गणेश चतुर्थी के अवसर पर ऑनलाइन कवि सम्मेलन

मासिक गणेश चतुर्थी के अवसर पर जैमिनी अकादमी ने साप्ताहिक ऑनलाइन कवि सम्मेलन WhatsApp द्वारा रखा गया है । विषय भी गणेश जी की सवारी चूहा दिया गया है ।सभी ने अपनी - अपनी कलम द्वारा श्रेष्ठ कविताएं पेश की है । जो कविताएं विषय अनुकूल आई हैं । उन सब को सम्मानित किया जा रहा हैं । पेश हैं डिजिटल सम्मान : -
चूहा 
***
नन्हा चूहा गणपत का प्यारा 
बन सवारी चला राज दुलारा l 

कुतर कुतर कर बात है कहता 
कुतर बुराई, दिल से हटाना l 

चम चम करती चमकती आँखें
 खुश रहने का राज बताता l 

बिल में घुसकर भेद है गहरा 
दिल में छुपाये अपने रखता l 

थोड़ी सी आहट पाकर मूषक 
सजग सतर्क वह अरि से रहताl 

 स्वास्थ्य रक्षा हित तैयार दवा हो 
स्वयं परीक्षण है करवाता l 

तीखे दाँत हथियार तुम्हारे 
माया जाल  फंदा है मिटाता l

जय गणेश का वाहन चूहा
घर घर आलस दूर भगाता l 

संग वैज्ञानिक अंतरिक्ष में 
नवाचार का खेल दिखाता l 

मनोकामना करते जब हम 
विघ्न विनाशक तक पहुंचाता l 

तीव्र बुद्धि और चंचल प्राणी
 नियंत्रित गणपत से हो जाता l 

करणी माता के आँगन में
दर्शन देकर, धन्य है करता l 
    - डॉ. छाया शर्मा
 अजमेर -राजस्थान

चूहा
****
 चूहा की महिमा बड़ा अपरंपार,
  बिल बना कर रहता खेत, द्वार।

 सभी का जीना कर देता है हराम,
 भोजन संग्रह कर रहता आराम ।

 फिर भी मन उसका नहीं भरता है ,
कपड़ों को कुतर कतरन करता है।

खाद्य पदार्थ आ कुतर- कुतर कर,
बिलों में संग्रह कर रखता है।

बिल्ली देख छुप-छुप चलता है,
बिल्ली झपने से अंदर घुस जाता है।

 बड़ा चतुर चूहा हाथ में ना आता है,
बिल्ली को चकमा दे बिलों में घुस जाता है। 

चूहा गणेश का सवारी न्यारा है,
गणेश की सवारी मूषक बड़ा प्यारा है। 
- उर्मिला सिदार 
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
चूहा
***

घर में जब भी आता चूहा!
चीजें बहुत कुतर जाता चूहा!

आहट पैरों की पाकर झट से!
बिल में है छुप जाता चूहा!

मम्मी किचेन में जब न होतीं!
रोटियां सारी खा जाता चूहा!

रात गए जब सो जाते हम !
उधम है बहुत मचाता चूहा!

सुनकर बिल्ली मौसी की म्यायुं!
 बिल से बाहर न आता चूहा!!
- मोहम्मद मुमताज़ हसन
  गया - बिहार
चूहे की कमाल
***********

शिकारी के जाल में फस
 गया जंगल का राजा ।
जागरूक जीव जंतु
आम सभा बुलाया 
राजा के मुक्ति के लिए।।
मूसा भाई को अनुरोध किया
काम तुम ही कर सकते हो,
खुशी-खुशी मूसा भाई ने
रात भर में जाल काट कर
राजा को मुक्त कराया।।
सभी लोगदिन में जुलूस
 निकालकर,
जय-जय गणेश वाहन
का नारा दे कर पूरे जंगल में
भ्रमन किया ।
करने के बाद
जंगल राजा ने मूसा को
सम्मानित किया।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखंड
 चूहा
****
चूहा है तो गणेश जी का वाहन
पर है बिल्ली मौसी का भोजन
चूहा है किसान का एक दुश्मन
सांप है इस चूहे का एक दुश्मन
है ये प्लेग का सूचक
नाम है इसका मूषक
घर में कपड़ा कुतरता है
कॉपी किताब भी काटता है
बड़ा ही तेज दौड़ता है
पल में बिल में घुस जाता है
ऊपर से छोटा पर अंदर में बड़ा
इसका अपना घर होता है
उसमें छः माह का भोजन रखता है
छोटा पर है बड़ा बलवान
गणेश जी का सवारी बन
बन गया संग में ये भी महान
एक नाम इसका मुस 
बनी जिससे जाती मुसहर
बना मुहावरा इनपर
सत्तर चूहे खाकर
बिल्ली चली हज को
बड़े काम के ये चूहे
घोटालों के फाइल कुतर
घोटालेबाजों को बचाते हैं
ये चूहे तो हमारे आसपास
घरों और खेतों में रहते हैं
गणेश जी के संग पूजे जाते हैं

- दीनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" 
कलकत्ता - प. बंगाल
चूहा
*****
तू नन्हा सा चूहा ,  लगता बहुत नादान रे
ऐसे लगता तेरे अन्दर वैठा कोई शैतान रे, 
तुझे चिन्ता  किस बात की, जब सबारी तेरी खुद गणेश 
भगवान रे। 

    हर कदम हर पल  करता रहता शैताानी, 
दो दिन में ही कुतर कुतर कर, 
कर दी नई पतलून पुरानी, 
पता नहीं यह शैतानी है या नदानी, 
लगता रहता हर पल तेरे पर इल्जाम रे, तुझे चिन्ता किस बात की, जब सबारी तेरी खुद गणेश भगवान रे। 
     सारा दिन तू खाता रहता, 
भूख तेरी नहीं मिटती, 
छुपा छुपा कर रखीं चीजें, 
तेरे से नहीं छुपतीं, 
कुतर डाले सारे बैड बिस्तर
तेरी लीला नादान रे, 
तुझे चिन्ता किस बात की, जब सबारी तेरी खुद गणेश भगवान रे। 
रसोईघर में तू दौड़ दौड़ के जावे, हर चीज को चख कर तु झूठा भोजन  करबाबे, 
परेशान करके रख दिया तूने नादान रे, तुझे चिन्ता किस बात की सबारी तेरी खुद गणेश भगवान रे। 

करियाणा की दुकान पर भी तू दौड़ दौड़ के जावे
हर  वोरी मे सुराख कर दिए, 
पड़ गए दुकानदार के लाले, 
जाली जन्दरी में भी दिखता तू बलबान रे, 
तुझे चिन्ता किस बात की, 
जब सबारी तेरी खुद गणेश भगवान रे। 

