क्या वक्त अपना है तो सब कुछ अपना है ?

कहते हैं कि वक्त सभी का आता है । जो उस वक्त का सही उपयोग कर गया । वही समझे दार  इंसान कहलाता है । जो जीवन को सार्थक बना सकता है । जो वक्त का सही उपयोग नहीं करके दुरुपयोग करता है । वह अपराध की दुनिया तक पहुंच जाता है । यहीं जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
      वक्त बादशाह है। जो कभी किसी का दास नहीं बनता। यह वक्त ही है जो युगों-युगों के इतिहास का साक्षी है। यह मात्र साक्षी ही नहीं बल्कि प्रत्यक्षदर्शी भी है। चूंकि वक्त थमता नहीं है। वह गतिमान है और हमेशा चलता रहता है।
      धार्मिक ग्रंथ साक्षी हैं कि वक्त ने राजा को रंक ही नहीं बल्कि चांडाल बनते देखा है। जिसका उदाहरण सत्यवादी राजा हरिशचंद्र जी हैं और जब कर्मों ने पल्टी मारी तो वही राजा अमर हो गए। वक्त ने उन्हीं को सत्य की पहचान बनते भी देखा है।
      क्योंकि वक्त ने बादशाहों के साथ-साध उनकी असीम शक्ति भी देखी है। उसी वक्त की गति ने युग परिवर्तक श्रीरामचन्द्र जी की रामलीला और श्रीकृष्ण जी की रासलीला भी देखी है। जबकि हिन्दू धर्म में श्रीकृष्ण जी को और श्रीरामचन्द्र जी को भगवान श्रीविष्णु जी का अवतार माना गया है और दर्शाया गया है कि कर्मभूमि पर कर्मों की चक्की में भगवान भी पिसने से बच नहीं सके। जिसका साक्षी वक्त बनता है।
      विचारणीय है कि वक्त जब भगवान के कर्मों का साक्षी बन सकता है तो हम किस खेत की मूली हैं? इसलिए वक्त भी कठोर तपस्या अर्थात परिश्रम को मान्यता देता है। जो मानव के वश में है और गीता का उपदेश भी कर्म को ही उत्तम मानता है। जिसका फल ईश्वर के हाथ में है और मौक्ष प्राप्ति का आधार मी कर्म ही हैं। 
      अतः वक्त तो प्राकृतिक गतिशील है। जो बिना थके चलता ही रहता है और दिन-रात ऋतुओं को बदलने से लेकर युगों-युगों को बदलता ही जा रहा है।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
समय बलवान होता है इस बात को सभी लोग भली-भांति जानते हैं। समय का पहिया कब किस करवट बदलेगा यह कोई नहीं बता सकता है। हां यह जरूर है कि जब वक्त अपना होता है तब सब कुछ अपना होता है, लेकिन वक्त कब बदल जाएगा इसे कोई नहीं बता सकता, क्योंकि राजा से रंग होते हुए देर नहीं लगती। वक्त के साथ-साथ सब कुछ बदल जाता है, लोग भी रास्ते भी और कभी कभी हम  खुद भी। यह वक्त ही तो है, जब पूरी दुनिया कोरोना से जूझ रही है। हजारों की संख्या में लोग इस महामारी से हर रोज मर रहे हैं। लगभग 6 माह में पूरी दुनिया कोरोना की दवा बनाने में लगी है लेकिन अभी तक सफलता हाथ नहीं लगी। दुनिया का सबसे बलवान महाशक्ति देश अमेरिका इस महामारी से सबसे अधिक प्रभावित हुआ। सब कुछ होते हुए भी अमेरिका जैसा महाशक्ति देश इस बीमारी को अपने वश में करने के लिए  प्रयास कर रहा है। यह वक्त ही तो है जब अनिल अंबानी समेत 5 उद्योगपति अरबपति से खाकपति हुए। दुनिया के शीर्ष उद्योगपतियों में शामिल अनिल अंबानी कंगाल होने के करीब पहुंच गए हैं। उन्होंने ब्रिटेन की एक अदालत में स्वीकार किया है कि उनके पास वकील की फीस देने के लिए भी पैसे नहीं है। वे कीमती गहने बेचकर फीस का भुगतान कर रहे हैं। इसी तरह कैफे कॉफी डे के मालिक वीजी सिद्धार्थ को कौन हो जनता है, जिन्होंने कर्ज के कारण 2019 में एक नदी में कूदकर आत्महत्या कर ली थी। वीजी सिद्धार्थ भारत के सफल कारोबारियों में एक ऐसा नाम जिनकी पहचान नाम से अधिक काम से थी। इसी तरह जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल एक समय एविएशन किंग कहलाते थे। अरबपति से खाकपति हुए उद्योगपतियों में राणा कपूर बलविंदर सिंह और शिविंदर सिंह भी शामिल है। इसलिए यह कहना बहुत मुश्किल है कि जब वक्त अपना है तब सब कुछ अपना है। क्योंकि वक्त से बलवान कोई नहीं होता कोरोना काल में पूरी दुनिया इस बात को समझने लगी है।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
एक प्रश्न है कि "दुनिया में कौन अपना होता है?" इसका उत्तर है कि "यदि वक्त अपना है तो सब अपने हैं।"
     जी हां! यह कड़वी सच्चाई है कि वक्त के अनुसार ही मानव जीवन में अपने-पराये का खेल चलता है। वक्त की इस विशेषता को वही समझ पायेगा जिसने वक्त के उतार-चढ़ाव के कारण इस दुनिया का क्षण में पराया, क्षण में अपना हो जाने वाला रूप देखा हो। 
     इसके साथ ही वक्त ही वह ताकत है जो मनुष्य को विजय अथवा पराजय से मिलवाता है। 
तुलसीदास जी के शब्दों में..... 
