क्या लॉकडाउन की वजह से सोशल मीडिया पर बढीं सक्रियता ?
लॉकडाउन की वजह से लोगों को फुरसत मिल गई । अब समय भी काटना है । सोशल मीडिया पर समय काटना सबसे आसान नंजर आया । बस फिर क्या ! सोशल मीडिया पर सक्रिय हो गये । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
यह सच्चाई है कि वर्तमान समय में लॉक डाउन के कारण अधिकांश जनता अपने घरों में ही सिमट कर रह गयी हैं और ऐसी स्थिति में बाहर निकलकर दूसरे लोगों से मिलना- जुलना लगभग न के बराबर हो गया है। हम समाज में रहते हुए अपने विचार, भाव और संवेदनाएं सदैव एक दूसरे से मिलकर संचारित करते रहते हैं। आज की स्थिति में जब हम दूसरों से मिल नहीं पाते हैं तो सोशल मीडिया ही हमारे पास एक माध्यम रह जाता है जिससे हम दूसरों के साथ जुड़े रहें। सोशल मीडिया का अर्थ पारस्परिक संबन्ध से जोड़ कर देखा जाता है ।यह किसी भी व्यक्ति, संस्था ,समूह और देश आदि को आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से समृद्ध बनाने का काम भी कर सकता है।अंतर्जाल या अन्य माध्यमों द्वारा निर्मित समूह व्यक्तियों और समुदायों को आपस में जोड़े रखने का सशक्त माध्यम है ।इन सभी कारणों से सोशल मीडिया पर लोगों की सक्रियता बढी है ।
- डॉ अरविंद श्रीवास्तव 'असीम '
दतिया - मध्यप्रदेश
यह निर्विवाद सत्य है कि लाॅकडाउन की अवधि में सोशल मीडिया विचारों की अभिव्यक्ति के साथ-साथ आवश्यक सूचनाओं के आदान-प्रदान हेतु एक सशक्त माध्यम बनकर उभरा है।
कोरोना से बचाव और सुरक्षा के सन्देशों को जन-जन तक पहुंचाने में सोशल मीडिया ने अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
कहते हैं 'खाली दिमाग शैतान का घर होता है' और इस समय जब जनमानस अपने घरों में खाली बैठा है तब सोशल मीडिया पर सक्रियता ने उसको व्यस्त रहने का माध्यम प्रदान कर एक औषधि का कार्य किया है और इस प्रकार लाॅकडाउन के पालन को बोझ बनने से भी बचा लिया है।
सोशल मीडिया के द्वारा लोग अपनी सृजनात्मक क्षमता को व्यक्त कर रहे हैं।
कविगण सोशल मीडिया पर कवि गोष्ठियाँ कर रहे हैं। अनेक पुरुष-महिला नये-नये व्यंजनों को बनाकर सोशल मीडिया के माध्यम से दूसरों को भेज रहे हैं। बच्चे इस बात से प्रोत्साहित हैं कि वे अपने गीत-संगीत की वीडियो और चित्रकारी की कला को सोशल मीडिया पर प्रसारित कर अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित कर सकते हैं, इसलिए वे भी ऐसा कर निरन्तर सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि शासन-प्रशासन को भी अपने सन्देश /निर्देश /आदेश नागरिकों तक पहुंचाने हेतु सोशल मीडिया का उपयोग किया जा रहा है।
इस प्रकार यह कहना बिल्कुल सही है कि लाॅकडाउन की वजह से सोशल मीडिया पर सक्रियता बढ़ी है।
- सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
लॉक डाउन मे सोशल मिडिया सक्रिय हुई है।
देश विदेश महामारी से जुड़ी खबरे सोशल मिडिया तक घरो में पहुंच २ही है । लॉक डाउन की बढ़ती अवधि के कारण घरो मे रहकर बोरियत हो २ही थी
ऐसे मे घर में बैठकर कुछ नया करना चाहते है तो सोशल मिडिया मनोरंजन का साधन बना हैं।
कोई कहानी सुन रहा है कोई सोशल मिडिया पर
मनपसन्द पेटिंग में रंग भर २हा है बच्चे अपना मनपसन्द कार्टून गेम्स सोशल मिडिया पर खेलते देखते है। महिलाये स्वादिष्ट व्यंजन सोसल मिडिया से देखकर बना २ही है। कोरोना महामारी सोशल डिस्टेशिगं का पालन करते हुए का काव्य गोष्ठियो का आयोजन भी ऑन लाइन चल रहा है। समय कट जाता है देश में पूर्ण बंदी चल रही है सभी घरो मे बैठे है। बच्चो की पढ़ाई का नुकसान नही हो रहा ऑन लाइन पाठ्यक्रम चल रहा हैै बच्चे सभी ऑन लाइन पढ़ाई में लगे है । हमारे आ० प्रधानमंत्री जी भी सोशल मिडिया के द्वारा राष्ट्र को संबोधित करते है जनता तक अपना संदेश पहुंचाते है ॥लॉक डाउन और कोरोना महामारी के चलते दफ्तर बन्द है सभी घरो से ऑनलाइन कार्य कर रही है हमारी मिडिया भी बहुत सक्रिय है लॉक डाउन से लेकर कोरोना महामारी की एक एक खबर हम तक पहुंचाती है । महामारी में अपनी जान की परवाह न करते हुए हमारी सोशल मिडिया हर खबर हम तक पहुचाती है। लॉक डाउन मे अधिकतर जनता सोशल मिडिया पर अपना समय बिता रही है। सोशल मिडिया के नुकसान भी है परन्तु लॉक डाउन में वरदान साबित हो रही है।
- नीमा शर्मा हँसमुख
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
कोरोना ने हमको इतनी तो इज़ाज़त दे ही रखी है कि हम मोबाइल लैपटॉप आदि को छू सकते हैं बशर्ते कि ये केवल हमारे ही कब्जे में हो। इन दिनों जब फिजिकल डिस्टेंस हमारी मजबूरी है तब सोशल कांटेक्ट का यही एक बड़ा जरिया बन गए हैं। घर में बैठे बैठे न सिर्फ हम लोगो से बतिया रहे हैं बल्कि बैंकिंग जैसे काम और वर्क फ्रॉम होम भी इसकी सहायता से संपन्न कर रहे हैं। बस यही दुख है कि मशीन आखिर मशीन ही होती है यह इंसान की भावना का प्रदर्शन नहीं कर सकती। आज का इंसान वैसे ही अपनों से कम ही मिल पाता है ऐसे में अगर यही जीवन की पद्धति बन गई तो पता नहीं भविष्य में मनुष्य के रिश्तों की क्या गति या दुर्गति होगी?
