कोरोना को हारना है तो लॉक डाउन में रहना होगा
कोरोना को हारना है तो सरकार के पास सबसे मजबूत उपाय लॉक डाउन है । जिस का पालन जनता का हर हाल में करना चाहिए । तभी सरकार कोरोना को हारने में सफल हो सकती है । हम सब को मिलकर लॉक डाउन को सफल बनाने के उपाय करने चाहिए । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय हैं। अब आये विचारों को देखते हैं : -
जी हाँ बिल्कुल कोरोना को हराने का सिर्फ और सिर्फ एक ही कारगर उपाय है सोशल डिस्टेंसिंग और वह लॉक डाउन से ही सफल होगा। लॉक डाउन को सफल करने में प्रत्येक व्यक्ति को सहयोग करना होगा। इसका जीता जागता उदाहरण हमारे सामने है राजस्थान का भीलवाड़ा शहर एक एक साथ कई सारे कोरोना केस मिलने के बावजूद भी लॉक डाउन की कड़ी पालना करवाके और बाद में कर्फ्यू का कड़ाई से पालन करवाके कोरोना की महामारी को बढ़ने से रोक दिया है। इस उदहारण को देश मे सभी जगह अपनाना होगा, तभी हम इस महामारी को हरा पाएंगे।
- ज्योति वाजपेयी
अजमेर - राजस्थान
यह बात तो सौ प्रतिशत सही है। यदि कोरोना को हराना है तो लॉक डाउन का पूरी निष्ठा, विश्वास और समर्पित भाव से पालन करना होगा।
अभी तक भी लोगों ने इसे उस गंभीरता से नहीं लिया है जितना की लेना चाहिए था। अभी तक कोरोना की सही दवाई सामने नहीं आई है। जो सौ प्रतिशत किया जा सकता है वह यह कि लॉक डाउन का नियम के अनुसार पालन किया जाए, सोशल डिसटेंसिंग रखी जाए, मास्क और सैनिटाइजर का उपयोग करना अपने स्वभाव और आदत में सदा के लिए शामिल कर लिया जाए, स्वच्छता के नियमों का पालन, साबुन से अच्छी तरह हाथ धोना...किया जाए, बिना जरूरत घर से बाहर न निकलें, निकले तो मास्क लगा कर निकलें।
अब जबकि कोरोना वैश्विक महामारी का रूप ले चुका है तो ऐसी स्थिति में हम सबका यह कर्तव्य बनता है कि सरकार, प्रशासन से पूरा सहयोग करें, लॉक डाउन का पूरा पालन करें। ऐसा करके ही कोरोना को हराया जा सकता है।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून - उत्तराखंड
जी, मैं बिल्कुल इससे सहमत हूं।इस महामारी का अब तक कोई दवा नहीं बन पाया है ।फलत: कुछ _ कुछ इसी प्रकार के नियम बनाए गये हैं इससे बचाव हेतु,तो हम सब को इसका अनुपालन अवश्य ही करना चाहिए,यही हम सब के हित में है ।चेन को तोड़ने हेतु व्यक्ति को घर में बंद रहना ही होगा । हां ये भी सही है कि गरीबों के लिए यह बहुत बुरा समय है क्योंकि उनकी रोजी-रोटी के लिए बहुत दिक्कतें आ रही हैं, सरकार या कुछ संस्थाएं मदद कर रहीं हैं, लेकिन वह पर्याप्त नहीं हो पा रहा है जो बहुत दयनीय स्थिति है । ऐसे बुरे समय में हम सब को मिलकर सहयोग करना है ,हम से जो भी बन पाए , हम अवश्य करें ।सारा विश्व बुरे दौर से गुजर रहा है,संकट की यह घड़ी सब पर भारी है । लेकिन हर रात की सुबह होती है। हमें होंसला बनाएं रखना है।अंत में यह बात सर्वप्रथम है ,,,,जान है तो जहान है । इसलिए सरकार के इस सराहनीय कदम में हम सब को साथ देना चाहिए और सारे बताएं जा रहें नियमों का पालन भी करना चाहिए तभी हम कोरोनावायरस से जंग जीत सकते हैं ।
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार
बंधन दुष्कर तो लगता है लेकिन परिणाम सुखद देता है । हम सबको भी यही मानना चाहिए कि यदि जीवन प्यारा है तो लॉक डाउन में रहें, अनावश्यक बाहर न निकलें । मन में ऐसे कोई विचार न आने दें जो नकारात्मक हों । इतना कीमती समय हमें मिला है इसका सदुपयोग करते हुए वे सब कार्य करें जिनके लिए समय का रोना रोते थे ।
हम सभी को कोई न कोई एक ऐसा कार्य अवश्य इन दिनों करना चाहिए जो आगे के दिनों में हम बता सकें कि लॉक डाउन की मेरी उपलब्धि ये है । योग को जीवन से जोड़ें, सद्साहित्य हमारे विचारों का अंग होता है । अब तो दूरदर्शन में भी रामायण व महाभारत का प्रसारण हो रहा है । सोचिए एक साथ त्रेता युग व द्वापर युग की जीवन शैली, संघर्ष व क्रियाकलापों को जानने का इतना सुंदर मौका पहले कभी मिला था क्या ?
