क्या सफलता से ज्यादा विफलता सिखाती है?
विफलता से जो इंसान सिखता है वह बुद्धिमान कहलाता है । विफलता से टूटना नहीं चाहिए । सिखना चाहिए । यह सार्थक जीवन की सार्थकता सिद्ध करता है । नये - नये आयाम अर्जित करता है । हर विफलता से कुछ ना कुछ सिखना अवश्य चाहिए । यही जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है ।अब आये विचारों को देखते हैं : -
निरन्तर प्रयासों से ही होता है प्रकाश सफलता का,
तोड़ दे हौसला नहीं है साहस विफलता का।
राह की बाधाओं से डरकर रूकता नहीं पुरुषार्थ,
गिरकर उठना सिखाता है हर रंग विफलता का।।"
सफलता मनुष्य के मन को संबल प्रदान करते हुए जीवन में उन्नति की ओर अग्रसर करती है। विफलताओं से सामना होने पर मनुष्य अक्सर टूट जाता है।
विफल होने पर मन का निराश होना एक स्वाभाविक बात है। परन्तु विफलता के पश्चात ही मनुष्य के धैर्य, पुरुषार्थ और बुद्धि-विवेक की असली परीक्षा होती है।
संसार में एक नहीं अनेक उदाहरण है जब असफलता ने मनुष्य को निराश किया, परन्तु वे नकारात्मक नहीं हुए अर्थात् उन्होंने सकारात्मक सोच से विफल होने के कारणों पर विचार किया। गलतियों से सीख लेते हुए पुन: प्रयास किया और अंतत: सफलता का वरण किया।
प्राय: देखा जाता है कि एक सफलता प्राप्त होते ही मनुष्य के कदम ठहर जाते हैं जबकि विफलता और अधिक प्रयास करने के लिए प्रेरित करती है। पहली सफलता शायद पहले पायदान पर ही मनुष्य को रोक दे परन्तु विफलता कार्य की उत्कृष्टता में निरन्तर वृद्धि करते हुए ऊंचाईयों के शीर्ष तक ले जाती है। इसलिए विफलता के बावजूद जो व्यक्तित्व नकारात्मक नहीं होता और विफलता से प्राप्त सीखों की सकारात्मकता को देखता है, वह अवश्य सफलता का वरण करता है ।
निष्कर्षत: यह कहा जा सकता है कि सफलता से अधिक विफलता सिखाती है। बात केवल मनुष्य के दृष्टिकोण की है।
इसीलिए कहता हूं कि......
"हवा का रुख सदा अनुकूल होता नहीं,
प्रयासों को दोष न देना कभी विफलता के लिए।
ऊंची उड़ान में तूफान रोकेंगे रास्ता तेरा,
हृदय में जुनून चाहिए तूफानों से टकराने के लिए।
विफलताओं की सीखों से सीखता है जो,
नहीं चाहिए कुछ और उसे सफलता पाने के लिए।"
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
सफलता मानव जीवन का मूल मंत्र है । जीवन में सफलता पाने के लिए व्यक्ति निरंतर प्रयास करता है । दुर्भाग्यवश यदि असफलता का सामना करना पड़े तो मनुष्य का हृदय टूट जाता है , बिखर जाता है ,थोड़ी देर के लिए ही सही अपने आप को असहाय महसूस करने लगता है । असफलता भयंकर अंधेरे की भांति लगती है ।
लेकिने बहुत से ऐसे उदाहरण है जहां असफलता या ठोकर लगने के बाद सफलता की चरम सीमा को ग्रहण किया गया है । व्यक्ति के लिए असफलता बहुत बड़ी सीख है , जो उसे आगे बढ़ने की हिम्मत भी देती है और ठोकर से खाए हुए जख्मों पर मरहम लगाने की दवा भी देती है।
अंग्रेजी में एक कहावत है 'स्ट्रगल एंड शाइन' यह कहावत हमें बड़ी शक्ति देती है ,जिंदगी में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है । हमारे जीवन में कठिनाइयां तो आती है और कभी-कभी इतनी अप्रत्याशित कि संभलने का भी हमें समय नहीं मिलता लेकिन जीवन में ठोकर खाकर हम संभलना सीख जाते हैं ।
मुश्किलों से ना घबराकर उनका सामना करना सीख जाते हैं ,एक नया निखार हमारे जीवन में आ जाता है । रसायन शास्त्र का एक नियम हमने पढ़ा है जो जिंदगी पर भी लागू होता है कि -'जब कोई अणु टूट कर पुनः अपने पूर्व अवस्था में आता है तो वह पहले से भी अधिक मजबूत होता है ।'इसी प्रकार मनुष्य के जीवन में परेशानियां तो आएंगे ही लेकिन उन परेशानियों का डटकर मुकाबला करना चाहिए ताकि हमें और मजबूती मिले जीवन में तरक्की के रास्ते खुल जाएं ।
" मुश्किलें ही संवारती है जीवन को, मुश्किलों के बिना जीवन में कांति कहां"
अतः जीवन की विफलताओं से हम बहुत कुछ सीखते हैं । औरों की सफलता को देखकर हमें अपने हृदय को ईर्ष्या और द्वेष का भंडार नहीं बनाना चाहिए बल्कि उससे शिक्षा लेनी चाहिए । दूसरों के सभ्य जीवन से सीख लेकर आत्माेत्थान की भावना होनी चाहिए ।
अच्छे गुणों को आत्मसात करके, सफलता को ग्रहण करके हमारा जीवन औरों के लिए भी प्रेरणा बनना चाहिए ।
इस विषय को लेकर मेरा यह कथन है कि 'जीवन वही सफल है जो हर दिशा से मोती रूपी गुण एकत्रित करके अपने जीवन को सफलता की ऊंचाइयों तक ले जाता है ।'
- शीला सिंह
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