- मनोज पाँचाल
इंदौर - मध्यप्रदेश
आज हर व्यक्ति सोशल मिडिया पर सक्रिय है ...
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किसी व्यक्ति की उम्र पर निर्भर करता है. अधिकतर यूथ सोशल मीडिया का यूज करते हैं जबकि जो उम्रदराज लोग हैं वो सोशल मीडिया पर कम समय व्यतीत करते हैं.
सोशल मीडिया का प्रभाव हमारे जीवन में काफी बढ़ गया है. राजनीतिक दल ही नहीं आज का युवा वर्ग भी सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव है.
देशभर में कोरोनावायरस के संक्रमण के कारण लॉकडाउन चल रहा है। इस दौरान लोग अपने घरों में है। लोगों से लगातार यह आग्रह किया जा रहा है कि वह अपने घरों में रहें, ताकि इस संक्रमण को फैलने से रोका जा सके। ऑफिस या फिर कामकाजी लोगों के लिए घर में रहना एक तरीके से मुश्किलों भरा है। हालांकि उन्हें अपने परिवार और अन्य कामों के लिए टाइम भी मिल जा रहा है। लोग अपने घरों में है इसलिए वह किताबें पढ़ना पसंद कर रहे हैं, फिल्में देखना पसंद कर रहे हैं, किचन में खाना बनाना पसंद कर रहे हैं। इसके अलावा सोशल मीडिया का इस्तेमाल भी खूब किया जा रहा है। एक सर्वे के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान लगभग हर भारतीय ने सोशल मीडिया पर 4 घंटे से भी ज्यादा का वक्त बिताया है।
सोशल मीडिया का यह इस्तेमाल इसके पहले की सप्ताह की तुलना में 87% ज्यादा है क्योंकि अब लोग अपने घरों में बंद है और उन्हें समय व्यतीत करने के लिए सोशल मीडिया का अच्छा खासा साथ मिल रहा है। सोशल मीडिया के अलावा वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म और लाइव टीवी देखने वाले उपभोक्ताओं की भी वृद्धि हुई है। हालांकि रेडियो के क्षेत्र में नुकसान हुआ है और कहा जा रहा है कि आउट ऑफ होम मीडिया रेडियो के उपभोक्ताओं में कमी आई है। दरअसल लोग घरों में सोशल मीडिया पर अपने रिश्तेदारों से वीडियो कॉलिंग के जरिए बात करना हो या फिर टिक टॉक या फिर अन्य सोशल साइट्स के जरिए खुद को मनोरंजन करना हो, लोग सोशल मीडिया का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं
सोशल मीडिया बहुत अच्छा काम करता है
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
लॉक डाउन के चलते सोशल मीडिया की बढ़ती सक्रियता क्योंकि लोग घरों में बंद हैं उनके लिए एक सहारा मोबाइल ही है जो अपने ऑफिस का काम भी ऑनलाइन कर सकते हैं और कुछ लोग जो अपने पुराने शौक काम की व्यस्तता के कारण नहीं कर पा रहे थे वह भी वह सोशल मीडिया के माध्यम से कर सकते हैं।
मीडिया के कारण वह अपने शौक को भी पूरा कर सकते हैं जो उनके मन में इच्छा बचपन से दबी हुई थी आप कोई भी संगीत सीख सकते हैं संगीत सुन सकते हैं डांस सीख सकते हैं कविता भी लिख सकते हैं ।
व्हाट्सएप ने किया कमाल दिलों की दूरियों को भी कम कर दिया। मोबाइल के माध्यम से दुनिया बहुत छोटी हो गई दूर के भजनों का हाल समाचार मिल जाता है सब अपने पास लगने लगे। तुझे देश विदेश की भी खबरें मिल जाती हैं।
मोबाइल सोशल मीडिया एक ऐसा माध्यम हो क्या जो दूर को भी नजदीक करते हैं।
- प्रीति मिश्रा
जबलपुर - मध्य प्रदेश
सोशल मीडिया की सक्रियता का प्रतिशत निश्चित ही बढ़ गया है। सोशल मीडिया ही एकमात्र साधन है जिसके माध्यम से लाक डाउन हो कर भी परिवार समाज से सम्बन्ध जोड़ कर जीवन की नीरसता को कम कर रहा है ।
हर उम्र के लोगों के लिए यह माध्यम सहारा बना हुआ है।
सोशल मीडिया के माध्यम से मंनोरंजन भी हो रहा है साथ ही साथ हर मानव अपनी कला का भी प्रदर्शन कर रहा है ।
इसके अतिरिक्त मार्केटिंग का भी प्रोगाम चल रहा है।
अब तो बच्चों बड़ों के लिए स्कूली और कालेज की पढ़ाई भी करवाया जा रहा है।
जो रिटायर्ड और अनुभवी मानव है वे अपने अनुभवों को बड़े ही आसानी से एक दूसरे से शेयर कर रहा है
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बात चीत भी शक्ल देखकर हो रही है।
संगीत का आनंद लिया जा रहा है
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस लाक डाउन के पीरियड में यूं ट्यूब के माध्यम से हर गृहिणी और घर का पुरुष वर्ग अच्छे अच्छे व्यंजन बनाए रहें हैं । सोशल डिसटेनशी के नियमों का पालन करते हुए सभी अपने आप को सुरक्षित रखते हुए मन को प्रसन्न रखने की कोशिश कर रहे हैं। इसलिए सोशल मीडिया वर्तमान समय में बहुत ज्यादा उपयोगी साबित हो रहा है।
