क्या कड़ी मेहनत का परिणाम भी बुरा हो सकता है ?

कई बार कड़ी मेहनत के बाद भी परिणाम अच्छा नहीं आता है । ऐसा क्यों होता है ? इस के कई कारण हो सकते हैं । इन्हीं कारणों को खोजने के लिए " आज की चर्चा " रखी गई है । अब आये विचारों को देखते हैं : -

कड़ी मेहनत का परिणाम हमेशा सफलता प्रदान करता है बशर्ते हम उस तक पहुँचने  का सही मार्ग जानते हो, पहचानते हो l परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए पाठ्यक्रमानुसार ही अध्ययन कर सफलता प्राप्त करते हैं यदि हम अधिक अंक वाले प्रश्न नहीं करेंगे और अन्य दस सही करेंगे या विशेष पाठ छोड़ देंगें तो सफलता अधूरी ही रहेगी l 
  बहुत बार कड़ी मेहनत के बाद भी सफलता न मिलने का कारण हमारे पूर्व कर्मों का फल अथवा कहें कि भाग्य सोया होता है तब भी लाख कोशिश करने पर भी सफलता हासिल नहीं होती l 
     भाग्य और पुरुषार्थ साथ साथ चलते हैं l कई बार कम मेहनत से भी सफलता प्राप्त हो जाती है l अतः सकारात्मक विचारों, अच्छे कर्मों से, बड़ों के आशीर्वाद, प्रभु कृपा से ही कड़ी मेहनत के बाद सफलता मिलती है l यह सत्य है भाग्य के भरोसे नहीं बैठा जा सकता, कर्म तो करना ही है l व्यक्ति पुरुषार्थ के बल पर ही जीतता है lभाग्य के भरोसे रहने वाले बैठे ही रह जाते हैं l फल मेहनत का मिलता अवश्य है कम या ज्यादा l 
            -----चलते चलते 
श्रम के दो हाथों पे नाचे ये संसार 
जीवन है कशती तो फिर श्रम है पतवार 
श्रम के बीजों से उगती है जीवन की मुस्कान 
श्रम की सबसे सुन्दर रचना है देखो इंसान 
श्रम ही है निर्माता और श्रम ही संहार.. 
          -डॉ. छाया शर्मा
 अजमेर -  राजस्थान
        कड़ी मेहनत अपने आप में एक सकारात्मक सोच है जिसका परिणाम कभी गलत नहीं हो सकता।उम्र एवं    अवस्था के अनुसार शारीरिक रूप से कुछ परेशानी आ सकती है किंतु परिणाम तो अच्छा ही निकलता है।
- श्रीमती गायत्री ठाकुर "सक्षम"
 नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
        यदि प्रश्न पूछा जाए कि क्या कड़ी मेहनत का परिणाम भी बुरा हो सकता है? तो उत्तर हां में देना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। 
      उदाहरणार्थ मैंने कड़ी मेहनत करते हुए अपने ऊपर हुई अपराधिक प्रताड़ना एवं शोषण के विरुद्ध डॉ राम मनोहर लोहिया और सफदरजंग अस्पतालों के भ्रष्ट मनोरोग चिकित्सकों द्वारा जारी प्रमाण-पत्रों को झूठा प्रमाणित करने हेतु 26+181= 207 पृष्ठों का पुलिंदा सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की माननीय न्यायालय मुख्य आयुक्त विकलांगजन में दाखिल किया। जिस पर कड़ा संज्ञान लेते हुए माननीय मुख्य आयुक्त कमलेश कुमार पाण्डेय जी ने कार्रवाई भी की थी। किंतु न जाने क्यों अंत में उन्होंने भी वही किया जो वर्षों से हो रहा है और मुझे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) नई दिल्ली में मानसिक जांच के लिए भेज दिया। जहां मेरी पांच विषेशज्ञों ने जांच की और प्रमाण-पत्र जारी किया कि 'इस समय इंदु भूषण बाली को कोई भी मनोविकृति नहीं है। वर्तमान में वह विकलांग नहीं है'। ऐसा ही प्रमाण-पत्र 1995 में जम्मू-कश्मीर सरकार के
 मनोरोग चिकित्सालय के चिकित्सकों ने भी जारी कर कहा था कि रोगी प्राथमिक मानसिक रोग से भी ग्रस्त नहीं है। रोगी को सलाह दी जाती है कि वह दवाईयों का प्रयोग न करे। जबकि माननीय जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने उस पर टिप्पणी तक न करते हुए मेरे विभाग को मेरा मानसिक उपचार कराने का निर्देश दे दिया।
     विडम्बना यह है कि वर्तमान समय में देश के माननीय महामहिम राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी एवं माननीय सशक्त प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जी के जानने के बावजूद भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन एसएसबी विभाग मुझे मानसिक विकलांगता पैंशन दे रहा है। जिसके विरोध में निरंतर संघर्ष करने के कारण मेरा घर-परिवार बिखर चुका है। जिससे प्रमाणित होता है कि कड़ी मेहनत का परिणाम भी बुरा हो सकता है।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
         कभी-कभी ऐसा होता है कि आदमी जी तोड़ मेहनत करता है लेकिन उसका परिणाम सही नहीं हो पाता है। वैसे कहा गया है कि परिश्रम का फल मीठा होता है लेकिन कभी-कभी तीखा भी हो जाता है। आदमी रात दिन मेहनत कर कोई कार्य करता है और परिणाम कुछ नहीं निकलता है तो सब बेकार हो जाता है। 
