दुनिया के सामने युद्ध का बिगुल बजाया है ,अतः सुरक्षा कवच के रुप में हम सब के लिए मास्क लगाना आवश्यक हो जाना चाहिए ।कोरोना का संक्रमण नाक और मुँह के जरिए ही फैलता है ,खाँसी या नाक में दिक्कत होने से हाथ, स्वतः बचाव करने का प्रयास करता है ।यहीं से संक्रमण की शुरुआत होती है उसीसे बचाव के लिए मास्क का प्रयोगअनिवार्य हो गया है और प्राणों की रक्षा के लिए इस नियम का हम सभी को पालन करना चाहिए । इससे डरने की नहीं सुरक्षा के नियमों का पालन करने की जरुरत है क्योंकि लापरवाही जानलेवा हो सकती है ।आज हम सभी योद्धा बन गये हैं सभी मास्क कवच धारण करें और विजयी बने ।
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
देश में कोरोना से हाहाकार मच रहा है । दिल्ली में हेल्थ व्यवस्था भी संतोषजनक नहीं है ।अनलॉक -1 में शर्तों के साथ खुलने पर कोरोना के संकमण बढ़ रहा है । भारत के धार्मिक स्थल भी कल यानी 8 जून 2020 को खुल जाएँगे । सरकार की गाइडलाइन का पालन भी करना होगा । स्वास्थ मंत्रालय के अनुसार । भारत में 246 628 एक्टिव केस हैं । 6929 लोगों की मौत हुई है
महाराष्ट्र कोरोना एपिक सेंटर है । 1575 लोगों को जान गंवानी पड़ी है ।
इन सब को देखते हुए इंसान अपनी सुरक्षा के लिए कोरोना वायरस से बचने के लिए चेहरे पर मॉस्क लगाना आवश्यक हो जाता है । बाहर जाने पर हर व्यक्ति मॉस्क चेहरे पर लगा के अपने घर से निकल रहा है । जिससे कोरोना संक्रमण फैलने से रुक सकता है ।
पब्लिक प्लेस पर जाने पर इंसान को मॉस्क जरूर पहना चाहिए ।
कुछ स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा , बार - बार मुँह छूना फेस मॉस्क पहनने की वजह है । ये सुरक्षा कवच का काम करता है ।
जैन धर्मावलंबियों में तो सूक्ष्म कीटाणुओं से बचने के लिए चेहरे मॉस्क की तरह पट्टी से मुँह ढक कर रहते हैं ।
यह संदेश हमें सदियों पहले ही विरासत में मिला है ।
अब मरता क्या न करता कि कहावत चरितार्थ हो रही है ।
भारत में मॉस्क की मांग होने से कम्पनियाँ , संस्थाएँ लोग मॉस्क बनाने में लगे हैं । जिससे ये कमी पूरी हुई है । भारत मॉस्क मेडिकल किट्स आदि में आत्म निर्भर बना है । मॉस्क लाइलाज कोरोना बीमारी से बचने का तरीका भी है ।
मॉस्क बनाएँ , मॉस्क पहने सुरक्षा पायें । घर में मॉस्क बना सकते हैं ।
प्रधानमंत्री मोदी जी ने तो गमछे को मुँह पर बाँधकर
मॉस्क का काम में ले रहे हैं ।
हमारा कोरोना से बचाव होगा और कोरोना दूर भागेगा ।
मॉस्क पहने सुरक्षित रहें ।
- डॉ मंजु गुप्ता
मुम्बई - महाराष्ट्र
सब्जी बेचने वाली एक वृद्धा ने अपने मुख पर मास्क लगा रखा था और वह अपने हाथों को बार-बार सैनेटाइज़ कर रही थी। उसके अनुसार उसके पास दिन में अनेक ग्राहक आते हैं अतः उसे ये सब करना पड़ता है, अपनी और ग्राहकों की सुरक्षा के लिए। एक सब्जी बेचने वाली वृद्धा सजग है कि किस तरह अपना ख्याल रखना है। अनेक पढ़े-लिखों को यह एहसास नहीं है। नाक-मुँह बंद करने के लिए मास्क लगाने का एक विकल्प अब एक नियम बन गया है। यह आज की जरुरत है, हो सकता है कल रहे या न रहे! मास्क पहनकर खुश होने का कोई इजहार भी करे तो कैसे? मुस्कान अब आंखों से झलकनी चाहिए। लेकिन उनका क्या, जो देख ही नहीं सकते? समाचार सूत्रों के अनुसार शोधकर्ताओं का कहना है कि विशेष रूप से सूती कपड़े की कई परतों वाले मास्क, कोरोना के संचरण को कम कर सकते हैं। एनल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित इन निष्कर्षों के लिए, शोध टीम ने हाल ही के आंकड़ों एवं तथ्यों की जांच की और पाया कि कपड़े या कपड़े से बने मास्क हवा और सतहों के प्रदूषण को कम कर सकते हैं। मुद्दा यह नहीं है कि कुछ कण मास्क में से घुस सकते हैं, लेकिन कुछ कण बंद हो जाते हैं, विशेष रूप से पहनने वाले से बाहर जाते कण, कनाडा में मैकमास्टर विश्वविद्यालय से लेखक कैथरीन क्लैस ने अध्ययन किया। ‘आदर्श रूप से, हम चाहते हैं कि मास्क दोनों दिशाओं में काम करे, पहनने वाले को पर्यावरण से बचाए और पहनने वाले द्वारा पर्यावरण की हवा और सतहों के संदूषण को कम करे’ क्लैस ने कहा। मास्क न लगाना एक दण्डनीय अपराध भी घोषित हो चुका है जिसका खामियाजा हाल ही में पुलिस का एक बड़ा अधिकारी भी भुगत चुका है। लगातार मास्क लगाये रखने से अनेक नुकसान भी बताए जा रहे हैं। फिर भी हर चेहरे पर आवश्यक हो जाना चाहिए मास्क, इसके साथ-साथ उन लोगों के बारे में गंभीरता से विचार हो, जिन लोगों के हाथ नहीं हैं जिनकी मदद से वे मास्क लगा सकें। उनके लिए कौन से हाथ आगे आएंगे? यह सोचने की जरूरत है।
- सुदर्शन खन्ना
दिल्ली
सतर्कता/ सुरक्षा के लिए हर व्यक्ति को मास्क पहनना जरूरी है। संक्रमित होने का खतरा कम रहेगा।
मास्क पहनने को लेकर WHO की गाइडलाइन मैं बदलाव दर्ज किया गया है:- WHO ने कहा है कि लोग भीड़ भाड़ वाली उन जगहों पर मास्क पहने जहां नया कोरोना वायरस काफी फैला हुआ है चुकी घातक वायरस फैलता जा रहा है।
WHO भी अपना रुख बदला इसे मास्क पहनना हे, और कब पहनना चाहिए और किस का बना हुआ मास्क होना चाहिए यह सब गाइडलाइन सरकार को दिया गया है।WHO ने सरकार से कहा है अपने जनता को प्रोत्साहित करें जहां वायरस का व्यापक असर है और लोग में दूरी बनी मुश्किल है वहां जनता जरूर मास्क पहने।WHO के अनुसार 66 लाख लोग संक्रमित हुए हैं जिसमें3.9 लाख की जान गई है।
WHO के अनुसार ज्यादा देरी तक मास्क पढ़ना हो सकता है खतरनाक। परंतु कोरोना वायरस का खिलाफ मास्क एक हथियार के रूप में लिया गया है इसलिए भारत में अनिवार्य कर दिया गया है। सुझाव दिया गया है कि घर से बाहर निकलते हैं तो जरूरी है लेकिन ज्यादा समय तक मास्को प्रयोग ना करें इससे ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा खून में बढ़ जाती है। समय-समय पर एकांत में मास्को हटा देना चाहिए ताकि शुद्ध वातावरण में सांस ले सकें, अगर आप एकांत में तेज चल रहे हैं तो मांस्क हटा दें ताकि आपको पूर्ण रूप से ऑक्सीजन मिलेते रहें।
