क्या बुद्धिमत्ता का पता मनुष्य के व्यवहार से मालूम होता है ?

मनुष्य के व्यवहार से मालूम हो जाता है कि यह व्यक्ति कितना बुद्धिमान है । व्यवहार सब कुछ स्पष्ट कर देता है । जबकि मनुष्य कुछ भी नहीं छुपा सकता है । यहीं जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है ।अब आये विचारों को देखते है : -
जी बिल्कुल मनुष्य की बुद्धिमत्ता का पता उसके व्यवहार से चल जाता है ।सामाजिक बुद्धिमत्ता अथवा व्यवहारिक बुद्धिमत्ता विशेष रूप से हमारे बहुत बड़े दिमाग का उपयोग के कारण प्रभावी ढंग से नेविगेट जटिल सामाजिक संबंधों पर बातचीत को समझना है ।
बुद्धिमान मनुष्य व्यवहार कुशल तो होते ही हैं।
 दूसरे की बुद्धिमत्ता   का अंदाजा उसकी व्यवहार कुशलता से   पता लगाया  जा सकता है ,,, क्योंकि सामाजिक रूप से कुशल एवं सफल संचालन के लिए उचित प्रतिक्रिया करने के लिए बुद्धि एक व्यक्ति की छमता के रूप में विद्यमान होती है ।
बुद्धिमत्ता से हम स्वयं की व दूसरों की भावनाओं को व्यक्त करने और नियंत्रित करने की योग्यता रखते हैं ।
अपनी बुद्धिमत्ता के जरिए अपनी भावनाओं को समझना एवं उचित प्रबंधन करना ही  सामाजिक सफलता है ,,, यही भावनात्मक समझ होती है ।
व्यक्ति अपनी भावनात्मक समझ का उपयोग कर सामने वाले व्यक्ति से ज्यादा अच्छी तरह से संवाद स्थापित कर सकता है और ज्यादा बेहतर परिणाम पा सकता है ।
 हम कह सकते हैं कि मनुष्य के व्यवहार से पता चल जाता है कि वह कितना बुद्धिमान है।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
बुद्धि एक मानसिक शक्ति है जो तथ्यों को समझने एवं तर्क पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने में सहायक होती है तथा मनुष्य के अनुकूलन में सहायक होती है l कहा गया है कि "बुद्धिर्यस्य बलंतसय "अर्थात जिसमें बुद्धि है वही बलवान है l इसी कारण मानव अन्य प्राणियों से श्रेष्ठ है l मानवीय व्यवहार में बुद्धि के प्रदर्शन के आधार पर मानव बुद्धिमान, कम बुद्धि, मूढ़ बुद्धि और जड़ बुद्धि के रूप में वर्गीकृत किया जाता है l 
          टर्मन ने इसे नवीन परिस्थियों के साथ समायोजन करने की योग्यता के रूप में माना है l मानव व्यवहार की विशेष क्रियाएँ बुद्धि के विशेष कारक द्वारा होती हैं जिसे बुद्धिमता का विशिष्ट कारक specific factor कहा जाता है l यह अलग अलग व्यक्तियों में भिन्न भिन्न प्रकार की होती है l इसी कारण मानव व्यवहार में वैयक्तिक भिन्नताएँ पाई जाती हैं l 
            बुद्धि के सामान्य कारक जन्मजात होते हैं जबकि विशिष्ट कारक अर्जित होते है और व्यवहार में प्रकट होते हैं, जो मानव की हॉबी बन जाते हैं l जैसे -तानसेन का संगीत प्रेमी होना, नृत्यकला, भाषण कला आदि l निःसंदेह मनुष्य के व्यवहार से बुद्धिमता का पता लगता है l बुद्धिमता के कारण ही व्यक्ति में निम्न व्यवहारिक परिस्थितियाँ अलग अलग देखने को मिलती हैं l जैसे -संज्ञानात्मक क्षमता, सामाजिक क्षमता, सांवेगिक क्षमता, उद्यमिक क्षमता l उपर्युक्त सभी बुद्धिमता के कारण मानवीय व्यवहार को अलग अलग बनाते हैं l बुद्धि के कारण ही व्यक्तियों में शिक्षण अधिगम क्षमताएँ भी अलग अलग होती हैं l लेकिन परिस्थितियाँ हमारी बुद्धि को परिष्कृत करती हैं और मानव से अलग अलग व्यवहार कराती हैं l तजुर्बा बढ़ाती हैं l 
                चलते चलते ----
हदें शहर से निकली तो गाँव गाँव चली 
कुछ यादें मेरे संग पाँव पाँव चली 
सफ़ऱ जो धूप का हुआ, तो तजुर्बा हुआ 
वो जिंदगी ही क्या जो छाया छाया में चली l 
        - डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान 
यह  बिलकुल सच है, बुद्दिमता का पता मनुष्य के व्यवहार से चलता है। 
लोग कहते हैं त्यौहार फीके हो गए हैं, सच तो यह है व्यवहार फीके  हो गए हैं। 