हलबाई के भी तू रोज रोज तड़पाता है, 
लूट फूट मचा कर कितने   लडडू  खाता है, 
रौ रौ के कर दी उसने अपनी दास्तां वयां रे, 
तुझे चिन्ता किस बात की, जब सबारी तेरी खुद गणेश भगवान रे। 
फसलों की भी करता तू खूब कटाई, 
 घर , घर हर गली में तूने लीला रचाई, तंग आ गए तेरे से जमींदार और हलबाई, 
जन्दरी , पिन्जरे भी न आए कोई काम रे, 
तुझे चिन्ता किस बात की, 
जब सबारी तेरी खुद गणेश भगवान रे। 
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
चूहा
****
गणपति जी करते सवारी..
चूहा राजा तुम पर...
सफेद काले और भूरे रंग..
होते हैं कई रंग तुम्हारे...
सब कुछ ही कुतर देते हो...
कुतरना ही काम आपका..
गणेश चतुर्थी व्रत पर्व पर..
होती गणपति जी की पूजा..
संग में आप विराजो..
जहां विराजे गणपति लाला...
लड्डू का भोग लगे गणपति को...
लड्डू तुमको भी है प्यारा...
बड़े-बड़े तुम काम करें...
जहां कोई ना पहुंचे..
वहां पहुंचते मूषक राजा...
खेतों में रहकर जमीन खोखली करते...
खेतों की बाली भी खा लेते..
अन्न का भंडार वहां भरे...
जहां विराजो गणपति संग ..
तुम्हारी पूजा होती जहां...
गणपति जी होते वहां प्रसन्न...
सुख वैभव धनधान्य सब‌‌ संभव..
गणपति के प्रिय सवारी चूहा...
जगत में होते तुम भी पूजित..
बिन तुम्हारे गणपति की पूजा ना होवे..
नहीं बने किसी के तुम्हारे बिन काम...
सर्वप्रथम गणेश पूजन संग चूहा राजा
होती है आपकी भी  पूजा..
कुतर कुतर सब धर देते हो...
 फिर भी हो तुम महान...
गणपति की सवारी चूहा...
सब काम पर भारी चूहा...
गणपति जी ने मान दिया..
जगत में चूहा महान हुआ...
कहलाता चूहा राजा....
गणपति संग विराजे चूहा ....!!!
- आरती तिवारी सनत
 दिल्ली
विनायक और चूहा
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विनायक क्या बताएं आप से हम तो हाथ मलते रह गए।
गीत सूखे पर लिखे थे,
बाढ़ मैं सब बह गए।
भूख महंगाई ,गरीबी इश्क कर रही थी विनायक।
छिपकली और चूहे मेरे घर के मेहमान थे।
मैं भी भूखी थीऔर भूखे मेरे विनायक भगवान भी थे।
पेट में चूहे उछल कूद कर रहे थे। 
रात को कुछ चार चोर आए सोचकर मैं चकरा गया।
हर तरफ देखकर वे घबरा गए।
कुछ भी नहीं मिल सका 
लाइट जलाई चोरों ने मुझसे पूछा अलमारी में क्या रखा है?
मैंने कहा देख लो 4 कहानी, गीत 10 ,और मैं उसे पढ़ने लगी।
क्या करते हैं बेचारे सब उनको सुना डाला मैंने विनायक।
रो रहे थे ,सारे भाव में बहने लगे।
एक सौ का नोट देकर इस तरह कहने लगे।
तुम तो कवियत्री है करुण रस की हम यह जानते तो यहां कभी न आते।
अतिथि को कविता सुनाना यह भयंकर पाप।
हम तो चोर हैं तुम तो बहन डाकू मां हो।
गजानन इस कवियत्री से प्राण बचा लो।
इसका नाम प्रीति है।
-  प्रीति मिश्रा 
जबलपुर - मध्य प्रदेश
 चूहा / मूषक 
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आओ मूषक जी महाराज ।
एकदंत के पंथ सारथी वाहन बनके आओ आज ।
मोदक प्रिय मन मुदित आरोगें ।
तुम्हरी कृपा तो सब सुख भोगें ।।
गति मति पर तेरी हम को सदा सदा रहा है नाज ।
प्रथम पूज्य पार्वती सुत लाला ।
विघ्न विनाशक करत निहाला ।।
श्री गणेश के नाम लेत ही दुर्विघ्न जात सब भाज ।
सुनो लम्बोदर की आप सवारी ।
जाके भक्त की विपति बिडारी ।।
गजकर्ण पिंगलवर्ण प्रभु श्री विघ्नहरण महाराज ।
 मक्खन मन से ही सुमरें स्वामी ।
सिद्धि बुद्धि श्री   गणेश नमामी ।।
शुभ और लाभ आप संग खेलें ऊपर पर्वतराज ।।
- राजेश तिवारी "मक्खन"
झांसी - उत्तर प्रदेश
चूहा 
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चूहे राज बडें सयाने 
खाते खूब दुध मलाई 
गजानन के वाहक चतुराई 
मूषक राज कहलायें भाई !!
गणेश चतुर्थी को उत्सव मनाते 
मिठाईयों का है भोग  लगाते !!
अपनी बिरादरी  को भोज कराते !
वाह वाही भी खूब लुटते !
ना ना प्रकार के मिष्ठान खिला धाक जमाते !!
देंख नजारा गजानन को चढा क्रोध !
चूहें राज पर करवाया गया शोध !!
रिपोर्ट आई बहुत भारी 
चूहे राज पर आई विपदा भारी!!
सिपाही ने आकर खबर सुनाई !
दरबार में हुई चूहे राज की पेशी भाई ! !
चूहों के सरदार ने सवाल किया तुमने सारा प्रसाद गजानन का ग़ायब किया ....
चूहे राज तन कर बोले प्रणाम महाराज ...
मैंने कोई प्रसाद ग़ायब नहीं किया ...
मैंने आप का मान बढ़ाया सम्मान बढ़ाया....
सारा प्रसाद चूहों को खिलाया आपके लिए दुआऐ  व आशिष की झोलिया भरवाई !!
गजानन मंद मंद मुस्कायें 
बोले आगे की कार्रवाई करवायें !!
चूहों के सरदार ने दूसरा सवाल दागा ..
तुम सब पर धाक जमाते हो !
गजानन का रोब दिखा सबको भरमाते हो ! !
चूहे राजा ने भोली सी सुरत बनाई , 
आँखों में आँसू भर आये 
हाथ जोड़ बोला महाराज 
आपका वाहन हूँ ...
सब मेरा सम्मान करते है 
मुझे देख सलाम करते है !!
मैं भी ख़ुश हो तन जाता हूँ 
आपके गुणगान गाता हूँ !!
मेरी क्या औक़ात की धौंस जमाऊ .....
प्रभु यह आपकी महिमा है आपके कारण मेरी भी पूजा होती  है !!
थोड़ा सा सम्मान पा जाता हूँ !
गजानन बहुत ख़ुश हुए चूहे राजा की चतुराई देख ...
खूब हंसे और कहाँ जाओ तुम्हें माफ़ किया ...
अब जब कभी चूहे किसी का नुक़सान करेंगे ...
वह मेरा वाहन है कर के याद करेगें और मुझे मोदक का भोग लगायेगें  ...
उस घर में फिर कभी चुहें नुक़सान नहीं करेगें ! 
चूहों ने जयकारा लगाया
गजानन महाराज की जय 
मूषक वाहन की जय 
चूहों का सरदार चूहे राज की 
चतुराई पर दंग था ! 
गर्दन झुका गजानन के सामने खड़ा था ! 
चूहे राज अपना रथ सजाने लगे 
- डॉ अलका पाण्डेय
 मुम्बई - महाराष्ट्र
 चूहा
*****

