कोरोना के चलते घर में रहने वालें बहुत ही बहादुर भारतीय हैं
कोरोना के चलते जो लोग घरों मे रह कर लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं । वह वास्तव में भारतीय है । जो अपनी सुरक्षा के साथ - साथ हर भारतीयें को सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
कोरोना के चलते लॉक डाउन में घर में रहना वाकई बहुत ही बहादुरी का काम है !शत प्रतिशत भारतीय बहादुर है!
हमारी भारतीय संस्कृति और संस्कार इतनी सशक्त है कि कैसी भी परिस्थिति का सामना करने को सदा तत्पर रहती है और विजय का बिगुल सुन प्रथम ईश्वर का आभार करती है !
आज कोरोना के चलते संपूर्ण विश्व सहम गया है भारत ने पहले ही इस महामारी से लड़ने के लिए कमर कस ली थी! देश में लॉकडाउन होते ही जनता ने अपने राजा द्वारा की गई विनती का निष्ठा से पालन किया और कर रही है !
अखंड भारत की इस एकता की शक्ति से पूरा विश्व चकित है!
लॉकडाउन में महीनों घर पर रहना कोई खेल नहीं है ! लंबी बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति एक ही जगह रहकर डिप्रेशन में आ जाता है तो काम करने वालों के लिए तो बहुत ही कठिन है किंतु संयम और धैर्य का पाठ पढ़ते हुए तरह-तरह के नये नये तरकीबों के साथ अपने हुनर को निखारते जाते हैं एवं अपनी मुश्किलों को कम तो करते हैं साथ ही दूसरों का सहयोग करने में भी पीछे नहीं रहते!
हमारा भारत कृषि प्रधान देश है मजदूरी ,परिश्रम ही उनका धन है लॉक डाउन में सभी अपनी हैसियत के अनुसार भोजन दवाइयांऔर सेवा दे अपने देश की इस मुश्किल की घड़ी में मदद कर रहे हैं ! मानाकि लॉक डाउन में कठिनाइयां बहुत आ रही है पर ढाल बनकर हमारी पुलिस, डॉक्टर ,सफाई कर्मचारी 24 घंटे अपनी जान की परवाह किए बिना सेवा दे रहे हैं लॉक डाउन में मानसिक संतुलन बनाए रखना कोई खेल नहीं है किंतु सभी एक दूसरे का साहस बढ़ा ,संयम और धैर्य बना दृढसंकल्पता लिए आगे बढ़ रहे हैं ! इसके साथ की कोरोना की चैन को तोड़ हमें विजयी होना है !
लॉक डाउन में हमें अपने समय का सदुपयोग कैसे करना है जो लोग स्वयं से नहीं समझते तो इसका उपाय बताने में भी हमारे जवान और पुलिस हमारी मदद करती है !घर परिवार के साथ हंसी खेले अपना शौक पूरा करें योगा करें पर बाहर ना निकले घर में रहकर यदि हम किसी को संक्रमित कर संक्रमण नहीं फैलाते तो हम सच्चे फौजी हैं !
हम भारत के नागरिक अपने संस्कार को लेकर ही चलते हैं हम अपना बचाव तो करते हैं साथ ही दूसरों के भले के लिए और मदद के लिए तत्पर खड़े रहते हैं ! आज भारत ने अपने बहादुर भारतीयों का साथ और एक दूसरे के प्रति दया ,सेवा ,सहयोग, एकता और जाति भेदभाव रखे बिना कोरोना की चैन को तोड़ने का पूर्ण प्रयत्न आत्मविश्वास के साथ कर रहे हैं !
भारतीय संस्कार में विनम्रता कूट-कूट कर भरी है धैर्य संयम और विनम्रता के गुण होने से ही आज हम मानसिक संतुलन बनाए रखे हैं !
माना कठिनाई आने से आदमी डर जाता है पर कठिनाई आने पर ही व्यक्ति मजबूत होना सीख जाता है ! हमें इसके संक्रमण से दूर रहना है व्यक्ति से नहीं !
अंत में मैं बहादुर भारतीयों को नमन करती हूं जिन्होंने इस विकट परिस्थिति में भी अपना मानसिक संतुलन बरकरार रखा और एक दूसरे का साथ दें इस महामारी में एकता की मिसाल बनाए रखने में सफल रही! साथ ही भारत के डाक्टर, नर्स ,सफाई कर्मचारी, पुलिस जिनकी सेवा अनवरत और निःस्वार्थ है उन्हें शत नमन करती हूं जो ईश्वर से कम नहीं है!
भारत देश को पूर्ण विश्वास है जंग में बहादुर भारतीय जांबाज के समक्ष कोरोना ज्यादा दिन नहीं टिक पाएगा!