लेखक के विचार:- मास्क जरूर पहने लेकिन ऊपर दिए हुए निर्देश के अनुसार।
- विजेंयेद्र मोहन
बोकारो - झारखण्ड
मैं सहमत नहीं हूं। यह नैतिक जिम्मेदारी है जिसे निष्ठा से निभाना है। कहाँ, कब,कैसे लगाना है और कब नहीं लगाना है,इसके भी नियम एवं कायदे हैं।
जिसको भी अभी सभी समझने में परिपक्व नहीं हुए हैं और कोई पालन नहीं कर रहा है तो कोई सावधानी नहीं रख रहा है। हमारे यहां स्वभावगत परेशानियां भी हैं। न तो समझा पाते हैं , न समझना चाहते हैं । हर चीज में जल्दबाजी और उतावलापन हमारी कमजोरी है। अभी तो एक और कड़वा सच संभावित है। मास्क लगाकर लोग अपराध करेंगे तब ऐसे अपराधियों को पहचानने में कठिनाई आयेंगी।
इसीलिए मास्क लगाना जितना महत्वपूर्ण और सावधानी वाला उपाय है उतना ही संवेदनशील भी और गंभीर, चुनौती पूर्ण।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
निःसंदेह कोरोना संक्रमण के चलते और उसके बाद इसकी पुनरावृति नहीं हो इसके लिए हर चेहरे पर मास्क होना ही चाहिए l
केवल मात्र दो शब्दों में जैन धर्म की व्याख्या संभव है --
शांति +अहिंसा =जैन धर्म l मेरी दृष्टि में ज्ञान के बिना वैराग्य नहीं होता और वैराग्य में बिना करुणा के भाव जागृत नहीं होता और जहाँ करुणा नहीं वहाँ अहिंसा परमोधर्म हो ही नहीं सकता l आज विश्व व्यापी कोरोना महामारी चीन में हुई जीव हिंसा का ही प्रतिफल हमारे सामने है l जैन धर्म के सिद्धांत कोरोना संक्रमण से आपकी स्वास्थ्य रक्षा के अभेद्य अस्त्र हैं l
1. रात्रि भोजन का त्याग भी हमें संरक्षण प्रदान करता है l जैसे कमल का पुष्प सूर्य के साथ खिलता और अस्त होने पर मुरझा जाता है उसी प्रकार हमारी जठराग्नि भी सूर्यास्त पश्चात शांत हो जाती है l हम जो आहार लेंगे विषाक्त और अम्लीय होकर गैस, बदहजमी, खट्टी डकारे, छाती में जलन, हाई बी. पी. जैसे रोग विकार को जन्म देती है l रात्रि में वैक्टीरिया जो अदृश्य है आपके अन्न और जल को दूषित करते हैं ऐसा भोजन कैसे स्वास्थ्य वर्द्धन करेगा l
2. मुँह पर पट्टी बांधना जिसे आज हम मास्क कह रहें हैं l जैन धर्म के प्रवर्त्तन काल से जैन धर्मावलम्बियों के लिए ही नहीं अपितु मानव धर्म का प्रवर्त्तक और पोषक रहा है क्योंकि वायुमंडल में उपस्थित जीव वायरस वैक्टीरिया आपके स्वास्थ्य को हानि नहीं पहुंचायें l श्वसन द्वारा शरीर में प्रवेश न करें और आज कोरोना संक्रमण से आपके जीवन की रक्षा हो सकें इसलिए मुँह पर पट्टी मास्क पहनना अनिवार्य हो गया है l दूसरे धर्म संबंधी चर्चा, आपस में मिलते जुलते समय थूक, गंदगी शरीर से निकली प्रदूषित वायु दूसरे पर न गिरे, यह स्वास्थ्य रक्षा और अशिष्टता की दृष्टि से मास्क आवश्यक हो गया है l यदि वक्ता रोगग्रस्त है तो उसकी श्लेष्मा, बलगम जिनमें कोरोना वायरस 10 से 12 घंटे जीवित रह सकता है, मास्क के द्वारा स्वयं बच सकते हैं तथा दूसरों को बचा सकते हैं l "जियो और जीने दो "के सिद्धांत की पालना हो सकेगी l
कोरोना दुःख के जंगल में
कब से मारे मारे फिर रहें हैं लोग
जो हो रहा है उसे सह लेते हैं बेचारे लोग l
सामाजिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाएँ और पेशेवर जिसमें W. H. O. भी है कहते हैं कि ये मानव की मुँह, आँखों आदि को छूने की पड़ गई आदत आज खतरनाक है l कोविड -19 से जुडी सलाह में हाथों को साफ रखना और उन्हें धोने पर जोर दिया गया है और जुर्माना लगाकर आपको सचेत कर रहें हैं कि आप घर से निकलने पर मास्क अवश्य पहनें l परिस्थितियाँ यूँ बन चुकी हैं --
एक आँसू में डुबो दी उम्र भर की आबरू l
हम जिसे कतरा समझते थे वो आज समंदर हो गया ll
मास्क के अभाव में हर तरफ की खराब चीज वायरस आदि हमारी आँख, , नाक के जरिये शरीर में प्रवेश कर अलग अलग अंगों में पहुंचकर हमारे शरीर पर आघात करती हैं l अतः मास्क पहनना ही बचाव है l विशेषज्ञ कोरोना के नए स्ट्रेन पर शोध कर रहें हैं लेकिन कोरोना वायरस किसी जगह पर गिरने के बाद 9दिन तक जिन्दा रह सकता है अतः ग्लव्स और मास्क पहनें l यह हर तरीके से आपका सुरक्षा कवच है l
वक्त की गर्दिशों का ग़म न करो
हौंसले मुश्किलों में पलते हैं l
डिस्पोजेवल मास्क केवल 3से 8घंटे तक ही प्रयुक्त करें, इससे ज्यादा ये आपको सुरक्षा नहीं दें सकते l N-95मास्क, ये संक्रमण
से रक्षा करने के लिए सबसे अच्छे हैं l मुँह व नाक पर अच्छी तरह फिट होते हैं l ये वायु में मौजूद 95% कणों को रोकने में सहायक है l हाँलाकि कोरोना के कण डायमीटर में 0.12माइक्रोन आकर के है अतः ये मास्क भी कुछ हद तक मदद कर सकते हैं l लेकिन ध्यान रहें --
सुर नर मुनि जन जग की यही रीति l
स्वारथ लाग करें सब प्रीति ll
कोरोना संक्रमण वायरस ने रिश्तों को परीक्षा काल में लाकर खड़ा कर दिया है क्योंकि --
कल शीशा था, सब देख देख कर जाते थे
आज टूट गया, सब बच बच कर जाते हैं l
कोरोना संक्रमण के साथ देखने और इस्तेमाल करने का नजरिया भी बदल गया है l
हर चेहरे पर संक्रमण से बचाव हेतु
N-95 मास्क अवश्य होना चाहिए
न कि
कौन है असली, कौन है नकली
यहाँ हर चेहरे पर नक़ाब है l
ऐसा नक़ाब नहीं होना चाहिएl
चलते चलते --
1. जीवन में किसी को रुलाकर हवन भी करवाओगे तो कोई फायदा नहीं और यदि रोज किसी एक आदमी को भी हँसा दिया तो ए वंदे !अगरबत्ती भी जलाने की जरूरत नहीं l
2. स्वयं वायरस हो चुके हैं, हम डरे हुए लोग
और जो कुछ भी जिन्दा है उस पर
चस्पा कर देना चाहते हैं खतरे का निशान l
- डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
