कोरोना के चलते मेडिकल व पुलिस कर्मचारियों के साथ मारपीट क्या निंदनीय नहीं है ?

कोरोना के चलते लॉक डाउन में मेडिकल व पुलिस कर्मचारियों के साथ मारपीट किसी भी तरफ से कोई भी उचित नहीं कहँ सकता है । ये कर्मचारी अपनी जान की परवाह किये बिना लोगों को सुरक्षित करने में लगें हैं। यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है। अब आये विचारों को देखते हैं : -
चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े हुए हैं चिकित्सक व अन्य कर्मचारियों तथा जो रात दिन पुलिस कर्मचारियों के साथ मारपीट करना बहुत ही घटिया सोच का परिणाम है तथा निंदनीय कार्य है। ये मानव सेवा करने वाले न अपनी न अपने परिवार की परवाह किए बिना अपने कार्य में लगे हुए हैं। तथा हमें सुरक्षा प्रदान कर रहें हैं इन पर हमला करना मानवता के खिलाफ है। जो इनके उपर इस प्रकार का हमला करते हैं उन पर इरादतन हत्या का मामला दर्ज करके फांसी पर लटकाना चाहिए।
- हीरा सिंह कौशल 
 मंडी - हिमाचल प्रदेश
 मेडिकल स्टाफ और पुलिसकर्मियों पर जो लोग हमला कर रहे हैं, कोरोना की जांच नहीं करवा रहे हैं इस महामारी को बढ़ाने में सहयोग कर रहे हैं ,उनकी यह प्रवृत्ति निंदनीय ही नहीं,घोर दंडनीय अपराध है । उनको सरकारी कार्य में बाधा डालने और समाज में महामारी फैलाने का दोषी मानते हुए, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी ही चाहिए। यह लोग केवल सरकार पुलिस प्रशासन चिकित्सकों के ही दोषी नहीं, संपूर्ण मानवता के दोषी हैं जो संपूर्ण मानव समाज के लिए घातक हैं। यह चलते-फिरते मानव बम है, जिन्होंने संसार में सिर्फ तबाही का सपना देख रखा है। यह नहीं चाहते कि हम इस जीवन में कुछ हासिल करें, इन्हें तो खुमार है हूरों को पाने का। अपनी घिनौनी साजिश के तहत लामबंद हो कर मेडिकल स्टाफ और पुलिस प्रशासन पर ये हमला कर रहे हैं,वह इनकी आत्मघाती तबाही की स्कीम का ही प्रतीक है। डॉ वंदना तिवारी जैसी होनहार चिकित्सक इस तरह के हमले की भेंट चढ़ गयी।अब समय आ गया कि इनके खिलाफ सख्त दंडात्मक कार्रवाई हो और समाज से इनका सफाया हो।
- डॉ.अनिल शर्मा "अनिल"
धामपुर - उत्तर प्रदेश
देश विरोध मानसिकता वाले लोग और उसके चाटुकारों की मंडली मे उतनी ही बेचैनी है,जितना बेबस जेहादी,कम्युनिस्ट और सेकुलर,लिबरल गैंग इस समय मेडिकल और 
पुलिस को गाली देने व उनके साथ  मारपीट वाले शिखंडियों को  यह कहते हुये समर्पित कर रहा हूं कि जिस आयु में तुम लोग अपने पिता के दम पर किशोरावस्था और जवानी के मजे ले रहे थे।
तब उस छोटी सी आयु मे वो पुलिस के जवान अपनो का स्नेह और अपने घर का सुख छोड़कर राष्ट्र और धर्म के रक्षण के मार्ग पर चल पड़े थे..!
जब तुम लोग कमा कर अपने घर भरने के लिए दूसरों के घर उजाड़ रहे थे। तब पुलिस और मेडिकल स्टाफ उन उजड़े हुए घरों को संवारने का रास्ता खोज रहे थे !!
इससे यही साबित होता है कि आप लोग बौद्धिक रूप से विकलांग हो चुके हो तभी तो पुलिस और मेडिकल स्टाफ की तुलना मधुशाला की उस नचनिया से करते हो जिसे स्वयम के स्वार्थ  से मतलब होता है। 
खैर अब जो कह रहा हूं उसे सुने ,
 कान से चाटुकारिता और तुष्टीकरण के मैल को साफ करके सुनिए ...!!!
पुलिस और मेडिकल स्टाफ केवल एक शब्द या एक व्यक्ति नहीं है, ये दोनो तो त्याग,तपस्या,संस्कार,निष्ठा और ईमानदारी से अर्जित किये गये वो आध्यात्मिक ज्ञानकोष हैं। जो अपने प्रकाश से सम्पूर्ण समाज विशेष कर भारत को जाग्रत और संवर्धित व सुराधत्मक सुरक्षा कर रहे है ।
ये दोनो भारतीय समाज के पुरखों के शास्त्र और शस्त्र परम्परा के पराक्रमी वाहक है।
हमे गर्व है कि,हम भी इस भारतीय राष्ट्रवाद के प्रकाश पुंज का एक अंश हैं।
विश्वास करिये और धैर्य रखिये।
ये दोनो राष्ट्रवाद के प्रकाश स्रोत और स्तम्भ है। 
जो सदैव हमे विकास और राष्ट्रवाद के मार्ग पर लेकर चलेंगे ही नही वरन् मूल भारतीय परम्परा,संस्कार और संस्कृति जिन्हे जानबूझ कर षडयन्त्र स्वरूप भुला दिया गया है, उस पुरातन परम्परा और गौरव को उसके वास्तविक स्वरूप मे पुनर्जीवित करके स्थापित किये बिना मानने वाले नही है।
आज कोरोना नामक चाइनीज वायरस का यदि वैश्विक स्तर पर कोई मुकाबला कर रहा है तो वो भारत ही है और राष्ट्रीय स्तर पर इस खतरनाक वायरस को कुचल देने का काम पुलिस और मेडिकल स्टाफ का तंत्र कायदे से कर रहे हैं.!
भारत जैसे राष्ट्र के पुलिस और मेडिकल स्टाफ के  मंतव्य और परिश्रम को मनसा,वाचा कर्मणा समर्थन देकर इस विश्वव्यापी कोरोना  चायनीज वायरस की कब्र इसी भारत भूमि मे खोद कर उसे सदैव के लिये दफन करके विश्व का सबसे शसक्तीकरण राष्ट्र बनने की राह मे मजबूती से एक कदम और बढ़ा दें...!!
