लॉक डाउन में बीस अप्रैल से छोटे व्यापारियों को क्या चाहिए ?
लॉक डाउन के अन्तर्गत बीस अप्रैल से कुछ क्षेत्रों में कुछ सुविधाएं कुछ शर्तों के साथ देने जा रही है । जिस का उद्देश्य सिर्फ लोगों की जिन्दगी आसान हो सकें तथा छोटे व्यापारियों से आर्थिक गतिविधियां को पटरी पर लाया जा सके। यह सरकार व प्रशासन को सहयोग देने से ही सम्भव होगा । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
कोरोना वायरस के चलते छोटे और बड़े व्यापारी पर बड़ा प्रभाव पड़ा है। और कई चीज रखे रखे खराब भी हो चुके है ।ऐसे में छोटे व्यापारियों पर ज्यादा असर पड़ा है।और नुकसान भी बहुत हुआ है। अतः अब लॉक डाउन में बीस अप्रैल से छोटे व्यापारियों को जरूरत के हिसाब से सभी प्रकार के मिलनी चाहिए । ताकि अपनी दुकान से ग्राहकों को जरूरत की चीजें दे सके। इसके लिए बड़े व्यापारियों की जरूरत होगी जिससे कि सभी जरूरत का सामान छोटे व्यापारियों तक पहुँच सके। जैसे कि चावल, दाल, शक्कर, नमक, और अन्य जरूरी चीजें शामिल है।
- राम नारायण साहू "राज"
रायपुर - छत्तीसगढ़
इस लॉकडाउन के तहत कुछ छोटे व्यापारी जैसे, सब्जी बेचने वाले, छोटी मोटी किराने की दुकान वाले इस लॉक डाउन का गलत फायदा उठा रहे हैं और सामान्य कीमतों की जगह सब्जियों फलों और कुछ ग्रॉसरी आइटम की कीमतें बढ़ाकर बेच रहे हैं। दरअसल लॉकडाउन के चलते किसी भी मार्केट में फल और सब्जी नहीं बिक रही है। जिसके चलते कुछ सब्जी वाले बड़े-बड़े ऑटो और ट्रॉली में फल सब्जियां रखकर गली-मोहल्लों में बेचने जा रहे हैं। वह सब्जियों को अपनी मनमानी कीमत पर बेचते हैं यदि उनसे मोलभाव करने की बात करो तो वह सीधा जवाब देते हैं आपको लेना है तो लीजिए नहीं तो रहने दीजिए कीमत कम नहीं होगी। उनका कहना है कि, उन्हें भी सब्जिया इसी कीमत में मिल रही हैं।
ले रहे एक्स्ट्रा डिलीवरी चार्ज :
लॉकडाउन में ऑनलाइन ग्रॉसरी प्रोडक्ट्स ग्राहकों के लिए अवेलेबल हैं, परंतु ऑनलाइन ग्रॉसरी स्टोर्स वाले अपने ग्राहकों से एक्स्ट्रा डिलीवरी चार्ज वसूल रहे हैं। इसके अलावा किराने की दुकानों वालों से ढुलाई दुगनी ली जा रही है। इस मामले में एक किराने की दुकान वाले का कहना है कि, यदि वह कोई सामान मंगवा रहे हैं तो उन्हें जो ढुलाई पहले 100% देनी पड़ती थी, वहीं अभी 200% देनी पड़ रही है। इसलिए, उन्हें सामानों की कीमतों को बढ़ाकर बेचना पड़ रहा है और यदि वह ऐसा नहीं करेंगे तो उन्हें घाटा उठाना पड़ेगा।
कुछ छोटे व्यापारियों को बहुत तकलीफ़ उठानी पड़ रही है । कर्मचारियों को तनख्वाह कहाँ से दे , कैसे नुक़सान की भरपाई करें .. न
पर २० अप्रैल से सरकार ने
सरकार, राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश सरकारों और राज्य/केन्द्रशासित प्रदेशों के अधिकारियों द्वारा किए जाने वाले उपायों पर समेकित संशोधित कर व्यापक दिशा निर्देश जारी किया गया है.
