लॉक डाउन में बेजुबान पशु पक्षियों के लिए क्या इंतजाम होना चाहिए ?

लॉक डाउन में हर किसी ने अपने परिवार के लिए राशन का समान एकत्रित कर लिया है । परन्तु बेजुबान पशु पक्षियों के लिए इंतजाम भी हमें करना हैं । यह जिम्मेदारी हम सब को निभानी चाहिए । यहीं " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
हाय रे आई विचित्र महामारी,
पशु पशुओं पर संकट है भारी।
     सरकार द्वारा गरीबों के उत्थान के लॉक डाउन के समय अथक प्रयास किए जा रहे हैं। मनुष्य उसका लाभ भी उठा रहे हैं, परंतु बेचारे बेजुबान पशु - पक्षी भोजन न मिल पाने के कारण भूख से व्याकुल होकर इधर-उधर भ्रमण कर रहे हैं।हम सबकी मानवता न जाने कहां लुप्त हो गई है,बेचारे बेजुबान पशु पक्षियों के लिए कोई सोच ही नहीं रहा है।
    यदि हम सब थोड़ा सा भी प्रयास करें तो दर-दर भटकते बेजुबान पशु पक्षियों का भी पेट भर सकता है। प्रत्येक घर यदि चाहे तो अपने भोजन के साथ साथ दो रोटी अतिरिक्त बनाकर बाहर भटकते किसी भी जानवर जैसे कुत्ते,बकरी, गाय आदि को दे सकते हैं।अपनी छत पर चावल के दाने और एक पात्र में पंछियों के लिए पानी रखकर उन्हें राहत दे सकते हैं। मनुष्य बुद्धिमान प्राणी है यदि वह केवल अपना न सोचकर सबका भला करने के भाव को अपने भीतर पैदा करे तो आज चर्चा का विषय  यह न होकर कुछ इस प्रकार का होता कि विषम से विषम परिस्थितियों में भी बेजुबान पशु पक्षियों के संरक्षक संवेदनशील मानव।
- डॉ.विभा जोशी (विभूति)
 दिल्ली
बेजुबान पशु पक्षियों के लिए लाक डाउन में भोजन का इंतजाम विषय पर विचार करते हुए सर्वप्रथम तो यह कि जो पालतू पशु पक्षी हैं उनकी व्यवस्था उनके मालिक उनके पालने वाले कर ही रहे हैं। दूसरे जो पशु पक्षी प्रकृति में स्वच्छंद रूप से विचरण कर रहे हैं,उनके लिए कुछ विशेष व्यवस्था करने की कोई आवश्यकता नहीं। क्योंकि प्रकृति ने उनके लिए भरपूर व्यवस्था कर रखी है। हम जंगल में किसी जानवर को, पंछी को उसका भोजन देने के लिए जाते हैं क्या ? हम सड़क पर घूमते किसी आवारा पशु को भोजन कराने जाते हैं क्या कभी? शायद नहीं, कुछ विशेष दिनों में पूजा पाठ के आयोजनों में गौवंश के लिए, पक्षियों के लिए दाना आदि दान की व्यवस्था जरुर करते हैं, लेकिन सामान्यतः प्रतिदिन नहीं।ये बेजुबान पशु पक्षी, मानव से ज्यादा समझदार होते हैं।मौसम और परिस्थितियों के अनुसार ये अपना रहन सहन और खान-पान संतुलन बनाए रखते हैं। इसके लिए यह हजारों किलोमीटर की यात्रा करने से भी नहीं चूकते। मेरे विचार से तो इसमें किसी विशेष व्यवस्था की आवश्यकता नहीं है।
- डॉ अनिल शर्मा'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
आज इस वैश्विक महामारी के चलते लॉकडाउन है वह मानव जाति की ही देन है किंतु इसका खामियाजा मूक प्राणी पशु पक्षी को भी भोगना पड़ रहा है !
उन्होंने हमारे लिए बहुत कुछ किया है हमेशा सेवा ही दी है किंतु आज उन मुक प्राणी की वेदना को हम कितना समझ पा रहे हैं उनकी तरफ ध्यान देना भी हमारा कर्तव्य है!
 मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और वह अन्य प्राणी से भिन्न है ! मानव में मानवता के गुण होना आवश्यक है जहां वेदना है वहां संवेदना तो होती ही है ! मनुष्य संवेदनशील होता है जिसके प्रति वह संवेदना रखता है उसको कष्ट होने से उसे दुख होता है उसकी वेदना को वह आत्मीयता दे उसके प्रति संवेदनशीलता दिखाता है लॉक डाउन के चलते पशु पक्षी को दाना, पानी कैसे दें बेचारे मूक प्राणी का भी हमें ध्यान सबकी तरफ आकर्षित करना होगा ! चिड़िया, कौवे, कबूतर सभी पंख धारी पक्षियों को पानी ,दाना ,चावल वगैरह दें ताकि वे भी भोजन ले अपना जीवन जी सकें ! गाय ,कुत्ते ,बिल्ली सभी पशुओं को रोटी, ब्रेड ,बिस्किट देकर उनकी सुधा शांत करें !
आज हम देख रहे हैं लॉकडाउन के चलते सभी जानवर बाहर आ गए हैं मानो हमें ढूंढ रहे हो कि सब कहां गए!