हम तो सौभाग्यशाली हैं कि कुशल नेतृत्व हमारे साथ है जो मुखिया की भाँति परिवार भाव से जनता को महत्व दे रहा है अन्यथा विकासशील देश तो आज भी विकास की ओर ही बढ़ रहे हैं, उन्हें धन चाहिए जन धन नहीं ।
हम उम्मीद तभी खोते हैं जब जीत के नजदीक होते हैं बस थोड़ा धैर्य रखें तो अवश्य ही कोरोना का रोना समाप्त होगा और हम सब पुनः पूर्ववत जीवन जी सकेंगे ।
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश
कोरोनावायरस को हराना है तो लाक डाउन में रहना ही पड़ेगा
लाकडाउन के अलावा कोई विकल्प नहीं है। व्यक्तिगत समाजिक और राष्ट्रीय हित को सुरक्षित रखने के लिए सभी अपने अपने घरों में ही जीवन यापन करे। एकमात्र लक्ष्य है कोरोना को हराना है अपने आप को सुरक्षित रखना है। विदेशों का समाचार सुनकर थोड़ी परेशानी होती है कितना विकराल रूप धारण कर लिया है उसे नियंत्रित करना मुश्किल हो रही है ।
अनियंत्रित परिस्थितियों से अपने आप को बचाना हीं बुद्धिमानी है इसलिए लाक डाउन में रहना उचित है
- डाँ. कुमकुम वेदसेन मनोवैज्ञानिक
मुम्बई - महाराष्ट्र
बिल्कुल हंड्रेड परसेंट सच है यदि हमें इस महामारी से लड़ना है तो हमें लोग तो उनका पालन करना पड़ेगा क्योंकि ना तो उसकी कोई दवाई है और ना ही कोई टिक्का भी लगाया है उसका बस एक ही इलाज है कि हम स्वच्छता का ध्यान दें और सभी नियमों का पालन करें अपने आप को अनुशासित रखें तभी हमारी जीत होगी
- प्रीति मिश्रा
जबलपुर -मध्य प्रदेश
देश में निरंतर बढ़ती कोरोना मरीजो की संख्या को देखते हुए यह कहने में सन्देह नहीं कि कही ना कही हमारे द्वारा लॉकडाउन का पालन नहीं किया जा रहा जो कि अत्यन्त खेद का विषय है। कोरोना संक्रमण के प्रसार का एकमात्र कारण एक दूसरे के सम्पर्क में आने से फ़ैलना। परंतु यथास्थिति को देखते हुए भी हम अंजान बने रहते हैं और लॉकडाउन के नियमों की धज्जियां उठाते हुए घर से बाहर निकलते है जो कि सर्वथा अनुचित है। यदि हमें कोरोना नामक राक्षस का अंत करना होगा तो सर्वप्रथम हमें यह निश्चित करना होगा कि हमें अपने घरों से बिल्कुल भी बाहर नहीं निकलना है। हमे लॉकडाउन के नियमों का पूर्णत पालन करते हुए घरों में ही रहना होगा ताकि हम कोरोना को हरा सके।
- विभोर अग्रवाल
बिजनौर -उत्तर प्रदेश
यह वाक्य अकाट्य सत्य है।करोना को हराये बिना किसी को सुख चैन नही मिलेगा।वर्तमान मे हर जनता का लक्ष्य है करोना से निजात पाना। यह लक्ष्य तभी सफल होगा जब हर जनता समझदारी से ईमानदारी के साथ जिम्मेदारी लेकर लाक डाउन मे भागीदारी लेगा । करोना से बचने के लिए फिलहाल यही एक उपाय है।सभी जनता मानसिक तनाव से गुजर रहे है।लाक डाउन जनता कि सुरक्षा हेतु लगाया गया है।अतः सभी जनता को लाक डाउन का पालन करना हमारी ही सुरक्षा के लिए अनिवार्य है।लाक डाउन मे रह कर ही करोना को हरायेगे ।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
बिल्कुल सही कहा कोरोना को हराना है तो हमें लोग डाउन में रहना होगा क्योंकि यह संक्रमण वैश्विक महामारी का रूप धारण कर चुका है! सबसे बड़ी बात यह है कि इसकी वैक्सिंग भी तो तैयार नहीं हुई है !
