लॉक डाउन में नौ मिनट की दीवाली का क्या महत्व है ?
लॉक डाउन में रोशनी दिखाने का कार्य नौ मिनट की दीवाली करेगी । सकारात्मक सोच को नई गति प्रदान होगी । ऐसा नौ मिनट की दीवाली पर हम सब का विश्वास है । इसी सोच पर " आज की चर्चा " रखी गई है । आये विचारों को भी देखते हैं : -
5 अप्रैल रात 9 बजे : भारतीय परंपरा के अनुसार ऐसा माना जाता है कि सनातन धर्मो के लोग घर में सुबह शाम दीपक चलाया करें इससे ईश्वर हमारे सामान प्रकाश के रूप में रहता है बड़े बुजुर्ग का भी कहना है कि जिस घर में दीया जलाए जाते हैं वहां कभी भी अंधकार वास नहीं करता है और सुख समृद्धि अपना रेन बसेरा बना लेती है
एक अकेला दिया जैसे पूरी रात अंधकार से लड़ता है,वैसे ही कोरोना के ख़िलाफ़ इस लड़ाई में हर एक की भागीदारी बहुत महत्वपूर्णं है.
पुरातन समय में तो केवल मिट्टी के पात्र में दिए जलाए जाते थे अब आधुनिक काल में विभिन्न धातुओं से निर्मित पात्रों में भी दिए जलाए जाते हैं दीया जलाने के ना केवल धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक लाभ भी है जब घर में शुद्ध घी अथवा सरसों के तेल से ज्योति जलाई जाती है
उससे घर के माहौल में सात्विकता आती है और मौजूद हानिकारक कार्दो का विनाश होता है तिल के तेल का चमेली के तेल का या घी का दीपक जलाना चाहिए घर में सरसों के तेल का दीपक जलाना शुभ नहीं माना गया है परंतु केवल दिवाली के अवसर पर ही घर में सरसों के तेल का दीपक जलाया जाता है सरसों के तेल का दीपक का उपयोग दिन शनिवार शनि देव के स्थान पर किया जाता है जो कि घर के बाहर किसी सनी मंदिर या पीपल के नीचे चलाया जाता है
आज 5 अप्रैल रात 9 बजे 2020को है
कामदा एकादशी ,पारण, वामन द्वादशी, प्रदोष व्रत
(दीपज्योति: परब्रह्म: दीपज्योति: जनार्दन:. दीपोहरतिमे पापम संध्यादीपम नामोस्तुते॥ )
ज्योतिषशास्त्र में ऐसी परंपराएं चली आ रही हैं, जिनके पीछे तात्त्विक व वैज्ञानिक रहस्य छिपा है. भारतीय संस्कृति में दीप प्रज्जवलित कर ज्योत जलाने का बड़ा महत्त्व है. दीपक के बगैर हर शुभ काम अधूरा हर पूजा अधूरी, एक दीपक कैसे दूर करेगा दुख दारिद्र्य और दुर्भाग्य
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भगवान को प्रसन्न करने के लिए घर का पूजा स्थल, घर आंगन की तुलसी और भगवान मंदिर में सुबह-शाम दीपक जलाने से हर काम सफल होते हैं
मेरा धनुषाकार पिरीयड - देखे
दीप —-
मैं
दीप
जलाऊ
आज रात
मुख्य द्वार पे
नौ बजे नौ दिये
भागेंगी महामारी
आयेगी खुशहाली
रोशनी फैलेगी
लाकडाऊन
से मुक्ती हो
ख़ुशियाँ
पाऊँ
मैं
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
गोपाल सिंह नेपाली की पंक्तियों से अपनी बात की शुरूआत करती हूँ-
*घोर अंधकार हो,चल रही बयार हो*
*आज द्वार-द्वार पर,यह दिया बुझे नहीं*
*यह निशीथ का दिया, ला रहा विहान है ,*
*ला रहा विहान है ----*
कोरोना के भय से उद्विग्न भारत वासियों को एक अवसाद ने घेर लिया है। उस पर छोटे-छोटे बच्चों के बड़े-बड़े प्रश्न-
*क्या हमको भी कोरोना हो जाएगा?*
या
*दुनिया अब खतम हो जाएगी ?*
-मन को आतंकित करते हैं और जिनका जवाब शायद बड़ों के पास भी नहीं । पूरा देश इसी भय,निराशा और मानसिक विचलन की स्थिति से गुजर रहा है ।
*आगे क्या होगा ?*
इस प्रश्न ने सभी के मनोबल को परास्त कर दिया है।
ऐसे समय में देश के प्रधानमंत्री , जो स्वयं भी इस कठिन स्थिति को महसूस कर रहे हों ; का एक विचार लोगों के मन को किंचित ही सही, शक्ति तो प्रदान करता है । इस घोर अंधकार में आशा का एक दीप, न केवल प्रकाश उत्पन्न करने वाला होगा ; अपितु इस बात का भी एहसास कराएगा कि इस नीरसता की जंग में हम अकेले नहीं हैं ।
अब आती है बात नौ मिनट की दीपावली की ।
इसके अलग-अलग तर्क लोगों द्वारा दिये जा रहे हैं-
कोई इसे अंक शास्त्र से जोड़ने का प्रयास कर रहा है तो कोई ज्योतिष शास्त्र से ।
5 तारीख 4था महीना - 5+4 = 9 रात्रि के 9 बजे
9 दीपक
9+9+9=27
2+7=9
यह जोड़ जो अंकशास्त्र की गणना के लिहाज से उचित नहीं ।
क्योंकि अंक शास्त्र में जन्मांक और मूलांक का महत्व प्रतिपादित किया गया।
तिथि + माह + वर्ष = मूलांक
पर यहाँ अति उत्साही लोग इसमें से वर्ष को छोड़ कर अपने काम के अंक ही ग्रहण कर, व्यर्थ के तर्क दे रहें हैं।
सोशल मीडिया के इस युग में अपने निराधार तर्क की स्वतंत्रता है और शायद यह उसी का परिणाम है । खैर !