"तुलसी नर का क्या बड़ा, समय बड़ा बलवान ।
  भीलां लूटी गोपियां, वही अर्जुन वही बाण।।" 
किसी ने कहा है कि "मत करो घमंड अपने अच्छे वक्त का, कब वक्त खाक में मिला दे, पता नहीं चलेगा"। इसलिए जो मनुष्य अंहकार में डूबकर किसी को कुछ नहीं समझते, उनको तो वक्त सबक सिखाता ही है परन्तु कभी-कभी ईमानदार, परिश्रमी कर्मयोद्धा भी वक्त की विमुखता के कारण जीवन-पथ पर अपना सब कुछ खो देते हैं। राजा हरीश चन्द्र वक्त की ताकत के आगे नतमस्तक हो गये थे। 
इसीलिए कहता हूं कि..... 
"वक्त की आदत है इन्सान को समझाता जरूर है, 
अपनी बदलती रंगतो से पाठ पढ़ाता जरूर है।
चैन की नींद या करवटें मिलती हैं वक्त की रंगत से, 
वक्त अपनी ताकत का आभास कराता जरूर है।।" 
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
अक्सर ये सुनने को मिलता है कि"वक्त रहते कुछ किया नहीं तो अब पछताने से क्या लाभ?"
या"सब वक्त -वक्त की बात है",या "आजकल तो तुम्हारा ही वक्त चल रहा है" इत्यादि। मेरा मानना है कि वक्त एक निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है जो अंततः हमें भी बिना रुके या पीछे मुड़कर देखें बिना जीवनभर आगे चलने के लिए प्रेरित करता है। जीवन भर वक्त हमें समय-समय पर विभिन्न प्रकार से प्रतीकात्मक रूप से संदेश देता है कि हमें आगे जीवन में क्या करना है। जो लोग हमारे जीवन के अलग-अलग पड़ावों पर मिलते हैं या जो घटनाएं हमारे जीवन में  घटित होती है वहीं हमारे जीवन की दिशा और दशा बदलती हैं। इसलिए जब जीवन में सबकुछ बुरा चल रहा हो तो भी घबराना नही चाहिए।हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। वैसे ही वक्त भी एक सा नहीं रहता। बुरे वक्त में हिम्मत हारे बिना आत्मविश्वास का दामन थाम कर आगे बढ़ने की कोशिश करनी चाहिए। वक्त बदलेगा ज़रूर ।उसे बदलना ही है।आज नहीं तो कल का वक्त हमारा होगा।
-  संगीता राय
पंचकुला - हरियाणा
           बिल्कुल सत्य वक्त अपना है तो सब कुछ अपना है। कहा गया है कि समय बलवान होता है आदमी नहीं। समय अच्छा होता है तो सब कुछ अच्छा होता है। आप जो कुछ भी कीजिए सब अच्छा होगा। राई को स्पर्श कीजिये पहाड़ हो जाएगा। लोहा को छुइये सोना हो जयेगा। समय का प्रभाव इतना होता है। समय जिसका अच्छा होता है तो सभी कहते हैं ईनका समय अच्छा चल रहा है ये जो करेंगे सब अच्छा होगा। कहते हैं सब वृहस्पति तुङ्गे।यानी वक्त अभी इनका है। अच्छा समय मनुष्य को कहाँ से कहा तक पहुँचाता है। बुरा समय मनुष्य को गर्त में ले जाता है।
             किसी का बुरा समय चलता है तो लोग कहते हैं इंतजार कीजिए आपका भी वक्त आएगा। सुग्रीव का अच्छा समय आया तो उसका  सब कुछ अपना हो गया। इस तरह के और भी बहुत सारे उदाहरण हैं जो ये सिद्ध करते हैं कि वक्त अपना है तो सब कुछ अपना है।
- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" 
कलकत्ता - प. बंगाल
आज की चर्चा वक्त अपना तो हम सब कर सकते हैं।
वक्त ही बलवान है। वक्त अपना है तो हम सब कुछ कर सकते हैं आज के युग में मानव के पास वक्त की कमी है काम की अधिकता है इसलिए हमें समय का पूरा ध्यान रखना चाहिए। जीवन का हर क्षण बहुत कीमती है जरूरी नहीं कि आज वक्त हमारे साथ है तो कल भी रहेगा। हम यह भूल जाते हैं कि हमारे पास वक्त कम है ना जाने कब जीवन की शाम हो जाए। जितना वक्त है खुश रहकर अच्छे काम परोपकार व अपने सभी काम समय पर पूरे करना चाहिए यदि हम अपनी आदतों के मुताबिक काम करते हैं तो सब कुछ करना नामुमकिन है ।
- पदमा ओजेंद्र तिवारी
 दमोह - मध्य प्रदेश
     समय चक्र का अपना एक अलग महत्व हैं, जिसने वक्त के हिसाब से अपना कार्य सुचारू रूप से सम्पादित कर लिया, तो वह अजर अमर हो जाता। हम वक्त को अपना समझे, तो सब कुछ अपनत्व की भावना जाग्रत होती हैं और वक्त बदला तो, समस्त प्रकार से कार्य प्रभावित हुए, बिना नहीं रहते। प्रायः देखने में आता हैं, कि 