लॉकडाउन के नए नियमों के अंतर्गत जो क्षेत्र कोरोना वायरस से बेहद कम प्रभावित/मुक्त रहेंगे, वहां सरकार 20 अप्रैल से कुछ ‘बंदिशों’ के साथ ओद्योगिक और अन्य गतिविधियों की इजाजत देगी. गाइडलाइन में यह भी स्पष्ट किया गया है कि 20 अप्रैल से किन गतिविधियों को इजाजत मिलेगी..
इन गतिविधियों की मिलेगी 20 अप्रैल से इजाजत
-कृषि और इससे जुड़े कार्य
-चुनिंदा औद्योगिक गतिविधियां
-डिजिटल इकोनॉमी
-जरूरी और गैरजरूरी माल परिवहन
-कृषि विपणन
-कीटनाशक, बीजों के निर्माण-विपणन और वितरण की गतिविधिययां
-दूध की सप्लाई, मिल्क प्रोडक्ट, कुक्कुट पालन और फिशरीज गतिविधियां
-चाय, काफी और रबर प्लांटेशन
-ग्रामीण क्षेत्रों में फूड प्रोसेसिंग गतिविधियां
-सड़क निर्माण, सिंचाई प्रोजेक्ट, ग्रामीण क्षेत्रों में बिल्डिंग और इंडस्ट्रियल प्रोजेक्ट
-मनरेगा के अंतर्गत कार्य, खासकर सिंचाई और जल संरक्षण से जुड़े काम
-आईटी हाडेवेयर निर्माण और जरूरी सामान की पैकेजिंग
-कोल, मिनरल और आयल प्रोडक्शन
-आरबीआई, बैंक, एटीएम, इंश्योरेंस कंपनियां आदि
-ई-कॉमर्स, आईटी और डाटा व कॉल सेंटर्स
-ऑनलाइन टीचिंग और डिस्टेंस लर्निंग जैसे गतिविधियां
-स्वास्थ्य सेवाएं और सोशल सेक्टर
-केंद्र, राज्य सरकारों और स्थानीय निकायों के कार्यालय
इन गतिविधियों की अभी नहीं होगी इजाजत
-हवाई, सड़क और रेल यात्रा
-शैक्षिक और ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट
-हॉस्पिटेलिटी सर्विस जैसे होटल आदि
-सिनेमा हॉल्स, थिएटर
-औद्योगिक और कमर्शियल गतिविधियां
-शॉपिंग कॉम्पलेक्स
-सामाजिक, राजनीति और अन्य गतिवधियां
-धार्मिक गतिवधियां, सम्मेलन आदि.
कुल मिलाकर छोटे व्यापारी बहुत तकलीफ़ में कमारहे है
सब्ज़ी ,दूध , किराने , फल , वाले
आदि ने बहुत कमाई कर रहे है पर इस वक्त मेहनत भी वही कर रहे है सबको सब्ज़ियाँ दूध तो मिल रहा है ।
डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
लाँक डाउन मे छोटे व्यापारियों को बहुत परेशानी उठानी पड़ रही है फ़ैक्टरी का कहा से दे बिजली का बिल कहा से दे लेबर को कहा से खिलाये जाब वर्क करे वाले छोटे व्यापारी सबसे ज़्यादा परेशान रोटी खानी हो गई मुश्किल ऐसे लोगों को काम करने की इजाज़त दे देनी चाहिये
- मुरारी लाल शर्मा
पानीपत - हरियाणा
लॉक डाउन के चलते हुए जो छोटे-मोटे व्यापारी हैं, उनको बहुत परेशानी हुई है, अपने मजदूरों को तनख्वाह कहां से देंगे। सरकार के द्वारा 20 अप्रैल के बाद, जो रेड जोन में नहीं है और ग्रीन जोन में है। पुणे सोशल डिफरेंस इन का पालन करते हुए काम करने की अनुमति दी जाएगी।
1) किसानों के गेहूं के फसल के लिए कटाई के बाद उन्हें बेचने के लिए सरकार की ओर से जो खरीदी केंद्र बनाए गए हैं, उनमें किसान फसल भेजेंगे और व्यापारी खरीद सकते हैं। इसमें दोनों का फायदा।
2) जो मजदूर रोज कमाने खाने वाले हैं वह सरकार की योजना सड़क निर्माण की तहत ठेकेदारों के साथ काम पर लग सकते हैं।
3) अगर लोग अच्छे से लोग डाउन का पालन करते हैं तो सारी सेवाएं खोल सकती हैं और इसमें सबका का फायदा है। क्योंकि अगर लोग रहेंगे तो ही तो व्यापार संभव है।