संभवतः इस दीप प्रज्वलन का यह प्रयोजन हो, कि नौ मिनट तक दीप ज्योति का अवलोक एकाग्रता के साथ उत्साह का संवर्धन भी करेगा
और यही उत्साह स्वस्थ रहने और कोरोना से जंग के लिए आवश्यक औषधि भी है । इस घोर अंधकारमयी
व्याधि के संक्रमण रूपी रात्रि में, दीपशिखा नए विहान का संदेश लेकर आएगी । साथ ही यह छोटी वर्तिका विपरीत वायु पर जीत के साथ ही एकता के संबल का संदेश भी सुनाएगी ।
कुछ इसी तरह का अर्थ लिये अपनी स्वतः की दो पंक्तियों से बात को समाप्त करती हूँ-
*दीपक की मैं वर्तिका, मधुर पवन सन प्रीत।*
*स्नेह, समीर भी मंद जब,जलती रही सभीत ।।*
अर्थात -
मै दीपक की वर्तिका, वायु से प्रेम करती हूँ । वायु और स्नेह (तेल) की कभी होने पर भी भयभीत-सी हार नहीं मानती, कँपकँपाते हुए भी अंत तक जलती ही रहती हूँ ।
संभवतः मेरी इन पंक्तियों की सार्थकता ही आजकी दीपावली का प्रयोजन हो ।
- वंदना दुबे
धार - मध्य प्रदेश
दीया कहीं भी जले वह चारों दिशाओं को प्रकाशित करता है । अँधेरा मन के अंदर ,बाहर का छांटता है। दीया तो सच का प्रतीक है । हमारे प्रत्यक्ष प्रमाण है । हम आज ज्योति पर्व की दीवाली मना रहे हैं ।
भारतीय संस्कृति में दीप प्रज्ज्वलन का बहुत महत्त्व है । दीया आशा , उम्मीद , सस्वती , लक्ष्मी पूजन , शुभ कार्य का प्रतीक है । सुबह - शाम हर हिन्दू घर में प्रभु के सामने दीया जलाते हैं । मैं भी अपने हमसफ़र पति आ स्वतंत्र जी के संग दीपक जलाऊँगी।
तमसो मा ज्योर्तिगमय भारतीयता का प्रतीक है । अर्थात हम अँधेरे से प्रकाश की ओर जाएँ ।
दीप से दीप से जलाते चलो । यानी प्रकाश हर दिल दुनिया को प्रकशित करता है ।
मेरे जमाने में ऋषिकेश , उत्तराखण्ड में बिजली बहुत देर से आयी थी । शाम को दीया , लालटेन हम अपनी माँ के साथ जला के हर कमरे को रोशन करते थे । उजास के लिए , रोशनी के लिए । हमारी शिक्षा दसवीं तक लालटेन की रोशनी में हुयी है ।
उस जमाने में तो लालटेन की रोशनी हर धर्म संप्रदाय के लिये थी । किसी भी नस्ल , लिंग , वर्ण , जाति , संप्रदाय का कोई भेदभाव नहीं था । हर भारतवासी उस जमाने में दीया जलाता था । अभी भारत के गाँवों में बिजली नहीं आयी है । वहाँ भी दीया जलता है ।
हमारे देश के प्रधानमंत्री आ नरेंद्र मोदी जी ने कोरोना जैसी महामारी से बचाने के लिए आज की ऐतिहासिक राष्ट्रीय तारीख 5 अप्रैल 2020 दिन रविवार को संपूर्ण भारत में रात के 9 बजे 9 मिनट तक
दीया जलाने का , मोमबत्ती , टार्च , मोबाइल की फलेश लाइट आदि से प्रकाश करने को आह्वान किया है और घर की बिजली नहीं उतने वक्त तक जलानी है ।दीप जलेगा कोरोना का अंधकार दूर होगा । यही मा मोदी जी के संग मेरा भी लक्ष्य है कि मानव के रोशनी में सब विकार जल जाएँ । सारे महजब , धर्म , संप्रदाय , नस्ल ,
लिंग वर्ण मन का अँधेरा दूर कर सब एक हो जाएँ।
क्योंकि प्रकाश सकारात्मक ऊर्जा , , विधायक भाव , शक्ति , उत्साह , मनोबल , आत्मविश्वास बढ़ाने का प्रतीक है । निराशा का अँधेरा मिटेगा । दिवाली का यह दीया हमें घर में बॉलकोनी में , आँगन में छत पर पारिवारिक दूरी बना कर जलाना है । जिससे
कोरोना का संकट मलिन होगा ।
पूरे भारत में चैत्र कृष्ण पक्ष की इस अमावस्या को दीपकों से पूरा भारत दिवाली सा जगमग करेगा ।
इधर बिजली विभाग भी रात के 8 बजे से बिजली की लोड शैंडिग करेगा ।आज 9 बजे की दीवाली लक्ष्मण रखवाली दीवाली है । देश हमारा रोशन होगा ।
हम सब मिलके पूरा भारत की सामूहिक शक्ति बनके दीपक जलाएगें । यही हमारा राष्ट्रीय धर्म है ।दीया प्रतीक है उन वफादार डॉक्टर , उन संगठनों का , उन यौद्धाओं को उन साकारात्मक संकल्प सोच के मानव जाति को जो अपनी जान हथेली पर रखे मानव के संक्रमण होने से बचा रहे हैं । पूरे भारत के नागरिक उन फरिश्तों का कृतज्ञ है ।
भारतीय अध्यात्म में 9 अंक संपूर्णता , शक्ति ,शुभता , निस्वार्थता का प्रतीक है । मंगल , शुभ का प्रतीक है । इस 9 का स्वामी मंगल है ।इसलिए रविवार तारीख 5 को चुना । रवि का अर्थ भी सूरज , दिनमान होता है । सूरज तो साक्षात देवता है । प्रकाश का , सत्य का । सूरज का काम काले स्याहा अँधेरे को भगाना है ।