आज की चर्चा में जहांँ तक यह प्रश्न है कि क्या सफलता से ज्यादा विफलता सिखाती है तो मैं कहना चाहूंगा कि हां यह बिल्कुल सही बात है जीवन में विफलताओं से आदमी बहुत कुछ सीखता है और अपने मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करके आगे बढ़ने का प्रयास करता रहता है नये नये रास्ते खोजता है और उन्नति के शिखर की ओर बढ़ता जाता है इस प्रकार सफलता से ज्यादा विफलता ही मार्गदर्शक के रुप में काम करती है यदि हम अपनी विफलताओं से सीखना चाहते हैं तब दूसरी ओर सफलता आदमी को मगरूर बनाती है यदि उसके मार्ग में दिक्कत नहीं आती और वह एक के बाद एक कम प्रयास में ही सफलताएं प्राप्त करता रहता है तो आत्म मुग्धता का शिकार हो जाता है और उसे अपने आसपास के बाकी सभी लोग उसे तुच्छ और बहुत ही छोटे जान पड़ते हैं जिससे चलते वह घमंडी स्वभाव का हो जाता है और यह भी कि जब ऐसे व्यक्ति के जीवन में कभी असफलता आती है तो वह उसका सामना नहीं कर पाता और बहुत जल्दी टूट जाता है क्योंकि उसने परेशानियों को झेलना नहीं सीखा और व्यक्ति के व्यक्तित्व की असली पहचान बुरे दौर में ही होती है अच्छे दौर में तो सभी जीवन यापन ठीक प्रकार से करते ही रहते है पता तभी चलता है जब आना अनायास ही कोई परेशानी खड़ी होती है और आदमी उससे घिर जाता है ऐसे समय में वही लोग सफलता के साथ बाधाओं को पार कर पाते हैं जिन्होंने अपने जीवन में विफलताओं का दौर भी देखा और उन से बाहर निकलना अपने प्रयासों के द्वारा सिखा है ऐसे व्यक्ति आत्मिक रूप से बहुत मजबूत होते हैं उनका आत्मबल बहुत ऊंचा होता है और संकट के समय भी उनका व्यवहार बहुत सुंदर और सामान्य ही बना रहता है अनावश्यक रूप से वह किसी पर दोषारोपण नहीं करता इस प्रकार मैं कह सकता हूं कि सफलता से ज्यादा विफलता ही हमें सिखाती है
- प्रमोद कुमार प्रेम
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
सफलता और विफलता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं । ऐसा देखा गया है कि सफलता मनुष्य को अहंकारी बना देती है ।अगर किसी को सफलता पर सफलता मिलती चली जाए तो ऐसा मनुष्य दूसरों को कुछ नहीं समझता ।इसका अर्थ यह नहीं कि कोई व्यक्ति सफल हो ही नहीं ।आकाश को छूने की अभिलाषा के साथ यह भी याद रहे कि पांव जमीन पर ही रहें।दूसरी ओर अगर कोई व्यक्ति असफल होता है और वह अपने सकारात्मक दृष्टि के कारण असफलता से कुछ सीखता है ।घबराता नहीं भयभीत नहीं होता बल्कि पहले से भी अधिक प्रयास करता है ।और आगे बढ़ने के लिए फिर कटिबद्ध होता है तब यह निश्चित है कि सफलता उसके कदम चूमेगी। ऐसे कितने ही उदाहरण हमें इतिहास में देखने को मिलेंगे जिन्होंने असफल होने के बाद भी हार नहीं मानी । और एक दिन सफल हुए ।सफलता वरदान है अगर सफलता के लिए हमारा हृदय अहोभाव से भरता है।और अगर विफलता मिलती है तो उसके लिए भी हमारे भीतर धन्यवाद उठे। यह भाव हमारे लिए सहायक होगा। हम पूरी शक्ति लगाकर सीखने के पथ अग्रसर होंगे।क्योंकि विफलता हमें जगाती है, हमें सचेत करती है और हमें परिष्कृत करती है ।इसलिए विफल होने पर जीवन में और अधिक सजगता व समर्पित भाव से किसी भी कार्य को उसके लक्ष्य तक पहुंचा सकते हैं ।
- चंद्रकांता अग्निहोत्री
पंचकूला - हरियाणा
असफलता ही सफलता का मार्ग प्रशस्त करती है। सभी के जीवन में एक ऐसा समय आता है जब सभी चीजों आप के विपरीत हो रही हो और हर तरफ से आपको निराशा मिल रही हो चाहे आपकी कोई योजना हो या फिर कुछ और काम। आप जीवन के उस मोड़ पर खड़े होते हैं जहां सब कुछ आप के विपरीत चल रहा होता है। चाहे यह कोई सॉफ्टवेयर हो सकता है जिसे सभी के द्वारा रिजेक्ट कर दिया गया हो या फिर आपका कोई फैसला हो सकता है जो बहुत ही गलत साबित हुआ हो लेकिन सही मायने में विफलता सफलता से अधिक महत्वपूर्ण होती है। हमारे इतिहास में जितने भी बिजनेसमैन, वैज्ञानिक और महापुरुष हुए हैं वो जीवन में सफल बनने से पहले लगातार कई बार असफल हुए हैं। जब हम बहुत सारे काम कर रहे हो यह जरूरी नहीं कि सब कुछ सही होगा, लेकिन अगर आप इस कारण से प्रयास करना छोड़ देंगे तो जीवन में कभी सफल नहीं हो सकते। उदाहरण के तौर पर हेनरी फोर्ड जो बिलेयनेर और विश्व प्रसिद्ध फोर्ड कंपनी के मालिक है। सफल होने से पहले 5 बार दूसरे बिजनेस में असफल हुए थे और कोई होता तो 5 बार अलग-अलग बिजनेस में असफल होने और कर्ज में डूबने के कारण टूट जाता। लेकिन फोर्ड ने ऐसा नहीं किया और आज वे विलिनेयर कंपनी के मालिक हैं। अगर विफलता की बात