कई वक्त पर अपना सब प्रकार से कार्य करने में सक्षम रहते, जिसके परिपेक्ष्य में हमेशा सफलता ही मिलती जाती हैं और अनन्त समय तक सफलता अर्जित करते जाते हैं। घर-परिवार बच्चों को समय पूर्व शिक्षा-दीक्षा, नौकरियां, वैवाहिक जीवन आदि,  गुरुकुल, कार्यालयों  आदि में वक्त पर अपना सब प्रकार से कार्य करने की शिक्षा दी जाती हैं, जिसका परिणाम हमेशा सार्थक ही रहता हैं। लेकिन जो वक्त के विपरीत परिस्थितियों में रहा तो, अनेकों परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं। वर्तमान परिदृश्य में देखिए सब कुछ मोबाईल, व्हाटसाप, फेसबुक, कम्प्यूटर आदि में व्यस्त नजर आते तो हैं, किन्तु वास्तविकता से कोसों दूर निकल जाते और सब कुछ भूल जाते हैं। जिसका सीधा प्रभाव अत्यंत निराशाजनक होता हैं।
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
  बालाघाट - मध्यप्रदेश
वो कहावत है ना जिंदगी में वक्त से ज्यादा अपना या पराया कोई नहीं होता ! वक्त के अनुसार रिश्ते और लोग बदलते हैं ! समय का कोई भरोसा नहीं जाने कब किस करवट पलट जाये !  पल में आदमी राजा से रंक और रंक से राजा बन जाता है यह भी वक्त बताता है !इस वक्त को हम अपना भाग्य समझ कहते हैं समय बड़ा बलवान और यही समय है जब हम उन सत्यों का सामना करते हैं जिसकी हमने कल्पना भी ना की हो ! अपने पराये में अंतर परखना सीख जाता है ! वक्त यह भी सिखाता है कि समय जब पलटता है सब कुछ पलट देता है अतः अच्छे दिनों में हमें अहंकार नहीं करना चाहिए एवं बुरे दिनों में धैर्य नहीं खोना चाहिए ! वैसे भी वक्त हमें सब सीखा देता है !  समय रेत की तरह है उसे हम पकड़ नहीं सकते रेत की तरह फिसल या निकल जाता है अतः समय का हमे मान रखना चाहिए ! 
वक्त अपना है तो अहंकार छोड़ दूसरे की मदद करना चाहिए यदि किसी तरह की उलझन हो न सुलझती हो तो हमें वक्त पर छोड़ आगे बढ़ जाना चाहिए ! किसी भी वक्त बुरा हो या अच्छा हमारी भावना सदा एक सी होनी चाहिए ! सभी अपने हैं वसुधैव कुटुंबकम की भावना होनी चाहिए आज का समय हमे यही सिखाता है !
- चंद्रिका व्यास
 मुंबई - महाराष्ट्र
सूर्य के प्रकाश की भांति, वायु की भांति ही वक्त प्रत्येक को बिना भेदभाव मिलता है।  महत्व इस बात का है कि हम वक्त का किस प्रकार सदुपयोग करते हैं। वक्त एक ही चाल से चलता रहता है, कभी रुकता नहीं।  हम आलसी हो सकते हैं, ठहर सकते हैं, सुस्ता सकते हैं परन्तु वक्त नहीं।  समय के साथ चलने वाला कभी निराश नहीं होता और जो समय के साथ चलता है वह हमेशा सफल होता है। समय के साथ न चलने वाला या समय का सही उपयोग न करने वाला समय के साथ चलने वाले की सफलता से जलन कर सकता है। शायद वह यही कहेगा कि दूसरे का वक्त अच्छा है, वक्त उसका अपना है, लेकिन उसका अपना वक्त अच्छा नहीं है, अपना नहीं है। वक्त के साथ चलने के बारे में अनगिनत कहानियां, मुहावरे और लोकोक्तियां कही गईं। हरेक का निष्कर्ष यही है कि वक्त के साथ चलो, उसे अपना बना लो, फिर देखो सब कुछ अपना है।
- सुदर्शन खन्ना 
 दिल्ली 
जो व्यक्ति वक़्त को पहचानता है वक़्त उसी का है ।फिर चाहे परिस्थितियां हमारे विपरीत हों या हमारे पक्ष में ।जब हमारे सब काम  बनते चले जाते हैं तो हम समझते हैं कि वक़्त हमारे साथ है ।नहीं ,यह बात नहीं ।वक्त का पहिया तो घूमता है  कभी ऊपर कभी नीचे ।यह बात अलग है कि हमें लगता है कि वक़्त कभी अच्छा है तो कभी बुरा।वास्तव में जब हम खुश होते हैं ।तो कितना हल्कापन अनुभव करते हैं ।और हमें लगता है कि जैसे सारा संसार ही अपना है ।हम इस स्थिति में हो सकते हैं हमेशा क्योंकि बात हमारे दृष्टिकोण की है ।हमारी सकारात्मक विचार धारा की है ।अगर हमें लगता है कि वक़्त अपना है तो बहुत प्रसन्नता की बात है ।लेकिन एक बात याद रखने योग्य है वह यह कि वक़्त तो वही है वह नहीं बदलता हमारी परिस्थितियां बदलती हैं ।और अगर हम अपनी परिस्थितियों में रहते हुए भी वक़्त को पहचानते हैं तो वक़्त सदा अपना है और सब कुछ अपना है ।
- चंद्रकांता अग्निहोत्री
पंचकूला - हरियाणा