दीया की रोशनी हमारे मन में भरेगी साहस , शक्ति , शांति । हमारे मस्तिष्क के न्यूरॉन्स को क्रियाशील करेगी । आध्यात्म की शक्ति से भारत की जन्मपत्री के लग्न में बैठा राहू दूर होगा । जिससे कोरोना का आतंक खत्म होगा । मंगल देश में आयी हताशा , निराशा ,तनाव , वायरस की चुनोतियों की जंग को दूर करेगी ।
भारत विश्व में सुदृढ़ता के साथ फिर से नेतृत्व करेगा ।
यही कोरोना की महामारी का अँधेरा सामूहिक दीपक जलाने से सामूहिक प्रकाश की तरंगें पूरे भारत में ऊर्जा की प्रकाशित तरंग तंरिगत होगी । परिवेश की नकारात्मक दोषों को दूर करेगी ।
हमारे सिक्खों के गुरु , महान ज्ञानी गुरुनानक जी ब्रह्मांड की आरती गायी । जिसमें सूरज चाँद तारे की ज्योत है और आसमान की थाली है । जो प्रतीक है प्रकृति ब्रह्मांड को बचाना है । विकारों को दूर करके मानवता को बचाना है ।
अंत में कोराना के प्रति जागरूकता को मुक्तक में मैं कहती हूँ : -
दीया को जलाना है ,
जगत तम मिटाना है ,
न रोये फिर मानवता ,
कोरोना भगाना है ।
- डॉ मंजु गुप्ता
मुंबई - महाराष्ट्र
प्रकाश अपने आप मे सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है।यह भी पूरे भारत बासी एक साथ एक भावनात्मक विचार के साथ दीप जलाकर प्रकाश करे। प्रकाश से जो ऊर्जा विनिर्गत होगी उससे कोरोना जेसी महामारी पर बिजय प्राप्त कर सकेगे। सकारात्मक ऊर्जावान होकर हम मानसिक रूप से कोरोना को हराने मे सक्षम होगे। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से,औषधीय दृष्टिकोण से सकारात्मक सोच के द्वारा हमारे शरीर मे ऐसे हार्मोंस बिकसित हो जाते जो बीमारी को समूल नष्ट कर देते है। शास्त्रीय दृष्टिकोण से 9 अंक का बिशेष महत्व है।नौ दुर्गा ,नौ रात्रि, नौ ग्रह जिसका मानव शरीर पर बिशेष असर होता है ।इसलिए दीप जलाकर महाकुंभ मे हम सभी लोग सहयोग करे
- बालकृष्ण पचौरी
भिण्ड- मध्यप्रदेश
नौ मिनट की दीवाली का बहुत बड़ा महत्व है हमारे मस्तिष्क में नकारात्मक और सकारात्मक दो प्रकार के विचार उत्पन्न होते है दीप जलाकर हम अपने सकारात्मक विचारों को बढ़ाने का कार्य करते हैं और जब हमारे पास सकारात्मक विचारों का आगमन होता है तो शरीर में धनात्मक उर्जा भंडार बढ़ने लगता है फलस्वरूप प्रतिरक्षा प्रणाली बलवती हो जाती है और शरीर की मदद करने में सक्षम होकर स्वास्थ्य प्रदान करती है साथ ही विभिन्न प्रकार के बाह्य आक्रमण को रोकने में सफलता प्राप्त करती है जिससे प्राणी विपरीत परिस्थितियों में भी सामान्य रूप से बर्ताव करते हुए दु:खद स्थिति को सुखद वातावरण में बदलने तक अपनी सामर्थ्य का भरपूर उपयोग कर लेता है । यदि एक मिनट के ग़ुस्से का परिणाम पूरे दिन नकारात्मक प्रभाव के रूप में देखा जा सकता है तो नौ मिनट के लिए खुश होकर निश्चित तौर पर अगले नौ दिन तक सकारात्मक विचारों से धनात्मक उर्जा का संचय होगा जिससे आपकी आपके अपनों की देश की कोरोना जैसी महामारी से रक्षा हो ऐसा मन में विचार कर दीप प्रज्वलित करें ।
- डॉ भूपेन्द्र कुमार
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
*असतो मा सदगमय ॥ तमसो मा ज्योतिर्गमय ॥ मृत्योर्मामृतम् गमय ॥*
*(हमको) असत्य से सत्य की ओर ले चलो । अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो ।। मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो* ॥।
हमारे सनातन धर्म से यह परंपरा चली आ रही है कि हम अच्छे कामों की शुरुआत दिया जलाकर करते हैं और दीपक जलाते हैं। अंधकार को हम निराशा का प्रतीक मानते हैं और उजाले को हम आशा का।
जब दुंटनहुआ कोई रहता है तो उसे सहारे के लिए एक रोशनी कि जरूरत होती है। हमारे प्रमुख त्योहार दिवाली में भी हम दिया जलाकर अमावस के अंधकार को मिटते है। जब नई बहू आती है तब भी हम स्वागत के लिए दीपक जलते है। और हम भगवान से मंगलकामना करते समय भी दीपक जलाते है। लॉकडाउन में रात के 9:00 बजे 9 मिनट के लिए दीपक जालाने का अर्थ यही है कि कोरोनावारस के अंधकार को मिटाकर जीत की प्रार्थना करे।
