क्या दिल ढूंढ लेता है खुशी के अवसर ?

जब दिल सकारात्मक की ओर चलता है । वह अपनी रूचि के अनुसार चलता है । हर पल अपनी खुशी अवसर ढूंढ लेता है । जीवन का भाव अपनी सोच पर निर्भर करता है ।यही कुछ जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
मनुष्य को जीने के लिए एक स्वस्थ शरीर की आवश्यकता होती है|जिस व्यक्ति का दिल उदार,विशाल ,या उसमें दया का भाव हो ऐसे व्यक्ति को कभी किसी चीज़ की कमी नहीं होती।वह सदैव ख़ुश रहता है ।ऐसा व्यक्ति भले ही गरीब हो पर उसकी इज़्ज़त सबके दिलों में रहती है।
जिस व्यक्ति का दिल कलुषित हो ,जो हमेशा संदेह करता हो ,दूसरे का बूरा सोचता हो वो चाह कर भी कभी ख़ुश नहीं रह सकता ।तात्पर्य यह है कि हमारे सोच ,हमारे कर्म पर ही दिल  की ख़ुशियाँ निर्भर है।उसके लिए अवसर की आवश्यकता नहीं होती ।कई व्यक्ति तो ख़ुशी के मौक़े पर भी डरे से घबराए से रहते हैं नकारात्मकता उनपर हावी रहती है।जिससे वे ख़ुशी के अवसर को व्यर्थ गँवा देते हैं।आशावादी व्यक्ति हमेशा ख़ुश रहते हैं उन्हें किसी अवसर की तलाश नहीं रहती।
- सविता गुप्ता 
राँची - झारखंड
      दिल का खुशी या गम से कोई सम्बन्ध ही नहीं है। क्योंकि दिल का कार्य मात्र धड़कना है। जिसके धड़कने से रक्तवाहिनियां शुद्ध रक्त समस्त शरीर में पहुंचाती हैं और पूरे शरीर को प्राणवायु अर्थात आक्सीजन मिलती है।
      उल्लेखनीय है कि खुशी भावों से होती है और भाव मन में उत्पन्न होते हैं। अर्थात मनोभाव ही खुशी या गम का आधार हैं। इसलिए धार्मिक ग्रंथों, साधु-संतों ने मन को वश में करने का परामर्श दिया हुआ है। ताकि उसकी तरंगों को सुविधानुसार मोड़ा जा सके।
      चूंकि मन मस्तिष्क की उस क्षमता को कहते हैं जो मनुष्य को चिंतन शक्ति, स्मरण-शक्ति, निर्णय शक्ति, बुद्धि, भाव, एकाग्रता, व्यवहार, अंतर्दृष्टि इत्यादि में सक्षम बनाती है। सामान्य भाषा में मन शरीर का वह भाग या प्रक्रिया है जो किसी जानने योग्य तथ्य को ग्रहण करने, सोचने और समझने का कार्य करता है। यह मस्तिष्क का एक प्रकार्य है।
      अर्थात डर, चिंता, दुःख, ईर्ष्या, जलन, द्वेष, विद्वेष, कुढ़न, गम एवं खुशी सब मन की तरंगों का प्रतिफल है। या यूं कहें कि सब मनोविकृतियां हैं। इसलिए मनोवैज्ञानिक मानसिक स्वास्थ्य और मनोरोग व्यक्ति के मन के सही ढंग से कार्य करने का विश्लेषण करते हैं। जिससे मन के अन्दर छुपी समस्त जटिलताओं का रहस्य प्रकट हो सके। 
      हम सब कहीं न कहीं सामाजिक मनोविज्ञानिक जटिलताओं के शिकार हैं। जिसके कारण हम प्राकृतिक प्रसन्नता प्राप्त नहीं कर सकते और खुशियों से वंचित रह जाते हैं। 
      अतः अपने जीवन में जीवित रहते हुए प्राप्त सुअवसरों पर हमें वह मनचाहे कार्य अवश्य कर लेने चाहिए जो असंवैधानिक न हों और हमें सुकून एवं खुशियां प्रधान करें।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
दिल जब तक बच्चा है वो इंसान सच्चा है। बच्चों से हम जिंदगी में बहुत कुछ सीखते हैं। बच्चे रोते रोते भी हँस पड़ते हैं। मानव जीवन में बहुत उतार चढ़ाव आते हैं जब हम बहुत दुखी होते हैं और परेशान होकर अपना आपा खो बैठते हैं। जिससे यह होता हैं कि हम टूट जाते हैं और अपनी विवशता को रोकर, चिल्लाकर या दूसरों को दोषी ठहरा कर दिखाते हैं। जिससे हमारा  वर्तमान तो बिगड़ता है ही, भविष्य में भी इसका असर दिखता है। परंतु दिल इस शरीर का सबसे संवेदनशील अंग है जिसमें भावों की सरिता अविरल बहती रहती है। हर पल नए नए विचारों का यहाँ जन्म होता है। रोते रोते भी  आशावादी हो जाता है। और फ़िर से जीवन में खुशियों को ढूंढने लगता है।  क्योंकि................. 