किसी भी विषय की अनिवार्यता सरकारी नियम और व्यक्तिगत इच्छा पर निर्भर करती है यदि सरकारी नियम यह बनाया गया है की सभी व्यक्तियों को मास्क लगाना अनिवार्य है तो लगाना आवश्यक होगा नहीं तो आप दंड भुगतने के लिए तैयार रहिए यह तो सुरक्षा का एक पहलू है हर इंसान सुरक्षित रहना चाहता है इसलिए ना चाहते हुए भी सुरक्षा का ध्यान करके वह मास्क पहन ही लेगा इसलिए यह अनिवार्य ही हमें लगता है अभी अभी तक देश में कोरोनावायरस का ऐसा डर बना हुआ है कि बना हुआ है के इंसान स्वतंत्र होकर किसी भी प्रकार का कार्य नहीं कर पा रहा है आवागमन की बात तो दूर की रही आपस में मिलना जुलना भी नहीं हो पा रहा है अब यह परिस्थिति का भविष्य अनिश्चित है यह कब तक चलेगा कहना मुश्किल है इसलिए परिस्थिति के अनुसार स्वयं को बदल लेना ही बुद्धिमानी है ।
दूरदर्शन के न्यूज़ चैनल से यह पता चलता है कि वर्तमान समय में 2 महीने तक तो यह शहर में बहुत तेजी से फैल आएगा मल्टीप्लिकेशन 10 गुना होगा अब जब इसकी रफ्तार धीमी थी उस समय हर इंसान पूरी सावधानियां अपने आप में रखा है अब तो इन सावधानियों को निभाना एक आदत और कर्तव्य बन गया है 3 महीने लगभग हो चुके हैं अगले 2 महीने और फिर कुछ दूसरा ही समय आएगा जो सबसे अच्छा समय रहेगा बीमारियों से दूर खुशहाली ओं का समय इसलिए हर इंसान को चेहरे पर मास्क लगाना आवश्यक है
एक सर्वे रिपोर्ट में यह दिखलाया गया है कि अगर आपके सामने वाला व्यक्ति मास्क लगाए हुए हैं और आप नहीं लगाए हैं तो यह वायरस 90% फैलने के चांसेस में रहेगा और यदि दोनों मास्क लगाए हैं और सोशल डिस्टेंस भी है तो 5% वायरस फैलने का चांसेस रहेगा अब खुद हमें निर्णय लेना है कि 90% में मुझे जाना है या 5% में यह सर्वे रिपोर्ट देखने के बाद सामान्यता हर इंसान 5% में ही रहना पसंद करेगा अगर 5% में रहने की ख्वाहिश है तो मास्क लगाना अनिवार्य है थोड़ी सुंदरता कम हो जाती है पहचानने में लोगों को मुश्किल होती है लेकिन सुरक्षा सबसे ज्यादा मिलती है तो अभी जान है तो जहान है की बात है
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
हर चेहरे पर मास्क होना चाहिए यह मनुष्य के बचाव के लिए बहुत आवश्यक है यदि हमें सुरक्षित रहना है और दूसरे को सुरक्षित रखना है तो चेहरा ढकना बहुत जरूरी है। मास्का उपयोग भी बहुत अनिवार्य है। मास्का के प्रयोग से हम संक्रमित होने से बच सकते हैं क्योंकि हमें यह पता नहीं है कि वायरस कैसे फैलता है और बीमारी को कैसे फैला रहा है यह नई तरीके की बीमारी सर्दी जुखाम में भी हम अपने हाथों या मुंह पर कपड़ा रखते हैं कि जिससे हमारे वायरस बाहर ना पहले उसकी प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रहेगी उसे इस वायरस का इफेक्ट कम होगा।कमजोर व्यक्तियों पर ज्यादा असर होगा इसीलिए बच्चों और बुजुर्गों को बचाव की बहुत जरूरत है सुरक्षा ही सावधानी ही इस बीमारी से हमें बचा सकती है ।
*स्वस्थ रहें मस्त रहें*
- प्रीति मिश्रा
जबलपुर - मध्य प्रदेश
जरुरी है यह अनिवार्यता! अपनी सुरक्षा चाहते हैं तो बहार निकलते वक्त मास्क जरुर पहने
यह अनिवार्यता हमें हमारी सुरक्षा प्रदान करेगी ।
इंसान अकेली एक ऐसी जाति है जो कि बिना जाने अपने हाथों से चेहरे छूने के लिए जानी जाती है. उसकी या आदत नये कोरोना वायरस (कोविड-19) जैसी बीमारियों को फैलने में मदद करती है.
लेकिन हम ये क्यों करते हैं और क्या हम अपनी इस आदत को रोक सकते हैं?
हम सब दिन में कई बार अपना चेहरा छूते हैं. साल 2015 में ऑस्ट्रेलिया के मेडिकल की पढ़ाई करने वाले युवाओं पर एक अध्ययन किया गया. इसमें ये सामने आया कि मेडिकल स्टूडेंट्स भी ख़ुद को इससे नहीं बचा सके.
शायद मेडिकल स्टूडेंट्स को इससे पैदा होने वाले ख़तरों को लेकर ज़्यादा जाग्रत रहना चाहिए था. लेकिन उन्होंने भी कम से कम एक घंटे में 23 बार अपने चेहरे को छुआ. इसमें मुंह, नाक और आँखें शामिल हैं.
सामाजिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाएं और पेशेवर जिसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन भी शामिल हैं, कहती हैं कि ये मुंह छूने की आदत ख़तरनाक है.
कोविड-19 से जुड़ी सलाह में हाथों को साफ रखना और उन्हें धुलने पर जोर दिया गया है.
आओ जाने किस देश ने मास्क अनिवार्य कर दिये है !
किन-किन देशों में मास्क पहनना है ज़रूरी
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अब तक मास्क पहनने को बाध्यकारी बनाने को लेकर कोई सलाह नहीं दी है लेकिन ये ज़रूर कहा है कि अगर आप बीमार हैं तो दूसरों को संक्रमित न करें इसके लिए ज़रूरी है कि आप घर से बाहर निकलने पर मास्क पहनें
मार्च 18 को चेक गणराज्य ने सार्वजनिक जगहों पर मास्क पहनना बाध्यकारी कर दिया था. इसके बाद स्लोवाकिया ने 25 मार्च को लोगों को घर से बाहर निकलने पर मास्क पहनने के लिए कहा. इसके बाद बोस्निया और हर्ज़ेगोविना ने भी 29 मार्च को लोगों के लिए सार्वजनिक जगहों पर मास्क पहनना ज़रूरी कर दिया.
अप्रैल 6 को ऑस्ट्रिया में कुछ दुकानों को खोलने की इजाज़त दी गई है लेकिन सरकार ने कहा कि दुकानों पर जाने वालों के लिए मास्क पहनना बाध्यकारी होगा.
मोरक्को ने मार्च के मध्य में ही संपूर्ण लॉकडाउन लागू कर दिया गया था जिसके बाद अप्रैल 7 को यहां घर पर और घर से बाहर निकलने पर मास्क पहनना ज़रूरी बना दिया गया. अब तक पुलिस ने मास्क न पहनने के लिए पचास हज़ार से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है.
अप्रैल 7 को तुर्की ने भी अपने नागरिकों से सार्वजनिक जगहों पर मास्क पहनने को कहा.
जर्मनी की चांसलर एंगेल मर्केल ने 20 अप्रैल को घोषणा की कुछ देश में लॉकडाउन में राहत तो नहीं दी जाएगी लेकिन इस बीच छोटी दुकानों को खोलने की सरकार इजाज़त देगी. इसके बाद जर्मनी के कई राज्यों ने सार्वजनक जगहों पर नाक और मुंह ढकना ज़रूरी बना दिया.
अब जर्मनी ने कोरोना फैलने से रोकने के लिए पूरे देश में लोगों के लिए मास्क पहनना ज़रूरी कर दिया है.
ख़ुद को छूने से समस्या ये होती है कि इससे हर तरह की ख़राब चीज़ हमारी आँखों, नाक और मुंह से होते हुए हमारे शरीर के अलग-अलग अंगों में पहुंचती हैं.
उदाहरण के लिए, कोविड-19 संक्रमित व्यक्ति के मुंह से निकले पानी के छींटों से होकर दूसरे लोगों में पहुंचता है.