बस यही तो भ्रम है कि वक्त अपना होता है।भाई, किसी का अपना नहीं होता वक्त। यदि होता तो हर कोई वक्त ही नहीं भाई,ऐसा राग क्यों अलापता। बिल्कुल खाली बंदे से भी बात करो तो कहता है भाई साहब मरने तक का वक्त नहीं है। वक्त किसी का होता, तो जिनके शासन में सूरज भी नहीं डूबता था, उनका शासन सिमटकर छोटा सा न रह जाता। वक्त हमेशा उसका रहा,जो उसके साथ चला। जिसने इसमें चूक की वह फिर न पकड़ सका उसे,और पीछे, पीछे, पीछे ही खिसकता चला गया।कुछ लोग वक्त के साथ चलने को अवसरवादिता कहकर, अपनी नाकामी को छिपाने की कोशिश करते हैं। वक्त की कीमत वहीं जान सकता है, जो जरा सा वक्त चूक जाने पर कहीं नाकाम रह गया हो। वक्त अपना है तो सब-कुछ अपना है,मित्र यह बात ही सपना है।अपना कुछ नहीं है,क्योंकि वक्त अपना होता ही नहीं। यदि वक्त को अपने प्रभाव, अपनी सत्ता के अर्थ में अपना मानने की बात है तो यह तो यह तो वही बात हुई कि कोई केयर टेकर,स्वयं को मालिक समझने लगे।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर उत्तर प्रदेश
वक्त अर्थात समय अति मूल्यवान है । वक्त का हमारे जीवन में विशेष महत्व है । समय और परिस्थिति के अनुकूल वक्त का सदुपयोग हमारे जीवन काे सुखमय बनाता है ।  मेहनत और लगन से वक्त की धारा को मोड़ा जा सकता है । जिन्होंने वक्त की कद्र की  उन्हें राजा बनते हुए भी देखा है और जिन्होंने वक्त की बर्बादी  की वो रंक भी बने हैं ।
 वक्त बड़ा बलवान है । वक्त रहते यदि कोई संभल गया तो उसने अपना जीवन संवार लिया। वक्त कभी रुकता नहीं इसकी दिशा  सीधी आगे की ओर बढ़ती है ।
 वक्त को भाग्य से भी जोड़ा गया है , जिसने वक्त को समझ लिया , वक्त के अनुरूप चलना सीख लिया ,उसने अपने भाग्य को भी चमका लिया ।
 जीवन में वक्त के अनुरूप ढलना, उसका सदुपयोग करना, हमें उन्नति, तरक्की और सफलता  तो अवश्य मिलती है लेकिन उसमें अहंकार का समावेश कभी नहीं होना चाहिए। 
 एक कामयाब व्यक्ति वक्त की महत्ता समझते हुए कल्याणकारी भावना को भी आत्मसात करता है । हमें यह भी मानकर चलना चाहिए कि समय से ज्यादा कीमती कुछ भी नहीं है । यह समय ही है जो हमें धन, समृद्धि और खुशी प्रदान करता है । 
 वक्त अपना है तो सब कुछ अपना है यह सोच मनुष्य को स्वार्थी और आत्म केंद्रित भावना से घेर लेती है । इस प्रकार की सोच केवल अपना ही विकास चाहती है अपनी ही उन्नति चाहती है  और पर- कल्याणकारी भावना से सदैव वंचित रहती है ।
 - शीला सिंह,
 बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश 
वक्त तो सदैव अपना होता है, बस हमें सदुपयोग करना आना चाहिए और ऐसा हम कर नहीं पाते।जो ऐसा करने में जुट जाते हैं वह सफल होते हैं। अतः वक्त अपना है, यह सोचकर हमें अपने उद्देश्य के कार्यान्वयन में समर्पित और संकल्पित भावना से जुट जाना चाहिए। अध्ययन और अभ्यास, ज्ञान और विवेक, मार्गदर्शन और मेहनत इनका गहन समन्वय सफलता के रास्ते प्रशस्त करता है।  बुजुर्गों की एक समझाइश है, ' घड़ी पर का दुख और सब जनम का सुख ' याने हम अभी जितनी तकलीफ सह लेंगे, फिर सुख ही सुख मिलने वाला है। याने वर्तमान में हम जितनी मेहनत रूपी कष्ट सहेंगे, भविष्य में वह सफलता रूपी सुख प्रदान करेगा। क्योंकि यही सफलता  हमें सुख, संपन्नता, समृद्धि, यश, गौरव देगी। आशय यही कि वक्त अपना है तो सब कुछ अपना है। इसे यूँ समझें कि यदि हमने आज के समय की कद्र की तो कल का वक्त हमारी कद्र करेगा। 
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
 गाडरवारा - मध्यप्रदेश
     यह बात बिल्कुल सही है कि अगर वक्त अपना है तो सब कुछ अपना हैं अगर वक्त पराया हो गया तो अपने भी पराये हो जाते हैं। देखा जाए तो बदलते तो इंसान हैं वक्त तो एक बहाना होता है। जिंदगी के अनेक रंग हैं या कह लीजिए जिंदगी शतरंज की बिसात है। किस्मत बदलते देर नहीं लगती। कभी रंक से राजा तो कभी राजा से रंक बन जाते हैं। कहने का मतलब वक्त बदलते देर नहीं लगती। जब आप के पास धन-दौलत और शोहरत है तो सब दूर के सगे सम्बन्धी भी खास बनने लगते हैं। जब बुरा वक्त आता है तो खून के रिश्ते भी सफेद होने लगते हैं। हर कोई वक्त के साथ बदल जाता है जो नहीं बदलता उसे वक्त बदल देता है। 