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
आजाद पंक्षियों को यदि पिंजरे में बंद कर दिया जाये तो बहुत फड़फड़ाते है और पिंजरे से बाहर निकलने की पूरी कोशिश करते है। ऐसे ही हालत सभी मनुष्य का हो गया है और उसे बन्द पक्षी की फड़फड़ाना समझ मे आ गया। क्योंकि लॉक डाउन में घर भी पिंजरे के समान हो गया है। जरा भी बाहर निकलने की गलती की और पकड़े गए तो मुर्गा बनना तय है और डण्डे अलग से। मगर विश्वस्तर में देखा जाए तो कोरोना वायरस से बचने के लिए दबाब या बिना दबाब के लोग घर पर ही रहे। सबसे ज्यादा मेहनती हमारे भारतीय ही है जो घर मे बैठना पसंद नही करते । चाहे भले बाहर चार दिन और काम करवा लो। और यदि कोई भारतीय घर मे लॉक डाउन की वजह से घर में बन्द की तरह रह रहा है।यह बड़ा बहादुरी का काम है।
- राम नारायण साहू "राज"
रायपुर - छत्तीसगढ़
मैं इस विषय में अपने विचार प्रकट करते हुए यही कहना चाहूंगी कि जब आपदा सिर पर मंडरा रही होती है, उस समय संयम की आवश्यकता होती है। ऐसे समय में धैर्य और बुद्धिमानी ही सच्चे साथी होते हैं। यहां यह कहना कि घर पर रहना बहादुरी की बात है, कुछ जमता नहीं है। मुझे लगता है,घर पर रहना बुद्धिमानी और दूरदर्शिता की बात है। जो व्यक्ति समझदार होगा वह सबसे पहले अपना हित देखेगा, उसके बाद अन्य किसी का।
सामाजिक दूरी बनाए रखना आज के समय की मांग है। इससे सबसे अधिक फायदा व्यक्ति विशेष का स्वयं का ही होगा। सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए आज लॉक डाउन जैसी विधि कारगर सिद्ध हो रही है। माना मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, समाज से भिन्न उसकी कल्पना नहीं की जा सकती परंतु वर्तमान में उसे सामाजिक नहीं घरेलू प्राणी बनने की आवश्यकता है, इसके लिए किसी बहादुरी की नहीं सिर्फ और सिर्फ समझदारी की आवश्यकता है। कोरोना जैसी भीषण और विश्वव्यापी महामारी से बचने का सबसे सरलतम और सुगम उपाय यही है।
- डॉ.विभा जोशी (विभूति)
दिल्ली
घर में रहना इसलिए ज़रूरी है कि हम कभी अपने घर को धन्यवाद भी तो दे सकें। अक्सर हमारे बहुत करीब की चीजे बिना महत्व पाए ही रह जाती हैं। हम अपने सारे सुख घर के बाहर की दुनिया में ही ज्यादा ढूंढते हैं। इस बार किसी नकारात्मक वजह से ही सही लेकिन हमको घर में ही रहना पड रहा है। इस बार घर में रहना इसलिए बहादुरी का काम है क्योंकि पहले से पता नही था और एक दिन अचानक सब कुछ थम गया। पता नहीं किस घर में क्या तैयारी थी और क्या कमी थी। जैसे बिना हथियार के ही कोई युद्ध लड़ना हो और दुश्मन के बारे में भी कुछ पता नही हो बस एक अंजान भय के सिवाय। ऐसे में घर में रहना भी एक बहुत बड़ी बात हो गई है। कुछ ऐसे भी जाबाज हैं जो अपने ही घर नही जा पा रहे है और मैदान में रहकर ये खतरनाक युद्ध हम सबकी खातिर लड़ रहे हैं।
जो लोग इस समय घर में ही रुके हुए हैं वे प्रत्यक्ष रूप से अपना और अप्रत्यक्ष रूप से दूसरों का भी फायदा कर रहे हैं। कभी कभी बाहर न निकलना भी बहादुरी का काम होता है जो इस समय सभी लोग कर रहे हैं। उम्मीद करें कि हम सब इस युद्ध को जल्द ही जीत जाएं।
- मनोज पाँचाल
इंदौर - मध्यप्रदेश
भारतीय नागरिकों ने दिखा दिया जरुरत पड़ने पर हम
क्या नहीं कर सकते घरों में भी बंद रह सकतेहै देश यदि संकट में हैं तो हम उसके साथ है चाहे हमें लाखों करोड़ों का नुक़सान ही क्यों न उठाना पड़े , समाज के हित की , देश के हित के लिये और अपने हित के लिये घरों में बंद है भारतीय नागरिक,
वाक़ई बहुत बहादुरी का काम है
जो आदमी १० मिनट भी घर में न बैठ सकता हो वह ४० दिन से घर से न निकले यह बहादुरी ...और नहीं तो क्या है ?
विश्व मानवता पर कोरोना के रूप में आए संकट को लेकर लोगों से जागरुकता, अनुशासन व सेवा का व्रत धारण करने का आह्वान किया गया था , लोगों से अपील की थी कि वह संकट की इस घड़ी में भयभीत होने की बजाय सतर्क व जागरुक बनें। वह शासन व प्रशासन द्वारा बनाए गए नियमों व दिए गए निर्देशों का पालन करें।
जागरुक व अनुशासित जीवन जी कर ही हम इस संकट से निपट सकते हैं। लाकडाऊन फैसले का स्वागत करते हुए शासन व प्रशासन को हर तरह का सहयोग देने की बात कही थी और यह भी कहा था जनता से भी अह्वान किया है कि वह संकट की इस घड़ी में आस पड़ौस में रह रहे जरूरतमंद लोगों की सेवा के लिए आगे आएं और नियमों का पालन करते हुए उनका सहयोग करें। कोरोना का संकट भयावह जरूर है परंतु इससे डरने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने संकट की घड़ी में ईश्वर की भक्ति ही सर्वश्रेष्ठ मार्ग है। इसी संदेश पर चलते हुए समाज के सभी लोग अपने-अपने घरों में रहते हुए परिवार के साथ अपनी-अपनी आस्था व विश्वास के अनुसार ईश्वर से इस संकट से निकालने की प्रार्थना करें और समय-समय पर विशेषज्ञों, चिकित्सकों, प्रशासनिक अधिकारियों के दिशानिर्देशों का पालन करें।
और भारतीय जनता ने सहयोग कर अपनी बहादुरी का परिचय दिया ।
घर से निकलना मना ....
लाकडाऊन है शहर में
कैसे बहार जाऊ
कैसे सेहत मनाऊ
घर में रह रह कर
मन बहुत घबराता
पर मैं हिम्मत रँखू
कोरोना से लड़ना है
घर में ही रहना है ,
असम्भ को सम्म्भव कर
बहादुर बन जाऊँगी ...
मंदिर भी जा न पाऊँ
कैसे दर्शन पांऊ माँ
कैसे मंदिर आंऊ
मन में मेरे भय समाया
दिन दुखियों का तुम्ही सहारा
बाहर फैला वायरस है
चेहरे सबके है उदास
बहार ज़रा टहल आऊँ
खुली हवा में घूम आऊँ
दूर दूर तक सन्नाटा है
पुलिस का पहरा तगड़ा है ।
दुख ने सबको घेरा है
दूर रहने की लक्ष्मण रेखा है ।
नयन तरस रहें हरियाली को
मन बहार जाने को बैचेन ....