लेकिन अगर हम किसी ऐसी चीज़ को छूते हैं जिस पर वायरस गिरा हो तो इससे भी वायरस संक्रमित कर सकता है.
विशेषज्ञ अभी भी वायरस के इस नये स्ट्रेन पर शोध कर रहे हैं. लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि कोरोना वायरस किसी जगह पर गिरने के बाद 9 दिनों तक ज़िंदा रहते हैं.
वायरस की लंबी उम्र का ख़तरा
वायरस के इतने दिनों तक ज़िंदा रहने की वजह से हमारा अपने चेहरे को छूना ख़तरनाक हो जाता है.
जब यह (चेहरा छूना) खुजली मचाने की ज़रूरत जैसी शारीरिक मांग बन जाए तो हम सजग रहकर अपने बचाव में क़दम उठा सकते हैं, जैसे कि हम अपने उल्टे हाथ का इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे जोख़िम कम होता है चाहें ये समस्या का समाधान हो या न हो."
मास्क सबसे अच्छा विकल्प है कोरोना जैसी बिमारी को रोकने मे ।
हमें मास्क को अपना कर अपनी सुरक्षा दूसरे की सुरक्षा करना चाहिऐ !
मास्क हमें सारवजनिक जगहों पर मास्क पहना सुरक्षा की दृष्टी से अनिवार्य है ।
- आश्विनी पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
कोरोना वायरस के सामने अब सभी नमस्तक होते नजर आ रहे है। सभी कोरोना सैनिक जो लड़ते लड़ते अब अपने आप को थका हुआ महसूस कर रहे है। साथ ही कोरोना पीड़ितों की जनसंख्या लगातार जिस हिसाब से बढ़ रही है।इससे ऐसा लगता है कि ऐसे माहौल में प्रथम दृष्टि अपनी सुरक्षा का ध्यान देना बहुत आवश्यक है। बच्चों के लिए सभी वस्तु घर मे ही उपलब्ध कराएं क्योकि अब आपको पुलिस या सरकार नही रोकेगी । अब वक्त आ गया है स्वय को बदलना होगा और सभी नियमो का पालन की जिम्मेदारी खुद निर्वहन करना पड़ेगा। कोरोना से बचने के लिए हर चेहरे में सही मास्क लगाना बहुत ही आवश्यक है।इसे गंभीरता से नही वाले कोकोई नही बचा सकता।
- राम नारायण साहू "राज"
रायपुर - छत्तीसगढ़
ऐसी बीमारी जिसका कोई इलाज ही न हो उसमे केवल सतर्कता और सावधानी ही अपना बचाव कर सकती है । ऐसे में मास्क को चेहरे पर लगाना आवश्यक नही बल्कि अतिआवश्यक हो जाना चाहिए । ये न कोरोना बल्कि अन्य बीमारियों को भी आने से बचाता है । कोरोना के साथ साथ समाज मे ओर भी बहुत घातक बीमारियां है , जो लापरवाही से चूकते ही इंसान को धर दबोचती है और न केवल बहुत हद तक पीड़ित करती है बल्कि पीड़ित की मौत तक हो जाती है ।
बहुत हद तक लोग एक दूसरे के संपर्क में आने से पीड़ित होते है ,
एक दूसरे से बात करते हुए मुह की भांप, थूक का छींटा जाने मात्र से दुनिया भर में बहुत से लोग एक दूसरे से बीमारियो स ग्रसित होते है । जिनका उन्हें अंदेशा मात्र भी नही होता है । ऐसे में मास्क बहुत सी बीमारियों को एक दूसरे में जाने से न केवल रोक सकेगा बल्कि एक कारगर उपाय साबित होगा । जिसका उपयोग हमे लगातार कोरोना जाने के बाद भी करना चाहिए । ताकि हम अन्य बीमारियों से न केवल स्वयं ग्रसित होने से बच सकें बल्कि ओरो तक भी बीमारियां पहुंचाने वाली कड़ी बनने से बच सकेंगे ।
- परीक्षीत गुप्ता
बिजनौर - उत्तरप्रदेश
जैसे-जैस इस वायरस के केस दुनिया के अलग-अलग देशों में बढ़ रहे हैं, लोगों के बीच इसे लेकर डर और बेचैनी बढ़ रही है। हालांकि इस बीमारी से प्रभावित दुनिया के ज्यादातर देशों ने अपने यहां लॉकडाउन या कर्फ्यू लगा रखा है। साथ ही लोगों को सख्त हिदायत दी गई है कि वे पब्लिक प्लेस पर जाते समय मास्क जरूर पहनें...
दुनियाभर में मास्क की डिमांड इतनी तेजी से बढ़ रही है कि अमेरिका जैसा देश जहां सर्जिकल मास्क और ग्लव्स की कमी से जूझ रहा है, वहीं हमारे देश में हैंडमेड मास्क पहनने के लिए लोगों को प्रेरित किया जा रहा है। साथ ही यह भी बताया जा रहा है कि इन मास्क को सेनिटाइज कैसे करना है। शुरुआत में मास्क को लेकर अलग-अलग देशों की अलग-अलग राय थी लेकिन अब सभी ने इसके महत्व को स्वीकार कर लिया है...
हर व्यक्ति के लिए मास्क कोरोना वायरस से सेफ्टी की गारंटी नहीं हो सकता। डॉक्टर्स का कहना है कि सर्जिकल मास्क का यूज सही जगह और सही वक्त पर किया जाना चाहिए।
जैसे हॉस्पिटल में होता है...क्योंकि वहां डॉक्टर और नर्स पेशंट के साथ ही उसके फैमिली मेंबर्स और अलग-अलग बीमारियों से ग्रसित पेशंट्स से घिरे रहते हैं। इस स्थिति में सर्जिकल मास्क उन्हें प्रॉटेक्ट करता है। लेकिन सर्जिकल मास्क पहनकर स्ट्रीट या पब्लिक प्लेस में घूमना और प्रॉटेक्शन की उम्मीद करना एक-दम अलग बात है। क्योंकि यह मास्क दो साइड से लगभग खुला होता है और इस तरह के वायरस से बचाने में यह पूरी तरह कारगर है, ऐसा कहना ठीक नहीं होगा।
लेकिन अच्छी बात यह है कि ये मास्क आपके लिए संक्रमण का खतरा कई गुना कम कर देते हैं। अगर आप बिना मास्क प्रोटेक्शन के किसी संक्रमित व्यक्ति के पास जाकर बात करते हैं तो आपको वायरस से इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।
करॉना वायरस से बचने के लिए मास्क पहनने से ज्यादा प्रभावी तरीका है कि आप हैंड वॉश को लेकर अलर्ट रहें। पब्लिक प्लेस से आने के बाद घर का कोई भी सामान टच करने से पहले हाथ अच्छी तरह धो लें।
पब्लिक प्लेस पर रहने के दौरान कोई भी सामान छूने, बस ट्रेन में जर्नी करने और लोगों से मिलने के बाद अपने हाथ अपने चेहरे पर ना लगाएं।
अगर आपको किसी भी तरह की फिजिकल इलनेस फील हो रही है तो बेहतर है कि आप पब्लिक प्लेस पर जाएं ही नहीं और घर में आराम करें। क्योंकि जिस समय हमारी बॉडी थका हुआ महसूस कर रही होती है, उस समय हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी पॉवर भी पहले की तुलना में कमजोर होती है। इससे बाहरी वायरस का हम पर ज्यादा हावी होने का चांस बढ़ जाता है।
