कोरोना से खुद को बचाते हुए कैसे बढना है आगें ?

कोरोना के लॉकडाउन ने अर्थव्यवस्था का बुरा हाल कर दिया है । जिससे हर व्यक्ति प्रभावित हुआ है । ऐसे मे आगे बढना एक चुनौती है । फिर भी लोगों को जीवन जीने के लिए कोई ना कोई साघन तो चाहिए है । यहीं " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
इस महामारी से  बचाते हुए। हम सभी को अपने काम तो करने पड़ेंगे और जिंदगी किसी के लिए नहीं रुकती हैं आगे तो बनना ही पड़ता है यह तो प्रकृति का शाश्वत नियम है।हमें चाहिए कि हम अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें क्योंकि सही स्वास्थ्य में इस बीमारी से बचा सकेगा हमें अपनी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना है अपने जीवन की दिनचर्या के शुरुआती योगा से करनी है और इसके बाद हमें सात्विक खाना खाना है और भोजन में अंकुरित अनाज लेने हैं और फलों का प्रयोग करना है जो  सीजन में बहुत मिलते हैं उसके साथ साथ हमें अपने मन को थोड़ा सा धर्म करने लगाना चाहिए क्योंकि उससे हमारा मनोबल बढ़ेगा और भगवान के प्रति आस्था बढ़ेगी तो हमारे अंदर निगेटिव विचार आएंगे ही नहीं इससे हमारा मन मजबूत होगा। सकारात्मक तरीके से आगे बढ़ना चाहिए। अच्छे लोगो के साथ हमेशा अच्छा होता है ऐसा मन में विश्वास रखना चाहिए। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना चाहिए और साबुन से हाथ धोना चाहिए 20 मिनट तक मुंह पर कपड़ा बांधना चाहिए सभी साफ सफाई स्वच्छता के नियम के साथ हमें अपने काम पर जाना चाहिए हम जो भी काम करते हैं उसका करने का थोड़ा तौर तरीका हमें परिवर्तित करना पड़ेगा अगर ऑफिस में हम पास पास बैठते हैं तो हमें दूर दूर बैठना पड़ेगा थोड़ा सा और अपने खाने पीने की चीजों को भी धो कर इस्तेमाल करके लेना पड़ेगा जाने समझे लोगों से ही सामान खरीदें नई दुकानें और नए लोगों के चक्कर में हमें नहीं फंसना चाहिए अपने स्वास्थ्य का ध्यान देना चाहिए क्योंकि स्वास्थ्य सच्चा धन है।
जियो और जीने दो के सिद्धांत को अपनाना चाहिए।
- प्रीति मिश्रा 
जबलपुर - मध्य प्रदेश
कोरोना आसानी से हमारा।पीछा नही छेड़ने वाला सालो लग जायेंगे इसकी वैक्सीन बनने व कारगार दवाई बनने में तब तक , हमें कोरोना के साथ ही जीना है!
।जिदगी की असली चुनौती तो अब शुरू होगी। जिस मुंबई में जाकर लोग सपने सजाते हैं, उस मुंबई में फैली वायरस की तबाही ने हमारा गुजारा तक छीन लिया। पैदल लड़खड़ाते पांव में छाले भरे हम घर तक पहुंच गए लेकिन साथ लाए लड़खड़ाई हुई जिदगी भी। कोरोना ने घेरकर जले पर नमक छिड़क दिया..यही हकीकत है। 
मजदूर यही तो कह।रहे है सब कुछ छीन लिया कोरोना ने , 
सुख , चैन , नौकरी,घर सब गया कोरोना के नाम ,
पर जीना है और हिम्मत से जीना है । 
जीवन वही जहां चुनौति हो । 
काम तो करना है परिवार तो पालना है तो क्या न हंस कर कोरोनावायरस को अपनाए और 
उसको साथ लेकर जीना शुरु करे ,क्योंकी लाकडाऊन , कब तक , पेट खाना मांगता है , खाने के लिए पैसा चाहिए पैसे के लिए काम और काम के लिए।बहार जाना पडेगा , 
तो यही तरीका।है की।कोरोना को  स्वीकार ले अपना लें समझ ले और उसके साथ उससे बचाव के निर्ँदेशो को अपनाते हुए फिर से  जीवन जीना शुरु कर दे । ।
 हमारी दिनचर्या का अंग बना ले कोरोना को , सभी जरुरी सावधानियों के साथ जीवन शुरु करे , मास्क, सेनिटाइजर, दूरी , नमस्कार , छीकने , का तरीका, आदि सब।अपनी जरुरतो में शामिल कर जीदगी थी दौड़ फिर से शुरु खरीदें, सावधानी तो रखनी पड़ेगी , और सावधानियां ही अब जीवन को आगे बढायेगी 
सावधानियां हटी तो दुर्घटना घटी , कोरोना ने आप को पकड़ा तो , जरुरी यही है कीनिर्देशो के साथ ईमानदारी से जीवन आगे बढ़ाए व परिवार को खुशियां दे । 
- आश्विन पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
आज देश मे एक दिन में दस हजार से ज्यादा व्यक्ति संक्रमित निकल रहे है , जिन्हें देखते हुए अपने बचाव में भारी सतर्कता बरतनी आवश्यक हो गई है , हमारी एक छोटी सी चूक न केवल हमे बल्कि हमारे पूरे परिवार को महीनों के लिए बेघर कर सकती है । यही नही बल्कि यही भूल हमसे हमारी जिंदगी तक छीन सकती है ।
मास्क का लगातार इस्तेमाल करते हुए अपनी रोजमर्रा की जिंदगी के आयामो में भारी बदलाव करने की जरूरत है , तभी हम लाइलाज कोरोना बीमारी के साथ समाज मे जीवन यापन कर सकते है । खान पान में आयरन कैल्शियम व इम्यूनिटी को बढ़ाने वाले भोजन को प्राथमिकता देने के साथ साथ समय समय पर हाथ धोने को अपनाना होगा । वही दो गज की दूरी रखते हुए ही अपनी रोजमर्रा की जिंदगी के कामो को निपटाने होंगे । 
- परीक्षीत गुप्ता
बिजनौर - उत्तरप्रदेश
मानव जाति के इतिहास में बड़ी-बड़ी प्रलय आयीं पर मानव ने दृढ़ता से उनका सामना किया है और उस प्रलय से हुई हानि से उबरते हुए भविष्य की ओर पुरजोर शक्ति से प्रस्थान किया है।
इसी प्रकार कोरोना अपनी पूर्ण ताकत से कहर बरपा रहा है। अन्ततः इस पर भी मानव विजय प्राप्त करेगा परन्तु वर्तमान में यह प्रश्न उचित है कि कोरोना से खुद को बचाते हुए आगे कैसे बढ़ा जाये? 
सामाजिक एवं आर्थिक समस्याओं के समाधान के लिए लाॅकडाउन की स्थिति समाप्त की गयी और देश अनलाॅक है।
अनलाॅक में देश के प्रत्येक नागरिक को स्वयं की जिम्मेदारी समझते हुए और अधिक गम्भीरता से कदम बढ़ाते हुए कोरोना से बचाव की सावधानियों को अपने जीवन का अंग बनाना है। परन्तु इस अनलाॅक में नागरिक अपनी जिम्मेदारी नहीं समझ रहे हैं। कोरोना से बचाव के लिए अनिवार्य सामाजिक/शारीरिक दूरी एवं मास्क के प्रयोग में हर जगह घोर लापरवाही देखी जा रही है। यह लापरवाही हमें कोरोना के विरूद्ध युद्ध में कमजोर करेगी और आगे बढ़ने में बाधक होगी। 
कोरोना से बचाव के उपायों का जन-जन तक व्यापक प्रचार-प्रसार हो चुका है। अत: अब, सभी लोगों द्वारा उन उपायों को सामान्य दिनचर्या में दृढ़ता से व्यवहार में लाकर कोरोना से बचाव करते हुए आगे बढ़ने की आवश्यकता है। 
- सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग '
देहरादून - उत्तराखण्ड
कोरोना,कोरोना,कोरोना,
अब तो जीवन से दूर हो न।
   कोरोना  की बदहाली आज हमें जगह जगह दिखाई दे रही है। इसने अपने पैर न केवल एक देश में अपितु पूरी दुनिया में ही मजबूती से जमा लिए हैं।यह न जाने कितने परिवारों की खुशियों को निगल गया है, न जाने कितने मासूमों को अनाथ कर दिया है न जाने कितने माता पिता को बेऔलाद कर दिया है, न जाने कितने बुजुर्गों की छत्र छाया से असंख्य परिवारों को वंचित कर दिया है।
    अति सहन करने की भी एक सीमा होती है।विपदा चाहे कितनी भी विकट क्यों न हो समय अपने चक्र पर जिस प्रकार घूमता है और अपनी परिधि को पूर्ण करता है उसी प्रकार हमें भी प्रेरणा लेते हुए अपने जीवन काल को चलाना है।एक पल का नहीं पता कि कब सांसे रुक जाएं, फिर भी हम सभी भविष्य की योजनाएं बनाते हुए बचत करते हैं। ठीक उसी प्रकार हमें भविष्य में कोरोना के दुष्प्रभाव से बचने के लिए स्वयं में आत्मविश्वास की ज्योत जलानी होगी,सावधानी बरतनी होगी,समाज से जुड़कर सामाजिक दूरी बनानी होगी,अपनी दैनिक क्रियाओं में परिवर्तन लाना पड़ेगा,योग और योगा को जीवन का अभिन्न अंग बनाना पड़ेगा,भारतीय संस्कृति की नमन शैली को अपनाकर पाश्चात्य संस्कृति परस्पर हाथ मिलाने की परम्परा को विश्राम देना पड़ेगा,सात्विक आहार- विहार एवं प्रेरणादायक विचारों  का मंथन करते हुए हम कोरोना जैसे न जाने कितने ही ख़तरनाक कीटाणुओं को हरा सकते हैं।
    अंत में निम्न पंक्तियों से विराम चाहती हूं,,,,
       हे मानव उठ जाग और देख,
       अपने हाथों का ही तेरा लेख।
       मत ख़ुद को लाचार बना अब,
      अब भी न चेता तो चेतेगा कब?