अश्रु भरे नयनों से
जीवन मरण के भँवरजाल में
झूल रही सबकी नैया
छुट रही पतवार हाथ से
कोँई नहीं बचा खिवैया
कैसे बच पायेगा संसार
इस महामारी से
पाप पुण्य के फेर में
अब न हमको डालो
सुध बुध जगत की लो माता
आसरा तेरा ही नज़र आता
अतंरआत्मा चीख चीख कर
पुकारती है ,
मन के भाव अर्पित करती है ।
भावों से करती पूजन हू्
मन से करती वंदन हूँ ।
सुन लो मेरी आराधना
बंद करो लाकडाऊन
सबका कल्याण करो
खोल दो अपने पट
हमको को भी बंधन से
आज़ाद करो
दिखा दी हमने अपनी बहादुरी
40 दिन का लाकडाऊन अब
तो ख़त्म करो,
डॉ अलका पाण्डेय
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
भारतीय ही बहादुर, की जगह भारतीय भी बहादुर, होता तो ज्यादा उपयुक्त होता। खैर, कोरोना संकट में, बहादुर वह हर व्यक्ति है जो इससे किसी भी मोर्चे पर लड़ रहा है। इसमें किसी एक इकाई को कम बहादुर आंकना,मानना और कम कहना बेमानी होगा, क्योंकि यदि एक भी इकाई कमजोर पड़ी तो कोरोना रूपी शत्रु हावी हो जाएगा। आज देश में चिकित्सक, नर्स, प्रशासन, शासन, मीडिया,कर्मचारी, और व्यापारी जिस प्रकार से कोरोना संकट से उबरने के लिए एकजुट हो संघर्षरत हैं, उस विषम परिस्थिति में उन लोगों का योगदान भी कम नहीं है, जो अपने घरों में है, बाहर नहीं निकल रहे हैं। शासन के सभी आदेशों का अक्षरश: पालन कर रहे हैं क्या इन्हें हम बहादुर न माने? वह हर व्यक्ति बहादुर है जो इस समय कोरोना से किसी भी मोर्चे पर किसी भी स्तर पर मुकाबले में खड़ा है इस तरह घरों में रहने वाले भी बहादुर हैं। जो कथित बहादुर बाहर निकलने की गलती कर बैठे वो स्वयं संक्रमित हुए और उन्होंने कितना संक्रमण फैलाया। कल्पना करें, यदि ये लोग सड़कों-गलियों में होते तो कोरोना किस गति से फैलता? कितनी जनहानि होती? सबका अपना महत्व,अपना स्थान है।देश,काल, परिस्थितियों के अनुरूप अपने शत्रु से लड़ कर,विजय प्राप्त करने वाला ही बहादुर होता है। इस समय हर व्यक्ति बहादुर है,हर व्यक्ति सेनानी है।क्योंकि इस शत्रु को हराने का एक ही उपाय है घरों में रहिए। शासन प्रशासन का सहयोग करते हुए,सब घरों में रहे और बहादुरी का परिचय दें।
- डॉ अनिल शर्मा'अनिल'
धामपुर -उत्तर प्रदेश
घर में अपने आप रहने वाले हम हम भारतीय लोग बहुत बहादुर हैं। हम लोगों की दिनचर्या और जरूरतें बहुत सीमित होती हैं हम लोग आवश्यकता पड़ने पर अपनी और अपने पड़ोसी पड़ोसी देश की मदद करते हैं । युद्ध के समय भी जब कठिन से कठिन परिस्थितियां होती हैं तब भी हम लोग अपना संयम नहीं खोते और अपने मन को एकाग्र चित्त करके उस समस्या का समाधान ढूंढते हैं। हमारे वेद ग्रंथ इतने विशाल हैं कि उसमें हमें मन की शांति और समस्याओं से लड़ने के बहुत सारे तरीके भी दिए हुए हैं सबसे बड़ी बात हमें यह भी सिखाई जाती है कि मन के हारने से हार होती है और मन के जीतने से जीत।
हमारी प्रकृति सूरज और चांद भी हमें यही सब सिखाते हैं रोज चलना और अपने कर्म पर डटे रहना। हमारे आसपास की छोटे-मोटे जीव पक्षियों को भी देख कर हम यह सीख सकते हैं वह सब अपने घोसले में रहते हैं अपने बच्चे और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए हर उचित प्रयास करते हैं।
पाश्चात्य सभ्यता की होड़ में हम बहुत आगे निकल गए थे उन्हीं सब का यह नतीजा है कि अब हमें अपने आप को सीमित रखने का समय आ गया है आपदा कोई ना कोई सबक सिखाती है।
यह जीवन अनमोल है और इसकी मूल को हमें समझने के लिए अपने आप को सीमित कर लेना चाहिए।
सीताराम सीताराम कहिए जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिए।
- प्रीति मिश्रा
जबलपुर - मध्य प्रदेश
यह सच्चाई है कि वर्तमान समय में लॉक लोक डाउन के कारण लोग अपने घरों में ही सीमित होकर रह गए हैं । इसके पीछे दो महत्वपूर्ण कारण हैं-1- भय अथवा डर 2- मजबूरी ।
लोगों को घरों में सीमित इसलिए रहना पड़ रहा है कि उनके मन में यह भय रहता है कि कहीं वे कोरोना वायरस से संक्रमित ना हो जाए और उनके सामने मजबूरी यह है कि अगर वह बाहर निकले तो कानून अथवा पुलिस उनके विरुद्ध कार्यवाही करेगी। ऐसी स्थिति में अपने -अपने घरों में सीमित होने का काम लोगों को करना पड़ रहा है। अब इस स्थिति को कोई मन से स्वीकार तो करने वाला नहीं है।जब उपरोक्त दो कारणों से लोग घरों में सीमित है तो इन्हें बहादुर कहना कहां तक उचित होगा। दरअसल, इस तरह घर में रहना किसी को मन से स्वीकार नहीं है। लोग एक-एक दिन गिन-गिन कर काट रहे हैं कि कब उनकी दैनिक गतिविधियां प्रारंभ हो ।अगर ऐसी स्थिति में रहना कोई मन से स्वीकार कर लेता है तो उसे बहादुर कहा जा सकता है ।मजबूरी अथवा भय -डर की स्थिति में नहीं।कहते भी हैं कि मजबूरी का नाम महात्मा गाँधी ।
