क्या अधिकतर मौत कोरोना से नहीं गम्भीर बिमारियों से हो रही हैं ?
कोरोना वायरस ने पुरी दुनियां को हिला कर रखा है । प्रतिदिन मौत हो रही हैं । मौत के शिकार अन्य गम्भीर बिमारियों के मरीज भी है । जो कोरोना से मर रहें हैं । ऐसे मरीजों की सख्या भी कोई कम नहीं है । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को भी देखते हैं : -
कोरोना वायरस संक्रमण देश विदेश में जारी है । संक्रमण और इससे मरने वालों की संख्या निरन्तर बढ रही है । दुनिया में इस वायरस से 6597348 संक्रमित और 388425 मौत तथा भारत में 217965 संक्रमित और 6091 मौत हो चुकी हैं । आँकड़े डरावने हैं । आज की चर्चा में पूछा गया सवाल कि " क्या अधिकतर मौत कोरोना से नहीं गम्भीर बीमारियों से हो रही है ? " वाजिव है । सही भी है कि मौतें कोरोना संक्रमण से हो रही है या अन्य गम्भीर बीमारियों से ? यह भी सच्चाई है कि कोरोना वायरस छोटे बच्चों , बीमार और बुजुर्ग लोगों को तेजी से संक्रमित करता है । समय और स्थिति को सम्भाला नहीं गया । परिणाम संक्रमण बढता ही गया । एक दफा यदि संक्रमण गया तो यह वायरस यह नहीं देखता है कि बच्चा है , युवा है , बीमार है या बुजुर्ग है । संक्रमण की दर इम्यूनिटी पर निर्भर करती है । यदि शरीर में इम्यूनिटी प्रबल है तो प्रभावित व्यक्ति रिकवर हो जाता है अन्यथा काल का ग्रास बन जाता है । इसलिए जो भी मौत हुई है वो कोरोना संक्रमण से हुई है ।
- अनिल शर्मा नील
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
हमारे देश में कोरोना से मरने वालों की संख्या 2 महीने में लगभग 7हजार तक पहुंच चुकी है। गंभीर बीमारियों से मरने वालों का डाटा उपलब्ध नहीं है।
नि:संदेह अधिकतर मौत गंभीर बीमारियों से हुई होगी क्योंकि लॉकडाउन के दौरान अस्पतालों में ओपीडी भी बंद कर दिया गया था। प्राइवेट क्लीनिक भी बंद हो चुकी थी। डॉक्टर कोरोना मरीजों के उपचार में व्यस्त होने के कारण में अन्य बीमारी वाले मरीजों को नहीं देख रहे थे। कैंसर और किडनी जैसे भयानक बीमारी वाले मरीज का नियमित इलाज ना मिलने के कारण उन्हें बेसमय मौत के मुंह में जाना पड़ा। यह सब परिस्थितियां गंभीर मरीजों के लिए दुखदाई साबित हुआ।
सरकार का फर्ज था कि गंभीर मरीजों के लिए उचित सुविधा उपलब्ध कराती पर आनन-फानन में लॉकडाउन कर उनके तकलीफों को नजरअंदाज कर दिया गया। दूरदराज गांव से जो मरीज दिल्ली एम्स जैसे बड़े बड़े हॉस्पिटल में इलाज कराने आए थे उन पर अचानक कहर बरपा। ना रहने की उचित सुविधा, ना इलाज की सुविधा, ना घर लौटने की सुविधा ऐसी हालात में ऐसे शारीरिक और आर्थिक रूप से परेशान गंभीर मरीजों की हालत कैसी रही होगी, कल्पना कर सकते हैं।
इसलिए इसमें कोई शक नहीं कि अधिकतर मौत गंभीर बीमारियों से हुई होगी। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि न्यूज़ चैनल इन गंभीर मुद्दे पर फोकस नहीं करते। जिससे हमारा जिंदगी प्रभावित नहीं होता उसमें टाइम पास करते हैं। अगर गंभीर मसलों पर चर्चा करें तो निःसंदेह सरकार सजग रहेगी और लोगों को भी उचित सुविधाएं मिलती रहेगी।
- सुनीता रानी राठौर
ग्रेटर नोएडा -उत्तर प्रदेश
अधिकतर मौतों का कारण कोरोना वायरस ही है ।
परंतु जिन्हें कोई बीमारी नहीं है कोरोना से संक्रमित होने के बावजूद भी स्वस्थ हो रहे हैं
परंतु जिन्हें गंभीर बीमारी है। वह कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए हैं उनकी मौत हो रही है । क्योंकि उनके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कोरोना वायरस से मुकाबला नहीं कर पाई और उनकी मृत्यु हो जाती है ।
इस लिए कहा गया है क्या 60 साल से ऊपर के व्यक्ति हैं या छोटे बच्चे हैं 10 साल से कम उम्र के बच्चे हैं वह सब घर पर ही रहे ।
घर से बाहर बिल्कुल न निकले ।
गंभीर बीमारी से ग्रस्त मनुष्य को रो ना के संक्रमण से बचाव नहीं कर सकते ।
- रंजना हरित
बिजनौर -उत्तर प्रदेश
अधिकांश मौतें कोरोना से नहीं वरन अन्य गंभीर बीमारी से हो रही हैं l आज की चर्चा का विषय बडा समसामयिक है l इस संक्रमण के बढ़ते आंकड़ों से काफी दहशत का वातावरण है लेकिन नि:संदेहअधिकांश मौतें कोरोना के साथ अन्य घातक बीमारियों जैसे -किडनी, कैंसर, लीवर, डायबिटीज आदि अन्य बीमारियों के साथ संक्रमित होने से हो रही हैं l
W. H. O. के मुताबिक भारत में कोविड -19की मृत्यु दर 2.1%है जो वर्ष 3में सार्स वायरस से मृत्यु दर 10%कम है और वर्ष 12 में मार्स की मृत्यु दर 35%से बहुत ही कम है l लोगों में इसकी जानकारी की कमी की वजह से वे अफवाहों पर विश्वास कर रहें हैं और काफी पैनिक हो रहें हैं l इस भरम और दर को हमें दूर करना होगा कि इससे प्रभावित इंसान की मृत्यु हो जाती है, ऐसा नहीं
है l इस वायरस की हल्के लक्षण वाले मरीज दो हफ्ते में तथा गंभीर लक्षण होने पर तीन से छह हफ्ते में ठीक हो जाते हैं l लेकिन गाइड लाइन की पालना नितांत जरूरी है l कोरोना से बुजुर्ग, डायबिटीज व अन्य बीमारियों से ग्रसित को संक्रमण की संभावना ज्यादा रहती है क्योंकि इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है l बच्चों और युवाओं में संक्रमण की दर कम है l हमें ध्यान रखना होगा बायोसेफ्टी लेवल -4 में ही इसका चेकअप कराया जावे l डेटाज वेस रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि कोरोना से जान गंवाने वालों में अन्य बीमारियों से ग्रसित मरीज अधिक हैं जिनकी सँख्या 60% से ऊपर है l जब इसका संक्रमण ऐसे व्यक्तियों पर संक्रमण होता है तो दूसरी बीमारियाँ ज्यादा गंभीर होकर जान लेवा साबित हो जाती हैं l कोरोना संक्रमण से मृत्यु दर संक्रमित व्यक्ति की उम्र, लिंग, उसका सामान्य स्वास्थ्य तथा जिस देश में वह रहता है वहाँ का स्वास्थ्य तंत्र से प्रभावित होती हैं l केंद्र व राज्य सरकार के दिशा