*ये दिल है जनाब इसे इतना न सताइए,*
*कितनी है गहराई यहाँ ज़रा गौर फरमाइए*
*दुःख के बादलों में सूरज कहाँ खोता है*
*गम के इस दौर में थोड़ा तो मुस्कुराइए।* 
यही हमारी जिंदगी का सार है। रोने के बहाने मिलेंगे बहुत, बच्चा बनकर इसे हंसी में उड़ाइए। खुशी के अवसर ज़रा ढूंढ लाइए।।
- सीमा मोंगा
रोहिणी -  दिल्ली
दिल ढूंढ लेता है ,आपस में खुशी मनाने के लिए । बस कोई बहाने की आवश्यकता होनी चाहिए। यह घटना स्थिति पर निर्भर करता है, कोई भी छोटी चीज को खुशी से ले। खुशी मनाने के लिए किसी  ओकेजान की भी  जरूरत नहीं होता है। 
खुशी मनाने के लिए हंसना और मुस्कुराना बहुत जरूरी है अपने जिंदगी के कुछ पल निकाल कर के  लोग को मैसेज भी भेजते हैं ताकि कोई ना कोई बात पर  सामने वाला भी ख़ुशी के पल बिताए।
खुशी मनाने के लिए  मैं समझता हूं किसी बहाने की जरूरत नहीं है ।
 मेरे देश में अनेक प्रकार के त्यौहार आशा और खुशी को लेकर आता है। अगर साथ में परिवार या पड़ोसियों भी शामिल हो जाते हैं  खुशी दुगनी हो जाती है ।
चाहे होली हो या दिवाली उस दिन सभी लोग खुश रहते हैं। 
हम अपना जन्मदिन, विवाह के वर्षगांठ मनाकर , उसमें परिवार और पड़ोसी को सम्मिलित कर लेते हैं । तो खुशी दिल में अधिक होने लगता है,और यह बाद में यादगार बन जाते हैं।
इस तरह से दिल ढूंढ लेता है खुशी का समय।
लेखक का विचार:-खुशियां अपने आप में लिखी हुई आदत है जिसे अपनाकर आप हर हाल में खुश रह सकते हैं।हर दिन,हर सुबह खुश रहो हंसते रहो मुस्कुराते रहो हंसाते रहो तो लोग भी आपसे प्रसन्न रहेंगे खुश और सुखी रहने के लिए पार्टी दीजिए पिकनिक पर जाइए गाना सुनिए सुनाइए छोटा-मोटा क्रिकेचर करें ।किसी सेलिब्रिटी का नकल करे। मित्र परिवार के साथ आनंद लीजिए जिससे दिल ढूंढ लेता है वही खुशी है।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखण्ड
खुशियों का संबंध दिल दिमाग और व्यवहार से है अगर दिल में संतोष की भावना है तो निश्चित ही वह खुशी ढूंढ लेता है यह तो एक मानसिक अवस्था है एक सकारात्मक मानसी का वीक है आप किसी परिस्थिति या व्यक्ति को कैसे प्रसिद्ध करते हैं अगर मन में क्रोध होगा इस चाहोगी चिंता होगी तो हर परिस्थिति का नकारात्मक से ज्यादा अपनी ओर आकर्षित करेगा लेकिन अगर मन में इस तरह के नकारात्मक भावनाएं नहीं रहेंगे तो हर परिस्थिति हर व्यक्ति का व्यवहार आनंददायक महसूस होगा तो यह हर व्यक्ति के दिल दिमाग के ऊपर निर्भर करता है उसकी सोच के ऊपर निर्भर करता है और जैसा सोचेंगे वैसे ही भावनाएं आएंगे अगर सोच को हम सकारात्मक रखेंगे तो भावनाएं भी सकारात्मक आएंगे इसलिए आपसे ढूंढने की बात नहीं है खुद को बदलने की बात है उदाहरण के लिए एक अमीर परिवार को लीजिए अगर वह असंतोष है तो उसकी हर सुख-सुविधा उसे दुख पहुंचाएगी लेकिन दूसरी और उन झुग्गी झोपरी या वैसे गरीब परिवार से लीजिए तो संतुष्ट है तो उनके हाथ खुशियां ही खुशियां है तो खुशी ढूंढ ही नहीं जाती है और ढूंढ ही जाती है तो अपने दिल के भीतर में ढूंढिए संतोष में ढूंढ ले तो अपने आप खुशियां मिल जाएगी
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
         हाँ, दिल खुशी के अवसर ढूंढ लेता है। जब दिल उदास होता है तो उसे किस चीज में खुशी मिलेगी वह स्वयं ढूंढ लेता है और वह चीज उपलब्ध कराने के लिए मस्तिष्क के पास खबर भेज देता है कि मुझे अमुक चीज उपलब्ध कराओ।और मस्तिष्क उसे उपलब्ध कराता है।
           दिल को स्वयं पता होता है कि उसकी खुशी किस चीज में है और वह उसे जैसे भी हो ढूंढ लेता है। इस तरह से हम ये कह सकते हैं कि दिल अपनी खुशी का अवसर ढूंढ लेता है।
- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश "
कलकत्ता - प. बंगाल
खुशी तो अहसास है जिसे खरीदा नहीं जा सकता, इसे हासिल नहीं किया जा सकता और न ही लंबे समय के लिए संग्रहित किया जा सकता है। खुशी तो हमारे भीतर ही है। खुशी एक मनोस्थिति है। यह क्षण प्रतिक्षण पैदा होती है। सकारात्मक सोच वाला मनुष्य हर एक स्थिति में खुशी के अवसर ढूंढ लेता है। ऐसी सोच वाला मनुष्य आज (वर्तमान)में जीता है वो कल (भविष्य)की चिंता में आज को भस्म नहीं करता।
        मानव स्वभाव ही ऐसा है कि वह उस चीज की तलाश में रहता है जो उस के पास नहीं है। भविष्य की चिंता और वर्तमान की चिंता खुशी को भगा देती है। 