- डाॅ अरविंद श्रीवास्तव 'असीम '
दतिया - मध्य प्रदेश
लॉक डाउन के समय घर मे रहकर सरकार द्वारा बनाये नियमो का पालन कर रहे है । सच्चे बहादुर भारतीय है जो अपने देश पर आयी संकट कालीन स्थिति का मुकाबला कर २हे है। लॉक डाउन के चलते रोजगार ठप हो गये हैै मजदूरो को मजदूरी नही मिल २ही आर्थिक स्थिति खराब है | फिर भी बहादुरी से कर्तव्य पालन करने में लगे है कोरोना में घर से बाहर नही निकलना सभी नियमो का पालन मुँह पर मास्क लगाना बार बार हाथ धोना सोशल डिस्टेशिगं का पालन जिस प्रकार सीमा पर जवान दुश्मन से लड़ने को हमेशा बहादुरी से तैयार रहते है। वैसे ही मेरे देश के भारतीय कोरोना से जंग लड़ने को घरो मे बैठे है। बड़ी बहादुरी के साथ इस संकट के समय का मुकाबला कर २हे है। घरो मे रहेगे सुरक्षित तो देश रहेगा सुरक्षित हम सभी को बहादुरी से इस कोरोना संक्रमण को हराना है प्राचीन से भारतीय बहादुर है हमारे पूर्वज प्राचीन काल से दी ऋषि मुनि बरसो गुफा मे रहकर तपस्या से आत्म बल की प्राप्ति करते थे जिससे उन्हे किसी भी संक्रमण का असर नही होता था हमे भी प्रति रक्षा प्रणाली का प्रयोग करके २हना हैै और घरो मे रहकर पूर्वजों के नियम का पालन करना है । हम बहादुर थे बहादुर है
इसी बहादुरी के साथ कोरोना को हरा देगे।
- नीमा शर्मा हँसमुख
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
प्रिय घर पर रहने वाले बहादुर महोदय जैसा कि सर्वविदित है। इस संसार में कोई सबसे शक्तिशाली प्राणी है तो वह आप हैं। और यह आपको ज्ञात है। बस नहीं जानते तो आपके घनिष्ट शत्रु श्री मान कोरोना। और इसी बात का है रोना।
खैर अब आपके रोने की शक्ति से तो आप कोरोना को हराने से रहे नहीं।
हाँ शादी शुदा लोग गुस्सा पीकर भी रह सकते हैं। क्योकि गुस्सा निकाला तो साथ में शरीर की गर्मी भी निकल जाएगी और आपके शत्रु मि. कोरोना उसकी क्वालिफिकेशन के अनुसार आप एक योग्य शिकार बन जायेंगे।
तो शिकार ना बने इसके लिए आपको पूरा पौष्टिक भोजन करना है। सबसे बड़ी बात घर पे ही करना है। और एक बात पौष्टिक बोले तो गाजर मूली टमाटर का प्रयोग। क्योंकि नागरिक महोदय पौष्टिक भोजन आप और आपके शत्रु मि. कोरोना से भी ज्यादा शक्तिशाली है।
तो आप से सिर्फ इतना सा अनुरोध आपका जीवन आपके हाथ मे,
और उम्मीद है जो देश से प्रेम करता है, अपने परिवार समाज से प्रेम करता है और अपने आप से प्रेम करता है। वह अवश्य यह बात समझेगा। आखिर आप हैं भी समझदार बस अपने ऊपर शक ना करें।
- राघव तिवारी
कानपुर - उत्तर प्रदेश
बहादुर भारतीय नागरिकों को सैलुट करतीं हूं उन्होंने देश की एकता अखंडता संप्रभुता और निजता का सम्मान करते हुए अपनी वीरता का परिचय दिया है ।अपने आदरणीय प्रधानमंत्री के आवाह्न पर लाक डाउन होकर कोविड१९ को हराने का संकल्प लिया है ।इसे भारतीय संस्कृति और सभ्यता का एकमात्र लक्ष्य माना गया है ।बचपन से ही अनुशासन में रहने की शिक्षा हर इंसान को दी गयी है।ये बहादुर भारतीय को परिस्थिति के अनुरूप स्वयं को बदलना आता है।
इस समयावधि में हर घरों में तरह तरह-तरह के पकवान बनाने के लिए गृहिणी तत्पर रहतीं हैं इसके अलावा बहुत अन्य भाभी को उभारने में व्यस्त हैं कोई गाना गा रहा है तो कोई बागवानी में व्यस्त हैं । कम बजट में भी भली-भांति समझदारी के साथ जीवन गुजार रहे हैं। प्राथमिकता जीवन बचाना है रुप रंग भाषा अनेक है फिर भी हम एक हैं ऐसे गौरवशाली गरिमापूर्ण भारतीय नागरिकों को नमन करते हैं
- डॉ.कुमकुम वेदसेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
जो व्यक्ति जीवन में विपरीत परिस्थितियों से युद्ध करने वाले कारकों का सहयोग करता है, अप्रत्यक्ष रूप से वह उन बहादुर योद्धाओं को शक्ति प्रदान करता है। इसलिये जो लोग घर में रह रहे हैं वे भी एक प्रकार से कोरोना योद्धाओं के समान ही बहादुरी का कार्य कर रहे हैं।
कोरोना से बचाव के लिए 'घर में रहना' सर्वोत्तम उपाय है। शासन ने अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए 'लाॅकडाउन' की व्यवस्था बनायी है परन्तु 'घर में रहने' के नियम का पालन स्व-नियंत्रण से ही सम्भव है।
बंदिशें, पाबन्दियां भला किसी को कहां अच्छी लगती है,
पर देश हित में हों बंदिशें तो आजादी कहां अच्छी लगती है।
संकल्प सामाजिक हित में 'स्व-नियंत्रण' का है बहादुरी,
हृदय पर कोरोना की सत्ता कहां अच्छी लगती है।।
इस प्रकार जो व्यक्ति आत्म-नियन्त्रित हो जाता है तब उसके मन-मस्तिष्क को इतनी शक्ति मिल जाती है कि वह 'बहादुर' कहलाने योग्य हो जाता है।
क्योंकि....