- प्रीति मिश्रा
जबलपुर - मध्य प्रदेश
नौ मिनट की दीवाली राष्ट्रीय की एकात्मता भावना का प्रतीक है। अहसास है इस बात का कि हम इस युद्ध में अकेले नहीं हैं,पूरा देश हमारे साथ हैं।ज्योतिषीय महत्व तो ज्योतिष शास्त्र के विद्वान बता ही रहे हैं।मेरे विचार से भारतीय संस्कृति में सदा प्रकाश की उपासना हुई है,प्रकाश प्रतीक है ज्ञान का,प्रगति का और शुद्धता का।यह प्रतीकात्मक दीवाली संदेश उन नकारात्मक शक्तियों के प्रति कि हम हार नहीं मानने वाले। महात्मा बुद्ध के संदेश अप्प दीपो भव,को आत्मसात करने का अवसर है कि सुनो अंतर्रात्मा की आवाज को जो कभी ग़लत राह नहीं सुझाती बल्कि हर गलत पग पर हमें रोकती है।इन दीपों का प्रकाश हमारे जीवन को प्रकाशित करें,इस कोरोना रूपी संकट को मिटाएं तमसो मा ज्योतिर्गमय।
- डॉ अनिल शर्मा'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
9 मिनट के दीप प्रज्वलन कार्यक्रम को दीवाली कहने के स्थान पर *कोरोना अंधकार को अपनी सामूहिक एकता के प्रकाश से हराने का* एक साथ संकल्प बद्ध होना कहना बेहतर होगा।इसमें अलग भाव है। हमारे धर्म शास्त्रों में दीप ज्योति को साक्षात परब्रह्म कहा जाता है ।जब हम एक साथ, एकजुट होकर एक ही मकसद से किसी के खिलाफ लड़ने का जज्बा अपने अंदर पैदा करते हैं तो हमारी जीत पक्की हो जाती है ।दीप ज्योति का तन ,मन और वातावरण पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है ।ऊर्जा का स्तर बहुत ऊॅचा होता है। इस 9 मिनट के दीप प्रज्वलन के महत्व को हम निम्न बिंदुओं में समझ सकते हैं- 1- हम अकेले नहीं हैं संगठन की शक्ति इस माध्यम से व्यक्त होगी।2- सामूहिक कंपन (vibration)की शक्ति का एहसास होगा ।3- इस दौरान मौन में बैठकर हम श्रेष्ठ संकल्प को धारण कर सकते हैं और उस ऊर्जा को सारे देश में पहुंचा सकते हैं ।4-तंत्र शास्त्र के अनुसार 5 तारीख को 'मदन द्वादशी' का प्रदोष काल अति महत्वपूर्ण काल है और इस दौरान यदि दीप ज्योति को प्रज्ज्वलित किया जाता है तो हमें एक ऐसी ऊर्जा प्राप्त होगी कि हम आसानी से कोरोना के विरूद्ध युद्ध जीत सकते हैं ।
आप सभी से अनुरोध है कि आप इस 9 मिनटके दीप ज्योति के महत्व को समझें और समय पर एक साथ इस कार्यक्रम में सम्मिलित हों। जय हिंद !
- डॉ अरविंद श्रीवास्तव
दतिया - मध्य प्रदेश
दीवाली उत्साह और खुशी का पर्व हैं। दीवाली से हमारा मान्यता जुड़ा हुआ है। राम के वनवास से लौटने के खुशी में हम सभी दीवाली मानते हैं।
आज इस संकट के समय दीपक जलाना खुशी का परिचायक नहीं जो लोग दीवाली से तुलना कर रहे ये गलत हैं। दीप जलाने से अगर आशा का किरण जगती हैं तो ये मानकर दीया जलाना ठीक है। इस संकट में डॉक्टर ही इस महामारी से बचा सकते हैं या अदृश्य शक्ति भगवान बचा सकते हैं।
प्रेमलता सिंह
पटना - बिहार
हमारा देश की संस्कृति और संस्कार विश्व में अलग पहचान लिए हुए हैं। हमारे यहाँ सालभर कोई न कोई उत्सव की धूम रहती है और सभी देशवासी उत्साह से और मिलजुलकर के इनमें अपनी भागीदारी निभाते हैं। प्रेम,एकता और सौहार्द्र की ये अपनी एक विशेष पहचान होती है,जिस पर सभी को गर्व है। यही नहीं इसके अलावा भी कोई पर्व न भी हो तब भी हम अन्य किसी विशेष तिथि या अवसर पर भी ऐसा ही कुछ कार्यक्रम का आयोजन कर खुशियां साझा कर लेते हैं। साथ ही अपने किसी परिचित, परिजन के दुख के समय भी सब एकत्रित होकर सहृदयता का परिचय देते हैं।
सार यह कि खुशी,दुख या संकट के समय हमारी धर्मनिरपेक्षता, हमारी एकता और हमारा पारस्परिक प्रेम हमें हिम्मत और ऊर्जा देती है,हमारा मनोबल और आत्मविश्वास बढ़ाती है।