निर्देशों की पालना करके इसके संक्रमण और होने वाले मृत्यु को टाला जा सकता है l इसकार्य के लिए प्रसिद्ध दार्शनिक इमरसन की इन पंक्तियों को जीवन में ढालना होगा l वस्तुतः हास्य एक चतुर किसान है जो मानव जीवन के काँटों, झाड झंकाड़ को उखाड़ कर अलग करके सद्गुणों के सुरभित वृक्ष लगा देता है जिससे जीवन यात्रा एक पर्वोत्सव बन जाती है l
चलते चलते --
कोरोना भयमुक्त होकर जीवन यात्रा को पर्वोत्सव में बदल दीजिए l
- डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
बहुत ही मनोवैज्ञानिक प्रश्न पूछा गया है। जिस प्रकार से विश्व में मौतों का आंकड़ा दिया जा रहा है उसमें यह बताने का प्रयास किया गया है कि कोरोना के कारण मौतें हो रही हैं। वृद्धावस्था से जुड़ी बीमारियों, जटिल रोगों से जूझ रहे रोगियों की मौत का जब विश्लेषण किया गया है तो अधिकतर में कोरोना के लक्षण भी पाये गये हैं। गंभीर बीमारियों से जूझ रहे रोगियों की रोग प्रतिरोधक शक्ति क्षीण हो जाने के कारण कोरोना जल्दी प्रभाव कर रहा है और गंभीर बीमारियों से लड़ने की शक्ति को कम कर रहा है जिससे मौतें हो रही हैं। दूसरी तरफ गंभीर बीमारियों से जूझ रहे रोगी रोग से हार कर भी मृत्यु को प्राप्त हो रहे हैं। वहां कोरोना के लक्षण नहीं हैं। चूंकि कोरोना गंभीर बीमारियों को और गंभीर बना रहा है जिससे अधिकतर मौतें हो रही हैं। अतः कोरोना और गंभीर बीमारियां एकसाथ मिलकर प्रहार कर रही हैं। पिछले वर्ष की गंभीर रोगजनित मौतों की तथा वर्तमान में हो रही मौतों का विश्लेषण करने पर स्थिति स्पष्ट होती है कि सिर्फ कोरोना से होने वाली मौतें गंभीर बीमारियों से होने वाली मौतों से कम हैं। - सुदर्शन खन्ना
दिल्ली
मृत्यु जीवन का कटु सत्य है कभी बीमारियों से होती है तभी अचानक होती है अभी तो करो ना महामारी के रूप में चारों ओर फैला हुआ है तो अन्य कारणों से भी जो मौतें हो रही हैं उन्हें कोरोनावायरस दे दिया जा रहा है जो व्यक्ति भी हॉस्पिटल गया और किसी वजह से हार्ट अटैक किडनी फेल हुआ है या अन्य कोई और कारण से मौत हो रही है तो कहीं ना कहीं यह कोरोना से जुड़ जाता है।
मौत तो पहले भी हुआ करती रही हैं कुछ घरों में कुछ हॉस्पिटल में कुछ अन्य जगह जिन की खबर संभवत न्यूज़ के रूप में नहीं आ पाती लेकिन वर्तमान समय एक वैश्विक महामारी का आतंक फैला हुआ है जिसके कारण कि अन्य कारणों से होने वाले मौत को भी कुरौना के श्रेणी में रख दिया जाता है पहले सोशल मीडिया पर मृत्यु संख्या के समाचार यदा-कदा हुआ करते थे आज वर्तमान समय में प्रतिदिन यह सुनने को मिलता है किस शहर में इतने संक्रमित हुए और इतनी मौतें हुई इससे एक दहशत भी मन में हो जाता है कि हल्के से तबीयत खराब होने पर अब हम मौत के लाइन में लगने जा रहे हैं वैसे कोरोनावायरस से मौत हुई हैं कम समय में ज्यादा। या वायरस ही ऐसा है की इंसान को जिसकी इम्यूनिटी कमजोर रही वाह कस के पकड़ा जाता है उसका विल पावर कमजोर पड़ने लगता है परिवार का विल पावर कमजोर हो जाता है यही तो दहशत है पर मेरा विचार है जाको राखे साइयां मार सके ना कोय।
- कुमकुम वेदसेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
विश्व मे कोरोना के प्रकोप के पहले भी बहुत सारी लाइलाज बीमारियां थी। जिन बीमारियों का इलाज था जैसे - हार्ट अटैक , लीवर, किडनी, कैंसर, डाईविटीज ,इत्यादि उनका इलाज मंहगा होने के कारण सामान्य जन के पहुंच से बाहर था। जिन बीमारियों का इलाज था मौत उनसे कोई कम नही हो रही थी।सड़क दुर्घटना मे भी बहुत लोग मारे जा रहे थे।
यह सर्वविदित है कि कोरोना बीमारी उन्हीं लोगों को प्राथमिक रुप से संक्रमित करती है जिनकी इम्यूनिटी कम होती है या जो अन्य बीमारी से ग्रसित होते हैं। ऐसे मे संक्रमण प्रभावित हो जाता है और मरीज की जान भी ले लेता है । कोरोना मे सांस की तकलीफ मुख्य रुप से होती है। परिणाम स्वरूप आक्सीजन की कमी पूरे शरीर मे हो जाती है जो मौत का कारण बनती है।
निश्चित रुप से जो लोग गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं उन्हें कोरोना से बचने का पूरा प्रयास करना चाहिए। उन्हें खतरा ज्यादा है। बिना मास्क का वैसे लोगों का बाहर नहीं निकलना चाहिए।
- रंजना सिंह
पटना - बिहार
दरअसल कोरोना बीमारी के नाम पर लोगों को गुमराह किया जा रहा है। अधिकतर मामलों में मरने वाले व्यक्ति का सही सिनाखत नहीं किया जा रहा है, चुकी जो लोग कोरोना से मर रहे हैं उनकी लाश तक जब परिवार के सदस्यों को नहीं मिलता तब कैसे विश्वास किया जाए कि मौत कोरोनावायरस से हुई अथवा अन्य बिमारियों से। अरोस -पड़ोस यदि किसी व्यक्ति को जरा सी खांसी जुकाम या बुखार हो गया तो लोग डरना शुरू कर देते हैं। मेरे पड़ोस के दो व्यक्ति को कुछ ऐसा ही हो रहा था तब उन्हें कोरोना संदिग्ध समझ कर अस्पताल पहुंचा दिया। जांच हुई तो सिमल बुखार था। इस समय इलाज ही कोरोना का हो रहा है। इस वजह से अन्य बीमारी से जूझ रहे व्यक्ति का भी उपचार ठीक से नहीं हो पाता और लोग अनायास ही काल के ग्रास बन रहें हैं। समय रहते यदि इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो कोरोना से अधिक अन्य बीमारी से भी लोग मरने लगेंगे।
- भुवनेश्वर चौरसिया "भुनेश"
गुड़गांव - हरियाणा
मेरे मतानुसार अधिकतर मौत कोरोना से भारत के संग पूरे विश्व में हुई हैं । खुद चीन के वुहान शहर में सबसे पहले कोरोना लोगों में फैल कर सबसे ज्यादा लोगों की मौत हुई । यही वैश्विक बीमारी है । विश्व के चहुँ ओर कोरोना से लोगों की मरने की खबर हर दिन सुनने पढ़ने को मिलती है । अमेरिका में ट्रकों से भरी लाशें तर्कों में सड़ रही हैं । मुम्बई में पहले से कब्रिस्तान में कब्रे खोदी जा रही हैं । आज की स्थिति यही दर्शाती है कोरोना से मरने वालों की दशा दिशा बता रही है ।