फिलहाल आप सबसे महज योगदान की आशा है उनका यह आत्मविश्वास हमारे बल पर है और हम उनके आत्मविश्वास को न झुकने देंगे और न ही उनका मनोबल गिरने ही देंगे।
क्योंकि 130 करोड़ लोगों ने स्वेच्छा से 21 दिन का लॉकडाउन करके अपने को सार्वजनिक जीवन से काट कर घर मे सीमित कर लिया हैं,जबकि उसके विरोध मे दुनिया का सबसे घिनौना कुछ समाज और राष्ट्र विरोध मानसिकता लोग है!
और फिर भी ये सब ऐसा करते हुए पाए जाते है तो राजस्थान उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के कथनानुसार इन्हें ऐसे सजा मिले की युगों युगों तक इसका उदाहरण उपस्थिति हो ।
*मत संभालिए सबको ,  खुद को संभाल ले यही देशसेवा है।*
!! वन्देमातरम् !!
*एक सलाम देश के पुलिस के सभी लोगो के लिए ।*
जय भारत
- राघव तिवारी
कानपुर - उत्तर प्रदेश
एक तीन साल के बच्चे की चिकित्सक मां, एक योग्य समर्पित चिकित्सक असामयिक काल के ग्रास में समा गये। लगभग 52 से अधिक नर्से कौरोना पीड़ितों की सेवा करते हुए संक्रमित हो गयीं। अनेकानेक सुरक्षाकर्मी कड़ी धूप में सड़कों पर दिन-रात खड़े रहकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं और फिर भी चन्द असामाजिक तत्वों के दुर्व्यवहार का शिकार हो रहे हैं। 
क्या है इनका दोष?
बस यही कि ये नि:स्वार्थ भाव से मानवता की सेवा में तन-मन  से जुटे हुए हैं।
मेरे विचार से चिकित्सीय एवं सुरक्षा सेवाओं से जुड़े मेडिकल व पुलिस कर्मचारियों के साथ मारपीट और दुर्व्यवहार निन्दनीय ही नहीं अपितु घोर अपराधिक कृत्य है। ऐसे निन्दनीय कृत्यों को करने वालों को सभ्य समाज का हिस्सा बने रहने का अधिकार नहीं है। इनके ऊपर रासुका जैसे कानून लागू किये जाने का मैं पूर्ण समर्थन करता हूं।
-सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
घोर निंदनीय है । कोरोना के संक्रमण की रोकथाम के लिए पूरे देश भर में डॉक्टर पुलिस और समाजसेवक लगे हुए हैं। वहीं देश के कुछ इलाकों में ऐसी वारदातें भी हो रही हैं, जो समाज पर कलंक स्थापित कर रही है। जो हमारी रक्षा कर रहे हैं। जिसे हम कोरोना फाइटर कह रहे हैं। उन्हीं पर असामाजिक तत्व हमला कर रहे हैं। इसके चलते देश में आक्रोश है। लोग इस तरह की गतिविधियों की रोकथाम के लिए मांग भी कर रहे हैं, ताकि जो हमारी रक्षा के लिए जूझ रहे हैं, हम उनसे ना लड़े बल्कि उनका हौसला बढ़ाएं ।
कुछ दिन पहले बालोद जिले के अर्जुंदा में पुलिस वालों से ही एक परिवार के लोगों ने मारपीट कर दी थी। मारपीट करने वाला परिवार राजनितिक पृष्टभूमि से खासा तालुकात रखता है। लॉकडाउन को लेकर समझाने पर उन्होंने पुलिस पर ही घातक हाथियारों से ही पुलिस पर हमला कर दिया। इसमे कुछ पुलिस कर्मी घायल हो गए। इस मामले में पुलिस ने कड़ाई बरतते हुए छह से सात लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
इंदौर में स्वास्थ्य कर्मियों पर ही पथराव
हाल ही में दिल्ली के जमात से लौटे हुए लोगों को होम आइसोलेशन में रखने और उनकी जांच बहुत जरूरी है। इसके लिए ....
इंदौर में भी जब स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर और कर्मचारी जांच के लिए पहुंचे, तो उन पर जमात से आए लोगों ने पथराव कर दिया। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। यह घटना समाज और पूरे देश को शर्मसार कर रही है। ऐसे आरोपितों पर कड़ाई से कार्रवाई होनी चाहिए।
लगातार सोशल मीडिया पर इस तरह का वीडियो भी आ रहे हैं, जिसमें दिखाया जा रहा है कि अगर पुलिस किसी को बाहर निकलने से रोकती है तो लोग उन्हें ही घेरकर थप्पड़ मारते हैं या फिर अन्य तरह से मारपीट शुरु कर देते हैं। ऐसे लोगों पर भी नकेल कसने की जरूरत है इस तरह की घटना समाज को कलंकित कर रही है।
हम जिनकी वजह से घरों में महफूज है उन्हें हम स्वतंत्र रूप से काम करने दे तो अच्छा है। उनके काम में किसी भी तरह से अड़चन पैदा करना हम हमारे लिए ठीक नहीं है। अगर कहीं इस तरह की घटना हो रही तो हम उसका कड़ा विरोध करते हैं।
भगवान के रूप में डॉक्टर और पुलिस  डॉक्टर और पुलिस अभी भगवान के रूप में हैं। इन्हीं की वजह से हम सुरक्षित हैं। इन्हीं के कारण हम आज घर पर सुरक्षित रह रहे हैं। शासन का निर्देश है उसका पालन करें। ऐसे लोगों पर किसी भी तरह से दबाव बिल्कुल नहीं होना चाहिए।
स्वास्थ्य कर्मियों पर पथराव निंदनीय हैशर्मनाक है........ 