- डॉ.कुमकुम वेदसेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
कोरोना कोविड 19 महामारी को नियंत्रित करने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा देशभर में लॉकडाउन चल रहा है। सभी को अपने अपने घरों में ही रहना जरूरी हो गया है ताकि कोरोना संक्रमण महामारी से बचा जा सके। हालांकि सोशल मीडिया देश में जागरूकता फैलाने और सूचनाओं को जन जन तक पहुचाने में सक्रिय भूमिका निभाते रहा है। पर कोरोना जैसे वैश्विक महामारी में सोशल मीडिया की सक्रियता काफी बढ़ गई है। सोशल मीडिया के माध्यम से व्यापक पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। हर खबर को लोगों तक पहुचाया जा रहा है। देश मे जो भी खबरें है न्यूज चैनलों की तरह ही सोशल मीडिया पर भी देखने को मिल रही है। लॉकडाउन में सरकार हो या सामाजिक संगठन जो भी गरीबों की पेट भर रहे है उसकी जानकारी मिल जा रही है। इससे प्रेरित होकर समाज मे लोगों का यही प्रयास हो रहा है कि उनके आस पास रहनेवला कोई भी व्यक्ति भूखा न रहे। देश दुनिया मे कोरोना से संक्रमित होने वाले, मरने वाले कि जानकारी हर पल मिल रही है। कोरोना मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टरों, नर्स व मेडिकल टीम, पुलिस की ड्यूटी के साथ साथ लोगों को खाना खिलाने, सहयोग करने की बातों को सोशल मीडिया लोगों को दिखला रही है। इसलिए लॉकडॉउन की वजह से सोशल मीडिया की सक्रियता काफी बढ़ गई है।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
जी हां,लॉक डाउन के कारण सचमुच सोशल मीडिया पर सक्रियता बढ़ गई है। सोशल मीडिया एक ऐसा माध्यम है, जिसके द्वारा लोग एक दूसरे से जुड़े भी हैं और एक सामाजिक दूरी भी है।
यदि सोशल मीडिया आज के समय में नहीं होती तो मनुष्य का जीना बहुत ही मुश्किल हो जाता। आस पास के हाल समाचार,मनोरंजन, पाक शास्त्र का ज्ञान यहां तक कि अब शिक्षण प्रशिक्षण के कार्य में भी सोशल मीडिया अपनी अहम भूमिका रही है।
- डॉ.विभा जोशी (विभूति)
दिल्ली
लॉक डाउन के दिनों में सभी राष्ट्रभक्त नागरिकों ने स्वयं को तथा देश को इस महामारी से सुरक्षित करने के लिए अपने आप को घरों में कैद कर रखा है। किसी भी व्यक्ति की दिनचर्या को कुछ दिनों में बदल पाना संभव नहीं है, जबकि वह वर्षों से उस दिनचर्या का पालन कर रहा हो। आज हम सभी लोग लाक डाउन उनके कारण अपने परिवारजनों के जितने निकट आए हैं, और जिस तरह हम अपने लोगों के मन की बातों को तन्मयता से सुन रहे हैं, समझ रहे हैं, अपने मन की बात भी अपने परिवारजनों, मित्रों आदि से शेयर कर रहे हैं, उसके पीछे कहीं ना कहीं सोशल मीडिया का बहुत बड़ा योगदान है। आज हम व्हाट्सएप फेसबुक टि्वटर इंस्टाग्राम के माध्यम से अपनी अभिव्यक्ति को दूसरों तक पहुंचा पा रहे हैं और उनके द्वारा किए गए रचनात्मक कार्यों एवं विचारों से स्वयं भी अवगत हो रहे हैं। क्योंकि हमें अपने आप को घर की लक्ष्मण रेखा के अंदर रखना है, इस स्थिति में सोशल मीडिया अपने विचारों को अपने मित्रों व रिश्तेदारों एवं समाज तक पहुंचाने के लिए एक बहुत अच्छा अवसर प्रदान कर रहा है। अतः आज के इस विचार पर यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि इस विपरीत परिस्थिति में सोशल मीडिया एक बहुत बड़ा साधन,अपनी भावनाओं को जनमानस तक पहुंचाने में साबित हो रहा है।
- कवि कपिल जैन
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
अगर हम पुराने समय की बात करें तो किसी बात या किसी सन्देश को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचने में काफी समय लग जाता था परंतु वर्तमान तकनीकी का काल कहलाता है
और आज अगर इस तकनीकी के काल की चर्चा करें तो यह अपने नाम को पूर्णतः साबित कर रहा है
और अपने कार्य को प्रशंसनीय रूप से कर भी रहा।
आज लगभग चालीस दिन हो गये पूरा भारत लाकडाउन है प्रत्येक वर्ग का व्यक्ति अन्दर ही है कुछ घरों में तो कुछ अपने कार्य करने वाले स्थान पर परन्तु हर व्यक्ति पूरे देश में क्या चल रहा है अन्दर होते हुए भी जानता है और अपने ही नहीं अन्य देशों की ख़बर भी जान रहा है मालुम है क्यूं?