 बंदर जो उछल कूद करते थे आज भूख से शांत सड़कों पर विचरण करने लगे हैं, सभी पक्षी पशु जानवर वेदना भरी नजरों से निर्भीक हो हमारे सामने याचना लिए खड़े रहते हैं कि हम उन्हें आहार पानी दे उनकी क्षुधा शांत करेंगे उन्हें कितनी आशा होती है 
हमने सब कुछ तो उनसे छीन लिया है उनका घर बार ,नदी ,नाले, सरोवर जहां से वे पानी पीते थे आज कुदरत हमें हमारी किए गए भूल को सुधारने का मौका दे रही है हम भी लॉकडाउन में कुछ ऐसे ही दिन देख रहे हैं !
अतः हमें पशु पक्षी के रखरखाव का भी ध्यान देना होगा !
 जगह-जगह पानी का प्रबंध पक्षी के लिए अनाज दाना ,स्ट्रीट डॉग को बिस्किट ,पानी ,रोटी और जो बीमार हो तो इलाज भी करवाएं गायों का भी ध्यान दें !
घर के बाहर, छत,  बरांडे में पानी का बर्तन रखें ताकि पक्षी पी सके! गाय, कुत्ते ,बिल्ली के लिए जगह जगह पानी की टांकी अथवा माटी के बड़े बरतन रखें! 
अंत में कहूंगी प्रत्येक जीव ईश्वर का अंश है !
मानव और पशु पक्षी जानवर दोनों से ही प्रकृति का संतुलन बना रहता है !मानव प्राकृति को संवारता है तो पशु पक्षी उसका सौंदर्य और वातावरण को संतुलित करने में सहायक होते हैं !दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे हैं !
"यही तो कुदरत की लीला है "
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
लॉक डॉउन में बेजुबान पशु पक्षी इधर उधर भटक रहे है। लॉक डाउन में शहर हो या गाँव बेजुबान पशु पक्षी मवेशियो के लिए दाना स्थल बनाने चाहिए हम सबकी भी जिम्मेदारी बनती है पाक्षियों के लिए अपनी छतो पर दाना डाले ताजा पानी बर्तन मे भरकर रखे मवेशियो के लिए प्रशासन समाजिक संस्थाओं को आगे आकर जानवरो के लिए भोजन उपलब्ध करने की जिम्मेदारी उठानी चाहिए। कुछ संस्थाऐ आगे आ रही है पशु पक्षियो मवेशियों को चारा दाना पानी उपलब्ध करा रही है । गाडियो के ना चलने की वजह से चारा मिलने में कठनाई हो रही है हम सब को भी प्रयास करना चाहिए।बेजुबान पशु पक्षियों की सुरक्षा मानव की जिम्मेदारी है। पशु पक्षी हमेशा हमारे काम आये है।
इस संकट की घड़ी में लॉक डाउन के चलते हम सब को उन बेजुबान पशु पक्षियों की सहायता करनी होगी।
बेजुबान है वो एक दरकार 
दाना पानी की लगाये गुहार।
- नीमा हँसमुख
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
 लाख डाउन से केवल मानव ही नहीं पशु-पक्षी भी प्रभावित हो रहे हैं माना तो किसी भी तरह से अपना उदर पूर्ति कर रहा है लेकिन जो बेजुबान पशु पक्षी हैं उनका व्यवस्था नहीं हो पा रहा है ऐसी स्थिति गांव की अपेक्षा शहर के पशु पक्षियों में देखने को मिलता है गांव में तो बहुत से पशु निजी होते हैं जिसका देखभाल उसका मालिक कर लेता है लेकिन शहर में आवारा और बेजुबान घूमने वाले पशु पक्षियों को भोजन जुगाड़ करने में परेशानी हो रही है ऐसी स्थिति में सामान्य नागरिक हो या सरकार या समाजसेवी संस्था हो सभी को इन  बेजुबान  पशु पक्षियों पर पर दया भाव से उनकी खाने की व्यवस्था  यथासंभव करनी चाहिए पशु-पक्षी भी हमारे जीने में सहयोगी हैं यह भी प्रकृति की एक इकाई है  इनका देखभाल करना हमारा कर्तव्य है। प्रकृति में इन पशु पक्षियों की पोषण की व्यवस्था बनी हुई है लेकिन हम मानव जाति इनकी व्यवस्था को बिगाड़ दिए हैं और उनको अव्यवस्थित होकर जीने के लिए छोड़ दिए हैं ।  मनुष्य इसकी भरपाई पशु पक्षियों की सेवा करके कर सकते हैं गांव में पशुओं की सेवा गांव के लोग अच्छी तरह से कर लेते हैं गांव में चारागाह एवं तलाव की व्यवस्था होती है जो खुद पशु चारा चढ़कर तलाव का पानी पीकर अपना पोषण कर लेते हैं लेकिन शहर के पशु को बड़ी परेशानी होती है वहां चारागाह ना पानी की व्यवस्था नहीं हो पाती सब शायरी वाले टंकी और नल वाले हैं जिसे पशु उसका उपयोग नहीं कर पाता अतः इसी को ध्यान में रखते हुए मनुष्य को बेजुबान पशुओं पर दया भाव से उनकी भोजन की व्यवस्था करनी चाहिए।   यही हमारा मानव धर्म है।
इसी संदर्भ में एक कविता है : -
  जिनके होने से हम हैं ,
उनका करो संरक्षण।
 उनके सुख की कामना ले,
 करो विचार और चिंतन ।
चिंतन और विचार से ,
कोई तो हल निकल जाएगा ।