      जब हम आज में रहना सीख जाते हैं तो हमारे चोरों ओर बिखरी छोटी छोटी खुशियाँ से हम आनंदित हो जाते हैं ।खुशी का इस बात से कोई समबन्ध नहीं कि हमारे पास कितनी दौलत और शोहरत है। जब हम दुख-सुख में सामंजस्य बैठा लेते हैं तो दिल खुशी के अवसर ढूंढ लेता है। 
      जीवन अनमोल है इस लिए जीवन के हर पल का आनंद लेते हुए इसे जिएं। सकारात्मक विचार से भरपूर मन खुशी देने में सक्षम है। 
- कैलाश ठाकुर 
नंगल टाउनशिप - पंजाब
मनुष्य का दिल बड़ा मासूम होता है। दिल परिस्थितियोंनुसार अपनी सीमायें निर्धारित कर लेता है। दिल, उन्हीं सीमाओं में रहकर अपने लिए खुशियां तलाश कर लेता है। मनुष्य जीवन के जिस पायदान पर खड़ा है, आवश्यकताओं को पूरा करने की जो उसकी क्षमतायें हैं, उन्हीं के साथ दिल समझौता करके खुश हो जाता है। 
कभी आपने देखा है कि एक छोटा बच्चा पानी में कागज की नाव को चलाकर या कागज का हवाई जहाज उड़ाकर दिल से खिलखिलाता है। वही बच्चा बड़ा होकर पायलट बन जाता है तो पहली बार जहाज उड़ाने पर उसे वही खुशी की अनुभूति होती है जो बचपन में हुई थी। इससे ज्ञात होता है कि मनुष्य की जैसी स्थिति होती है उसी के अनुसार दिल खुश हो जाता है। 
यह दिल जीवन के उत्थान अथवा पतन से विचलित तो होता है परन्तु यदि मनुष्य को जीवन में इच्छानुसार कुछ नहीं भी मिलता तो भी दिल उस इच्छा के विकल्प ढूंढकर खुश हो जाता है। अभावों में रह रहा मनुष्य भी अपनी सीमितताओं के बावजूद जीवन की छोटी-छोटी बातों में खुश रहने के अवसर पा लेता है। 
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
दिल के आँगनबाड़ी में खुशियों के अवसर प्राप्त हो तो दिल का भटकना बंद हो जाता है।दिल वेहबजह खुश होने के अवसर ढूंढ ही लेता है।जीवन खुशियों का नाम सिर्फ नही गम के मौसम पतझड़ बन जीवन चक्रव्यूह मे आते है और मानव इसकेए सुनामी मे बह जाते है।परंतु दिल गम मे भी मुस्कुराने की चाहत रखता है।समय चक्र में मनुष्य फंस कर रह जाता है।परंतु खुशी के अवसर अंर्तमन ढुढ़ने की चाहत मे रहता है और मन उदासीनता के भाव को बहिष्कार करना चाहता है।दिल के कढ़ाई मे खुशियों की चाँसनी बेहद खूबसूरत होती है।चाहतें परवान चढ़ने को आतुर होती है।और खुशियों के आँचल मे दिल लिप्त होकर झूमने लगता है।अवसरवादी इच्छाओं की पूर्ति करते हुये दिल की आवाज बुलंद हो नभमंडल तक जाती है।गम का लाखों पहरे धूपिया बादलों की ओट कुछ भी हो मानवीय संवेदनाओं के साथ खुशियों की हवा  अवसर प्रदान करने को प्रयासरत होती है।और नाजुक दिल ढूंढ लेता है खुश होने क अवसर।
यादों की कड़वाहटों में दिल
 की आरजू दफन है।
और क्षणभंगुर खुशियों 
के रूप मे दिल अवसरवादी है।
पंरिदा है खुले गगनचुंबी 
का मस्तमौला दिल
ये तो खुशियों की चाह 
मे हरपाल आतुर है।
ना जाने क्यो आँखों में र्दद के बादल मंडरा कर जहरीले पदार्थ को विस्तृत करती है।हरदम खुशियाँ ही हो तो जीवन की घडिय़ां और मनमोहक हो जाये।ये मानव के मानसिकता पर तय होता है।अगर इंसान सत्य असत्य की लीला से अवगत हो जाये ।मौत सत्य है इसकी पीर को सच्चाई से ग्रहन कर जीवन की गतिविधियों मे रहे तो आसानी जी जीवन की कठिनाइयों को पार कर सकते हैं।
दिल के आँगन मे खुशी के फूल खिलेंगे।और जीवन सुखद एवं राहत दायक होगा।
बैचैन राहों से जब गुजरा ये पागल दिल
बेहवजह खुश हो झूमा ये  पागल  दिल
सांसों की डोर को थामने की कोशिश ना कर
वक्त चौंखट पर अवसरवादी है पागल दिल
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
     कभी खुशी, कभी गम जीवन में हमेशा आते-जाते रहते हैं और अनन्त समय, तक चलता रहता हैं। जिस घर संसार और देश में खुशियों की लहर रहतीं हैं, वहां लक्ष्मी विराजमान। ऐसा चला आ रहा हैं। शांति, वाक शक्ति पर निर्भर करती हैं, जो दिल से ढूंढ लेता हैं, खुशी के अवसर। अगर दिल विचलित रहा, तो घर हो या राष्ट्र, वहां प्रगति के अवसर कभी भी प्राप्त नहीं  हो सकते। जिसके कारण जनजीवन के साथ ही साथ जीवन यापन प्रभावित होता हैं।  इसलिए नकारात्मता की जगह सकारात्मकता सोच दिल से होनी चाहिए, ताकि भविष्य में दुष्परिणाम गंभीर नहीं हो पाये। 
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
  बालाघाट - मध्यप्रदेश
अगर हमारे जीवन की बागडोर दिल के हाथों में है ।तो दिल खुशियों को ढूंढ ही लेता है ।चाहे छोटी चाहे बड़ी।