प्रवासी मजदूर , बाहर से आए लोग गांवों में , कस्बाई इलाकों में कोरोनो के मरीज संख्या बढ़ती जा रही है ।दिल्ली में करोनो के मरीजों की संख्या बढ़ रही है आज तक कोरोनो के मरीज 23 , 645 हो गयी है । जानलेवा कोरोना के आंकड़े 2 लाख से ज्यादा है । विश्व में भारत 7 वें नमंबर पर है लेकिन 1 लाख से ज्यादा लोग स्वस्थ भी ही गए हैं । 6075 लोगों की मौत हुई है ।ठीक कोरोना के मरीज 104107 हुए हैं ।
आज की तारीख में एक दिन 260 संक्रमित कोरोना मरीजों की मौत हो रही है ।
भारत में लोगों की गंभीर बीमारियों से भी मौत हो रही है , वह कम ही हैं ।
- डॉ मंजु गुप्ता
मुंबई - महाराष्ट्र
आज अधिकांश मृत्यु बीमारियों की वजह से बुजुर्ग लोगों की हो रही है ।कोरोना से मारे जाने वाले लोग वह दूसरी श्रेणी में है । आज कोरोना का प्रभाव उन लोगों पर अधिक पड़ रहा है, जिनमें प्रतिरोधक क्षमता अधिक नहीं है । ये बुजुर्गों पर इसलिए अधिक असरदार है क्यों कि उनके भीतर शरीर को संचालित करने वाला संपूर्ण तंत्र कमजोर हो गया है इसलिए शीघ्र ही ये वायरस अपनी पकड़ बना लेता है । दूसरी तरफ कोरोना जैसे वायरस के लिए हमें चिन्तन भी करना होगा सुरक्षा के उपाय ढूंढने होंगे, हमारे पास इससे निपटने का कोई ठोस उपाय नहीं है । अत :आशावादी दृष्टिकोण रखते हुए हमें साहसिक लड़ाई के स्वयं को एवं राष्ट्र को तैयार करना होगा ।प्रत्येक व्यक्ति को अपने भीतर प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के प्रयास निरन्तर करने होंगे ।और सभी को अन्य बीमारी से बचने के भी प्रयत्न करने होंगे, एक स्वस्थ जीवन की तरफ सुचारू रूप से कार्यरत रहना होगा ।तभी संपूर्ण राष्ट्र कोरोना जैसी महामारी को मात दे पाएगा ।
- डॉ.आशा सिंह सिकरवार
ओढव, अहमदाबाद - गुजरात
यह सच्चाई है कि कोरोना का संक्रमण बहुत तेजी से फैलने वाला और सर्वाधिक भयानक स्थिति वाला संक्रमण है ।अन्य देशों की स्थिति इसके कारण बद से बदतर हो रही है लेकिन हमारे देश में ऐसा नहीं है ।हमारे देश में कोरोना से मरने वाले लोगों की संख्या बहुत कम है। यह
2• 82%है और यह दुनिया में सबसे कम मृत्यु दर है । अन्य देशों में भारत से 83 गुना ज्यादा मृत्यु दर है।वहीं अगर हम अन्य गंभीर बीमारियों पर नजर डालते हैं तो यह बात स्पष्ट होती है कि कोरोना की तुलना में गंभीर बीमारियों से मृत्यु अधिक बड़ी संख्या में हो रही है ।हृदय रोग से 21•9% कैंसर से 7.8% सांस से संबंधित बीमारियों से 12.4% मृत्यु दर है ।यह कहा जा सकता है कि हमारे देश में अधिकतर मृत्यु कोरोना से नहीं अन्य गंभीर बीमारियों से हो रही है ।
- डॉ अरविंद श्रीवास्तव 'असीम'
दतिया - मध्य प्रदेश
जीवन में समय परिवर्तन तो सदैव ही होता रहता है। आज के इस युग में मानव जाति को अनेक आपदाओं का सामना करना पड़ रहा है ऐसे में कोरोना से मृत्यु यह एक बड़ा प्रश्न है जहां जन्म है,वहां मृत्यु तो निश्चित ही है। कारण कुछ भी हो यह हम सभी जानते हैं।कोरोना से होने वाली मृत्युदर में अधिकतर उम्रदराज लोगों की संख्या अधिक है।और जब से भारत में कोरोना आया है। उसके बाद इस भयंकर महामारी से काफी लोगों की जान जा चुकी है इसके अलावा भी भारत में गंभीर बीमारियों से बहुत से लोगों की जानें गई होगी जिनका बरसों से इलाज हो रहा होगा। ऐसे में हार्ड अटैक एक बड़ी जटिल बीमारी है इससे काफी लोगों की मृत्यु हर वर्ष होती रहती है।लेकिन अभी जो कोरोना से होने वाले मृत्यु के आंकड़े जिस तरह से पता चलते हैं उससे यह स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता कि मौत की वजह कोरोना ही रही होगी या कोई अन्य कारण हो सकता है।इसका अनुमान कैसे लगाया जाए क्योंकि अधिकतर लोग गम्भीर बीमारियों के चलते हॉस्पिटल में इलाज के दौरान दम तोड़ देते हैं। उसका कारण लोग कोरोना ही मान लेते हैं। लेकिन क्या वास्तव में जिस व्यक्ति की मृत्यु हुई है उसका मुख्य कारण कोरोना है।यह कोई नहीं जान पाता। यहां तक कि परिवार के लोगों को भी नहीं मालूम हो पाता। इस तरह से गंभीर बीमारियों से मरने वालों की इम्यूनिटी पावर कम हो जाती है।ऐसे में वह किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आता है तो उससे बचना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में यह अनुमान कैसे लगाया जाय की गंभीर बीमारी से लोगों की मौत ज्यादा हो रही है। या फिर कोरोना संक्रमण से ज्यादा हो रही है।
- वंदना पुणतांबेकर
इंदौर - मध्यप्रदेश
कोरोना वायरस दुनिया के लिए एक नयी चीज है इसलिए इस समय कोरोना की वजह से हो रही मौतों के आंकड़े प्रतिदिन हमारे सामने रखे जा रहे हैं परन्तु प्रकृति का चक्र पहले की तरह ही जारी है और अन्य बीमारियों से भी मौतें हो रही हैं लेकिन उनके आंकड़े जनमानस के सम्मुख नहीं रखे जा रहे हैं।
यह स्पष्ट है कि कमजोर शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्तियों की कोरोना के कारण मौत होने की संभावना अधिक है। इसके साथ ही जो लोग पहले से अन्य बीमारियों से ग्रसित हैं यदि उनको कोरोना होने के बाद मौत हो जाये तो यही कहा जा रहा है कि उनकी मौत कोरोना के कारण हुई है, जबकि मरीज के शरीर में कोरोना के पूर्ण रूप से प्रभावी होने से पहले ही किसी अन्य बीमारी से मौत होना सम्भव है।
इस प्रकार कहा जा सकता है कि कोरोना के साथ-साथ अन्य बीमारियों के कारण हो रही मौतों का सिलसिला भी समान रूप से जारी है बस फर्क यही है कि इस समय कोरोना पर ही सबकी नजर है, अन्य बीमारियों से हो रही मौतों की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा।
- सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