      कोरोना नहीं है कुछ भी तेरे आगे,
      गर विचार हुआ ऐसा तो यह भागे।
     तेरा प्रताप ओ मानव!ऐसा महान,
     तभी ईश्वर ने बनाया तुमको इंसान।
- डॉ. विभा जोशी (विभूति)
दिल्ली
      पूर्व में कोई भी बीमारियां सामान्यतः  सामने आती थी,  ग्रामवासी, शहरवासी किसी भी तरह की दवाईयां अपने स्तर पर विभिन्न प्रकार से  स्वतंत्र रुप से  उपयोग कर लेता था। जब ज्यादा परेशानियां आती थी, तभी डाँक्टरी इलाज करवाता था।  लेकिन कोरोना महामारी के कारण जीवन शैली की दिनचर्या  पूर्णतः परिवर्तित हो चुकी हैं। जैसे ही पूर्ववत बीमारियों का आभास होता हैं, तुरंत ही अब अस्पतालों में पहुँच रहा हैं, तरह-तरह का इलाज करवाकर स्वच्छ होकर लौट रहा हैं। सामान्यतः बीमारियों से ग्रसित नहीं रहना चाहते।
आज सभी के दिमाग में कोरोना महामारी का भय व्याप्त हैं।  ठंड मौसम समाप्ति के पूर्व तथा ग्रीष्म ऋतु के आगमन पर कोरोना महामारी का प्रारंभ हुआ, अभी तो वर्षा ऋतु में  सभी बीमारियों का संक्रमण फैलेगा, तब तो और सावधानियाँ की आवश्यकता प्रतीत होगी। आमतौर पर सभी को देशी दवाईयों की ओर पूर्णतः ध्यान केन्द्रित करना होगा। जैसे आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में शाम के समय कंडे-नीम के पत्तों को जलाने की प्रथा चले आ रही हैं, जिसके जलाने से घरों में कीटाणुओं का प्रवेश नहीं होता, घरों में प्रवेश द्वार के सामने पानी की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि घर वासी पैर धोकर प्रवेश करें, प्रति दिन राँल-गुगल धूप से घरों में हवन करें। सीमित खान-पान, अनावश्यक भाग-दौड़  की ओर ध्यानाकर्षण करना होगा। हल्दी-गुड़ का सेवन करना होगा, तभी समस्त ॠतुओं, समस्त बीमारियों के साथ-साथ, तनाव मुक्त रहने की आदत डालनी होगी, तभी कोरोना महामारी से बचाव किया जा सकता हैं।
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
बालाघाट - मध्यप्रदेश
कोरोना से खुद को बचाते हुए आगे बढ़े...... 
कोरोना से स्वयं को व परिवार को सुरक्षित रखने के लिए सबसे पहले शुरुआत अपने घर से ही करें l जिन चीजों का प्रयोग रोज होता है उनकी सफाई करें l कुर्सी, मेज, दरवाज़े, हैंडिल व बिजली के स्वीच आदि को रोज साफ करें l बीस सेकेण्ड तक हाथों को रगड़कर धोयें व ऐसे सेनेटाइजर का उपयोग करें जिसमें कम से कम 60% एल्कोहल हो l यह प्रक्रिया दिन में पांच छह बार अपनाये l यदि बच्चा स्कूल में जा रहा है तो उसे ग्रुप में जाने या शामिल होने से बचाने की सलाह दें तथा मास्क का प्रयोग करें l परिवार में वायरस को लेकर सकारात्मक माहौल बनाये, भय का नहीं l ध्यान रहे, कोरोना के आसन्न खतरे को हल्के में लेना देश के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है l सोशलमीडिया के "महाज्ञानी "लोग कोरोना को लेकर बेतुका ज्ञान बाँट रहे है l ध्यान दें कि कोविड -19 श्वसन संबंधित रोग है जिसे 75% एकमेहल छिड़ककर तथा उससे साफ करने से ही मारा जा सकता है, शराब पीकर नहीं l हमें केवल सरकार तथा विश्वस्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी निर्देशों की पालना करते हुए ही आगे बढ़ना होगा l 
                      साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें l भीड़ भाड़ वाली जगहों के साथ साथ अफवाहों से भी व्यापक दूरी बनाये रखें l रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए एक लीटर पानी में दो बूंद तुलसी रस डालकर पी सकते हैं l कार्य स्थल पर सोशल डिस्टेंसिंग, फेस मास्क, फेस कवर का उपयोग करें l स्वयं के तथा कार्मिकों के काम के घंटे कम कर दें l स्वयं व उनमें आत्मविश्वास जगाते हुए मानवीय दृष्टिकोण अपनायें l 
                अस्पतालों में भीड़ कम करने के लिए टेलीमेडिशन को प्राथमिकता दें l अतिआवश्यक होने पर ही घर से बाहर निकले l अगर आपको बुखार सांस लेने में तकलीफ तथा खांसी लगातार तकलीफ देती हुई आये तो आगे बढ़ने की अपेक्षा तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करें l 
                              चलते चलते -----
सहसा विदधीत न क्रियाम विवेकः, परमा पदाम पदम् l 
व्रणते ही विम्रस्यकारिणीम गुण लुब्धा स्वमेव सम्पदः ll     
              अर्थात जल्दबाजी में कोई कार्य नहीं करना चाहिए क्योंकि बिना सोचे विचारे किया गया कार्य घर में विपत्तियों को आमंत्रण देता है l जो व्यक्ति सहजता से सोचविचारकर कार्य योजना से जीवन में आगे बढ़ते हैं लक्ष्मी स्वयं ही उनका चुनाव कर लेती है l
- डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
जी विषय चिन्ता का है कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है ।
लॉक डाउन की ढील होने से जनता लापरवाही बरत रही है संक्रमण बढ़ता जा रहा हैै हमे सर्तक रहना होगा कोरोना महामारी से खुद को बनाना होगा आर्थिक स्थिति  में सुधार लाना है तो काम भी जरूरी है परन्तु अपनी सुरक्षा का ध्यान अवश्य रखना है मुँह पर मास्क लगाना है दूरी बनाकर रखनी है अधिक भीड़ वाले स्थान से बचे जरूर हो तो बाजार जाए जितना हो सके घरों में रहे खाने पीने के पदार्थो मे सावधानी बरतनी है बाहर का नही खाना हैै ठंडा जितना हो सके उससे बचे हाथों को बार बार धोए सेनेटाइज़र करना है बचाब ही सुरक्षा है खतरा टला नही है सावधान रहे।
खतरा टला नही है यार
को विड़ 19 है तैयार
जो तुम जाओ घर से बाहर
मास्क लगाओ  दूरी बनाओ
ना करें ये वार ॥
खतरा टला नही मेरे यार
ढील हुई लॉक डाउन मे
खतरा बढ़ा रे भईया
अपनी सुरक्षा करो रे भईया
कर देगा ये वार
जनता हो जाओ होशियार
को विड 19 है तैयार ॥
भीड़ चले सड़को पर भारी
बिमारी की करे तैयारी
अब भी ना समझ पाये तो
हो जाओगे बिमार
खतरा टला नही मेरे यार
- नीमा शर्मा हंसमुख
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
कोरोना से छुद को बचाने से अपने आप दुसरो को भी आप सुरक्षीत कर देते हैं अतः सवयं की सुरक्षा मतलब सामने वालो की भी सुरक्षा हैं तो आओं सवयं सुरक्षा का कड़ाई से पालन हम करेते जाय हम यह तय करे की हमने ओर हमारे सामने वाले ने मुंह पर मास्क अनिवार्य रूप से लगाया या नही हम कही भी जाये आये हाथ थोकर ही आये जाये। एक दुसरे से दुरियाँ बराबर कर के रखना होगी जब हम इन सुरक्षा उपायो को अपनाते हैं या जीवन का अनिवार्य रूप से हिस्सा बना लेते हैं तो फिर हमारे सामने अब हमारे जीवन के अन्य काम रह जाते हैं जीसे हमे करना हैं वह हैं की आर्थिक रूप से उपर उठना अब हमे जी जान से अपने काम पर लग जाना हैं नया दौर हैं नया नया कोरोना काल में कुछ हमे समस्या हो सकती हैं पर हमें हिम्मत से काम लेना हैं अपना काम को अन्जाम देना हैं काम करना हैं सवयं आगे बढना हैं ओर देश को भी आगे आने में सहयोग करना हैं अतः सुरक्षा के तमाम उपायो को अपनाते हुये कढी मेहनत से हमे आगे बढना हैं बस मै इतना ही कहुगाँ।
- कुन्दन पाटिल 
देवास - मध्यप्रदेश
कोरोना से खुद को बचाते हुए  हमें बढ़ना है आगे
भारत कोरोना संक्रमण में विश्व में 5 वें स्थान पर आ गया है ।  लॉकडाउन 5 या अनलॉक 1 में 10 फीसदी दुकान ही खुल पायी हैं ।  लोगों को छूट तो मिली लेकिन संक्रमितों का आँकड़ा देश में बढ़ता जा रहा है । देश में संक्रमितों की एक्टिव संख्या 137448 है । महाराष्ट्र में कोरोना के मरीजों की सँख्या 94 हजार के पार होगयी और 3438 लोगों की मौत हुई । लोगों की भीड़ बाजारों में दिखती है । अनलॉक 1 में लोगों को छूट तो मिली लोगों  की माँग दूसरी  सुविधाओं  जैसे  आवाजाही के लिए  लोकल  ट्रेन , बसों आदि को भी सरकार को छूट  देनी होगी ।  कंटेनमेंट जोन में लाकडाउन के नियम लागू रहना जनहित में है । कोरोना के कहर से बचने के लिए   सिनेमाघर  , स्कूल आदि नहीं खुलने चाहिए ।देश में एक दिन में 9 हजार 996 लोग संक्रमित हो रहे हैं । ऐसे में दिल्ली सरकार के नाक के नीचे लोग  सरकारी अस्पताल में मर रहे हैं । मेडिकल सुविधाओं पर अरविंद केजरीवाल की राजनीति  ही रही  हैं । दिल्ली में कम्युनिटी स्प्रेड की तस्वीर नजर आ रही है । लोग अनिमियता को बरत रहे हैं । लोग अपनी  जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं ।अधिकतर लोग मॉस्क नहीं लगा रहे हैं । लोगों को खुद को बचाना है , लोगों को बचाना है । देश में फिर से लॉक डाउन की जरूरत है ।  लॉकडाउन  पर नयी नीति सरकार को अनलॉक में लानी होगी ।
किसान अब सरकारी नीतियों से अपनी फसल का अनाज खलियानों से बेच सकेगा ।
हमें कोरोना न फैले हर व्यक्ति से 2 गज दूरी पर रहना होगा । हाथ , मुंह बार - बार धोने होंगे ।हर स्थान को सेनिटाइजिंग करना होगा । मॉस्क लगाना होगा ।
देश के लोग अभी जागरूक नहीं हुए हैं । भीड़ सार्वजनिक स्थानों पर भीड़ दिखाई देती है । अधिकतर
पढ़े - लिखे , अनपढ़  लोग मॉस्क लगाए नजर नहीं आ रहे हैं ।
देश संकट से जूझ रहा है । सबको मिलकर कोरोना की लड़ाई लड़नी है । मन के हारे हार , मन के जीते जीत है ।
- डॉ मंजु गुप्ता
 मुंबई - महाराष्ट्र
कोरोना महामारी एक सूक्ष्म , अदृश्य और लाइलाज वायरस के संक्रमण से फैल रही है । इसके संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देश में लाॅकडाउन लगाया गया  ।  देशवासियों ने 71 दिन लाॅकडाउन झेला । सरकारी दिशा - निर्देशों का पालन किया । बहुत सी सावधानियां अपनाई गई । लेकिन परिणाम सबके सामने हैं । कोरोना के मामले दिनों दिन बढ़ते ही जा रहे हैं  । पहली जून से अनलाॅक चला है । चूंकि रोजी - रोटी कमाने और आर्थिक स्थिति को बचाए रखने के लिए काम - धंधों पर एक दिन तो लौटना ही था इसलिए काम - धंधे शुरू करने पड़े । दुकानें , होटल  , माॅल  , परिवहन चलाने पड़े । जब आवागमन होगा तो संक्रमण तो बढेगा ही । ऐसे में हमें खुद ही अपनी हिफाजत करनी पड़ेगी । जाॅब भी करनी होगी और हिफाजत भी । मास्क पहनना पड़ेगा । अपने हाथों को समय समय पर धोना पड़ेगा । छींकते खांसते टिशू पेपर का इस्तेमाल करना पड़ेगा । सैनिटाइजर का प्रयोग करना पड़ेगा । अनावश्यक रूप से घुमना न होगा । दो गज की दूरी बना कर चलना होगा । सब्जियों , फलों और दूध - लस्सी- दही के पाऊच नमक वाले पानी से अच्छी तरह धोने होंगे  । सुबह - शाम गरम पानी और नमक के गरारे करने होंगे । और ये सब बातें हमारे हाथ ही हैं । 
- अनिल शर्मा नील 
 बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
पिछले ढाई महीने से हम कोरोना जैसे संक्रमित वायरस के साथ जी रहे हैं चूंकि इस संक्रमण से बचने के लिए इसकी वैक्सीन तैयार नहीं हुई है(दवा नहीं बनी) अतः हमें समझ लेना है कि हमें जो कुछ भी करना है कोरोना के साथ उससे बचते हुए करना है! जीवन में आगे तो बढ़ना है रोज के काम काज, शिक्षा, उद्योग धंधे सभी देखना है! आय का श्रोत होगा तभी हम अपना पेट भर सकते हैं! उसके लिए हमें  घर से बाहर निकलना पडे़गा! 