- प्रीति मिश्रा
जबलपुर - मध्य प्रदेश
लॉक डाउन के प्रभाव से क्या छोटे व्यापारि उबर पायेगे। छोटे व्यापारियों का व्यापार ठप हो गया है। छोटे व्यापारियों के पास जितने कर्मचारी काम करते है उन्हे भुगतान कैसे करे अपनी जेब से भुगतान करना पड़ रहा है कमाई का साधन नही है । कुछ छोटे व्यापारियो ने तो अपना व्यापार बदल लिया आर्थिक स्थिति खराब है घर चलाने के लिए कुछ तो करना पड़ेगा सब्जी बेचना फल बेचना मास्क बेचने का व्यापार शुरू कर दिया विस्तारित लॉक डाउन से समस्याये बढ़ी है। बंदी के बाद बाजार खुलने के बाद रफ्तार से दौड़ पायेगा कही बंदी के बाद अटक तो नही जायेगा। समस्या छोटे छोटे कुटीर लघु उद्योगों की है।
जिन पर बंदी की अप्रत्यक्षित मार पड़ी हैं। करोना संकट खत्म होने के बाद छोटे उद्योगों के कर्ज को माफ करना चाहिए बंदी के बाद मजदूर न मिलने से समस्या बढ़ेगी तब घरेलू कंपनिया ज्यादा से ज्यादा उत्पादन करे जैसे थैला उद्योग जूता उद्योग जितने भी छोटे घरेलू उद्योग है सरकार से मदद लेनी चाहिए । सभी छोटे व्यापारियो को पेशन योजना का लाभ उठाना चाहिए।
- नीमा हंसमुख
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
लॉक डाउन ने छोटे व्यापारियों का बहुत नुकसान किया है । किराना व सब्जी वालों को तो फिर भी राहत है । लेकिन अन्य विक्रेताओं को आमदनी का नुकसान तो हुआ ही है , पास के पैसे भी खर्च हो गए हैं। अब दुकान खोलने के लिए पूंजी की जरूरत पड़ेगी । पूंजी नहीं होगी तो व्यापारी माल नहीं देगा। उनकी आर्थिक तंगी उन्हें और बदहाल करेगी । इससे निपटने के लिए उन्हें उधार चाहिए या क्रेडिट पर माल मिले तभी उनका गुजारा हो सकेगा । इसके लिए सरकार को मदद करनी पड़ेगी। क्योंकि लोगों के बीच कुछ लालची भी हैं जो इस परिस्थिति में लाभ कमाने में लगे हैं । सरकार उन्हें बैंक से लोन दिलवा सकती है या बड़े व्यापारी को उन्हें बिना पैसे का उधार देने को बाध्य का सकती है। छोटे व्यापारी को तो अभी आमदनी भी उतनी नहीं होने वाली । पैसा चुकाने के समय भी निश्चित नहीं हो सकता । इसलिए मदद जरूरी है।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
लॉक डाउन में 20 अप्रैल से जब सीमित मात्रा में छूट मिलेगी तो व्यवसायियों को एक दम से अपने इतने दिनों के घाटे की पूर्ति हेतु नहीं लगना चाहिए । कोई भी कार्य धीरे- धीरे सावधानी पूर्वक ही शुरू करें, सोशल डिस्टेंसिंग बनाये रखें । अपने यहाँ काम करने वाले लड़कों को भी पूरी सावधानी रखने की समझाइस करें ।
जन सामान्य का सहयोग इस दिशा में बहुत जरूरी है । मूलभूत सामान के अतिरिक्त अन्य ख़रीददारी न करें जिससे दुकानदार चाह कर भी लापरवाही नहीं कर पायेंगे । दुकान में भीड़ न होने पर कोरोना के पुनः फैलने पर रोक लगेगी ।
इस अवधि में अर्थ व्यवस्था डगमगाई है पर जब व्यक्ति अपने से छोटे स्तर के व्यक्ति को देखेगा तो अवश्य ही उसे लगेगा कि जब ये इस संकट पर विजय पा सकता है तो हम क्यों नहीं ।
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश
छोटे व्यापारियों को व्यापार की अनुमति सरकार से चाहिए