     विद्यार्थी रात दिन मेहनत करते हैं यदि वो फेल हो जाते हैं तो वो उसके लिए परिणाम बुरा ही हुआ न। रात दिन जागकर कड़ी मेहनत कर किसी प्रतियोगिता की तैयारी करता है और सफल नहीं होता है या साक्षात्कार में छट जाता है तो कड़ी मेहनत के बावजूद परिणाम उसके लिए बुरा ही हुआ।
       दिन भर धूप गर्मी सह कर किसान कड़ी मेहनत करता है यदि फसल में दाना हैं आये तो कड़ी मेहनत उसके लिए बुरा ही हो गया। या उसका फसल बाढ़ से या सूखा से या जानवरों के द्वारा बर्बाद हो जाय तो  वो बुरा ही हुआ न।
        अंग्रेजी में एक कहावत है ऑपरेशन सक्सेसफुल बट पेशेंट डेड।
यानी डॉ कड़ी मेहनत कर मरीज का ऑपरेशन किया लेकिन मरीज बचा नहीं। तो उसका सारा मेहनत बेकार हो गया। परिणाम तो बुरा हुआ।
        इस तरह से हम ये कह सकते हैं कि कड़ी मेहनत के बावजूद भी परिणाम बुरा हो सकता है।
- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" 
कलकत्ता - प. बंगाल
मेहनत से अभिप्राय है किसी भी कठिन ,दुसाध्य अथवा बड़े काम को मन लगाकर करना। यह कार्य शारीरिक श्रम से भी हो सकता है और मानसिक श्रम भी। कोई भी ऐसा शारीरिक अथवा मानसिक श्रम जिसे करते-करते शरीर शिथिल पड़ने लगे, थकावट का अनुभव हो, परिश्रम अथवा मेहनत कहलाता है। मेहनत का फल सदैव मीठा होता है। मेहनत मनुष्य के जीवन को सफल बनाती है। मानव जीवन मेहनत के बल पर ही सामर्थ्यवान , संपन्न और सफल बनता है। जीवन की पूर्णता बिना मेहनत, बिना श्रम नहीं मानी जाती। मेहनत किसी भी क्षेत्र में अपना प्रभाव डालती है। एक किसान खेतों में खून पसीना बहा कर अच्छी फसल की कमाई करता है। पढ़ा लिखा व्यक्ति मेहनत के बल पर अपनी योग्यता ग्रहण करके रोजगार के साधन जुटा लेता है। कड़ी मेहनत का आधार पवित्र, झूठ रहित तथा भ्रष्टाचार से परे होना चाहिए। निष्ठा से की गई मेहनत का मार्ग सच्चा होना चाहिए ।उसमें किसी प्रकार की दुर्भावना नहीं होनी चाहिये। देशहित, लोकहित के आधार पर की गई कड़ी मेहनत हमें आत्म सुख प्रदान करती है ।सम्मान, आदर व प्रतिष्ठा के हम भागीदार बनते हैं और समाज में एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करते हैं, प्रेरणा का स्रोत बनते हैं । लेकिन जब मानवता के विरुद्ध हम काम करते हैं तो उसके दुष्परिणाम भोगने पड़ते हैं । अपने उद्देश्य से भटके हुए व्यक्ति की मेहनत कभी भी राष्ट्र हित के लिए उपयोगी नहीं होती ।राष्ट्र विरोधी शक्तियों से जुड़कर व्यक्ति कितनी भी कड़ी मेहनत कर ले उसका परिणाम सुखद कभी नहीं होता। कड़ी मेहनत का आधार किसी निर्दोष व्यक्ति का हक मारना नहीं है ,कड़ी मेहनत का परिणाम तब बुरा हो सकता है जब स्वार्थ, लालच ,बेईमानी पर उसकी नींव टिकी  हो ।
 - शीला सिंह 
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
व्यक्ति तो ऊपर वाले के हाथों की कठपुतली होता है। हम सिर्फ अपना कर्म कर सकते हैं उसका फल देना ऊपरवाले पर निर्भर करता है। कहा भी गया है "कर्म किए जा फल की चिंता मत कर कर"। ठीक इसी प्रकार बहुत बार व्यक्ति कड़ी से कड़ी मेहनत करता है लेकिन जरूरी नहीं की परिणाम उसके अनुरूप उसे प्राप्त हीं हो। इसीलिए व्यक्ति कभी निराश हो जाता है सही परिणाम नहीं मिलने के कारण। लेकिन हम सब का इस पर कोई वश नहीं होता है यह मानकर संतोष करना चाहिए। हमें दुगने उत्साह के साथ पुनः कड़ी मेहनत करनी चाहिए पुरानी बातों को भूलकर। शायद एक बार हमारी कड़ी मेहनत के बावजूद हमें अच्छे परिणाम नहीं मिले पर हर बार ऐसा हीं ‌होगा ऐसा भी नहीं है। इसलिए  हमें मेहनत सदैव हीं करनी चाहिए परिणाम अच्छे या बुरे हों इन पर हमारा कोई वश है हीं नहीं।  मेहनत हमारे अधीन है परिणाम नहीं।
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार
कवि सोहनलाल द्विवेदी जी की इन पंक्तियों पर ध्यान दें...
"नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती" 
एक नन्ही चींटी के उदाहरण से ही स्पष्ट है कि कड़ी मेहनत के बावजूद सफलता मिलने में देर-सबेर हो सकती है परन्तु अन्ततः कड़ी मेहनत का परिणाम सुखद ही होता है। दशरथ मांझी (माउंटेन मैन) की कड़ी मेहनत का सुखद परिणाम सारी दुनिया जानती है। 
इसके अतिरिक्त संसार में अनेक उदाहरण हैं जब मनुष्य ने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद कड़ी मेहनत से अपने लक्ष्य को अवश्य प्राप्त किया। 
हम स्वयं अपने जीवन पर गौर करें तो हमारा वर्तमान स्थान हमारे द्वारा की गयी मेहनत पर ही निर्भर करता है। परन्तु यह भी सत्य है कि हवा में लाठी चलाने के परिणाम अच्छे नहीं हो सकते। मात्र कड़ी मेहनत से ही पूर्ण सफलता का वरण नहीं हो सकता। इसके लिए धैर्ययुक्त प्रतिभा के साथ सही दिशा का ज्ञान और सकारात्मक उद्देश्य का होना अनिवार्य है। 
इसीलिए कहता हूं कि..... 