मेडिकल फील्ड एक्सपर्ट्स लोगों को करॉना वायरस के चलते पैनिक ना होने की सलाह दे रहे हैं। इनका कहना है कि पैनिक होकर किसी भी समस्या का समना नहीं किया जा सकता है। सर्जिकल मास्क का बंडल खरीदने या हर समय वायरस के भय में जीने से बेहतर है कि हम स्वच्छता और हाईजीन का पूरा ध्यान रखें। खुद को कोल्ड, कफ और फ्लू से बचाकर रखें।
एक बात का हमेशा ध्यान दें कि अगर आप या फिर आपके घर में कोई लंबे समय से बीमार है तो उसे तुरंत ही डॉक्टर के पास ले कर जाएं। इस बीमारी में जरा सी भी लापरवाही इंसान को मौत के करीब ला सकती है। अपने बच्चों को भी स्कूल भेजते वक्त हमेशा मुंह पर मास्क पहनाएं।
टी-शर्ट से बने मुंह को ढकने वाले मास्क से भी कुछ हद तक वायरस से सुरक्षा मिल सकती है। मास्क का कपड़ा जितना मोटा होगा, उतना अच्छा है। वर्जिनिया के टेक शोधकर्ता और हवा में वायरस फैलने के एक्सपर्ट लिंसे मार्र का कहना है कि मास्क बनाने के लिए सूती टी-शर्ट या मोटे कपड़े का इस्तेमाल कर सकते हैं। मास्क आपकी सुरक्षित लिऐ जरुरी है ।
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
देश अनलाॅक है और इस खुलेपन में पिछले चौबीस घंटों में 9500 से अधिक कोरोना मरीजों के साथ देश में ढाई लाख कोरोना मरीजों की संख्या के बीच शापिंग माॅल, धार्मिक स्थलों सहित अनेक सार्वजनिक स्थानों का खोला जाना स्पष्ट करता है कि अब सरकारी तंत्र के भरोसे नहीं बल्कि स्वयं की सावधानियों के साथ हमें जीवन-यापन करना है।
कोरोना से बचाव के अनेक साधनों में से एक - मास्क के प्रयोग एवं लाभ से अब जन-सामान्य पूर्णतः परिचित हो चुका है परन्तु आश्चर्य के साथ कहना पड़ रहा है कि दिन-प्रतिदिन कोरोना के बढ़ते कहर के बावजूद लोग मास्क का प्रयोग नहीं कर रहे हैं, जबकि कुछ राज्यों में मास्क न पहनने पर जुर्माना भी लगाया जा रहा है परन्तु जिस प्रकार स्वयं के जीवन की सुरक्षा के लिए प्रयुक्त होने वाला हेलमेट पहनने में लोग अपनी हेठी समझते हैं, लगता है उसी प्रकार मास्क पहनने में भी यही सोच काम कर रही है।
ऐसा भी देखा जा रहा है कि बहुत से लोग बार-बार मास्क को बिना हाथ धोये उतारते-पहनते रहते हैं। मास्क के उपयोग में बरती जाने वाली सावधानियों का ज्ञान होने के बावजूद लापरवाही करना स्वयं को खतरे में डालने के समान है।
संचार के विभिन्न माध्यमों द्वारा मास्क के प्रयोग संबंधी दिशा निर्देश जन-जन तक पहुंच चुके हैं और लगभग सभी इसकी उपयोगिता से परिचित हो चुके हैं। वर्तमान परिस्थितियों में मास्क मानव जाति के लिए अनिवार्य हो चुका है और किसी चालान या जुर्माने की वजह से नहीं बल्कि कोरोना के डर से मास्क पहनना अति आवश्यक है और यह आवश्यकता स्वयं ही, स्वयं के लिए, स्वयं पर लागू की जानी चाहिए।
- सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
अब समय आ गया है कि भारत मे अब हर चेहरे पर मास्क पहनना आवश्यक कर दिया जाय, क्योंकि कोरोना संक्रमण के मामले बहुत ही तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बाजार खोल दिए गए हैं। इस कारण लोगों की गतिविधियां तेज हो गई है। बाहर निकलने पर सरकार ने भी मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया है। इसके साथ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन जरूरी है। तभी कोरोना के बढ़ते केश को कम किया जा सकता है। कोरोना ( कोविड 19 ) वैश्विक महामारी ने मौत का तांडव मचा रखा है। भले ही जापान, चीन सहित कई देशों ने कोरोना की दवा बनाने का दावा किया है, लेकिन जब तक मरीज़ो का इसका लाभ नहीं मिल जाता तब तक कुछ भी कहना उचित नहीं होगा। कोरोना छुआछुत की बिमारी है। कोरोना संक्रमित मरीज के खांसने और छिकने से भी इसके जीवडू हवा में 3 घंटे तक जीवित रहते हैं। इससे बचने के लिए अब हर चहरे पर आवश्यक हो जाना चाहिए। इसका कारण है कि इटली और स्पेन से भी भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या अधिक हो गई है। भारत दुनियाभर में सबसे प्रभावित होने वालों में छठा देश बन गया है। शनिवार को 10 हजार नए मामलों के साथ देश मे मरीजों की संख्या 2 लाख 37 हजार से अधिक हो गई है, जबकि इटली में 2 लाख 35 हजार मरीज हैं। वही महाराष्ट्र 82 हजार से अधिक मरीज हैं। चीन ने 83 हजार 30 मरीज है। हालांकि भारत मे पिछले 24 घंटे में मरने वालों
को संख्या 294 है। जबकि देशभर में 6,642 लोगों की जान गई है। वही 1,15,942 का इलाज चल रहा है। हालांकि देश मे बढ़ते कोरोना के मामलों के बावजूद संक्रमण की दर घट रही है।
- अंकिता सिन्हा लिखिका
जमशेदपुर - झारखंड
मास्क आज हमारी प्राथमिक आवश्यकता बन गया है। बिना इसके आप एक कदम भी बाहर नहीं निकाल सकते।जीवन का अब अभिन्न अंग बन गया है मास्क। यह इस सदी का कड़वा सच है कि कोरोना वायरस से बचाव के लिए हमें मास्क पहनना जरूरी हो गया है या यूँ कहिए कि मुँह ढकना बहुत जरूरी हो गया है। भारत में गमछा रखने का चलन सदियों पुराना है। जो सिर ढकने, मुँह ढकने या हाथ पोंछने के लिए इस्तेमाल में आता था।ग्रामीण इलाकों में लोग आज भी गमछा हमेशा कंधे पर रखते हैं समय के साथ, शहरीकरण में आधुनिकरण से गमछा रूमाल के रूप में प्रयोग होने लगा। जो पतलून को जेब मे रखा जा सकता था और समय पढ़ने पर, सिर ढकने, मुँह ढकने और हाथ पोंछने के काम आने लगा।
कोरोना आने से पहले तक सब लोग प्रदूषण से बचने के लिए भी रूमाल के ही प्रयोग कर रहे थे। सिर्फ डॉक्टर जो शल्य चिकित्सा करते थे, मास्क का इस्तेमाल करते थे। लेकि कोरोना से बचने के लिए अब सब मास्क का इस्तेमाल कर रहे है।चाहे वो शहरी हो या ग्रामीण। इस सब का फायदा मास्क बनाने वाले खूब उठा रहे है। खूब ऊंचे दामों पर बेच रहे हैं। क्योंकि सब एतिहातन मास्क को ही कोरोना से बचने का विकल्प मान रहे हैं, इसलिए इसकी भारी मांग है। हर छह घन्टे के बाद मास्क बदलना होता है और पुराना फैंकना पड़ता है।