इसी सोशल मीडिया के कारण और उन कर्मवीर योद्धाओं के कारण जो अपनी जान की परवाह किए बिना ही अपने कार्य को ईमानदारी से कर रहे हैं । और यह भी सत्य है कि लाकडाउन के चलते सोशल मीडिया की सक्रियता बढ़ गई है
चौबीस घंटों कार्य कर रही है मीडिया । आज पढ़ा लिखा हो या फिर अनपढ़ हो अमीर हो या गरीब अपने देश में चल रही प्रत्येक गतिविधि को जानता है मात्र सोशल मीडिया की इस सराहनीय सक्रियता के चलते और इतना ही नहीं कोई भी सन्देश हो जनता तक कुछ पलों में ही पहुंचा दिया जाता है
मीडिया के कारण ही लोग कोरोना वायरस के बारे में जानकारी प्राप्त कर पाए हैं और उस वायरस के प्रति सुरक्षा के नियम भी जान पाएं है या स्पष्ट शब्दों में कहा जाए तो आज जनता में जागरूकता सोशल मीडिया की सक्रियता के कारण ही संभव हो पाया है।
अतः
"बढ़ रही सक्रियता सोशल मीडिया की चलते लाकडाउन
जनता को जागरूक बना रही सोशल मीडिया चलते लाकडाउन"
- ज्योति वधवा"रंजना"
बीकानेर - राजस्थान
सोशल मीडिया का उपयोग पहले से भी होते आ रहा है पर लॉकडाउन में लोग सोशल मीडिया का उपयोग कुछ ज्यादा ही कर रहे हैं। ऑफिस से जुड़ा काम , ऑनलाइन पढ़ाई, ऑनलाइन मीटिंग सभी चीजें आजकल नेट के द्वारा ही किया जा रहा है। लॉक डाउन में लोग घर मे बोर हो रहे हैं । ऐसे समय मे लोगो को मन लगाने का जरिया भी सोशल मीडिया हैं। सोशल मीडिया पर लोगो को कोरोना या देश दुनिया की जानकारी भी आसानी से मिल रहा है। कुछ हद तक तो सोशल मीडिया सही जानकारी दे रहा है वहीं कुछ लोग अफवाह फैलाने का भी काम कर रहे हैं। सोशल मीडिया का इस्तेमाल प्रेम भाईचारा बढ़ाने के लिए करना चाहिए। कुछ गलत मानसिकता के लोग सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल भी कर रहे हैं।
- प्रेमलता सिंह
पटना - बिहार
इस बात में कोई दो राय नहीं की लाकडाउन के चलते, सोशल मीडिया पर सक्रियता बढ़ी है। घर से बाहर न जाने के कारण और लेखन आदि की प्रवृत्ति होने की वजह से, सोशल मीडिया पर इन दिनों नए-नए ग्रुप ज्वाइन करने, उन में सक्रिय रहने और अपनी पढ़ने लिखने की भूख को मिटाने के चलते,सोशल मीडिया पर सक्रियता बढ़ गई है।यह सक्रियता वर्तमान समय में निरर्थक नहीं रही, सार्थक रही है, क्योंकि जनहित और जन जागरण से जुड़े मुद्दों पर पर्याप्त लेखन सतत रूप से चल रहा है। जो सोशल मीडिया पर सक्रिय हुए बिना शायद नहीं हो पाता, क्योंकि पत्र पत्रिकाएं डाक व्यवस्था के कारण इतने दिनों से नहीं मिल पाए हैं, न हम अपने लेखन को उनमें भेज पाए हैं। इसलिए अब सोशल मीडिया ही एक ऐसा प्लेटफार्म है, जहां हम अपने विचारों को लिख रहे हैं। विभिन्न ग्रुप पोर्टल उनको जारी कर रहे हैं।जैसे जैमिनी अकादमी द्वारा आयोजित प्रतिदिन परिचर्चा का आयोजन। इसके चलते, समसामयिक मुद्दों पर प्रतिदिन कुछ ना कुछ विचार लेखन हो ही जाता है । धन्यवाद सोशल मीडिया जिसके कारण विचार लेखन की सक्रियता बढ़ती ही जा रही है।
- डॉ अनिल शर्मा'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
जी हा! सिना ठौक कर कहता हूँ, पुरे दिल से लिखता हूँ, की लाॅकडाउन की ही वजह से सोशल मीडिया पर आप कि ओर मेरी ओर हमारें समान अन्गीनत सोशल मीडिया युजर जो पहले कभी कभार या दिन मे कुछ घन्टे ही समय दे पाते थे वे इस लाॅकडाउन मे पुरा पुरा समय सोशल मीडिया पर बिता रहे हैं। जीसकी जैसी लगन जैसा ज्ञान जैसे संस्कार वह वेसा सोशल मीडिया पर अपना पक्ष रख रहा है साहित्य के साधको के लिये तो लाॅकडाउन जैसे लाटरी का लग जाना है। अतः यह बे हिचक निर्भिक हो लिखा जा सकता है की लाॅकडाउन की वजह से सोशल मीडिया पर सक्रियता बढी है।
- कुन्दन पाटिल देवास
देवास - मध्य प्रदेश
लॉक डाउन ने सभी के दिमाग और सोच को बदल दिया है। जो परिवार बच्चों को मोबाइल से दूर रखता था, घर में टी वी देखने पर रोक थी आज उन लोगों ने बच्चों को पूरी छूट दे रखी है । स्कूलों में भी ऑनलाइन क्लासेज चल रहे हैं । लोगों को मानसिक प्रताड़ना से बचाने के लिए हर तरह के प्रशिक्षण मीडिया द्वारा ही प्रसारित किए जा रहे हैं ।
अब खुद को सक्रिय रखने के लिए सभी के पास सोशल मीडिया का ही सहारा है। यही कारण है कि अभी के समय में लोग जम कर इसका उपयोग कर रहे हैं। यह भी देखा गया है कि कुछ बुजुर्ग भी इसे चलाना सीखने का प्रयास कर रहे हैं।