स्वास्थ्य कर्मियों पर पथराव की घटना बहुत ही निंदनीय है। यह समाज को विपरीत दिशा में ले जाती हैं। ऐसी भावना रखने वाले लोगों पर कड़ाई से करवाई होनी चाहिए, ताकि ऐसे लोगों को सबक मिले और समाज सही दिशा में आगे बढ़े।
दोषियों पर सिखाए सबक
अगर हमें जरा सी सर्दी-जुकाम होती है तो हम घबराकर डॉक्टरों के पास ही जाएंगे। और डॉक्टर भी बिना जान पहचान की सोचे हमें स्वस्थ्य करने जुट जाते हैं। ऐसे समय में उन पर हमला घोर निंदनीय है। ऐसा करने वालों को सबक मिलना 
डॉक्टर और पुलिस कर्मियों का भी अपना परिवार है। वे परिवार में रहना छोड़कर हमारे लिए 24 घंटे काम कर रहे हैं। देश को कोरोना से बचाने के लिए जुटे हुए हैं। ऐसे लोगों से दुश्मनी पालना या उनसे बेवजह उलझना गलत है। उनका हौसला बढ़ाना चाहिए उन्हें धन्यवाद कहना चाहिये 
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
पुलिसकर्मी और मेडिकल कर्मचारी और डॉक्टर सभी हमें सुरक्षित रखने के लिए अपना घर परिवार छोड़कर इस आपदा में सभी जनों की सेवा कर रहे हैं तो हमें उनका सहयोग करना चाहिए उनकी मदद नहीं कर सकते तो हमें घर में बैठकर ही उनकी बहुत बड़ी मदद हम कर लेंगे। उन लोगों को भी वायरस से संक्रमित होने का खतरा है। सेवा भावना से हम सभी की मदद कर रहे हैं।यदि हम किसी की मदद नहीं कर सकते तो जो भी अच्छा काम कर रहा है उसकी काम में सहयोग करना चाहिए एक मानव होने के कारण उसके भी दर्द को समझना चाहिए अभी हम सभी की भलाई है कि हम सभी अपने घरों में लॉक डाउन रहे इस तरह से हम देश और समाज सबकी मदद कर सकेंगे मानवता के नाते हमें अनुशासन में रहना चाहिए और सरकार के बताए हुए नियमों का पालन करना चाहिए यह सब तो जीवन के लिए ही है हमारे यदि जीवन ही नहीं रहेगा तो यह सब किस काम का जरा विचार करिएगा उत्तर आपको स्वयं मिल जाएगा.....
- प्रीति मिश्रा
 जबलपुर - मध्यप्रदेश
निंदनीय ही नही ये जघन्य अपराध है और इन लोगों पर क़ानूनी कार्रवाई होनी चाहिए । ये अपराधी मानवता के दुश्मन हैं इन्हें ये भी ध्यान नही कि मैडिकल व पुलिस कर्मियों के कारण ही भारत लॉक डाउन के चलते वायरस संक्रमण की लड़ाई जीत सकता है । मैडिकल व पुलिस कर्मियों के परिवार घरों में आम जन की तरह रह रहे हैं और ये कर्मवीर रात दिन अपनी डियूटी निभा रहे हैं जब डियूटी के बाद ये घर जाते हैं तो अपने परिवार वालों से पहले की तरह नही मिलते तक नही । एक नर्स अपने रोते हुए छोटे बच्चे को इसलिए नही गोद नहीं लेती है कि वह कोरोना रोगिये के बीच डियूटी करती है । एक फ़ोटो और वायरल हुई थी जिसमें डॉक्टर इसलिए घर के अंदर नही प्रवेश करता है कि वह कोरोना संक्रमितों के बीच डियूटी करता है । 
   मारपीट करने वाले लोग न तो देश की परवाह करते हैं और न ही धार्मिक और सामाजिक मान मर्यादाओं के प्रति अपना उत्तरदायित्व समझते हैं ये विकृत मानसिकता के कारण अपराध करते हैं इनको क्षमा नहीं किया जाना चाहिए । चाहे किसी भी धर्म जाति समप्रदाय से समबन्ध रखते हो ।
- डॉ भूपेन्द्र कुमार 
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
 निंदनीय ही नहीं ,कानूनी अपराध भी है जो व्यक्ति संपूर्ण भारत वासियों के लिए अपना मन ,तन और धन तीनों का सदुपयोग कर समस्या का समाधान करने में लगा हुआ है। उस व्यक्ति के साथ गलत व्यवहार करना ,अनुचित व्यवहार करना यह बिल्कुल निंदनीय और अपराध है जो व्यक्ति हमारे सुरक्षा और सेवा में लगे हैं उनको  मारपीट कर रहे हैं ऐसे व्यक्ति ना तो खुद सुखी रह पाते हैं ना दूसरों को सुखी रहने देते हैं यह समाज के लिए समस्यात्मक व्यक्ति कहलाते हैं ऐसे समस्यात्मक व्यक्ति ही समाज को ह्रास की ओर ले जाने में कसर नहीं छोड़ते हैं इन्हीं के लिए कानून बनी हुई है। फिर भी लोग कानून का अर्थ ही नहीं समझते ना मानवीय व्यवहार का अर्थ नहीं समझते उनको तो बस अपना मनमानी करना है ।मनमानी करने वाले व्यक्ति कभी सच्चाई के रास्ते पर नहीं चल पाते अहंकारी और अज्ञानी होते हैं आज इसी का परिणाम पूरे विश्व में भुगत रहे हैं। अहंकार तोड़ता है ,विश्वास जोड़ता है ।अतः जितने अहंकारी प्रवृत्ति के लोग हैं अपने अज्ञानता वस संसार को विनाश करने में अपना मन, तन, धन को लगाते हैं। लेकिन इसका फल परिणाम आज नहीं तो कल बहुत दुखद के रूप में मिलता ही है और जो व्यक्ति विश्वास करता है वह समझदारी के साथ इमानदारी पूर्वक अपने कर्तव्य का निर्वहन करता है ऐसे लोगों की सम्मान करते हुए उनके सुख की हमें कामना करनी चाहिए जिन लोगों ने अपने स्वार्थ को छोड़कर सर्व हिताय के लिए अपना मन,  तन ,  धन लगाकर हर पल हर क्षण जनता की सेवा में लगे हैं। ऐसे लोगों का हमें सहयोग और  सम्मान करना चाहिए  ना की उन्हें परेशान करना चाहिए। जो उनको परेशान करने में लगे हैं ऐसे लोग देशद्रोही हैं निंदनीय है   अमानवीयता में जीने वाले लोग हैं ऐसे लोग समाज के कचड़े  हैं। ऐसे लोग मानव समाज के लिए निंदनीय हैं।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
मेडिकल और पुलिस कर्मचारी के साथ मारपीट केवल निंदनीय ही नहीं अपितु जघन्य अपराध है !निःस्वार्थ भाव से जो अपने परिवार की और अपनी चिंता छोड़ हमारे सेवक बन 24 घंटे जान की परवाह किए बिना हमारी सेवा में लगे हैं हमें तो उनके जज्बों को सलाम करना चाहिए !