आने वाले समय मे यह एक गम्भीर समस्या के रूप में हमें परेशान करने वाली है। पूरे विश्व को इस समस्या को भी समझना होगा, वरना यह पर्यावरण के लिए बहुत घातक सिद्ध होगा। उसके लिए कपड़े के मास्क के प्रयोग पर ही जोर देना होगा और इसे विश्व व्यापक स्तर पर करना होगा। वरना इससे भी ज्यादा भयावह स्तिथि का सामना करना पड़ सकता है।
- सीमा मोंगा
रोहिणी - दिल्ली
कोरोना महामारी के कारण जीवन शैली की दिनचर्या पूर्णतः परिवर्तित हो चुकी हैं। समस्त समुदाय अब इससे निपटने के लिए तैयार हो चुका हैं। लाँकडाऊन के कारण मास्क सामने आया हैं। किन्तु मास्क लगाने का प्रचलन पूर्व से ही हैं। डाक्टर जन आपरेशन के दौरान मास्क का उपयोग करते हैं। जैन धर्म के अनुयायियों को देखिये वे मास्क पहनकर आमजनों के बीच सामने प्रदर्शित होते हैं, जिससे उन्हें मक्खी,अन्य तथा दूषित वातावरण से दूरी बनाए रखती हैं। मुस्लिम-बोहरा, राजस्थानी, अन्य समाज को देखिये, उनका पहनावा। ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतर ग्रामवासी बंकल पहन कर निकलते हैं, उनके कंधों पर हमेशा बंकल मिलेगा। इसी तरह पूर्व में अधिकतर महिलाओं के शरीर पर शाल हुआ करती थी, उनका मानना था कि इसे पहन कर निकलने से शरीर में दूषित हवाएं प्रवेश नहीं करती। लेकिन धीरे-धीरे इस परम्परा से दूरियां बढ़ती जा रही हैं। वैसे देखने यह भी आया कि युवा-युवतियों के चहरे पर कपड़ा डालकर निकलने की फैशन बन चुकी हैं। लेकिन अनेकों असामाजिक तत्वों को देखिये, मुंह पर कपड़ा बांधकर, वातावरणों में निर्दयिता फैला दिया हैं। चेहरे पर नकाबपोश हटवाने की कार्यवाही की गई। रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड पर चेहरे से नकाबपोश हटवाने के लिए माईक से संदेश भेजनें का सिलसिला शुरू हुआ। ठंड के मौसम में तो अधिकांशतः लोग गरम कपड़े का उपयोग कर तव्चा को सुरक्षित रखते हैं। मास्क एक पहल सामने आई। वैसे देखा जाए तो हमेशा मास्क पहनकर रहने से एक फायदा जरूर होता हैं, जब सामने वाले से चर्चा करने के दौरान मुंह से गंद नही आती। जो व्यक्ति पान-तम्बाकू का सेवन करते हैं, उनके लिए जहाँ-वहाँ थूकना, मास्क पहने से परेशानियां तो होती हैं, लेकिन धीरे-धीरे नियंत्रण किया जा सकता हैं। शासन-प्रशासन ने गंभीरता पूर्वक विचार मंथन की कड़ी में मास्क पहनकर निकलने अनिवार्य तो कर दिया हैं। किन्तु सबसे ज्यादा परेशानियां का सामना महिलाओं को हो रहा हैं। जो विशेष
समारोहों में मास्क पहनकर उपस्थित होने पर? जो सामान्य हैं, उन्हें आवश्यकता प्रतीत नहीं होती हैं, लेकिन जो हमेशा सर्दी-खांसी से पीड़ित रहते हैं, उनके चेहरे पर आवश्यक हो जाना चाहिए मास्क पहनकर निकलने के लिए?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
बालाघाट - मध्यप्रदेश
जब से कोरोना नामक इस विषाणु का आक्रमण मानव समाज पर हुआ है, तब से कई तरह की बातें सामने आई हैं। सामाजिक दूरी, हाथों की सफाई, नाक और मुँह को ढ़ँककर ही घर से बाहर निकलना ये सारी बातें कोरोना से बचाव के मुख्य बिंदु हैं। नाक और मुँह को हाथों से कम से कम स्पर्श करना और ढ़ँककर रखना सर्वप्रमुख है क्योंकि इन्हें ही हमारे शरीर के अंदर वायरस का प्रवेश द्वार माना जाता है। और इस प्रक्रिया में *मास्क* एक सहज सुलभ उपाय है। अब जबकि ऐसा प्रतीत होने लगा है कि निकट भविष्य में लाकडाउन तो समाप्त हो जाएगा किन्तु हमें इन सावधानियों को अपनी दिनचर्या में आत्मसात करते हुए ही अपने सभी कार्य परिपूर्ण करने होंगे। इसी में हमारी, हमारे परिवार की और अंततः हमारे समाज की भलाई है। किन्तु कुछ नादान लोग भी हैं जो स्थिति की गंभीरता को नहीं समझते हैं और इन बातों की अनदेखी करते हैं। उन्हें भी इन नियमों का पालन करने की खातिर मजबूर करते हुए अब नियमतः हर चेहरे पर *मास्क* *आवश्यक* हो जाना चाहिए।
- रूणा रश्मि "दीप्त"
राँची - झारखंड
जब से कोरोना नामक इस विषाणु का आक्रमण मानव समाज पर हुआ है, तब से कई तरह की बातें सामने आई हैं। सामाजिक दूरी, हाथों की सफाई, नाक और मुँह को ढ़ँककर ही घर से बाहर निकलना ये सारी बातें कोरोना से बचाव के मुख्य बिंदु हैं। नाक और मुँह को हाथों से कम से कम स्पर्श करना और ढ़ँककर रखना सर्वप्रमुख है क्योंकि इन्हें ही हमारे शरीर के अंदर वायरस का प्रवेश द्वार माना जाता है। और इस प्रक्रिया में *मास्क* एक सहज सुलभ उपाय है। अब जबकि ऐसा प्रतीत होने लगा है कि निकट भविष्य में लाकडाउन तो समाप्त हो जाएगा किन्तु हमें इन सावधानियों को अपनी दिनचर्या में आत्मसात करते हुए ही अपने सभी कार्य परिपूर्ण करने होंगे। इसी में हमारी, हमारे परिवार की और अंततः हमारे समाज की भलाई है। किन्तु कुछ नादान लोग भी हैं जो स्थिति की गंभीरता को नहीं समझते हैं और इन बातों की अनदेखी करते हैं। उन्हें भी इन नियमों का पालन करने की खातिर मजबूर करते हुए अब नियमतः हर चेहरे पर *मास्क* *आवश्यक* हो जाना चाहिए।
- रूणा रश्मि "दीप्त"
राँची - झारखंड
डॉक्टरों व कोविद -योद्धाओं के अनुसार मास्क आवश्यक है और जिससे कोविद के संक्रमण को रोकने में सहायता मिलती है तो उसे अवश्य धारण करना चाहिए । लेकिन कई प्रश्न फिर भी खड़ा रह जाता है -क्या केवल मास्क ही बाजारों की भीड़ में ,सिनेमा हॉल में ,मॉल्स में , सड़क के जाम में , स्कूल कालेज जैसी संस्थाओं में, दफ्तरों में ,कारखानों में कोविद का रक्षा-कवच सिद्ध हो पायेगा ? जहां 20 ,20 मिनट बाद हाथ धोते रहने की भी सलाह है वहाँ 5, 6 घण्टे केवल मास्क पहन कर कोविद से बचा जा सकेगा ?