बुद्दिमता एक जन्मजात गुण है, परन्तु जो व्यक्ति  निरंतर कुछ करता रहता है या नया सीखता है उसका बौदिक कौशल निरंतर बढ़ता रहता है।   
यही नहीं बुद्धिमान व्यक्ति दूरदर्शी होता है और वह समस्या की बजाय समाधान पर विचार करता है  और उसमें दुरदर्शीता होती है। 
 बुद्धिमान व्यक्ति का व्यवहार ही उसकी असली पहचान है, समय और वाणी उसकी सबसे वड़ी संपति होती है, यही नहीं उसको पता होता है कहां कितना  और कब बोलना होता है, 
बुद्धिमान व्यक्ति के  कार्य करने के अंदाज ही अलग होते हैं। 
सच कहा है, 
"अंदाज कुछ अलग मेरे सोचने का, सबको पैसा कमाने का शौक है  पर मुझे व्यवहार बनाने का,"। 
वुद्दीमान व्यक्ति किसी भी कार्य में हड़वड़हट नहीं दिखाताअपितु शान्तचित होकर पूरी एकाग्रता से कार्य करता है, 
एेसे लोग अपनी प्रशसा स्वंय कभी नही करते, उन्हें अपनी गलतियां सुनना पसंद होता है, जिससे वह खुद के अन्दर बदलाव कर लेते हैं, एेसे लोग बुरे लोगों का संग नही करते, उनके लिए उनका सम्मान ही सबकुछ होता है।  सच्ची बात है, 
" अच्छे व्यवहार का आर्थिक मुल्य भले न हो, पर करोड़ों दिलों को जीतने की शक्ति रखता है"।  
 कौन कितनी बुद्दी रखता है उसका  चालचलन व व्यवहार बता देता है। 
सच कहा है,  
बुद्धिमान चुप रहते हैं, 
समझदार कम बोलते हैं, 
मूर्ख बहस करते हैं। 
 यही नहीं  वुद्दीमान व्यक्ति मानवता के नियमों को ध्यान में रख कर हर कार्य करता है  , ऐसे इन्सानों में श्रय लेने की भूख नहीं होती और ऐसे व्यक्ति स्वयं को महान नहीं मानते, 
उदाहरण के तौर पर हमारे पूर्व राष्टृपति अब्दुल कलाम जी, जिन्होनें सरलता को अपनाया था, और सारी दुनिया उनका लोहा मानती है, अथवा उनकी बुदिमता का पता उनके व्यवहार से ही जाना जाता है कि वो किस  तरह के महान पुरुष थे। 
इसलिए यह एकदम सही है कि बुदिमता का पता मनुष्य के व्यवहार से मालूम होता है। 
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
कहावत है 'होनहार बिरवान के होय चिकने पात'। मनुष्य का व्यवहार हीं उसका दर्पण होता है। अधिकतर बुद्धिमान व्यक्ति का व्यवहार विनम्र होता है। असल बुद्धिमत्ता की पहचान बहुत हद तक व्यक्ति के व्यवहार से हीं ज्ञात होती है। व्यक्ति की बुद्धि तो जन्मजात होती है लेकिन उसे व्यक्ति अपने विद्या रूपी गुण से और भी निखारता और संवारता है और अपने जीवन रुपी नित्य नये अनुभवों से निरंतर  परिपक्वता की सीढ़ियों पर चढ़ता जाता है। यह कहा भी जाता है कि जब वृक्ष फलों से लदे हुए होते हैं तो स्वयं हीं झुक जातें हैं,ठीक इसी प्रकार व्यक्ति भी जब सम्पूर्ण और सर्व गुण सम्पन्न होता है तो उसका व्यवहार भी सुमधुर हो जाता है। पर कुछ इसके विपरित भी होते हैं अपवाद स्वरूप। जैसे कोई 
कोई अनपढ़ या कम बुद्धिमान व्यक्ति भी सुंदर व्यवहार का धनी हो सकता है। इसलिए व्यवहार से जरूरी नहीं हर किसी की सही पहचान हो हीं। हां बुद्धि मता  की पहचान व्यक्ति विशेष की खास  पहचान उसके इसी से हो सकती है। लेकिन इसे हीं आधार नहीं मान सकते किसी की पहचान हेतु।
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार
 मनुष्य का बुद्धिमता उसके व्यक्तित्व से पता चलता है। व्यक्तित्व का पता उसके सही कार्य व्यवहार से पता चलता है। जो व्यक्ति अपने व्यवहार को सही कार्य व्यवहार में व्यक्त करता है। वही व्यक्ति बुद्धिमान होता है किसी भी व्यक्ति की बुद्धि को उसके कार्य व्यवहार से ही परख कर पता किया जाता है। जब सही कार्य व्यवहार होता है, तो यही कहते बनता है कि व्यक्ति की बुद्धिमता सही कार्य व्यवहार अर्थात उसके व्यवहार से पता चलता है। 
- उर्मिला सिदार 
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
हां यह बात एकदम हंड्रेड परसेंट सही है कि मनुष्य के व्यवहार से ही यह पता चलता है कि वह कितना बुद्धिमान है यह पता हम उसके बात करने के तौर तरीके से भी पता लगा सकते हैं वह अपने आप उसके शब्दों के चयन से पता चल जाता है।