 आवर्तन शीलता बनी रहने से, धरती स्वर्ग बन जाएगा।
 ना यहां तेरा ना यहां मेरा,
 यहां है सभी का बसेरा।
  जागृति की ओर बढ़े चलो।
 आएगा एक दिन नया सवेरा।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
लॉक डाउन में बेजुवान पशु पक्षियों का ध्यान सभी को रखना चाहिए क्योंकि ये भी पर्यावरण का एक हिस्सा हैं । प्रकृति में उपस्थित सभी जीवों का अपना विशिष्ट महत्व है । जहाँ पशु हमें उपयोगी पदार्थ देते हैं, खेती व परिवहन के कार्यों में इनका अनूठा योगदान रहता है वहीं पक्षी फल खाकर बीजों को विभिन्न क्षेत्रों में फैलाते हैं जिससे अपने आप ही पौधा रोपण हो जाता है । 
हम सबको जो भी संभव हो इन जीव जंतुओं को भोजन देना चाहिए । गाय कुल के जानवरों को फल व सब्जियों के छिलके , बचा हुआ भोजन देना चाहिए । सड़क में घूमते हुए कुत्ते को भी खाने योग्य पदार्थ अवश्य  दें । इस संकट के दौर में दूधवाला नियमित सेवा दे रहा है अतः उससे भी पता करें कि वो अपने पशुओं के लिए भूषा व चारा पा रहा है या नहीं , जो सहयोग बन पड़े उसका भी करें ।
देखने में आया है कि कई संस्थाओं द्वारा सड़क में घूम रहे पशुओं को भी चारा दिया जा रहा है । मानवता हमारा धर्म है ।अतः इसकी रक्षा करें ।
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर -  मध्यप्रदेश
लाॅकडाऊन चलते पशु पक्षियों के लिए समुचित पौष्टिक चारे की व्यवस्था होनी चाहिए। आवारा पशु को भी गौसदन में डालकर वहां भी सरकार को चारे की समुचित व्यवस्था करनी चाहिए। पक्षियों के लिए लोग अपने बालकनी के बाहर पानी के कटोरी रख देनी चाहिए तथा उनके लिये दाने भी बिखेर देनी ताकि वे भी अपने उदर की पूर्ति हो सके। आदमी की भूख के साथ साथ जानवरों की भूख का भी इंतजाम जरूरी है। ताकि बेजुबान पशु का सही समाधान हो सके। क्योंकि इनसे इंसानों से जरूरत की चीजें लगभग मिल जाया करती है।इनके बिना मानव अधूरा है। अतः इनकी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होने चाहिए। समय समय पर पशुओं की चिकित्सा जांच भी जरूरी है।
- हीरा सिंह कौशल 
 मंडी - हिमाचल प्रदेश
 लॉक डाउन में मनुष्य अपने आप को बचाने के लिए सिर्फ अपने बारे में ही परेशान रहा और वर्तमान में भी है। इसके चक्कर में बेजुबान पशु पक्षियों की हालत ऐसे हो गई है मानो कहर की टूट पड़ा हो।  बेचारे उन बेजुबान पक्षियों और जन्तुओ का और हाल बुरा है जो पिंजरे में बंद दुकान के अंदर है। उनकी चीख पुकार सुनने वाला कोई नही है।यह बेजुबानो के लिए बहुत बड़ी आपातकाल है।।ऐसी स्तिथि में लॉक डाउन में बेजुबान पशु पक्षियों के लिए शासन प्रशासन को चारा, दाना और पानी की व्यवस्था शीघ्र करना चाहिए । और जो दुकानदार पक्षी और जन्तु पाले है उनको भी इनके लिए भी खाने पीने की व्यवस्था करनी चाहिए। बाजार और बस्तियों में घूम रहे पशुओ की देखभाल सबको मिलकर करने की जिम्मेदारी हर नागरिक की होनी चाहिए ताकि सभी की जान  बच सके।
- राम नारायण साहू "राज"
रायपुर - छत्तीसगढ़
भारतीय संस्कृति में सर्वप्रथम गाय को रोटी खिलाने और  पक्षियों के लिए घर के कोने में अन्न-जल रखे जाने की परम्परा है। लाॅकडाउन में प्रत्येक नागरिक को अपनी इस परम्परा के दायित्व को विस्तृत रूप देते हुए कि अपने घर के आसपास के अधिकाधिक पशु-पक्षियों के लिए पानी-भोजन की अनिवार्य व्यवस्था करनी चाहिए। 
स्वयंसेवी संस्थायें भी अपने सामाजिक कार्यों में पशु-पक्षियों के भोजन की व्यवस्था को प्राथमिकता दें। 
इस समय पशु संरक्षण संस्थाओं का मह्त्वपूर्ण दायित्व हो जाता है कि वे अपना शत-प्रतिशत योगदान दें। 
शासन-प्रशासन को भी इस दिशा में नगरपालिका /नगर निगम की भूमिका सुनिश्चित करनी चाहिए।
और अन्त में पुन: यही कहना चाहूंगा कि चूंकि लाॅकडाउन में शासन-प्रशासन, सामाजिक संस्थाओं, स्वयंसेवी संगठनों का सेवा कार्य का क्षेत्र व्यापक है इसलिए हम सब को व्यक्तिगत रूप से निकटवर्ती पशु-पक्षियों के अन्न-जल की व्यवस्था अवश्य करनी चाहिए। 
हर घर के बाहर कोने में दो बर्तन हों जरूर, 
उपकार होगा जो अन्न-जल से भरे रख पाओगे। 
योगदान अपूर्व है पशु-पक्षियों का मानव जाति के लिए, 