आत्म नियन्त्रण मानव के आत्मबल को बढ़ाते हैं,
आत्मबल ही अनुशासित रहना सिखाते हैं।
उच्छृखंलता है पहचान कायर होने की ऐ मानव,
स्वानुशासित मानव ही 'बहादुर' कहलाते हैं।।
इस प्रकार मेरे विचार में कोरोना के चलते घर में रहने के नियम का पालन करने वाले 'बहादुर' भारतीय हैं।
- सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
एक तरफ कोरोना के चलते पूरे विश्व में हर रोज हजारों की संख्या में लोगों की मौत हो रही है। विश्व मे कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या 26 लाख से भी अधिक हो गई है। दुनिया मे 2 लाख 1 हजार लोगों की मौत हो चुकी है।
इसी तरह भारत मे कोरोना से 824 लोगों की मौत व 25 हजार संक्रमित है। अच्छी बात यह है कि देश मे कोरोना से 5 हजार 800 लोग ठीक भी हुए हैं। कोरोना संक्रमण महामारी में हर लोग अपने अपने घरों में रह रहे है। भारत मे कोरोना से बचने के लिए हर व्यक्ति घरों में रहने के साथ साथ सोशल डिस्टेंसिंग यानी 2 गज की दूर रहकर इसका पालन कर रहे है। जो पुरुष दिनभर अपने कामों से बाहर रहते थे उन्हें अपने घरों में परिवार और बच्चों के साथ रहना पड़ रहा है। जो लोग रोजमर्रा की जिंदगी में अपने परिवार व बच्चों के बीच समय नही दे पा रहे थे अब चौबीस घंटे समय दे रहे हैं। कोरोना से बचाव के लिए घरों में रहना सुरक्षित भी है और जरूरी भी है। सरकार भी बोल रही है घरों में रहे सुरक्षित रहे, क्योंकि जिंदगी नही मिलेगी दोबारा। इस परिस्थिति में कोरोना की इस लड़ाई में घर पर रहने वाले हर भारतीय बहादुर है।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
यह कहना जरा भी अतिशयोक्तिपूर्ण नहीं होगा कि हम भारतीय हर हालात में अपनी बहादुरता का ही परिचय देते रहें हैं। और आज भी इस हालात से हम बहादुरी से ही सामना करेंगे और घर पर ही रहकर अपने कर्त्तव्यों का पालन भी बखूबी निभायेंगे वो चाहे घर परिवार की देखभाल हो या अपने भारतीय भाई बहनों की मदद हो या फिर देश के प्रति अपना कर्त्तव्य।हम घर पर रह कर इस वायरस से जीतेंगे और हमेशा की तरह विजय का पताका हम ही लहरायेंगे क्योंकि हम घर पर रहने वाले बहादुर भारतीय हैं।
अतः
घर पर रह कर फर्ज निभायेंगे
भारतीय हमेशा बहादुर कहलायेंगे"
- ज्योति वधवा "रंजना"
बीकानेर - राजस्थान
कोरोना के चलते लॉक डाउन में घर में रहने वाले भारतीय निसंदेह बहुत बहादुर हैं। हमारे देश की संस्कृति है जो हर व्यक्ति को हर परिस्थिति के अनुकूल बना कर उसे प्रसन्न रहना सिखाती है। अच्छे समय में तो सभी प्रसन्न होकर जीना जानते हैं, लेकिन संकट के समय प्रतिकूल परिस्थितियों में, कम संसाधनों में अपने विवेक/बुद्धि और समझ का प्रयोग करके कैसे प्रसन्न होकर संकट के समय को बिताया जा सकता है.. यह केवल भारतीय ही कर सकता है और भारतीय घरों में ही देखने को मिलता है।
घरों में रहने के इस लॉक डाउन के कठिन समय को लोगों ने किस तरह रुचिकर बना कर उपयोगी लिया है यह
देखा जा सकता है। अपनी हॉबीज को लोग समय देकर मन के काम पेंटिंग, संगीत, गृहवाटिका में सब्जी-फूल लगाने का काम, गृह सज्जा, पुस्तकें पढ़ना, लिखना, योग-व्यायाम, मिल कर घर के काम करना, मिल कर इनडोर खेल खेलना, सीमित खाद्य संसाधनों से नई-नई डिशेज बनाना आदि काम कर रहे हैं। ऐसे में बोर होने का तो प्रश्न ही नहीं उठता। जबकि अन्य देशों में लोग मनोरोगी बने जा रहे हैं।
लोग अपने को व्यस्त रखते हुए समय निकाल कर दूसरों की सेवा-सहयोग भी कर रहे हैं। जिस देश की संस्कृति यह बताती-सिखाती है कि कर्म करो फल की चिंता नहीं करो... वहाँ के लोग ही हर संकट का सामना कर बहादुरी से सकते हैं। निसंदेह वे बहादुर हैं।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून - उत्तराखंड
कोरोना के चलते घर में रहने वाले बहुत ही बहादुर भारतीय ही नहीं बल्कि बहुत समझदार भारतीय हैं जो भारत को भारतीयों पर गर्व है करुणा के चलते जो समस्याएं आई है उन समस्याओं को सुलझाने में बहादुर भारतीय लॉक डाउन का पालन करते हुए हमारी सरकारी की योजना में अपना सहयोग योगदान कर अपनी बहादुरी का परिचय दे रहे हैं समझदारी से ही व्यक्ति हर कार्य को सफलता के साथ कर लेता है नासमझी से करने से कोई भी कार्य सफल नहीं हो पाता मनुष्य हर कार्य विभाग सफलता पाने के लिए पड़ता है आज यही स्थिति भारत में आन पड़ी है परोना से सफलता पाने के लिए सरकार ने जो नियम बनाई है उसका पूरी तरह से भारतवासी पालन कर रहे हैं और जो रोगी व्यक्ति हैं उनका स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से सेवा में लगे हैं इसी तरह सभी विभाग अपने उपयोगिता का परिचय देते हुए भारतीय बहादुर की श्रेणी में कार्य कर रहे हैं। और अपनी लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं समझदारी से ही कार्य व्यवहार करने से ही लक्ष्य तक पहुंचते हैं भारत वासियों भारत के शुभचिंतकों एवं भारत के नेतृत्व करने वाले सभी इस विषम परिस्थिति में अपना मन तन धन से सहयोग कर लाक डाउन का पालन करते हुए घर में रहकर अपनी जिम्मेदारी को निर्माण कर रहे हैं यही मानव की समझदारी है।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