वर्तमान में जब हमारा देश 'कोरोना' के आकस्मिक संकट से जूझ रहा है तब बचाव के प्रयास के साथ-साथ हममें ऊर्जा और उत्साहवर्धन के लिए भी कार्य और उपाय किए जा रहे हैं। इसी संदर्भ में हमारे प्रधानमंत्री जी द्वारा 5 अप्रेल को रात्रि 9 बजे 9 मिनट के लिए जो विद्युत प्रकाश बंद कर, अन्य माध्यम दीप, मोमबत्ती, आदि से सांकेतिक प्रकाश-पर्व मनाने का अनुरोध किया गया है,उसके पीछे भी यही उद्देश्य निहित है। इसके अलावा वैज्ञानिक, आध्यात्मिक या अन्य कारण भी हो सकते हैं।
बहरहाल इस अवसर को दिशा निर्देश के अनुसार सभी को अपनी जागरूकता का परिचय देते हुए सामुहिक एकता का परिचय देना है।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
नौ अंक का धार्मिक वैज्ञानिक गणितीय ज्योतिषीय विश्लेषण अनूठा है।अब नौग्रह की पूजा से ही कोई भी अनुष्ठान की शुरुआत होती है। ब्रम्हांड में नौ ग्रहों का चक्र लीला है। गणितीय सिद्धांत के आधार पर नौ के बाद दो अंक होने लगते हैं
आज वर्तमान समय संकट का समय है वायरस के संक्रमण को रोकना है। विशेषज्ञों के अनुसार तापमान के बढ़ने से संक्रमण की तीव्रता में कमी हो सकती है
। हमारे प्रधानमंत्री आदरणीय मोदी जी ने इस अंक का चुनाव किया है तो निश्चित ही उस मुहुर्त में किसी न किसी नक्षत्र या नकारात्मक ऊर्जा को ध्वंस की बेला होनेवाली है
5और4दोनो मिलाकर नौ होता है ग्रहों को शांत करने के लिए व्रम्हाणड के नौ ग्रहों की पूजा भी एक प्रतीक है
एक साथ देश 130करोड भारतीय दीया जलाकर अपनी एकता का परिचय देंगे ।
इस दीये की रौशनी में संक्रमण के किटाणु का नष्ट होना अवश्यंभावी है।
तमसो मा ज्योतिर्गमय अर्थात् अंधकार को हरने के लिए ज्योति जलाना है
एक पुरानी कहानी है
एक गुफा है अंधकार से भरा हुआ है लोगों में यह धारणा बनी है कि उस गुफा में भूत है जो भीतर जाता था वह मर जाता था फलस्वरूप किसी को हिम्मत नहीं होती थी कि गुफा में प्रवेश करें। इसी बीच एक ज्ञानी पुरुष ने एक कैडिल या मोमबत्ती जलाकर उस गुफा में प्रवेश कर गया और लोगों का भय दूर हुआ ।ठीक इसी प्रकार आदरणीय मोदी जी तमस को दूर करने का प्रयास किया है
- डाँ. कुमकुम वेदसेन मनोवैज्ञानिक
मुम्बई - महाराष्ट्र
*तमसो मा ज्योतिर्गमय*- अर्थात मुझे अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो ।
हमारी परंपरा कहती है कि हमें अंधरे में उजाले की खोज करते रहना चाहिए । क्या आपने कभी सोचा कि दीपावली कार्तिक अमावस्या की रात को ही क्यों मनाते हैं । इसे मनाने के पीछे कई मिथक हैं परन्तु यदि हम इसे वैज्ञानिकता से जोड़ें तो पायेंगे कि अंधेरे में जब कीट पतंगों का जोर बढ़ जाता है । लोगों के मन में नकारात्मक भाव छाने लगते हैं कि इतनी अंधेरी रात से कैसे निकलें तभी दीपक की लौ कह उठती है कि मुझे देखो मैं स्वयं जलकर भी सबको प्रकाशवान कर रही हूँ ।
*आज के संदर्भ में ये प्रयोग तो और भी कारगर सिद्ध होगा ।*
* एक तो इस बहाने हम सब एकता के सूत्र में बँधे हुए दिखेंगे ।
* दूसरे हमें स्वयं उजाला फैला कर जग को प्रकाशित करना है ये भी समझ में आयेगा ।
* तीसरा एक निश्चित समय में जब सारे भारतवासी ये करेंगे तो अवश्य ही आपस में स्नेह और सामंजस्य का भाव निर्मित होगा ।
* जो लोग पूर्ण मनोभाव से कोरोना पीड़ित की सेवा कर रहे हैं या बचाव कार्यों में लगे उनके प्रति सम्मान भी प्रगट करने का भी एक तरीका होगा ।
* चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में वैसे भी पूरे 15 दिन त्योहारों के ही रहते हैं । इस पक्ष में हम संवत नव वर्ष का स्वागत , माँ के नवरूपों की आराधना, रामनवमीं व हनुमान जयंती मानते हैं अतः सबको एक जुट होकर अवश्य ही लॉक डाउन के दौरान प्रकाशोत्सव करना चाहिए । इस हेतु आप मोमबत्ती, दीपक , टॉर्च या मोबाइल का प्रयोग करें । अपने घर की लाइट को बुझाना मत भूलें ।
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश
लॉक डाउन में नौ मिनट की दीवाली से अभिप्राय है कि दुनिया को हमें सीखाना है जहां एकता है वहीं विजय है।