 कुछ दिनों पहले इंदौर में ऐसी घटना घटी थी !देश ,प्रदेश, शहर सभी ऐसी घटना से शर्मसार हैं! हमारे स्वास्थ्य कर्मियों के साथ ऐसी घटना का होना उनके साथ ऐसा दुर्व्यवहार बेहद दुखद और निंदनीय है ऐसा करने वाले इंसान समाज, मानवता, और इंसानियत के नाम पर कलंक है ऐसे इंसान जो हमारी खातिर खुद की जान की परवाह नहीं करते स्वयं अपने बच्चों परिवार से दूर हैं हमें हमारे परिवार के साथ सुखी देखना चाहते हैं उनके साथ मारपीट बदसलूकी भरा व्यवहार ऐसे कर्तव्यनिष्ठ योद्धा के तो हमें चरण धो धोकर पीना चाहिए!
 माना लॉक डाउन में रहना आपको पसंद नहीं है तो क्या दूसरों की तकलीफ तो ना बढ़ाएं यदि फिर भी ना माने तो इन्हें अपराधिक वृत्ति के लिए कड़े से कड़ा दंड देना चाहिए !
 संक्रमण के चलते आज की स्थिति को देखते हुए हमें एक दूसरे का साथ देना चाहिए यदि ऐसा नहीं करते तो वह इंसान के नाम पर कलंक है !
(तबलीगी जमात वालों पर कार्यवाही कर कठोर से कठोर दंड दिया जाए !जिनकी वजह से यह सब हो रहा है!) 
अंत में हाथ जोड़ कर कहती हूं हमारे जो हितैषी हैं उन्हें परेशान और अपमानित न करें ! 
उनका काम और न बढ़ाएं !
संयम और एकता बनाएं रखें !
विनती है "जियो और जीने दो"!
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
कोरोना के चलते मेडिकल और पुलिस कर्मचारियों के साथ मारपीट निंदनीय ही नहीं बल्कि मानवीय और सामाजिक दृष्टिकोण से जघन्य अपराध है ।ये लोग अति संक्रमित कोरोना के जंग में अपने परिवार को छोड़ कर दिन रात लोगों की सेवा में लगे हुए हैं ।इनका मनोबल बढ़ाने और इनकी प्रंशसा करने के स्थान पर इनके साथ दुर्व्यवहार और मारपीट करना अत्यंत निंदनीय एवं दुर्भाग्यपूर्ण है ।यह एक अपराधिक मामले है ।इसके लिए प्रशासन को कठोर सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है और यह इतना सख्त होना चाहिए कि इसे पुनः करने की सोचने वाले नासमझ लोग  हिम्मत न कर पायें ।मेरे ख्याल से देश का हर सभ्य और जिम्मेदार नागरिक इनलोगों के विरुद्ध कठोर कारवाई के पक्ष में होगा ।
-  रंजना वर्मा
रांची - झारखण्ड
कोरोना के सिपाहियों के साथ दुर्व्यवहार या मारपीट निंदनीय ही नही अपराध है। जब लोग एक दूसरे से सामाजिक दूरी बनाकर रह रहे हैं।  इस स्थिती में भी डॉक्टर और पुलिस साथ ऐसी बर्बरता अशोभनीय कृत्य हैं। ये लोग अपने परिवार से को छोड़कर मानवता के नाते मानव धर्म जो कि सब धर्मों से ऊपर हैं इसका पालन करते नजर आ रहे हैं। हम सभी को इनका मनोबल बढ़ाने की जरूरत हैं। अगर कोई मानसिक विकलांग इनके साथ दुर्व्यवहार कर रहा है तो प्रशासन को कठोर सजा देना चाहिए। ताकि कोई गलत मानसिकता के व्यक्ति दुर्व्यवहार करने से पहले डरे। डॉक्टर लोगो के बीच ऑक्सीजन का काम कर रहे है। अपनी जान जोखिम में डालकर कम संसाधन में भी एकमुश्त लोगो की सेवा में लगे हुए है। इनका मनोबल बढ़ाना चाहिए।
      - प्रेमलता सिंह
पटना -बिहार
मेडिकल , पुलिस के साथ मारपीट बिल्कुल निंदनीय है मारपीट जैसा व्यवहार हमेशा निंदनीय। ही रहा है।जो मेरी सुरक्षा के लिए है उनसे दुर्व्यवहार बिल्कुल अशोभनीय है यह एक जघन्य अपराध है इन पर कानूनी कार्रवाई अनिवार्य है।इस जघन्य अपराध को फैलने के पहले कुचलना हैं।
- डाँ.कुमकुम वेदसेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
 आज सारा राष्ट्र या यूं कहिए पूरा विश्व इस कोरोना नामक महामारी से अत्यंत पीड़ित है, ऐसे में हमारे मेडिकल स्टाफ एवं पुलिसकर्मियों से मारपीट की जा रही है जो अति निंदनीय है।
             समझ में नहीं आ रहा कि आपदा की इस कठिन घड़ी में यह सारे साथी अपने लक्ष्य की पूर्ति में पूर्णरूपेण सफल होने जा रहे हैं, तो पर भी समाज के कुछ ठेकेदार इन्हें आक्रोश भरी नजर से देख रहे हैं।
                  क्या ये नहीं जानते कि हमारे यह साथी स्वयं का नहीं अपितु पूरे राष्ट्र का भविष्य उज्जवल करने के लिए दृढ़ संकल्प हैं। ऐसे में इस महामारी को रोकने के लिए जहां हम सबको एकजुट होकर इसका सामना करना चाहिए वहीं हमारे इन मेडिकल स्टाफ एवं पुलिस कर्मियों का उत्साह वर्धन करते हुए अपनी जिम्मेदारियों को भी निभाना चाहिए तभी एक स्वस्थ राष्ट्र की कल्पना की जा सकती है।    
         - मधु गोयल
      कैथल - हरियाणा
पूरी दुनिया कोरोना के चपेट में है।यह युद्ध ऐसा है जिसमें मिसाइल नहीं चल रहे , गोलियां नहीं चल रही, सैनिक नहीं लड़ रहे बल्कि लड़ रहे हैं डॉक्टर, नर्सेस, सफाई कर्मी और पुलिस। यह स्थिति दुनिया भर में एक जैसी है चाहे वह अमेरिका हो या भारत हो। 