प्रतिवर्ष गंभीर बीमारियों से भी लोग मरते हैं लेकिन आम जनता को इसका पता नहीं होता सरकार स्वास्थ्य विभाग से जन्म मृत्यु की कारण सहित जानकारी मांगती है तब पता चलता है कि गंभीर बीमारी से लोग प्रतिवर्ष कितने प्रतिशत मरते हैं अभी करो ना का माहौल चल रहा है अगर कोई सामान्य बीमारी से भी मर रहा है तो करो ना से ही मरा मान रहे हैं लेकिन ऐसा नहीं है करुणा से भी मर रहे हैं और गंभीर बीमारी से भी मर रहे हैं जिसको पहले से गंभीर बीमारी है और उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है ऐसे लोगों को करो ना अटैक करती है तो इससे क्या कहा जाए गंभीर बीमारी से मरा कहा जाए या करो ना से मरा कहा जाए इस तरह की स्थिति बन रही है। मरने को दोनों स्थिति से मर रहे हैं लोग यह क्षेत्रीय परिस्थिति के अनुसार कहीं करो ना से अधिक मर रहे हैं तो कहीं गंभीर बीमारी से अधिक मर रहे हैं लेकिन लोग बाग करुणा का माहौल चल रहा है तो करो ना से ही मरा समझ रहे हैं लेकिन मरना तो दोनों से ही हो रहा है अतः इन दोनों के प्रति हम को सतर्क रहने चाहिए गंभीर बीमारी हमारी खानपान प्रदूषित वातावरण से होता है अतः इन बीमारियों से बचने के लिए हमें शुद्ध भोजन और संयम की आवश्यकता होती है तभी हम अपने रोग रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर इन बीमारियों से निजात पा सकते हैं वर्तमान में करुणा का वैश्विक महामारी फैला हुआ है स्कूल ऑफ डाउन पद्धति अपनाकर दूर करने की कोशिश में हमारा देश लगा हुआ है अन्य देशों की तुलना में यह सफल भी है लेकिन अभी पूर्ण सफल हो रहा है ऐसी बात नहीं है अभी भी करो ना कि संक्रमण दिनोंदिन बढ़ती जा रही है अन्य देशों की तुलना में इसकी गति धीमी है लेकिन स्थिर ऐसा नहीं कहा जा सकता इसे यह कहते बनता है कि लोग करोना से ही नहीं गंभीर बीमारी से मर रहे हैं ऐसा नहीं है कि करो ना नहीं है तो बीमारी से नहीं मरते करोना है करो ना नहीं था फिर भी लाखों लोग विभिन्न प्रकार के बीमारियों से मरते हैं। अतः हमारे खान-पान और संयम एवं वातावरण पर ध्यान देना आवश्यक है तभी हाल इन बीमारियों और विषाणु से निजात पा सकते हैं।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
यही सत्य है कि अधिकतर मौतें कोरोना से नहीं बल्कि गम्भीर बिमारियों से हो रही हैं। परन्तु मौत का अत्याधिक डर और फोबिया भी एक मुख्य कारण हैं।
मंथन करें तो आज भी एड्स जैसी कई बिमारियां हैं। जिनका उपचार नहीं है। केंसर भी अभी लाइलाज है। किन्तु फिर भी तम्बाकू का सेवन हम शान से करते हैं और अपना जीवनयापन प्रसन्नचित्त करते हैं।
अब जबकि अनलाॅक-1 के चलते यातायात नियमों के उल्लंघन या दुर्घटनावश दुर्घटनाओं के कारण मृत्यु होनी आरंभ हो चुकी हैं। उसके बावजूद नियमों की धज्जियां उड़ाने से हम नहीं डरते। जिसके जिम्मेदार हम ही हैं और भूल जाते हैं कि नियमों का पालन करना हमारा मूल कर्त्तव्य है।
डरने से अच्छा है कि हम साधारण सरसों के तेल की मालिश कर उठक-बैठक या योगासन से अपना स्वास्थ्य सुधारें। अनावश्यक घर से बाहर न निकलें। स्वास्थ्यवर्धक फल सब्जी और भोजन से अपनी इम्युनिटी बढ़ाएं।
चूंकि स्वस्थ शरीर के अंदर प्रत्येक भयंकर से भयंकर बीमारी के विषाणुओं से लड़ने वाले अद्वितीय प्रतिरोधक क्षमता वाले किटाणु होते हैं। जो बीमारी फैलाने वाले विषाणुओं को मार डालते हैं। फलस्वरूप हम बिमारियों से बचे रहते हैं।
अतः ईश्वरीय आशीर्वाद मानते हुए शक्तिवर्धक खाद्य पदार्थों का सेवन करें और अपने-आपको स्वस्थ रखते हुए राष्ट्र का सहयोग करें।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
कोरोना से ही अधिक मौते हो रही है , मौते तो पहले भी होती थी पर दहशत नहीं थी ,
पर कोरोना ने तो मौत को भी बेइज्जत कर दिया , न कंधे न अपने साथ न संस्कार , न फूल माला नं मंत्रोचार , अंतिम संस्कार नही , अस्थियों का पता नहीं , मौत भी अपनी मौत शर्मीदा व लाचार यह भी मौत है न जुलूस न भीड़ सुनशान चुपचाप जला दे रहे । अरे और किसी बिमारी से आदमी मरता है तो भीड़ जमा होती है अंफसोश जताया जाता , बाड़ी को भी इज़्ज़त के साथ नहला कर सजा कर पूलों की सेज पर लेटाया जाता है , पंडित विधी विधान करते है । राम नाम सत्य है ..
राम नाम सत्य है के जयकारा लगते है , मुर्दा भी ख़ुश होता है मुझे विदा करने इतने लोग आये , पर कोरोना से तो मौत की बड़ी बेइज़्ज़ती होती है ।
तो मरने पर अपनी इज़्ज़त चाहते हो तो अपनी प्रतिरोधक समझता को बढाये ....
डायबिटीज़,कैंसर , व्लैडप्रेसर , हार्टअटैक से भी मौते होती !
पर वो इतनी दर्द नाक नही । कोरोना से तो लोग डर के ही अधमरा हो जाता है !
कोरोना महामारी हैं जो हमारी गलती न हो तो भी लग जाती है । लाकडाऊन ने और ग़रीबों को अधमरा कर दिया पलायन करने वाले कितने थक कर , भूख से मर गये , कोरोना ने लाखों की जान ली हैं जो और किसी बिमारी से नहीं मरते लाखों लोग मरे श्मशान में जलाने की जगह नहीं , लोग अपने मृतक का मूंह तक न देख पाये , भयानक व दर्दनाक स्थिति ,........
मेरी कविता कोरोना का सच दर्शाती .....
“मौत से नहीं लगता डर “..
मौत से नहीं लगता डर
कोरोना से डरती हूँ
आजाए जो अपनों से दूर करे
घर द्वार सब छुड़वाए,
सारे रिश्ते नाते दूर हो जाए
कोरोना नाम से दहशत छा जाती
चेहरे पर डर की परछाई आती।
आयेंगा तो क्या होगा ?
ज़िंदा रह न पायेगें ...
यह सोच सोच मर जायेगें ।
ले जायेगे अस्पताल
साथ कोई न जायेगा ।।
अंतिम विदाई जीते जी दे दी जायेगी ...
कोई मिलने भी नहीं पायेगा
कैसी हैं यह महामारी
कैसा कोरोना वायरस
मरने पर न , हो पाये अंतिम संस्कार ,
न फूल माला न धूप दीप
न मुखाग्नि दी जाए
न राम नाम सत्य ही ,
पुकारा जाए ।।
न अस्थियाँ मिले
न कर पायें विसर्जन ।।
बुढे तो झेल ही नहीं पाते
चटपट झटपट मृत्युलोक पहुँचते।
युवाओं पर करती कुछ कुछ रहम
रुक रुक करती बेहाल ..
बच्चे सब जाग गये है , मान गयेहै
कोरोना से लड़ना है हमको समझाते हमको , मास्क पहन कर रखो ,
हाथो को बार बार धोना ,
सबसे दूर ही रहना ..