कोरोना संकट से पूरा विश्व जूझ रहा है इस संकट से जो अंधकार और अनिश्चितता पैदा हुई है,उसे समाप्त कर हमें उजाले और निश्चितता की तरफ बढ़ना है।अंधकारमय कोरोना संकट को पराजित करने के लिए हमें प्रकाश के तेज को फैलाना है।
सकारात्मक सोच,उमंग ,उत्साह और एकता हम सभी 130 करोड़ देशवासियों में बना रहे ,और सब मिलकर एक महाशक्ति का जागरण कर सकें। दिया जलेगा तो हम सब प्रकाश की महाशक्ति का अनुभव करेंगे,और इस प्रकाश के बीच हम सब मन में यह संकल्प लें की हम सब अकेले नहीं हैं।
कोरोना के चलते हम नवरात्रि और रामनवमी वैसी नहीं मना पाए जैसी मनाते आ रहें हैं, तो चलिए आज रात यह अवसर रहेगा जब घर घर में नौं दिए नवरात्रि के और नौ मिनट श्री रामनवमी के नाम के दीपक जलायें और अंत में हमें मिलकर कोरोना संकट के अंधकार को चुनौती देनी है।
- ज्योति वाजपेयी
अजमेर - राजस्थान
किसी भी कठिन समस्या,आपदा,या महामारी से उतने लोग नहीं मरते जितने भय के कारण मर जाते हैं ,9मिनट दीपक जलाने का मकसद केवल,सामूहिक मानसिक संकल्प शक्ति को बाहर लाना है एक साथ एक समय पर पूरे देश में सवा सौ करो़ड़ दीपक जलने से देश में एक नवीन उत्साह,नवचेतना,नई ऊर्जा का संचार होगा,जिससे कोरोना जैसी महामारी से लड़ने में हमारे देश के सभी लोगों को एक नया बल मिलेगा|
- रविभूषण खरे
दतिया - मध्यप्रदेश
लॉक डाउन में नौ मिनट की दीवाली का बहुत महत्व है। इसके अच्छे परिणाम भी दूरगामी होंगे जिन्हें कुछ नासमझ लोग अभी देख नहीं पा रहे हैं।
बुद्ध ने कहा है कि अपना दीपक आप बनो। अपने चारों ओर फैले निराशा, भय, संकट के अंधेरे को मिटाने के लिए सबको अपना अपना दीपक स्वयं बनना है, सबके साथ मिल कर बनना है, एकजुट होकर अपने -अपने विश्वास के दीप लिए अंधेरे से प्रकाश की ओर बढ़ना है। यह प्रकाश की यात्रा सबके साथ एकजुट होकर अपने विश्वास के प्रज्वलित दीप लिए पूरी निष्ठा के साथ समर्पित-संगठित होकर ही की जा सकती है।
एकता के सूत्र में बँधे, स्वयं उजाला बिखेरते हुए,स्नेह-सहृदयता का संचार करते हुए जागरूक भारतवासी जब अपने राष्ट्र के लिए खड़े दिखाई देंगे तो यह सकारात्मक संदेश नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने में सहायक बनेगा।
इसलिए नौ बजे, नौ मिनट अपने घर में सभी सदस्य अपना-अपना दीप अवश्य जलाएँ।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून - उत्तराखंड
तमसो मा ज्योतिर्गमय
हे मां मुझे अंधेरे की राह से मुक्त कर प्रकाश की ओर ले चलो अथवा यूं कहें जब हम कठिनाइयों से घिर जाते हैं तो उस समय आशा रूपी प्रकाश की एक किरण भी दिखाई दे जाए हम अपने कष्ट को दूर करने की पूर्ण कोशिश करते हैं क्योंकि हममे सकारात्मकता के भाव जागृत हो जाते हैं !लॉकडाउन में 9 मिनट की दिवाली हमारे सभी के दिलों को जोड़ देगी! संकट के समय (वायरस के चलते) पूरा देश एकता के बंधन में बंधा होगा! हमारे दिलों में जो घाव है, डर है , उसे भगा नई रोशनी देगा !
9 मिनट के दिवाली का
यह प्रज्वलित दीप सकारात्मकता संग,
नई ऊर्जा देने आएगा
अंतर्मन के हर घाव को
नई रोशनी देकर जाएगा !
सभी सोच रहे हैं आखिर 9:00 बजे और 9:00 मिनट पर ही अंधेरे में दीप का उजाला क्यों?
देश के सभी ईश्वर पर बेहद श्रद्धा करते है अभी नवरात्र गई मां नव रूपों में दिखती है किसी भी कार्य को करने से पहले नवग्रह की पूजा करते हैं ! ब्रह्मांड में भी 9 ही ग्रह है यह वैज्ञानिक दृष्टि से देखें ,गणित की दृष्टि से देखें ,या फिर ईश्वर की लीला कहें सबसे आश्चर्य की बात तो यह है इत्तेफाक से तारीख 5 चौथा महीना है 5+4=9
जो भी हो मोदी जी की मंशा नेक है देश की जनता को इस दानव से बचाना है! दीप जला रोशनी से सकारात्मकता आती है नकारात्मक का कीड़ा नष्ट होता है!
दीप जला हम हमारे डॉक्टर ,पुलिस ,सफाई कर्मचारी ,सभी को सम्मानित कर रहे हैं ! प्रकाश पुंजता से उनमें नई ऊर्जा भरते हैं!
अंत में कहूंगी जब चारों तरफ अंधेरा छा जाए तो दीपक की हल्की सी रोशनी भी हमें मार्ग दिखा गंतव्य तक पहुंचा ही देती है !