कोई भी ज्ञानी व्यक्ति कभी अपने गुणों का बखान नहीं करता है जैसे जो भी महापुरुष या साधु संत अधिक ज्ञानी होते हैं वह अधिक तक शांत रहते हैं चाहे उनको कोई गाली भी बके या उनके ऊपर पत्थर भी फेंके वह हमेशा कहते हैं कि वृक्षों से लदी हुई डाली हमेशा झुकी हुई रहती है।
प्रकृति भी हमें बहुत कुछ सिखाती है जैसे समुद्र की शांति आने वाले तूफान का इशारा करती है।
बहुत ज्ञानी पुरुष भी जैसे बाल्मीकि कालिदास भी अच्छे व्यक्तियों के संपर्क में आने के कारण वह एक बहुत बड़े विद्वान बने। उन्होंने अनेकों ग्रंथ की भी रचना की
आपकी बुद्धि की परीक्षा है कि आप किस प्रकार व्यक्तिगत जीवन दर्शन अथवा विचार पद्धति को विकसित करते हैं जो आपके व्यक्तित्व अर्थात स्वभाव और गुणों के अनुरूप है तथा यह कैसे कि आप संघर्षों के माध्यमों में प्रसन्न रख सके एवं अपने जीवन के उच्च स्तर को उठाने में सहायक हो आप की टोपी आपकी ही है तथा अन्य किसी की टोपी भले ही कितनी आकर्षक हो तथा देखने में आपकी ही सदृश्य प्रतीत होती हो आपके लिए पूर्णता उपयुक्त नहीं हो सकती है बदली हुई परिस्थितियों में भी बुद्धिमान व्यक्ति स्थिर रहता है स्वयं को समायोजित करता है आप स्वयं अपने विचारों को नियंत्रण एवं व्यवस्थित रख सकते हैं बुद्धि का उचित प्रयोग करके आपको लोक परलोक के आनंद की प्राप्ति भीतर की ही स्थिरता में दिव्य ज्ञान हो जाएगा।
- प्रीति मिश्रा 
जबलपुर - मध्य प्रदेश
मनुष्य की बुद्धिमत्ता उसके व्यवहार से पूर्णरूपेण परिलक्षित हो जाती है। किसी भी क्रिया के समक्ष उसकी प्रतिक्रिया उसकी सोच और बुद्धि के अनुरूप ही होती है, जिससे उसकी समझदारी का अनुमान स्पष्ट तौर पर लगाया जा सकता है। यदि अपने अभिनय क्षमता के बल पर कोई अल्पबुद्धि स्वयं को अक्लमंद सिद्ध करने का प्रयास करता भी है तो कुछ पल के वार्तालाप या उसके व्यवहार से व्यक्ति की वास्तविक समझदारी का एहसास हो ही जाता है। ये अवश्य कह सकते हैं कि बुद्धिमत्ता का तात्पर्य कागजी डिग्री से कदापि नहीं हो सकता है। एक कम पढ़ालिखा इंसान भी बड़े बड़े डिग्री धारकों से कहीं अधिक अक्लमंद हो सकता है। बुद्धिमत्ता तो व्यक्ति की सजगता और अपने आस पास के वातावरण से सकारात्मक तत्वों को ग्रहण करने की व्यक्तिगत क्षमता पर निर्भर करता है और यही बुद्धिमत्ता मनुष्य के व्यवहार में सदैव दृष्टिगोचर होता रहता है।
- रूणा रश्मि "दीप्त"
राँची -  झारखंड
आज की चर्चा में जहाँ तक यह प्रश्न है कि क्या मनुष्य की बुद्धिमत्ता का पता उसके व्यवहार से चलता है तो इस पर मैं कहना चाहूंगा कि मनुष्य के व्यवहार से काफी हद तक उसकी बुद्धिमत्ता का पता चल सकता है  मनुष्य का व्यवहार एवं उसका आचरण ही उसके व्यक्तित्व का प्रतिबिंब होता है कहा भी जाता है कि यदि आप किसी मनुष्य के बारे मे अच्छी तरह जानना चाहते है तो उसे बोलने दीजिए व उसके सामान्य व्यवहार पर घ्यान दीजिए बुद्धिमान व्यक्ति प्रत्येक परिस्थिति में बहुत संयमित रहता है और बहुत ही अच्छे ढंग से व्यवहार करता है वह विचलित नहीं होता या गुस्से में किसी के साथ बेढंगा वार्तालाप नहीं करता बल्कि समय काल और परिस्थिति के अनुसार ही निर्णय उसका व्यवहार होता है और ऐसा व्यक्ति न केवल परिवार बल्कि समाज के लिए भी बहुत प्रेरणादायक होता है उसके व्यवहार से अन्य लोगों को भी सीख मिलती है यदि वह संवेदनशील हैं तो इस प्रकार कहा जा सकता है कि मनुष्य की बुद्धिमत्ता  का पता काफी हद तक उसके व्यवहार से लग जाता है ऐसा व्यक्ति कोई भी ऐसा कार्य नहीं करता जिससे किसी दूसरे को कोई कष्ट पहुंचे या किसी दूसरे की मान मर्यादा को कुछ ठेस पहुंचे और इस तरह का व्यक्ति हर जगह सम्मान पाता है जो अपना व्यवहार मर्यादित रखता है और प्रत्येक परिस्थिति में मानसिक संतुलन बनाकर चलता है यही उसकी बुद्धिमत्ता का परिचायक है  !