नियम एवं शर्तों के साथ व्यापार करने को परेशान है चूंकि आर्थिक मंदी दिनों दिन बढ़ती जा रही है।
गांव की ओर देखते हैं तो अभी रब्बी की कटाई का समय है जिसमें मजदूरों की आवश्यकता होती है ।
शहरी क्षेत्रों में तीन चार तरह के व्यापारी है सब्जी मंडी अनाज मंडी फल मंडी दवा मंडी इत्यादि मंडी वाले अपनें सामानों को खुदरा व्यापारी को देते हैं खुदरा व्यापारी उसे क्षेत्रों में बेचते हैं । इसलिए यदि छोटे व्यापारियों पर ध्यान दिया जाएगा तो स्वभावत बड़े व्यापारी शामिल हो जाएंगे।
अब सोशल डिसटेनशी मास्क सैनिटाइजर के साथ साथ अपने आप को सुरक्षित रखना आवश्यक है।
सुरक्षित दो तरह से रख सकतें हैं
यदि किसी व्यक्ति को ऐसा महसूस होता है कि उसकी तबियत ठीक नहीं लग रही है तो स्वयं के प्रति लापरवाही न बरतें
पहले दिन से ही कोरोनटाइन कर लें। किसी भी तरह से सम्पर्क न रखें । आत्मचेतना की आवश्यकता है ।
हर इंसान आपस में दूरी बनाकर ही कार्य करें
सभी को मनोवैज्ञानिक परामर्श की आवश्यकता है ।
निश्चित ही शनै शनै समय सामान्य हो जाएंगे।
आत्मबल आत्मविश्वास बहुत बड़ा इम्यून सिस्टम है ।
विश्वास ओर सावधानी के साथ आगे बढ़ना ही लक्ष्य है
- डाँ. कुमकुम वेदसेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
लॉक डाउन के कारण छोटे व्यापारियों का ही सबसे अधिक नुकसान हुआ है। व्यापार हुआ नहीं, तो लगाई पूँजी भी लौट कर नहीं आई। अपने कामवालों को भी पैसे देने में परेशानी का सामना उन्हें करना पड़ रहा है।
२० अप्रैल से सरकार कुछ नियमों के साथ व्यवसाय करने वालों को सीमित मात्रा में छूट देगी, इसकी गाइड लाइन भी सरकार द्वारा जारी की गई है। तो उसके अनुसार वे धीरे-धीरे अपने कार्य को करके अपने घाटे की भरपाई करने का प्रयास करें। पर इसके लिए वे चीजों के दाम दुगुने-तिगुने करके उन्हें बेचने का प्रयास न करे।सरकार के साथ सहयोग किए बिना कुछ भी कर पाना उनके लिए मुश्किल ही होगा।
अतः सरकार से लोन लें, उसे धीरे-धीरे चुकाने का प्रयास करे। जल्दबाजी में किए कामों का परिणाम सही नहीं होता। अपनी दुकानों पर भीड़ न लगने दें। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन और मास्क का प्रयोग जो न करे उसे सामान न दें तो भी लोग इसे मानने के लिए बाध्य होंगे।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून - उत्तराखंड
हर व्यक्ति अपना अपना तबला बजा रहे हैं किसी भी को घाटा में जीना नहीं है भले हैं उनको मौत से कार्य है लेकिन घाटे में जिंदगी जीना शिकार नहीं है ऐसा प्रतीत हो रहा है वर्तमान युग में और सरकार चाह रहे हैं कि किसी भी तरह से करो ना से निजात पाया जाए। किसी को घाटे के चिंता सता रही हैं तो किसी को करोना की चिंता सता रहे हैं एक जिंदा रहने के लिए तो एक लाभ कमाने के लिए जो घाटी में जिंदगी जीने का एहसास कर रहे हैं कैसे हो चाहे छोटे व्यापारी हो या बड़े व्यापारी लॉक डाउनलोड खोला जाए ऐसी मन बनाए हैं और जो लोग इस करुणा शंकर से और संकट ना आ जाए किस पर अपना मन बनाए हुए हैं हर आदमी को सोचना है युद्ध इन दोनों प्रवृत्ति में मानव जीवन के हित के लिए