वर्तमान में हमारे साथ यह संक्रमण भी हमारे साथ ही है अतः अपने वर्तमान को बचाने के लिए  हमे इससे बचने के सभी उपायों का पालन करना होगा! 
1)मास्क जरूर पहने 
2)सोशल डिस्टेनसिंग बनाए रखें
3)सेनीटाइजर का उपयोग करे
4)भीड़ में न जाएं
5) बार बार साबुन से हाथ धोएं
6)वयस्को का ध्यान रखें! 
 बोझ समझकर नियम का पालन न करें संक्रमण से बचने के यह नियम आपकी और औरो की जिंदगी है !
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
लंबे  समय  के  लाॅकडाउन  ने  सभी  को  सिखा  दिया  है  कि  अभी  कोरोना  से  बचाव  ही  उपचार  है  और  इससे  बचने  के  नियम / निर्देशों  को  भी  सभी  ने  बहुत  ही  बखूबी  समझ  कर  जीवन  में  उतार  लिया  है  । ( कुछ  नासमझ  अथवा  सनकी  लोगों  को  छोड़कर ) ।
      अब  वह  समय  है  जब  हमें  कोरोना  के  साथ  स्वयं  को  बचाते  हुए  घर-परिवार, उद्योग-धंधे, रोजी-रोटी, काम-काज  आदि  को  संभालना  है  । 
      इसके  आवश्यक  है  अपनी  रोग-प्रतिरोधक  क्षमता  को  बढ़ाना  जिसे  इम्यूनिटी  कहते  हैं  ।  इसे  बढ़ाने  के  लिए  पौष्टिक  आहार  के  साथ-साथ  व्यायाम, ध्यान, सकारात्मक  विचार  जरूरी  है  । 
       हल्दी  वाला  दूध, आयुर्वेदिक  काढ़ा  जो  तुलसी, काली मिर्च, अदरक, दालचीनी, मुनक्का,  गुड़  आदि  को  उबाल  कर  बनाया  जा  सकता है,  का  प्रतिदिन  सेवन  करना  चाहिए  । 
        नियमों, निर्देशों  को  ध्यान  में  रखते  हुए  और  अपनी  इम्यूनिटी  पावर  को  बढ़ाते  यदि  हम  अपनी  दैनिक  गतिविधियों  का  संचालन  करेंगे  तो  हमें  कोरोना  से  डरने  की  कोई  आवश्यकता  नहीं  है  बल्कि  कोरोना  खुद  हमसे  दूर  भागेगा  ।  मगर  ध्यान  रहे  " सावधानी  हटी, दुर्घटना  घटी ।"
        - बसन्ती पंवार 
          जोधपुर - राजस्थान 
कोरोना से खुद को बचाते हुए कैसे बढ़ना है आगे?
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 कोरोनावायरस रूपी महामारी से बचने हेतू इस वक्त एक चौथाई दुनिया अपने घरों में कैद है। पर हालात ऐसी है कि हमें खुद का बचाव भी करना है और अहम कार्यों को भी जारी रखना है। ऐसी स्थिति में मानसिक तौर पर महामारी और वर्तमान हालात को समझते हुए सरकार द्वारा दी गई गाइडलाइन का पालन करते हुए हम सभी को आगे बढ़ना है।
  कोरोना से बचाव के लिए अपने परिजनों, रिश्तेदारों और मित्रों को जीवनशैली से जुड़ी सावधानियों के बारे में बताएं। कोरोना से जुड़ी आपातकालीन स्थिति की योजना बनाकर रखें। कुछ समय तक बीमार लोगों से मिलने से परहेज करें। यदि खुद बीमार हैं तो एक सप्ताह कोरेंटाइन में रहें।
    अपनी दिनचर्या को व्यावहारिक तरीके से प्लान करें। दूसरे लोगों को भी समझने की कोशिश करें। अपने शरीर का ध्यान रखते हुए नियमित व्यायाम और खान-पान का ध्यान रखें। वॉक पर जाएं। रनिंग करें। ताजी हवा आपके Blood circulation को बरकरार रखने में मदद करेगा। लोगों से बात करें और फैक्ट्स को समझें। किसी प्रोफेशनल से बात करें। मन हल्का रहेगा। खबरों और सोशल मीडिया से ब्रेक लेकर मेडिटेशन भी करें। 
   मानसिक स्वास्थ्य को तंदुरुस्त बनाते हुए सकारात्मक सोच के साथ लोगों को जागरूक करते हुए जीवन में आगे बढ़ने का प्रयास करें ।
    नि:संदेह आप खुद को सुखी और चिंता मुक्त महसूस करेंगे। हमारे डॉक्टर्स, हेल्थ एक्सपर्ट हमारी सरकारें ,अन्य अधिकारी  और साथ ही सोशल वर्कर्स जो दिन-रात इस महामारी से निपटने में लगे हैं उनका धन्यवाद भी अदा करें और आगे बढ़ने का प्रयास करें। वर्तमान पर फोकस करें और यह याद रखें कि यह समय चिरस्थाई नहीं है।
                      - सुनीता रानी राठौर
                      ग्रेटर नोएडा  - उत्तर प्रदेश
अनलाॅक होने के बाद गतिविधियां बढ़ गई हैं साथ ही खतरा भी उसी अनुपात में बढ़ा है। कोरोना से खुद को बचाते हुए आगे बढ़ना सरल भी है और जटिल भी।  सरल इसलिए क्योंकि हम अपनी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम तो कर लेंगे जैसे मास्क लगाना, सामाजिक दूरी का पालन करना, खांसी-जुकाम होने पर बाहर न निकलना, नियमित अंतराल पर हाथ धोते रहना, बाहर जाने पर सैनेटाइजर साथ रखना परंतु वाहन में सैनेटाइजर भूल के भी नहीं रखना और न ही वाहन की चाबियों को सैनेटाइज कर वाहन चालू करना। इसके अलावा गरम पानी या काढ़े का प्रयोग करना।  ठंडे पेयों और पदार्थों से दूरी बनाए रखना। घर में बना भोजन खाना। पूरी नींद लेना।  अभी जो हालात हैं उनके अनुसार दस वर्ष तक के बच्चों और पैंसठ वर्ष से अधिक आयु के लोगों को घर में ही रहना।  जिन लोगों को कोरोना के अतिरिक्त कोई रोग है जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप या अन्य तो उन्हें नियमित रूप से दवाई लेते रहना जिससे अस्पताल जाने की नौबत न आए।  अपनी इम्यूनिटी अर्थात् प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखने वाले पदार्थों का सेवन करना। जीभ के स्वाद को अनदेखा कर जरूरी वस्तुओं का सेवन करें। इसके अलावा हमें लापरवाह लोगों से भी स्वयं को बचा कर रखना है। खांसी-जुकाम से संक्रमित लापरवाह लोगों से जो मास्क नहीं लगा रहे हमें खुद ही दूरी बनानी होगी।  बाहर किसी धातु को छूने के बाद या अन्य किसी वस्तु खरीदने के बाद, बाहरी किसी जगह पर बैठ कर आने के बाद जहां तक संभव हो स्नान कर कपड़े बदल लें। अन्यथा अपने साथ रखे सैनेटाइजर से हाथ रगड़ लें।  आंख और मुख पर हाथ न लगाएं।  संभव हो तो फेस शील्ड का प्रयोग करें।  मास्क भी अच्छी गुणवत्ता वाला प्रयोग करें। किसी से हाथ मिलाने की बजाय नमस्ते का तरीका अपनायें।  पब्लिक वाहन में सुरक्षा के नियमों का पालन करें, सफर से आने के बाद स्नान करें और कपड़े बदलें।  घर में प्रवेश करते समय जूते चप्पल बाहर ही रखें।  मन्दिर, गुरुद्वारे, मस्जिद, चर्च आदि में जाने पर वहां अपनाये जा रहे सुरक्षा नियमों का पालन करें।  बुखार होने की स्थिति में डाॅक्टर से सम्पर्क बनाए रखें।  अपनी समझ से कोई भी दवा न लें। यह खतरनाक हो सकता है। बासी भोजन न करें। इन उपायों को अपनाते हुए तथा अनभिज्ञ लोगों को शिक्षित करते हुए हम कोरोना से खुद को बचाते हुए आगे बढ़ सकते हैं।  
- सुदर्शन खन्ना
दिल्ली