करें तो थॉमस अल्वा एडिशन का नाम सबसे पहले आता है। लाइट बल्ब बनाने से पहले उन्होंने लगभग एक हजार बार विफल प्रयोग किए थे। आज लोग अपने भाग्य और परिस्थितियों को कोसते हैं अगर एडमिशन खुद को अनलकी समझते और प्रयास करना छोड़ देते तो विश्व एक बहुत बड़े अविष्कार से वंचित रह जाता। असफलता तो सफलता की एक शुरुआत है। इससे घबराना नहीं चाहिए बल्कि पूरे जोश के साथ फिर से प्रयास करना चाहिए। सफल होने के कई रास्ते हैं और यह आप पर निर्भर करता है कि आप किस रास्ते को चुनते हैं सफल होने के लिए आपको असफलता से घबराने की जरूरत नहीं है। आपकी इच्छा शक्ति और मानसिक स्थिति दृढ़ होनी चाहिए। तब सफलता मिलनी तय है। देश में लोकसभा, विधानसभा, नगर, ट्रेड यूनियन, निगम और पंचायत चुनाव होते हैं। लोग चुनाव में खड़े होते हैं लेकिन जीत किसी एक की ही होती है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता कि चुनाव लड़ने वाला और हार का सामना करने वाला नेता दोबारा प्रयास नहीं करता है। लगातार कई बार चुनाव हारने के बाद भी लोग चुनाव में सफल होते हैं। इसी तरह युवा वर्ग किसी प्रतियोगिता में शामिल होते हैं जिसमें कई लोग पहली बार में ही सफल हो जाते हैं, लेकिन कई ऐसे भी होते हैं कि लगातार कई बार प्रयास करने के बाद सफल होते हैं। इसलिए असफलता से घबराने की जरूरत नहीं है। निरंतर प्रयास करने से ही आपको सफलता मिलेगी।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर -झारखंड
सफलता सभी को अच्छी लगती है। विफलता मैं व्यक्ति मायूस होता है दुखी होता है। सफलता विफलता दोनों पर हमारे कर्म का प्रभाव होता है। सफलता से हानि भी है सफलता में कभी-कभी व्यक्ति अभिमानी हो जाता है। लेकिन विफलता से लाभ भी है। हमें अपनी गलतियां सुधारने का अवसर मिलता है। विफलता से हमारी कार्यक्षमता का मूल्यांकन होता है। सफलता विफलता हमारे कर्मों पर निर्भर हैं हमारे कर्म अच्छे या बुरे कैसे हैं। अच्छे कर्म सफलता की ओर ले जाते हैं बुरे कर्म विफलता की ओर ले जाते हैं। सफलता में कभी-कभी हम गलत मार्ग भी पकड़ लेते हैं इसलिए जीवन में विफलता का होना भी भी अति आवश्यक है। विफलता हमें अच्छे कार्यों की ओर अग्रसर करती है।
- पदमा ओजेंद्र तिवारी
दमोह - मध्य प्रदेश।
आज का विषय बहुत शिक्षा प्रद है असफलता या विफलता ही हमें जोश व होश में लाती है।कई बार हम देखते हैं कि हर बार की सफलता इंसान के व्यवहार में अजीब सा परिवर्तन ला देती है वह थोड़ा अभिमान में भी आ जाता है परन्तु वहीं यदि वह किसी कार्य को करते समय विफल हो जाता है तो उसे सफलता के गुण व आए परिवर्तनों के अवगुणों की परिभाषा समझ आ जाती है अतः हर व्यक्ति में कुछ कमियां होती हैं वह कमिया दृष्टिगोचर व सुधार एक असफता ले आती है।।।
- ज्योति वधवा "रंजना"
बीकानेर - राजस्थान
जी हाँ, अक्सर लोग सफलता पाकर अंहकार के शिकार हो जाते हैं ; वहीं विफल मनुष्य अपनी विफलता का कारण ढूँढ़ता है ,और पूरी ऊर्जा से पुनः प्रयास करता है । इससे जितना सीखा जा सकता है उतना सफलता से नहीं ।
ठोकरें खाकर कुछ व्यक्ति बिखर जाते हैं और कुछ व्यक्ति निखर जाते हैं । अपनी कमियों को ढूंढकर उस पर कार्य करना चाहिए तभी परिणाम आशानुरूप होगा ।
जितने भी सफल व्यक्ति हैं, वे सभी कई बार असफल हुए ,परन्तु उन्होंने हार नहीं मानी । उदाहरण के लिए हैरी पॉटर काल्पनिक उपन्यास के लेखक जे के रोलिंग को 20 प्रकाशकों ने यह कहकर लौटा दिया था कि इसमें कोई दम नहीं है । पर उन्होंने हार नहीं मानी । वे बार- बार प्रयास करते रहे ।
हम सभी जानते हैं कि 21 बार वे सफल हुए । उनका उपन्यास सर्वाधिक पढ़ा जाने वाला उपन्यास बना । हर आयु वर्ग के लोगों ने उसे पसंद किया ।
अतः विफलता कोई अभिशाप नहीं है , यह तो केवल ये बताती है कि आपको अभी और परिश्रम की आवश्यकता है ।
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश
जरूरी नहीं है कि कोई भी विफलता से सीखता है जो हारा हुआ इंसान कैसे दूसरों को विजय सिखा सकता है। जो विजयी होता है वही व्यक्ति दूसरों को विजयी बनाता है अर्थात जो जैसा होता है, वह हमेशा अपना जैसे बनाता है जो व्यक्ति ज्ञानी है वह दूसरों को ज्ञान की प्रेरणा दे सकता है जो व्यक्ति अज्ञानी है। वह दूसरों को ज्ञान कैसे दे सकता है उसके पास खुद ज्ञान नहीं होता है इसी तरह है जो व्यक्ति सफल व्यक्ति है वही दूसरों को सफलता का राह बताएगा ,जो व्यक्ति असफल हो गए वह हमेशा विफलता का रास्ता बताएगां अगर कोई व्यक्ति सफल हो गया है तो उसे सफलता की ओर आने के लिए प्रेरित कर सफल का मार्ग बताइएगा या सफल व्यक्ति सफलता का राह बताता है।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