चैन मिलेगा हृदय को जो मानव का फर्ज निभाओगे।। 
- सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग'
 देहरादून - उत्तराखंड
 21 दिनों के लॉकडाउन के बाद 3 मई तक इसे बढ़ाने के फैसले के बाद आवारा पशुओं के लिए बड़ा संकट खड़ा हो गया है। होटल, बाजार बंद होने से आवारा पशुओं को खाने को नहीं मिल रहे हैं। कई जगहों पर भूख के चलते आवारा कुत्तों की मौत भी हो रही है।
दिनोंदिन लाकडाऊन के साथ साथ बढ़ रही गर्मी की तपिश ने मनुष्य ही नहीं, पशु पक्षियों का हाल भी बेहाल कर रखा है। गर्मी के इस मौसम में हर किसी को पानी की ज्यादा आवश्यकता महसूस होती है। मनुष्य तो कैसे भी करके अपनी पानी की जरूरत पूरा कर लेता है, लेकिन मूक पशु पक्षियों को पानी नहीं मिलने पर यहां-वहां भटकना पड़ता है। है। इनके लिए पानी की खेळ और परिंडे नहीं होने से इन्हें प्यासा तड़पना पड़ता है। कई बार तो पानी की कमी से पशु-पक्षी अकाल मौत के शिकार हो जाते हैं।लाकडाऊन के चलते लोग स्वंयम  परेशान हैं ऐसे में 
कोंई  कैसे ध्यान दे पशुओ की तरफ 
इस समय शहर का तापमान 43 डिग्री सेल्सियस है और गर्मी से इंसान से लेकर जानवर ओर पेड़-पौधे भी बुरी तरह प्रभावित है। पशु-पक्षियों की पानी की जरुरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त संख्या में खेळ और परिंडों की व्यवस्था होनी चाहिए लेकिन इन बेजुबानों की ओर ध्यान देने वाला कोई नहीं है। ऐसे में पशु-पक्षी प्यास बुझाने के लिए इधर-उधर भटकते परेशान होते देखे जा सकते हैं। इस तरफ न तो प्रशासन का ध्यान है और न ही स्वयं सेवी संस्थाओं का। हालांकि देश  में कुछ जगह खेळ बनी हुई है जिसे नगरपरिषद की ओर से रोजाना भरा जाता है, लेकिन जरूरत के अनुसार वह बहुत कम है। जिनकी संख्या बढ़ाए जाने की आवश्यकता है। 
कम हो रहा पशुओं के प्रति मदद का भाव
पशु जब प्यासे होते है तो घरों के सामने आकर खड़े हो जाते हैं। पुराने समय में लोग ना सिर्फ अपने घरों से गाय के लिए पहली रोटी निकालते थे बल्कि उनके पीने के पानी के लिए घरों के आगे खेळ भी बनाई जाती थी वहीं पक्षियों के लिए खिड़कियों और छतों पर बर्तन में पानी भरकर रखा जाता था लेकिन जमाना बदल गया है और बदले जमाने के साथ ही पशु-पक्षियों के प्रति मदद का भाव भी कम हो गया है। लोग अब ना तो उनके लिए रोटी ही निकालते हैं और ना ही अपने घरों पर आए पशु-पक्षियों के लिए पानी का ही कोई इंतजाम करते हैं। ऐसा नहीं है कि अभी पशु-पक्षियों के प्रति दया भाव रखने वाले लोग नहीं है लेकिन इनकी संख्या काफी कम है। जबकि इन बेजुबानों के प्रति दया भाव रखते हुए इनके खाने-पीने के इंतजाम के लिए आगे आने की जरुरत है ताकि ये निरीह प्राणी भी अपना जीवन पूरा जी सकें। 
बीमार हो रहे पशु
गर्मी में आमतौर पर बड़े पशुओं गाय, बैल आदि को दिन में तीस से चालीस लीटर पानी की आवश्कता होती है। खुले में घूमने वाले पशुओं को इतना पानी नहीं मिल पाता। इससे इनमें डीहाइडे्रशन की समस्या हो जाती है और वे बीमार हो जाते हैं।  लोग लाकडाऊन में  भूखे मर रहे हैं को जानवरों की हालत तो बहुत दयनीय है । सरकार ने इस तरफ़ ध्यान देने की आवश्यकता है । 
- डॉ अलका पाण्डेय 
मुम्बई - महाराष्ट्र
पशु पक्षी प्राणी जिन्हें भगवान ने हमारी तरह सोचने समझने की शक्ति नहीं दी है अपनी बात को हमारी तरह व्यक्त नहीं कर सकते या किसी से कोई चीज मांग नहीं सकते हम सभी लोग गर्मियों में पशु पक्षियों के लिए पानी रखते हैं चिड़िया के लिए चावल रखते हैं हमारे घरों में बरसों से नानी दादी रोटी गाय और कुत्तों को देती थी बनाकर रखती थी और सभी बच्चों को भी यही कहती थी कि जाओ यह देखकर आ जाओ सब लोगों को यही संसार सिखाए जाते थे हम सभी सनातन धर्म को मानने वाले हैं हम सब यह मानते हैं कि हमारी कमाई का हिस्सा सबके साथ में बात कर खाना चाहिए, दान करने से कम नहीं होता और बढ़ता है इसीलिए लोग सड़क के किनारे छायादार पर लगाते थे प्याऊ वह तालाब आदि बनवाते थे।
परमारथ पाको रतन, कबहुँ न दीजै पीठ |
स्वारथ सेमल फूल है, कली अपूठी पीठ ||
परमार्थ सबसे उत्तम रतन है इसकी ओर कभी भी पीठ मत करो| और स्वार्थ तो सेमल फूल के समान है जो कड़वा - सुगंधहीन है, जिसकी कली कच्ची और उलटी अपनी ओर खिलती है|