बुद्धि का परिचायक है चूहा
सवारी है जननायक की चूहा
तीखे दांत होते हैं इसके ऐसे
मजबूत जाल भी काटता चूहा
इस माया रूपी सभी जंजालों को
काटता है बुद्धि का प्रतीक चूहा
आध्यात्मिक है और व्यावहारिक
सवारी गणपति की इसलिए चूहा
छोटी आकृति पर भारी दिमाग
शत्रुओं की शान ठिकाने लगाता चूहा ।
- प्रो डॉ दिवाकर दिनेश गौड़
गोधरा - गुजरात
 चूहा 
****

तुम कुतर कुतर सब खा जाते हो ,
फिर मूषक बन गजानन के ,
आगे जाकर बैठ जाते हो ,
कुछ भगाते हैं कुछ पूजते हैं ,
तुम मोदक की आड़ में छुप जाते हो ,
कहो कैसे इतना सब करते हो ,
फसल को चखने आते हो ,
या वितरित कर कुछ पुण्य ,
तुम भी कमाने की सोचते हो ,
गणेश की मूरत के आगे ,
तुम कितने प्यारे लगते हो ,
पर अपना असली रूप तो ,
कोनों में ही दिखलाते हो ,
पता नहीं किससे डरते हो ,
खुले में शांत रहते हो ,
फिर मिल जाए कुछ तो ,
छोटे बड़े रूप में भी ,
अपना सारा दम लगा देते हो ,
कहो कैसे तुम ,
गणपति के मूषक से ,
चूहा बन फिरते रहते हो ।
- नरेश सिंह नयाल
देहरादून - उत्तराखंड
हे गणेश के वाहन
***************

  हे बुद्धि विधाता के साथी
अतुलित याददाश्त के स्वामी
     हे चूहे मूषकराज तुम्हें नमन।। 

अद्वितीय फुर्तीली चाल तुम्हारी
    दुनिया जाए तुम पे वारी
         पल ही पल में कर देते साफ सूपड़ा थाली
     हे गणेश के वाहन 
          हे चूहे मूषकराज तुम्हें नमन।। 