"लगन, मेहनत, समर्पण, निष्ठा पूंजी हो तेरी, 
किस्मत स्वयं की स्वयं लिखना कला हो तेरी। 
तृण सी लचकता, शैल सी अडिगता हो तेरे पास, 
बिखेरे छटा जग भर मे ऐसी प्रतिभा हो तेरी।।"
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
 मनुष्य ही नहीं इस विश्व में प्रत्येक जीव अपना,अपने परिवार  और आश्रितों का पेट भरने तथा अपने और परिवार के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिये जी तोड मेहनत करता है किन्तु हर बार परिणाम अच्छा ही मिले ये निश्चित नहीं होता ।
किसी कार्य को करने के लिये पूरी क्षमता से की गयी मेहनत का परिणाम सफलता में परिवर्तित होता है  किन्तु कभी कभी असफलता भी हाथ लगती है ।
      कार्य को करने में आवश्यक परिश्रम और हमारे द्वारा किया गया उससे कम या ज्यादा किया परिश्रम ही असफलता और सफलता कौ तय करता है । कम किया गया श्रम असफलता देता है जबकी आवश्यक श्रम से ज्यादा किया गया श्रम सफलता में ही परिणित होता है । इस लिये कहा जा सकता है कि किसी कार्य को करने के लिये की गयी कड़ी मेहनत सदा ही सफलता प्रदान नहीं करती ।।
    -  सुरेन्द्र मिन्हास
 बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
कड़ी मेहनत का परिणाम बुरा हो ऐसा नहीं है। कुछ प्रतिशत हो सकता है बुरा हो  । कई बार व्यक्ति मेहनत तो करता है लेकिन सही दिशा में ना होने से परिणाम बुरा हो सकता है। रुचि का काम ना होने पर की गई मेहनत कई बार बुरे परिणाम का कारण बन जाती है ।
- अर्विना गहलोत
ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
मेहनत ही सफलता की कुंजी है परन्तु हम सही तरीक़े से सही समय से मेहनत नहीं करते तो परिणाम बुरा होता है !
दरअसल, कड़ी मेहनत से भी ज्‍यादा जरूरी होता है सही समय पर सही दिशा में प्रयास करना। जब तक हम बेहतर काम  को कड़े परिश्रम से नहीं जोड़ेंगें तब तक सफलता आपसे दूर ही रहेगी। समय और हालात के अनुसार वो काम करिये जो उस समय जरूरी हो।
जब से हमने जन्म लिया है , इस संसार में आये है , हम को लोगों से एक ही नसीहत मिलती रही है कि अगर सफल होना है तो कड़ी मेहनत करो। पैदा होते ही माँ-बाप भी इसी बात को हमारे मन में भर देते हैं, कई उदाहरण भी देते हैं जिससे हमको उनकी बात और सही लगे।
हमें किसी भी काम करने से पहले एक लक्ष्य निर्धारित करना होता है ऐसा ना करने पर हम आसानी से भटक सकते हैं और कड़ी मेहनत करके भी कुछ खास हासिल नहीं कर पायेंगे। । अगर लक्ष्‍य हमारी  रूचि, क्षमताओं और सपनों से जुड़ा होगा तो हम को  उसमें सफलता भी जरूर हासिल होगी। उसे प्राप्‍त करने के लिए हम हर समय प्रेरित रहेंगें और हमें किसी बाहरी प्रेरणा की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।
अक्सर ऐसा होता है कि ज्यादातर लोग एक भेढ़ चाल में चलते रहते हैं, किसी ने ऐसा किया तो वह इसमें सफल हुआ तो मैं भी यही करूँगा।-
अगर हम किसी भी लक्ष्‍य को पाने के लिए सिर्फ कड़ी मेहनत करते हैं तो ये  हमें सफल बनाएगा, इस बात की कोई गारंटी नहीं है। दरअसल, कड़ी मेहनत से भी ज्‍यादा जरूरी होता है सही समय पर सही दिशा में प्रयास करना। जब तक आप बेहतर काम को कठीन काम  से नहीं जोड़ेंगें तब तक सफलता आपसे दूर ही रहेगी। समय और हालात के अनुसार वो काम करिये जो उस समय जरूरी हो। बेकार की चीज़ों पर मेहनत करेंगें तो उससे नुकसान हम को  ही होगा।
इस लिए मेहनत करें पर सोच समझ कर विवेक से काम करें गधा मज़दूरी करने से सफलता नहीं मिलती , इस बात को ध्यान रखते हुए , लक्ष्य निर्धारित कर काम करें !
- डॉ अलका पाण्डेय 
मुम्बई - महाराष्ट्र