अगर 4से 6 घण्टे मास्क पहन कर कोविद से बचा जा सकता है तो मास्क चेहरे पर सिल देने में कोई बुराई नही । कम से कम जागरूकता और सावधानी अवश्य दिखाई देगी ।।
- सुशीला जोशी
मुजफ्फरनगर - उत्तर प्रदेश
सरकार के समस्त आदेश शिरोधार्य करने के बाद भी यदि सफलता कन्नी काट रही है तो समझ लेना चाहिए कि प्रकृति प्रसन्न नहीं है। वह कुछ और चाहती है।
सर्वविदित है कि प्रकृति से खिलवाड़ हो रहा है। जिसके कारण वह अप्रसन्न है। प्रकृति से छेड़छाड़ करने से ही प्राकृतिक आपदाएं आ रही हैं। कहीं आगजनी और कहीं भूचाल आ रहे हैं। कहीं सुनामी तो कहीं चक्रवात विनाश ढाह रहे हैं।
कोरोना भी प्राकृतिक महामारी है। जिससे विश्व जूझ रहा है और योग्य से योग्य वैज्ञानिक उसका एक वैक्सीन बनाने में असफल हो रहा है। जबकि डिग्रियों की भरमार है।
कई बार पढ़ने में मिलता है कि शोधकर्ताओं को उनके शोध-निर्देशक मार्गदर्शक विभिन्न प्रकार की भावनात्मक ठेस पहुंचाते हैं। जिससे गुरु और शिष्य की मर्यादा भंग हो जाती है। स्वार्थ का बोलबाला पारदर्शी और सार्वजनिक हो जाता है। जिसके फलस्वरूप ज्ञान अज्ञान में बदल जाता है। जो विकासशीलता से विनाशकारी में परिवर्तित हो जाता है।
अतः हम प्रकृति से मूंह छुपाने के अलावा कुछ नहीं कर सकते। जिसके लिए मास्क उपयुक्त है। जिसे हर चेहरे पर लगाना अत्यन्त आवश्यक एवं अनिवार्य है।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - कश्मीर
हाँ बिल्कुल आवश्यक है कि अब हर चेहरे पर मास्क होना चाहिए मास्क ही हमे इस कोरोना काल में सुरक्षित रख सकता है यह थोडी सी सावधानी जीवन के लिए बहुत आवश्यक है अब जबकि अनलॉक हो रहा है सार्वजिक स्थानो पर मास्क का प्रयोग करना नितान्त आवश्यक है ऐसा न करने पर दण्डित करने के प्रावधान का सख्ती के साथ अनुपालन सुनिश्चित किया जाना परमावश्यक है अभी भी कुछ लोग इसे गंभीरता से नही ले रहे है जबकि हालात खराब होते जा रहे है हम सभी को समझदारी से काम लेना चाहिए हमारी थोडी सी लापरवाही हमारे साथ साथ अन्य के जीवन के लिए भी घातक हो सकती है यह समझना चाहिए ।
- प्रमोद कुमार प्रेम
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
कोरोना के डर ने दुनिया को मास्क पहना दिया । हर पढ़ा-लिखा व्यक्ति खुद की सुरक्षा चाहता है । लेकिन यह भी उसी तरह है जैसे पता होने पर भी कि तम्बाकू और सिगरेट फेफड़े खत्म कर देते हैं और कैंसर के कारण हैं, लोग सेवन के लिए कुछ भी करते हैं।
मास्क जरूरी तो है ही । बल्कि इससे और भी कई बीमारियों से बचा जा सकता है। लेकिन सही उपयोग और अनिवार्यता का महत्व लोगों को समझाना होगा। साथ ही उन्हें बीमारी की भयावहता को भी बताना होगा । मजदूर वर्ग अभी भी उसकी आवश्यकता को नहीं समझ पा रहा और उम्मीद नहीं है कि समझेगा ।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
कोरोना वायरस जब से आया है सभी के लिए होव्वा बन गया है! नए नए शब्द नई नई बीमारी! इससे बचने के लिए जिसने जो तरीके बतलाए सभी ने किये और क्यों ना करता सभी को अपनी अपने परिवार के जान की फिकर है ! मास्क पहनना,शारिरीक दूरियां बनाये रखना, बार बार साबुन से हाथ धोना अथवा सेनिटाइजर का उपयोग कोरोना से बचने के उपाय हैं!
रही बात मास्क का आवश्यक होना--- हकीकत में तो हम छींक भी मारते हैं ना तो मुंह बंद कर देते हैं कपड़े से अथवा हाथ रखकर चूंकि कीटाणु (बैक्टीरिया नाक या मुंह से हमारे शरीर में प्रवेश न कर जाए और यह हमें बचपन से सिखाया जाता है उसी तरह हाथ धोने को भी कहा जाता था! रही सोशल डिस्टेनसिंग की बात यह नया सीखा और सुना!
किडनी,हार्ट,लीवर,का आपरेशन हुआ हो अथवा कैंसर पीडित, टीबी मरीज चेहरे पर मास्क लगाते हैं ताकि उन्हें इंफेक्शन ना हो और दूसरों को न फैले!
WHOके अनुसार मास्क जरुरी नहीं है अन्य देशों में मास्क लगाना जरुरी है !
मेरा यही कहना है मास्क लगाने से प्रोटेक्शन तो मिलता है जाने अनजाने में हम कितनी बार अपने मुंह को छूते हैं उसी हाथ को बार बार सेनेटाइज करने को कहते हैं अतः बाहर पहन कर जाएं तो कोई तकलीफ नहीं है!सुरक्षा ही मिलेगी!
वैसे भी सर्दी, खांसी, बुखार के कीटाणु तुरंत इंफेक्ट करते हैं और कोरोना के लक्षण भी मिलते हैं! साधारण जुखाम भी ध्यान न देने से निमोनिया हो सकता है!
जब तक कोरोना की वैक्सीन नहीं मिलती( दवाई) हमें अपना और औरों का ख्याल रखना है!
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
चेहरा दिखे उससे ज्यादा जरूरी है कि चेहरा रहे अर्थात आज हर चेहरे पर मास्क बहुत जरूरी सा प्रतीत होता है।जिस प्रकार कोरोना वैश्विक महामारी का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है उसको ध्यान में रखते हुए हम सभी को मास्क को अपने शरीर का ही अहम हिस्सा बना लेना चाहिए।जब भी बाहर निकलें फिर चाहे वो अपनी ही कॉलोनी में क्यों न हो,हमें मास्क पहनकर ही निकलना चाहिए।हम पूरी सावधानी बरत रहे हैं परंतु हमें यह नहीं पता कि सामने वाला कितनी सावधानी बरत रहा है।उसके हालात क्या हैं।
अक्सर हम दूध या सब्जियां लेने के लिए निकलते हैं और ये मानकर चलते हैं कि जो भी वहां आ रहे हैं हम तो रोज ही मिलते हैं फिर क्यों मास्क।जी नहीं मास्क हमें सिर्फ अपने लिए ही नहीं बल्कि अपने परिवार वालों व मुहल्ले वालों की सुरक्षा के लिए भी पहनना है।इसलिए इसे अपने वस्त्रों में शामिल कर लेना होगा।
मास्क केवल एक जरिया है जिसको पहनने से हम खुद का और दूसरों का बचाव कर सकते हैं इस संक्रमण के फैलने से।इसलिए आज और आनेवाले समय में मास्क चेहरे पर अति-आवश्यक हो जाना चाहिए।
- नरेश सिंह नयाल
देहरादून - उत्तराखंड
कुछ कुछ ऐसा महसुस हो रहा हैं मानो सब कुछ सामान्य हो गया हो लोग लापरवाह होते जा रहे हैं कोरोनो वायरस की रोकथाम के लिये जो हमने दो माह तक अपने आप को लाॅकडाउन का कढाई से पालन कराया था सब बरबाद होता नजर आ रहा हैं सरकारी निर्दैसो पर ध्यान नही दिया जा रहा हैं जो बाजार में दूरी बनाये रखना थी वह नदारत नजर आ रही हैं मास्क कुछ लगा रहें हैं कुछ नही लगा रहें हैं फिर बाजारो में पुर्व की भाती भीड़ नजर आ रही हैं लाकडाउन खुलने ओर हमें कोरोना वायरस के न होने का ऐसा गुमाम नजर आ रहा हैं समय रहते सभी सुरक्षा के इंतजाम हमे शक्ती से अपने उपर लागु करना चाहिये ताकी वह हम भी बच सके एव अपनों को भी सुरक्षीत रख सके याद रखना हम स्वस्थ तो अपने स्वस्थ साथ साथ अपना गाँव मोहल्ला कस्बा शहर महानगर प्रदेश ओर देश स्वस्थ अतः बै हिचक मास्क अनिवार्य रूप से लगाये एक दुसरे से दूरी बनाये रखे कोरोना को दूर से ही राम राम कहे कमिना कोरोना खुद अपनी मौत मर जायेगा ।