जीवन सुख दुख का संगम है इसलिए किसी के दुख में दुखी होना स्वाभाविक है ।यह हम सब जानते है।लेकिन फिर भी हमें प्रयास करना चाहिए कि हम दुख से बाहर हो जाएं । कभी किसी छोटी सी सफलता पर हम खुश हो सकते है कभी बड़ी सफलता भी हमें खुशी नहीं हो सकती। बस बात है तो हमारे दृष्टिकोण की कि हम इस जगत को और उसमें होने वाली घटनाओं को कैसे देखते हैं ?अगर हमारा दृष्टिकोण सकारात्मक है तो हम आज भी किसी सुन्दर फूल को देखकर ,उनपर तितलियों को  मंडराते देखकर या फिर ठंडी बयार को महसूस कर भी खुश हो सकते हैं ।अतीत में घटी किसी मूर्खतापूर्ण बात को याद कर हंस सकते हैं ।हम उस दुख को भी याद कर आज हंस सकते हैं जिसने हमें कभी बहुत रुलाया था ।ऐसी न जाने कितनी बातें  और न जाने कितने अवसर  हैं जो हमारे जीवन में आते हैं ।और अगर हमारा दिल चाहे (दिमाग नहीं)तो न पर हम जी भर कर हंस सकते हैं ।छोटी छोटी बातें मुलाकातें ,सुन्दर दृश्य,किसी की कोई बात ,कुछ भी हमें आह्लादित कर सकता है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि खुश रहने वाला व्यक्ति ही खुशियों को ढूंढ सकता। है ।उन्हें जीता है  ।इसलिए उसके लिए और और खुशियों के द्वार खुलते चले जाते हैं  ।यह बड़े से बड़ा रहस्य है ।
- चंद्रकांता अग्निहोत्री
पंचकूला - हरियाणा
जी हां।  एक बच्चा टूटे खिलौने के टुकड़े से अपना दिल बहला लेता है। कूड़ा बीनने वाला फेंके गए कूड़े में से टूटा रंग-बिरंगा सामान मिल जाने पर दिल बहला लेता है। अनेक चैराहों पर बच्चे गुब्बारे बेचते हैं।  वाहनों में जाने वाले उन गुब्बारों के खरीदार भी होते हैं।  एक तरफ गुब्बारा बिक जाने पर गुब्बारा बेचने वाले का दिल खुश हो जाता है और दूसरी तरफ खरीदे गए गुब्बारे से कार में बैठे बच्चे का दिल बहल जाता है।  बड़े लोग महंगी पतंगे खरीद कर खुश होते हैं तो सड़कों पर जान की चिंता किये बिना कटी पतंग को पकड़ कर गरीब बच्चे खुश होते हैं।  धनी परिवार बाजार में खड़े होकर महंगी आइसक्रीम खाकर दिल खुश करते हैं तो उन आइसक्रीमों की फेंकी गई डंडियों पर चिपकी आइसक्रीम को चाट कर सड़क के बच्चे भी खुश और उनका दिल भी खुश होता है।  अमीर लोग शादियों में लाखों रुपया खर्च करके भी शायद उतना खुश नहीं होते जितना सड़क के बच्चे उनकी बारातों में बजती गानों की धुनों पर नाच कर अपने दिल को खुश कर लेते हैं।  दिल ढूंढ ही लेता है खुशी के अवसर, चाहे अमीर का हो चाहे गरीब का हो।
- सुदर्शन खन्ना 
 दिल्ली 
खुशी तो अपनी प्रकृति होती है। जिन्हें खुश रहने की आदत है वो कहीं भी, किसी भी परिस्थिति में खुशी ढूँढ ही लेता है। खुशी कुछ पलों में ही सकारात्मक ऊर्जा भर देती है और सोच का दायरा बढ़ा देती है। हर दिल खुशी को ही अपनाना चाहता है। लेकिन अपने लिए खुशी का रास्ता भी उसे ही ढूँढना है।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
‌जी हां,दिल खुशी के अवसर ढ़ूंढ़ ही लेता है,और हम भारतीयों में तो यह प्रतिभा बचपन से ही जन्मजात होती है। ढोल शादी का बज रहा हो या मौत का,बचपन थिरकने ही लगता है। दावत शादी की हो रही हो या तेरहवीं की भोजन की तारीफ करने से कभी नहीं चूकते।बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना वाली कहावत यूं ही नहीं बन गयी। दिल तो किसी मजमें में सांप को देखकर भी खुशी का अवसर ढ़ूंढ़ ही लेता है। किसी नेता का जुलूस भी खुशी का अहसास करा जाता है।अचानक बिजली, पानी की सप्लाई आने पर हम दिन भर में कितनी ही बार खुशी का इजहार कर देते हैं।और तो और मंडी में ताजी सब्जियां मिल जाएं तो भी खुश हो जाते हैं।डाल का आम ही मिल जाए तो जब तक चार मित्रों से न कह दे कि आज आम बहुत बढ़िया मिला, हमारी खुशी पूरी ही नहीं होती। दिल चीज ही ऐसी है यह खुशी ढ़ूंढ़ ही लेता है।ट्रेन में रिजर्वेशन मिल जाए, डॉक्टर के यहां नंबर लिखा जाएं तो इसकी खुशी का तो कहना ही क्या। बच्चे का एडमिशन हो जाए,दर्जी से सही समय पर कपड़े सिलें मिल जाएं,बस में सीट मिल जाए तो भी खुशी का ठिकाना नहीं रहता। हमारी प्रवृत्ति ही ऐसी है कि हम छोटी छोटी बातों में खुशी ढ़ूंढ़ ही लेते हैं।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
दिल हमेशा खुश रहना पसंद करता अब आप सोचेंगे कि मुझे कैसे पता तो जनाब आप खुद सोचिए ख़ुश दिल कभी कमजोर नहीं पड़ता ख़ुश रहनेवाले लोगों को हार्ट सर्जरी नहीं करवानी पड़ती परन्तु उदास दिल जल्दी कमजोर पड़ जाता है और हमारा साथ देने में कतराने भी लगता है अतः खुश रहने वाले दिल या लोगों को खुशी के मौके देना आवश्यक नहीं वह हर परिस्थिति में खुशी ढूंढ ही लेते हैं
अतः खुशी का इन्तजार मत किजिए खुशी को हमेशा अपनी जेब में रखिए ताकि ग़़मोंं को हमेशा वेटिंग लिस्ट ही मिले।।।