          अगर बुरा वक्त आता भी है तो चाहे सभी साथ छोड़ दें तो भी मनुष्य को घबराना नहीं चाहिए। जैसे अंधेरे के बाद उजाला भी होता है उसी तरह बुरे दिन भी हमेशा नहीं रहते ।बुरा समय भी अपने साथ अच्छा संदेश लाता है। जीने की कला सिखाता है। 
- कैलाश ठाकुर 
नंगल टाउनशिप -  पंजाब
वक़्त अपने हाथ में नही रहता यहाँ तक कि सब कुछ अपना होने पर वक़्त निष्ठुर पथिक की भाँति मुँह मोड़कर निकल जाता है । वक़्त सबको समान रूप से मिलता है सबके पास २४ घंटे ही होते है सब समान रूप हवा पानी का इस्तेमाल करते है हम कह सकते हैं प्रकृति ने सबको समान वितरण किया है परन्तु सब समान रूप से प्राकृतिक संसाधनों का सदुपयोग नही कर पाते है जिसके कारण भारी असमानता दिखाई देती है और कोई कहता है वक़्त उसका है और कोई कहता है वक़्त उसका नही है, सच ये है कि वक़्त सबका है और किसी का नही है । रही सब कुछ अपना होने की बात तो जिसे हम वक़्त पर प्रयोग कर सके या हमारे काम आ सके वह अपना और जो वक़्त पर काम ना आ सके वह अपना होकर भी अपना नही, 
सच ये ही है मानें या मानें हमारे प्रयास और क्रिया कलाप वक़्त को हमारा बना देते हैं । 
- डॉ भूपेन्द्र कुमार
धामपुर - उत्तर प्रदेश
 वक्त हर हमेशा जैसा है वैसा ही रहता है ।वक्त कभी बदलता नहीं। वक्त शाश्वत है, निरंतर है। सर्व व्याप्त है वक्त को हमने हमारे क्रियाओं के आधार पर बांटा है। जैसे जो क्रियाएं हो चुकी उसे भूत काल कहा जाता है और जो क्रियाएं हो रही है ।वह वर्तमान काल कहा जाता है और जो क्रिया होने वाली है ,वह भविष्य कहलाता है। समय कभी बदलता नहीं है हमारी क्रियाएं बदलती है।
 हम हर पल हर क्षण वर्तमान में ही जीते हैं। अगर हमारी क्रियाओं को सही समय पर क्रियावन्वयन करते हैं तो वह कार्य सफलतापूर्वक पूर्ण हो जाता है।इसी का नाम है वक्त अपना है। जिसने वक्त की महत्व को पहचान लिया और अवसर रहते ही अपने कार्य को कर लिया, ऐसे लोग सफलता को प्राप्त करते हैं। यही वक्त अपना है ,तो सब कुछ है ।ऐसा कर सकते हैं।
 वक्त का सदुपयोग करते हुए अपने व्यवहार कार्य को अंजाम देने से हमेशा सही होता है। सफलता मिलती है खुशियांँ मिलती है। यही सब कुछ अपना है। समय किसी का नहीं होता समय निरंतर बना ही होता है क्रियाएँ अपना-अपना होता है।
 - उर्मिला सिदार
 रायगढ़ - छत्तीसगढ़
आज हम वक्त के  विषय में बात करेंगे  कि जिंदगी में जो उतार चढ़ाब होता है  क्या सच यह  वक्त पर निर्भर होता है, कहने का मतलब अगर हमारा वक्त अच्छा चल रहा है तो अच्छे दिन होंगें अगर वक्त  अच्छा नहीं हो ते कोई भी साथ नही् देता।  
ज्यों भी कह सकते हैं कि वक्त अपना है तो सब कुछ अपना है, यह सब बातें लगभग परखी हुई हैं क्योंकी जिन हस्तियों ने वक्त की मार को झेला  हुआ है  उन्होंने इस कथन को सही माना है कि वक्त अपना तो सब कुछ अपना है, 
लेकिन जिन्दगी में वक्त से  ज्यादाअपना पराया कोई नहीं होता है, वक्त अपना तो सबअपने  मगर जब वक्त पराया हो तो अपने भी  पराय हो जाते हैं, यह सब दिनों का फेर होता है, कहते हैं जब समय करबट बदलता है तो राजा भी रंक वन जाते हैं, 
सच भी है  राजा हरिश चन्द्र को  वक्त ने ही चंडाल तक धकेल दिया, 
भगवान रामचन्द्र जी को एक ही रात में फकीर होना पड़ा  यह सब वक्त का तकाजा है, जब तक वक्त दशरथ जी के पास था  भगवान राम जी राज योग के काविल थे लेकिन जब वक्त का पलड़ा ककैइ की तरफ झुका  वोही भगवान राम जी फकीर के काविल हो गए। 
कहने का मतलब वक्त ही वादशाह है 
सच कहा है, 
"जिन्दगी मोहताज नहीं मंजिल की, वक्त हर मंजिल दिखा देता है, मरता नहीं कोई किसी से जुदा होकर, वक्त सबको जीना सिखा देता है"। 
कहने का मतलब  वक्त का मरहम कोई नहीं जान सका, यह खुद ही मरहम वन कर इन्सान को जीना सिखा देता है। 
इसलिए एक एक पल को ज्यों समझीए की यह अपना नहीं है, तो हमेें समय की करबट के साथ संभल कर चलने की जरूरत है ताकि कभी हम अपना रास्ता भड़क भी जांए  तो फिर से उसको पा सकें, कहते हैं खोई दौलत मेहनत से हासिल की जा सकती है लोकिन खोया वक्त  हमेशा हमेशा के लिए चला जाता है, इसलिए इसका सही उपयोग कुछ हद तक  आरामदायक सावित हो सकता है, सच है, 