कौन सा सही है इस पर अमल करना है कुछ ऐसे लोग हैं जो मजबूरी का फायदा उठा कर धन कमाने में लगे हैं उनको किसी के प्रति संवेदना नहीं है वह तो अवसरवादी हैं जो हर पल हर क्षण अवसर का इंतजार करते हैं और करो ना से भी ज्यादा खोखला समाज को पर देते हैं शोषण वादी नीति समाज की सबसे बड़ी घातक नीति है जो किसी को सुख चैन से जीने नहीं देता ना खुद ही पता है ना औरों को जीने देता है ऐसे लोग अपने ही बारे में सोचते हैं सर्व सुख के बारे में नहीं सोचते बस उनको तो बहाना चाहिए कि किस तरह से हमको शोषण पर के लाभ मिले विश्व में इतनी बड़ी गंभीर समस्या है इस पर निजात पाने के लिए सभी बड़े लोग दूसरों के लिए जी रहे हैं उनका हालत पस्त हो जा रहा है ऐसी स्थिति में हूं लोक नहीं समझ पा रहे हैं और घाटे की रोना रो रहे हैं अरे जीवन है तो यह घाटी धीरे से पूर्ति की जा सकती है धरती में हवा पानी मिट्टी और अन्य जो हमारे उपयोगी है वह भागा नहीं जा रहा है यहीं पर है समस्या टलने के बाद पुनः उसका सदुपयोग कर धन कमाया जा सकता है लेकिन अभी परिस्थिति के अनुसार हमको कैसे करो ना से निजात पाना है इसके बारे में सोचना चाहिए ना की परेशानी और घाटे के बारे में सोचना है। 20 अप्रैल से छोटे व्यापारियों को और थोड़ा सब्र चाहिए हालात ठीक होते तक।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
लॉक डाउन मेँ छूट के दौरान व्यापारियों की आवश्यकताएं एवं सहयोग .
कदेक पृथ्वी पोढ़णों ,,कदे पिलंगा पोस l
आलो सूखो देखकर ,मत खोवे रे होस ll
दिन पलटयाँ विपदा बढ़ी ,राख हिये धीर l
सुख की घड़ियाँ सह हँसे ,दुःख हाँसे सो वीर ll
सुखी पलों मेँ तो सभी हँसते हैं लेकिन वीर पुरुष वही होते हैं जो विपदा के समय न तो आत्मविश्वास खोते हैंऔर न ही भय आक्रांत रहते हैं l वह तो वीर पुरुषों की भाँति अपने कर्म क्षेत्रमेँ प्रवृत होने का निरंतर प्रयास करते हैं l ऐसी ही परिस्थितियाँ लॉक डाउन मेँ छूट मिलने पर छोटे व्यापारिओं के सामने आने की संभावनाएं हैं l राज्य सरकारें यथा सम्भव सकारात्मक प्रयास करेंगी लेकिन उनकी कुछ अपेक्षाएं सरकार एवं जनता जनार्दन से होना स्वाभाविक है l
छोटे व्यापारी सबसे पहले आशा और प्रसन्नता की रोशनी अपने मन मेँ प्रज्ज्वलित करें साथ ही संकट काल मेँ हुई हानि का प्रलाप नहीं करें l आकस्मिक विपत्तिओं से जब राम ,कृष्ण ,पांडव ,शिवाजी ,हरिश्चंद्र ,मीरांबाई जैसी देवात्माएँ नहीं बच सकी तो हम तो मानव मात्र हैं l छोटे व्यापारिओं को छूट के दौरान समंजस्यपूर्ण जीवन जीना है l
ब्लॉक डाउन me छूट केवल सुरक्षित इलाकों में सशर्त दी जाएगी l राज्य सरकारें एडवाइजरी जारी करेंगी जिनकी पालना छोटे व्यापारिओं को करनी होगी l चुनिंदा उद्योगों को लॉक डाउन me छूट मिली तो
15 करोड़ लोगों को फायदा होने से कारोबार पटरी पर आएगा l
कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में 60% लेवर साइट्स के आस पास है जिन्हें सोशलडिस्टेंसिंग की पालना कराते हुए डव्लेपर रोजगार देवें l
ट्रांसपोर्ट को शुरू करना सकारात्मक कदम होगा l छोटे मजदूर उद्यमियों को व्यापार में सहायता मिलेगी l टेक्सटाइल /गारमेंट चेन सप्लाई बहाल इस क्षेत्र में 1.2करोड़ रोजगार के रास्ते खुलेंगे l