सफलता और विफलता दोनों ही इंसान को सिखाती ही रहती है सफलता से प्रोत्साहन मिलता है तो आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है लेकिन विफलता भी कभी-कभी लोगों को इतना निराश कर देती है कि वह आगे सीखने की प्रक्रिया से अपने आप को पीछे कर लेता है विफलता सिखाती अवश्य है लेकिन इसमें एक निराशा की भावना भी छिपी रहती है और सफलता में इतना प्रोत्साहन रहता है कभी-कभी इंसान आगे बढ़ने के प्रयास नहीं करना चाहता है क्योंकि अपने ऊपर इतना ज्यादा विश्वास पैदा कर लेता है कि मैं जो करूंगा तो सही करूंगा तो यह निर्भर करता है व्यक्ति की मानसिक स्थिति पर कोई व्यक्ति विफलता से सीखता है और कोई असफलता से सीखता है लेकिन कहीं न कहीं विफलता आने के बाद इंसान अगर उस मार्ग को छोड़ता है तो उसके सामने कोई नया मार्ग अवश्य आता है इसलिए यह कथन बिल्कुल ही सही है की सफलता से ज्यादा विफलता सिखाती है
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
यह सत्य है कि असफलता ही सफलता की कुंजी है l
असफल व्यक्ति अपने आगे के जीवन में असफलता के जाल से नहीं निकल पाते और पुरानी नाकामयाबियों के बारे में चर्चा करते रहते हैं l वे मानसिक रूप से भूतकाल में रहते हैं और पुराने दुखों में ही जीते हैं l
इसके विपरीत जिन लोगों ने असफलता पाने के बाद सफलता प्राप्त की, वे भविष्य के बारे में आशाजनक बातें करते हैं l वे पुरानी गलतियों से ली गयी शिक्षाओं को अपनाकर सारा प्रयत्न भविष्य में प्राप्त होने वाले उद्देश्य पर केंद्रित करते हैं l वे सदैव अपनी सफलता के बारे में बात करते हैं और पुरानी असफलताओं या पीड़ाओं को उन्होंने पिछले दरवाज़े में बंद कर दिया l उनकी आँखों में उन्नति के शिखर पर पहुँचने की चाह भरी चमक रहती है l
सफलता और असफलता के मध्य एक विशेष गुण, जिसका मानसिक शांति से घनिष्ठ संबंध होता है l
स्पष्ट है जो लोग दूसरों के प्रति ईर्ष्या या द्वेष रखते हैं उनको मानसिक शांति नहीं मिलती और उनके जीवन की मधुरता नष्ट हो जाती है l
असफलता तो सफलता को फूटी आँख देखना भी पसंद नहीं करतीl जबकि सफलता पाने वाले अन्य लोगों की प्रसन्नता करने के किसी भी अवसर को नहीं चूकते l उनके मन में ऐसे लोगों से कुछ नया सीखने की इच्छा रहती है l उनका रवैया हमेशा रचनात्मक होता है l
चलते चलते ---
1. अपने जीवन उद्देश्य को जानना और उसे प्राप्त करने के लिए ढृढ़ आत्मविश्वास रखना, यही है सफलता की ओर पहला
कदम l
2.मानसिक शांति को भौतिक सफलता या धन से नहीं खरीदा जा सकता l
- डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
मेरे विचार में सफलता से ज्यादा विफलता ही सिखाती है। दौड़ में दूसरे नम्बर पर आने वाला अपने को प्रथम स्थान पर न पाकर विफल ही समझता है अतः वह अगली प्रतियोगिता के लिए स्वयं में सुधार लाने के प्रयास करता रहता है। निरन्तर प्रयासों से कोई प्रथम स्थान पर भी आ सकता है। हालांकि द्वितीय स्थान पर आना भी एक प्रकार से सफलता ही थी। इस प्रकार की सफलता भी सिखाती है। यही स्थिति तृतीय व अन्य स्थानों पर आने वाले खिलाड़ियों की रहती है। महान क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर की हर सफलता पर उनके कोच दिवंगत श्री रमाकांत आचरेकर जी ने कभी भी संतुष्टि प्रकट नहीं की जिसे सचिन ने अपनी विफलता ही गिना और अधिक मेहनत करते रहे। यहां यह कह सकते हैं कि सफलता कभी-कभी आगे सीखने का रास्ता बन्द कर देती है। इस संदर्भ में फिर यही सिद्ध होता है कि विफलता सफलता से ज्यादा सिखाती है।
- सुदर्शन खन्ना
दिल्ली
सफलता व्यक्ति को प्रसन्नता भी प्रदान करती है और एक नशा भी .सफलता से व्यक्ति यदि सीखे तो बहुत अच्छी बात है पर अक्सर सफलता व्यक्ति को घमंडी बना देती है और व्यक्ति आगे तरक्की नहीं कर सकता
कहा जाता है की विफलताएं सफलता का स्तम्भ होती हैं .विफलता व्यक्ति को अपनी कमियों को ढूंढने व आत्मविश्लेषण करने पर मजबूर कर देती हैं व व्यक्ति को और बेहतर करना सिखाती हैं .....विफलताओं के पश्चात प्राप्त सफलता बहुत मीठी होती है व आत्मिक सुख प्रदान करती है
सहज प्राप्त सफलता से व्यक्ति सीखता नहीं क्यूंकि उसमें व्यक्ति का परिश्रम नहीं होता और विफलता परिश्रम का प्रतीक होती है .....गिरकर उठनेवाला ही ऊँचाईओं को छूता है !!