- कुन्दन पाटिल
देवास - मध्य प्रदेश
जी हां अब हर चेहरे पर मास्क जरूरी है और होना चाहिए ,क्योंकि बचाव ही सुरक्षा है।लाक डाउन में छूट मिलने पर लोगों की आवाजाही और भीड़-भाड़ बढ़ रही है। जिससे कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा और बढ़ गया है। आंकड़ों से भी स्पष्ट है कि देश में लगभग 10,000 व्यक्ति प्रतिदिन इससे संक्रमित हो रहे हैं ऐसी स्थिति में मास्क तो बहुत जरूरी है। इसके साथ साथ आंखों पर चश्मा, हाथों पर दस्ता,ने पैरों में मौजा या जूते जैसी सुरक्षा भी अत्यावश्यक है। सावधानी हटी दुर्घटना घटी, नारा अब मात्र सड़क दुर्घटनाओं के लिए ही नहीं कोरोना वायरस संक्रमण के लिए भी मानना चाहिए। सावधानी और बचाव ही, हमें सुरक्षित रख सकते हैं। यह वायरस मुंह और गले को प्रभावित करता है। इसमें छींके आने का लक्षण होता है, इसलिए मास्क अनिवार्य है। ताकि कोई भी प्राणी संक्रमित होने से, करने से बच सके।
मास्क लगाएं मुंह पर,मल मल धोएं हाथ।
सावधानी मत छोड़िए,जीना कोरोना के साथ।आयुष काढ़ा नित पिएं, रहे सजग सावधान।
भीड़भाड़ के बीच में,जाना मत श्रीमान।। बनाकर रखना दूरी।मास्क है बहुत जरूरी।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
सीख लेना है अब आँखों से मुस्कराना
कि चेहरे की मुस्कान मास्क ने छिपा ली है
जी हाँ दोस्तों - - जब तक ये कोरोना बैरी का प्रतिरोधक वैक्सीन या सर्वोचित दवाएँ नहीं मिल जाती तब तब बस मास्क के साथ ही जियो और जीने का अंदाज बना लो।
जैन धर्मावलंबियों में मास्क सारी जिंदगी पहनते हैं और पवित्र जीवन सिद्धांत अपनाते हैं। कुछ ऐसे ही प्रयोग म लोगों को करना है। जीवविज्ञानी बता रहे हैं कि आगे भी ऐसी महामारी अब आम हो गई हैं अगले युद्ध जीवाणु युद्ध होंगे और इंसान की हैसियत कीड़ों मकोडों सी हो जाएगी। तो सहज मन करता है कि उस हैसियत को लेकर जीने से अच्छा है मास्क के साथ और कोरोना के चलते जो अनुशासन अपने भीतर पनपा है उसके साथ जीने मरने की आदतें डाल लें।
कोरोना तुमने चेहरों पर मास्क चढा़ दिया
अच्छा है अनेकानेक समस्याओं से बचा लिया
दोहन किया है प्रकृति का जिस तरह हमने
सृष्टि और इंसानियत को चेहरा दिखाने की शर्मिंदगी से बचा लिया।।
दोस्तों सुरक्षा कवच
मास्क पहनो सुरक्षित रहो।।
- हेमलता मिश्र
नागपुर - महाराष्ट्र
आज कोरोना जैसी महामारी से संपूर्ण विश्व प्रभावित है ।सबसे अधिक गंभीर एवं चिंतन का विषय है कि हमारे पास कोई ठोस उपाय नहीं है ना ही दवा उपलब्ध है, ऐसे में फकत अनुमान है क्या क्या हो सकता है !
आज हमारे पास अपना जीवन बचाने के अलावा और कोई महत्वपूर्ण कार्य नहीं है । 'मास्क ' एक मात्र संरक्षक के रूप में हमारे पास उपलब्ध है ।मास्क हमें कई बीमारियों में सहायक होगा ,अन्य सक्रिय संक्रमणों से भी सुरक्षा मिलेगी । कोरोना काल ने मनुष्य को जीवन के प्रति गंभीर और सचेत कर दिया है । हमें अपनी दिनचर्या में मास्क सदैव के लिए अपना लेना चाहिए, ताकि अन्य बीमारियों से भी सुरक्षित रह सके ।
हर व्यक्ति के लिए मास्क का उपयोग आवश्यक हो जाना चाहिए, तभी हम कोरोना जैसी महामारी को मात दे सकेंगे ।
- डॉ.आशा सिंह सिकरवार
अहमदाबाद - गुजरात
हमारे देश में मास्क पहनने की परंपरा नयी नहीं है । हम देखते हैं कि जैन साधु-साध्वी मुहपत्ति बांधे रखते हैं जो मास्क का ही एक रुप है जिसका उद्देश्य भी संक्रमण से सुरक्षा ही है । घूंघट प्रथा भी आंख, नाक, कान, मुंह को सुरक्षित रखने में कुछ सीमा तक उपयोगी मानी जा सकती है क्योंकि ऐसी स्थिति में हमारे हाथों से बार-बार चेहरा छूने से बच जाते हैं ।
कोरोना महामारी में घर से बाहर निकलते समय मास्क लगाना अनिवार्य है । इसे लगाने के फायदे ही हैं ।
कोरोना वायरस का संक्रमण जब तक पूर्णरूप से समाप्त नहीं हो जाता तब तक तो हर चेहरे पर इसे लगाना अति आवश्यक है क्योंकि अभी सिर्फ बचाव ही उपचार है । कोई दवाई अथवा टीका नहीं बना है ।
ये वायरस से ही नहीं बचाता अपितु महिलाओं की आवश्यकताएं भी सीमित करता है ।
जो लोग आंखों की भाषा पढ़ना भूल गए थे अब वै पुनः सीखने का प्रयास करेंगे । आंखें कुछ कहेंगी........बोलेंगी.......हंसेंगी.........मुस्कुराएंगी ।
तो मास्क लगाईये ......... सुरक्षित रहिये .........कोरोना को भगाईये ।
- बसन्ती पंवार
जोधपुर - राजस्थान
वर्तमान समय की आवश्यकता है- मास्क। हर चेहरे पर मास्क पहनना बहुत जरूरी है। कोरोना के वर्तमान समय में मास्क के बिना संक्रमित होना अति घातक सिद्ध हो सकता है। हम सभी जानते हैं हमारे देश में कोरोना की संख्या लाखों में पहुँच रही है। बड़े ही खतरे का समय है। काफी हद तक मास्क पहनने से हम इस घातक बीमारी से बच सकते हैं परंतु इसके साथ-साथ हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि बार-बार मास्क को छुए नहीं और बार बार उसको उतार कर रखने से और फिर से उसे पहनने से भी संक्रमित होने का भय बना रहता है।
समस्या यह भी है कि बार-बार हर रोज़ मास्क को बदलना भी मुश्किल है। इसके बचाव के लिए हमें किसी भी सूती कपड़े, रुमाल का इस्तेमाल भी कर सकते हैं यदि हम सोचते हैं कि मास्क पहनने के बिना हम कहीं भी इधर-उधर घूमते रहें तो यह ठीक नहीं है। भले ही घर में रहते हुए या एकांत में रहते हुए मास्क पहनना जरूरी नहीं है लेकिन जब हम कहीं भी बाहर जाते हैं तो मास्क अवश्य पहन कर जाना चाहिए क्योंकि कोरोना की एक चेन है -एक से अनेक होना। चेन को तोड़ना है हमें। इसे पहनने से हम अपना बचाव तो करेंगे ही बल्कि साथ में अपने देश को भी सुरक्षित रखने में हमारी अहम भूमिका सिद्ध होगी।
- संतोष गर्ग
मोहाली - चंडीगढ़
" मेरी दृष्टि में " चेहरे पर मास्क लगाना सरकार ने भी अनिवार्य कर दिया है । जुर्माना का भी नियम बन गया है । मास्क के बिना जीवन असम्भव है । जो मास्क के बिना सड़क पर चल रहा हैं । वह अपने जीवन के साथ - साथ दुसरे का जीवन भी खतरे में डाल रहा है ।
- बीजेन्द्र जैमिनी
सम्मान पत्र
आज की चर्चा में अटल रत्न सम्मान मिलने पर हार्दिक बधाई रूणा रश्मि जी मंगल कामनाएं 👏👏👏👏👏👏🙏🌹🙏
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