- ज्योति वधवा "रंजना"
बीकानेर - राजस्थान
जिन्दगी में कुछ पल ऐसे आते हैं जब हमें खुशी मिलती है, जवकि खुशी मन की एक अवस्था है, क्योंकी खुशी संतुष्टी और आनंद सब हमारे भीतर ही है, जरूरत है उसे ढूंढ निकालने की। 
इसके लिए हमको अपनेआप में बदलाव लाना होगा,  हमको एेसा पेशा चुनना होगा जिससे हमको आनंद मिले, ताकि हर सुबह उठ कर हम यह सोचें की एक नया दिन नई उमंग लेकर आया है। 
इसके साथ साथ साकारात्मक सोच रखें, बर्तमान का खूव आनंद लें इसे उदास मत गुजारें दुसरों की खुशियों में खुश रहें, 
अपनी स्वार्थी इच्छाओं का त्याग करें, इस थोड़े से बदलाव से, दिल खुश होगा  जिससे हमारे चेहरे पर  खुशी
  की साफ झलक दिखाई देगी।  
यह सच है कि हमारे भीतर महसूस होने वाली खुशी के लिए हमारा मन ही जिम्मेदार होता है। और हमारा दिल ही खुशी के  अवसर ढूढने का प्रयास  करता है, क्योंकी जब मन खुश हो तो सारा वातावरण खुश नजर आता है, सच है, 
"मुस्करा के देखो तो सारा यहां रंगीन है, वरना भीगी ृपलकों से तो आइना भी 
धुंधला  दिखता है"। 
अपनेआप को खुश मिजाज रखना भी एक कला है क्योंकी जब हम दुसरों से तुलना करते है्ं या दुसरों  से नफरत करने लगते हैं तो हमारे मन में दुसरे के प्रती जलन सी महसूस होने लगती है जो हमारी खुशी के पल छीन लेती है, इससे वेहतर है हम खुशमिजाज रहें जिससे हम जिन्दगी की लुत्फ ले सकें। 
सच है, 
खुशी मेरी तालाश मे दिन रात भटकती रही, कभी उसे मेरा घर न मिला, कभी  उसे हम घर न मिले। 
 सच मानें तो खुशी ही हमारे जीवन का मकसद है क्योंकी खुशी के पल जीवन को खिलखिला देते हैं, हम जब चाहें  दुखी जब चाहें खुश  रह सकते हैंअगर हम अपने आप पर संतुलन वनाए रखेंअथवा पाजिटव रहें क्योंकी सुख, दुख  दोनों को हम खुद जन्म देते हैं 
नहीं तो आनंद हमारे भीतर ही झलकता हैऔर खुश रहना हमारे स्वभाव पर निर्भर करता है, सच कहा है, 
" दिल दे तो इस मिजाज का परवरदिगार दे जो रंज की घडी़ भी खुशी से गुजार दै"। 
कहने का मतलब अपने दिल को इतना मजबूत रखो की मुसीबत का सफर भी खुशी में गुजर  जाए  पता भी न  चले हम पर मुसीबत आई थी। 
 कई वार हम हम खुद परेशानी मोल ले लेते हैं और दुसरों को देखकर आशांत हो जाते हैं, 
कहा भी है, 
"टुटी कलम और दुसरों की जलन, खुद का भाग्य  लिखने नहीं देती"। 
इसलिए खुशमिजाज रहीए और दुसरों को भी  खुश रखो, सभी को अपना समझो तथा मन को साफ रखो   दिल खुद खुशी के अवसर ढूंढ लेगा, 
सच है, 
" छोटी सी जिंदगी है हर बात से खुश रहो कल किसने देखा
 है बस अपने आज में खुश रहो"।  
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
जी, अगर इंसान की सोच सकारात्मक हो तो वह दुख में भी खुशी के अवसर ढूंढ लेता है। हर इंसान के अंदर सभी तरह के भाव जन्मजात ही  ईश्वर द्वारा प्रदत्त रहते हैं। समय एवं परिस्थिति के अनुसार व्यक्ति के भाव प्रदर्शित हो जाते हैं।
        कई बार कुछ लोगों के जीवन में लगातार दुखों का समावेश होता रहता है। उनका जीवन संघर्षमय बना रहता है। ऐसे में निराशा की भावना एवं   उद्विग्नता  होना स्वाभाविक है। दिल में हर समय दुखों का सागर उमड़ता रहता है और व्यक्ति ने नैराश्य में डूबता चला जाता है।
         पर यदि व्यक्ति अपनी भावनाओं को संयमित करके सकारात्मक ढंग से सोच कर जो उपलब्ध है उसी में खुश रहने का प्रयास करें तो दिल को खुशी मिलने लगती है। तब जीवन सरल हो जाता है। सुख दुख तो आता जाता ही रहता है।  परिस्थितियां कभी एक सी नहीं रहती। खुशी हमारे अंदर समाहित है बस उसे व्यक्त करने की जरूरत रहती है अर्थात यदि हम चाहें तो दिल ढूंढ़ ही लेता है खुशी के अवसर।
 - श्रीमती गायत्री ठाकुर "सक्षम"
 नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
अवश्य ! जरुरी नहीं है कि खुशी पैसे से ही मिले ! मां गरीबी में ही अपने बच्चे की हसी मे ही अपनी खुशीयां देखने लगती है ! हम सभी छोटी छोटी बातों में खुशीयां ढूढते रहते हैं अथवा ढूढ़ लेते हैं ! खुशी पाना यानीकि बहुत बड़ा खजाने के मिल जाने के बराबर है ! दिल तो अपनी किसी भी चीज को पाने की ख्वाहिश में खुश होते रहता है !हमारी विचारधारा कैसी है उस पर भी हमार दिल खुशी के अवसर ढूढ़ता है !किसी का दिल गरीबों की सेवा कर खुश होता है और वह हमेशा इसी अवसर की तलाश में रहता है कि किसी को मेरी मदद की जरुरत तो नहीं यानीकि सेवाभाव में ही उसका दिल खुश रहता है ! कोई ईश्वर की भक्ति करके खुश होता है !