- नंदिता बाली
सोलन - हिमाचल प्रदेश
मेरा जहाँ तक का अनुभव है,सफलता ही ज्यादा सिखाती है।इसका कारण सफलता मिलने से जो सुखद अनुभूति मिलती है, अपनों और अन्य से जो प्रशंसा मिलती है, उससे सकारात्मक ऊर्जा मिलती है, मन उत्साहित होता है और यही पल स्वतः के लिए प्रेरणास्रोत बन जाते हैं। मन में ललक, स्फूर्ति और जोश भरते हैं, जिससे और... और आगे बढ़ने का हौसला देता है।
इसके विपरीत विफलता से मन निराश और हताश हो जाता है। उत्साह ,ललक और हिम्मत कमजोर पड़ने लगती है। यह समय इतना संवेदनशील होता है कि यदि अपनों का सहयोग और सद्भाव न मिला तो यह मनमस्तिष्क को बुरी तरह प्रभावित करती हैं और विकास के मार्ग को बाधित करती हैं।
यह सिखलाया जरूर जाता है कि विफलता से निराश नहीं होना चाहिए, परंतु इसके साथ अन्य पहलू भी होते हैं, जिन्हें ऐसे समय गंभीरतापूर्वक अमल करना जरूरी होता है, विशेषकर स्वतः का आत्मविश्वास और अपनों से हौसलाअफजाई। यदि इनका अभाव या कमी रही तो लगातार मिलती विफलताएं झिंझोड़कर रख सकती हैं।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
मानव जीवन पर्यंत सीखता है सीखना नैसर्गिक गुण है
यदि आप जीवन में किसी भी क्षेत्र में बहुत अधिक सफल होते हैं तो उत्तम बात है यदि बहुत अत्यधिक मेहनत के बाद भी आप बार बार असफल होते हैं
तो भी हर बार एक नया अनुभव होता है अपनी कमियों को दूर करने और उसके कारण खोजते हैं फिर दुगने उत्साह, आत्म बल के साथ आत्म निर्भर भी होते हैं और परिपक्वता आती है अनुभव का विस्तार सतत होता रहता है सफलता और विफलता एक नदी के दो किनारे जैसे साथ साथ ही चलते हुए जीवन पथ में मानव को
सीख देते हैं जिंदगी के मैदान में कदम रखने के बाद ही यह अनुभव प्राप्त होता है । विफलता भी जीवन को समझने सीखने की अनुभवी किताब है ।
- आरती तिवारी सनत
दिल्ली
सफलता और विफलता को मापदंडों में बांधना आसान नहीं। अलग-अलग परिपेक्ष्य में सफलता /विफलता के मायने बदल जाते हैं। कोई दो वक्त की रोटी कमाने को भी अपनी सफलता मानता है और कोई जिंदगी की सारी सुख-समृद्धि पाने के बाद भी निराश रहता है और अपने को असफल मानता है। सफलता हमें सुख-समृद्धि और सुकून देती है वहीं दूसरी तरफ विफलता हमारे अंदर एक जूनून और जुझारूपन का जज़्बा पैदा करती है जो अंततः हमें सफलता की ओर ले जाती है। बहुत बार सफलता हमें आरामतलब और दम्भी बना देती है और हम एशो-आराम के भूल-भुलैया में खो जाते हैं और कुछ भी नया नहीं सीख पाते। वही दूसरी ओर विफलता एक सख्त शिक्षक की तरह हमारे निराश मन को झकझोर कर जगाती है और पुनः दुगुनी परिश्रम के लिए प्रोत्साहित करती है।अगली बार के प्रयास में हम अपनी गलतियों को सुधार करते हुए अपनी लक्ष्य की ओर बढ़ते हैं और अंततः सफलता पाते हैं। आखिर में ये कहना चाहूंगी कि असफलता मिलने पर हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए बल्कि अपनी त्रुटियों को सुधार करते हुए तब तक कोशिश करते रहना चाहिए जब तक सफलता हासिल न हो जाए।
- संगीता राय
पंचकुला - हरियाणा
हर इंसान अपने जीवन में बहुत सी गलतियां करते हैं और असफल होते हैं।अगर आप निरंतर प्रयास करते हैं तो असफल बुरी बात नहीं है बल्कि अच्छी बात है ।
हर सफल व्यक्ति ने माना है कि *असफलता सफलता तक पहुंचने का पहला कदम है।*
लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम गलतियों से सबक लें। हमें जरूरत है गलतियों को समझने की ताकि आगे सुधार लें।
१) असफल होने के बाद सब कुछ समाप्त नहीं हो जाता। असफलता जीवन का हिस्सा है।
२) अपने नाकामयाबी को स्वीकार करें। जो बीत गया वह आपका अतीत था, उससे सीखे और उससे आगे बढ़ो।
३) आपको अपने अंदर बदलाव की जरूरत है ना कि संसार को बदलने की। असफलताओं के लिए हम स्वयं जिम्मेदार होते हैं।
४) असफलता का अनुभव ले और अधिक साहसी बने।
५) अपने सपनों का पीछा करें। असफलता यह दर्शाती है कि व्यक्ति सफलता की ओर आगे बढ़ रहा है आगे चलकर सफल होना ही है।
६) कोई भी इंसान पूर्णतया कुशल नहीं होता है।
*कोई भी आपको तब तक नहीं हरा सकता जब तक आप खुद से ना हार जाओ*।
लेखक का विचार:-इस दुनिया में कोई भी व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में ऐसा नहीं होगा जो कि बिना किसी कठिनाईयो और असफलताओं के बिना सफल हुआ है। आप असफलता के सीढ़ी पर रखकर सफलता की ओर आगे बढ़ते हैं । समय सबसे मूल्यवान है
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखण्ड
विफलता सफलता की पहली सीढ़ी है। सफलता की सीढ़ी के शिखर पर पहुँचने के लिए विफलता की सीढ़ियों का सहारा लेने से रास्ता आसान हो जाता है विफलता सफलता का मूल मंत्र सिखाती है।