योगा कर सेहत बनाओं
वनस्पति का करों सेवन
गर्म पानी पीना , ठंडे पेय से दूरी रखना ...
निर्देशों का पालन करते ,बच्चे है समझदार ।।
कोरोना को भगाना ,
देश को उन्नत करना ।।
अफवाओ से बचना होगा
सब को यह समझाना होगा ।।
नहीं डरेंगे , कोरोना से लड़ेंगे
देश से मार भागायेगे !!
जीतेंगे हम जीतेंगे
कोरोना से जीतेंगे ।।
मिल कर जंग लड़ेंगे
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
गंभीर बीमारियों से मौत पहले भी होती थीं और अभी भी हो रही हैं ।पर कोरोना वायरस का आतंक जनमानस इस कदर हावी है कि वह इससे पृथक कुछ सोच नहीं पा रहा है।अभी कोई अस्पताल में भर्ती होता है तो सभी को लगता है कि कोरोना हुआ तथा अभी किसी मृत्यु होती है तो लगता है कि कहीं वह कोरोना संक्रमित तो नहीं था। भारत में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है ।साथ इससे ठीक होने वाले मरीजों की संख्या भी अन्य देशों से अधिक है ।जिन्हें पहले से गम्भीर बीमारी है उनके लिए यह जानलेवा हो जाता है ।अतः हम कह सकते हैं कि गम्भीर बीमारियों से मौत पहले भी होती थी और अभी भी हो रही हैं तथा जिन्हें पहले से गम्भीर बीमारी है उनके लिए यह वायरस घातक है।चूकि यह अति संक्रमित होने वाला वायरस है और लोगों मे बड़ी तेजी फैल रहा है इसलिए इससे पहले से गम्भीर बीमारी वालो की ही मृत्यु अधिक हो रही है ।
- रंजना वर्मा "उन्मुक्त "
रांची - झारखण्ड
अधिकतर बीमारियां के कारण भी बुजुर्ग लोगों की मौतें हो रही हैं क्योंकि ज्यादातर लोग डायबिटीज ब्लड प्रेशर के मरीज हैं और उन्हें इस बीमारी के बारे में सुनकर टेंशन हो जाता है इस कारण उनको मृत्यु हो जाती है
जैसे दो अभिनेता
की मृत्यु हुई जो लोग पहले से कैंसर से पीड़ित थे अगर किसी की दर के कारण हार्ट अटैक से भी मौत होती है तो उसे भी करो ना की कीमत कह देते हैं आजकल अजब जमाना आ गया है कि लोग किसी को चार कंधा देने को भी तैयार नहीं होते और कह देते हैं करो ना सही बची हुई है इसीलिए हम को अपनी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ानी पड़ेगी अगर हमारा यूनिटी सिस्टम मजबूत रहेगा तो हम ज्यादा दिनों तक जी सकेंगे जो बुजुर्ग अपने प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा लिया है वे इस बीमारी से भी ठीक हो गए हैं मन में उत्साह रखना पड़ेगा हर मुसीबत का सामना हमें आशावादी दृष्टिकोण से करना पड़ेगा तभी हम इस जंग को जीत सकेंगे इस जंग से सारा विश्व परेशान हैं हमारे हिंदुस्तानी संस्कृति खाने-पीने में मसाले सारी दुनिया को बचा रहे हैं सारी दुनिया हल्दी नीम तुलसी का सेवन कर रही है हमारे योग और आयुर्वेद को सब अपना रहे हैं इसको अपनाने से मृत्यु दर भी कम होगी।
यह तो अटल सत्य है कि 1 दिन सबको जाना है लेकिन यह बीमारी के बारे में तो कभी किसी ने नहीं सुना था जैसा अब हमें देखना पड़ रहा है।
कम छोटा है उम्मीद पड़ी है हमें अपनी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ानी पड़ेगी और स्वस्थ रहने पर ज्यादा ध्यान रहना पड़ेगा।
*स्वस्थ रहो मस्त रहो।*
- प्रीति मिश्रा
जबलपुर - मध्य प्रदेश
बुज़ुर्ग लोग और हाई ब्लड प्रेशर, दिल कि समस्याएं और मधुमेह के रोगियों मे यह रोग और खतरनाक रूप ले सकता है | इसके अलावा, पहले से ही किसी रोग के मरीज़ या इम्युनिटी कम होने वाले लोगो पर यह वायरस का ज़्यादा आसानी से प्रभाव पड़ता है
भारत देश में कुछ कहाँ नहीं जा सकता क्योंकि आँकड़े ही सही नहीं मिलते .
कोविड 19 “ का टेस्ट ही नही हुयें बराबर कितनो की मौते घरों में हो गई कैसे कुछ पता लगे आज कोई स्थिति साफ़ नहीं है पर है ये पक्का है कोरोना आने के बाद मृत्यु संख्या बहुत तेज़ी से बढ़ी है । अस्पतालो में जगह नही पैलेट के रहने के लिऐ , हमारे कोरोना योद्धाओं की मृत्यु ..डाक्टरों , नर्सों और पुलिस व सफाई कर्मचारी , समाजसेवि कार्यकर्ताओं की मौत यह दर्शाती है की कोरोना से ही मौते अधिक हुई है ।
आज भी स्थिति भंयकर है । सभी को सावधानियाँ रखनी बहुत जरुरी है !
कोरोनाजैसी स्थिति न कभी आई न आनी चाहिऐ हम इससे निजात पा ले बस , इक्कीसवाँ सदी में दुनिया सम्मापन होने की भविष्य की गई थी !
यह वैश्विक महामारी ने इटली, अमेरीका जैसे देशों को सबसे ज़्यादा नुकशान पहूचायां है ,
लाखों में मौते हुई है वह सब कोरोना की वजह से ही ।
कोरोना को वही मात दे सकता है जिसकी प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है !
आज हमें फिर पुरानी भारतीय परम्पराओं को याद दिया दिया देशी सात्विक भोजन , और व्यायाम , स्वच्छता , आदि सब दोहरा दिया जो हम भूल रहे थे उन्हें याद दिला दिया ,
आज हमें याद आ गया .
कि प्रकृति से खिलवाड़ करना पर्यावरण का दोहन कितना भारी पड़ता है ।
कोरोना से हीअधिक मौते हुई है
और कीसी से नही !