कोरोना के खिलाफ लड़ाई लम्बी है ,हमें थकना नहीं है और न ही हारना है ,हमें बस जीतना है l जो हमारे नींव की ईंट चिकित्साकर्मी ,स्व्च्छताकर्मी हों पुलिकर्मी ,शिक्षाकर्मी हों या अन्य संस्थाएं ये सभी युद्धवीर कोरोना नामक शत्रु से डटकर सामना अपने अपने परिक्षेत्र में अपने कर्तव्य का निर्वहन कर कर रहे हैं l इनका त्याग अविस्मरणीय है l
वही कोरोना के चलते घर पर रहने वालों का धैर्य भी किसी वीरता से कम नहीं l हमारी प्राथमिकता ,हमें जिंदगी को बचाना है l जीवन में आज पहली बार ऐसा देखा गया कि विजेता वह होगा जो स्थिर रहेगा l जो घर में रहेगा l घर में स्वयं सुरक्षित रहकर हम परिवार को भी सुरक्षा कवच प्रदान करते हैं l लॉक डाउन में कोरोना से जंग करने के लिए शस्त्रास्त्र नहीं अपितु आत्मबल ,अनुशासन ,आत्मसंयम ,और आत्मविश्वाश के बल पर ही स्थिति को नियंत्रण में किये हुए हैं l यह नए जमाने का नया युद्ध है जिसको कुछ अलग हट कर ही लड़ना होगा l इन परिस्थितियों से जीतने के लिए हमें अपने हर पल को बेहतर बनाना होगा l
समय बड़ा बलवान है l प्रकृति ने भी सभी दिनों को एक जैसा नहीं बनाया है l कोरोना के थपेड़ों से आहत करने वाले ये दुर्दिन भी बीत जायेंगे ,खुशियों का उजाला आएगा l अच्छे दिनों का आगमन स्वभावतः बुरे दिनों के गमन का संकेत है l
घर में बैठे योद्धा कोरोना वायरस के चलते ध्यान ,योगा और प्रार्थना के बल पर सकारात्मक इच्छा शक्ति के बल पर कोरोना से जंग जीत रहा है ,वह बधाई का पात्र
है l वह धीरवीर ,शांति वीर
- डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
कोरोना की महामारी से अचानक लाकडाउन होने से क भारतीय परिवार को सामाजिक दूरी बनाए रखने के लये घर के अंदर कैद होना पड़ा ।
इंसान को स्वतंत्रता अच्छी लगती है । न कि कैद रहना ।
जी है तो जहान है और हिंदुस्तान है। होनी तो होनी थी । बच्चे , बड़े , मजदूर , वंचित , अमीर , गरीब सभी के लिए चुनोती ले कर आई है। घर पर रहने से ही मॉनव सुरक्षित है । कोरोना की बीमारी से दूर रहेगा ।
इसलिये जो लोग इस परिस्थिति में घर में रहेगा तो वह बहादुर ही तो कहलाएगा ।
मेरी दोस्त की बेटी पिंकी खारघर , नवी मुंबई में कक्षा 9वीं की छात्रा है । किराए के मकान में रहती है ।पूना में उसके माता , पिता दोनों नोकरी करते हैं । माँ अक्सर उसके पास आ जाती थी । उसका जरूरत का सामान आदि रख जाती थी ।
अब लाकडाउन होने से माँ पिता नहीं आ पा रहे हैं । पिंकी ही अपना सब काम कर रही है । बाजार सामान लाना , घर की साफ , सफाई , ऑन लाइन पढ़ाई करना आदि। छोटी इस बच्ची पर कितनी बड़ी जिम्मेदारी आ गयी ।
इस तरह पिंकी साहसी , बहादुर , स्वाबलंबी , समय का सदुपयोग कर रही है । कोरोना हमें बहुत कुछ सीखा रहा है । समय परिवर्तनशील है । जो आज है हमेशा नहीं रहेगा । जैसे रात के बाद दिन आता है । हर पल
बदलता रहता है ।
कुदरत के साथ मॉनव खिलवाड़ नहीं करे । नहीं तो परिणाम भयानक , जानलेवा होंगे । यह सत्य आप सबके सामने कोरोना ने परोस दिया ।
भारतीय संस्कृति है मिल बाँट के खाने की । एक दूसरे की मदद करने की । यह अन्नदान महादन दुनिया ने देखा । भारतीयों का जज्बा मिसाल है , कोई मॉस्क बनाकर दान दे रहा है । कोई रसोई सब्जी पूरी भोजन बना कर काम कर रहे हैं ।
सभी भारतवासी इस संकट की घड़ी में घर में रहकर बीमारी को फैलाने से रोक रहे हैं तो बहादुर ही हैं ।
- डॉ मंजु गुप्ता
मुंबई - महाराष्ट्र
कोरोना के चलते घर में रहने वाले बहादुर तो हैं ही, समझदार पारिवारिक सदस्य और सच्चे नागरिक भी हैं। हरेक की इस बहादुरी और समझदारी ने इस कोरोना -आपदा पर नियंत्रण रखने और संक्रमण को तीव्रता से न फैलने में अपना महत्वपूर्ण और आवश्यक योगदान दिया है। इसलिए तो विश्व में हम भारतीयों की एकता और अखंडता की प्रशंसा की जा रही है। जिस सहनशीलता, समर्पण, संकल्प और सहृदयता से हम सभी घर में रहकर अपना स्वयं का ,परिवार का, समाज का और शासन - प्रशासन का... राष्ट्र का सहयोग कर कोरोना -आपदा के नियंत्रण और बचाव में सहभागिता निभा रहे हैं, प्रशंसनीय है। अद्भुत और अलौकिक भी है। साथ ही, हमारे वे भारतीय योद्धा भी बहादुर हैं जो अपनी, अपने परिवार की चिंता न करते हुए हमारी सुरक्षा में चौबीसों घंटे लगे हुए हैं। लगातार सेवा दे रहे हैं। सच पूछा जाए तो असली बहादुर और कर्मवीर वे और उनके परिजन ही हैं।
" अनेकता में एकता " का यह समन्वय वंदनीय है। गर्व और गौरवमयी है।