लेकिन हम बार बार देख रहे हैं कि कई स्थानों पर डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों एवम् पुलिस के साथ समाज सौतेला व्यवहार कर रहा है, उनका सामाजिक बहिष्कार कर रहा है, कई स्थानों पर उनके साथ दुर्व्यवहार हो रहा है, उन्हें घर से निकाला जा रहा है, कई स्थानों पर उन्हें सोसाइटी में प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है। 
यह स्थिति दुखद है। किन्तु उनके कारणों को जानने के लिए समाज के मनोविज्ञान, मनोवृत्तियों को समझने  और लोगों में व्याप्त असंवेदनशीलता और असुरक्षा की प्रबल भावना को समझने की जरूरत है। 
यह केवल भारत में नहीं बल्कि कई अन्य देशों में भी है। 
आपदा और संकट काल में व्यक्ति स्वार्थी हो जाता है। वह सबसे पहले अपनी रक्षा के बारे में सोचता है। यह पशुओं के साथ साथ मानवीय प्रवृत्ति है। चूंकि यह मनोवृत्ति शिक्षा और सामाजिकता के पाठ के साथ समाप्त हो जाना चाहिए थे किन्तु कहा जाता है न कि अंततः मनुष्य पशु ही है इसलिए वह संकटकालीन परिस्थितयों में पाशविक चरित्र और व्यवहार नहीं छोड़  पाता है तथा संकीर्ण व्यवहार करता है। कई बार यह व्यवहार सामूहिक रूप से भी प्रदर्शित हो जाता है। 
यही कारण है कि कोरोंना आपदा के समय समाज का चरित्र अपनी रक्षा और सुरक्षा के प्रति संकीर्ण हो जाता है। 
प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक और पब्लिक हेल्थ एडवाइजर चार्ल्स जी कुक कहते हैं  "आपदा के समय मानसिक रूप से तैयार रहने के लिए समाज को प्रशिक्षित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।"
- अरुण चन्द्र रॉय
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
"परोपकारः पुण्याय पापाय परपीडनम "परोपकार ही पुण्य है और दूसरों को दुःख पहुंचाना पाप है l
जहां सुमति तहा सम्पत्ति नाना ,
जहाँ कुमति तहा विपत्ति निदाना l 
                      -   तुलसीदास 
जब नाश मनुज पर छाता है ,
पहले विवेक मर जाता है l 
इतिहास साक्षी है जब मनीषियों ने
आत्मकल्याण  एवं लोक कल्याण हेतु धर्म युद्ध का अनुष्ठान किया है ,दानवों ने उसमें व्यवधान डाला है l लेकिन आज तो लोक कल्याण का प्रश्न ही नहीं अपितु मानव जीवन संकट मेँ है ,उसे बचाने का प्रश्न है l 
विश्वव्यापी जीवन संकट काल मेँ पूरा विश्व प्राण प्रण से हमारे प्राणों की रक्षा के लिए धर्म युद्ध कर रहें हैं l ऐसे समय मेँ मानव शरीर धारण किये हुए दानव येन केन प्रकारेण व्यवधान डालने से नहीं चूक रहे हैं ,मानसिक उन्माद के रोगी l लेकिन इस "धरा धाम "पर देव दूतों को हमारे प्राणों की रक्षा के लिए अपनी जान जोख़िम मेँ डालकर अपना कर्तव्य निभा रहे हैं उनसे अमानवीय व्यवहार की निंदा ही नहीं अपितु आपराधिक षड्यंत्र और मानव हत्या से संबंधित धारा 307 मेँ दण्ड दिया जाना समय की पुकार है l ऐसे दानवों के सुनियोजित षड्यंत्र सफल न हो जाये इसके लिए आज और अभी की तर्ज पर निर्णय की आवश्यकता है l ऐसे व्यक्तियों पर "रासुका "मेँ कार्यवाही की जानी चाहिए l प्रश्न यह है कि जिस संकट से हम गुजर रहे है इस प्रकार की घटनाओं को अंजाम देकर चिकित्साकर्मियों ,पुलिस तथा अन्य लोक सेवकों का मनोबल तोड़कर क्या हासिल करना चाहते हैं ?शाश्वत सत्य है -
कौन कहता है कि दुनियाँ सत्य है ,सपना नहीं है 
जबकि अपना श्वांश भी अपना नहीं है l 
जाति और मज़हब का जहर उड़ेलने का यह समय नहीं है 
 हे प्रभु !हमको  इतनी शक्ति देना कि कोरोना को दूर भगा ,मन विजय कर सकें l 
चलते चलते -
अजब तमाशा हैं कुछ लोग 
हदों से बाहर गुजरने वालों 
ये गज गुमानी न मार डाले 
दिए बुझाकर हवा के झोंके 
सुना है सूरज बुझा रहे हैं 
हमारी हिम्मत को वो आजमायें 
हमारे हौंसले जला के दिखाएं 
अजब तमाशा है कुछ लोग 
वफ़ा का किस्सा सुना रहे हैं l
- डाँ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
भारत में अभी तक 6412 केस कोरोना के हैं । 199 लोग कोरोना से जान धो बैठे हैं । भारत ने दुनिया के देश से सीख के लाकडाउन लागू किया था। जिससे भारत कोरोना से मरने वालों का ग्राफ अन्य देशों के ग्राफ से कम है ।
अभी हम कोरोना के किस स्टेज पर है । अभी देश को नहीं मालूम है ।
डाक्टर , नर्से हमारी सेवा कर रहे हैं । हमें इन यौद्धाओं की पीठ थाथपानी चाहिए । इन का शुक्रिया करना चाहिए  । भगवान बनके हमारे जीवन को बचा रहे  । सारे डाक्टर मेडिकल स्टाफ भी कोरोना के मरीजों की सेवा में जुटा हैं  । जिनमें से कुछ डॉक्टरों कोरोना  से पीड़ित हुए हैं । कोरोना को हराने के संकल्प भारत सरकार के साथ  हर नागरिक ने लिया है ।