पहले कुछ लोग मीडिया के प्रति नाराजगी जताते थे, खास कर मोबाइल आने पर उनकी शिकायत का पुलिंदा और भी बड़ा हो गया। लेकिन आज समय बदल गया और वो भी सोशल मीडिया को अपना साथी मानते हैं । उसकी उपयोगिता की तारीफ करते हैं , उसे जन-जन का मित्र समझते हैं ।
सच भी यही है कि आज सोशल मीडिया लॉक डाउन का सहारा है। मीडिया पर हर प्रकार के कार्यक्रम बच्चों से ले कर बुजुर्गों तक का मनोरंजन कर रहे हैं। साथ ही उनके गुणों को निखारने के कार्य भी बखूबी कर रहे हैं।
इन सब के आगे भविष्य में एक बड़ा सवाल मुँह बाए खड़ा मिलेगा - इस लत से छुटकारा कैसे मिलेगा? क्या बच्चे कागज कलम द्वारा पढ़ाई कर पाएंगे? अपनी परीक्षाओं की तैयारी कैसे करेंगे? लोग अपने मनोरंजन या फिटनेस के लिए जिम या सिनेमा घरों में जाएंगे ? घरेलू सामानों के लिए सभी घर पर डिलीवरी करने वालों पर निर्भर हो जाएंगे? सभी का कहना था कि हम कुछ साल पीछे चले जायेंगे। लेकिन मैं मानती हूँ कि हम कुछ साल आगे बढ़ जाएंगे ।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
लॉक डाउन में एक माह से लोग घरों में बंद हैं l कहा गया है "खाली दिमाग़ शैतान का घर "l आज हमारे पास लॉक डाउन के चलते कोई काम नहीं ,कोई मुद्दा नहीं सिवाय खाने पीने के ऐसे परिवेश में लॉक डाउन के चलते सोशल मीडिया पर हमारी सक्रियता 87%बढ़ गई है और कोरोना संबंधित सूचनाओं का स्रोत सोशल मीडिया ही है ,असमंजस की स्थिति तो तब होती है जब सही और फेंक न्यूज को परखने के चककर में हम बर्न आउट के शिकार हो रहे है और यह हमारी स्थिति हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छी नहीं है क्योंकि आज व्यक्ति हर न्यूज को परखना चाहता है l किसी ने खूब कहा है -
परखना मत परखने में कोई अपना नहीं रहता l
किसी भी आईने में देर तक चेहरा नहीं रहता ll
लेकिन मानव प्रवृति है वो परखे बिना नहीं रह सकता l
एक तरफ समाज कोरोना वायरस के कारण उतपन्न हुई समस्या (स्वास्थ्य और अर्थ व्यवस्था )से जूझ रहा है वहीं फेंक न्यूज के कारण उतपन्न समस्याएं मनोवैज्ञानिक और सामाजिक ताने बाने को चोट पहुंचा रही हैं l इस समस्या से निज़ात पाने के लिए अनुशासन ,संयम और विवेक की नितांत आवश्यकता है .
सामान्यतः दिन में एक दो बार स्वास्थ्य विभाग की वेबसाइट या सोशल एकाउन्ट देखकर अधिकृत सरकारी स्रोत ,W.H.O.की जानकारी फ्लैग कर सकते हैं l भारत सरकार ने कोविड इण्डिया नामक ट्वीटर हेंडल शुरू किया है l आज मानव को अपने विचारों ,सूचनाओं का तीव्र गति से सम्प्रेषण माध्यम ke रूप में उभरा है l सोशल मीडिया जो कि हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है ,फोलो अरस l जब इनके माध्यम से जुड़ते हैं तो उनकी एक समान विचार धारा होती है जिससे नामुमकिन लक्ष्य भी आसानी से प्राप्त हो जाते हैं l हम समाज के लिए बेहतर कार्य कर सकते हैं l
निकटतम रिश्तेदारों से वीडिओ कॉलिंग प्रिय जनों से साक्षात सम्पर्क का माध्यम है l निःशुल्क शिक्षण ,फोटो संदेश भेजना ,अभिव्यक्ति की आजादी ,मनोरंजन का साधन ,ग्रुप में संचार का प्रमुख साधन ही नहीं अपितु सोशल मीडिया ज्ञान का नया भंडार है l विशेषज्ञों से अभिनव जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं l लॉक डाउन में शिक्षा विभाग ई लर्निंग से शैक्षिक व्यवस्थाएं बनाये हुए है ,यू ट्यूब फ्लैग फॉर्म से कुकीज ,गीत -संगीत आदि सुविधाएँ तथा रोजगार के नए अवसर पैदा हुए हैं l ये हमारे ऊपर निर्भर है कि लॉक डाउन में सोशल मीडिया को वरदान बनाते हैं या अभिशाप ,लेकिन यह कदाचित उचित नहीं है कि आवश्यक कार्यो को छोड़कर हम सोशल मीडिया में मशगूल रहे ,लत लगना बुरी बात है घंटो तक बैठे रहने से ब्लडप्रेशर ,मधुमेह की बीमारी लग जाती है l बच्चे पढ़ाई से जी चुरा रहे हैं ,आँखों पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है l समय की बर्बादी ,समाज और राजकार्य में गैर जिम्मेदारी की भावना बढ़ रही है l असामाजिक लोग झूंठी अफवाह फैलाकर साम्प्रदायिक दंगे भड़का रहे हैं l सोशल मीडिया हमें वास्तविकता से दूर ले जा रहे हैं लेकिन हम सोशल मीडिया के द्वारा नई नई चीजें सीखें अभिरुचि पैदा करें ,धार्मिक सीरियल देखें ,बागवानी के नए तरीके सीखें ,हेण्डी क्राफ्ट बनाना सीखें ,सोशल मीडिया के माध्यम से किसी सामाजिक संगठन से अपने मित्रों को जोड़कर जरूरत मंदो की मदद करें क्योंकि मदद हमेशा सकारात्मकता की तरफ ले जाती है -
दीवारों पर दस्तक देते रहियेगा
दीवारों में भी दरवाज़े बन जायेंगे
जिंदगी तू मुझे पहिचान न पाई लेकिन
लोग कहते हैं कि मैं तेरा नुमाईंदा हूँ