आज विश्व की स्थिति को देखते हुए इस संक्रमण से बचना है और कोरोनावायरस पर विजय प्राप्त करनी है तो हमें लोग डाउन के नियमों का कठोरता से पालन करना होगा !
यदि कोरोना संदिग्ध है तो जनता को आइसोलेट कराने में मदद करनी चाहिए !हमारी मदद करने वाले हमारे योद्धा डॉक्टर ,पुलिस, सफाई कर्मचारी ,मेडिकल स्टाफ ,जो हमारी ,हमारे परिवार की जान बचाने खातिर दिन-रात अपने परिवार की चिंता छोड़ निःस्वार्थ भाव से सेवा कर रहे हैं हमें उनका हौसला बढ़ाने के साथ उनका सम्मान भी करना चाहिए ना कि उनकी अवहेलना कर उन्हें कष्ट पहुंचाना चाहिए!
माना कि मानव स्वार्थी होता है फिलहाल यह स्वार्थ वायरस को भगाने के लिए रामबाण का काम करेगा !आप लॉकडाउन में रह अपना और अपने परिवार का ख्याल रखें ! सोशल डिस्टेंसिंग रखें ,भीड़ में ना जाए ,बाहर जाना जरूरी है तो मास्क लगाकर जाए ,सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें ,बार-बार साबुन से हाथ धोकर सेनेटाइज़ करें ! कुछ दिनों के लॉकडाउन से इस वायरस को दूर नहीं कर सकते हैं किंतु बढ़ेगा तो नहीं ! कुछ दिन और संयम रखते हैं तो यह अवधि जिसे आप जेल और नजर कैद कहते हैं बढ़ भी सकती है और जान भी जा सकती है ! अपना नहीं तो उन गरीबों का तो सोचो जिन्हें चंद दिनों के लॉकडाउन से ही कितनी तकलीफ हो रही है खाना भी नसीब नहीं हो रहा है तो विचार कीजिए लॉकडाउन बढ़ने से क्या अवस्था होगी !
शायद हम भी उनकी कतार में आ सकते हैं यह समय एकता और सूझबूझ से युक्ति निकालने का है ताकि कोरोना जैसे वायरस को नाबूद कर सके देश से निकाल सके !
अंत में यही कहूंगी जान है तो जहान है !
इस संक्रमण की चपेट में आकर परिवार से हमेशा के लिए दूर हो जाने से अच्छा है चंद दिनों की दूरियां !
सच्चे योद्धा की तरह मुश्किलों का सामना करें और कोरोना को हराएं !