लाकडाउन में  कोरोना का और न ही पुलिस का  मुट्ठी भर जमातियों के लोगों को डर नहीं रहा  है । मस्जिदों  में ज़िद्दी जेहादी समूहिक रूप से नामज पढ़ रहे हैं ।जमातियों ने देश को कोरोना फैलाने के  जख्म दिए हैं ।अमानवीयता का घिनोना खेल खेला है । यह जख्म  भरे न भरे जाएंगे । 
लॉक डाउन के ये विलेन  पुलिसकर्मियों से उलझते हैं । 
लाकडाउन में दर्जनों लोग पुलिस की चेतवानी को दर किनारे करके  दिल्ली की जामा मस्जिद के मैदानों पर क्रिकेट खेल रहे हैं ।  कोरोनो को फैलानेवासले जमातियों के मरीज पूरे देश में मिल रहे हैं । सब्जी खरीदने के बहाने लोग भीड़ में इकट्ठे कर रहे हैं । लाकडाउन की  धज्जियां उड़ा रहे हैं । सोशल डिस्टसिंग को नहीं मान रहे हैं ।
  जबकि इस लॉक डाउन तोड़ने  के विरुद्ध पुलिस कार्रवाई कर रही है । शहर अब बन रहे हैं हॉटस्पॉट । 
सरकार की चिंता बढ़ा रहे हैं ।  ड्रोन से सरकार भीड़ इकट्ठी नहीं होने की अपील भी कर रही है ।
कोरोना के युद्ध में  डॉक्टर , मेडिकल स्टाफ पुलिस सेनापति बनके लड़ाई कर रहे है।
जमात के तब्लीगी जैसे लोगों ने देश में बीमारी फैलाई है । इनका लक्ष्य था  डाक्टरों  के साथ अश्लील हरकतों से  डॉक्टरों की  कोरोना युद्ध की  विजय   को चारो खाना चित करना है जिससे  डाक्टर हिम्मत हार जाएँ और अन्य मरीजों का इलाज ठीक से नहीं कर सकें । 
इसलिए ये सामाजिक दुश्मन   अस्पतालों की रेलिंग , फर्श पर थूक फेक रहे हैं । स्वच्छता , स्वास्थ्य की दृष्टि  से  थूक फेंकना  पाप , अपराध है । ऐसे में जब कोरोना संक्रमित बीमारी है । तब संक्रमण की रफ्तार तेजी से बढ़ती है । ये तो सारे तब्लीगी तो पढ़े लिखे , बालिग हैं । इनकी गलती की सजा देश भुगत रहा है ।
बचपन में मेरी हिन्दू सहेली ने बताया था कि अधिकतर कुछ मुसलमान के घर में हिन्दू लोगों की मेहमान नवाजी करते हैं । तो वे उन व्यंजनों में अपना थूक मिला के खिलाते हैं ।  तब मैंने विश्वास नहीं किया था । आज यह थूक फेंकने का विश्वास पुख्ता हो रहा है । 
 यही जिद्दी जमातियों ने  देश के कई राज्यों में बरेली , केरल आदि  में पुलिस,  स्वास्थ्यकर्मियों 
पर पथराव किया था । जब डाक्टर , आशाकर्मी उनको समझाने के लिए गए थे ।  पुलिस अधिकारी भी जख्मी हुए थे । 
 ऐसे अपराधी  तब्लीगी जमात के इस निंदनीय कार्य के लिए  सरकार को कड़े कदम उठाने चाहिए । 
- डॉ मंजु गुप्ता 
 मुंबई - महाराष्ट्र
मेडिकल व पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट करना बेहद शर्मनाक और निंदनीय है।सफाईकर्मियों के साथ भी कुछलोग दुर्व्यवहार कर रहे हैं जिसकी जितनी निंदा की जाए वो कम है।ये सब लोग अपनी जान जोखिम में डाल कर अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं ताकि पूरा देश सुरक्षित रहे ऐसे में तो हमे उनका शुक्रगुज़ार होना चाहिए और जो लोग उनके कामों की इज़्ज़त नहीं कर रहे,उनका सहयोग नहीं कर रहे वो दंड के अधिकारी हैं।उनके करतूतों की सिर्फ निंदा नहीं अपितु उन्हें सजा भी मिलनी चाहिए।
               -  संगीता सहाय
                  रांची - झारखंड
 जो लोग कोरोना महामारी को समझ नही रहे है या जानबूझकर गलती कर रहे है। और उल्टा पुलिस वालो  के साथ मारपीट कर रहे है ऐसे लोगो पर सख्त कार्यवाही करनी चाहिए। क्योंकि सारे पुलिस कर्मी और मेडिकल कर्मी लगातार कोरोना से बचने का उपाय कर रहे है। ऐसे लोगो पर मारपीट करना बहुत ही निन्दनीय है। ऐसा नही होना चाहिए। और वर्तमान स्थिति को देख जाये तो जमाती वालो ने पूरे देश मे कोरोना फैलाने का काम करके देशद्रोह का काम कर रहे है।यह पूरी तरह से गलत है।इन पर भी सरकार को सख्ती बरतनी चाहिए।
- राम नारायण साहू "राज"
रायपुर - छत्तीसगढ़
 जब पूरे विश्व के सम्मुख भीषण विपदा खड़ी है, जब चारों तरफ खौफ का मंजर है, जब कोरोनावायरस शत्रु की भांति पंजा फैलाकर तांडव मचाता जा रहा है,तब उस भयंकर कोरोना रूपी शत्रु  को मात देने के लिए अपनी जान की बाजी दांव पर लगाकर अगर कोई आगे खड़ा है तो वह हैं हमारे डॉक्टर्स, नर्सिग स्टाफ व पुलिस वाले ।वह हमारे लिए हम सभी की सुरक्षा के लिए बहादुर और जांबाज योद्धा की भांति युद्ध लड़ रहे  हैं ।उनके द्वारा शत्रु को पराजित करने का तरीका भले ही अलग है परंतु है तो यह एक भयंकर युद्ध जो उनके लिए एक चुनौती है ।शत्रु को परास्त करने का कठोरतम संकल्प । लोगों की सुरक्षा के लिए नर्सिंग स्टाफ ,सारे पुलिस वाले डॉक्टर्स अपना परिवार ,अपना सुख छोड़कर अपने प्राणों की परवाह किए बिना हम लोगों के लिए रात दिन कर्तव्य परायण होकर अपने कर्तव्य की अग्नि परीक्षा मे डटे हुए हैं , ताकि हम सब सुरक्षित हो जाएं ।