सोशल मीडिया के बारे में -
सोच को बदलो ,सितारे बदल जायेंगे
नज़र को बदलो नजारे बदल जायेंगे
चलते चलते -
लॉक डाउन में अपने से करीबी ,सोशल मीडिया से दूरी ,तो फिर आसपास भी नहीं भटकेगा कोरोना
- डॉ. छाया शर्मा
अजेमर - राजस्थान
सोशल मीडिया वैसे भी हमेशा एक्टिव रहती है। सोशल मीडिया के सामने टीवी चैनल वाले, अखबार वाले हमेशा पीछे हो जाते है। मिनटों की खबर व्हाट्सएप के माध्यम से प्राप्त हो जाता है। जहाँ तक लॉक डाउन का सवाल है तो इस समय सोशल मीडिया की सक्रियता ज्यादा बढ़ी है। शायद इतना पता तो हॉस्पिटल के डॉक्टर को भी नही रहती की कौन मरीज कहाँ पर है पर इसकी जानकारी सोशल मीडिया में आपको जरूर मिल जाएगी।लॉक डाउन के घड़ी में सभी प्रकार के मुसीबत में सोशल मीडिया का बहुत बड़ा योगदान रहा है। कोरोना वायरस से बचने का ज्यादा तरीका और तरह तरह की अनमोल जानकारी आपको समाचार चैनल, समाचार पत्र से ज्यादा व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर पर ताजी मिल जाएगी। लगातार चौबीस घंटे की सक्रियता और कही मिलती है तो सोशल मीडिया के माध्यम से। इसलिए कह सकते है कि कोरोना वायरस से बचने का उपाय में सोशल मीडिया की भागीदारी ज्यादा सक्रिय थी। हालांकि सोशल मीडिया का उपयोग गलत तरीके से भी कर रहे है।और बिना मतलब की खबरे और उलझनी बाते ज्यादा रहती है।
- राम नारायण साहू "राज"
रायपुर - छत्तीसगढ़
वर्तमान समय में सोशल मीडिया स्वतंत्र अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम बन गया है। युवा व बुजुर्ग सभी सक्रिय दिखाई देते हैं ।पर लॉकडाउन के वजह से सोशल मीडिया पर सक्रियता ज्यादा बढ़ गई है।सोशल साइट्स मन की भावनाओं को व्यक्त करने का माध्यम ही नहीं मन को जोड़ने का साधन भी बन गया है। मन की पीड़ा की अभिव्यक्ति, राग- द्वेष ,प्रेम इजहार सब का माध्यम बन गया है।
आज लॉकडाउन के समय में जब सारे लोग अपने घरों में लॉकडाउन है सरकार कोरोना से संबंधित नियम,गाइडलाइनस जन-जन तक पहुंचाने में सोशल मीडिया के द्वारा अच्छी तरह समर्थ हो रही है । देश- विदेश के डॉक्टर कोरोनावायरस से लड़ने में क्या सतर्कता व सावधानियां बरतनी चाहिए इससे संबंधित महत्वपूर्ण बातों की जानकारी हम तक पहुंचाने में सक्षम हो रहे हैं।
लॉकडाउन के दौरान छुट्टियों की वजह से सभी लोग अपने समय का सदुपयोग सोशल मीडिया के मार्फत क्रिएटिविटी को उभारने में कर रहे हैं। युवा वर्ग में सोशल नेटवर्किंग साइट्स का क्रेज दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा है। इसके माध्यम से सभी अपने हुनर को निखारने में लगे हैं। कोई कविता लिख रहा है, कोई आर्टिकल ,कोई कोट्स के माध्यम से अपना सुविचार व्यक्त कर रहा है ,कोई वीडियो बना एक दूसरे तक न्यूज़ पहुंचा रहा है तो कोई वीडियो द्वारा गलत कार्यों का भंडाफोड़ कर रहा है। कोई वाद्य यंत्र पर संगीत सुना रहा है ,कोई चित्रकला द्वारा ,कोई पाक कला द्वारा अपने हुनर को निखारने में लगा है। गुणों को निखारने में अधिकांश जनता व्यस्त दिखाई दे रही है। पहले हम राष्ट्रीय न्यूज़ चैनल पर निर्भर रहते थे पर अब सोशल मीडिया के माध्यम से हम स्वतंत्र न्यूज़ चैनल द्वारा हर तरह के समाचारों से अवगत हो रहे हैं।
इस तरह से हम देख रहे हैं कि लॉकडाउन के दौरान सोशल मीडिया की सक्रियता इतनी अधिक बढ़ गई है कि समय की बोरियत महसूस नहीं होती। एक तरह से सोशल मीडिया वरदान साबित हो रहा है। सभी समय का सदुपयोग करते हुए नए-नए चीजों को सीखने में लगे हैं।
सोशल मीडिया की बढ़ती सक्रियता का एक पक्ष वरदान तो दूसरा पक्ष अभिशाप भी बनता जा रहा है। बेवजह राजनीति में पड़ते हुए जब लोग भद्दे कमेंट करते हैं तब इसका बुरा असर पड़ता है। लोगों में दूरियां बढ़ती है, समाज में नफरत भी फैलता है जो कदापि ठीक नहीं।
हमें सावधानी बरतनी है कि सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हुए इसका सदुपयोग करें। अच्छे कार्य द्वारा देश हित में योगदान करें ताकि हमारे लिए सोशल मीडिया वरदान साबित हो अभिशाप नहीं ।
- सुनीता रानी राठौर
ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
लॉकडाउन के चलते सोशल मीडिया की सक्रीयता अवश्य बढी़ है! मीडिया का अर्थ है जनसंचार का माध्यम --- इनका उद्देश्य समाज के विभिन्न अंगों के बीच संवाद पैदा करना है ! मीडिया का काम जनता एवं प्रशासन दोनों को सही मार्गदर्शन दे दोनों को वास्तविकता दिखाना है !