- प्रीति मिश्रा
 जबलपुर - मध्य प्रदेश
पशुओं , पक्षियां भी प्रकृति का एक हिस्सा है पर सिर्फ भाषा सभी को समझने वाली नहीं है फिर भी एक प्राणी है उनकेे लिए भोजन का जुगाड करना सभी का धर्म है। सिर्फ सभी अपने अपने मुहल्ले के पशुओं के प्रति संवेदनशील होने से बहुत समस्या का निराकरण हो जाएगा । पक्षियों के लिए छत या बालकोनी पर खाना पानी नियमित रूप से रखा जाए तब पक्षियों का नज़ारा देखकर मन खुश हो जाता है । 
पक्षी में गौरैया के विषय में यह पढ़ी हूं कि उनका भी बैंक होता है और कर्ज लेन देन की क्रिया होती है ।फिर भी हर मानव का कर्तव्य होता है कि उसके लिए भी खाना निकाले।
हिन्दुओं की तो सभ्यता में स्पष्ट है पशुओं पक्षियों की सेवा करना । सभी पक्षी और पशु किसी न किसी देवता के वाहन के रूप में पूजनीय है।
- डाँ. कुमकुम वेदसेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
 कोरोनावायरस से बचाव के देशव्यापी लॉक डाउन ने जितना इंसानों को परेशान कर रखा है उतना ही बेजुबान जानवरों को भी। वह दाने-दाने को मोहताज हैं जबकि पर्यावरण संरक्षण के लिए पशु पंछियों का होना बहुत महत्वपूर्ण होता है ।लेकिन लॉक डाउन की बन्दी ने बेजुबानो को दाने दाने को मोहताज कर दिया है मगर फिर भी बहुत से ऐसे लोग हैं जो लॉक डाउन के बावजूद आवारा जानवरों को खाना खिला रहे हैं ,और मानवता की मिसाल पेश कर रहे हैं ।अपने लिए तो हर कोई जीता है कभी दूसरों के लिए भी जी कर देखिए तब जिंदगी का असली उद्देश्य समझ में आएगा। और लोगों को भी आगे आकर मानवता की मिसाल पेश करनी चाहिए ।
बेजुबान जानवरों को पहले घर के घरों के बाहर होटलों व दुकानों में बचा बचाया कुछ खाने को मिल जाता था जिससे मैं अपनी भूख मिटा लेते थे ,लेकिन इस बन्दी ने उनको दाने-दाने को मोहताज कर दिया ।सारे होटल ,रेस्टोरेंट फूड सेंटर सब बंद होने से बेचारों के लिए जटिल समस्या  आ गयी है। पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी जो कि जानवरों से बहुत प्यार करती हैं  उन्होंने भी गहरी चिंता जताई है ।वे जानवरों के भोजन को लेकर चिंतित हैं लोगों से  उनको भोजन देने की अपील भी  कर रही हैं  ।
हम सभी का दायित्व है कि लॉक  डाउन में कोई भूखा प्यासा ना रहे । काशी के युवाओं ने बीड़ा उठाया है ।बेजुबान जानवरों को भोजन देने के लिए एक ,बेजुबान खाना बैंक, की स्थापना की है और लोगों के घरों से भोजन इकट्ठा कर जानवरों को खिला रहे हैं ।आप भी इस संस्था से जुड़ सकते हैं । आवारा जानवर भूख प्यास से बेचैन होकर  खूंखार होकर लोगों को काट भी रहे हैं ।  अगर उनको भोजन मिले तो वह क्यों काटें । तो ऐसे में मानवता के नाते हम सभी का नैतिक दायित्व है कि अपने घर के बचे हुए भोजन को कूड़े में न फेंक  कर सड़क के किनारे रख दें ताकि बचा  हुआ खाना बेजुबान  जानवर खाकर अपना पेट भर सकें ,आखिर वह कहां जाएं बिचारे ऐसी स्थिति उनको तो कुछ पता नहीं है ,तो इस प्रकार हम लोग उनके लिए कुछ करेंगे तो हमसबको भी खुशी  मिलेगी और बेजुबान भी हिंसक नहीं होंगे क्योंकि उनका पेट  भरा रहेगा और पर्यावरण संरक्षण हो होता रहेगा मानवता की गरिमा भी बनी रहेगी ।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
गत तीन सप्ताह से भारत में ताला बंदी हुई है वजह कोरोना महामारी है यह हम सब जानते है। इस तालाबंदी में कई तरह के नुकसान सामने नजर आ रहे है। बस फायदा एक ही होगा जो कि इन सब नुकसान से ऊपर है। वह है लोगों की जान सुरक्षित रहेगी।फिर भी ताला बंदी कि वजह से कई गरीब भूख से तड़पने लगे है वहीं कई आगे भी तड़पेंगे। समाज सेवी संस्थाए और सरकार इनका ख्याल रखने की पुरजोर कोशिश कर रही है। भगवान से प्रार्थना भी है कि वे इस कार्य में सफल रहें। जल्द ही हम सब इस कोरोना महामारी से निजात पा लेंगे। चैत माह समाप्त हो चुका है और बैशाख का आरंभ हुआ है। आसमान में सूरज का पारा रोजाना बढ़ रहा है। ऐसे समय में पशु पक्षी भूख प्यास से तड़प तड़प कर अपनी जान दे देंगे।जब गर्मी अत्याधिक बढ़ती है तो हम इंसान इसे बर्दास्त नहीं करने पाते हैं और लू की चपेट में आ कर बेहोश हो जाते हैं। कुछ कमजोर शरीर वाले मर भी जाते हैं। ये पशु पक्षी तो वैसे ही कमजोर होते हैं। अपनी छतों पर और घर के बाहर इन पशु पक्षियों के लिए जल रखना, ऐसे समय में हमारें मानव होने के महत्व को साबित करता है। जल के साथ कुछ दाने या घर के भोजन में से कुछ बचा कर या अधिक बना कर साथ रख दें, तो मुझे लगता है, हम मानवों की सुने न सुने, इन पशु पक्षियों की दुआ भगवान जरूर सुन लेगा। शायद इनकी दुआओ से जल्द ही हम इस महामारी से निजात पा लेंगे।