ऐसे शूरवीरो को सम्मान देने की बजाय,नीच मानसिकता के लोग उनके साथ मारपीट गाली-गलौज इत्यादि घटिया प्रहार कर रहे हैं ।घटिया किस्म के लोगों का  ये कैसा पागलपन है जो अपने ही रक्षक को भक्षना चाह रहे हैं। जबकि इस समय उन महान योद्धाओ का मनोबल बढ़ाना चाहिए ,उनका आभार प्रकट करना चाहिए ।इसी को कहते हैं, विनाश  काले विपरीत बुद्धि ,जो लोग खुद  के पैरों पर तो लाठी मार ही रहे हैं साथ मे पूरे समाज को भी खतरे के गर्त मे झोंक रहे हैं। सोचो इस समय डॉक्टर्स और पुलिस  न होते तो क्या होता ,लाशों के ढेर लग चुके होते अब तक ।मेरी समझ से तत्काल
 हमारे वर्तमान शूरवीर पुलिस और डॉक्टर्स , को अपमानित करने वाले को कठोरतम दंड मिलना चाहिए क्योंकि इनको हतोत्साहित करने वाले अपमानित करने वाले समाज के घोर दुश्मन हैं और उन्हें कभी माफ नहीं किया जा सकता। 
- सुषमा दिक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
मेडिकल के डॉक्टर, नर्स, स्वास्थ्यकर्मी, पुलिस विभाग के कर्मचारी, सफाई कर्मी.. दिन-रात जो अपनी जान पर खेल कर कोरोना से संक्रमित लोगों की जान बचाने के लिए सेवा में लगे हुए हैं उनके साथ मारपीट करना, दुर्व्यवहार करना निंदनीय ही नहीं, एक अपराध है। यदि हम लॉक डाउन के चलते किसी की सेवा करने नहीं जा सकते तो कम से कम जो सेवा कर रहे हैं उनके साथ अच्छा व्यवहार तो कर ही सकते है। यदि इतना भी नहीं कर सकते तो उसे अपने मानव रूप में जन्म लेने पर शर्म आनी चाहिए।
        होना तो यह चाहिए कि हम उनकी बताई बातों को मान कर उनके साथ सहयोग करें, उनका मनोबल बढ़ाएँ, जो हमारे लिए अपना घर-परिवार छोड़ कर दिन-रात अपनी ड्यूटी कर रहे हैं हम उनका सम्मान करें, उनके लिए, अपने को सुरक्षित रखने के लिए अपने घर में रहें और देश को कोरोना मुक्त बनाने में सहयोग करें।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून -  उत्तराखंड
 वर्तमान परिस्थितियों में उस ज्वलंत समस्या से जुड़ा है जिसका हम आजादी के सात दशकों के बाद समाधान न पाये ।यह  उस मानसिकता की उपज है जो समयदेश के साथ चलना नहीं चाहते और न ही अपने को बदल सभी के साथ खड़ा होना चाहते हैं ।इनमें से कुछ कच्चे कान व बिगड़े दिमाग के लोग कई बार दूसरों के हाथ का खिलौना निकलते हैं ।
आज जब पूरा भारत आपदा से ग्रसित है  ।तीन तीन सप्ताह चिकित्सक पैरामेडिकल स्टाफ सुरक्षा बल अपनी जान व अपने परिवार की परिवार की परवाह न कर रात दिन लगे हैं ।उनपर हमला मारपीट ही नहीं उनसे जोर बोलना भी अपराध है ।इस तरह का दुष्कृत करने वालों का कार्य निंदनीय तो है ही क्षमा योग्य भी नहीं है ।अन्यथा कोरोना की लडाई को यह कमजोर करेंगे ।इनको चिन्हित कर आपदा अधिनियम के अनुसार कठोर कार्रवाई हो समाज देश को ऐसे काम देश के विरुद्ध युद्ध जैसी गम्भीरता से लेने चाहिए ।
 - शशांक मिश्र भारती 
शाहजहांपुर - उत्तर प्रदेश
आज हम सब विषम संकट के दौर से गुजर रहे हैं और कोरोना महामारी को दूर करने के लिए जहां  हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह सरकार के द्वारा किए जा रहे प्रयासो,   उपायों में निस्वार्थता के  साथ  भरपूर तन, मन, धन से सहयोग करें।
 विभूतिवान, संकल्पवान, प्राणवान आत्माओं की परीक्षा ऐसी चुनौतीपूर्ण समय में ही   होती है।
         कोरोना  के  चलते आज मेडिकल से जुड़े चिकित्सक ,नर्स  व स्टाफ के लोग रात- दिन अपने पारिवारिक हितों को दूर रखते हुए कोरोना पीड़ित मरीजों की चिकित्सा सेवाओं में लगे हैं। अपने कर्तव्यों व दायित्व का कुशलता पूर्वक निर्वहन भी कर रहे हैं; पर कुछ  स्थानों पर अहंकार पीड़ित देशद्रोही,  स्वार्थी मरीज मेडिकल के जुड़े डॉक्टर, नर्स के साथ अभद्र, अशोभनीय अक्षम्य  दुर्व्यवहार  कर रहे हैं फलस्वरूप  न्याययिक तौर पुलिस की सहायता को मारपीट का रूप दिया जा रहा है ।देखा जाए तो यह अति निंदनीय के  साथ-साथ घोर और जघन्य  अपराध है ।ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करके उंहें सबक सिखाना जरूरी है।
       डॉक्टर्स  व पुलिस विभाग की सेवा में मानवीय भावनाओं का उत्कर्ष है। ऐसा हमें जानना और मानना चाहिए क्योंकि यह सब टीवी पर दिखाया जा रहा है। अतः सबकी भावनात्मक शुद्धि आवश्यक है तभी यह रोग- शोक ,कष्ट -क्लेश, चिंता- परेशानियों के रूप में  हर मानव उलझा रहेगा ।इस लिए इस सेवा रथियों की  सेवा को   सम्मिलित रूप से जनमानस द्वारा हर संभव सहयोग की आवश्यकता है।
-  डॉ. रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