सीखा सैनिक ने तुमसे
 है बंकर सीमा पर बनाना
     अतुलित कला तुम्हारी 
हे बिल के आर्किटेक्चर
हे भवन खंगालने वाले 
   हे चूहे मूषक राज तुम्हें नमन।। 

जहाँ तुमने सेंध लगाई
    वहाँ टिका न कोई प्राणी
       जंगल के राजा की भी
तुमने अकल ठिकाने लगाई।
      हे चूहे मूषकराज  तुम्हें नमन।। 
    
 साहित्य धर्मी बने मूषक
      रचते रचना अब तुम पर 
           जहाँ पहुंच ना पाए रवि कवि 
वहाँ पहुँचे लिए कलम की धार! बस एक मंदिर राजस्थान में बसे अनुपम् 
      हे चूहे मूषक राज तुम्हें नमन।। 

पैंतीस रोगों के वाहक बन रोगों के संवाहक
     कभी पिस्सू कभी कोरोना के वाहक
      तुम पर विज्ञान ने कर डाले
     ना जाने कितने अनुसंधान
             हे मूषक राज गणेश के वाहन तुम्हें नमन।।

    नित बढते दांत तुम्हारे 
तुम खुद ही उन्हे कुतरते - - - इंसानों को सिखलाते 
अपनी कुप्रवृत्तियों को खुद ही फेकों निकाल कहते
धरती धरणी के वरद पुत्र
     मूषक राज तुम्हें नमन।। 

वाह अद्भुत कितनी प्यारी
     ये तन ये छवि अठवारी
          दुबरे-पतरे से तन में 
रचना की शक्ति न्यारी 
    है तीन लोक पर तुमरी
पाताल तलक पहुंचा दे
    रचना सुरंग की थारी
    हे मूषक चूहे राज तुम्हें नमन।।
        
           भेजा गया अंतरिक्ष में तुम्हें वैज्ञानिक संग संग में
अमूल्य ध्राण क्षमता के स्वामी
धरती धरणी के वरद पुत्र 
हे चूहे मूषकराज तुम्हें नमन।।
- हेमलता मिश्र "मानवी" 
नागपुर - महाराष्ट्र
‌चूहा
*****

मूषक राजा मूषक राजा
क्यूं करते हो ऐसे
काम
जीर्ण-शीर्ण कर यादें
हमारी
मूंछों पर देते हो ताव

विघ्न हरण मंगल करण को
बैठा सम्मान से लाते
करणी माता के घर पर
काबा तुम कहलाते 

कर्ण तुम्हारे छोटे छोटे
रंग मला ज्यूं लाल
गणपति संग तुम्हारा
भी करते हम आहृवान

मोदक से तुम रीझ
 जाते
गोल गोल सा घर हो
बनाते
ले जाकर हमारा जरूरी सामान
अपने घर को तुम हो सजाते

आज कलम जो लेकर बैठी
आगे से तुम  गुज़रे
शब्द कलम ने ऐसे
उकेरे
लगने लगे अपने से
- ज्योति वधवा"रंजना"
राजस्थान - बीकानेर
           चूहा                   
*****        
चूहा तुम हो बड़े भाग्यवान,
विघ्न विनाशक ने अपनाया तुमको।
 स्वयं के साथ-साथ चूहा,
 वाहन रूप में सम्मान दिलाया तुझको।
     फिरता था तू इधर उधर
    सब चीजों को देता था कुतर।
 कभी कपड़े, कभी फल,और कभी मीठा,
कर देता था तू अधम जीव हर चीज को जूठा।
सारा दिन घुसा रहता है तू बिल में, 
  पर रात में आकर है धूम मचाता।
  अपने पैने दांतों से तू चूहा,
   हर चीज कुतर कर रख जाता।
खेत की जमीन तू पोली करता चूहा,
      यह तो अच्छी बात है पर ।
  जो तू घर में आकर पोल बनाता चूहा,
        वह बड़ी बेकार बात है।
   गणपति का मानो आभार चूहा,
  जिनने जीवन तुम को बख्श दिया।
 वरना गजमुख असुर महाराज तुम्हारी,
 गणपति के टूटे दांत से ही हो जाती क्रिया।
 हर महीने,हर चौथ और हर बुधवार को"सक्षम",
 हर शुभ काम और हर त्यौहार को  भी "सक्षम"।
 विघ्न विनाशक का वाहन बनने से,
किस्मत तुम्हारी खुल जाती है चूहा,
 और अष्टविनायक के साथ-साथ,
तुम्हारी भी पूजा हो जाती है "चूहा"।
- श्रीमती गायत्री ठाकुर "सक्षम"
 नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
 चूहा 
*****