इन दिनों रोटियां दो बना कर अधिक।
पक्षियों और पशु को खिला दीजिये।
- कमल पुरोहित अपरिचित
कोलकत्ता - पश्चिम बंगाल
तीर्थानां ह्रदयं तीर्थ ,शुचीनां ह्रदयं शुचि अर्थात सब तीर्थो में अंतरात्मा ही परम् तीर्थ है और सब पवित्रताओं में ह्रदय की पवित्रता ही प्रमुख है l यही पवित्रता हमारे मानव शरीर को पुण्यात्मा ,महात्मा ,देव पुरुष और पापात्मा बनाती है l उसी के अनुरूप मनुष्य इस संसार में कर्म करता है l व्यक्ति कर्म बंधन के अधीन रह कर करता है लेकिन दायित्व बिना किसी बंधन के अंतःप्रेरणा से करता है l लॉक डाउन इंसानों से लेकर बेज़ुबान जानवरों पशु -पक्षियों के लिए परेशानी का सबब बन गया है l इंसानों के लिए कोई भूखा न सोये की तर्ज पर स्तुत्य प्रयास हो रहेहैं लेकिन इन बेजुबानों के लिए कोई कदम नहीं उठाए गये हैं l इनके प्रति हमें अपने दायित्वों का निर्वाह विशेष रूप से करना वक्त की नजाकत है l ऑफिस ,बाज़ार बंद होने से लोग अपने घरों में कैद हो गये है जिससे सड़को ,गलियों में घूमने वाले बेज़ुबान प्राणी खाने की तलाश में भूख, प्यास से व्याकुल भटक रहे है वहीं परिंदों के सामने भी दाना पानी का संकट उतपन्न हो गया है l इंसानों को तो भोजन सरकार उपलब्ध करा रही है लेकिन इन बेजुबानों के लिए एन .जी .ओ .दानदाता पशुप्रेमियों को अपना दायित्व निभाना होगा l दाना पानी के अभाव में हिंसक होने के साथ दम तोड़ने लगेंगे ..ऐसे में चारे ,दाने ,
और पानी की व्यवस्था के लिए स्वयं भी कार्य करें तथा दूसरों को भी प्रेरित करें l 
  आत्म तत्व की दृष्टि से संसार के सारे प्राणी समान है l एकात्मा के संबंध उपरांत जानवरों पशु पक्षियों की लॉक डाउन में अनदेखी करने से बड़ा कोई "अधर्म "हो ही नहीं सकता l जीवों के साथ क्रूरता करने वाले व्यक्ति का ह्रदय भावना शून्य होकर कठोर हो जाता है l आज विनाश की संभावनाएं सिर पर मंडरा रही है l इसका मूल कारण मनुष्य की ह्रदयहीनता ही है l
दर -ब -दर भटकता साँझ सवेरे 
रिक्त उदर में आग लिए 
ग्रीष्म की लपटों को चीरता 
मै एक मोन परिंदा हूँ l
जो आशियाना 
  हमें छोटा लगता है ...
     उस आशियाने ,
के कोने में पंछियों ने अपना पूरा 
  घरोंदा सजा लिया है l 
   चलते चलते -
      प्यासे पंछियों 
  को पानी पिलाये
आओ ,
इस आदत को 
  संस्कार बनाये l 
राजस्थानी साहित्य में -
अटरिया पर बैठे कौवे से नायिका विनय कर रही है -उड़ उड़ रे म्हारा काला रे कागला ,जद म्हारा पिव जी घर आवे ....तेरे शगुन बताने से मेरे पिया घर आ जाते हैं तो मेँ तेरी चोंच सोने मेँ मंडवा दूँगी l
- डाँ. छाया शर्मा
अजेमर - राजस्थान
देखा जाए तो जुबानी तौर पर मूक पशु- पक्षी हमेशा ही लॉक डाउन में रहते है। उनके लिए तो हमें ही सोचना है कि हम उनकी भाषा और आवश्यकता को समझें हर संभव उनकी सहायता एवं रक्षा करके उन्हें भी जीने का अधिकार दें।
            आज संपूर्ण विश्व कोरोना बीमारी के प्रकोप से ग्रसित है। फिर मनुष्य जो सर्वश्रेष्ठ प्राणी है। मानसिक तौर पर भी और शारीरिक तौर पर भी। अतः मनुष्य का परम कर्तव्य एवं धर्म है कि वह बेजुबान पशु- पक्षियों के लिए दाना- पानी की व्यवस्था करें। हमें अपने घरों की मुंडेर पर बालकनी में सकोरे में या मेटल के किसी बर्तन में पानी और कुछ अनाज के दानों को रखकर उनके जीवन जीने की रक्षा में सहयोग कर सकते हैं। जो सब्जी फल हम प्रतिदिन खाते हैं; तो उनके ही छिलके डस्टबिन में न फेंके; बल्कि प्रातः कालीन जो एक रोटी पहली होती है ; तो वह प्रथम रोटी, सब्जी के छिलके  यह सब हम गाय को दे सकते हैं।  