हाँ अगर हम पहले से किसी रोक से पीड़ित हैं तो यह वायरस जल्दी हमें नुकशान पहूचायेगा ।
आज भी कोरोना के साथ हमें जीना है और ज़िंदगी खुशहाल बनाना है
- आश्विनी पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
कोरोना वायरस ने भारत ही नही पूरे विश्व में ऐसा तलहका मचाया की लोग साधारण या गंभीर बीमारी को भी कोरोना का नाम दे दिया है। यदि किसी ने गलती से छीक या खास दिया तो लोग उसे कोरोना की नजरों से देखना चालू कर देते है। यह देख गंभीर बीमारियों को भी खुशी हो रही है कि अब नाम हमारा नही कोरोना का होगा। सच मे बीमारी के नाम से शायद ऐसे हालात कभी नही आये होंगे कि लोग कोरोना का नाम ही सुनकर डर जा रहे है। ऐसे हजारो हजारो व्यक्ति होंगे जिनकी मौत अन्य साधारण या गंभीर बीमारियों की बजह से मौत हुई है ,उन्हें भी कोरोना का नाम देकर उनके परिवार वाले भी छूना दूभर समझे। और लाश को यू ही फेंकना या वही छोड़ दिये। इससे यह कहा जा सकता है कि अधिकतर मौत कोरोना से नही गंभीर बीमारियों की वजह से हुई है और हो भी रही है। मगर कोरोना के सामने लोग सच को स्वीकार नही कर पा रहे है।
- राम नारायण साहू "राज"
रायपुर - छत्तीसगढ़
अन्य बीमारियों का होना यह सिद्ध नही करता कि कोरोना से मौते नही हो रही है । हालांकि कोरोना से अधिकांश मौते उन्ही लोगो की देखी गई है जो पहले ही अन्य बीमारियों से पीड़ित थे परन्तु ऐसे लोग , बच्चे भी इन मौतों में शामिल है जो पूर्ण स्वस्थ थे और जिनकी मौत का कारण केवल ओर केवल कोरोना ही है ।इसीलिए यह नही कहा जा सकता है कि कोरोना से लोगो की मौत नही हो रही है ।
वहीं प्रायः यह देखा जा सकता है कि कोरोना पॉजिटिव लोगो की हालत क्या हो रही है । उन्हें लगातार छींके आना व सांस लेने में दिक्कत महसूस हो रही थी , जो जीवन पर प्रतिघात करती ही नजर आती है ।
अन्य बीमारियों का होना रोगी को स्वस्थ होने में एक रोड़ा तो साबित होता है , जो लगातार स्वास्थ्य को गिराता चला जाता है और बरकरार बना रहता है परंतु उस रोग का क्या जिसका कोई इलाज ही नही , दवा ही नही ? अतः कोरोना से होने वाली मौतों को यधपि देखा जाए तो यह बहुत भयानक बीमारी है ।
- परीक्षीत गुप्ता
बिजनौर - उत्तरप्रदेश
कोरोना जैसी महामारी के आगे हर बीमारी अब छोटी लगती है मैंने अपने जीवन काल में इससे अधिक भयानक स्थिति नहीं देखी
और न ही इस तरह देश में इतना लम्बे समय का लाकडाउन ही देखा और पूरे विश्व में सबसे ज्यादा मृत्यु का तांडव भी पहली बार ही देखने को मिला जो बहुत ही दुखदायक है पर हां जन्म से होश संभाला तबसे सुन रहीं हूं की इक्सवी सदी में पृथ्वी पर सब खत्म हो जाएगा तो क्या ये उसकी दस्तक है इस तरह दिन-प्रतिदिन बढ़ती मौतों का आंकड़ा बढ़ ही रहा है जो कोरोना से ही हो रहीं हैं पर हां यह भी सही है कि कोरोना उसी को जल्दी घेरता है जैसे किडनी सम्बंधी, कैंसर,या जो पहले से किसी कारणवश बीमार है तो उनकी मृत्यु का कारण कोरोना बन जाता है तो मृत्यु का आंकड़ा बढ़ने का कारण आधा आधा दोनों हैं।
पर हां एक बात सभी से साझा करना चाहूंगी कि मैं ही नहीं यह बात कहीं ना कहीं सभी ने सुनी है कि इक्कीसवीं सदी में सब खत्म होगा अर्थात यह भी जानते थे कि जब पाप बढ़ जाता है तो प्रलय आती है तो हम सभी ने क्यूं किए इतने पाप और होने ही दिए या बढ़ते बलात्कार में किसी ऐसी कन्या या देवी का श्राप है जो दर्द सहते वक्त दर्द का कारण ना जानती हो पर असहनीय दर्द बस सह रही हो अभी भी वक्त है हमारे सुधार को आत्मवलोकन को
आओ मार गिराए इस वायरस को मिलकरऔर फिर कभी ऐसी आपदा ना आने दें विश्व में।
चलो इक नया जहां बनाए
जहां फिर पूजा हो औरत की
भगवान समझे जाए मात,पितु
चलो लव कुश सा रूप बनाएं
रूखी,सूखी खाकर भी विदेश
ना भेजें जिगर के टुकड़ों को
पढ़ा लिखा कर देश को
आत्मनिर्भर बनाएं।
- ज्योति वधवा " रंजना "
बीकानेर - राजस्थान
बीमारियां और आमजनों के एक दूसरे के पूरक हैं। प्रकृति से खिलवाड़ जब-जब होता गया हैं, तब-तब असहाय घटनाओं का जन्म हुआ हैं, जिसका परिभाय संतुलन बनाए रखना हैं। किन्तु मानव तंत्र स्वभाव प्रेमी हैं, जिसका दुष्परिणाम गंभीर होते जा रहे हैं। बीमारियां बताकर नहीं आती किंतु हम आमंत्रित करते हैं, हमारा खान-पान-रहन-सहन सब अपनी इच्छानुसार जीवन यापन पर निर्भर करता हैं। जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण आप सब देख रहे, कोरोना महामारी के कारण जीवन शैली की दिनचर्या परिवर्तित हो चुकी हैं। साधारण बीमारियां भी कोरोना की श्रेणी में विभाजित कर, आकड़ों की बढ़ोतरी कर जन समुदाय का ध्यान केन्द्रित कर, सभी वर्गों को उलझा कर रख दिया गया हैं, जितना बीमारियों का भय नहीं हुआ, उससे ज्यादा सरकारी तंत्र की बीमारियों का तांडव हुआ, कोरोना महामारी विषयवस्तु से पूर्व में विस्तार पूर्वक अवगत कराया गया होता तो दूरगामी पहल होती। जबकि ऐसा नहीं हुआ। साधारण बीमारियों से ग्रसित होकर अस्पतालों की बलि चढ़ गये दूसरी ओर डण्डों के मरीज भी भर्ती होते चले गये, अव्यवस्था का आलम सामने आता गया, इसी डर के कारण मौतों के बीज का सामना करना पड़ रहा हैं। घबराहट ऐसी चीज हैं, साधारण बीमारियों से ग्रसित होकर अस्पतालों में पहुँचा वहां का वातावरण देख, देखता रह गया। आमतौर पर आमजन पूर्व से अनेकों तरह-तरह की बीमारियों से ग्रसित रहते हुए, विभिन्न दवाईयों का सेवन करते हुए चला आ रहा था, ऐसा कोई घर अछुता नहीं हैं, जहाँ विभिन्न प्रकार की दवाईयां न हो? कोरोना महामारी की एक ही दवा सामने आई, घर में रहो, सुरक्षित रहो, घर में ही तांडव नृत्य करते रहों। जब मन हुआ प्रतिबंधित कर दो, फिर शिथिलता कर दो, फिर आमजनों को आत्म-निर्भर बनने का संदेश दे दो?