ऐसा नहीं है मीडिया हमें गुमराह ही करती है !
आज पिछले 1 महीने से लॉक डाउन की वजह से हम घर पर हैं तब सोशल मीडिया ने हमारी जिंदगी में अहम स्थान बना लिया है ! इसके अनेक फीचर हैं जैसे --टीवी द्वारा प्रचार-प्रसार प्रसारण ,उद्योग को बढ़ाने में ,शिक्षा में एवं मिनट क्या सेकंड में फेसबुक व्हाट्सएप द्वारा लोगों से संपर्क होता है ! हमारी दूरियां नज़दीकियां में तब्दील होती है !लॉकडाउन में बच्चे गेम क्रिएटिविटीज़ गृहिणीयां यू ट्यूब में तरह-तरह के व्यंजनों की रेसिपी देख खाना बनाती है एवं घरवालों को खुश रखती है ,ऑनलाइन पढ़ाई ,जॉब, सभी हो रहा है !
ऐसे अनेक फायदों के चलते वह हमारा करीबी मित्र बन गया है जिसके चलते सोशल मीडिया की सक्रियता बढ़ गई है और वह हमारा अंतरंग मित्र बन गया है !
अंत में कहूंगी मीडिया हमारी जिंदगी में धूप छांव दोनों का साथ देती है ! मीडिया ही लोकतंत्र की सच्ची सेवा कर सकता है क्योंकि मीडिया ही जनता और प्रशासन के बीच की कड़ी है ! वास्तव में मीडिया में काम करने वालों का दायित्व है कि वह समाज कल्याण के लिए निष्पक्षता से कार्य करें ना कि भय और नकारात्मकता के भाव पैदा करें !
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
सूचना क्रांति के दौर में सोशल मीडिया एक सशक्त माध्यम है। व्यक्ति से लेकर परिवार, समाज ,राष्ट्र, अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र जीवन- जगत से जुड़े सभी पहलुओं को उजागर करने में सोशल मीडिया के अंतर्गत टीवी तथा मोबाइल में भी विभिन्न प्रक्रियाओं के तहत यथा- व्हाट्सएप, फेसबुक टि्वटर, इंस्टाग्राम, टिक टाक, ऑडियो, वीडियो, यूट्यूब, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा जन-जन तक सूचनाओं को एक-दूसरे तक सेकंड में पहुचाने की श्रेष्ठता सिद्ध कर चुके हैं ।कोरोना वायरस के कारण त्राहि-त्राहि करती हुई जनता लॉक डाउन में भी हर समाचार तथा जीवन- निर्वाह करने के समस्त तौर-तरीकों को इनके माध्यम से प्राप्त कर रही है। इस बीमारी के निदान, बचाव ,उपचार के तरीके सब आज घर बैठे ही देख व समझ सकते हैं। सरकार की कार्यप्रणाली की कॉन्फ्रेंसिंग, नियम, फिर कोई महत्वपूर्ण घोषणा जनता के समक्ष प्रस्तुत करना और उसको पालन कराना; इन सब में आज सोशल मीडिया की सक्रियता कुछ अधिक ही बढ़ गई है। जीवन से जुड़ा हर क्षेत्र, हर वर्ग के लिए सम्पूर्ण जानकारी का माध्यम सोशल मीडिया बन गया है। अतः यह समय का सही नियोजन भी करा रहा है ।
- डॉ. रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
सच पूछो तो लाॅकडाउन ने सच्चे-झूठों के काले-चिठ्ठे का पारदर्शी कर दिया है। क्योंकि जो मानव व्यस्तता का चोला ओढ़ चादर तान कर सोते थे,या घर से बाहर होने का नाटक करते थे।उन्हें कोरोना के लाॅकडाउन ने जन्मजात नंगा कर दिया है।
अब तो उनके बारे में कहते सुना है कि वह कहते हैं कि बाहर जाओ तो कोरोना का डर और घर में रहें तो "ऐरा गेरा नत्थु खेरा" परेशान करता है।
समस्या यह भी भारी है कि सोशल मीडिया पर लिखें तो खाली बैठे बोर हो रहे मित्रवर छोटी से छोटी गल्ती भी ढूंढ निकालते हैं।अब समस्या यह भी वर्णनीय है कि हमारा हाथ हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में हाथ तंग है।
इसलिए सोशल मीडिया भी समस्तजनों के लिए हितकारी प्रमाणित नहीं हो रहा।परेशानियों की भरमार इतनी अधिक है कि शराब के ठेके खुल नहीं रहे और मोदी जी को कौन समझाए कि बार-बार चाए पी नहीं जाती। इसलिए जाएं तो जाएं कहां और करें तो क्या करें?