- प्रमोद कुमार प्रेम
 नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
जी हां बुद्धिमता का पता मनुष्य के व्यवहार से मालूम होता है। व्यक्ति का दृष्टिकोण या नजरिया उसकी वैचारिक क्षमता व विवेक बुद्धि पर निर्भर करता है। समय के अनुसार किए गए कार्य पर ही सकारात्मक या नकारात्मक छवि बनती है। इसी के आधार पर वो अपने भीतरी क्षमता और दिमागी सक्रियता का इस्तेमाल करता है।
कितनी भी हम डिग्रियां हासिल कर लें पर हमारा व्यवहार सही नहीं है, नैतिक दृष्टि से माननीय नहीं है तो हम बुद्धिमान नहीं कहला सकते। अगर कम पढ़ा लिखा व्यक्ति भी समाज में नैतिकता का परिचय देते हुए सद्व्यवहार करता है तब उसकी बुद्धिमता की तारीफ होती है। पढ़ा-लिखा अहंकारी, नासमझ, दुर्व्यवहार करने वाला व्यक्ति कभी काबिल-ए-तारीफ नहीं होता।
हमारा लोगों के साथ आचार-व्यवहार, कठिन परिस्थितियों में लिया गया निर्णय, विषम घड़ी में सामंजस्य स्थापित करने की चेष्टा आदि ही हमारी बुद्धिमता का परिचायक है। इसलिए कहना असत्य नहीं कि बुद्धिमता का पता मनुष्य के व्यवहार से मालूम होता है।
                    - सुनीता रानी राठौर
                ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
जी हां, किसी भी जीवधारी के व्यवहार से उसकी बुद्धिमत्ता का पता का पता चल जाता है।कौए और लोमड़ी को चालाक और कुत्ते को स्वामीभक्त,कोयल को सुरीला और बैया पक्षी को इंजीनियर वैसे ही तो नहीं कह देते, इसका कारण उनका व्यवहार है। गाय को माता माना  गया तो इसका कारण भी उसका व्यवहार  है।पीपल, तुलसी, आम नारियल,आंवला,दूब आदि को भी उनके व्यवहार और उपादेयता के कारण सम्मानजनक स्थान प्राप्त है।इन सबका व्यवहार,सहज ही इनकी बुद्धिमता प्रकट कर देता है। मानव के व्यवहार में बनावटीपन और दिखावा हो सकता है, लेकिन कुछ समय बात असलियत सामने आ ही जाती है। समयानुकूल निर्णय लेकर उस पर अमल करना ही बुद्धिमत्ता की निशानी होता है।अब इसमें कौन कितना कुशल है,यह उसका व्यवहार बता देता है। बारिश की संभावना होने पर चींटी अपने बिलों की ओर देती है।चील पक्षी आकाश से नीचे उतरने लगता है। यह व्यवहार उनकी बुद्धिमत्ता को दर्शाता है।मानव भी किसी खतरे की भांप कर रक्षात्मक मुद्रा में आ जाता है। व्यवहार र बुद्धिमत्ता का ताजा उदाहरण कोरोनाकाल है जब मानव ने स्वत: ही स्वयं को घर में बंद रखा और कुछ ने ऐसे समय में भी अपनी गतिविधियां जारी रख समाज को लाभान्वित किया।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
            बुद्धिमत्ता केवल मनुष्य के व्यवहार पर ही निर्भर नहीं करती। वह उसका सहायक गुण होता है। बुद्धिमत्ता का संबंध बौद्धिक स्तर से होता है जोकि मानसिक समृद्धता  का प्रतीक है। उसमें  स्वस्थ मानसिकता के साथ ही चिंतन मनन दूरदर्शिता त्वरित निर्णय क्षमता सही गलत की पहचान एवं व्यावहारिकता आदि गुणों का समावेश रहता है।
 श्रीमती गायत्री ठाकुर "सक्षम" 
 नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
       बुद्धिमत्ता का पता मनुष्य की बुद्धिमत्ता से ही चलता है। व्यवहार तो अधिकांश विद्वानों का रूखा और क्रोधी ही होता है। 
       जबकि व्यवहारिक बुद्धिमान तो इतने बुद्धिमान होते हैं कि अपने स्वार्थ के लिए वह गधे को बाप बनाने से भी नहीं चूकते। जिसके फलस्वरूप भले ही उनकी मां समय पर उपचार न मिलने पर स्वर्ग सिधार जाए।
       उल्लेखनीय यह भी है कि बुद्धि परीक्षण का मीटर मानसिक चिकित्सकों के पास भी नहीं है। जिससे मालूम हो सके कि कौन व्यक्ति कितना बुद्धिमान है‌।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
किसी मनुष्य की बुद्धिमत्ता का पता उसके व्यवहार से पता चलता हो यह हरदम सत्य नहीं है। कालिदास और विद्योत्तमा के मध्य शास्त्रार्थ और विद्योत्तमा द्वारा पूछे गए प्रश्नों का कालिदास द्वारा संकेतों में जवाब विद्योत्तमा पर उनकी बुद्धिमत्ता के बारे में अभूतपूर्व प्रभाव छोड़ गया।  फलस्वरूप शर्त के अनुसार विद्योत्तमा ने उनसे विवाह कर लिया।  सत्य क्या है यह तो बाद में मालूम हुआ।  फिर जो हुआ वह इतिहास है।  आज भी स्थिति यही है कि बुद्धिमत्ता का पता मनुष्य के व्यवहार से मालूम नहीं हो सकता।  जब तक कि मनुष्य को परखने का कोई अवसर नहीं आयेगा तब तक उसकी बुद्धिमत्ता के बारे में पता नहीं चल सकता। अतः सिर्फ व्यवहार ही मनुष्य की बुद्धिमत्ता मापने की कसौटी नहीं है।  
- सुदर्शन खन्ना
 दिल्ली 
     बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौ पवन कुमार। यह वास्तविकता में चरितार्थ हैं । जब तक किसी भी व्यक्ति को उसकी बुद्धि इच्छा शक्ति का बोध न करा दें, तब तक उसे अपनी बुद्धि का पता ही नहीं चलता। कुछ मंद बुद्धि के होते हैं, उनके सामने आवश्यक चर्चाऐ  व्यर्थ ही हैं। कुछ पढ़े-लिखे भी होते हैं, जिनका वास्तविक व्यवहार अनपढ़-गवार जैसा ही रहता। जिनके सामने व्यवहारिकता और संस्कारों की कमियां देखी जाती हैं। वही व्यक्तित्व की सही मायने में पहचान हैं, जो शीघ्र ही व्यवहारिकता और मर्यादाओं पहचान कर सबके सुख दुखों को समझ सकें?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
  बालाघाट - मध्यप्रदेश
बुद्धिमत्ता का अर्थ होता है सजगता  व सतर्कता | बुद्धिमत्ता का अर्थ यह नहीं होता कि कोई व्यक्ति  किसी दूसरे व्यक्ति का  कितना  लाभ उठा सकता है? बुद्धिमत्ता हमारे मस्तिष्क में एक ऐसी  अर्जित  ऊर्जा है , जिसे हमने बहुत परिश्रम से  अर्जित किया है | ऐसी बुद्धि सदा  सकारात्मकता से जुड़ी रहती है | और इसका व्यवहार से बहुत गहरा संबंध है | सबसे पहली बात तो यह है  कि किसी के व्यवहार को   जांचने और परखने के लिए  स्वयं में बुद्धिमत्ता का होना अत्यंत आवश्यक है | तभी हम निष्पक्ष भाव से किसी के व्यवहार का  आंकलन कर सकते हैं | आंकलन न भी  करें तो भी  व्यक्ति का अपना व्यवहार उसके जीवन को उसे  आगे ले जा सकता है |  सब उसकी सोच पर निर्भर करता है | सबसे पहले तो यह समझना आवश्यक होता है कि   जिन परिस्थितियों से व्यक्ति गुजरता है  उन्हें वह किस प्रकार अपने  विचारों में ढालता है| कैसे ? ........एक उदाहरण से इसे समझते हैं |
अगर कोई व्यक्ति  बाजार से गुजर रहा है  और उसके सामने से उसका कोई मित्र अथवा रिश्तेदार  उसे अनदेखा कर के चला जाता है तो वह व्यक्ति इस बात को किस तरह से समझेगा| यह हो सकता है कि वह समझे  कि उसके मित्र ने उसे इग्नोर किया है | ऐसे  विचार के मन में आते  ही   उसके बाद  उसके  भीतर  भावों की एक श्रृंखला शुरू हो सकती है   कि वह क्यों नहीं बोला  ?सारे रास्ते सोचते-सोचते वह घर जाता है | घर के लोग भी उसे चुप देखकर उसे कुछ नहीं कहते| वह फिर सोचता है ...घर के लोग भी उससे बात नहीं कर रहे |
इस तरह से नकारात्मकता का एक सिलसिला शुरू हो जाता है | इसमें से वह फिर कभी नहीं निकल पाता| इसको हम बुद्धिमानी नहीं कह सकते| बुद्धिमान व्यक्ति  ऐसे दुष्चक्र में फंसता  ही नहीं | बुद्धिमान व्यक्ति यह सोचेगा...  शायद वह परेशान  था   शायद जिसलिए वह बाजार में आया है उसे वह वस्तु नहीं मिली  अथवा  घर में किसी स्थिति को लेकर दुखी है|कुछ भी ......अन्यथा क्यों न बोलता ? क्यों नहीं बात करता ? क्योंकि कोई कारण ही नहीं है बात न करने का | इस तरह बुद्धिमान व्यक्ति अपने व्यवहार को संयमित करता है सजगता से सतर्कता से और अपने भीतर नकारात्मकता के दुष्चक्र को प्रारंभ नहीं होने देता|
ऐसे व्यक्ति को ही हम बुद्धिमान कह सकते हैं| और बुद्धिमान व्यक्ति से उसका व्यवहार  दर्पण की तरह
झलकता है और फूलों की तरह महकता है | इसलिए बुद्धिमान व्यक्ति पहली सीढ़ी   अर्थात अपनी परिस्थिति का सही अवलोकन करता है|उसके बाद विचार करता है और भावनाओं को सही दिशा देते हुए व्यवहार करता है |
- चंद्रकांता अग्निहोत्री
पंचकूला - हरियाणा
मनुष्य का व्यवहार से ही पता चलता है कि उसका व्यक्तित्व और बुद्धिमता कितनी है। मनुष्य के व्यवहार से ही उसके बुद्धिमता का पता चलता है। मनुष्य केवल शारीरिक रूप से ही एक दूसरे से भिन्न नहीं होते, बल्कि मानसिक एवं बौद्धिक रूप से भी एक दूसरे से भिन्न होते हैं। यह भिन्नताएं जन्मजात भी होती है। कुछ व्यक्ति जन्म से ही प्रखर बुद्धि के तो कुछ मंदबुद्धि व्यवहार वाले होते हैं। बुद्धि परीक्षण का अर्थ है, इन परीक्षणों से जो बुद्धि लब्धि के रूप में केवल एक संख्या के माध्यम से मनुष्य के सामान्य बौद्धिक एवं उसके विद्यमान विभिन्न विशिष्ट वैसे भी मनुष्य के व्यवहार में योग्यताओं के संबंध में इंगित करता है कि कौन व्यक्ति कितना बुद्धिमान है। यह जानने के लिए मनोवैज्ञानिकों ने भी काफी प्रयत्न किए। वैसे भी मनुष्य के व्यवहार में कुछ ना कुछ विशेषता और भिन्नता होती है जो एक व्यक्ति को दूसरे से भिन्न बतलाती है, फिर भी जब तक विशेषता अति अद्भुत ना हो कोई उससे उदिग्न नहीं होता। तब उसकी तरफ किसी का ध्यान नहीं जाता। पर जब किसी व्यक्ति का व्यवहार ज्ञान, भावना या क्रिया दूसरे व्यक्तियों से विशेष मात्रा और विशेष प्रकार विभिन्न हो कि दूसरे लोगों को विचित्र जान पड़े। उसकी क्रिया या व्यवहार असामान्य या  असाधारण कहते हैं। इसका विषय वस्तु मूलतः अनाभियोजित व्यवहारों, व्यक्तित्व अशांति एवं विघटित व्यक्तित्व का अध्ययन करने तथा उसके उपचार के तरीकों पर विचार करने से संबंधित है।