कड़ी मेहनत का परिणाम कभी भी बुरा नहीं हो सकता क्योंकि जिस व्यक्ति ने मेहनत की होगी उसके विचार ,उसका दृष्टिकोण कितना सार्थक और परिमार्जित रहा होगा |समाज अगर सभ्य और सुसंस्कृत हो तो ऐसा व्यक्ति दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकता है |दूसरे उस की जीवन शैली व उसकी कड़ी मेहनत से प्रभावित होकर नए पथ पर अग्रसर हो सकते हैं |कई लोगों ने कड़ी मेहनत करके सफलता अर्जित की और समाज को ,समाज के लोगों का पथ प्रदर्शन किया |मेहनत उन्होंने लोगों का पथ प्रदर्शन करने के लिए नहीं की थी बल्कि अपने किसी लक्ष्य तक पहुंचने के लिए की |लेकिन जहां यह लोग दूसरों के लिए प्रेरणा बनते हैं वहीं कुछ लोगों के लिए ईर्ष्या और जलन का कारण भी |ईर्ष्या और जलन अपने तक सीमित रहे तो भी कोई बात नहीं है |लेकिन कभी-कभी यह ईर्ष्या और जलन बड़ा विकराल रूप भी धारण कर सकती है |और इसी कारण दूसरे के जीवन को नष्ट करने का प्रयास भी किया जा सकता है|ऐसे अनेकों उदाहरण देखने को मिले हैं जब कोई व्यक्ति जीवन की ऊंचाइयों को छू लेता है तो कई नकारात्मक विचारधारा वाले लोग उसके जीवन को ही नष्ट करने का प्रयास करते हैं | लेकिन इससे भयभीत होकर जीवन में परिश्रम करना तो नहीं छोड़ा जा सकता |इसलिए हम कह सकते हैं कि जो भी घातक परिणाम होते हैं वह कड़ी मेहनत के कारण नहीं होते बल्कि और जलन के कारण होते हैं| इसलिए  कड़ी मेहनत का परिणाम बुरा  नहीं हो सकता  |
मेहनत करना अपने आप में एक सुखद प्रयास है अगर प्रयास सुखद है तो परिणाम भी आह्लाद कारी होंगे |इसलिए कुछ नकारात्मक तत्वों के कारण मेहनत करके अपने लक्ष्य की प्राप्ति को रोका नहीं जा सकता |
आज पूरे विश्व में जितने भी प्रगति हुई है वह सब कड़ी मेहनत का ही परिणाम है |अगरऐसा ना हुआ होता  तो आज हम सभी सुख सुविधाओं से वंचित रह गए होते |अतःयह कहा जा सकता है कि कड़ी मेहनत का परिणाम  कभी बुरा नहीं हो सकता है|
-चंद्रकांता अग्निहोत्री
पंचकूला - हरियाणा
सफलता प्राप्त करने के दो तरीके हैं एक तो विवेक से और दूसरा परिश्रम से ।
विवेकवान पुरुष अपेक्षाकृत कम समय में , कम परिश्रम के बिना भी सफलता प्राप्त कर लेते हैं जबकि परिश्रमी व्यक्ति अपना संपूर्ण समय और श्रम लगा कर भी वांछित  सफलता प्राप्त नहीं कर पाते । कठिन परिश्रम और समय के व्यर्थ अपव्यय के कारण होने वाली  निराशा उसे तोड़ देती है इच्छित परिणाम प्राप्त न कर पाने के कारण उसमें नकारात्मकता घर करने लगती है । दूसरी बात सूझबझ और दूर दृष्टि के अभाव में  केवल कड़ी महनत करने वाला व्यक्ति अलग-थलग पड़ जाता है, लोग उसका साथ नहीं देते ,यह कोई कम मानसिक कष्ट नहीं। 
अतः अनुभवी व्यक्तियों की राय एवं सहयोग के साथ ही स्वयं के बुद्धिमत्तापूर्ण दूरदर्शी फैसलों से ही कार्य को दिशा दें वर्ना अविवेकपूर्ण कोरी महनत
बुरे परिणाम की कारक ही बनेगी ।
- वंदना दुबे 
  धार - मध्यप्रदेश
कड़ी मेहनत व्यक्ति सफलता पाने के लिए करता है। जब परिणाम बुरा होता है तो आदमी हताश हो जाता है । कभी-कभी मौत की गोद में भी सो जाता है।
 कड़ी मेहनत करने वाले को हर तरह के परिणाम के लिए तैयार रहना चाहिए। कोई जरूरी नहीं है कि हमारी सोच हमें सही दिशा दिखाएगी। हमें बुरे परिणाम का सामना भी उसी तरह करना चाहिए जिस तरह अच्छे परिणामों का करते हैं ।की गई गलतियों से सबक लेकर आगे बढ़ना चाहिए ।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
आज की चर्चा में जहांँ तक यह प्रश्न है कि क्या कड़ी मेहनत का परिणाम भी बुरा हो सकता है तो इस पर मेरा विचार है कि अपनी क्षमताओं को देखते हुए ही लक्षण का निर्धारण किया जाना चाहिए यदि हम ऐसा नहीं कर पाते तो इस बात की संभावना भी रहती है कि बहुत अधिक कड़ी मेहनत करने के उपरांत भी हमें हमारा लक्ष्य प्राप्त न होऔर इस स्थिति में हम अपने आप को संकट में महसूस करेंगे इसलिए यह बहुत आवश्यक है कि आवश्यक संसाधनों और अपनी योग्यताओं एवं अपनी क्षमताओं का स्वयं मूल्यांकन अवश्य करें और यदि हम यह करने में सफल रहते हैं और इसी के अनुरूप अपने लक्ष्यों का निर्धारण करते हैं तो फिर लक्ष्य की प्राप्ति की संभावना काफी बढ़ जाती है और पूर्ण मनोयोग से की गई मेहनत का परिणाम निष्फल नहीं रहता सुखद ही होता है अन्यथा कड़ी मेहनत का परिणाम भी बुरा हो सकता कभी-कभी बहुत से दूसरे पहलू ही इसे प्रभावित करते हैं परंतु सच्चाई और ईमानदारी के साथ ईश्वर पर विश्वास रखें और अपनी क्षमताओं के अनुरूप स्वयं मूल्यांकन करते हुए अपने लक्ष्यों का निर्धारण करें तो इस बात की पूरी पूरी संभावना रहती है कि आपको आपकी मंजिल अवश्य मिलेगी .