जब हम किसी काम में विफल होते हैं तो हम सोचने के लिए मजबूर हो जाते हैं कि कौन से कारण हो सकते हैं कि हम विफल हुए।चिंतन मनन के बाद हम उन गलतियों को सुधारने की कोशिश करते हैं। इस तरह विफलता हमारा मार्गदर्शन करतीं हैं। विफलता इस बात का सबूत होती है कि हम ने कुछ करने की कोशिश की है। यह जीवन में निर्णय लेने के काबिल बनाती हैं। विफलताएं हमें संक्रिया रखती हैं, नया जोश भरती हैं और परिपक्व बनाती हैं। सफलता एक मंजिल है तो विफलता मील पत्थर है। जैसे अंधेरे होने पर उजाले का महत्व पता चलता है उसी प्रकार विफलताओं से सफलता के महत्व का पता चलता है।
- कैलाश ठाकुर
नंगल टाउनशिप - पंजाब
एकदम सही बात सफलता से ज्यादा विफलता ही सिखाती है। सफलता केवल मेहनत करना ही सिखाती है। लेकिन विफलता हमें बहुत कुछ सिखाती है जिस सिख से हम तो सबक ले ही सकते हैं बल्कि उससे दूसरे भी सीख सकते हैं। विफल होने पर हिम ये जान सकते हैं कि गलतियां कहाँ कहाँ हुई हैं। क्या -क्या करना चाहिए क्या-क्या नहीं करना चाहिए। इन सबके बारे में पूर्ण जानकारी मिल जाती है। और वो गलती हम फिर दुबारा नहीं कर पाते हैं।
विफलता हमें बताती है कि सफलता के लिए और क्या-क्या करना चाहिए। कैसे करना चाहिए।विफलता बताती है कि सफलता के लिए किस समय पर किस तरह की तैयारी करनी चाहिए। विफलता से हम सीखते हैं कि सफलता न मिलने का कारण क्या है। कहाँ चूक हुई है कहाँ गलती हुई है।इत्यादि बहुत सारी बातें हम सीख जाते हैं।
इस तरह हम कह सकते हैं कि सफलता से ज्यादा विफलता सिखाती है।
- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश"
कलकत्ता - प.बंगाल
जी ऐसा कह सकते हैं। सफलता प्राप्त हो जाने पर एक तरह से इंसान निश्चिंत हो जाता है। जिस उद्देश्य को लेकर कार्य को प्रारंभ किया था उसकी पूर्णता प्राप्त होते ही कार्य विराम लग जाता है। किंतु विफल होने पर इंसान लगातार कार्य की सफलता हेतु प्रयासरत रहता है और हर तरह के उद्यम करता रहता है। इससे उसे नए अनुभव मिलते हैं। नई नई चीजों की जानकारी होती हैं। भूगर्भ ज्ञान एवं विज्ञान इस बात का साक्षी है। जब जब भी किसी चीज की खोज करने का प्रयास किया गया तब कुछ अन्य चीजें या पदार्थ प्राप्त हुए हैं। देर सवेर इच्छित वस्तु तो मिल ही जाती है किंतु मार्ग में अन्य चीजें तथा उनकी जानकारी भी उपलब्ध हो जाती है। तरह-तरह के प्रयास कई तरह के हुनर भी सिखाते हैं। अतः कह सकते हैं की सफलता से ज्यादा विफलता सिखाती है।
- श्रीमती गायत्री ठाकुर "सक्षम"
नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
जीवन में हमेशा उतार-चढ़ाव आते-जाते रहते हैं। जिसने अपनी इंद्रियों को बस में कर लिया तो उसे हर पल खुशी ही दिखाई देती हैं। त्याग, बलिदान और देशभक्ति ही सिखाती हैं जीवन में आनंद ही आनंद उठाते हैं और अनन्त समय तक चलता रहता हैं । जब तक किसी भी तरह की कोई विफलताओं का सामना नहीं करना पड़ता हैं, तब तक उसे अपनी बुद्धि का पता ही नहीं चलता और स्वविवेक पुनः आत्मविश्वास के साथ ही साथ जीवन यापन कर जीवित अवस्था में रहता हैं। जीवन-साथी, घर-संसार, समसामयिक, राजनैतिक, अन्य रचनात्मक कार्यों में लिप्त हो कर, कभी सफलता मिलती हैं, कभी विफलताओं का सामना करना पड़ता हैं, तो कभी विफलताओं के बाद सफलता। ऐसे कई-कई प्रकार की घटनाओं से ही शिक्षा मिलती हैं, साथ ही आने वाली पीढ़ियों को अपने विवेक से ही चलना चाहिए ताकि भविष्य में कोई दुष्परिणाम सामने नहीं आये।
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
बालाघाट - मध्यप्रदेश
प्रथम तो मैं यही कहना चाहूंगी कि दोनों बहनो का चोली दामन का साथ है !यदि हमें हमारे लक्ष्य जो हम चाहते हैं में ,सफलता प्राप्त होती है तो हमें बहुत खुशी होती है ! हम आगे बढने का साहस करते हैं !हमारी सोच भी सकारात्मक होती है, आत्मविश्वास बढ़ता है यह सब सफलता मिलने से आना स्वाभाविक है किंतु हम यह नहीं कह सकते कि असफलता मिलने से हमारा आत्म विश्वास टूटता है या हम नकारात्मक सोच की ओर बढते हैं ऐसा नहीं मानती चूंकि कहीं न कहीं असफलता ही हमे पूर्ण सफलता देती है ! असफलता हमारे अनुभव का रुप ले लेती है और दोबारा प्रयास करते समय जिस गल्ती की वजह से वह असफल हुआ है वह पुनः नहीं दोहराता ! विज्ञान के इस युग में हमे जितनी भी खोज हुई है ,उपलब्धियां मिली है वह क्या ऐसे ही मिली है असफलता मिलने पर उन्होने हार नहीं मानी उनके पुनः प्रयास पे प्रयास का परिणाम है ! माना असफलता मिलने से थोड़ी उदासी जरुर आती है चूंकि हमे दुबारा मेहनत करनी पड़ती है किंतु हमें अनुभव के रुप में ब्याज भी तो मिलता है !
अतः जीवन में हमारे साथ सफलता और असफलता समानांतर चलती है!दोनो ही हमे समय के अनुसार सिखाती है !