सिरेमिक उद्योग में 4 लाख से ज्यादा मजदूरों को रोजगार का इंतजार है l
ऑरेंजजोन और ग्रीन जोन में ही छूट का प्रावधान करें l
किसानों को रवि की फ़सल कटाई सोशलडिस्टेंसिंग की पालना करते हुए देवें l
छोटे व्यापारी आइसोलेशन व डिस्टेंसिंग को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान करें l
किराना व्यापारियों को दुकानें खोलने -बंद करने में समय की पाबंदी नहीं रहे l
शहरी सीमाओं में निर्माण श्रमिक उपलब्ध होने पर निर्माण कार्य हो सकेंगे l
कृषि मंडियाँ खुलेंगी ,कृषि मशीनरी व उर्वरक की दुकानें भी खुल सकेंगी l
बैंक और आई .टी .कम्पनियां कार्य कर सकेंगी l प्रत्येक प्रकार की वस्तुओं की माल ढुलाई हो सकेगी l कार्य स्थल पर स्क्रीनिंग जरूरी तथा 6 फिट की दूरी पर कार्मिक बैठेंगे l
सरकारी कार्यालय चरण बद्ध तरीके से खुलेंगे l छोटेव्यपारिओ की आवश्यकताओ ,सुविधाओं का ध्यान राज्य सरकारें रखेंगी l ये व्यापारी जारी एडवाइजरी की पालना सुनिश्चित करें ,जनता कर्फ्यू कॉन्सेप्ट के रूप में छोटे व्यापारी इसका लाभ उठावें l
देश हित में इसे बनाए यादगार l
चलते चलते -
माना बंजारों की तरह घूमे हो ड़गर ड़गर l
वक्त का तकाजा है ,अपने ही शहर में रहो ll
तुमने खाक छानी है ,हर गली चौबारे की l
थोड़े दिनों की तो बात है ,अपने ही घर में रहो ll
- डाँ. छाया शर्मा
अजेमर - राजस्थान
लॉक डाउन बहुत मुश्किल घड़ी है। एक तरफ जान की सुरक्षा है तो दूसरी तरफ पेट का भी सवाल है। बहुत समझदारी से इस आपदा से निपटना भी है और निकलना भी है। लॉक डाउन में रहते - रहते अनेकों परिवार की जमापूँजी याने नकद राशि और अनाज, किराना एवं अन्य दैनिक उपयोगी चीजें खत्म होती जा रहीं हैं। समाज में कुछ वर्ग ऐसे भी हैं जो दैनिक कमाई से गुजारा करते हैं। उनका भी धैर्य लड़खड़ा रहा है।
बीस अप्रैल से लॉक डाउन की संभावित छूट से कुछ आशा जगी है कि वे थोड़ी ही सही व्यवस्था कर लेंगे। ऐसे में शासन से मिलने वाली छूट और आम लोगों द्वारा दिये जाने वाले निर्देशों का कितना ईमानदारी से पालन किया जाता है, पूरी सफलता इसी पर निर्भर है वरना नुकसान हुआ तो अब तक की मेहनत पर पानी फिर सकता है। कोरोना की आपदा से अभी मुक्त नहीं हुए हैं।
इसीलिए छोटे व्यापारी जो बीस अप्रैल से अपना व्यवसाय शुरू करने जा रहे हैं, उन्हें सावधानी तो रखनी ही होगी। वे ग्राहकों को दूरी बनाने का भी अनुरोध करें और मास्क पहने हुए ग्राहक को ही सामान दें वह भी हाथ धोने के उपरांत। इसके लिए वे अपनी दुकान के सामने यथोचित जगह पर हाथ धोने के लिए समुचित व्यवस्था रखें।
जहाँ तक हो मोबाइल नंबर देकर सामान घर पर पहुंचाने की व्यवस्था करें। जल्दबाजी न करें। पुलिस थाने, अस्पताल का नंबर रखें। ताके जरूरत या अप्रिय स्थिति पर उपयोग कर सकें।
नागरिकों का भी कर्तव्य है कि वे जागरूकता का परिचय दें और नैतिक जबाबदारी समझते हुए सहयोग देवें। प्रशासन को भी मुस्तैदी से काम लेना होगा। छूट में काम बनने से ज्यादा बिगड़ने की संभावना है। पर छूट जरूरी भी है।