जय भारत।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
भारतीयों के संस्कार ही ऐसे हैं कि वे परिस्थितियों के अनुसार तुरंत ढल जाते हैं । बचपन से ही नैतिक शिक्षा पर जोर दिया जाता है । विनम्रता का गुण कूट- कूट कर दिमाग में भरा जाता है । ऐसे समय में जब अन्य देश के लोग डर से पीड़ित हो मानसिक रोगी बन रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर हमारे घरों में लोग अपनी दिनचर्या को इस प्रकार व्यवस्थित कर रहे हैं कि प्रातः वे योग करके अपनी क्षमता को बढाएँ । उसके बाद धार्मिक ग्रथों का पाठ करें । सपरिवार बैठ कर रामायण व महाभारत देखें । नयी पुस्तकों को पढ़ें , आजकल तो ऑन लाइन पेपर, पुस्तकें निःशुल्क उपलब्ध हैं ।
बहुत से लोग जो व्यस्तता के चलते अपनी हॉवी पूरी नहीं कर पा रहे थे वे भी उसे पूरा कर रहे हैं । हाँ इतना अवश्य है कि इस दौरान आर्थिक भय सता रहा है कि कल क्या होगा .... ? परन्तु भारतीय महिलाओं की ये खूबी है कि वो हर परिस्थितियों से निपटने में सक्षम रहती हैं । जो समान मिलता है उसी में नए- नए व्यंजन बना देती हैं । किफायती गुण उनको विरासत में मिलता है । ऐसे समय में उनकी बचत पूरे परिवार को संबल देती है कि जब तक सब कुछ सामान्य नहीं होता तब तक का इंतजाम उनके पास है ।
जब संतुष्टि का माहौल घर में हो तो सभी लोग एक जुट होकर हर संकट का बहादुरी से मुकाबला कर सकते हैं ।
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश
हमारी भारतीय संस्कृति ,रीति रिवाज,हमें बचपन से ही कुछ ऐसा सिखाते आयें है की हम कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी अपने आप को उसके अनुरूप करके सबके साथ चलने की कोशिश करते है और आज इस कोरोना महामारी मे हम सभी भारतीय इसका शिद्दत से पालना कर रहें हैं । वाकई घर मे रहने वाले बहुत ही बहादुर भारतीय है हम सब। घर के प्रत्येक सदस्य इसमें पूरा सहयोग भी कर रहें हैं । हम महिलाएं घर का संचालन सुव्यस्थित और सुचारू रूप से कर रही हैं जो काबिले तारीफ है । हर तरफ यही माहौल है की जो आदेश प्रशासन दे, उसका पूर्ण रूप से पालन हो। सकारात्मक सोच,उत्साह ,उमंग जीवन मे बनाये रखना बहुत जरूरी है जो आज सभी भारतीयों में दिख रहा है कि भले जैसी भी आर्थिक स्थिति हो उसी में सब अपना निर्वाहन करना है।परिवार,मित्र ,आस पड़ोस सभी एक दूसरे के सहयोगी बने हुए है।आज हिम्मत ,दृढ़ इच्छाशक्ति और सवेंदनशीलता का परिचय हम सभी भारतीय नागरिकों में देखने को मिल रहा है।
हमारे देश की यही पहचान है कि कोई मुश्किल घड़ी हो तो हम एक होते है और मिलकर आने वाली बाधाओं को पार कर जाते हैं।
- ज्योति वाजपेयी
अजेमर - राजस्थान
*यहाँ हर जन है एक सिपाही*
*यहाँ हर जन है वीर योद्धा*
*भारत के लालों के आगे*
*तू क्या टिकेगा, कायर कोरोना।।*
आज विश्व यह देखकर हतप्रभ है कि जिस भारत की एक बड़ी आबादी गांवों में रहती है और जिनका मज़ाक - देहाती,पिछड़े हुए, फूहड़, गंवार और न जाने क्या क्या कह कर उड़ाया जाता था, आज वही पूरे विश्व में एक मिसाल बन कर खड़ा है।
हर भारतीय में यह भावना कूट कूट कर भरी है:
*सर्वे सुखिनः भवन्तु*
और यह बात लॉक डाउन को सफल बनाने में कारगर सिद्ध हुई है। खुद को, अपनो को अगर इस नामुराद बीमारी से बचा कर रखना है तो हमें घर पर रह कर ही इस अदृश्य युद्ध को लड़ना होगा। और अगर हम सभी अपनी मानसिक प्रबलता का परिचय पूरे संयम से देंगे तो दुनिया देखती रह जायेगी और हम विजयी पताका जल्दी फहराएंगे और भारत की सदियों पुरानी सभ्यता और परंपराओं को दुनिया शत-शत नमन करेगी।
- सीमा मोंगा
रोहिणी - दिल्ली
कोरोना के चलते जो लॉकदाउन किया गया है,वो सरकार द्वारा हमारी सुरक्षा को ध्यान में रखकर ही किया गया है।इस का तात्पर्य शारीरिक दूरी से है आज के विचार पर मैने अपनी कविता में लिखा है,
केवल लहू बहाकर ही तो फर्जन नही निभ सकते हैं
घर के अन्दर रहकर भी तो हम सैनिक बन सकते हैं
अर्थ यही है कि इस परिस्थिति में सच्चा देशभक्त वही है जो घर के अंदर खुद को रोके हुए है।क्योंकि वही व्यक्ति देश कि सच्ची सेवा कर रहा है।
आप सभी की कुशलता कि मंगल कामना करता हूं।
कवि कपिल जैन
नजीबाबाद - उत्तरप्रदेश
जी हां, आज की चर्चा का विषय सत्यता लिए हुए हैं। क्योंकि वैसे भी हर मानव अनंत क्षमताओं एवं सामर्थ्य संभावनाओं एवं असीमित शक्तियों का भंडार है ;पर संकट काल में इनका विकास एवं सदुपयोग विशेष रूप से दर्शनीय होता है। जहां मनुष्य को *बहादुर* शब्द की संज्ञा से विभूषित किया जाता है।