अगर बीमारियों को प्रतिबंधित भी नहीं किया गया होता, तो पूर्व बीमारियों की तरह जीवन जीने का सामना करता रहता। अंत में फिर एक संदेश आयेगा हमने तो "कोरोना महामारी की जंग जीत लिये, वह चला गया हैं, सब सामान्य हो जाईये"?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
बालाघाट - मध्यप्रदेश
कोरोना काल में गंभीर बिमारियों से भी मौत हो रही है, लेकिन कोरोना महामारी से अधिक मौतें भारत मे हो रही है। वैसे जापान ने कोरोना की दवा बना लिया है और उसको उपयोग करने की भी स्वीकृति दे दी है। यह दवा सफल हुई तो कोरोना पर नियंत्रण हो जाएगा। वैसे भारत द्वारा बनाई गई दवा भी कारगर साबित हो रही है , जिससे मरीज ठीक हो रहर हैं। इसके वाबजूद देश मे कोरोना के नए केश हर दिन बढ़ रहे हैं। पिछले 24 घंटे में 9 हजार से अधिक नए केश मिले हैं। वही मरने वालों की संख्या 260 है। देश मे कोरोना से संक्रमितों की संख्या 2 लाख 17 हजार पहुँच गई है। अब तक 6 हजार से अधिक मौते हुई है। इसी बीच राहत वाली बात यह है कि कोरोना से भारत मे 1 लाख 4 हजार 120 लोग ठीक होकर अपने घर लौट चुके हैं। वही दुनियाभर में कोरोना के 65 लाख से अधिक संक्रमित हैं, जबकि 3 लाख 85 हजार लोगों की मौत हो चुकी है।
जैमिनी अकादमी की ओर से आज गुरुवार की चर्चा में सवाल पूछा गया है कि क्या अधिकतर मौत कोरोना से नहीं गंभीर बिमारियों से हो रही है? हालांकि भारत मे गंभीर बिमारियों से भी लोगों की मौते हो रही है, पर अधिक नहीं। देश मे कोरोना से अधिक मौतें हो रही है।
- अंकिता सिन्हा लेखिका
जमशेदपुर - झारखंड
मौत का आँकड़ा निरन्तर बढ़ता जा रहा है । यह प्रमाणित होता जा रहा है कि कोरोना से संक्रमित लोग मर भी रहे हैं। लेकिन अधिक संख्या में ठीक भी हो रहे हैं यह परम सत्य है।
यह कोई जरूरी भी नहीं है कि कोई भी घातक बीमारी हीं मारने का कारण होती है । हर बीमारी किसी कोले जाती है तो कुछ लोग उसके हाथ से छूट भी जाते हैं । मैं ये मानती हूँ कि कुछ लोगों को गंभीर बीमारियां पहले से थीं । और शायद इसी कारण वे इस बीमारी से लड़ने की ताकत नहीं जुटा पाए । सभी व्यक्ति की अंदरूनी ताकत अलग-अलग होती है । मानसिक दौर को झेल पाने के लिए भी शक्ति चाहिए।इन सबों से निपटने के बाद हीं मरीज बीमारी से मुक्ति पाता है।
इसलिए अभी के दौर में कोरोना का पक्ष लेना या उससे हुई मौत को खारिज़ मानना गलत है । कैंसर जो लाइलाज है । अभी तक कोई दवा नहीं है या उसे रोकने का भी कोई उपाय नहीं है। डेंगू भी एक घातक बीमारी है । लेकिन उससे भी इतनी बड़ी संख्या 2 लाख मौत नहीं हुई है ।
इस तरह से अफवाह फैला कर दुनिया को गुमराह नहीं किया जाए तो उचित होगा। यह संदेश लोगों को कोरोना के प्रति संदेह में डालता है और लोग उधेड़बुन में पड़ कर समय गंवा देते हैं ।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
बहुत ही रोचक विषय पर मूल्यांकन करना है।कोरोना महामारी पहले बुजुर्गों और बच्चों पर चोट करती है। क्योंकि बुजुर्गों के शारीरिक क्षमता कमजोर हो जाती है इस उम्र तक आते-आते कुछ ना कुछ बीमारियों से ग्रस्त हो जाते हैं जैसे:- ब्लड शुगर,बी पी, हृदय रोग,सांस लेने में दिक्कत, दमा, इत्यादि। इसलिए इनके सहनशक्ति कमजोर हो जाता है।
बच्चों के सहनशक्ति का विकास नहीं हो पता है,इसलिए इन दोनों पर खतरा बना रहता है।
कोरोना:- पांच बीमारियों को अपने प्रकोप में बदल लेता है।
कोरोनावायरस का काहर पूरे दुनिया में मंडरा रहा है। कुल संक्रमित 64.48 लाख कुल मौत
3.83 लाख। भारत में संक्रमित2.17 लाख कुल मौत 05.815 हजार है। भारत बेशक मरीजों के लिए आज दिन से दुनिया के सातवें स्थान पर है पर मौत 12 देशों में भारत से ज्यादा हुई है।
कोरोना शरीर को यूँ करता है तवाह:- इसको शुरुआती लक्षण बेहद मामूली होती है लेकिन इससे लोगों की जान भी जा सकती है।इसका लक्षण:- सिर दर्द,सांस लेने में परेशानी, मांसपेशियों में दर्द,बुखार और थकान ऐसे परेशानी होने लगती है तो मरीज को अस्पताल में भर्ती करना पड़ता है।
अभी तक जो मौतें हुई है उसका आकलन स्वास्थ्य विभाग नहीं कर पाए हैं अगर जितना भी मौत हो रहे हैं वे सब करोना से ही मान लिया जाता है।
लेकिन लेखक का मानना है बहुत मोते गंभीर बीमारियों से भी हो रहा है। यह स्पष्टीकरण स्वास्थ्य विभाग के गर्व मे है।
- विजयेंद्र मोहन
बोकारो - झारखण्ड
बात अगर कुछ दिन पूर्व की होती यानि लॉकडाउन दो या तीन की तो हम मान सकते थे कि ज्यादार मौतें कोरोना संक्रमण से नहीं बल्कि कोरोना के खौफ़ से हो रही हैं।तब ज्यादा फैला नहीं था और लोगों में जागरूकता की भी कमी थी जिसके कारण अफ़रातफ़री का माहौल ज्यादा था।किसी को कुछ भी हो जा रहा था तो उसका खुद पर से ही माने जीने की आश खत्म होने लगती थी और कुछ तो लोगों का उसके प्रति व्यवहार भी ऐसा हो जाता था कि वह निराशा के हाथ चढ़ जाता था।अर्थात मानसिक दिक्कतें आने लगती थी और वह खुद को ही मिटाने की सोचने लगता था।
अब जब कि आवाजाही बड़ी है तो कोरोना संक्रमितों की संख्या भी दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है तो कारण भी विविधता में बदलते जा रहे हैं।लेकिन इसका यह अर्थ भी नहीं है कि अधिकतर मौतें दूसरी गम्भीर बीमारियों से हो रही हैं।पर बड़ा तो संक्रमण भी है और साथ ही लोगों का भी खुलकर निकलना प्रारम्भ हो चुका है।ऐसे में निश्चित रूप से कुछ भी कह देना जरा मुश्किल सा जान पड़ता है।
आंकड़े चाहे कुछ भी हों परन्तु इस बात को मानना होगा कि आज की स्थिति में ज्यादातर मौत कोविड-19 से या फिर कोरोना के संक्रमण से ही हो रही हैं।अर्थात डर तो अभी भी बना हुआ है कि कोरोना संक्रमण से ही मौत हो जाएगी।फिर चाहे उसे कोरोना हो या उसका डर जो कि उसे और भी कमजोर कर देता है।अभी भी दोनों के अंतर में समझ का प्रारूप आना जरूरी है तभी जाकर होने वाली मौतों के आंकड़ों का सही लेखा-जोखा मिल पायेगा।
- नरेश सिंह नयाल
देहरादून - उत्तराखंड