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
कोरोना महामारी को फैलने से रोकने के लिए पूरे देश मे लोकड़ाऊंन किआ गया है,ऐसे में सोशल मीडिया की सक्रियता निश्चित तौर पर बढ़ गई है।आफिस का काम हो,बच्चों की पढ़ाई हो या फिर साहित्यिक गतिविधियाँ सभी सोशल मीडिया के सहारे ही चल रहे हैं।कुछ लोग नेट के द्वारा काम निबटा रहे तो मनोरंजन का सहारा भी सोशल मीडिया ही है।हम घर बैठे देश विदेश की खबरें भी इंटरनेट पर देख लेते हैं,दूर बसे बच्चों से ज़ूम और गूगल डुओ जैसे एप्प से बात कर लेते हैं वो ठीक हैं इसकी तसल्ली हो जाती है,और ये सब संभव हो पाता है सोशल मीडिया की सक्रियता से
- संगीता सहाय
रांची - झारखण्ड
आज का नौजवान हो या प्रौढ़, बच्चा हो या किसी भी उम्र का व्यक्ति, सभी के पास अपने अपने मोबाइल है और सत्तर प्रतिशत लोग व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम या ट्विटर के उपयोग करते हैं। इस समय जब लॉक डाउन का समयावधि चल रही है तो सभी को मोबाइल से सोशल मीडिया के सहारा मिल रहा है।
ज्यादातर लोग मैसेज फॉरवर्ड करने में लगे रहते है। परंतु वही कुछ लोग अपने समय का सदुपयोग कर रहे हैं और नई नई चीजें बनाना सीख रहे हैं। फिर अपने परिवार, मित्रों और ग्रुप में भेज रहे हैं। दूसरे भी उनको देख कर उत्साहित हो कर कुछ नया सीखने का मन बना लेते हैं।
फेसबुक और इंस्टाग्राम पर इन दिनों नई नई वीडियो की बाद आई हुई है।
कोई पकवान बना रहा है तो कोई पेंटिंग सीख रहा है।कई महिलाओं ने तो सिलाई भी सीखी है। कोई योग कर रहा है तो कोई डांस सीख रहा है। कोई e-book के सहारे पढ़ाई कर रहा है।
कुछ लोग नई नई भाषाएं भी सीख रहे हैं। लेकिन इन सब के साथ गलत अफवाहों का भी बहुत ज़ोर है।
हमें इस समय अपने समय का सदुपयोग करते हुए आगे बढ़ना है न कि ऐसी किसी गलतबातों में अपना अमूल्य समय गंवाना है।
- सीमा मोंगा
रोहिणी - दिल्ली
सोशल मिडिया की उपयोगिता और सक्रियता इन दिनों अत्याधिक बढ़ गई है।आज जब अन्य सभी मार्ग बंद हो गये हैं और हर व्यक्ति अपने घरों में बंद हो गया है कोरोना जैसी महामारी के कारण ।इस विषम परिस्थितियों में सोशल मिडिया की भागीदारी अत्यंत बढ़ भी गयी है और लोग अनगिनत कार्यों का निबटारा इसी सोशल मिडिया के द्वारा इन दिनों कर रहे है ।आजकल की जिंदगी हमारी इसी सोशल मिडिया से काफी प्रभावित हो गई है।लोग पहले भी इसका उपयोग करते थे पर इन दिनों लगभग हम सब इसी पर आश्रित हो गये हैं ।सारी ज़रूरी जानकारियां इस सोशल मीडिया पर उपलब्ध है और हर व्यक्ति इससे रू _ ब_रू हो सकता है । बच्चों को पढ़ने का जरिया भी आज यही सोशल मीडिया बन गयी है । फेसबुक, वाट्स अप,तरह_ तरह के मनोरंजन हेतु गेम्स सब हीं तो है इस पर ।देश दुनिया की अनगिनत खबरें पल भर में हम सबको सोशल मिडिया वाकिफ करा देता है । आज हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग हमारा सोशल मिडिया बन गया है और दिन दुनी रात चौगुनी सोशल मीडिया की उपयोगिता बढ़ती हीं जा रही है ।
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार
हम कह सकते हैं कि लॉक डाउन की स्थिति में सोशल मीडिया पर सक्रियता काफी हद तक बढ़ गई है।
यह सच है कि इस समय कोरोना के डर से घर में खुद को कैद किए हुए लोग किंकर्तव्यविमूढ़ सी स्थिति से गुजर रहे हैं। ऐसे में क्या करें या तो घरेलू काम करें बचे हुए पुराने पेन्डिंग काम निपटाएं या फिर मनोरंजन के नाम पर टीवी में सीरियल देखें ,समाचार सुने। कोरोना से संबंधित खबरों की जानकारी लें। आजकल ज्यादातर लोग सोशल मीडिया पर अपना टाइम व्यतीत कर रहे हैं ,चाहे वह छात्र हैं जो ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं ,या कोई गेम खेल रहे हैं ,या फिर महिलाएं गूगल सर्च पर तरह-तरह के व्यंजन बनाने की विधि ढूंढ रही है, या फिर युवा लोग और भी तरह तरह की जानकारियां हासिल करने के लिए सोशल नेटवर्क से जुड़े हुए हैं ,चाहे वह कोरोना से संबंधित नई न्यूज़ हो या फिर फेसबुक, यूट्यूब वगैरा वगैरा ।जो भी सामग्रियां उपलब्ध है सोशल मीडिया पर उन सब का भरपूर उपयोग हो रहा है। इस स्थिति में और करें भी तो क्या करें बाहर जा नहीं सकते ,लोगों से फोन पर बात हो सकती है चैटिंग हो सकती है ,तो इन सबका यही एक माध्यम है । जिसे हम कर सकते हैं किला लॉक डाउन में सोशल मीडिया को अपने समय व्यतीत करने का माध्यम बनाए हुए हैं चाहे वह गेम हो, मनोरंजन हो या कोई अन्य प्रकार की जानकारियां या फिर संबंध निभाने की बात हो, और यह सही भी है इसमें क्या गलत है । तो हम क्या सकते हैं कि लॉक डाउन में लोग सोशल मीडिया पर बहुतायत में सक्रिय हो गए हैं
- सुषमा दिक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
" मेरी दृष्टि में " सोशल मीडिया ऐसा प्लेटफार्म है । जहाँ पर समय का कुछ नहीं पता चलता है । वैसे भी हर इंसान आज के समय में सोशल मीडिया से चुडा रहता है । परन्तु लॉकडाउन की वजह से समय काटना आसान नज़र आता है । - बीजेन्द्र जैमिनी
सम्मान पत्र
इसमें कोई दो मत नहीं लॉक डाउन ने सोशल मीडिया में लोगों की सक्रियता को बढ़ाया है ।
ReplyDeleteबढ़िया परिचर्चा !
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