यह मंजर आज हम कोरोना के चलते अपने भारतीयों में विशेष रूप से देख रहे हैं। भारतीय संस्कृति के परिवेश में पले एवं बड़े हुए हम सब भाई- बहनों ,बच्चों युवाओं, बुजुर्गों ने वास्तव में अपनी ज्ञानेंद्रियां एवं कर्मेंद्रियों को किस प्रकार संयमित किया है। कोरोना को भगाने में संपूर्ण भारतीयों के भगीरथ प्रयास लगभग 35 दिनों से देखे जा रहे हैं। यह बहादुरी, जज्बा, संयम आदेशों का पालन कोविड-19 को हराने में शत-प्रतिशत सफल होगा और इतिहास के पन्नों में ""भारतीय बहादुरों को सलाम" शीर्षक भी छपने के लिए तैयार हो गया है।
नमन है; समस्त भारतीय बहादुरों को, जो लॉक डाउन में घरों में ही रहकर जीवन निर्वाह कर रहे हैं ।
- डॉ.रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
कोरोना ने लोगों के रहने , काम करने के तरीके को ही बदल दिया है। आदमी इतना व्यस्त हो गया था कि घर में रहना भूल गया था । दिन रात की दौड़-भाग में हीं खोया रहता था । पैसा-पैसा की रट में न जाने किस दुनिया में विचरने लगा था । हर किसी की अपनी ख्वाहिश थी, हर किसी के अरमान थे । सबसे बड़ी बात कि हर कोई परिवार के दूसरे सदस्यों से अपनी परेशानियों को बाँट भी नहीं पाता था ।
इसलिए व्यक्ति घर में बंद होकर रहने का धैर्य खो चुका था। मैंने देखा है कि रविवार को भी लोग घर में रहना नहीं चाहते थे । 'कहीं बाहर चलें' की जिद रहती थी ।
आज जब लॉक डाउन अचानक हुआ तो मानव की गतिविधि को एकाएक ब्रेक लग गया। जो बहुत ही कष्टकारक था। यह सोचना कि 21 दिन कोई बाहर की गतिविधि नहीं होनी है, शरीर के साथ मानसिक संतुलन को बनाये रखना मुश्किल था। लेकिन भारतीयों ने इसे कर दिखाया । हर तरह की शारीरिक, मानसिक और आर्थिक परेशानियों को झेलते हुए भी इन्होंने बंदी की जिंदगी जी है। कइयों ने दूसरों की मदद की है। डॉक्टरों , पुलिस व सफाई कर्मचारियों ने भारतीयों के जीवन को राह पर लाने के लिए मोदीजी के बताए तरीके पर जी-तोड़ मेहनत की है । ऐसा एक भारतीय ही कर सकता था और किया है । सभी भारतीयों को कोटि-कोटि सैल्यूट, अभिवादन और नमस्कार है । आज भारतीय होने का गर्व है।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
कोरोना के चलते जहां अनेकों सिपाही मैदाने जंग में इसके खिलाफ व हमें बचाने के लिए युद्धरत हैं । जिनके लिए कोटिशः शुभकामनायें व सलाम हैं वहीं घर के भीतर रहने वाले भी बहादुरी में पीछे नहीं है ।
कहा जाता है कि एक साथ रखे तो बर्तन भी खड़कने लगते हैं । चौबीस घंटे परिवार के साथ रहना......परिवार में सबके विचार एक जैसे नहीं हो सकते । ऐसी स्थिति में विचारों की टकराहट क्रोध का रूप ले सकती है और हिंसा की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है ।
हमारे भारतीय इतने लंबे समय से एक साथ छोटे अथवा बड़े संयुक्त परिवार के रूप में रह रहे हैं । सभी आवश्यकतानुसार माहौल को देखकर तुरंत मुंह को भी लाॅकडाउन कर समझदारी व सामंजस्य का परिचय देते हैं इसी उम्मीद के साथ कि सभी लाॅक एक दिन खुल जाएंगे फिर मुस्कराएगी जिन्दगी ........... ।
- बसन्ती पंवार
जोधपुर - राजस्थान
हां,, बिल्कुल सही,,आज तो जो भी इस लाॅक डाउन का पालन करें वहीं सही मायने में असल योद्धा, बहादुर है । सच में आज जब घर में हीं रहना इस महामारी का एक मात्र उपाय है , महामारी को फैलने से बचाव का, तब ऐसी परिस्थिति में हम सब भारतीय इसका पालन कर हर संभव अपनी ओर से प्रयास कर रहे हैं ।घर में बंद रहना, पहली बार और वो भी इतने लंबे समय तक ,तो यह एक अजीब स्थिति हो गई है, लेकिन जब दूसरा मार्ग ना हो तो यही यथोचित है । दिक्कतें तो आती हैं, लेकिन देश हित के सामने सब नगण्य है। इसलिए जितने लोग भी इस एक मात्र मिशन में अपनी-अपनी भागीदारी निभा रहे हैं।उन सब के लिए हमारे प्रधानमंत्री भी करबद्ध हो जातें हैं ।इस विषम परिस्थितियों में हम सब का यही कर्तव्य है कि हम सब बताएं गये इन निर्देशों और नियमों का पालन करें । कुछ ही दिनों की बात है फिर नया सवेरा आयेगा हीं ।
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार
" मेरी दृष्टि में " कोरोना का सब से बड़ा सामुहिक इलाज लॉकडाउन ही है । जिससे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन बहुत आसान हो जाता है । शरन् सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाना बहुत कठिन कार्य है ।
- बीजेन्द्र जैमिनी
सम्मान पत्र
आज का विषय इस लाॅकडाउन की अवधि में घर में ही रहने की प्रेरणा देने वाला है।
ReplyDeleteDr. Rekha Saxena bahut sunder
ReplyDeleteDr. Rekha Saxena good writing skills
ReplyDeleteDr. Rekha Saxena bahut sunder
ReplyDeleteDr rekha Saxena bahut accha
ReplyDeleteडॉ रेखा सक्सेना जी का लेख बहुत अच्छा लगा ,भाषा विन्यास बहुत ही बढिया है
ReplyDeleteनूपुर नव्या
Deleteडॉक्टर रेखा सक्सेना जी का लेख बहुत ही अच्छा लगा।भाषा विन्यास बहुत ही बढिया है।
Dr rekha saxena very goodnice
ReplyDeleteDr Rekha Saxena ka lakh bahut hi sarahniye hai
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