- प्रमोद कुमार प्रेम 
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
किसी भी कार्य के अच्छे परिणाम पाने के लिए कड़ी मेहनत के साथ-साथ, सार्थक और सही दिशा एवं ध्येय की भी आवश्यकता होती है। यदि सही दिशा नहीं होगी तो कितनी भी कड़ी से कड़ी मेहनत की जावे, निरर्थक ही रहेगी। इसीलिए कहा भी गया है कि किसी भी कार्य में सफल होने के लिए मार्गदर्शन लेना बहुत महत्वपूर्ण होता है, जो अच्छे गुरु से ही मिल सकता है। वे आपको उस संबंधित कार्य के विषय में  पूरा ज्ञान भी देंगे, तैयारी और अभ्यास करने के पूरे और सही तरीके एवं  नियम  बतलायेंगे। तदनुसार कार्य और मेहनत करने पर ही अच्छे परिणाम मिलने की संभावना निहित हो सकती है। संभावना इसलिए क्योंकि परिणाम में कर्ता का भाग्य भी जुड़ा होता है। ऐसा भी देखा गया है कि सब कुछ अच्छा और सही होने के बावजूद भी भाग्य साथ न देने की वजह से अचानक कोई व्यवधान आ पड़ता है और कार्य बनते-बनते बिगड़ जाता है। अतः सार यह है कि कड़ी मेहनत का परिणाम भी बुरा हो सकता है। परंतु ऐसे हालात पर हिम्मत और आत्मविश्वास नहीं खोना चाहिए और पुनः उस कार्य को पूर्ण करने में पूरे मनोबल, उत्साह, लगन, मेहनत,समर्पित और संकल्प शक्ति के जुट जाना चाहिए। यह निश्चित है कि एक दिन परिणाम सुखद अवश्य मिलेंगे।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
 हम बचपन से ही सुनते आए हैं कि कड़ी मेहनत से ही सफलता मिलती है और यह बात सत्य भी है पर कभी-कभी कड़ी मेहनत के बावजूद भी सफलता नहीं मिलती। इसका मुख्य कारण यह होता है कि हम मेहनत लक्ष्य के अनुसार सही दिशा में नहीं करते।
  सही समय पर सही दिशा में प्रयास करना ही सार्थक होता है। जब तक हम स्मार्ट वर्क को हार्ड वर्क से नहीं जोड़ेंगे तब तक सफलता हमसे दूर रहेगी।
   समय और हालात पर नजर रखते हुए कार्य करें। बिना सोचे समझे कड़ी मेहनत न करें। उदाहरण स्वरूप ऐसा न हो कि दूसरे को देखकर हमें भी मेडिकल लाइन में जाने की तमन्ना जाग उठी जबकि बायोलॉजी हमारे समझ से बाहर है। ऐसे में कड़ी मेहनत भी निरर्थक साबित हो सकती है। भेड़-चाल में न चल कर अपनी रुचि, काबिलियत और क्षमता के अनुसार ही अपना लक्ष्य निर्धारित करें, तभी आपको मेहनत का परिणाम सफलता के रूप में मिलेगा और आपके सपने भी पूर्ण होंगें।
                     - सुनीता रानी राठौर
                     ग्रेटर नोएडा -उत्तर प्रदेश
यूँ तो कड़ी मेहनत का परिणाम इंसान के लिए सुखद ही होता है क्योंकि किसी भी चीज अथवा मुकाम को हांसिल करने के लिए उसके प्रति मेहनत ही इंसान की प्राथमिकता होती है । जिससे इंसान हर मुकाम को हांसिल कर सकता है । परंतु ये कड़ी मेहनत उस समय सुखद परिणाम नही देती जब इंसान कड़ी मेहनत तो करे परन्तु जिस विषय पर उसने मेहनत की है , उसका उसे तनिक भी ज्ञान न हो और उसके वह काबिल भी न हो । तब उसे वह परिणाम बुरा ही लगेगा । इसीलिए किसी भी विषय की पूर्ण जानकारी कर लेना तत्पश्चात उसके प्रति की गई मेहनत ही सुखद परिणाम दे सकती है ।
- परीक्षित गुप्ता
बिजनौर - उत्तरप्रदेश
कठोर परिश्रम या कड़ी मेहनत मनुष्य का असली धन होता है।
 बिना कड़ी मेहनत के सफलता पाना असंभव है।
 इस दुनिया में जो व्यक्ति कठिन परिश्रम करता है ,सफलता उसके कदम चुमती है।
कड़ी मेहनत करने वाले लोग मिट्टी को सोना बना देते हैं ।
कड़ी मेहनत करने वाले विद्यार्थी सफल होते हैं ।
अगर कड़ी मेहनत के समय आलस करेंगे तो असफल होंगे।
" सफलता कोई संजोग नहीं है"। यह कठिन परिश्रम दृढता से सिखाना ,पढ़ाई,बलिदान और सबसे ज्यादा हम जो भी कर रहे हैं, या सीख रहे हैं उससे प्यार करना चाहिए।
जो व्यक्ति इन बातों पर ध्यान न देकर सिर्फ कड़ी मेहनत करने का परिणाम चाहते हैं ,वही असफल होते हैं।
यह सपना किसी चमत्कार से नहीं बनता है ।
यह पसीना, दृढ संकल्प  और कड़ी मेहनत से होता है। 
ींलेखक का विचार:- कड़ी मेहनत सफलता की ओर ले जाती है और तब महानता आती है। 
आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत हमेशा आपको सफलता की ओर ले जाती है। 
कड़ी मेहनत और अनुशासन के बिना उत्तम व्यवसाय बनना मुश्किल है ।
सच्चे दिल से किया हुआ आपका मेहनत का फल सबसे ज्यादा मीठा होता है।
जो इस सब बातों से वंचित
करते हैं उन्हीं से प्रणाम बुरा होता है।
- बिजयेन्द्र मोहन 
बोकारो - झारखण्ड