थोड़ा- थोड़ा हर घर से मिलने पर उनकी आत्मा तृप्त हो सकती है ।इसी प्रकार  खाने के बाद थाली में आधी ही रोटी कुत्ते- बिल्ली को दे दे तो उन पशुओं की वफादारी व चौकन्नापन हम सबके लिए बहुत अहमियत रखता है और उनको जीवन जीने में अंशत: सहायक  भी होगा।                 हमारी भारतीय- संस्कृति में तो मृतात्मा तक को अन्य जल देने का विधान है ;जिसको ग्रहण करने का माध्यम पशु- पक्षी ही होते हैं। फिर इस महान संकट में तो हमें उनके लिए सभी को अपने-अपने घरों या आसपास गौशालाओं में रह रहे पशु- पक्षी और सड़क पर घूम रहे कुत्ते -बिल्लियों के लिए अन्न- जल की व्यवस्था अवश्य करनी चाहिए।
        कोरोना बीमारी की उत्पत्ति चमगादड़ जैसे जीव के द्वारा ही मानी जा रही है। मानव एवं पशु- पक्षियों के स्वास्थ्य के साथ मनुष्य द्वारा ही पर्यावरण व प्रकृति के प्रति खिलवाड़ असामान्य प्रतिक्रियाओं के असंतुलन का ही परिणाम है। अतः हमें इस बात को भलीभांति समझना चाहिए कि सभी को जीने का अधिकार है फिर मनुष्य जब सर्वश्रेष्ठ है तो उसे बेजुबान समस्त पशु- पक्षियों के जीने के लिए दाना- पानी की व्यवस्था अवश्य करनी चाहिए; क्योंकि ईश्वर का निवास समस्त प्राणियों एवं जीवो में है।
 - डाॅ. रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
इस संसार की खूबसूरती को  पेड़ -पौधे, नदी -नाले, पर्वत, जंगल ,वन-उपवन, पशु -पक्षी फूल -पतियों ने चौगुनी की है । ईश्वर ने तो मानव, जानवर ,पक्षी, पौधों सब के लिए पर्याप्त अन्न जल की व्यवस्था की थी पर स्वार्थी मानव जाति ने अपनी सुख सुविधाओं के लिए मासूम पशु पक्षियों के जंगलों और पेड़ों क़ काट ड़ाला। दूसरी भाषा में कहें तो उन्हें घर निकाला दिया। प्रकृति से छेड़ छाड़ का नतीजा भयानक है यह तो हम सब देख चुके हैं ।वर्तमान में लाक डाउन के दौरान बेजुबान पशु पक्षियों के लिए दाना पानी की  व्यवस्था करना हमारा नैतिक कर्तव्य है ।गायों के लिए घर के बाहर खेलिया बनाए अर्थात पुरानी बाल्टी या बड़ा सीमेंट का गमला इस तरह रखे कि पानी भरा जा सके ।रोज इनकी सफाई की जाए । एक कुंडी में बची हुई खाध्य सामग्री ड़ाली जाए । राजस्थान में तो महीने की बंधी पर हरी घास की पूली घर पर आ जाती है । इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं ।गर्मी के समय परिंड़े बगीचे के पेड़ो पर लटका देने चाहिए। उन में सुबह शाम पानी भरना व कुछ में दाने रखने चाहिए ।  परिंड़े के पास मकोड़े भी आराम करते हैं । इन्ही परिंडों  में मैने स्वयं ततैया आदि को पानी पीते देखा है ।गली के कुत्तों को भी रोटी ,बिस्कुट, ड़बल रोटी आदि देना चाहिए । यह बेजुबान अपनी भाषा में तो हम से बात करते हैं पर हम समझ नहीं पाते ।हम सब ने देखा है कि यदि हम एक निश्चित समय और जगह पर रोटी या दाना ड़ालते हैं तो पक्षियों का समूह वहाँ हमारे आते ही इक्ठ्ठा हो जाते हैं। वो आप को पहचाने लगे हैं । आप का इंतजार करते हैं ।सब से सावधानी की जरूरी है कि इन के बरतनों को भी साफ किया जाए ।गंदे बर्तन इन में बिमारी ला सकती है। किसी खाने की वस्तु को प्लास्टिक की पन्नी पर रख कर ना दें ।ये जानलेवा है ।
पशु पक्षियों को  दाना पानी देने की आदत हमेशा के लिए ड़ालिए और मानसिक शांति और सच्चा आनंद प्राप्त कीजिए।
  - ड़ा.नीना छिब्बर 
जोधपुर - राजस्थान
लाकडाउन में पशु पक्षियों की हालात बड़ी दयनीय हो रही है ।मनुष्य का आवागमन कम होने प्रदूषण नियंत्रण से जहाँ लाभ हुआ है वहीं मिलने वाले चारे-पानी की समस्या है ।उसमें भी आवारा पशु अधिक परेशान है अतः हम सभी का कर्तव्य है कि अपने आसपास और जहाँ तक संभव हो सके इनकी मदद करें खाने पीने की व्यवस्था करें ।भीषण गर्मी आरम्भ हो गयी है अतः इनकी पहुंच के स्थानों पर पीने के लिए पानी की भी व्यवस्था करें ।इस समय इनका ध्यान रखने से बढकर कोई परोपकार कर्म या धर्म नहीं है ।सहयोग सहानुभूति की भावनाओं व अपेक्षा सहित
- शशांक मिश्र भारती 
शाहजहांपुर - उत्तर प्रदेश