- चंद्रिका व्यास
मुंबई - महाराष्ट्र
सीखना एक सतत प्रक्रिया है जो आजीवन चलती है। इसमें सफलता अधिक सिखाती है या विफलता यह कहना बेमानी होगा। यह तो सीखने वाले पर निर्भर है कि वह वह परिस्थिति को सकारात्मक ले रहा है या नकारात्मक। एक ही परिस्थिति दो अलग-अलग लोगों के लिए उनकी मनोदशा के अनुसार अलग-अलग हो सकती है। सफलता विफलता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। हैं तो विपरीत पर रहेंगे साथ, तभी तो होगा सिक्के का महत्व। इसलिए किसी भी एक का महत्व कम मानना ही नहीं चाहिए। फिर जिससे भी हम सीख रहे हैं तो वो हमारे लिए उपयोगी ही है। सफलता का जोश हो या विफलता की हताशा दोनों ही कुछ न कुछ तो सिखाते है। इसमें सीखना प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों ही रुप में चलता रहता है।जिस प्रकार जीवन सुख दुख का संगम है,उसी प्रकार सीखना सफलता, विफलता का संगम है। आजीवन चलते रहने वाली, यह प्रक्रिया सीखना, सफलता या विफलता ही नहीं, यथास्थिति रहने पर भी नहीं रुकती।
- डॉ. अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
असफलता ही इंसान को सफलता का मार्ग दिखाती है। जीतने वाले कभी हार नहीं मानते और हार मानने वाले कभी जीत नहीं सकते। सभी के जीवन में एक ऐसा समय आता है जब सभी चीजें हमारे विरोध में हो रही हो और हर तरफ से निराशा मिल रही हो।
इतिहास के दर्ज घटनाओं में भी बड़े-बड़े महापुरुष या साइंटिस्ट शुरुआती दौर में असफल रहे पर अपने मेहनत, लगन और प्रयास के कारण सफलता हासिल की।
एडिशन और आइंस्टीन जैसे महान वैज्ञानिक अगर अपनी असफलता और कमजोर दिमाग को मान कर बैठ जाते तो आज महान प्रतिभा और आविष्कारक में उनका नाम दर्ज नहीं होता।
सफलता हमें कुछ बातें सिखाती हैं लेकिन विफलता एक पूर्ण टीचर की तरह हमें ढेरों सीख दे जाती है। विफलता को लेकर ज्यादा चिंतित होने के बजाय हम चिंतन करते हैं कि हमारी विफलता हमारे काम करने के तरीके उनके अभ्यास करने के तरीकों की विफलता है।
जब हम अन्य रास्तों और संसाधनों के बारे में सोचते हैं और अमल करते हैं तब समाधान नजर आने लगता है। विफल होने पर उस काम को करने के नए तरीके आजमाते हैं और सफलता प्राप्त करते हैं।
यह भी सच है कि सफलता हमें खुशी देती है और विफलता मायूसी और हताशा प्रदान करती है पर विफलता के बाद हम आगे की नई योजना तैयार करते हैं उसमें सफलता को लेकर हमारी सोच, नजरिए में पूर्ण रुप से बदलाव होता है और सफलता हेतु सुधार पर ध्यान गंभीरता से देते हैं। इस तरह कह सकते हैं कि वास्तव में सफलता से ज्यादा हमें विफलता सिखाती है।
- सुनीता रानी राठौर
ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
आइयै आज जानते हैं हर सफलता के पीछे विफलता का हाथ होता है, या ज्यों कह लेते हैं सफलता से ज्यादा विफलता सिखाती है, क्योंकी इस दूनिया मैं कोई भी ऐसा इन्सान नहीं होगा जो की विना किसी कठिनाईयों और असफलताओं से सफल सफल हुआ हो, हर कोई असफलता की सीढ़ी पर पांव रखकर ही सफलता तक पहुंच सकता है।
यह सच है,
"गिरते हैं शहसवार ही मैदाने जंग में, वो तिफ्ल क्या गिरेगा जो घुटनों के वल चले"।
कहने का भाव की सफलता तो उसके हाथ ही लगेगी जो असफल होने के लिए हर पल तैयार रहेगा।
यही नहीं असफलता सफलता की शूरूआत है और इससे घवराना नहीं चाहिए, ब्लिक पूरे जोश के साथ फिर से प्रयास करना चाहिए।
सफलता और विफलता केवल कुछ समय तक आती हैंऔर दोनों कुछ सिखा कर ही जाती हैं, जबकि सफलता सिखाती है कठिन परिश्रम से मीठा फल मिलता है और असफलता सिखाती है कमजोरियें को कैसे दूर किया जाता है, हालांकि असफलता से बहुत तकलीफ होती है लेकिन असफलता के वाद सबसे बेहतरीन विकल्प यही है कि सफलता को साकारत्मक रूप में स्वीकार करके गलतियों से सबक लेकर अपने भविष्य को बेहतर बनाएं।
क्योंकी अगर हमको सफलता हासिल करनी है तो विफलता के साथ निपटना होगा तभी हम हीरे की भांती चमक सकते हैं,
सच है,
"चमक रहा हूं सूरज की तरह, तो सब हैरान हैं क्यें मेरी सफलता से, हर रात टकराया हुं मैं इक नई मुसीबत से, सबको दिखा हुनर मेरा, लेकिन किसी ने न पूछा कि जख्मों के निशान हैं क्यों"।
कहने का मतलब कि सफलता के लिए मुसीबतों को भी झेलना पढ़ता है,
असफलता के कारण हार मानना इंसान की सबसे वड़ी बेवकूफी है, असफलता यह सिखाती है कि इंसान सफलता की और आगे वढ़ रहा है, इसलिए असफलता से सीख लें, और अपने लक्ष्य की और आगे बढ़ें,
सच है,
"कौन कहता है, बुने हुए ख्वाव सच्चे नहीं होते, मंजिलें उन्हें नहीं मिलतीं जिनके इराधे अच्छे नहीं होते,
रूखी सुखी रोटी तो बहुत खाते हैं जिन्दगी में लेकिन आज देख रहा हुं, सफलता के फल कभी कच्चे नहीं होते"।
कहने का भाव है कि मन में दृढ़ निश्चय हो तो मंजिल मिल ही जाती है, क्योंकी कठिनाईयां, समस्याएंऔर असफलताएं जीवन की यात्रा का हिस्सा हैं जिनके विना जीवन अधूरा है और जो इन्सान इन सब को झेल कर सफल होता है उसके लिए दूनिया का कोई भी कार्य असंभव नहीं,
इसलिए हर सफलता के पीछे विफलता का हाथ होता है, अत:सफलता से ज्यादा विफलता सिखाती है, अगर हम प्रयास जारी रखें, आखिर यह कहुंगा,
"मंजिल मिल ही जायेगी, भटकते ही सही, गुमराह तो वे हैं जो घर से निकले ही नहीं"।
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
जीवन का हर पक्ष प्रेरणादायी होता है। हर पहलू सिखाता है। सफलता भी सिखाती है विफलता भी सिखाती है ।
हालांकि विफलता तो सफलता से कुछ अधिक सिखाती है।