छोटे व्यापारियों के प्रति अनावश्यक दबाव न बनाया जावे और वे भी ग्राहकों की मजबूरी का फायदा लेने की कोशिश न करें। सामान महंगा न दें। शासन को दोनों पक्ष के प्रति नजर रखना होगी।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
लाकडाउन के चलते व्यापारियों के बुरे हाल है । सबका सारा व्यापार चौपट हो गया है । इन दिनों शादी का सीजन है ।शादी के हाल , मंडप , केटरिंग , फूलों का व्यापार , आढ़त की दुकानें सब्जी मंडी सभी तो बन्द पड़े हैं ।
आर्थिक मंदी अपना विभत्स रूप दिखा रही है ।
आधे दिन के लिए सबकी दुकानें खुलनी चाहिए ।
जिससे जनता अपनी जरूरत की चीजें खरीद सके ।
मुम्बई में यही गर्मी का सीजन मसाले , दाल आदि खरीदने का । क्योंकि पूरा एक साल के मसाले धूप सूखा के भर लिए जाते हैं ।
मई के महीने से बारिश शुरू हो जाती है । तब मसालों का काम मुम्बई आद्र हवा में नही हो सकता है ।
आम का सीजन चल रहा है ।होलसेल मार्केट में आम पेटियों में सड़ रहा है । नही आचार , मुरब्बे बन पाएंगे ।
सरकार को इन सन्दर्भ में ढील देनी चाहिए । जिससे सबकी पेट के भूख की जरूरत पूरी हो ।
- डॉ मंजु गुप्ता
मुंबई - महाराष्ट्र
वर्तमान समय में जहां आर्थिक स्थिति से उच्च तथा मध्यम वर्ग अपनी जमा पूंजी के आधार पर अपनी जीविका चला रहा है। वहीं बेचारा निम्न वर्ग अपनी भोजन जैसी मूलभूत आवश्यकता को पूरा करने में सक्षम नहीं है। माना सरकार द्वारा उनके लिए अथक प्रयास किए जा रहे हैं, परंतु फिर भी अनेक लोगों को सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रही है। ऐसा उनका ही कहना है कुछ अनभिज्ञता के कारण या अपनी ही लापरवाही से वे सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधा का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। ऐसे समय में प्रधानमंत्री जी द्वारा जगाई गई आशा से इस वर्ग को काफ़ी राहत महसूस हुई है। 20 अप्रैल से इनको बहुत अधिक उम्मीद बंधी है। यह तबका चाहता है कि उन्हें उनका कार्य करने का सुनहरा अवसर मिल सके ताकि वे सुचारू रूप से पहले की ही भांति अपना कार्य कर सकें और पेट पाल सकें।
- डॉ.विभा जोशी (विभूति)
दिल्ली
इस लॉक डाउन से आर्थिक तंत्र तो देश का डगमगा गया है किंतु जो जनता है उनकी हालत भी डगमगा गई है !
लॉकडाउन ने छोटे व्यापारियों की कमर ही तोड़ दी है इसमें हमारे किसानों को काफी नुकसान पहुंचा है कुछ फसल मार्च में बारिश आने से तबाह हुई कुछ लॉकडाउन के चलते !
गरीब किसान एक बार गिरता है फिर उसे उठने में समय लग जाता है किंतु 20 अप्रैल से कुछ रियायत बरती जाएगी कटाई ,बिजली ,सभी की छूट दी गई है !
छोटे व्यापारी में किसान के अलावा अनेक वर्ग हैं !कपड़े वाले ,स्टेट एजेंट
क्लासेस चलाने वाले ,टूर्स एंड ट्रेवल्स वाले, आदि आदि कई कोरोना से सब बंद होने की वजह से दुकान भाड़ा ,लोगों की पगार ,छोटी दुकान में बिना बिके माल में पूंजी फस जाने से उनकी दैनिक आय ना हो पाने से उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है !
छोटी-छोटी किराने की दुकान के व्यापारी को भी काफी नुकसान हुआ है !