किसी के दिल को तो दूसरों को तंग करना,और सताने में ही मजा आता है ! वह अपनी खुशी की खातिर ऐसे मौके की तलाश में ही रहता है कि कोई कैसे दुखी रहता है ! वैसे खुशी सभी को नसीब नहीं होती !  खुशी लेना भी आना चाहिए! संकीर्ण दिमाग वाले ,असंतोषी,नकारात्म सोच रखने वाले ,जलनखोर दंभी ,स्वार्थी लोगों के पास खुशी द्वार पर आकर दस्तक देकर चली जाती है किंतु अपने स्वभाव के कारण वे समझ नहीं पाते और दुखी ही रहते हैं ! जिसे खुश रहना है वह कैसे भी अपनी खुशी ढूढं लेता है ! बाकी खुशी भी नसीबों वालों को मिलती है ! कहते हैं ना दुनिया में पूर्ण तरीके से कोई खुश नहीं है अतः क्षणिक खुशी मिलने का अवसर मिलता है तो हम छोड़ते नहीं !
जीवन में जिसके पास संतोष का धन है वही उसकी खुशी है !
- चंद्रिका व्यास
 मुंबई - महाराष्ट्र
खुशी क्या है ? खुशी आत्मा की संतुष्टि है ।खुशी अच्छे कर्मों के फल पर आत्मिक सुख है जो हमेशा अगले कर्म के लिए ऊर्जा देता  है या ऐसा कहें कि खुशी अच्छे कर्मों का योग है जो चक्रवत चलता है ।हम एक बीज बोते हैं अंकुर फूटने का इंतजार करते हैं उसे बढ़ते देख हर दिन खुश होते हैं पौधा वृक्ष बनता है ।फल फूल से लद जाता है सब ॥मिलकर उसका उपभोग करते हैं रोपण करने वाले के मन  में असीमित प्रसन्नता होती है  ये होती है खुशी । सकारात्मक मन हर पल खुशी खोज लेता है  ।कहते हैं ... गोधन ,गजधन और रतन धन खान ।
जब आवे संतोषधन ,सब धन धूर समान ॥
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
 जी हां हर मनुष्य हर संबंधों के साथ खुशी-खुशी जीना चाहता है। जो हर मानव की परम आवश्यकता है। जो मानव के विचारों में खुशी के साथ जीने की तीव्र इच्छा शक्ति जागृत हो जाती है ,तो दुनिया की कोई भी ताकत उसे रोक नहीं सकता और वह स्वत स्फूर्त से अपने लक्ष्य को पूरा करने में कामयाबी हासिल कर लेता है ।जो भी बाधाएं उसके रास्ते में आते हैं ।उसे वह अच्छी तरह उन बाधाओं से निपटना जानता है और अपनी दिल ढूंढ लेता है, खुशी के अवसर को इसी अवसर की तलाश में हर मानव जिंदा है और इसी को प्राप्त करने के लिए वह इस संसार में अच्छा व्यवहार और कार्य करने की चेष्टा करता है।
- उर्मिला सिदार 
रायगढ़ -  छत्तीसगढ़
आज की चर्चा में जहांँ तक यह प्रश्न है कि क्या दिल ढूंढ लेता है खुशी के अवसर तो मैं कहना चाहूंगा जीवन को सुचारू रूप से चलाए रखने के लिए और खुश रहने के लिए खुशी के अवसर ढूंढना बहुत आवश्यक निराशा उदासी परेशानियां कदम कदम पर आदमी का इंतजार करती रहती हैं परंतु हम फिर भी उनसे पार पा जाते है यह बात और है कि थोड़ा बहुत समय लगता है और इन सब से निकलने में छोटी छोटी खुशियाे के अवसर जो दिल  ढूंढता है वह औषधि की तरह से काम करती हैं जैसे अपने मन के अनुरूप कोई काम करना और किसी की मदद करना आदि ऐसे कार्य है जो व्यक्ति को निराशा से उबार कर  उसके जीवन में खुशी का संचार करते हैं इसीलिए मन ढूंढना चाहता है छोटी-छोटी खुशी के अवसर और इन अवसरों के स को ढूंढना चाहिए भी और खुश भी होना चाहिए वरना निराशा का भाव आदमी को डिप्रेशन में ले जाता है और एक बार यदि आदमी में यह भाव गहरे तक पनप जाता है तो उस से निकलना बहुत ही मुश्किल हो जाता है आदमी अवसाद ग्रस्त हो सकता है इसलिए यह बहुत आवश्यक है की छोटी-छोटी खुशी के अवसर ढूंढते रहे और अपने आप को उत्साह से लबरेज रखे तरोताजा बने रहें सकारात्मकता बनाये रखे मन और मस्तिष्क मे 
- प्रमोद कुमार प्रेम 
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
   जिंदगी और खुशी खूबसूरत सी कविता की  प्रथम पंक्ति बन जाए गर हमारे दिल को खुशी ढ़ूंढ़नी आ जाये। खुशी एक इंद्र्धनुष है जो जीवन के आसमान पर बादल( कठिनाईयों )में उभरता है। सात रंग, सातों जहान के प्रतीक बन जाते हैं ।वह रहता तो थोड़ी देर के लिए पर परमांनद दे जाता है।