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
अपने" उसूल "कभी यूँ ही तोड़ने पड़े ,
खता जमातियों की है और लॉकडाउन हमें सहना ही होगा l
वर्तमान संकट काल में संयम बरतना होगा क्योंकि जान है तो जहान है l लॉकडाउन में हमें अपना संकल्प बिना विकल्प तलाशे निभाना है ,साथ ही साथ खुद को खतरे में डाल हमारी जान बचाने वालों के लिए शुभ मंगल कामना भी करना हमारा बोधि उत्तरदायित्व है l अफवाहें और अन्धविश्वाश लॉकडाउन के दौरान हमारा हौंसला तोड़ने में अपना "अहम "क़िरदार निभा रहें है l हमें इनसे सावधान रहकर संयम बनाये रखना है l लॉकडाउन का पालन करना है l कोरोना को हराना है तो इसकी संक्रमण चेन को तोडना लॉकडाउन का एक मात्र लक्ष्य है l
महर्षि कणद के अनुसार धर्म -"यतोभ्युदय निःश्रेयस सिद्धि स धर्म " जिससे अभ्युदय अर्थात लौकिक जीवन की उन्नति और आत्मकल्याण की प्राप्ति हो ,वही धर्म है l महाभारत में कहा है -प्रेम धर्म है किन्तु पिता ,पुत्र आदि से पहले वह अपने सुनागरिक होने का दायित्व नहीं निभाता ऐसा राष्ट्र पतन के गर्त में चला जाता है l इस महामारी के चलते मानव जीवन संकट में है ,हमें लॉकडाउन में इसी धर्म को धारण करना है l हमें अन्धविश्वास ,अति विश्वास एवं गलतफहमियों से दूर रहना होगा l लॉकडाउन में संवेदनशील ह्रदय की नितांत आवश्यकता है l
लॉकडाउन में रहने के लिए आवश्यकताओ पर नियंत्रण रखना होगा ,स्वार्थ के स्थान पर परमार्थ को अपनाना होगा l
आज मानव शरीर धारण किये रामचरित मानस उपचार है "विनय न मानत जलधि जड़ ,
गये तीन दिन बीत l
बोले राम सकोप तब ,
भय बिनु होय न प्रीत ll
अब हाथ जोड़कर विनय नहीं, अस्प्तालों में उपचार नहीं ,उनका उपचार "कृष्ण जन्म भूमि "में होना चाहिए l ऐसे समाज कंटक जो लॉकडाउन का मखौल उड़ाकर "प्राण "संकट में डाल रहे हैं ,उनका यही उपचार है l
लॉकडाउन के सार्थक परिणाम प्राप्त करने के लिए समय समय पर जारी एडवाइजरी का पालन आवश्यक है l
चलते चलते -
अपने "उसूल "हमें यूँ ही तोड़ने पड़े हैं ,
"खता "ओरों की है और हाथ हमें जोड़ने पड़ रहे हैं l
सितम तेरे बेहिसाब हैं ऐ कोरोना ,
पर सब्र हमारा भी कमाल है ऐ कोरोना l.
- डाँ. छाया शर्मा
अजेमर - राजस्थान
कोरोना वायरस को हराना है तो हम सबको घर में ही रहना होगा
कोरोना को हराना है तो घर के अंदर परिवार के साथ खुशी से रहना
शहर की सड़कें व मार्केट हुई पूरी तरफ से सुनसान: अधिकतर लोग अपने घरों में ही अपने परिवार के साथ हैं। हालांकि सुबह शाम
घरों के नीचे या बाहर आते हैं, लेकिन पूरा दिन घरों में ही रहते हैं और
यही प्रशासन ने उनसे अपील कर रखी है। इस कारण शहर की
सड़कों व मार्केट में पूरी तरफ से सन्नाटा छाया हुआ है। मात्र वे लोग ही सड़कों पर दिखे जिनकी ड्यूटी लगी हुई है, जोकि यह एक अच्छा संकेत हैं। इन 21 दिनों के लॉकडाउन के कारण ही सभी मिलकर कोरोना के वायरस को हरा सकते हैं।
लेकिन एक बात सौ फीसद सही साबित हो गई है कि इसे सोशल डिस्टेंसिंग से रोका जा सकता है. जिन देशों ने भी इस पर क़ाबू पाया, वहां यही हथियार अपनाया गया है. भारत में भी सोशल डिस्टेंसिंग करने को कहा जा रहा है. और इसीलिए सरकार को लॉकडाउन करना पड़ा. लेकिन ये सोशल डिस्टेंसिंग आख़िर कब तक चलेगी?
पिछली सदी की शुरुआत में जिस वक़्त पहला विश्व युद्ध ख़त्म हो रहा था, तो एक वायरस ने दुनिया पर हमला बोला था. जिसने दुनिया की एक चौथाई आबादी को अपनी गिरफ़्त में ले लिया था. इस महामारी को आज हम स्पेनिश फ्लू के नाम से जानते हैं. पूरी दुनिया में इस महामारी से पांच से दस करोड़ लोगों की जान चली गई थी.
यह भी महामारी है इससे बचने का सुरक्षित रहने का इलाज है अपने साथ रहो घर के अंदर रहो बहार लोगों के सम्पर्क से बचे ।
स्वच्ंछता का ध्यान दे , जब तक इसकी दवाई नहीं आ जातीं उपचार कारगार नहीं होता ।
एक मात्र उपाय है अपने को घर में बंद रखो ।
मैंने एक हल्के मूड की कविता लिंखी है बहनो के लिये मूड फ़्रेश करें ?