श्राप से पीड़ीत असुर क्रोच
    चूहे का ले रुप
 शरण गणपति के आया
 प्राणों की भिक्षा ले उसने
दुखड़ा अपना सुनाया !

मुनि पराशर की कुटिया कुतर
  छुपा हुआ हूं इस बिल में
 मुझे बचा लो तुम उससे
घमंड में बोला गजसुर
   जो मांगोगे दूंगा मैं !

बैठे पीठ पर गणपति उसके
उदण्ड चूहे को सबक सीखाने
  वाहन अपना उसे बनाके
  लगे विवेक का पाठ पढ़ाने !

गजानंद का बोझ था भारी
मूषक बोला सुनो मेरे भाई
उठा न पाऊंगा मैं सवारी
जान पे मेरे है बन आई !

निकल पड़ी मूषक की सवारी
  गणपति के कृपादान से
भक्त बन गये मूषक राज शिरी
  बैठ शरण गणपति जी के !

गजानंद की शरण पाकर
  बना गणेश भक्त गजसुर
चूहा बन कितनी भी कुतरन काटे
 अभयदान गणपति उसको है बांटे !

भक्ति देख चूहे की गणपति ने
  लिया मित्रता का रंग
गणेश चतुर्थी में इसीलिए
  है पूजा जाता उनके संग !

गणेश चतुर्थी को मोदक बनते
गजानन को लगे अति प्यारे
खाये मोदक दोनो भरभर
गजानंद संग मित्र चूहे प्यारे !
- चंद्रिका व्यास
 मुंबई - महाराष्ट्र
चूहा
*****

करणी माता के मंदिर में
                  रहते चूहा अनेक।
स्वच्छंद विचरण करते है
                 आया उसको देख।।
धर्म ग्रंथ में चूहा की
                कथा कहते है लोग।
गणपती जी की यह सवारी
                 लड्डू करते भोग।।
चूहा प्राणी शाकाहारी
        खाते गेंहूं चना और ज्वार।
भांती भांती प्रजाती के चूहे
            मिलते है यह संसार।।
चूहा अक्सर डरा करता है
          मुझको देखे ना बिल्ली।
कलकत्ता मुंबई पानीपत
            चाहे रहे वह दिल्ली।।

- गोवर्धन लाल बघेल
 महासमुंद - छत्तीसगढ़

        चुहा        
****
 
चूहा आया फुदक-फुदक के 
चूहा बोले चहुँ चहुँ 
यहाँ आता वहाँ जाता 
कपड़े कुतर कर जाता 
लड्डू का यह भोग लगाता
सवारी गजानंद कि कहलाता 
छोटा-सा है आकर 
काम बढें कर जाता 
नाम बढें है इसके 
मूषक भी कहलाता 
घूमे यह रसोई घर में 
खाने को भी खा जाता 
कोई न खाएं झूठन इसकी 
बढें बढें बिल बनाता 
जिसमें यह रहने जाता
- कमलेश कुमार राठौर

 
              वाहन गणपति जी का          
              ****************            
मूषक बनाम चूहा वाहन गणपति का
प्यारा छोटा सा सुंदर सलोने कद का।