समाज में मनोज अपने व्यवहार और उद्यमिता के कारण है उपलब्धियों को पाता है। यदि आपका व्यवहार समाज में नकारात्मक है तो लोग उसकी प्रशंसा नहीं बल्कि निंदा करेंगे। पर वही व्यक्ति अपने व्यवहार बुद्धि और विवेक से काम करें तो लोग हर तरफ से उसकी सराहना करते हैं। इसलिए मनुष्य का बुद्धिमता का पता उसके व्यवहार सहित चलता है।
अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
          किसी भी व्यक्ति के व्यवहार से ही पता चलता है कि वो कितना बुद्धिमान है।उसके पास कितनी बुद्धिमती है। वो कितना बुद्धिमत्ता वाला व्यक्ति है। एक बुद्धिमान व्यक्ति कभी भी कोई गलत हरकत नहीं करेगा। अगर करता है तो सब लोग कहते हैं ये कोई असभ्य है। तो कोई भी व्यक्ति अपने को असभ्य कहलाना पसंद नहीं करेगा।
           महाभारत में शकुनि के व्यवहार से पता चल जाता था कि वो कितना बुद्धिमत्ता वाला व्यक्ति है।भले उसकी बुद्धि दूसरे के लिए विनाशकारी थी।लेकिन उसके व्यवहार उसकी बुद्धिमत्ता का परिचय दे देते थे।
          शादी विवाह समारोह या किसी मीटिंग वगैरह में जाने पड़ लोगों का व्यवहार ही उनका परिचय बता देता है कि अमुक आदमी सभ्य है या असभ्य या बुद्धिमत्ता वाला है या   कैसा है।
          इस तरह से हम कह सकते हैं कि मनुष्य के व्यवहार से उसके बुद्धिमत्ता का पता चल जाता है।
- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" 
कलकत्ता - प.बंगाल
बुद्धिमता किसी व्यक्ति के तार्किक चिंतन करने की क्षमता को दर्शाता है। बुद्धिमता हमारे ज्ञान , समझ , चातुर्य,   योग्यता, श्रेष्ठता को प्रदर्शित करता है बुद्धिमता अमूर्त होती है, जिसे  न स्पर्श कर सकते हैं, न देख सकते हैं केवल व्यक्ति के व्यवहार को देख कर ही उसे जाना जा सकता है। बुद्धिमान व्यक्ति वातावरण के साथ समायोजन की क्षमता रखता है। अपने ज्ञान और समझ तथा योग्यता के आधार पर वह हर परिस्थिति में अपनी क्षमता प्रमाणित करता है। वह नवीन बातों को शीघ्र समझ लेता है और आत्मसात कर लेता है। अपने अनुभव से लाभ उठाने की योग्यता बुद्धिमान व्यक्ति में होती है। व्यक्ति उतना ही बुद्धिमान होता है जितनी उसके अमूर्त चिंतन की योग्यता है। बुद्धिमान व्यक्ति अपनी बुद्धिमता और व्यवहार के कारण अपने गुणों की पहचान कराता है। उदाहरण के लिए किसी व्यक्ति के द्वारा इमानदारी पूर्वक किया गया कोई कार्य उसका ईमानदार होने का परिचय देता है। विपरीत परिस्थितियों में अपनी समझ के अनुरूप स्वयं को ढाल लेना तथा अपने अनुभव के आधार पर लाभ उठाना भी बुद्धिमान व्यक्ति का गुण है। वह अपने अनुभवों से सफल जीवन का सिंचन करता है तथा उसे प्रगतिशील बनाता है । बुद्धिमान व्यक्ति जीवन जीने की कला सीख जाता है। घर, परिवार ,समाज में उसकी भूमिका अनुकरणीय बन जाती है। बुद्धिमान व्यक्ति जानता है कि शत्रु का बल कैसे  क्षीण किया जा सकता है। समय की जांच परख वह अपने तुजुर्बों से करता है। बुद्धिमान व्यक्ति का व्यवहार ही उसके लिए सबसे बड़ा संबल बन जाता है। अतः बुद्धिमत्ता व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता का परिचय देती है ,जो किसी वस्तु को, विषय को यथाशीघ्र सीख लेता है ,उसे समझ लेता है, उसमें तर्क वितर्क करने की योग्यता होती है ,विश्लेषण करने की क्षमता होती है। जीवन में आने वाली समस्याओं से वह विचलित नहीं होता बल्कि उनका समाधान  यथार्थ पूर्ण कर लेता है। सभा समूह में बैठे हुए ऐसे व्यक्ति  अपने अच्छे व्यवहार से प्रभावशाली व्यक्तित्व की छाप छोड़ते हैं । सकारात्मक सोच भी  बुद्धिमान व्यक्ति की विशेषता होती है।
- शीला सिंह
 बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
व्यक्ति केवल शारिरीक गुणों से ही एक दूसरे से भिन्न नहीं होते बुद्धिमता में भी भिन्न होते हैं !  कोई प्रखर बुद्धि वाले होते हैं और  कोई मंद बुद्धि वाले जो जन्म से ही हो सकती है ! शैक्षिक मनो विज्ञान मानव व्यवहार को लेकर होती है ! किंतु यदि व्यक्ति के कुशल व्यवहार को लेकर  हम उसकी बुद्धिमता का आंकलन करते हैं तो उसके सामान्य व्यवहार से हम अनुमान नहीं लगा सकते !कभी कभी एक बुद्धिमान व्यक्ति भी ऐसी गल्ती कर बैठता है जिसकी अपेक्षा नहीं होती वह कुछ क्षण के लिए तो अपने आप को बुद्धु समझने लगता है वहीं कमजोर मंद बुद्धि वाले अपने आप को अक्लमंद !