लाकडाऊन का मज़ा .,
सखी ..
सखी तुम डटी रहो
एसी में पड़ी रहो
पति देव चाय बनायें
चाय का लुफ्त उठाओ
नहाने की चिंता मत करो
काम पर जाने का झंझट नहीं
मोबाईल पर बतियाती रहो
सासू माँ चिल्लायेंगी
हार कर चुप हो जायेगी
ससुर कुछ कहे तो चुप रहना
पर महामारी का ख़ौफ़ बताना
हाथ धुला धुला तंग करना
परेंशान हो थक जायें
तब सुला देना ।
तुम आराम से पिक्चर देंखना
सखी तुम डटी रहो
ए सी में पड़ी रहो
पति देव कहे कुछ
लाकडाऊन जीवन भर
मैंने निभाया
निभाती आई , तुम डर गये
बचे दिन काम तुम करो
आराम हमें करने दो
सुबह की जल्दी नहीं
रात देर तक टी वी देखो
संग न साथीचाहिंए
कोरोना ने एक काम
अच्छा किया ।
आज़ादी का समय दिया
जब तक लाकडाऊन
सखी तुम डटी रहो
ए सी में पड़ी रहो
सखीयों से बतियाती रहो
काम की चिंता छोड़ो
पति देव से कराती रहो
हाथ बार बार धुलवाती रहो
किचन के काम करवाती रहे
लाकडाऊन का कुछ तो मज़ा लो
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
लॉक डाउन को हराने केलिए बंदिश समाप्त होने के बाबजूद संयम बरतना होगा। जनमानस को अपने दिमाग में फिर भी कोरोना का डर समाय रखना होगा । नहीं तो जिस तरह चीन दुबारा उसके उभरने से परेशान है, हम भी परेशान होंगे।
एक-दूसरे से दूरी ही सच्चा निदान है। क्योंकि यह महामारी किसी भी कोने से आगे की यात्रा शुरू कर सकती है। यह छूत की बीमारी है। बिना सम्भावित सुरक्षा के विकराल रूप धारण कर लेती है ।
अतः उसके बाद भी सावधानी बरसों तक बचाव करेगी ।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
लाकडाउन को लेकर जब देश समाज व सोशल मीडिया में बहुत से सवाल हैं तो लाकडाउन के पालन को लेकर मेरा जबाब हां है।आजकल की देश की परिस्थिति में इसके अलावा कोई रास्ता भी नहीं है ।समाजिक सहयोग की आवश्यकता है ।बिना किसी पूर्वाग्रह के सभीको सहयोग करना होगा ।अभी तक कुछ लोग जैसा कर रहैं पुलिस की गतिविधियों के आधार पर अन्दर बाहर हो रहे हैं या दीर्घ व दूर का आवागमन छुपा रहे हैं उससे काम न चलेगा ।
अनुरोध सहयोग का प्रदर्शन आग्रह बहुत हो गया ।अब सख्ती की आवश्यकता है ।एक परिवार से एक ही सदस्य को वह भी एक बार बाहर निकलने की अनुमति हो जगह जगह कंट्रोल रूम बना अतिसंवेदनशील जगहों की ड्रोन से निगरानी की जाये ।
लगातार नियमों की अवहेलना कर लोगों को कम से कम तीन महीने के लिए जेल भेज दिया जाए अथवा नजरबंद हों ।
अभी नहीं तो कभी नहीं की स्थिति में हमारा देश आ खड़ा हुआ है ।अतः कोरोना से युद्ध जीतना होगा ।लाकडाउन या कोई अन्य नियम मानना ही चाहिए ।
- शशांक मिश्र भारती
शाहजहांपुर -उत्तर प्रदेश
लॉकडाउन का पंद्रहवाँ दिन है। आज हनुमान जयंती भी है । हिमालय से बजरंगी हनुमान मूर्छित लक्ष्मण के लिए संजीवनी लाए थे । भारत की कुछ यूनिट हिमाचल प्रदेश , गुजरात में यह दवा हाइड्रोसीकलरोकुयीन की मांग दुनिया में है । जो कोरोना के लिये रामबाण है । भारत विदेशों की इस मांग को जनहितार्थ पूरी करेगा ।
कोरोना को लेकर देश में लोगों की चिंता बढ़ रही है क्योंकि कोरोना ने देश के ग्राफ को बढ़ा दिया है ।देश में कोरोना के 5119 सक्रिय मरीज हैं । जिससे लाकडाउन हटाने का सवाल नहीं पैदा होता है । यह व्यवस्था जीवन