सबसे पहले जनता को उसके रोजगार वापस दिये जाए ताकि वह हर परिस्थिति से मुकाबला करने में सक्षम बन सके  और उसका  स्वयं पर विश्वास जमा रहे । सरकार जनता का विश्वास जीते और हर  सम्भव मदद करे  हर मीडिया के माध्यम से जनता को एजुकेट करे । ग्रामीण क्षेत्रो में सरकारी स्वास्थ्य कर्मचारियों से हर हफ्ते सभाएं ,बैठके , चर्चा , और जागरूक अभियान चलाया  जाय क्योकि अशिक्षित जनता ही समस्या बन सकती है । इसलिए उसे महामारी के विषय मे जगरूक करने का अभियान चलाया  जाय । खेती में सुधार , उन्नत मशीनों का प्रयोग , उन्नत बीज आदि ऐसे अभियान के ज्वलन्त उदाहरण है ।। स्वच्छता , खुले में शौच , सामाजिक दूरी , और बिना किसी कारण के घर से बाहर समूह बना के फिजूल बातों की चर्चा से बचने का ध्यान रखा जाय । दफ्तर ,स्कूल कालेज या  नौकरी का काम जँहा तक सम्भव हो घर से करे ।  तीन समय भोजन भर पेट खाया जाय जिसमें हर विटामिन शामिल हो । मौसमी फलों व अनाज का सेवन आवश्यक है क्योंकि वे शरीर की रोग रोधक क्षमता को स्वयं बढ़ाने में सक्षम होते है । प्रतिदिन एक लौकी व एक टमाटर का जूस घर मे निकाल के पिये । दो लौंग ,एक बड़ी इलायची ,चार काली मिर्च , एक इंच दालचीनी का टुकड़ा और एक इंच अदरक या सोंठ का टुकड़ा -दरदरा कूट कर एक ढेली गुड़ के साथ एक गिलास पानी मे पकाए । आधा गिलास रहने पट छान कर 24 घण्टे में एक बार अवश्य पिये । भोजन किसी की साथ एक थाली या प्लेट में न खा कर अलग प्लेट में खाये । किसी के जूठे गिलास में पानी न पिएं। कोविद न होने पर भी स्वयं को एक कमरे में एकांत रह कर सुरक्षित रखे । 9-- भयभीत न हो  और न ही झूठी अफवाहों पर विश्वास करें । अपने कपड़ों को धूप में सुखाएँ और स्वयं  भी दस पन्द्रह मिनट की धूप अवश्य लें ।
- सुशीला जोशी
मुजफ्फरनगर - उत्तर प्रदेश
      जिस प्रकार जिव्हा दांतों में खुद को बचाते हुए अपना सम्पूर्ण कार्य कुशलतापूर्वक करती है। उसी प्रकार हमें अपने-आप को चारों दिशाओं से कोरोना के चक्रव्यूह को भेदते हुए जीवनयापन करना होगा। तभी हम स्वयं को बचाने में सफल होंगे।
      कोरोना महामारी से निपटने के लिए सरकार द्वारा जो भी प्रयास किए गए वह अत्यंत सराहनीय थे। जिनके दूरगामी सकारात्मक परिणाम विश्व विश्लेषण एवं मूल्यांकन में स्पष्ट होंगे।
      कोरोनाकाल में एक अत्यंत महत्वपूर्ण सरकारी कर्मियों की उल्लेखनीय क्रिया यह सामने आई है कि जो कार्य वर्षों में नहीं होते थे वह एक दिन में होने लगे हैं। जो कार्य कार्यालयों के चक्कर पर चक्कर लगाने पर भी घनचक्कर कर्मी नहीं करते थे। वे कार्य मोदी जी को पत्र लिखने मात्र से सम्पूर्ण हो रहे हैं।
      कटु सत्य यह भी वर्णनीय है कि राजनैतिक मंत्रिमंडल तो परिवर्तित होते थे किन्तु सरकार के कार्यों में टस से मस का अंतर भी नहीं आता था। जो अंतर कोरोनाकाल में आ रहा है। जैसे कि अच्छे और बुरे अधिकारियों/कर्मचारियों की पहचान हो रही है। जिसके फलस्वरूप उन्हें दण्ड और प्रोत्साहन भी दिया जा रहा है। जिसका श्रेय निःसंदेह मोदी सरकार के कोरोना मंत्रीमंडल को जाता है। जिससे प्रशासन चुस्त और दुरुस्त होने के साथ-साथ जवाबदेह हो रहा है। जो राष्ट्र के स्वाभिमान एवं विकास सहित विश्व में आगे बढ़ने के शुभ संकेत हैं।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
कोरोना संकट कॉल के आज के हालात में सभी सुरक्षात्मक उपाय अपनाते हुए आगे बढ़ना होगा यदि ऐसा करने में हम लापरवाही करेंगे तो यह संकट और गंभीर हो सकता है और इसका खामियाजा हमारे अतिरिक्त अन्य बहुत से लोगों को भुगतना पड़ सकता है यह बहुत आवश्यक है कि हम जब कभी भी घर से बाहर जाएं तो मास्क और दस्तानो का उपयोग अवश्य करें एवं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए अपने और दूसरे व्यक्ति के बीच में जहां तक संभव हो सके कम से कम 4 से 6 फीट की दूरी बनाए रखने का प्रयास रखें घर वापस लौटने पर सबसे पहले घर में जो पहली जगह है जहां आपको जाना है वह आपका बाथरूम है वहाँ पहुंचकर अपने सभी कपड़े सर्वप्रथम किसी अच्छे वाशिंग पाउडर से धोएं और डेटोल या किसी अन्य अच्छे साबुन का उपयोग स्नान करने में करें और.  इसके उपरांत ही आप घर में प्रवेश करें बाहर आने जाने के लिए एक जोड़ी हवाई चप्पल है घर के प्रवेश द्वार पर ही रखें और सामान्य रूप से बाहर जाने के लिए इन्हीं का प्रयोग करें अपने हाथों को आवश्यकता अनुसार समय-समय पर अवश्य साबुन से धोते रहें सैनिटाइजर का उपयोग केवल घर से बाहर रहने पर ही करें इसका अधिक उपयोग त्वचा संबंधी रोगों को जन्म दे सकता है इस प्रकार से सुरक्षा संबंधी उपायों को अपनाते हुए हमें आगे बढ़ना होगा और सुचारू रूप से अपने कामों को करना होगा इसके साथ साथ समय-समय पर सरकार द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का ही पालन करें भोजन और खानपान संबंधी आदतों में सुधार करें अपने दैनिक भोजन में कुछ ऐसी चीजों को अवश्य शामिल करें जो हमारी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक हैं  ठंडे पानी ठंडे भोजन और अन्य ठंडी चीजों का सेवन जहाँ तक हो सके कम से कम करें 
- प्रमोद कुमार प्रेम 
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
कोरोना ने पहले जितनी हानि पहुँचाई उससे कहीं ज्यादा लॉक डाउन खुलने पर पहुँचा रही है । कारण है जन-जन की लापरवाही। पैदल चलने वाले, छिप-छिप कर घर में रहने वाले, सेन्टर से भाग जाने वाले व अन्य कई तरह से नियमों की धज्जियाँ उड़ाने वाले इन सबके लिए जिम्मेदार हैं।
  अब सभी की लापरवाही बाकियों को भुगतनी पड़ रही है। इससे बचने और जीवन को आगे बढ़ाने के लिए जो बुद्धिजीवी हैं वे जागरूकता बढ़ाने में मदद करें तथा अपने आस-पास पैनी दृष्टि रखें । सतर्कता ही बचाव है। अगर कोई नियमों की अवहेलना करता है तो उसे समझने की कोशिश करें । नहीं मानने पर पुलिस को सूचना दें या सामाजिक वहिष्कार करें । तभी हमारे कदम आसानी से और तेजी से आगे बढ़ सकेंगे ।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
पिछले कई दिनों से हम सुनते आ रहे हैं कि आपको अब कोरोना के साथ जीने की आदत डालनी होगी, क्योंकि कोरोना वायरस आपकी जिंदगी से आसानी से जाने वाला नहीं है. ये वायरस लंबे समय तक आपके साथ रहने वाला है और आपको इसके लिए तैयार रहना चाहिए.
इसी बात पर अब WHO ने भी मुहर लगा दी है. WHO ने आशंका जताई है कि ये वायरस एक महामारी के तौर पर लंबे समय तक इंसानों के बीच रह सकता है और ये भी हो सकता है कि ये वायरस कभी पूरी तरह से खत्म ही ना हो.
अब सवाल ये है कि फिर क्या किया जा सकता है? अगर कोरोना वायरस लंबे समय तक हमारे साथ रहने वाला है तो हम इसके लिए खुद को कैसे तैयार कर सकते हैं.
इस तैयारी को मेडिकल साइंस, समाज और मनोविज्ञान के नजरिए से समझने की कोशिश करें. पहले वैज्ञानिक नजरिए से उन 5 महत्वपूर्ण सच्चाइयों को समझिए जिनका सामना आपको और हमें करना है. 
सच्चाई ये है कि ये वायरस अब भी पूरी दुनिया में तेजी से फैल रहा है. पूरी दुनिया में 43 लाख से ज्यादा लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं और करीब 2 लाख 97 हजार लोगों की मौत हो चुकी है. बीमार लोगों का इलाज अलग अलग तरीकों से किया जा रहा है, लेकिन अभी तक इसका कोई पुख्ता इलाज नहीं ढूंढा जा सकता है.
एक सच्चाई ये है कि इस समय दुनिया में लाखों या शायद करोड़ों लोग ऐसे हैं जो संक्रमण का शिकार हो चुके हैं, लेकिन उनमें कोई लक्षण दिखाई नहीं दे रहे. ऐसे लोगों को  एसिंपटोमैटिक पेशेंट कहा जाता है. 
एक सच्चाई ये है कि जो लोग संक्रमण का शिकार हैं और जिनमें वायरस की पुष्टि हो चुकी है, उनमें से करीब 3 से 4 प्रतिशत लोगों की जान खतरे में है. यानी इस वायरस के मामले में मृत्यु दर फिलहाल 3 से 4 प्रतिशत है. लेकिन अलग-अलग देशों में इसकी स्थिति भी अलग-अलग है. 