हां यदि सद व्यवहार , विवेकशीलता आदि आदि गुण होने से ही हम उसे बुद्धिमान की संज्ञा देते हैं यह अलग बात है बाकि आजकल व्यक्ति के बुद्धि का आकलन एप्टीट्यूट टेस्ट देकर भी किया जाता है !वैसे मंद बुद्धि का आंकलन उसके हाव भाव और व्यवहार से पता चल जाता है !
 - चंद्रिका व्यास
 मुंबई - महाराष्ट्र
आज की परिचर्चा में बुद्धिमता से मेरा तात्पर्य किताबी ज्ञान से नही है बल्कि विवेकयुक्त व्यवहार करने वाले मनुष्य को मैं बुद्धिमान समझता हूं। यह कहा जाता है कि बुद्धिमान व्यक्ति संस्कारी और सद्व्यवहारी होता है। यदि वह निकृष्ट व्यवहार करता है तो कौन उसे बुद्धिमत्ता से परिपूर्ण कहेगा। क्योंकि एक शिक्षित व्यक्ति भी अपने गलत व्यवहार के कारण मूर्ख समझा जाता है और अशिक्षित मनुष्य यदि सद्व्यवहार करता है तो उसे बुद्धिमान समझा जाता है। 
किसी मनुष्य के मन-मस्तिष्क में झांककर तो उसकी बुद्धिमता का अध्ययन किया नहीं जा सकता। मनुष्य के मन-वचन-कर्म में मानवीय गुणों का समावेश ही उसकी बुद्धिमता का द्योतक होता है। यही समावेशन उसके व्यवहार में परिलक्षित होगा तो उसकी बुद्धिमता का सही आकलन किया जा सकेगा। 
इसलिए यह सही है कि बुद्धिमत्ता का पता मनुष्य के व्यवहार से मालूम होता है। 
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
          बुद्धिमत्ता का पता मनुष्य के व्यवहार से ही लग जाता है।बुद्धिमत्ता बौद्धिक क्षमता का पर्यायवाची है जो किसी वस्तु को देखने,परखने,समझने, तर्क करने,विशलेषण करने,समस्या का समाधान करने,याद शक्ति और ज्ञान बोध के संदर्भ में आंकी जाती है। बुद्धिमान मनुष्य समस्या की बजाय ,समाधान पर विचार करता है उस में दूरदर्शिता होती है। वह जोश से नहीं होश से काम लेता है।  वह बात को तर्क के तराज़ू में तोलता है। वह विशलेषण करता है ,समझता और परखता है। वह समय के अनुरूप काम करता है। बुद्धिमत्ता जन्मजात गुण भी है और हमारे संस्कारों से, हमारी शिक्षा और वयवस्था से भी वृद्धि होती है। बुद्धिमत्ता का पता मनुष्य के बोल चाल,कार्य क्षमता और याददास्त से आसानी से लग जाता है। 
- कैलाश ठाकुर 
नंगल टाउनशिप - पंजाब 
  जी हां! मनुष्य का अच्छा  व्यवहार उसकी सबसे बड़ी पूंजी है। व्यवहार के साथ ही वह औरों को अपना बना लेता है। व्यवहारिक व्यक्ति को सभी चाहते हैं। यदि किसी के अच्छे व्यवहार से हमें सुख मिलता है तो प्रकृति का नियम है दूसरे को भी सुख मिलेगा और जिस व्यवहार से ही हमें कष्ट पहुंचता है हमारे भी बुरे व्यवहार से दूसरे को कष्ट पहुंचेगा।
बुद्धि के स्तर पर जितने भी संसारिक कार्य किए जाते हैं अथवा ज्ञान अर्जित किया जाता है वह मनुष्य स्वयं अपने लिए करता है। किसी दूसरे व्यक्ति को वह कभी कुछ नहीं देता और ना ही किसी को कुछ चाहिए। व्यवहार से ही मनुष्य की पहचान होती है। उसके बुद्धिमान होने का सूचक व्यवहार ही है। अच्छे व्यवहार से ही वह औरों के हृदय में स्थान प्राप्त कर सकता है। अंततः सिर्फ बुद्धि नहीं सद्बुदि का होना जरूरी है। 
- संतोष गर्ग
 मोहाली - चंडीगढ़
बुद्धिमत्ता विशेष रूप से मानव क्षमता से हमारे बड़े दिमाग का उपयोग के प्रभावी ढंग से जटिल सामाजिक संबंधों पर बातचीत और वातावरण को समझना है।
सामाजिक विज्ञानिक  मानते हैं कि सामाजिक बुद्धिमत्ता एक एकत्रित आत्म और सामाजिक जागरूकता के उपाय विकसित समाजिक विश्वासो  और व्यवहार क्षमता भूख जटिल सामाजिक परिवर्तन का प्रबंधन है। 
मानवीय संबंधों में समझदारी से काम करने के लिए पुरुष और महिलाओं लड़के और लड़कियों को समझते हैं एवं प्रबंधन करने की क्षमता रखते हैं।
आमतौर पर यह देखा गया है समाज में एक साथ रहने से बुद्धि का विकास होता है। इसलिए महत्वपूर्ण परिकल्पना है।