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
आज ९ मिनिट की दीपावली के सम्बन्ध में व्यक्ति गत रूप से मेरा आकलन है कि इसके पीछे दो प्रकार के भाव प्रतीत होते हैं,,,,,,
प्रथम तो उस मानसिकता को प्रकट करना कि किसी प्रकार की आपदा के प्रति हम सब देशवासी
सामूहिक रूप से उसका मुकाबला करने के लिए दृढ़ता के साथ एक आवाज पर एक साथ खड़े है।
दूसरे प्रकाश से निकली किरणें जहां अन्धकार का नाश करती है वहीं दूसरी और अवांछित किटाणु ओं का सफाया करती हैं,यह स्वयं में वैज्ञानिक तथ्य है।
सूर्य देव से प्रदत्त सुनहली किरणों का प्रकाश हम पृथ्वी वासियों के लिए क्या महत्व रखता है,इसे बताने की आवश्यकता नहीं है ।
दीपक, मोमबत्ती एवम् अन्य साधनों से उत्पन्न प्रकाश भी उर्जा प्रदायक साबित होगा, इसे स्वीकार करने में कोई संशय नहीं ।
- रमेश माहेश्वरी " राजहंस "
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
अयं निजः परोवेति ,गड़ना लघुचेतसाम l
उदारचरितनाम तु वसुधैव कुटुंबकम ll
विश्वगुरु की उपाधि से सुशोभित अलंकृत भारत की पावन धरा पूरे विश्व को आज कुटुंब मानती है l
आज विश्व का प्राणी संकट में है l आओ ,
आज हम पड़ाव को समझ बैठे हैं मंजिल ,
लक्ष्य हुआ आँखों से ओझल ,
वर्तमान के मोहजाल में ,
आने वाला कल न भुलाये ,
आओ फिर से दीप जलाएं ,
आहुति बाकी यज्ञ -अधूरा
अपनों के विघ्नों ने है घेरा ,
अंतिमजय का वज्र बनाने
नव दधीचि हड्डियाँ गलाएं ,
आओ आज दिया जलाये l
भारत माता अपने सपूतों के प्राण संकट में देख कर व्यथित है l संकट काल में हम आज मानव धर्म निभाते हुए एक गिलहरी की भाँति अपना कर्तव्य निर्वहन करें l
"आपो दीपो भवः "
हम अपना दीपक स्वयं बनें l आज 5 अप्रैल ,2020 को रात्रि 9 बजे 9 मिनट के लिए हम सब एकत्रित होंगे ,एक दूसरे को देख नहीं पाएंगे लेकिन मन से संकल्प और शक्ति से एक साथ हम इकठ्ठे होंगे ,हमारे हाथों में दिया होगा ,अर्थात देना l हम देने के लिए क्या दे सकते हैं ,हम एक दूसरे को शक्ति सहयोग और शुक्रगुजार होंगे ,प्रत्येक देशवासी का जो घर में बैठकर हमें जीवन डोर सौंप रहे हैं l शुक्रगुजार होंगे उन देवतुल्य चिकित्साकर्मी, पुलिस ,शिक्षक जो अपने कर्मो से इस यज्ञ में अपनी अपनी आहुति
दे रहे हैं l उन कोटि कोटि सुधीजनों को धन्यवाद देंगे जो एक तिनके की भाँति हमारा सहारा बन रहे हैं l
दिया सिर्फ हमारे हाथ में ही नहीं
अपितु चंद्र नाड़ी और सूर्य नाड़ी के मध्य प्रतिबिम्बित होगा l संकल्प से शक्ति और सहयोग एक दूसरे को देंगे l
हमारा 9 मिनट दीप प्रज्वलन का समय It will be power of collective vibration .सकारात्मक वाइब्रेशन 130 करोड़ जनों की संकल्प शक्ति रूपी दिया हमें क्या क्या नहीं देगा ....गत्यात्मक ऊर्जा के उपासक आज हम वैयक्तिक शक्ति नहीं अपितु सामूहिक गत्यात्मक ऊर्जा के उपासक बनेंगे l संगठन की यह शक्ति प्रत्येक मन ,शरीर ,प्रकृति, वातावरणपूरे देश को ही नहीं अपितु सम्पूर्ण स्रष्टि को शक्ति प्रदान करेगी l
ध्यान रहे -9 मिनट की अवधि में दिया हमारे हाथों में ही नहीं अपितु वह हमारे मन मस्तिष्क को ज्योतिर्मय करे जिससे हर देशवासी को अपनी शक्ति और पूरे देशवासियों की शक्ति आपको मिलेगी क्योंकि मनों में भी दिया होगा और हाथ में भी दिया l 9 मिनट शांति पूर्वक शक्ति एवं श्रेष्ठ संकल्पों का आह्वान कीजिए कि मैं पवित्र सुख स्वरूप आत्मा हूँ तो प्रत्येक आत्मा में भी इसी प्रकार के विचारों का आदान प्रदान होगा .
पूरे देश में ऐसे संकल्प विस्तारित होंगे l भारत माता के सपूतों के चारों तरफ यह सुरक्षा कवच बन जाएगा l
परमात्मा की शक्तियाँ मानव मात्र एवं देश को शांति ,शक्ति ,निर्भयता आरोग्य एवं समृद्धि प्रदान करेंगी l
We that Diya in mind .