अब जब कोरोना वायरस लंबे समय तक हमारे साथ रहेगा तो ये भी समझ लीजिए कि हमारे आस पास के समाज, हमारे देश और दुनिया पर इसका क्या असर पड़ेगा?
सबसे पहले समाज की बात. कोरोना वायरस की शुरुआत के साथ ही आपने एक शब्द सबसे ज्यादा सुना होगा. वो शब्द है सोशल डिस्टेंसिंग यानी एक दूसरे से सामाजिक दूरी बनाकर रखना. 
यानी इस वायरस का सबसे ज्यादा असर सामाजिक ताने बाने पर ही पड़ेगा. हाथ मिलाने और आमने सामने बैठकर बातचीत करने की परंपराएं खत्म हो जाएंगी. 
लोगों को अब एकांत में काम करने की आदत डालनी होगी और भविष्य की चिंता छोड़नी होगी. जो आपके वश में है यानी जो आपके नियंत्रण में है उसी में संतुष्टि का भाव ढूंढना होगा. 
एक बड़ा बदलाव ये आएगा कि अब लोग भविष्य की लंबी लंबी योजनाएं बनाने से भी बचने लगेंगे. कोरोना वायरस ने बता दिया है कि दुनिया में कुछ भी स्थाई नहीं है और जब वर्तमान को लेकर ही कुछ भी निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता तो भविष्य के बारे में कोई शर्त कैसे लगाई जा सकती है. 
तो आगे बढईये और सावधानियां रख जीवन जीऐ
कुछ इस तरह 
मेरी नई कविता . 
कोरोना संग जीवन ...
अपना बनाओ इन सब को
कोरोना के साथ जीना है 
कोरोना ने कैसा किया धमाल सब को घरों में बंद किया !
लाकडाऊन ने तो सारा शहर ही सुनसान किया !!
सुंदर सुदंर मुखड़ों पर सज रहे रंगबिरंगे मास्क 
शादी के किटी पार्टी के मैचिंग वाले मास्क !!
ग्लबजों की बहार आई पर्यावरण साथ लाई !
चून्नरी के नखरे बडें सब को पीछे छोड़ इतराई !!
सेनिटाईजर की डिमांड बढ़ी हर हाथो की जरुरत बनी !
सेनिटाईजर हर जगह घर दुकान अस्पताल , की शान बनी !!
दो फूट की दूरी जरूरी ,नमस्कार की मंजबूरी ! 
छींकने के तरीक़े बदले , निर्देशों में रहने की मजबूरी !!
लाकडाऊन खुल भी जायें तो भी रहेगी वही मजबूरियाँ ! 
पहले की तरह जीवन कहाँ कोरोना की रहेगी पांबदियां !!
सोच कर खर्च करना सोच कर खाना पिना !
होटल , खाऊँ गली ,ठेले की चाट ,सपने में ही खाना !!
सारे श्रृगांर छूटे , चूड़ी बिंदी लिपस्टिक ग़ायब 
हाथो में ग्लोब्ज , मूंह पर मास्क 
सब हो गया नयाब !!
 सेल्फी पांइट सूना , सूना दरिया किनारा ! 
आशिक रोयें घरों में मिलने का रहा न कोई सहारा !!
न चौपाटी  की भेल , न नारियल पानी , कालागट्टा को मन ललचायें !
न थियेटर के पॉपकार्न न आईसक्रीम, समोसे को मन ललचायें 
फूल पेंट छूटे, बडमुडें , हाँफ पेंट की हो गई वल्ले वल्ले !
कोट टाई सब अलमारी में सजे 
बनियाईन की मुस्कान खिले !!
लैपटॉप हाथ से छूटा , मोबाइल बीबी की निगरानी में 
हाथो में आई झाड़ू , बर्तन करते रहो ,रहो बीबी की नज़रों में 
कोरोना ने कैसा किया धमाल सब को घरों में बंद किया !
लाकडाऊन ने तो सारा शहर ही सुनसान किया !!
अब तो कोरोना को जीवन में अपनाना है !
उसके संग ही जीवन की गाडी आगे बढ़ाना है!!
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
कोरोना वायरस संक्रमण (कोविड 19) वैश्विक महामारी पूरी दुनियां में तबाही मचा रखा है। अभी किसी भी देश मे कोरोना की दवाई नहीं बन सका है। भारत मे कोरोना के केस बहुत ही तेजी से बढ़ रहे हैं। हालांकि मरीजों की ठीक होने की संख्या भी बेहत्तर है। इस स्थिति में हम सबको कोरोना के साथ जीने की आदत डालनी होगी। कोरोना से खुद को बचाते हुए हम सभी को आगे बढ़ना होगा। कोरोना से खुद को बचाते हुए हमे कई तरह की सावधानी बरतनी होगी। सबसे पहले तो जब भी घर से निकलें तो मास्क हर हाल में पहनें। यदि काम पर जा रहे हों या फिर बाजारों में तो सोशल डिस्टेंसिंग यानी कि एक दूसरे से दो गज की दूरी बनाकर रखें। सेनिटाइजर करते रहें। सेनिटाइजर नहीं कर सकते तो पास् में साबुन से समय समय पर 40 सेकेंड तक हाथ धोएं। जब बाहर से घर लौटे तो जूता चप्पल को बाहर धूप में रखें। कपड़े को गुनगुना पानी से साफ कर लें। जरूरी समझें तो स्नान कर लें। घर और आस पास में सफाई रखें। यदि सर्दी, खांसी, बुखार या गले मे दर्द हो तो दोस्त को तुरंत दिखलाये। इस तरह सावधानियां बरतने से हम सभी कोरोना से खुद को बचाते हुए आगे बढ़ सकते हैं। यह करना भी जरूरी है। क्योंकि घर बैठे रहने से तो काम नहीं चलेगा। घर का खर्च, बच्चों की 
पढ़ाई व जरूरत के अन्य खर्चों के लिए काम करना जरूरी है।
कोरोना के कारण देश में बेरोजगारी बढ़ गई है। आज करोड़ो की संख्या में मजदूर भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं। कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए केन्द्र सरकार मास्क,सेनिटाइजर को आवश्यक वस्तु अधिनियम के दायरे में रखने की अवधि कुछ माह तक बढ़ा सकती है।  अनलॉक 1 में आर्थिक गतिविधियां, आने-जाने की पाबंदी हटने और धार्मिक स्थलों को खोले जाने से मास्क व हैंड सेनिटाइजर की मांग एक बार फिर बढ़ गई है।
- अंकिता सिन्हा साहित्यकार
जमशेदपुर - झारखंड
यह प्रश्न रचनात्मक दृष्टि से काफी रोचक है। सबका अलग-अलग मत होगा। मेरा मत यह है कि कोरोना वायरस दिन पर दिन खतरनाक होते जा रहा है जुलाई -अगस्त तक हमारे देश में विकराल रूप में रहेगा ऐसा  अनुमान है। इसका मुख्य कारण हमारे देश में जनसंख्या है और भिन्न-भिन्न मत के लोग रहते हैं। फिर भी विभिन्नता  में एकता है। इसलिए लोग बोलते हैं *भारत महान है*।
अगर हम निर्देशानुसार संजम से सावधानियां बरतें कुछ हद तक रूकावट आएगा।
1) घर से ना निकले अगर निकालना आवश्यक है तो मास्क पहन कर निकले।
2) आपस में सोशल डिस्टेंसिंग बनाकर रखें ।
3) भीर-भाड़ के जगह पर ना जाए
4) किसी से हाथ न  मिलाएं।
5) घर आने पर बाहर ही अच्छे से साबुन से हाथ पैर धोए कपड़े को गर्म पानी में धोने दें ।
घर से ही ऑफिस व्यापार का काम करें अगर दुकान जाना है खोलना है, नियमानुसार खोलें।
अगर बाजार जा रहे हैं तो पूरे परिवार  के साथ ना जाएं खाने पीने में सादा स्वच्छ खाना खाए, लहसुन ,अदरख,नींबू नारंगी, सेव, कौ नित प्रयोग करें। जिससे आप सुरक्षित रहेंगे।
इस सब बातों को ध्यान में रखे। प्रतिदिन आधे घंटे तक योगा करें।
अभी मंदी का दौर चल रहा है फालतू खर्च ना करें।
* जान है तो जहान है*।यह सिद्धांत को अपनाएं।
लेखक का विचार है:- उपरोक्त शब्दों का ध्यान रखा जाएगा तो आगे बढ़ने में कोई कठिनाई नहीं होगी।
विजेंयेद्र मोहन 
बोकारो - झारखण्ड
सर्वविदित है कि कोरोना वायरस, एक महामारी है।कोरोना ने अपनी गिरफ्त में, पूरे विश्व को जकड़ रखा है। 
  आज तक कोरोना का इलाज, किसी व्यक्ति या देश ने तैयार नहीं किया है। हां समुचित प्रयास जरूर,सभी कर रहे हैं। 
   आज खुद को कोरोना वायरस से सुरक्षित रखना ही,कोरोना का निदान है।जैसा की विशेषज्ञ कहते हैं, हम निम्न तरह से मुख्यतः सुरक्षित रह सकते हैं-
1/_बार-बार साबुन से, 20 सेकंड तक हाथ धोना है।
2/_खांसते,झींकते समय ,साफ कपड़े या पेपर नैपकिन का उपयोग करना और उसे तुरंत डस्टबिन में डालना है। 
3/_प्रत्येक समय सामाजिक दूरी बनाकर रखना।चाहे घर ,सार्वजनिक स्थल, कारोबार हो या दफ्तर हो।
4/_हर समय उचित मास्क का उपयोग करना। मास्क धोकर पुनः उपयोग किया जा सकता है। 
5/_65वर्ष से अधिक व्यक्तियों को, घर पर ही रहना है। 
6/_न किसी को घर पर आने देना है नहीं दूसरों के यहां जाना है। 
7/_सामाजिक, धार्मिक व अन्य कार्यक्रम जहां पर भीड़भाड़ होती हो,वहां ना जायें। 
8/_खान-पान में सावधानी बरतने,जिससे शरीर में इम्युनिटी (प्रतिरोधक क्षमता)का इजाफ़ा हो।
9/_आजकल प्रत्येक मोबाइल में आरोग्य सेतू ऐप होता है। जिससे हमें कोरोना के संक्रमित लोगों व उनकी स्थिति का पता चलता है। ऐप को हमेशा शुरू रखना।
10/_तेज बुखार, खांसी वगैरह होने पर कोरोना टेस्ट करवाना चाहिए। ताकि समुचित इलाज हो सके।
11/_कोरोना का दुष्प्रचार भी अपने यौवन पर है।ऐसी झूठी खबरों से सावधान रहना।
 मित्रों हम सभी पारिवारिक व्यक्ति हैं। कोरोना से बचना आवश्यक है क्योंकि एक संक्रमित 416लोगों को रोगी बनाता है। हमें कोरोना के साथ ही, जीने की आदत डालनी होगी। 
 हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भी कहा है कि "कोरोना वायरस कोई मेहमान नहीं है, जो कुछ समय बाद चला जायेगा। "
 हमें कोरोना से सुरक्षित रहते हुए परिवार, पड़ोस,देश को सुरक्षित रखना है। हमारा कर्तव्य है कि हम कोरोना वारियर्स का सम्मान करें और उन्हें सहयोग देवें। 
 कोरोना ने सभी लोगों का जीवन, अस्त व्यस्त कर दिया है ।पीड़ित लोगों को हमें मास्क,सेनिटाइजर,अन्न, पैसे, आवागमन में मदद करनी चाहिए। 
 प्रत्येक मानव को इंसानियत का परिचय देना होगा और हमें जीवन में आगे बढ़ना होगा।हमारा देश देवों, सन्तों की भूमि है।हम सभी मिलकर कोरोना को भगायेंगे और विश्व को,वैक्सीन बनाकर बचायेंगे भी।
- डॉ मधुकर राव लारोकर 
नागपुर - महाराष्ट्र
कोरोना से खुद को बचाते हुए ही हम अब आगे बड़ सकते हैं या कहिए कि जंग जीत सकते हैं।इसकी शुरुआत भी घर से ही होनी है।अर्थात हमें अभी से अपने बच्चों को भी बचकर चलने का महत्व बताना होगा,समझाना होगा ताकि कल के दिन जब वे बाहर निकलें तो बचाव करते हुए निकलें।वह बचाव फिर चाहे अपना हो या दूसरों का।कुछ होने के बाद कुछ बताना उचित नहीं।
     बहुत छोटी- छोटी बातें जैसे समाजिक दूरी, सैनिटाइजर का इस्तेमाल,अपनी ही वस्तुओं का इस्तेमाल करना सब ध्यान में रखना होगा।किसी और के भरोसे रहने से अच्छा है कि घर से बाहर जब निकलें तो मास्क के साथ- साथ सैनिटाइजर और अपनी ही कलम जेब में रखकर चलें।क्योंकि अगर कहीं सैनिटाइजर रखा ना मिले तो तुरन्त अपना निकाल लें।साथ ही कलम का इस्तेमाल करना पड़े तो अपनी जेब से निकालकर प्रयोग करें और फिर अपनी ही जेब में रख लें।जितना आवश्यक कार्य हो केवल उसी को करने के लिए बाहर निकलें वरना ऑफिस में या घर पर ही रहें।प्रयास करें कि झुंड से बचें।अगर दुकान में भीड़ है तो उसके कम होने का इंतज़ार करें।उसके बाद ही सामान लेने को आगे बढ़े।घर में प्रवेश करने से पहले जूते चप्पल बाहर ही खोलें सनिटाइज करने के बाद ही अंदर ले जाएं।साफ सफाई का पूरा ध्यान रखें।
      सबसे ज्यादा जरूरी है कि स्वादिष्ट से ज्यादा पोषक भोजन ही लें।रोज व्यायाम करें ताकि इम्यूनिटी बरकरार रहे या बड़ जाए।आहार ज्यादा तला भुना ना हो।फल व सब्जियों का ज्यादा इस्तेमाल करें।जितना हो सके घर का ही खाना खाएं।
          किसी से बिना काम के मिलना व गपशप के लिए बैठ जाना जैसी हरकतों से बचें। इन कुछ उपायों का प्रयोग या पालन करने से हम कोरोना से बचते हुए आगे बड़ सकते हैं।
- नरेश सिंह नयाल
देहरादून - उत्तराखंड
जब भी कोई विपदा की स्थिति देश पर आती है ।तो देश में आपातकाल घोषित कर दिया जाता है ।तो जरूरी भी ।
इस समय भी आपातकाल की स्थिति है ,इस वैश्विक महामारी कोरोना  के चलते देश में  लागडाऊन मे  सभी अपनें घरों मे बन्द थे ।पर देश की अर्थव्यवस्था के चलते  अब कुछ राहत देदी है 
कोरोना ने सभी को भयभीत कर दिया है ।
देश विदेशों से इस महामारी के समाचार सुन कर मन आशंकाओ से भर जाता है ।हर कोई अपनी बात कर रहा है ।उस के विषय मे अनेक मिथ्या बातें भी हो रही है ।
कुछ लोग अफवाहे पैदा रहे है ।
जबकि इन बातों पर ध्यान न देकर  सरकार द्वारा दी गयी सुचना और आयुष विभाग द्वारा दी गयी सभी  गाइड लाइन को हमे अपनाना चाहिए ।और अपना बचाव करना चाहिए ।
जैसा की बताया गया है कि ये वायरस बहुत घातक है ।और सोशियल डिस्टैट बनाये रखना जरुरी है ।
अगर किसी बहुत जरूरी समान व काम के चलते बाहर जाना भी पड़े तो सभी सावधानी बरतनी चाहिए ।
आपातकाल को  नकारात्मक पहलू न समझ कर सकारात्मक 
दृष्टिकोण अपनाना चाहिए ।
जब लोगडाउन हुआ तो मेरा मन मन बहुत आशंकित था।
 कि कैसे ये सब हम कर पायेगे । सभी सुख सुविधा के होने पर थोड़ी भी असुविधा कष्टप्रद लगती है ।
शुरु मे कुछ परेशानी अवश्य आयी।
 पर  फिर परिवार के सहयोग से सब ठीक लग रहा है ।
 एक लम्बे समय के बाद आज परिवार का  साथ मिल रहा है ।जो हो ही नही पाता था ।
पहले  बच्चों की पसन्द का खाना अकेलें  बनाती  थी ।आज  मै उन के सहयोग से बना रही हूँ, वो भी सीख रहें है ।मुझे उन को खिला कर आनंद आ रहा है ।कुछ खाना सप्ताह मे बाहर से आता था। अब सब व्यंजन घर पा ही बन रहे है ।
पतिदेव जो हमेशा घर के बाहर  कामों के चलते समय घर मे कम दे पातें थे ।आज  घर मे बच्चों के साथ बच्चे बन सांप सीढी लूडों खेल रहे है ।अपनें बचपन के किस्से सुना रहे है ।घर मे सारे समय हंसी ठंटा  होता रहता है शाम को हम सब अपनी टेरेसा पर पक्षियों के कलरव सुन चहक रहे है  ।आजकल  गोरैया फिर से दिखायी देने लगी है जिसे मै लम्बे अरसे बाद देख रही हूँ ।मन बहुत खुश है ये देख की परिन्दे वापस आ रहे है  ।सब पोल्यूशन कम होने पर ही संभव हो पाया है ।
 आस पडौस के सभी लोगों का हाल पूछतें है।मेरी बागवानी पूरे चरम पर है क्यों कि सभी उसमे सहयोग कर रहे है ।  सब फूलों ,सब्जीयो के बारे में सीख भी रहे है जिस का समय किसी के पास नही होता था ।
मैने हमेशा माना है कि सभी को रचानात्मक कार्यो मे रूचि लेनी चाहिए ,पर समय आभाव मे ये सब संभव नही था ।पर अब उस सब की जानकारी भी ले रहे है ।
मै मानती हूँ कि आपातकाल मे उपलब्ध  संसाधन कम है पर जो भी उपलब्ध है उसी मे जीवन को सकारात्मकता से ले ।हमे इन कम साधनों मे ही संतुष्ट रहना चाहिए ।आपातकाल हमे संयम ,अनुशासन से रहनें की सीख देता है ।
जीवन बहुत खुबसुरत है इस भाग दौड़ भरी दिनचर्या मे हम अपने बहुत से काम है जिनकें लिए समय नही निकाल पाते थे । उन सब  को करें। 
समाज के कमजोर वर्ग की सहायता जैसे भी हो सके करे ।
सरकारी और हमारे स्वास्थ्य कर्मी ,जो भी अपनी जान पर खेल कर हम सब की सेवा मे लगे है ।आदारणीय है,उन सब का सम्मान करें ।हम सब को इस कोरोना रूपी महामारी को हराना है ।जीत अवश्य हमारी ही होगी ।
धैर्य रख सवेरा होगा 
धैर्य रख जीत होगी 
धैर्य रख सब साथ होगे 
 प्रकृति परिवर्तन कर रही है 
हे मानव प्रकति  से ही हमारा जीवन है ।वो हमारी मां है ।
और मां हमेशा अपनें बच्चों की 
सुख  के बारे में ही सोचती है ।
डर मत संयम ,के साथ हौसलों से इस महामारी को हरा 
जीत अवश्य तुम्हारी होगी ।
- बबिता कंसल 
दिल्ली
यह ज्वलंत और समसामयिक चुनौती है मानव के सामने कि कोरोना से स्वयं को बचाते हुए कैसे आगे बढ़े? संक्रमण बढ़ने और मरीजों के ठीक होने के आंकड़ों की जादूगरी के बीच जरा सी लापरवाही भी घातक हो सकती है। जब अभी दवाई ही नहीं तो मरीजों का संक्रमण से मुक्त हो, स्वस्थ होना जादू ही तो है। बस इस जादू को समझ और अपनाकर ही आगे बढ़ सकते हैं। क्या चाहिए इस जादू के लिए ? अनावश्यक न घूमना,स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना ( इसमें हाथ धोना,मास्क लगाना भी शामिल हैं), भरपूर आराम, प्रोटीन व विटामिन का प्रयोग, नियमित दिनचर्या और सेल्फ कोरेंटाइन होने की हिम्मत। थोड़ा योग प्राणायाम आदि और सबसे महत्वपूर्ण आयुष काढ़ा पीना। अपनाएं इस जादुई तकनीक को जिसने भारत को कोरोना रिकवरी में नंबर वन बना रखा है। क्या कहा,प्रोटीन व विटामिन? भाई कौन कह रहा है दवाई या गोली के रुप में लो। ये तो दाल,सब्जी, रोटी चावल, मौसमी फल और दूध आदि से पर्याप्त मात्रा में मिल जाते हैं। बस स्वच्छ आहार, विहार,आचार, नहीं होने देगा बीमार।जब बने रहेंगे स्वस्थ,चलता रहेगा प्रगति रथ। इस रथ में नहीं आएगा व्यवधान,बस जादू अपनाओ श्रीमान।
- डॉ. अनिल शर्मा'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