बचाने के लिए की है । हमें इन पाबंदियों का पालन करना है इसलिए लाकडाउन पार्ट - 2 सरकार तैयार करेने में लगी है ।
जमाती अस्पतालों में उत्पात मचाने में लगें हैं । वे अपना पिशाब बोतल में भर के अस्पताल की खिड़कियों से सुरक्षा अधिकारियों पर फेंक रहे हैं । अमानवीयता की गंदी हरकत दुनिया को शर्मसार कर रही है ।
लोग मरकत , मस्जिद में जमे हैं ।
अब वायरस को जहाँ बैठा उसे हटाना है । इससे पहले भारत के सुवर्ण दिन 14 दिन थे जब हमने हेल्थ की देखभाल की है । यानी अधिकतर भातवासी लाकडाउन में रहें । लाकडाउन से ही वायरस काबू में रहेगा ।
कोरोना संक्रमित लोगों के घरों में जांच , निगरानी की जाएगी ।
भीलवाड़ा मॉडल की तैयारी अब सभी राज्यों को करनी होगी । भिड़वाड़ा कभी एपीसेन्टर था । भिड़वाड़ा में सरकार ने कर्फ्यू लगा के सोशल डिस्टेंसिंग करवाया ।बफर जॉन बनाया । स्वास्थ्यकर्मियों के देख रेख में मरीजों को रख के कोरोना की जाँच करके कोरोना पर काबू पाया ।
उत्तरप्रदेश में कोरोना हॉटस्पॉट 15 जिलों पर 15 अप्रैल तक पाबंदी रहेगी । सभी हॉटस्पॉट को सेनिटाइज किया। इन स्थानों पर दुकान बैंक नहीं खुलेंगे । कोरोना के फैलाव को रोकना है । भारत में कोरोना के 80 प्रतिशत मामले माइल्ड है ।
कोरोना के सभी सुरक्षा के नियमों का पालन करना है ।इसे फिर से गंभीरता से अपने जीवन में उतारना है । तभी जीवन बचेगा ।
उत्तरप्रदेश के 15 जिलों को हॉट स्पॉट किया है । सभी इन इलाकों को सील किया जाएगा । कोरोनो से पीड़ित लोग के लक्षण नजर आने पर डॉक्टर को बताते नहीं रहे है ।
कुछ भोली जनता को यही नहीं मालूम लाकडाउन क्या है , क्यों लगा?
यह दशा भारत की सोचनीय है । इन्हें जागरूक करना होगा ।
मिस इंग्लैड का ताज पहनने वाली भाषा सिंह ने ताज उतार के उसी अस्पताल में कोरोना से लड़ने के लिए डॉक्टर बनकर मरीजों की सेवा करने में जुट गई है
- डॉ मंजु गुप्ता
मुंबई - महाराष्ट्र
सब कुछ तभी अच्छा,महत्वपूर्ण और उपयोगी है,तब तक जीवन है। जीवन सब व्यर्थ, निरर्थक। अतः जीवन के लिए कठिनाई सहनी पड़े,संघर्ष करना पड़े तो कोई अनुचित नहीं। कोरोना को हराना है तो इस सहज और सरल विकल्प को अपनाना और निभाना होगा। ये संकट का समय है,यूँ कहकर मन को समझा सकते हैं, ये रात है,इसके बाद सुबह होगी ही,उजाला ही उजाला होगा, आज के पल, कल यादें बनकर रह जायेंगी। अतः उत्साह से, संजीदगी से ,हिम्मत और हौसले के साथ लॉक डाउन में रहें यह हमारे व्यक्तिगत,पारिवारिक, सामाजिक और राष्ट्रीय हित में है। अच्छे इंसान और सच्चे नागरिक बनकर दिखलाने का समय है। प्रेम और एकता के साथ रहते हुए सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाने में सहयोग और कर्त्तव्य निभाने का है।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
" मेरी दृष्टि में " लॉक डाउन को सफल करने के लिए सरकार से अधिक जनता को अपनी भूमिका निभानी चाहिए । तभी हम कोरोना को हारा देगें
- बीजेन्द्र जैमिनी
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