एक कहावत है परिश्रम का फल मीठा होता है मेहनत का फल मीठा होता है पर यद्यपि उद्देश्य ही मेहनत सही दिशा में जो मेहनत नहीं किए जा रहे हैं तो परिणाम उसका उल्टा हो जाता है अपने हिसाब से इंसान मेहनत तो पूरा कर लिया और परिणाम वांछित पाना चाहता है लेकिन मेहनत की दिशा जो थी वह बदल गई थी इसलिए यह स्वाभाविक है कि अगर दिशाहीन होकर कड़ी मेहनत की जाए तो उस मेहनत का परिणाम बुरा भी हो सकता है उदाहरण के लिए मेहनत आपको अपने योग्यता या पढ़ाई या रिजल्ट के लिए करना है लेकिन आप मेहनत पढ़ाई पढ़ना करके दूसरे डायरेक्शन में करते हैं तो परिणाम वांछित नहीं मिलता है नहीं मिलने से घोर निराशा होती है दुख होता है तकलीफ होता है किसी एक व्यक्ति को नहीं बल्कि पूरा परिवार दुखी हो जाता और फिर वही पर कुछ दूसरे ही चीजों का सेवन करने से इंसान की जिंदगी और भी भटक जाती है इसलिए सही दिशा में किया गया मेहनत का फल मीठा होता है लेकिन दिशाहीन होकर अगर हम मेहनत कर रहे हैं और दिशा के अनुसार अपेक्षा रहते हैं तो वह परिणाम बुरा ही हो सकता है
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
कड़ी मेहनत का  परिणाम अक्सर अच्छा ही होता है, जब आप अच्छे कार्य के लिए मेहनत  कर रहे होते हैं लेकिन कड़ी मेहनत का परिणाम बूरा तब हो जाता है जब आप किसी बूरे कार्य के लिए मेहनत करेंगे, कहने का मतलब  यह है की मेहनत का फल अवश्य मिलता है, देखना इन्सान को है की कौन सा कार्य इन्सान को शोभा देता है  , लेकिन मेहनत का  परिणाम तो मिल कर ही रहेगा, 
सच कहा है, 
"बिन मेहनत कोई फल नहीं मिलता, बैठे बैठे प्यासे को जल नहीं मिलता, खाए हों धक्के जिस इन्सान ने वो कभी भी कम अक्ल नहीं मिलता"।  
 कहते हैं   परिऋम ही सफलता की कुन्जी है  इसलिए कठोर परिऋम या कड़ी मेहनत मनुष्य का असली धन होता है, और मेहनत से ही आदमी सीखता है  , फिर वो ही कार्य आसान लगता है। 
यह भी सच कथन है, 
"करत करत अभ्यास के जड़मति होत सजान, " कहने का भाव जब कोई इन्सान ़ठान लेता है की मैं यह कार्य अवश्य करूंगा फिर उसके लिए कोई भी काम मुश्किल नहीं होता, इसलिए लक्ष्य को ताक में रखकर कड़ी मेहनत करने से जो परिणाम मिलेगा अती उत्तम ही होगा। 
सच है, 
"तेरी मेहनत कल जरूर रंग लाएगी, आज की यह, कड़ी मेहनत, कल खुशियों की बारात लाएगी"। इसलिए सही समय पर की गई मेहनत सफलता अवश्य लाती है, यही नहीं जो क़ठिन परिऋम करता है सफलता उसके कदम चूमती है। 
इसमें कोई शक नहीं, 
" कड़ी से कड़ी जोड़ते जाओ तो जंजीर बन जाती है, मेहनत पै मेहनत करो तो तकदीर बन जाती है"।  
इसलिए कड़ी मेहनत का परिणाम कभी बूरा नहीं हो सकता जब तक इन्सान के बिचार बूरे न हों अपने बिचार बदलि़ए बिचारदारा बदल जाएगी। कबीर जी ने सच कहा है , 
" बूरा जो देखन मैं चला, बूरा न मिलया कोए, जों खोजा मन अपना मुझ से बूरा न कोए, "। मेहनत को बूरा या भला इन्सान के विचार ही वनाते हैंअपितु मेहनत तो लम्वी यात्रा की शूरूआत है जो अवश्य मंजिल तक ले जाती है। कहते हैं, 
" जब हौंसला बना लिया ऊंची उड़ान का, फिर देखना फिजूल है कद आसमान का"। 
जब इन्सान कुछ करने की ठान लेता है, तो कड़ी मेहनत ही उसका सबसे वड़ा गहना है, इसलिए मेहनत करते चलो मुकदर खुद व खुद बन जाएगा,  
यह अजमाया हुआ है, 
"पसीने की स्याही से जो लिखते हैं इरादों को, उनके मुक्कदर के सफेद पन्ने कभी कोरे नहीं  होते।  
 इसलिए नेक नियत से किया गया परिऋम कभी बूरा नहीं हो सकता  और उसका फल भी कभी बूरा नहीं होता। 
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
कड़ी मेहनत का परिणाम बुरा नहीं हो सकता यदि वो मेहनत आगे बढ़ने के लिए की जाती है। आलस का फल तो बुरा हो सकता है, मेहनत का नहीं। कड़ी मेहनत हमेशा सफलता की ओर ले जाती है। मेहनत सीढ़ियों की तरह होती है और भाग्य लिफ्ट की तरह।लिफ्ट बंद हो सकती है पर सीढ़ियां हमेशा ऊंचाई की तरफ ले जाती हैं और आगे बढ़ाती रहती हैं। मेहनत का परिणाम जरूर मिलता है। कड़ी मेहनत सफलता की कुंजी है जो मिट्टी को भी सोने में बदल देती है। सपना पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। 
 - कैलाश ठाकुर 
नंगल टाउनशिप - पंजाब 
सिद्धान्त के मुताबिक  ऐसा होना तो नहीं चाहिए और होता भी नहीं है। लेकिन यह सब निर्भर करता है,मेहनत की दिशा और कर्ता के उद्देश्य पर। यदि उद्देश्य ही सही नहीं होगा तो परिणाम सही नहीं होगा। हमारे एक गुरु जी थे,एक दिन कुछ मित्रों ने उनसे कहा कि अमुक मित्र तो मेहनत बहुत करता है।गुरुजी मुस्कुराते हुए बोले,मेहनत तो गधा भी खूब करता है। मेहनत किस दिशा में की जा रही है,उद्देश्य क्या है। ये बातें भी बहुत महत्वपूर्ण है। एक विद्यार्थी कम पढ़कर भी अच्छे नंबर लाता है,दूसरा बहुत पढ़ते हुए,मेहनत करते हुए भी जैसे तैसे पास होता है।कारण मेहनत की दिशा है। कड़ी मेहनत की ही उस काम में जाती है,जो अपनी अभिरुचि का हो।
मुख्य बात है उद्देश्य यदि कोई हेराफेरी, चोरी में कड़ी मेहनत कर रहा है तो परिणाम अच्छा आएगा या बुरा?आप स्वयं विचारें। पवित्र उद्देश्य से की गरी कड़ी मेहनत का परिणाम सुखद और बुरे उद्देश्य से करीब कड़ी मेहनत का परिणाम दुखद और बुरा ही होता है।