छोटे से जीव को क्यों बनाये वाहन, 
कई प्रचलित किवदंतियां मूषक का। 

बुद्धि व बल का अधिष्ठाता गणपति।
तर्क-वितर्क में न सानी कोई उनका।

मूषक भी तर्क वितर्क में आगे होता,
हर वस्तु को काट छांट के रख देता।

गुण देख मूषक को बनाये वो वाहन,
प्राण बचाने हेतु की जब आराधना।

कई प्रचलित कथाएं पुराण में वर्णित,
मूषक का प्राण बचा दिये वर गजानन।

श्रद्धा से मानते मूषक वाहन गजानन,
श्रद्धा भाव से करते पूजा और मनन।

घर में घुसे जब करे कुतर कर तबाही, 
पिंजरे में पकड़ दूर भगाने का प्रयत्न।
                    - सुनीता रानी राठौर
                 ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
चूहा
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चूहे के भिन्न भिन्न रूप हैं भाई 
छुप जाता जब आये कठिनाई  

     दिनों में अन्न चटम कर जाता 
      कभी न हमारे हाथ यह आता

कभी कुतर जाता जरूरी कागजात 
लाख करें कोशिश ना आता हाथ 

         बच्चे देख कर इसे खुश होते 
      ओ-ओ-ही-ही पकड़ो शोर मचाते

   बिल्ली मौसी इस की दुश्मन 
खाने को ताक लगाती भोली बन

        सीधा सादा डरपोक चूहा 
     बाहर न निकले जान हयूआ 

श्री गणेश के साथ पूजें जाते
इस के आगे शीश झुकाए जाते
    
       देते सभी इस को मान
       गणेश जी का यह वाहन ।
- कैलाश ठाकुर 
नंगल टाउनशिप - पंजाब
चूहा बना मिनिस्टर 
************

चुनाव जीतकर चुहिस्तान का , 
एक चूहा बना मिनिस्टर ।
बिल्ली - विल्ली से ना डरना अब ,
बोला भाषण में गरजकर ।

सभी चूहों ने खुशी के मारे , 
चूं - चूं  कर तालियां बजायी ।
तभी अचानक कबरी बिल्ली 
चूहों की सभा मे घुस आयी ।

इधर - उधर हो गये सब चूहे , भागे अपनी जान बचाकर ।
कबरी बिल्ली ने झपटा ऐसा मारा
बेचारा पकड़ा गया मिनिस्टर ।
- डॉ. जयप्रकाश नागला 
       नांदेड़ - महाराष्ट्र 
चूहा
****

श्रीगणेश के वाहन मूसक
कहलाते हो चूहा तुम
कभी कभी तुम राक्षस लगते
कभी कभी मसीहा तुम
कभी कुतर जाते हो सब 
ज़रूरी क़ागज़ात 
कभी नहीं आते हो तुम 
किसी मनुज के हाथ
सब पूजे तुमको मान 
प्रथम पूज्य का वाहन
और श्री गणेश के साथ करें 
तुम्हारा भी आह्वान
   -  कु.गीता रामकृष्ण तिवारी
      नागपुर - महाराष्ट्र
एक चूहा अलबेला 
**************

किसी देश के किसी प्रान्त में 
किसी नगर के अन्न क्षेत्र में 
इक चूहा था रहता 
खाने पीने में निर्लज था 
खाकर सोता ओ सोकर उठता था 
धीरे धीरे छुप छुप कर उसका आना जाना था 
दबे पांव से चल कर जाना बिन आहट के 
माल मिले जो भी खुला, सब चट्ट कर जाता था 
एक रोज़ सब चूहों ने मीटिंग एक बुलाई 
डरते डरते कातर स्वर में विपदा सबे सुनाई      
     विपदा सुन के सब के सब की सिट्टी पिट्टी गुम
घबराहट में अनेकों की तो हुई बोलती बंद 
तब अलबेला चूहा बोला डरते हो काहे को  
बात सुनो सब कान लगा के जो कहते है हम 
बिल्लो रानी के डर से हम, जीना कैसे छोड़े 
बो अकेली हम सहस्त्र हैं मिल कर, रस्ता खोजें 
चिंता छोड़ें अकल भिडायें , गणपति बप्पा के गुण गायें 
सोच सोच के जब सब हारे, अलबेला को लागे पुकारे 
बोले भैया हम सब हारे, अब तो तुम ही पार उतारे 
अलबेला ने मुस्की मारी, जेब से एक पुडिया निकारी 
खुसुर पुसुर सब प्लान बताया, सुनते सुनते हर कोई हर्षाया 
एक कटोरा दूध का लाये, बड़े जतन से पुड़ी मिलाये 
छुप गए सारे झट से बिल में, बिल्लो आई मस्त चाल से 
देख कटोरा अति हर्षाई, गट गट दूध पी गई 
पीते पीते वही लोट गई,  देख नजारा मनमाफिक तब 
अलबेला ने झटपट घुंगरू उसके पग में दीजे बाँध 
संकट की अग्रिम आहट के किये सुगढ़ प्रब धान   
-  डॉ अरुण कुमार शास्त्री 
 दिल्ली 
   चूहा आया
      *********