वक्त" सबको मिलता है जिन्दगी बदलने के लिए, 
मगर जिन्दगी दोबारा नहीं मिलती वक्त बदलने के लिए "।  
इसलिए वक्त को अपना वनाने का प्रयास हम  जारी रख सकते हैं ताकी बूरे दिन अगर आ भी जाएं तो कुछ हद तक हम उन्हें सुधार सकें, 
क्योंकी वक्त के केई रंग होते हैं, कभी खुशनुमा कभी गमगीन और वक्त रहता नहीं टिक कर, इसलिए हमें अपने हर लम्हे को सोच समझ कर खर्च करना चाहिए, क्योंकी वक्त दिखाई नहीं देता पर  बहुत कुछ दिखा देता है। 
यह बात भी नही भुलनी चाहिए कि वक्त आपका है, 
चाहो  तो सोना बना लो और
चाहो तो सोने में गुजार दो, 
यही नहीं अगर किसी को कुछ देना है तो अच्छा वक्त  दो, क्योंकी आप हर चीज वाप्स ले सकते हो किसी को  दिया हुआ अच्छा वक्त नहीं
 यही कहना चाहुंगा वक्त की सही पहचान ही वक्त को अपना वनाती है   इसलिए इसका,सदपयोग करना अति अनिवार्य है  ताकी  वक्त को कुछ हद तक अपना वना सकें जिससे हमारा जीवन खुशहाल दिखे, जैसे, 
"जब मैं खुश होता हुं, वो भी खुश होता है,  मैं बात आइने की कर रहा हुं इन्सान की नहीं"।  
यह सच है वक्त अपना है तो सब कुछ अपना है, इसलिए वक्त का सदपयोग करके उसे अपना वनाने की कोशीश करें की हमारा जीवन  वो आइना वने जो कभी धुंघला न हो। 
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
सामान्य तौर पर कहा तो यही जाता है कि वक्त अपना है तो सब कुछ अपना है अर्थात अच्छे दिन हैं ,भाग्य साथ दे रहा है, तो परिस्थितियां भी अनुकूल हो जाती है। किंतु वास्तविक जीवन में कभी-कभी वक्त अपना होते हुए भी सब कुछ अपना नहीं हो पाता। शांत स्थिति में समंदर को देखो तो बिल्कुल साफ स्वच्छ शांत नजर आता है एक भी लहर उठती दिखाई नहीं देती। पर हकीकत में उसके अंदर गहराई में कितनी हलचल मची है यह कोई नहीं देख पाता। इसी तरह जीवन भी होता है एक नजर देखने में तो कभी-कभी सब कुछ सामान्य नजर आता है  अर्थात वक्त अपना है की स्थिति निर्मित हो जाती है बाह्य परिवेश की दृष्टि से किंतु वास्तविकता कुछ और ही होती है। किसी किसी के लिए वक्त अपना होते हुए भी वास्तविक जीवन में सब कुछ अपना नहीं हो पाता।
 - श्रीमती गायत्री ठाकुर "सक्षम"
 नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
मेरा मानना है कि वक्त के हिसाब से ही जिंदगी चलती है। वक्त का साथ मिलता है तभी व्यक्ति सफलता की ऊंचाइयों को छू पाता है। दो व्यक्ति एक ही काम करने के लिए तैयार होते हैं, एक को सफलता और दूसरे को असफलता का सामना करना पड़ता है। तो वक्त की अपनी रफ्तार, अपने नियम हैं ।उसे कोई नहीं जान पाता।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
फ्रेंकलिन का प्रसिद्ध कथन है -'वक़्त को बर्बाद न करो क्योंकि जीवन इसी से बना है l'सच ही है l समय ही जीवन है और समय अपना है तो सब कुछ अपना है l जीवन क्या है -जीने का कुछ वक़्त l मृत्यु के बाद तो समय का कोई अर्थ नहीं रह जाता l अतः समय अपना है, सबसे अधिक मूल्यवान है l शायद धन और परमात्मा से भी अधिक l मूल्यवान l समय रहा तो धन और परमात्मा पाये जा सकते हैं किन्तु धन और परमात्मा के प्रयास करने पर भी दिन के चौबीस घंटों में एक मिनट भी नहीं बढ़ाया जा सकता l बीता हुआ समय कभी वापस नहीं लाया जा सकता l 
        हम लगातार कर्म करते रहकर ही उसे अच्छा बना सकते हैं l अच्छे कर्म करके स्वयं अच्छे रहकर ही समय को अच्छा, अपने लिए प्रगतिशील एवं सौभाग्यशाली बनाया जा सकता है l अन्य सभी बातें तो समय को व्यर्थ गवांने वाली ही हुआ करती हैं l बुराई और बुरे कर्म, बुरे व्यवहार अच्छे समय को भी बुरा बना दिया करते हैं l 
     There is a tide of time. अर्थात समय का एक क्षण ऐसा भी होता है कि उसे पहचान पाने वाला व्यक्ति कहाँ -से -कहाँ पहुँच जाया करता है l अतः व्यक्ति को टाइम की उस टाइड अर्थात समय की लहर को पहचान कर पकड़ने की सावधानीपूर्वक कोशिश करनी चाहिए l 
      चलते चलते ------
1. का वरषा जब कृषि सुखाने l 