- डॉ अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
कर्मण्ए वाधिकारस्ते मा फलेशु कदाचन
गीता में लिखा है कर्म से पीछे ना 
हटें परिणाम प्रतिफल क्या मिलेगा यह आपके हाथ में नहीं है केवल कर्म पर आपका अधिकार है कड़ी मेहनत दृढ़ संकल्प अदम्य इच्छाशक्ति से अपने
आत्म विश्वास उत्साह के द्वारा हम किसी भी कार्य को क्रियान्वित करते हैं
फिर भी कभी-कभी ऐसा अनुभव में 
देखने को मिलता है कड़ी मेहनत के परिणाम भी अनुकूल नहीं होते उसके कई कारण होते हैं समय काल और परिस्थितियां भी बहुत कुछ निर्भर करती है जिस समय हम कार्य को प्रतिपादित करते हैं उस समय वह बहुत आवश्यक हो किंतु किसी कारण 
बाद में उसकी उपयोगिता कम हो जनता की पसंद नापसंद पर भी निर्भर करती है फिर भी मेहनत से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए परिणाम प्रतिकूल हो या अनुकूल आपको अपने कार्य के प्रति द्दृढ लगन धैर्य आत्मविश्वास बनाए रखना चाहिए यह नितांत आवश्यक है।
*कड़ी मेहनत ही सफलता की पहली और अंतिम सीढ़ी है*
- आरती तिवारी सनत
 दिल्ली
कड़ी मेहनत का परिणाम बुरा हो सकता है इसके प्रति अलग-अलग नजरिए हैं।  हाल ही में जब एक दिन के लिए जिम खुले तो एक नौजवान ने जिम में जाकर इतनी कड़ी मेहनत की कि वह आई.सी.यू. में पहुंच गया।  दिन भर रिक्शा चलाने वाले या कड़ी मेहनत मजदूरी करने वाले इतना थक जाते हैं कि उनमें से अनेकों को मदिरा का सहारा लेना पड़ता है। यह भी एक बुरा परिणाम है।  आजकल के स्पर्धात्मक युग में नौजवान विद्यार्थी घंटों पढ़ते रहते हैं या कम्प्यूटर पर काम करते रहते हैं और इतनी कड़ी मेहनत का उनके स्वास्थ्य पर बुरा परिणाम होता है।  किसी की आंखें कमज़ोर हो जाती हैं, किसी को सर्वाइकल की समस्या हो जाती है, किसी का रक्तचाप बढ़ जाता है, बहुत से तो मानसिक दबाव में भी आ जाते हैं।  कड़ी मेहनत करने के बाद जब वांछित परिणाम नहीं मिलते तो अवसाद की स्थिति में चले जाना आजकल आम बात हो गई है और यह एक बुरा परिणाम है।  गहरे अवसाद में चले जाना अक्सर आत्महत्या जैसे कदम उठाने पर बाध्य कर देता है। ऐसे अनेक उदाहरण हैं जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि कड़ी मेहनत करने का परिणाम भी बुरा हो सकता है।
- सुदर्शन खन्ना 
दिल्ली 
कड़ी मेहनत का परिणाम भी बुरा हो सकता है; यह हमारी नकारात्मक सोच है। क्योंकि कड़ी मेहनत करना ही हमारा अधिकार है। बल्कि इसके क्रियान्वयन में हमें अपने कार्य के प्रति ईमानदार, सजग तथा अपनी मेहनत के हर प्रकार के अनुकूल, प्रतिकूल  परिणामों से ऊपर उठना होगा और अपने हर कर्म को पूजा मानकर हर्ष- विषाद,सुख- दुख, शुभ अशुभ कर्मों के परिणाम से अपने को मुक्त रखना होगा। फल रुपी परिणाम ईश्वर के हाथ में होता है-- गीता में भी कहां गया है---------- "कर्मंण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
       मान लिया कि किसी क्षेत्र में हमने कड़ी मेहनत की और उसका परिणाम भी बुरा पाया तो यह मानकर चलना चाहिए कि  लाभ- हानि, यश- अपयश, जीवन- मृत्यु, विधि के हाथ हैं; क्योंकि भाग्य  और कर्म का समीकरण ही ऐसा है जिसमें जीवन के रंगमंच पर हमसब कर्म की कठपुतलियों की डोर ईश्वर के हाथ में ही होती है।
- डॉ. रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
वैसे तो मेहनत का परिणाम कभी बुरा नहीं होता वह भी कड़ी मेहनत का परिणाम तो बुरा क्यों होगा भला, 
परन्तु किसी कार्य को करने से पहले क्यों कब कैसे का ध्यान रखना चाहिए कार्य की दशा और दिशा को कभी नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए और इन सभी बिंदुओं को गंभीरता से विचार कर लिया जाए तो कभी परिणाम बुरा नहीं हो सकता ।
  दरअसल शारीरिक व मानसीक रूप से किया गया काम मेहनत कहलाता है. ये काम हम अपनी इच्छा के अनुसार चुनते है, जिसे लेकर हम अपने उज्जवल भविष्य की कामना करते है. पहले मेहनत का मतलब सिर्फ शारीरिक मेहनत होता था, जो मजदूर या लेबर वर्ग करता था. लेकिन अब ऐसा नहीं है, मेहनत डॉक्टर, इंजिनियर, वकील, राजनैतिज्ञ, अभिनेता-अभिनेत्री, टीचर, सरकारी व प्राइवेट दफ्तरों में काम करने वाला हर व्यक्ति मेहनत करता है । मेहनत करना अपने बस में है परन्तु फल अपने हाथ नहीं होता बस इस बीच ही किसी कारण का फल पर आक्रमण हो सकता है तो बुरा हो सकता है वैसे ये अपवाद ही है अक्सर ये नहीं हो सकता है ।
- डॉ भूपेन्द्र कुमार धामपुर 
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