कोरोना की वजह से पिछले ढाई महीनों से लगभग सारा देश बिल्कुल रुक सा गया है।आर्थिक स्थिति चरमरा गई है,इसलिए हमें जल्द से जल्द अपनी दिनचर्या को पहले जैसा करना होगा।कोरोना से खुद का बचाव करते हुए हमें आगे बढ़ना होगा।अभी कोरोना की वैक्सीन बनाने में वैज्ञानिक लगे हुए हैं पर उसमें काफी समय लगेगा तब तक हमें अपनी इम्युनिटी बढ़ा कर कोरोना से लड़ने का जज़्बा रखना होगा।डाक्टर इम्युनिटी बढ़ाने के कई कारगर उपाय बता रहे हैं उसे अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए।सबसे ज़रूरी है एक सकारात्मक सोंच के साथ सतर्कता बरतते हुए हम आगे बढ़ें।बुज़ुर्गों को खतरा ज्यादा होता है तो अपने परिवार के अलावा आस पास के बुज़ुर्गों की सहायता करें ताकि उन्हें अपने काम निबटाने में दिक्कत न हो।बच्चों को भी घर मे रह कर पढ़ाई एवं रचनात्मक कार्यों में व्यस्त रखें ताकि उन्हें डिप्रेशन न हो।मुझे पूरी उम्मीद है कि यदि हम सब सावधानी बरतें और सकारात्मक सोंच के साथ,सरकार एवं डॉक्टर की गाइडलाइन मानते हुए कार्य करें तो कोरोना को हराना मुश्किल नहीं 
     -    संगीता सहाय
रांची - झारखण्ड
इसे ऐसे भी कर सकते हैं। सर्वप्रथम तो अभी कुछ देर के लिए भूल जाइए कि कोरोना की आपदा है। लॉकडाउन वाली बातें भी भूल जाइए। अब आप सामान्यतः जैसे जीवनयापन कर रहे थे या जीविकोपार्जन के लिए प्रयासरत थे, वैसा ही प्रारंभ करें। बस, अब  यहां से कोरोना की वजह से लॉकडाउन  के  समय जो सुरक्षा और बचाव के लिए दिशा-निर्देश दिए गये हैं, उनको अक्षरशः निभाइए और अन्य को भी निभाने के लिए जागरूक कीजिए। क्योंकि कोरोना का संकट अभी इतने जल्दी जाने की उम्मीद नहीं है। आत्मविश्वास, उत्साह, निष्ठा, दृढ़संकल्प, सहयोग और सद्भावना के साथ  बढ़ते चलना है। 
  मेरे मतानुसार आगे बढ़ने का यही सरल और सहज तरीका हो सकता है।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
 गाडरवारा - मध्यप्रदेश
जब से कोरोना महामारी फैली है तब से अनेक देशों की इकोनामी यानी अर्थव्यवस्था बिगड़ गई है।
 कोरोनावायरस  के कारण पूरे विश्व को आर्थिक कीमत चुकानी पड़ रही है। अब सवाल यह उठता है कि कोरोनावायरस  से खुद को बचाते हुए कैसे आगे बढ़ा जाए ,कैसे उबरा जाय । क्योंकि चरमराई भारतीय अर्थव्यवस्था को भी उभारना है एवं खुद को भी बचाना, तो इसके लिए सर्वप्रथम तो काम पर निकलने से पहले मास्क पहने एवं जेब में  सेनेटाइजर रखें  जिसका जरूरत पड़ने पर प्रयोग  करें ।
सुबह उठते ही अपने रूटीन में योगा ,प्राणायाम को शामिल करें। मंजन करने के उपरांत आयुष काढ़ा का सेवन करें ।घर से बाहर तक साफ सफाई रखें ,संतुलित एवं पौष्टिक भोजन ग्रहण करें, और जहां तक सम्भव हो सके जंक फूड से परहेज करें ।सोशल डिस्टेंस के साथ ही बाहर निकले, मतलब दूर से ही नमस्कार करें। काम से जब घर पर वापस  आये तो पहने हुए कपड़े चुपचाप बाथरूम में ले जाकर एक बाल्टी में रख देना है ,और स्वयं ही उनको  डिटर्जेंट से धो डालना है। और घ नहाने धोने के बाद साफ कपड़े पहन कर ही घर की सामग्री को छूना है ।अपनी सोच को भी सकारात्मक रखना और लापरवाही भी नही करनी  है ।
अगर कोई भी लक्षण  कोरोना सा दिखे  तो डॉक्टर से मिलें ,कतई रिस्क  नही लेना है ।बस यही एक बीच का रास्ता है जो कि कोरोनावायरस से उबारने  में मदद करेगा  और काम भी किया जा सकेगा क्योंकि काम भी करना है और खुद को भी बचाना है।
 - सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
कोरोना से खुद को बचाना भी है और समय के साथ आगे बढ़ना भी है। उसके लिए हमें सिर्फ और सिर्फ इस बात को अपने जेहन में उतरना होगा कि कोई भी वस्तु या व्यक्ति आपके सामने है वह कोरोना आपको  दे सकता है। इसलिए सामाजिक दूरी का खास ध्यान रखना होगा। और मुँह पर मास्क व साथ में सैनिटाइजर भी रखना होगा।
कार्यलय में भी इन्ही बातों का ध्यान रखिए। बाहर कम से कम निकलिए।और घर आकर सबसे पहले नहाना और अपने कपड़े बदलना।योग और आयुर्वेदिक उपाय अपनाएं। अपना जीवन सरल और सादा बनाए।
- सीमा मोंगा
रोहिणी -  दिल्ली
आज के इस दौर में खुद को कोराना से बचाते हुए आगे बढ़ना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है।जहां एक ओर हमें स्वयं को बचाना है वहीं दूसरी ओर हमें अपनी दैनिक जीवन की गतिविधियों को भी संचालित करना है।दोनो में सामंजस्य बैठाकर ही इस दुविधा से दो दो हाथ किए जा सकते हैं। अतः सबसे पहले तो ये नियम लीजिए की अनावश्यक घर से बाहर नहीं निकले,जब बहुत ही जरूरी हो तो मास्क,ग्लव्स और अपना सैनिटाइजर साथ लेकर ही बाहर निकलें।हर सामान को घर पर लाकर उचित माध्यम से डिस इन्फेक्ट कर लें।अकारण ही किसी के घर या मित्रों से न मिले।उचित दूरी बनाकर ही दैनिक जीवन के कार्य करें।
मित्रों सरकार के लिए आप एक आंकड़ा हो सकते हो पर अपने परिवार के लिए आप एक पूरी दुनिया हो।खुद को बचाइए,परिवार को बचाइए, देश को सुरक्षित रखिए।
- कवि कपिल जैन
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
 करोना से खुद को बचाते हुए समझदारी के साथ बढ़ाना होगा वर्तमान परिस्थिति बड़ा विकट स्थिति है एक तरफ करोना की मार दूसरी तरफ टिड्डे की मार करुणा से मरने बीमार पड़ने का दुख और टिड्डे से भुखमरी का दुख का मतलब उत्पादित खाद्य फसलों को मिनटों में सफाचट कर रहे हैं  टिड्डे अगर इन तीनों पर नियंत्रण नहीं हुआ तो फसलें चौपट और मनुष्य भुख मरेगा।
 आगे करो ना दुख पीछे फसलों की अभाव से भूख दोनों मानव के सामने बड़ी चुनौती है इन दोनों चुनौतियों का सामना करते हुए आगे बढ़ना होगा। करोना से खुद को बचाना का तात्पर्य करो ना से जो भी उपाय हमारे बुद्धिजीवी एवं वैज्ञानिकों के द्वारा बताई गई है उसका पालन करना तथा भविष्य में और करो ना ना सताए इसके लिए अपने जीवन शैली में प्राकृतिक बदलाव होना कहने का मतलब वास्तविक जीवन को समझते हुए वस्तुओं का सदुपयोग करना विशेषकर खानपान रहने की वातावरण की स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना रसायन भोज्य पदार्थ से जैविक पदार्थ की ओर ध्यान देना शुद्ध वायु के लिए ध्यान जाए कुटीर उद्योग और वनस्पति लगाने पर ध्यान जाए पर ध्यान देना प्रतिदिन की दिनचर्या में श्रम और सेवा पर ध्यान जाए वस्तुओं की सदुपयोग और दुरुपयोग पर ध्यान जाना पश्चिमी सभ्यता से भारतीय वैदिक संस्कृति पर ध्यान जाना शिक्षा के माध्यम से चेतना विकास मूल्य शिक्षा पर ध्यान ज्यादा जनसंख्या और प्राकृतिक संसाधन के बीच सामंजस्य संतुलन बना रहने पर ध्यान जाना  आडंबर जिंदगी से वास्तविक जिंदगी पर ध्यान जाना समस्या के समाधान की ओर ध्यान जाना अव्यवस्था से व्यवस्था की ओर ध्यान जाना उपरोक्त लिखी बातों पर मनुष्य का ध्यान जाने और जीवनशैली के बदलाव से ही करो ना से स्वयं को बचाते हुए आगे भविष्य के लिए भी उपलब्ध होगी इस तरह से नियम का पालन करते हुए बचा सकते हैं और भविष्य में ऐसी समस्यात्मक घटना ना हो इसके लिए उपरोक्त लिखी बातों पर अमल कर आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित रख सकते हैं।
- उर्मिला सिदार 
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
विषय बहुत ही व्यावहारिक है।
विषय के दो पक्षों पहला पक्ष है खुद को बचाना दूसरा पक्ष है जिंदगी को आगे बढ़ाना इसके साथ जीने की कला को अपनाना
चलिए पहले पक्ष पर मैं अपनी विचारधारा दे रही हूं जिंदगी रही तो बहुत अच्छे अच्छे दिन देखने को मिलेंगे इसलिए मनोवैज्ञानिक तरीके से इसे अपनाना है मन को मजबूत बनाना है कोरोनावायरस के डर को निकालना भी है और बनाए रखना भी है डर को इतना ज्यादा मजबूत ना बना दे कि कि यह डर ही जिंदगी का खात्मा कर दे इसलिए डर के स्तर को संतुलित रखना है डरना अवश्य है लेकिन अनावश्यक अत्यधिक नहीं यदि हम थोड़ी सी भी सावधानियों के साथ घर और बाहर की जिंदगी को गुजारे तो निश्चित ही कोरोनावायरस से बचते रहेंगे। सावधानियों में मास्क लगाना हाथ धोना और साथ ही साथ सैनिटाइजर का प्रयोग करना अब हमारे जेहन में यह सवाल उठता है घर में रहकर इन सावधानी को आसानी से अपनाया जा सकता है लेकिन यदि घर से बाहर जिस इंसान को निकलना है उसके लिए तो एक समस्या होगी यह सवाल युक्तिसंगत है लेकिन बाहर निकलने के पश्चात भी जिस जगह पर आपको जाना हो जिस रोड पर सफर करना हो जिस सवारी का ट्रांसपोर्टेशन का इस्तेमाल करना हो उसके साथ व्यक्तिगत और सामूहिक तौर पर सैनिटाइजर की व्यवस्था होने पर समस्याओं से बचा जा सकता है दूरी बनाए रखने की जो बात है उसकी पहल अति आवश्यक है