विफलता का अर्थ ही है कि सफलता का प्रयास पूरे मनोयोग से नहीं किया गया, यह विफलता का पहला सबक भी है। असफलता नहीं राहें दिखाती है, कथन गलत नहीं होगा। असफलता तो सफलता का ही एक भाग होती हैं ।
हमारे जीवन में जो असफलताएं आती हैं वह हमारे नियति का हिस्सा भी होती हैं ।
असफलता से सबक लेना चाहिए।
निराशा की जरूरत नहीं फिर से कोशिश करनी चाहिए क्योंकि असफलता ही इंसान को सफलता का रास्ता दिखाती हैं। असफलता ही सफलता की शुरुआत हुआ करती हैं ,इसलिए कह सकते हैं कि विफलता है सफलता से अधिक सिखाती हैं।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
जी हां। यह कड़वा है परन्तु सच है कि सफलता से ज्यादा विफलता सिखाती है। जैसे गिर-गिर कर घुड़सवार होना घुड़सवारी सिखाता है।
वैसे जीवन में यूं तो सफलताएं हर किसी के हिस्से में आती ही नहीं और यदि आती भी हैं तो उनकी संख्या ज्यादा नहीं होती। इसलिए जीवन में सफलताओं के लिए किए प्रयासों में मिली विफलताओं का संग्रह असंख्य हो जाता है। वही संग्रहालय भविष्य की धरोहर बन कर उभरता है। जो दूसरों के लिए मार्गदर्शन का आधार बन जाता है।
जिससे स्पष्ट हो जाता है कि सफलता से ज्यादा विफलता सिखाती है और वही विफलताएं जीवन के सम्पूर्ण सार्थक जीवनचक्र को अंततः सफलता में परिवर्तित करती हैं।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
हम जीवनपर्यंत अनवरत सीखते हीं रहते हैं। दोनों हीं बात एक सिक्के के दो पहलू के समान होते हैं । एक दूसरे के पूरक भी कभी -कभार बन जाते हैं। हां, ये बात बहुत हद तक सही है कि विफलताओं से व्यक्ति पुनः नयी जोश के साथ सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ना चाहता है। सीखते हम दोनों हीं परिस्थितियों में हैं, अगर सफल होते हैं तो भी आगे और भी सफ़लता प्राप्त हेतु बढ़ते हैं और विफल होते हैं तब भी आगे सफलता हेतु प्रयासरत होते हैं। यह तो मनुष्य का स्वभाव हीं होता है कि वह रूके नहीं थमे नहीं और आगे हीं बढ़ता जाये। इसलिए हम यह निश्चित रूप में कह सकतें हैं कि सफ़लता से ज्यादा विफलता सिखाती है।
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार
सफलत और विफलता दोनों ही हमारे कर्मों का फल है जब हम अपने कर्म के प्रति पूर्ण समर्पित होते हैं हमें सफलता मिलती है थोड़ी लापरवाही असफलता का ठप्पा लगा देती है ।सफलता और असफलता स्थाई नहीं है ये तो आती -जाती रहती है ।कर्मशील मनुष्य असफलता पर अपनी कमियाँ खोज कर उसे दूर करने का प्रयास करते हैं और एेसा करने के लिए हमें हमारी आवश्यकता मजबूर करती है ।एक बार घर न बनने पर मकड़ी बार -बार प्रयास कर जाला बुनती है और सफल होती है ,हम तो मनुष्य हैं जिसके पास समझ है ।अतः असफलती ही सफलता का रास्ता खोलती है ।
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
सफलता और विफलता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं । एक की उपस्थिति में ही दूसरी का महत्व है ।
सभी अर्जुन बनना चाहते हैं, कर्ण कोई नहीं । लेकिन ऐसा संभव नहीं है । जीवन में कभी न कभी तो असफलता का सामना करना ही पड़ता है ।
किसी को थोड़े से प्रयास से ही सफलता मिल जाती है तो किसी को कठिन परिश्रम करना पड़ता है । लेकिन कई बार कठिन परिश्रम के बावजूद भी सफलता नहीं मिलती । और बार-बार प्रयास करना पड़ता है ।
कठिन परिश्रम के बाद जब सफलता मिलती है तो उससे भी व्यक्ति बहुत कुछ सीखते हैं । लेकिन विफल होने पर व्यक्ति उसके कारणों पर चिंतन-मनन करते हैं, ऐसी स्थिति में वे बहुत कुछ सीखते हैं । उन्हें अनेक खट्टे-मीठे अनुभवों से गुजरना पड़ता है जो उन्हें परिपक्व बनाते हैं ।
इस प्रकार सफलता से ज्यादा विफलता सिखाती है ।
- बसन्ती पंवार
जोधपुर - राजस्थान
" मेरी दृष्टि में " सफलता का रास्ता विफलता से ही निकलता है । ऐसा बहुत से विद्वानों ने भी देखा होगा । मैंने कई बार ऐसा देखा है और किस तरह से सफलता का रास्ता तैयार होता है ।
- बीजेन्द्र जैमिनी
सार्थक परिचर्चा, सभी के विचारों का स्वागत है ।
ReplyDeleteसफलता प्राप्त होते ही व्यक्ति के कार्यक्षेत्र पर विराम लग जाता है। जिस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए कार्य चालू किया था उसके मिलते ही उद्देश्य खत्म किंतु विफलता मिलने पर व्यक्ति लगातार सकारात्मक सोच से प्रयत्न करता रहता है। क्योंकि बार-बार प्रयास किया जाता है इसलिए कई तरह की जानकारियां मिलती है और वह इच्छित कार्य के अलावा उन सब का भी जानकार हो जाता है। सारी वैज्ञानिक खोजों का आधार यही विफलता है ।जब भी किसी पदार्थ की खोज की गई बदले में कुछ और मिला ।तो नए पदार्थ की जानकारी हो गई। इच्छित वस्तु तो प्रयास करने से मिलती है मगर बीच में जो अतिरिक्त मिल जाते हैं वह ज्ञानवर्धक होते हैं
ReplyDeleteसफलता प्राप्त होते ही व्यक्ति के कार्यक्षेत्र पर विराम लग जाता है। जिस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए कार्य चालू किया था उसके मिलते ही उद्देश्य खत्म किंतु विफलता मिलने पर व्यक्ति लगातार सकारात्मक सोच से प्रयत्न करता रहता है। क्योंकि बार-बार प्रयास किया जाता है इसलिए कई तरह की जानकारियां मिलती है और वह इच्छित कार्य के अलावा उन सब का भी जानकार हो जाता है। सारी वैज्ञानिक खोजों का आधार यही विफलता है ।जब भी किसी पदार्थ की खोज की गई बदले में कुछ और मिला ।तो नए पदार्थ की जानकारी हो गई। इच्छित वस्तु तो प्रयास करने से मिलती है मगर बीच में जो अतिरिक्त मिल जाते हैं वह ज्ञानवर्धक होते हैं
ReplyDelete