    समय चूकि पुनि का पछिताने l 
                --तुलसीदास 
   2. काल्ह करे सो आज कर, आज करे सो अब l 
पल में परलय होयगी, बहुरी करोगे कब ll 
              ---कबीर 
               - डॉ. छाया शर्मा 
         अजमेर - राजस्थान
समय के साथ-साथ वक्त भी बदलता रहता है। अच्छा वक्त हमें कामयाबी और खुशियां प्रदान करता है। कामयाबी मिलते ही लोगों की नज़दीकियां महसूस होने लगती है और वक्त खराब होते हीं लोग किनारा करने लगते हैं।
  आम जीवन हो या सामाजिक जीवन हर जगह इन बातों को महसूस किया जा सकता है। आज आप गौर करें तो देखें कभी कांग्रेस पार्टी बुलंदियों पर थी तब सभी बड़े-बड़े नेता उस पार्टी के सदस्य बनना अपना अहो भाग्य मानते थे। आज सभी भारतीय जनता पार्टी में सम्मिलित होना चाह रहे हैं क्योंकि आज वह बुलंदियों पर है।
   वक्त वक्त की बात है जो ऊंचाइयों पर रहता है उससे सभी संपर्क रखना चाहते हैं। दलबदलूओं को देखकर इस बात का अनुमान लगाया जा सकता है। जब आपसे उन्हें फायदे नजर आएंगे तब आप में उन्हें खुबियां ही खुबियां नजर आयेंगी अन्यथा खामियां दिखाई देने लगेंगीं। अपने फायदे की खातिर हर कदम पर दुनिया  सलाम करती है। नि:संदेह वक्त अपना है तो सब कुछ अपना है।
                        - सुनीता रानी राठौर
                       ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
" आदमी  को चाहिए  वक्त  से डर कर  रहे......कौन  जाने  किस घड़ी  वक्त  का बदले मिज़ाज ......वक्त  से दिन और  रात......वक्त  से कल और  आज......वक्त  की हर सै  गुलाम  ......वक्त  का हर सहते  राज......।  
      हम  देख  रहे  हैं  कि  मुट्ठी  में  बंद  रेत  की  तरह  वक्त  हमारे  हाथों  से  फिसलता  चला   जा  रहा  है  ।  प्रतिदिन  हमारे  जीवन  की  पुस्तक  से  एक  पन्ना  कम  होता  जा  रहा  है  । 
       वक्त  जब  अपना  होता  है तो स्वतः  ही सबकुछ  अच्छा  होता  रहता  है, प्रत्येक  कार्य  सफलता  मिलती  रहती  है  । कई  बार  तो  देखते  ही  देखते प्रसिद्धि  की  ऊंचाईयां  छूने  लगते  हैं  लेकिन  यह  वक्त  भी एक  जैसा  कहां  रहता  है  । कभी-कभी  तो  यह  अर्श  से फर्श  पर  गिराने  में  तनिक  भी  देरी  नहीं  करता  ।
       अतः  जब  वक्त  अपना  हो  तो  बिना  गंवाये  उसका  सदुपयोग  कर  लेने  में  ही  समझदारी  है  वर्ना  पश्चाताप  के  अलावा  कुछ  नहीं  बचता  ।
      " ये भी चला  जाएगा " अर्थात्  वक्त  अच्छा  हो  या  बुरा, बीत  ही  जाता  है  ।
        वक्त  से  आगे  नहीं  निकल  सको  तो  उसके  साथ  अवश्य  चलो । चलना  जिन्दगी  और  रुकना  मौत  है । 
      - बसन्ती  पंवार 
       जोधपुर  -  राजस्थान 
बिल्कुल सही कथन है वक्त अपना है तो सब कुछ अपना लेकिन वक्त कभी अपना बहुत दिनों तक होता ही नहीं है वक्त हमेशा करवट बदलता रहता है सिलेबस के अनुसार अपने आप को बदलना ही समझदारी है जब वक्त अपना होता है तो हर काम सफल होता जाता है खुशियां मिलती रहती हैं और यह ख्वाहिश हमेशा मन में होती रहती है कि यह कर लो वह कर लूं तो एक शायरी मालाएं बनती रहती है पर जब वक्त करवट लेता है तो ऐसा लगता है कि हर काम अधूरा है हर प्रयास में कुछ कमी है सफलता मंजिल नहीं मिल पा रही है इसलिए यह जो कथन है कि वक्त अपना है तो सब कुछ अपना है बिल्कुल सही है
- कुमकुम वेदसेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
आज की चर्चा में जहांँ तक यह प्रश्न है कि वक्त अपना है तो सब कुछ अपना है यह बहुत सही बात है जब सब कुछ ठीक चल रहा है और व्यक्ति की किस्मत भी साथ दे रही है तो सभी उस व्यक्ति के साथ रहते हैं वह चाह् मित्र हो रिश्तेदार हो सगे संबंधी हो या कोई भी उससे अपनापन  जताते रहते हैं वास्तव में अपने और पराए का पता तभी चलता है जब समय प्रतिकूल हो और यह सर्वविदित सत्य है कि जब व्यक्ति का समय प्रतिकूल होता है तो सभी दूरी बनाने लगते हैं और कोई भी समय पड़ने पर सहायता नहीं करता वास्तव में इस समय जो काम आता है वही अपना है इसमें कुछ भी असत्य नहीं है कि दुनिया