"शुभम करोति कल्याणम ,
आरोग्यम धन सम्पदाम l
आत्मबुद्धि प्रकाशाय ,
दीप ज्योतिर मनोस्तुते ll
- डाँ. छाया शर्मा
अजेमर - राजस्थान
प्रज्ज्वलित दीप अंधकार को मिटाकर सर्वत्र प्रकाश को फैलाकर बाह्य लालित्य के साथ- साथ अंत: लालित्य का परिवर्धन करता है। लाक डाउन के समय में कोरोना महामारी की भयंकरता से नैराश्य रूपी अंधकार व अनिश्चितता के भयावह वातावरण में 9 मिनट तक हम सब यदि अपने घर की बालकनी, छत अथवा दरवाजे पर दीपों के प्रकाश से जनमानस में उजाला साहस, निष्ठा, एकता के साथ करेंगे तो इस जंग को जीतने की आशा लाखो गुना बलवती होगी।
इस प्रकाश पर्व का सबसे बड़ा तात्पर्य यह है कि सबको एकजुटता के सूत्र में पिरो कर यह स्थापित करना है कि हमें इस विषम विपत्ति से निश्चित ही उबरना है । इस 9 मिनट की दीपावली की ज्योति - प्रक्रिया, स्रोत एवं संरचना एक ऐसी सहृदयता एवं एकता पर आधारित है, जो सबको जोड़ कर चलती है। जिसमे दीपक की बाती स्नेहसिक्त व आशा का संचरण करती हो अन्यथा इसके बिना प्रकाश की कल्पना संभव नहीं। वर्तमान समय कहीं-कहीं नकारात्मकता और संवेदनहीनता का पर्याय बना हुआ है; उसमें इसकी और भी आवश्यकता है; क्योंकि इससे ही पर्यावरण सौंदर्यपूर्ण होगा।
यह 9 मिनट की दिवाली देश, समाज, व्यक्ति को जीवन के अनगिनत आयामों का नया रूप देती है ।कठिनाइयों एवं संघर्ष के बावजूद उल्लास व उजास के जो रंग भरे पड़े हैं; वह देखते ही बनेंगे।
हर दिया सृजन का प्रतीक है- कोरोना से लड़ रहे योद्धाओं के अदम्य साहस का। जिसके प्रकाश से हमसब निकट भविष्य मे निश्चित ही प्रकाशित होंगे।
- डॉ. रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
दिवाली अर्थात दीपो से उजाला करना ताकि अंधेरे से निजात पाकर उजाले में हर वस्तु को स्पष्टता से देख पाए और उसका सदुपयोग कर पाए जिससे आगे अंधेरा ना आए अर्थात जिंदगी में कोई अंधियारा समस्या ना आए यही लक्ष्य को पाने के लिए हमारे भारतीय संस्कृति में दीपक जलाने की प्रचलन है दीपक भारतीय संस्कृति में ज्ञान का प्रतीक भी माना जाता है ।जिस तरह अंधकार में हमें कोई चीज स्पष्ट नहीं दिखती है और हम चलते हैं तो कहीं ना कहीं वस्तु से टकराकर समस्याओं से घिर सकते हैं इसी तरह अज्ञानता से किया गया कार्य में भी समस्याएं आ सकती है ।दीपक ज्ञान का प्रतीक है ऐसा माना गया है दीपक जलाने से ज्ञान नहीं होता अंधेरा भगता है उजाला नहीं होता है लेकिन दीपक रूपी ज्ञान का दीपक अपने अंदर जलाने से जरूर ज्ञान की रोशनी में कार्य करेंगे तो समस्या से मुक्ति अर्थात सुख समृद्धि से युक्ति होंगे अपने अंदर ही अंधकार रूपी अज्ञानता से दूर होकर दीपक रुपी ज्ञान को जलाने से जरूर समस्या से मुक्ति होंगे ।वर्तमान में महामारी के रूप में कोरोना वायरस पूरे विश्व में फैला हुआ तबाही मचा रहा है। इस करो ना को अपने अंदर ही दीपक ज्ञान को जलाने अर्थात करो ना को दूर करने के लिए जो नियम बनाए गए हैं उसे पालन करना ही ज्ञान का दीपक स्वरूप में जलना है अतः दीपक के साथ-साथ अपने अंदर का दीपक जलाने की वक्त आ गया है। अवश्य दीपक जलाए अंधकार रूपी समस्या करो ना को भगाएं।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
लाकडाउन में नौ मिनट की दीवाली का महत्व यही है कि जबसे प्रधानमंत्री ने बोलासहै चर्चा में है ।विपक्ष हो या पक्ष गम्भीरता से ले रहा है ।अकेला दीपक अंधेरे में संकेत वाहक हैं यहां तो करोड़ों की बात है ।ऊपर अधिकांश लोग मानसिक रूप से तैयार कर चुके हैं ।अगर यह दीवाली कोरोना महामारी के विरुद्ध सामूहिक रूप से लडाई का संदेश देने में सफल हो गयी तो बहुत कुछ बदलेगा ।ग्रह नक्षत्रों के जानकार वैज्ञानिक धर्म गुरु मार्गदर्शक भी लाभकारी ही मान रहे हैं ।नकारात्मक बातें करने वाले उंगलियों पर गिने जा सकते हैं ।अतः मैं तो यही कहूंगा कि वर्तमान के युगपुरूष व प्रधानमंत्री मोदी का आह्वान सकारात्मकता ही देगा एक नयी ऊर्जा भी महामारी से लडाई में और विश्व को सन्देश भी सनातन भारत का उसकी परम्परा का संस्कृति का इसमें कोई संदेह करने का आधार नहीं है ।
- शशांक मिश्र भारती
शाहजहांपुर - उत्तर प्रदेश
" मेरी दृष्टि में " नौ का अपना महत्व है । जिस का नौ मिनट की दीवाली में प्रयोग किया गया है । जिस का सबंधन नौ ग्रहों से है । जो पुरी सृष्टि को नियंत्रण करते हैं ।
- बीजेन्द्र जैमिनी
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