कोरोना वायरस को लाॅकडाउन के द्वारा काफी हद तक रोकने में कामयाब रहा हैं भले ही हमनें अभी तक कोई वेकसिन त्यार न की हो कोई दवाई कोरोना की न बनाई हो पर जनजागृती लाने में हम सफल रहें हैं। कोरोना से बच्चों एवं बुजुर्गो को ज्यादा खतरा रहा हैं उनमें भी जो लोग बिमार रहते हैं उनहें ज्यादा खतरा हैं हम सब जानते हैं भारत में ही रोज कम से कम 3000 हजार लोग अलग अलग कारनो से मरते थे यह एक निश्चीत आकड़ा रहा हैं फिर आज की जो कंडिशन हैं उसमे यह आकड़ा बहुत कम नजर आ रहा हैं कारन लॅकडाउन रहा हैं तब कोरोना का आकड़ा क्या कहता हैं मुझे लगता हैं कुछ केश तो ऐसे होंगे ही जो बिना कोरोना के भी जाने वाला था कुल मिलाकर कर कह सकते हैं की जो मौत कोरोना से हो रही हैं उसमे भी बुजुर्गो की संख्या ज्यादा हैं उनमें भी जो लोग किसी न किसी बिमारी से गृसित थे अतः हम कह सकते हैं की कोरोना से मरने वालो में गम्भीर बिमारियों से गृसित ही ज्यादा थे।
- कुन्दन पाटिल
देवास - मध्यप्रदेश
क्या अधिकतर मौत कोरोना से नहीं अन्य बीमारियों से हो रही है?जी हां सही बात है यह। उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक पूरे विश्व में अब तक कोरोना से कुल 3,83,105 मौतें हुई हैं जबकि विश्व में प्रतिदिन 1,47,047 मौतें विभिन्न कारणों से होती हैं। हाल ही में 18 मई 2020 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक विश्व में कार्डियोवैस्कुलर डिजीज सीबीडी से 48,700 कैंसर से 26181, श्वास की बीमारी से 10724, डिमेंशिया से 6889, पाचन तंत्र की बीमारी से 6514, डायबिटीज से 3753, लीवर की बीमारी से 36 24 , किडनी की बीमारी से 3370, पार्किंसन रोग से 933 ,शराब से 507, ड्रग्स से 456, लीवर रेस्पेक्टरी इंफेक्शन से 7010, नियोनिटल डिसऑर्डर से 4887, डायर होइल बीमारी से 4300, टीबी से 3243, एड्स से 2615, मलेरिया से 1698,मैनिंजाइटिस से 789, पोषण की कमी से 740, प्रोटीन एनर्जी मालनूट्रिशन से 635, मैटरनल डिसऑर्डर से 531, हेपेटाइटिस से 346, सड़क हादसों में 3406, आत्महत्या 2175, होमीसाइड 1111, डूबने से 809, झगड़ों में 355, आग की दुर्घटनाओं में 330, जहर से 198, गर्मी और ठंड से 146 और आतंकवाद से 72 मौतें प्रतिदिन होती हैं। इनको देखा जाए तो यह कोरोना वायरस से हो रही मौतों से अधिक बड़ा आंकड़ा है
वर्तमान समय में कोरोना की भयावहता इसलिए अधिक है क्योंकि अभी तक उसका कोई इलाज नहीं।उसके फैलने की दर तेजी से बढ़ रही है। हमारे देश में ही अब औसतन नौ हजार व्यक्ति प्रतिदिन संक्रमित हो रहे हैं। प्रकोप बढ़ रहा है।
इसकी चपेट में आने का मतलब है जान का खतरा,जबकि अन्य लोगों का इलाज उपलब्ध होने की वजह से खतरा कम होता है। बचने की संभावना बढ़ जाती है। अभी तो कोरोना बेकाबू है,इलाज मिलने तक। इसलिए बचाव और सावधानी बहुत जरुरी है।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
मौत जीवन का अंतिम सत्य है लेकिन प्रत्येक की मृत्यु के कारण अलग-अलग होते हैं । ये सिलसिला पहले भी जारी था और आज भी है ।
मृत्यु का कारण तो पहले से ही गंभीर रोगों से ग्रसित होना तथा महामारी दोनों हैं।
कोरोना महामारी की दहशत है तथा इसके इलाज के लिए भी अभी कोई वैक्सीन नहीं बनी है ऐसी स्थिति पहले से बीमार लोगों के लिए घातक सिद्ध हुई जिसके कारण अनेक गंभीर रोगी काल-कवलित हो गये ।
चाहे कोई किसी भी उम्र का हो अथवा बीमार, जिनका इम्यून सिस्टम मजबूत था तथा साथ ही जिन्होंने सकारात्मक सोच के साथ खुद को ऊर्जावान बनाए रखा, वै स्वस्थ भी हुए हैं ।
मौत तो आनी ही है लेकिन जिजीविषा, सोच, जीवनशैली, खान-पान, रहन-सहन, दिनचर्या आदि भी जीवन को प्रभावित करते हैं । सवाल यह नहीं है कि कितना जिये, सवाल यह है कि कैसे जिये ।
- बसन्ती पंवार
जोधपुर - राजस्थान
अभी तक जो भी रिपोर्ट कोरोना के संदर्भ में आई है, उसमें सबसे ज्यादा प्रतिरोधक शक्ति का ही रोल है। कोरोना ने भारत में अपना असर दिखाया है। आज भारत में ही 201600 का आंकड़ा पर हो गया है।लेकिन ठीक होने को दर 48 फीसदी है। लेकिन दूसरे देशों में रिकवरी दर इतनी अच्छी नहीं है। उसका मुख्य कारण हमारे देश के लोगो का खान पान और रहन सहन है। लोग कड़ी धूप में भी काम करते हैं। शाकाहारी कहना ज्यादातर लोग पंसद करते हैं। लेकिन फिर भी मौतें तो हो रही है।कोरोना ने उन लोगो को अपनी गिरफ्त में लिया है जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कम है या किसी और बड़ी बीमारी से भी पीड़ित हैं। बड़े बुजुर्गों पर इसलिए कोरोना का कहर ज्यादा है।क्योंकि इस उम्र तक आते आते बहुत सी बीमारियां शरीर में अपना डेरा जमा लेती है और कोरोना का हमला बर्दाश्त नहीं कर पाते।
- सीमा मोंगा
रोहिणी - दिल्ली
इसमे कोई दो राय नहीं है कि मृत्यु जीवन का कटु सत्य है कोई भी अमर फल खाकर नहीं आया है!
मृत्यु का कारण कुछ भी हो सकता है! बीमार तो पहले भी हुआ करते थे तब जब नीम हकीम से इलाज होता था जैसे जैसे विज्ञान बढा़ नई नई बीमारी के नाम आये इलाज के तौर तरीके दवाइयाँ आई! बहुत कुछ बदला हमारा खान पान रहन सहन और सबसे अधिक पर्यावरण! भौतिक सुख के पीछे जो हमने जहरीला बीज बोया है उसे ग्रहण कर हमारी अपनी रोग प्रतिरोधक शक्ति की तीव्रता क्षीण होती जा रही है !
आज हमारे खान पान और प्रदुषण से हमारा शरीर कई तरह के रोगों से ग्रस्त हो गया है! जैसे शूगर ,प्रेसर, हार्ट, किडनी, लीवर आदि आदि! इन बीमारियों मे पहले ही उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है तो वह कोरोना जैसे वायरस के संक्रमण से कैसे बच पाएगा !निर्बलता सभी को पंगु बना देती है फिर चाहे वह किसी तरह की हो शरीर की या मन की!
बुजुर्ग शरीर और मन दोनों से कमजोर होता है अतः किसी भी तरह का संक्रमण उन्हें अटैक करता है! फिलहाल तो यदि गंभीर बीमारी से भी मरता है तो कोरोना का भी उसकी मृत्यु मे सहयोग माना जाएगा !
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
" मेरी दृष्टि में " कोरोना से बचाओ में ही बचाओ है । जिसमें सोशल जानकारी का विस्तार होना चाहिए । तभी लोगों में जानकारी के साथ - साथ भयं मुक्ति संघर्ष जारी रहेगा ।
- बीजेन्द्र जैमिनी
सम्मान पत्र
नूतन जी - बहुत सुंदर रचना
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