कोरोना की वजह से लाकडाउन होने से संपूर्ण भारत में इंसानों के साथ पशु - पक्षियों पर खाने पीने की वस्तुएं न मिलने का बुरा असर पड़ा है । गांव ,  शहर की गलियों में घूमने वाले जानवरों जैसे गस्य , कुत्ते , बिल्ली आदि के सामने खाना-पानी का संकट खड़ा हो गया है । क्योंकि   वंचित , मजदूर इंसान के भी बुरे हाल है  , फिर इन बेजुबानों तो कहना ही क्या ? समस्या खड़ी है ।  गायों को गोशालाओं में कई दिनों तक चारा नहीं मिला । सरकार का ध्यान इस ओर गया । राज्य की  नगरपालिका परिषद ने यह काम संभाला और
वहा ट्रकों की ई - पास व्यवस्था करके भूसा , गुड़ आदि का इंतजाम किया है । पशु - पक्षियों के लिये  जिला कलेक्टर ने शहरों के हिसाब से बेजुबान पॉइंट्स खोले गए हैं । जिनमें उनके खाने - पीने , दानों आदि की व्यवस्था की है ।
 मेरा घर वृक्षों से आच्छादित है । कौआ , चिड़िया , गिलहरी , कबूतरों का बसेरा है । मेरा टैरस फ्लैट है । मैं छत  पर जाकर  चिड़िया , कबूतरों के बाजरा  , कोआ के लिए केला , अंगूर  नमकीन डाल देती हूँ । मुझे देखते ही सारे मुंडेर पर  पँक्ति बद्ध हो जाते हैं , कभी कौआ  एक दूसरे को  झपटा मार के इन चीजों को चोंच में दबाकर  उड़ जाते हैं । कबूतर तो दानों को आराम से निडर होकर चुगते हैं ।वहीं पर नलका है । बाल्टी में पानी भर देती हूँ । आराम से ये पक्षी पानी पी कर पेट भर लेते हैं । अब हालात  सरकारी इंतजाम से काबू में हैं ।
- डॉ मंजु गुप्ता 
 मुंबई - महाराष्ट्र
लॉक डाउन का वर्तमान समय हो या लॉक डाउन हट जायेगा तब भी, हमारी ये सदैव कोशिश रहनी चाहिए कि हम अपने परिवार परिजनों और परिचितों के साथ-साथ गरीब,असहाय, अपंग आदि जरूरतमंदो के प्रति दया और सहानुभूति रखते हुए अपनी सामर्थ्य से उनकी जितनी जरूरत पूरी कर सकते हों करें। यही नहीं हमें बेजुबान पशु-पक्षियों के लिए दाना-पानी के लिए भी जितनी बन सके उतनी पूर्ति अवश्य करना चाहिए और यह कार्य न तो असंभव  है, न ही कठिन। अपने घर के सामने या पीछे या जहाँ आपको सुविधाजनक और संभव हो वहाँ यथोचित दाना-पानी की व्यवस्था कर सकते हैं। पक्षियों के लिए तो एकदम सरल है। प्रतिदिन थोड़े से चावल के दाने और सकोरा भर पानी उनके लिए एकदिन के लिए पर्याप्त हो सकता है। आसपास आवारा घूम रहे पशुओं के लिए खाने में बची रोटी या अन्य सब्जी, दाल वगैरह खिला सकते हैं। इस कार्य में न प्रतिस्पर्धा की आवश्यकता है न आडंबर की और न उतावलेपन की। जितना सरल और सहज हो ,उतना करें। बस,दिल से करें। ईमानदारी से करें। स्वच्छता से करें। आप खुद पायेंगे इससे आपको कितना सुख और सुकून मिलेगा। 
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
लॉक डाउन में मानव को सुरक्षित रखने के  लिए तमाम प्रयत्न किए जा रहे हैं , लेकिन   बेजुबानों के दर्द को कोई नहीं समझ पाता । आज मैं बाजार से लौट रही थी , तो एक कुत्ता मेरे पीछे-पीछे आने लगा । डर कर मैंने उसे दुत्कारा । बेचारा वापस लौट कर दूसरे के पीछे चल पड़ा। तब मुझे समझ आया कि यह भूखा है । इसलिए सबके पीछे जा रहा है ।
 उनकी मजबूरी है कि वो किससे शिकायत करें? किससे अपने लिए मदद मांगें । उनके हालातों का हमें ही ख्याल रखना होगा । क्योंकि इंसानियत हमारे पास है। हमें ईश्वर ने दूसरे के भावों को समझने की शक्ति दी है । इसलिए कुछ लोग तो इनकी मदद कर रहे हैं । इन्हें खाना भी दे रहे हैं । लेकिन उतना बहुत कम है। मात्र 2 से 4℅ हमें सोचना चाहिए। हम आज भी खाना खा रहे हैं। लेकिन बचा खाना उन्हें नहीं दे रहे । सभी थोड़ा-थोड़ा उनकी मदद करें तो वो भी अपनी जान बचा सकेंगे।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार

" मेरी दृष्टि में " लॉक डाउन में पशु पक्षियों का बहुत बुरा हाल है । जो पालतू भी है उन को भी चारा मिलने में कठिनाई का सामना कर पड़ रहा है । जो आवारा है उन का तो बहुत बुरा हाल है । लोग घर से बाहर निकल नहीं रहें हैं । आवारा पशु पक्षियों को खाने को कहाँ से मिलें ? 
                                                           - बीजेन्द्र जैमिनी









Comments

  1. बहुत-बहुत धन्यवाद बहुत सारे लिंक सजाए हुए हैं इस चर्चा में हिंदी में चिट्ठाकारी के लिए प्रोत्साहन देते रहने के लिए शुभकामनाएं।

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