     जो समय की महत्ता को समझ सके और कठिन परिश्रम कर धीरे-धीरे अपने लक्ष्य की ओर अग्रेषित होता जाता हैं और कर्म को प्रधान समझता हैं, उसे हमेशा सफलता ही मिलती जाती हैं। एक मजदूर कठोर परिश्रम, तत्परता से भव्यता के साथ निर्माण कार्य पूर्ण रूप से करता, उसे मेहनत के अनुरूप रुपया नहीं मिल पाता न ही उसका मूल्यांकन हो पाता। इसके साथ ही ऐसे कई उदाहरण सामने आते हैं, जो कड़ी से कड़ी मेहनत करने के परिणाम स्वरूप, परिणाम भी बुरा होता जाता हैं और अंत में बुरी संगतों के परिदृश्यों में जीवन लीला को समाप्त करने की सोचता हैं, जिसके परिपेक्ष्य में परिणाम नकारात्मक हो ही जाता हैं। कड़ी मेहनत का परिणाम सामाजिक, धार्मिक, रचनात्मक,  राजनीतिक, पारिवारिकता तथा विधार्थियों की विशेष पृष्ठभूमि में तथाकथितों का बुरा हाल सामने से गुजरते हुए दिखाई देते हैं?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
  बालाघाट - मध्यप्रदेश
मेरे मतानुसार कड़ी मेहनत का कभी भी बुरा परिणाम  नहीं होता है । जो लक्ष्य है उसका देर -सवेर अच्छा  परिणाम मिलता है । परिश्रम ही सफलता की आधारशिला  है।  जीवन में किसी भी  व्यक्ति को  बिना कड़ी मेहनत के कभी कुछ नहीं प्राप्त हुआ है । शीर्ष तक पहुँचने के लिए कड़ी मेहनत करनी होती है ।
मेहनत के चार अक्षरों में सफलता छिपी हुई है 
कड़ी मेहनत करना जीवन का मूल मंत्र होना चाहिए ।मेहनत के बल पर ही हमारे अन्नदाता हमारे लिए   अन्न  उपजा के हमारे को पुष्ट करते हैं ।
हमें रोटी खाने में न भी मेहनत करनी होती है । रोटी सीधी मुँह में नहीं चली जाती है।
मैं अपनी मिसाल उस प्रसंग के द्वारा देना चाहती हूँ।
मैं 2009  से दोहे लिख रही थी । मात्राओं में लिखना कठिन काम होता है । कड़ी मेहनत करनी पड़ी । 2020 में जुलाई में हाल ही में दोहों में ' मनुआ हुआ कबीर व्यष्टि से  'समिष्ट में सार्वजनिक हुई जिसमें
विविध विषयों पर  923 दोहे हैं । भारत , मुम्बई  की पहली महिला मुझे बना दिया है । 
 मैंने परिणाम सोचा नहीं था । कहने का मतलब है कि कड़ी मेहनत का साकारात्मक परिणाम मिलता है ।
मेहनत कभी भी व्यर्थ नहीं जाती है ।परिश्रम सफलता की कुंजी है।
उद्योगपति , सन्त महात्मा , जितने भी लोग शीर्ष पर पहुँचे हैं ।सभी मेहनत के बूते पर पहुँचे हैं ।
मेहनत कभी बेकार नहीं जाती 
थकान जरूर ले आती 
पिछले कदम से 
अगला कदम बेहतर हो।
- डॉ मंजु गुप्ता
 मुंबई - महाराष्ट्र
कभी कभी कड़ी मेहनत का परिणाम बुरा हो सकता है।हद से ज्यादा परिश्रम भी बेहद नुकसान दायक सिद्ध होता है।जिसतरह कहा जाता है।नीबूं को अधिक निचोडें तो खट्टास का ही एहसास होता है।उसी प्रकार चीनी का ज्यादा प्रयोग होने से चाय का स्वाद बिगडऩे की संभावनाएं होती हैं।समय अवधि से अधिक मेहनत और परिश्रम से जीवन शैली और स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है।मेहनत की कोई सीमा अवश्य नही होती पर शरीर एक मशीन है।और मशीन के चलने कु अवधि होती है।कड़ी मेहनत से कभी कभी इंसान को अनेक प्रकार की बिमारियों का सामना करना पडता है।रक्तचाप,मधुमेह, आँख,मानसिक असंतुलन, शारिरिक सबंधित अन्य बिमारियों से मानव घिर जाता है जो की बेहद ही हानिकारक सिद्ध होता ,एक व्यक्ति से पूरा परिवार जुड़ा होता है सारा परिवार परेशानियों के दौर से घिरता जाता है।हाँ कभी कभी कड़ी मेहनत ही मंजिल का एकमात्र विकल्प होता है।कड़ी परिश्रमी होना चाहिए परंतु अपने मानसिक शांति और शारिरिक क्षमता को ध्यान में रखते हूये।अनेक अनुभव परिचायक समाज, देश मे उपलब्ध है जिन्होंने कड़ी मेहनत की और परिणामस्वरूप सफलता भी पाई।परंतु ऐसे सत्य भी उजागर है जिन्होंने कड़ी मेहनत के बुरे परिणाम को स्वीकार ना करते हूये अपने जीवन लीला समाप्त कर ली।बुरे परिणाम विधान का भी लेखांकन हो सकता है।मेहनत जब सीमाओं को पार करती है और जीवन की कसौटियों को अपने वंश मे करने की क्षमताओं को प्रदर्शित करती है तब कभी कभी इंसान का शरीर और दिमाग की शक्ति कमजोर हो जाती है तनाव मे रहकर कड़ी मेहनत होती है फलस्वरूप मानव अपने जीवन मे रोगों को जन्म देता है।अतः कड़ी मेहनत कि परिणाम भी बुरा हो सकता है।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड

 " मेरी दृष्टि में "  बिना सलाहकार के कार्य बहुत कम सफल होते हैं । कड़ी मेहनत  के बाद भी सफल नहीं मिलती हैं । इसमें सबसे बड़ी कमी अपनी होती है ।
        - बीजेन्द्र जैमिनी
डिजिटल सम्मान



Comments

  1. कड़ी मेहनत अपने आप में सकारात्मक सोच रखती है किंतु कई बार प्रयास करने पर भी सफलता नहीं मिल पाती।उसके दो ही कारण हो सकते हैं या तो प्रयास में कुछ कमी रह गई या फिर भाग्य खराब। जैसे किसान पूर्ण परिश्रम के साथ फसल के लिए प्रयास करता है किंतु अचानक प्राकृतिक आपदा जाने से उसको सही प्रतिफल नहीं मिल पाता। यह उसका भाग्य खराब कह लो या देवीय प्रकोप किंतु प्रयास तो उसके द्वारा किया ही गया था।

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