   सच है खुशी खरीद नहीं सकते, नहीं तो हर अमीर खुश और गरीब दुखी होता। हम सब केआस पास खुशियाँ बिखरी रहती हैं। हमारे अंदर भी होती हैं जैसे कस्तुरी मृग में सुगंध बसी रहती है। बस खोजने का अवसर दो खुद को। आप की सच्ची खुशी सिर्फ आप के पास है।  खुशी का कोई मापदंड नहीं है। कोई व्यक्ति रोज स्वादिष्ट मिठ्ठाई खाकर भी खुश नहीं होता और किसी को एक आध टूकड़ा भी मिल जाये तो दिल बल्लियों उछलने लगता है।  हाथ से मुँह और फिर मुँह से पेट में पहुँचना जैसे जीते जी स्वर्ग मिल गया हो। उसके बाद भी ऊँगली चाट कर जो खुशी वो पाता है वह दिल ने ही तो बताया है ।
     प्रकृति तो हम सब को यही सिखाती है अवसर खोजो। चाँद रोज घटता बढ़ता है ,गुलाब काँटों में खुव, कमल कीचड़ में, पेड़ पतझड़ में भी नये पतों की आस में खुश हो जाता है। अवसर तो तितली की तरह हैं फूलों के आस पास ( जीवन) मंड़राने दो। हल्के एहसास के साथ, पकडने पर मर सकती है ।
   दिल ढ़ूढंता है फिर वही....!!! अथाह गहराई वाला दिल , धड़कता दिल, छोटे छोटे, मासूम ,काल्पनिक और यथार्थ वादी खुशियों को रचेगा बस उसे कपटी ,छली, निराशावादी लोगो से दूर रखें ।
     - ड़ा.नीना छिब्बर
       जोधपुर - राजस्थान
दिल पुष्प की भांति होता है गुलाब की हजार पंखुड़ियों सा अच्छादित. मानव प्रकृति ऐसी ही होती है एक ओर अंतर्मन में  हजारों गम छुपे होते हैं तो वही खुशियों के भी हजार बहाने बन जाते हैं पता नहीं चल पाता कब कैसे. 
यह‌ प्रकृति प्रदत्त है मन और दिल सब समय पर निर्भर करता है वक्त एक ऐसा मरहम है जो बड़े से बड़े जख्म को समय के साथ भर देता है और खुशियों के बहाने बनते हैं तभी जीवन का प्राकृतिक रूप से आगे बढ़ना संभव है नहीं तो हजार रोगों से शरीर और मन ग्रस्त हो जाएगा इस संसार में जीवन को जीना मुश्किल हो जाएगा।हर व्यक्ति के जीवन में कोई न कोई उद्देश्य होता है उसी को लेकर वह जीवन में आगे बढ़ता है और खुशियों के अवसर तलाश कर लेता है।
*जीवन का यही मूल मंत्र है*
जीवन एक बार मिला जीना  हर हाल में क्यों ना खुश होकर  जीवन जियें ।
- आरती तिवारी सनत
 दिल्ली
हमारे स्वभाव की प्रकति ही ऐसी है कि वह सदैव खुशी की चाहत लिए होता है इसलिए वह खुशी के अवसर भी ढूंढ़ता रहता है। हमारा ध्यान और लक्ष्य सदैव अपनी खुशी पाने की प्राथमिकता की ओर अग्रसर रहता है। 
.     इसमें दोनों ही बातें संभावित होती हैं,  खुशी पाने में सफल हो जाते हैं और कभी असफल भी हो जाते हैं। इसे ही भाग्य कहा गया है। सफल हुए तो खुशकिस्मत और असफल हुए तो बदकिस्मत। पूरे जीवन में हर काम का आकलन इसी खुशी के परिप्रेक्ष्य में निरंतर होत रहता है।
 और अंत में परिभाषित होता है, बहुत किस्मतवाला या बहुत बदकिस्मत।
  अतः जीवनसार यही है कि जैसे हम खुशी पाने के अवसर ढूंढते हैं, ऐसे ही खुशी के अवसर देने का भी प्रयास करना चाहिए।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
मानव जीवन में खुशी, प्रसन्नता का विशेष महत्व है ।यह व्यक्ति में पाई जाने वाली भावनाओं में सबसे सकारात्मक भावना है। कड़ी मेहनत के बाद  इच्छा अनुकूल फल की प्राप्ति , किसी जटिल समस्या का समाधान  तथा अचानक किसी लाभ से लाभान्वित होने  के  कारण जो भाव पैदा होता है वह प्रसन्नता अथवा खुशी का ही भाव है ।लक्ष्य की प्राप्ति भी मनुष्य को बहुत आनंद प्रदान करती है।मेहनती, कर्मठ, सजग प्रयास शील तथा सकारात्मक सोच रखने वाला व्यक्ति का दिल खुशी के अवसर अवश्य ढूंढ लेता है ।
 मेहनत के बल पर वह सफलता प्राप्त करता है खुशी का माध्यम अपने लिए तैयार करता है ।