 कोई भी व्यक्ति अपने जटिल सामाजिक वातावरण के जवाब में अपने नजरिए और व्यवहार को बदल कर उनके वर्ग को बदल सकते हैं।
लेखक का विचार:-बुद्धिमत्ता वह गुण है जो मानव के व्यवहार और संस्कारों से प्राप्त होता है ।
मनुष्य को परायो को अपना बनाना इतना मुश्किल नहीं,जितना अपनों को अपना बनाए रखना है।
यह पद से नहीं संस्कारों से मिलता है। जीवन के रास्ते पर उम्र चल रही है, और यही व्यक्ति के सफल बुद्धिमत्ता है जो 
सद्धकार्य  द्वारा मील के पत्थर लगाता   चल रहा है।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखण्ड
व्यवहार के द्वारा ही किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व का मूल्यांकन होता आया है बुद्धिमता किसी डिग्री फोल्डर की चीज नहीं है किसी भी प्रकार का डिग्री हासिल नहीं करने के बावजूद भी व्यवहार में इतनी क्षमता भाषा में सजगता कुशलता होती है कि वह बुद्धिमता की पहचान बन जाती है व्यवहार के अंतर्गत कई पहले आते हैं चिंतन विचार भाषा अभिव्यक्ति व्यवहार सभी बुद्धिमता को पहचानने का मूल आधार है हमारे विचार से व्यवहार के माध्यम से 99 परसेंट व्यक्ति के व्यक्तित्व को मालूम किया जा सकता है एक परसेंट तो अपवाद में ही चले जाते हैं अतः व्यवहार के माध्यम से मनुष्य की बुद्धिमता समझी जा सकती है
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
*तोरा मन दर्पण कहलाए*
बुद्धिमता और व्यवहार दोनों अलग-अलग परिभाषित होते हैं
बुद्धि और व्यवहार में थोड़ा अंतर है
बुद्धि आप किसी विशेष क्षेत्र में पूर्ण रूप से निपुण होते हैं उपलब्धि हासिल करते हैं मनुष्य का व्यवहार वह होता है
जो आप समय-समय पर दूसरों के साथ करते हैं व्यवहारिक होते हैं सद्भावना रखते हैं सुख दुख में किसी के लिए खड़े होते हैं।
*बुद्धि से आपके व्यवहार का कोई लेना देना नहीं*
हम आम लोग सोच और उम्मीद जरूर रखते हैं कि वह शालीन व्यवहार कुशल होंगे ।
यह जरूरी नहीं कि जो व्यक्ति बहुत बुद्धिमान हो वह बहुत व्यवहार कुशल और शालीन हो हम हमेशा देखते हैं बहुत कम ऐसा होता है जब किसी व्यक्ति में दोनों ही बातें संतुलित होती हैं यह बहुत ही अल्प मात्रा में ऐसे लोग होते हैं जो बुद्धिमान भी होते हैं और बहुत ही सभ्य और शालीन व्यवहार वाले सुलझी हुई मानसिकता वाले 
फिर भी बुद्धिमान लोगों से मानव अच्छे व्यवहार की उम्मीद करता है।
पर वह उम्मीद पर खरा उतरे यह आवश्यक नहीं है । मेरी दृष्टि से बुद्धिमता और मनुष्य का व्यवहार दोनों अलग-अलग हैं।
- आरती तिवारी सनत
 दिल्ली
व्यवहार एक पल में गढ़ी हुई कोई वस्तु नहीं है ।व्यवहार के साथ हमारे संस्कार जुड़े होते हैं ।संस्कार धीरता और विवेक का परिचायक है इसके साथ ही परिश्रम से मन में गहराई आती है कुछ हासिल करलेने के बाद व्यक्ति विवेक शील हो जाता है सबके साथ अच्छा व्यवहार करता है दूसरों के गुणों को ग्रहण करता है ।यह हो सकता है कि अच्छे व्यवहार वाले व्यक्ति को भी बुद्धिमत्ता देर सबेर आये लेकिन आयेगी जरुर ।
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश

" मेरी दृष्टि में "   मनुष्य का व्यवहार एक तरह से आईना होता है । जो हर तरह देखा परखा जा सकता है । फिर भी मनुष्य अपने व्यवहार से पहचाना जाता है ।
                                                     - बीजेन्द्र जैमिनी
डिजिटल सम्मान




Comments

  1. बुद्धिमान व्यक्ति अपनी बुद्धिमत्ता दूरदर्शिता एवं अपने अच्छे चाल चलन से व्यवहार कुशल बनता है। उसमें सही गलत को परखने की क्षमता होती है एवं समयानुसार कब किससे कहां पर क्या बोलना है किस तरह का बर्ताव करना है इस तरह की व्यवहार कुशलता उसमें रहती है, हालांकि कभी कबार इसके अपवाद भी मिलते हैं।

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