 राष्ट्र ने 'कोरोना' को महामारी माना है।जिसे 'युद्ध' के नाम से घोषित किया हुआ है।उक्त युद्ध के योद्धा मेडिकल व पुलिस सहित सफाई कर्मचारियों को माना गया है।जो अग्रिम पंक्ति में संघर्षशील हैं।
    सर्वविधित है कि युद्धकाल में योद्धा अपने परिजनों,सगे-संबंधियों एवं अपने प्राणों का मोह त्याग कर राष्ट्र को समर्पित हो जाते हैं।जिसका एकमात्र लक्ष्य शत्रु पर विजय प्राप्त करना होता है।
    उल्लेखनीय है कि ऊपरोक्त योद्धा अपने प्राणों की आहुति देते हुए निःसंदेह विजयपथ पर अग्रसर भी हो रहे हैं।
    ऐसी भीष्म परिस्थियों में यदि देश का कोई भी नागरिक या समुदाय अपने सोचे-समझे षडयंत्र के अंतर्गत इन योद्धाओं पर प्राणघातक प्रहार करता है या कोरोना फैलाता है।तब सरकार का प्रथम कर्त्तव्य बनता है कि वह ऐसे षडयंत्रककर्त्ताओं को चिंहित करे और उन पर युद्ध के नियमानुसार दण्डात्मक कार्रवाई करे।
    सर्वविधित है कि युद्ध नियमानुसार उक्त षडयंत्र 'राष्ट्रद्रोह' की श्रेणी में आते हैं।जिसका दण्ड निंदनीय नहीं बल्कि मात्र और मात्र 'प्राणदण्ड' होता है।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
बिल्कुल है । यह देशद्रोह की तरह मन जाएगा । इस तरह की हरकत करने वालों को गोली मार देना चाहिए ।
यह आतंकवाद से भी बढ़कर अपराध है । ऐसी हरकत केवल मुस्लिम ही कर रहे हैं। इसलिए यह साफ हो गया है कि यह कारनामा मुस्लिम देश के द्वारा रची साजिश है । अगर इतना ही उन्हें भरोसा है अपने आक़ा पर तो उनसे पहले अपने परिवार की सुरक्षा मांगे । पहले सिक्योरिटी जमा करने को कहें । उनके मर जाने के बाद परिवार को कोई नहीं देखता । सभी साजिश का हिस्सा है । मरने वालों के परिवार को कुछ नहीं मिलता । सब झूठ है ।
इसलिए सुधर जाओ और अपने ही रहनुमा को मत दूर करो । उनकी बेईज्जती मत करो। वही परिवार को सुरक्षित रखेंगे ।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
कोरोना के चलते पुलिस प्रशासन या स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों पर हमला एक निंदनीय अपराध नहीं बल्कि यह मृत्युदंड के समान अपराध है। आजकल यदि अपनी जान जोखिम में डालकर कोई दो डिपार्टमेंट कार्य कर रहे हैं तो वह पुलिस प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ही हैं। सुबह जल्दी ये लोग अपने घर से निकलते हैं तो उन्हें यह नहीं मालूम होता कि जब वह घर शाम को लौटेंगे तो क्या कोरोना से बिल्कुल भी संक्रमित नहीं होंगे क्योंकि कोरोना की फैलने की दर और उसके तरीकों पर यदि ध्यान दिया जाए तो यही बात सामने निकल कर आती है कि  हम सभी मिलकर इन सभी विपरीत परिस्थितियों में अपने देश का साथ दें ।पुलिस प्रशासन का साथ दें ,स्वास्थ्य विभाग का साथ दें ‌।आज की मेरठ की घटना ने मुझे अंदर से झकझोर दिया है क्योंकि जिस कार्य को पुलिस प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग अपनी जान हथेली पर रखकर कर रहे हैं ।एक विशेष मुस्लिम कौम को अपने घर में रहने में भी परेशानी होती है और जमातियो को वह जानबूझकर अपने घरों में छुपा रहे हैं। मेरठ और अन्य स्थानों पर  पुलिस प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग पर हमला करना और फिर यह कह देना कि आखिर इंसान हैं और गलती इंसान से हो जाती है गैर जिम्मेदाराना बयान है।चीख चीख कर सभी कह रहे हैं कि अपने घरों में रहे ,सुरक्षित रहें ,देशभक्त बने लेकिन फिर भी यह मुस्लिम कौम सुधरने का नाम नहीं ले रही है ।यदि कोई भी व्यक्ति चाहे वह हिंदू हो या मुसलमान किसी ऐसे व्यक्ति को छुपाता है तो उसे पकड़ कर बिना किसी सुनवाई के फांसी पर लटका देना चाहिए अन्यथा बहुत देर हो जाएगी। मैं भी स्वास्थ्य विभाग से हूं और  ये चार पंक्तियां अपने पुलिस प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को समर्पित करता हूं।
हम यह कैसे कहें कि दर्द हमें होता नहीं,
हम यह कैसे कहें कि होती नहीं हमसे खता।
मुश्किलें झेल कर ही हमने यह पाया है हुनर,
जिंदगी इतनी है आसान कैसे चलता पता ।।
मुश्किलें बहुत हैं लेकिन उन्हें आसान बनाने की कोशिश कर रहे हैं इसलिए सभी हमारा साथ दें  और निश्चित ही हम एक दिन  कोरोनावायरस को हरा देंगे।
- हितेन प्रताप सिंह
मेरठ - उत्तर प्रदेश

" मेरी दृष्टि में " मेडिकल व पुलिस कर्मचारियों से मारपीट करना कानून अपराध है । ये कर्मचारी हम सब की सुरक्षा में बिना भेदभाव के कार्य करते हैं । 
                                                         - बीजेन्द्र जैमिनी








Comments

  1. बहुत उम्दा चर्चा । मुझे शामिल करने के लिए धन्यवाद।

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