 कर्मठ और सदैव प्रयास- शील व्यक्ति अपनी 'लगन' से अपने जीवन में खुशियां भरता है । आलसी निकम्मा और अकर्मण्य व्यक्ति कभी भी ना तो मेहनत करता है और ना ही अपने जीवन में खुशी प्राप्त करता है। ईर्ष्यालु और द्वेष पूर्ण  भावना बनाए रखने वाला व्यक्ति भी हमेशा दुखी ही रहता है 
। अतः केवल मेहनत ,लगन, कर्मठता , इमानदारी  और सकारात्मक सोच अपनाकर यदि जीवन जिया जाए तो सफल जीवन की प्राप्ति होती है मनुष्य के जीवन में खुशियां आती है । 
इस प्रकार की जीवन शैली अपनाकर  हमारा 'दिल' खुशी के अवसर ग्रहण करता है 
 - शीला सिंह
बिलासपुर  - हिमाचल प्रदेश  
हां,  बिल्कुल। व्यक्ति का दिल  अनेकों तरीके से खुशी के अवसर ढूंढ लेता है। कभी भीड़ में तो कभी तन्हाई में भी । खुशी के अवसर कुछ भी हो सकतें हैं यह व्यक्ति विशेष की रूची- अभिरूची पर निर्भर करता है। जैसे भीड़ में भी यदि व्यक्ति दूसरे व्यक्तियों से मिलता है उनसे बात करता है और उन्हें किसी बात पर खुश और हंसता देख, वह भी खुश हो जाता है। तन्हाइयों में भी कभी कोई मनपसंद पुस्तक पढ़कर या मनपसंद गाना सुनकर या किसी अजीज से फोन पर बातें कर , भी  व्यक्ति का दिल खुश हो जाता है , जिसे हम एक सुनहरा अवसर खुशी का --- बेहिचक कह सकते हैं। इसलिए कभी भी कहीं भी किसी रुप में हमारा दिल खुशी के अवसर ढूंढ लेता है। बस सोच सकारात्मक होनी चाहिए और द्वेष ईर्ष्या से परे सोच हो तो दिल को खुशी के अवसर ढूंढने हेतु कोई भी जोखिम या पैसे खर्च करने की भी जरूरत नहीं , खुशियां खुद -ब- खुद हीं दिल के दरवाजे पर आकर दस्तक देने लगती है। 
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार
दिल और मनुष्य का सीधा सम्बन्ध है  हर मनुष्य मैं दिल होता है और दिल वही करता है जो मनुष्य चाहता है ....
जो सकारात्मक सोच के मनुष्य होते हैं वो जीवन की दौड़ मैं खुशी के पल ढूंढ लेते है और उन्हें जी लेते है व निराशावादी मनुष्य मुसीबतों की दुहाई देकर रोते रहते हैं
सिर्फ नज़रिये का फर्क होता है ..खुशियों के पल हमारे चारो ओर  बिखरे होते हैं ....एक एक पल को सहेजकर चुनना होता है ......पहचानना होता है और जीना होता है
इन पलों को जी पाना व पहचान पाने कासौभाग्य उसी खुशनसीब को प्राप्त होता है जो थोड़े मैं संतुष्ट होना जनता है
ज़िंदगी मैं फूल और कांटे बिखरे होते हैं .....मनुष्य पर निर्भर होता है की वो फूल चुने याकाँटों मैं उलझा रहे
- नंदिता बाली
 सोलन -हिमाचल प्रदेश
जी बिल्कुल दिल खुशियों के अवसर ढूंढ ही लेता है।
 जीवन एक ऐसा रंग मंच है जहां किरदार को खुद पता नहीं होता कि अगला दृश्य क्या होगा ।मगर बदलते दौर में दिल हंसने हंसाने के अवसर  तलाश  लेता है अपने गम भुलाने के लिए।
 खुशी देने वाले भले ही हमेशा अपने नहीं होते मगर जिनके जरिए खुशियां मिले दिल उन्हें खोना  नहीं  चाहता है।
 खुशियां जरूरी नहीं कि इंसानो  से  ही मिल जाए ,खुशियां तो प्रकृति से ,फूल पौधों से ,बेजुबान जानवरों से भी मिल जाती हैं ।
अब किसको कहां खुशियां मिलती हैं यह तो व्यक्ति व्यक्ति की भावनाओं पर निर्भर करता है।
 जिंदगी में  जब खुशियों का मौका मिले ,उनका स्वाद मिठाई की  तरह चखना चाहिए उनको तहे दिल से स्वीकार करना चाहिए, स्वागत करना चाहिए।
 हर पल मुस्कुराते रहो  जिंदगी  बड़ी खास है ।।
यह जिंदगी क्या सुख या दुख बड़ी आस है ।।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश

" मेरी दृष्टि में "  दिल  सकारात्मक सोच का परिणाम है तो खुशी के अवसर अवश्य मिलेंगे । एक नहीं कई बार मिलेंगे । यही सकारात्मक जीवन का परिणाम है । परन्तु हर कोई सकारात्मक सोच का इंसान नहीं होता है ।
 - बीजेन्द्र जैमिनी
डिजिटल सम्मान

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