का जो भी कुछ ताना-बाना है इस दौर में वह सभी कुछ स्वार्थी संबंधों के कारण ही है हम लाख हैं कहे कि निस्वार्थ भाव से काम करना चाहिए परंतु इस दौर में यह सब बिल्कुल किताबी बातें हैं अब अगर व्यक्ति इतना ही ध्यान रख ले कि निहित स्वार्थ के कारण किसी को कोई हानि न पहुंचे तो यही बहुत बड़ी बात है और वह आदमी वास्तव में आदमी कहलाने योग्य होता है जो ऐसा कर रहा है  वह अनुकरणीय है इस प्रकार कहा जा सकता है कि वक्त अपना है तो सब कुछ अपना है यदि परिस्थितियां अनुकूल हैं तो आदमी की गलतियां भी उसे उसकी मंजिल तक पहुंचने से नहीं रोक पाती और वह उन्नति की ओर अग्रसर होता रहता है और यदि वक्त प्रतिकूल है तो लाख चाहने पर भी व्यक्ति कुछ नहीं कर पाता ़
प्रमोद कुमार प्रेम 
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
आज के विषय के संदर्भ में ये कटु सत्य है सामाजिक परिवेश को देखते हुए ये कथन पूर्णतया सत्य है इससे नकारा नही जा सकता परन्तु मनुष्य को वक्त को अपने अनुसार बनाने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है और संघर्ष और समय का प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में चोली दामन का साथ होता है वक्त किसी के लिए नही रुकता यदि वक़्त और किस्मत को हम देखते रह जाए तो दोनो ही ढल जाते हैं और हम मन में नकारात्मक भाव लिए रह जाते हैं।समय परिवर्तन का नाम है और जब परिवर्तन सही है तो कई दृष्टिकोण से ये बात भी सही है।
- मंजुला ठाकुर 
भोपाल - मध्यप्रदेश
जिंदगी  मे वक्त से ज्यादा अपना या पराया कोई नहीं होता है वक्त अपना होता है तो सब अपने होते हैं ।
हां अगर वक्त पराया होता है तो अपने भी पराए हो जाते हैं। कुछ उलझनो को हल वक्त पर ही छोड़ देना चाहिए। 
बेशक जवाब देर से मिलेंगे लेकिन बेहतरीन होंगे। 
वक्त तो सिर्फ एक बहाना है। किस्मत बदलते देर नहीं लगती रंक से राजा और राजा से रंक बनते देर नहीं लगती है।
लेखक का विचार:-जिंदगी ने सवाल बदल डाले वक़्त ने हालात बदल डाले पर हम तो आज भी वही हैं जो कल थे, बस लोगों ने नजरिया बदल डाले। 
कल शीशा थे सब देख कर जाते आज टूट गया हूं तो सब बच कर जाते हैं। 
यह वक्त है।
 दिन सबके आते हैं और जाते हैं।
*वक्त सबसे बड़ा बलवान है*।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखण्ड
वक्त व्यक्ति के हीं कार्यवन पर बहुत हद तक निर्भर करता है। यह बात तो बिलकुल सही है कि वक्त अपना यानी अच्छा तो सब अच्छा लगता है और उस वक्त व्यक्ति को सब कुछ अपना लगता है ,सब सुखद , सुंदर, मनभावन प्रतित होता है। लेकिन जब कभी हम सब परेशान या विपत्तियों से घिरे होते हैं तो फिर हम बरबस बोल उठते हैं कि अभी मेरा बुरा वक्त चल रहा है । मैं यह समझती हूं कि वक्त वहीं होता है लेकिन व्यक्ति की सोच अगर सकारात्मक हो तो बुरे से बुरे परिस्थिति को भी अच्छा कह सकते हैं । अगर नकारात्मक सोच व्याप्त  हो तो हर चीज समय सब कुछ कुछ बेकार और बुरा प्रतित होता है। अतः वक्त वही होता है बस व्यक्ति की सकारात्मक और नकारात्मक सोच से प्रभावित होता है।
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार

" मेरी दृष्टि में " वक्त ही किस्मत का फैसला करता है ।  जो सही या गलत के निर्णय से अवगत करवाता है । जिसे हम किस्मत भी कहं सकते हैं । वक्त सबसे बड़ा बलवान होता है। यहीं दुनियां का सत्य है ।
- बीजेन्द्र जैमिनी 
डिजिटल सम्मान

Comments

  1. वक्त अपना है तो सब कुछ अपना है से अभिप्राय समय का सही सदुपयोग करना है। अवसर जिंदगी में बार-बार नहीं आते इसलिए मिलते हुए अवसर का सदुपयोग करना चाहिए। पता नहीं कब जिंदगी की शाम ढल जाए और हम सोचते ही रह जाएं यह नहीं कर पाए। एक बार मौका हाथ से निकल जाने के बाद पछताना ही शेष रह जाता है। हाल वही होता है चिड़िया चुग गई खेत वाला।

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

वृद्धाश्रमों की आवश्यकता क्यों हो रही हैं ?

लघुकथा - 2024 (लघुकथा संकलन) - सम्पादक ; बीजेन्द्र जैमिनी

इंसान अपनी परछाईं से क्यों डरता है ?