विषय का दूसरा पक्ष है आगे बढ़ना। जीवन को आगे बढ़ाना होगा वैसे कार्य जिनके बिना सामान्य जीवन बिताना मुश्किल है उसके लिए तो आगे आना ही होगा।
पहले की तुलना में कार्य क्षेत्र की सीमा को सीमित बनाना होगा और आवश्यकताओं की पूर्ति में भी स्थिरता लाने होगी
कोरोनावायरस के साथ जीने की एक कला नियम तरीके अपनाना होगा दायरा को समझना होगा संकुचित और समुचित संसाधनों के माध्यम से जिंदगी आगे बढ़ाना होगा बड़े-बड़े शहरों में जीवन की गतिविधि बहुत ही तीव्र होती है उससे कम करना अति आवश्यक है शहरों में गांव की तरह जीवन जीना होगा
संक्रमण से लोग संक्रमित भी होंगे पर यदि रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रहेगी तो स्वस्थ होने का रफ्तार बहुत ही अच्छा होगा इसलिए अपने जीवन शैली पर ध्यान देना है योगा व्यायाम घरेलू काढ़ा का सेवन निरंतर होते रहना है और नियमों का पालन करते रहना है किसी एक व्यक्ति के लिए नहीं भारत के सभी नागरिकों की यह आवश्यकता है।
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
:-कोरोना से बचने का एकमात्र साधन है डिस्टेंस बना कर रखना और दूसरा अपना मास्क पहन कर रखना। जब भी घर के अंदर  कोई सदस्य बाहर से आए तब उसके हाथ सैनिटाइज करवा कर और वाहर हाथ- पांव धुला कर ही अंदर आने दे और उसके बाद स्नान करना भी आवश्यक है। लोगों के संपर्क में जितनी जरुरत हो उतना ही रहें बच्चों और बड़ों को कम से कम घर से बाहर निकलने दें।
किसी दुकान पर कोई वस्तु खरीदने जाएं तब भी दूरी बनाकर रखें और हाँ! दुकानदार को भी कोरोना संक्रमण से बचने के लिए अपने काऊँटर के आगे प्लास्टिक सीट लगवा कर उसमें सामान देने लेने एक हाथ का रास्ता ही रखना चाहिए। घर आकर सामान धो- पोंछ कर प्रयोग में लें। 
शेष हम भी जब अपना क्लीनिक खोलते हैं तब सभी काम करने वाले किट्स पहन कर रखते हैं और साथ में हम बालों को ढक कर और हाथों में गल्वस् पहन कर रखते हैं। सैनिटाइजर और कुर्सियां को,फर्श को लिक्विड ब्लीचिंग करते हैं एक एक कुर्सी छोड़कर सब को बिठाया जाता है। इस प्रकार हम लगातार अपना काम करते हुए कोरोणा के दिनों में लगातार अपना काम करते हुए आगे बढ़ सकते हैं। शेष अच्छा बुरा समय तो हमेशा उसीके हाथ में है। हमारा काम है आत्मनिर्भरता के आधार पर स्वयं की सुरक्षा। 
- संतोष गर्ग
मोहाली - चंडीगढ़
कोरोना से खुद को बचाते हुए कैसे आगे बढ़े ?
    हमें मान लेना चाहिए कि कोरोना का मुकाबला कुछ समय तक करना पड़ेगा ।कोई  आपदा हो जिन्दगी कहाँ रुकती है कोरोना केसाथ भी हम सभी आगे बढ़ रहे हैं ।अब तो सभी बचाव की प्रक्रिया से अवगत हो चुके हैं ।बचाव के लिए हमें उसे बार-बार दोहराते रहना है ।अब समूह में नहीं अकेले आगे बढ़ना है ।समूह के लिए मोबाइल का प्रयोग करना है ।बस हमें अपने समय का रुची के अनुसार उपयोग करके चलना होगा ।संकट के समय सहयोग ,स्वार्थ से परे ,आपसी भाई चारे और सकारात्मकता की भावना हमारे अंदर ऊर्जा भरती  है ।हमें इन भावनाओं को  अपनाने की जरुरत है ।निरंतर की गई मेहनत पुरुषार्थ का रास्ता बनाती है मेहनत के बल पर ही हम आगे  बढ़ सकते हैं ।किसान भाई बिना बिचौलियों के अपना अनाज और सब्जियाँ स्वयं से अपार्टमेटों में पहुँचा रहे हैं ।यह मेहनत और इच्छा शक्ति है ।मजदूरों ने पलायन क्यों किया उन्हें विश्वास था कि उनका आधार खेती जीवन जीने में सहायक होगी ।विकल्प तो हर जगह खुले रहते हैं बस उसे अपनाने की जरुरत होती है ।कहते हैं ....जहाँ चाह है ,वहाँ राह है ।
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
यह तो अब निश्चित ही हो गया है कि कोरोना इतनी जल्दी जाने वाला नहीं है और हो सकता है यह जाए ही न। 
          इसलिए लॉक डाउन के समय हमने जिस जीवन शैली को जीवन का अंग बना कर उसे जीने का अभ्यास किया है उसे अब जीवन भर के लिए अपनाना होगा। वो कहते हैं न ...सावधानी हटी दुर्घटना घटी... तो हमें अब सदा सावधान रहना होगा। सदा लॉक डाउन में रह कर बिना काम के जीवन नहीं चल नहीं सकता। काम करना है तो बाहर भी निकलना ही होगा। अतः सामाजिक दूरी, सामाजिक कार्यक्रमों से दूरी, साफ-सफाई, स्वच्छता, मास्क, सैनिटाइजर, हाथ धोते रहना, छोटे-छोटे कामों के लिए बार-बार बाहर न जाना, योग-व्यायाम को जीवन का अंग बना लेना, घर का बना पौष्टिक-सात्विक भोजन करना.. अपने जीवन का अंग बनाना होगा। तभी हम स्वस्थ रह जी पायेंगे और कोरोना से अपने को बचा पायेंगे।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून - उत्तराखंड
अन्य देशों की बात तो मैं नहीं कह सकती, मगर दावे के साथ कह सकती हूँ, अगर भारत में हमारी पूर्व मान्यताएँ, आचार- विचार कायम रहता तो  कोरोना जैसी बीमारी हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकती! सांसों के द्वारा इस वायरस के प्रवेश करने का डर है न... हम अगर पूर्व संस्कार व आचार विचार से सम्पोषित होते, तो हमारी साँसों की हवा लगते यह वायरस स्वतः नष्ट हो जाता! किसी भी बीमारी से अजेय होने के लिए दो बातें आवश्यक हैं,- प्रथम प्रबल आत्मविश्वास, दूसरी प्रबल रोग प्रतिरोधक क्षमता। वर्तमान युग में हम अपने अध्यात्म, धर्म, संस्कार अपने कर्तव्य तक को भूल बैठे हैं,तो आत्मविश्वास का ह्रास होना स्वाभाविक है। द्वितीय हमारी दिनचर्या, आहार बिहार सभी असंयमित रहने के कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता भी क्षीण हो चली है!
      हमें कोरोना से खुद को बचाते हुए.... आगे बढ़ना है.. "जान भी और जहान भी" को सार्थक करना है!
  अतः इसके लिए सर्व प्रथम  हमें अपनी जीवन शैली सुधारनी होगी! समय से सोना और जागना होगा! प्रातः रश्मि का सेवन( सूर्योदय से पूर्व जाग कर उदयकालीन सूर्य दर्शन) करना , योगा करना, शुद्ध, ताजा, निरामिष भोजन करना, थोडी- थोड़ी देर पर हाथ धोना , दूरी बनाए रखना होगा। बहुत आवश्यक हो तो मास्क, लगाकर ग्लोब पहनकर  बाहर जाना  तथा दूरी बनाए रखना होगा।  स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बतायी गयी  रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ानेवाली औषधियों का सेवन करनी चाहिए!  इस प्रकार हम कोरोना से बचाव करते हुए आगे बढ़ सकते हैं......!!!
  - डॉ अन्नपूर्णा श्रीवास्तव
  पटना - बिहार
कोरोना से खुद को बचाते हुए हम सब को अपने भविष्य को संवारना ही होगा ।
ये मान कर चलना होगा कि ये कोरोना महामारी लम्बे समय तक हमारा पीछा नहीं छोड़ने वाली ।
हमें अपना हरेक काम पूरी सावधानी के साथ करना होगा । कमरों के भीतर बैठ कर गुजारा होना लम्बे समय तक मुश्किल है ।पैसा नहीँ होगा तो गरीब और मध्यम वर्ग खायेगा क्या और पैसा कमाने के लिये घर से बाहर निकलने के अलावा कोई रास्ता नहीं है ।
कोई भी कार्य करते हुए ये बातें ध्यान देनी होंगी:-
सोसल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखना होगा ।
मास्क से मुह ढक कर रखना होगा ।
भीड़ भाड़ से दूरी बनानी होगी 
हाथ मिलाने से परहेज करना होगा 
सैनीटिज़र साथ रखना वा उसका समय पर प्रयोग करना होगा 
बाहर खाने से परहेज रखना होगा 
पब्लिक स्थानों को छूने से बचना होगा 
      इन सब सावधानीयों को अपना कर हरेक कार्य करने होंगे ।
       - सुरेन्द्र मिन्हास
 बिलासपुर -हिमाचल प्रदेश



" मेरी दृष्टि में " कोरोना ने हर अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है । सभी को अपने स्तर पर पुनः अर्थव्यवस्था को उठाने के लिए संघर्ष कर के आगें बढना हैं । तभी जीवन के साथ - साथ अर्थव्यवस्था पटरी पर आ सकती हैं ।
                                                  - बीजेन्द्र जैमिनी
सम्मान पत्र 




Comments

  1. महोदय, नमस्कार। 12/06/20चर्चा का विषय प्राप्त हो गया है। समय पर मैं अपने विचार भेज दूंगा।
    डॉ मधुकर राव लारोकर,नागपुर

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