छोटे व्यापारियों के लिए तो तीन-चार साल तक उठना मुश्किल लगता है अतः उनकी डिमांड है कि छोटे दुकानदारों को दुकान खोलने दी जाए एवं इस लॉकडाउन के दरम्यान क्षतिपूर्ति देने की मांग की है!
लॉकडाउन के चलते उनकी पूंजी सामान में फस गई जो बिका नहीं !
उनकी दैनिक आय बंद हो गई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत इस दैनिक आय की भरपाई के लिए उन्हें आर्थिक पैकेज दिया जाए !
केवल छोटे व्यापारी को ही नुकसान हुआ ऐसा नहीं है इसके साथ दुकान में काम करने वाले ,माल सामान उठाने वाले ,मजदूर, और जाने कितने लोगों को तकलीफों का सामना करना पड़ा है !
ऐसा भी नहीं है कि सरकार नहीं देख रही है उन्होंने भी टेक्स तिमाही किए , निम्न वर्ग में माफ किए ,उन्हें काफी रियायत दी है दोनों हाथों से मदद कर रहे हैं अर्थात हर संभव मदद दे रही है छोटे व्यापारी जीएसटी के दायरे में नहीं है !
किंतु लॉकडाउन लागू करने से कठिन है लॉकडाउन तोड़ना!
सरकार को भी अपनी जनता को दुखी देखना अच्छा नहीं लगता आगे तकलीफ ना हो उसके लिए उन्होंने नियम बनाए हैं वह हमें ईमानदारी से मानना चाहिए हमारा भी कर्तव्य है कि हम नियम का पालन करें!
(वायरस से बचने के नियम)
अंत में कहूंगी
"जान है तो जहान है"
यह गुरु मंत्र याद रख कर
खुद भी जियो और दूसरों को भी जीने दो !
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
लॉक डाउन चल रहा है, जो 3 मई 2020 तक सरकार द्वारा घोषित है, पर 3 मई से पूर्व यानी 20 अप्रैल से सरकार ने छोटे व्यापारियों--- प्लंबर कारपेंटर, मोटर- मैकेनिक, कृषि- खेती की मंडियों में खरीद बिक्री की छूट, खेती से जुड़ी मशीनरी, स्पेयर पार्ट्स, सप्लाई चेन, हार्डवेयर, ट्रक रिपेयरिंग की दुकानें, ढाबे, दवा- उत्पादन, खाद्य- प्रसंस्करण, पैकेजिंग हार्डवेयर जूट- तेल रिफाइनरी के साथ-साथ आईटी क्षेत्र से भी जुड़े कारीगरों को छूट दी गई है।। ऐसी ही सड़क हाईवे परियोजना के निर्माण तथा आवासीय प्रोजेक्ट भी शुरू होंगे; जहां सशर्त इनके मजदूरों को कैंपस में सामाजिक दूरी के साथ- साथ खाने -पीने की व्यवस्था भी होगी। फिर भी सभी को अपने अपने स्तर से बचाव से जुड़े नियमों का पालन तो करना ही होगा। कोई व्यापारी अपने अधीनस्थ श्रमिक का वेतन व मजदूरी नहीं काटेगा।
ग्रामीण स्तर पर भी छोटे व्यापारियों को अपने व्यापार शुरू करने में धैर्य, सूझबूझ से काम लेना होगा क्योंकि इतने दिनों के नुकसान की भरपाई एकदम नहीं हो सकती। साथ ही कार्य शुरू होने के दौरान सर्वप्रथम कोरोना वायरस से भी सबको अपना पूरा ध्यान भी रखना होगा।
व्यापारियों के स्वास्थ्य हित के लिए सुरक्षा किट, माल के उत्पादन, आपूर्ति के लिए बैंकों से कर्ज की व्यवस्था भी जरूरी है। तभी शनै:- शनै: विकास की गाड़ी इन पटरियों पर दौड़ सकेगी ।
- डाॅ.रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
" मेरी दृष्टि में " आर्थिक गतिविधियों मे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाना बहुत जरूरी है । तभी आर्थिक गतिविधियाँ नियमित रूप से जारी रहेगी । इस लिए जनता द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन अवश्य करना चाहिए ।
- बीजेन्द्र जैमिनी
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