चूहा आया चूहा आया,
अलमारी में चूहा आया।
पकड़ो जल्दी चूहा आया,
हाय मां मर गई चूहा आया।।

 उछल कूद उत्पात मचाया,
 शीला डर गई चूहा आया।
 शोर मचाती - "चूहा  आया,
 पकड़ो जल्दी दिल घबराया"।

अलमारी में घुस गया चूहा,
कपड़े कुतर गया है चूहा।
काला चूहा मोटा चूहा,
मुझे डराता है वह चूहा।।

चीं-चीं करता शोर मचाता,
पकड़ न कोई उसको पाता।
दौड़ लगाता झट छुप जाता,
मौका पाकर फिर आ जाता।

आँख दिखाता मूछ हिलाता
 पूंछ उठाता दौड़ लगाता ।
खुद भी डरता मुझे डराता,
तीखे चमचम दांत दिखाता।।
 
अलमारी में देखो चूहा,
काला चूहा मोटा चूहा ।
पकड़ो जल्दी काला चूहा,
मुझे डराता है यह चूहा।।
                 - विनोद कश्यप
                 चण्डीगढ़
              चूहा
            *****            
 कहने को तो चूहा होता
 पर घर भर में हड़कंप मचा देता 
लगता वह आ गया करो तैयारी 
पर इसके आने से होती घर में हलचल
 ऐसे ही गजानंद का
 यह है मूषक सवारी करता
 है यह भू लोक से पृथ्वी लोक तक की
 घूमने की प्रचंड तैयारी 
गजानंद का वाहन कहलाता
 इसीलिए इसको सब पूजे
 देशनोक में तक इसकी पूजा होती
 मूषक है सबसे मतवाला
 भूरी भूरी मूछों वाला
 इधर-उधर फुदकता
घर भर में आता खाता 
 और मस्त मौला होकर रहता 
यह है चूहा 
यह है चूहा 
- दीपा परिहार 'दीप्ति'
 जोधपुर - राजस्थान

         चूहा
       ****
रात घनेरी छाई थी,
मैं नींद के आगोश में समाई थी।

गटर -पटर की आई ध्वनि,
मन में जागे कई सवाल।

भागी दोड़ी गई रसोई,
दिखा वहां फिर नन्हा जीव।

वह मुझे घुरे मैं उसे,
वह शर्माता,मैं अकड़ती।

नज़रे हमारी दो चार हुई,
फिर वह मुस्काता मैं शर्माती।

जब तक करती प्रेम निवेदन,
झटपट भागा जाने कहां?

हाय ,यह कैसी लीला,
आधी रात यह कैसा सिलसिला।

बहुत मिले फिर उसके बाद,
लेकिन उस "चूहे" सा न  कोई।

हाय मेरे"चूहे" तुम गये कहां?
बस आ जाओ न तुम यहां।
        - सुधा कर्ण
        रांची - झारखंड
चूहा
****

आओ आओ जी गजानन महाराज ,
मूसे पर चढ़के ,
बार -बार विनती करते ,
पावँ पकड़ के ।

सबसे पहले गजानन जी
आओ आप पधारो ,
विघ्नहर्ता मंगलकर्ता,
कारज सफल बनाओ ।

आओ आओ जी गजानन महाराज...

शिव शंकर के राजदुलारे ,
पार्वती के प्यारे ,
पान फूल की शोभा न्यारी ,
लड्डूवन भोग लगाते ।

आओ आओ जी गजानन महाराज...

सूंड की शोभा प्यारी गजानन ,
चूहे की असवारी ,
जल्दी आवो मंगल गावां ,
गजानन बलकारी ,

आओ आओ जी गजानन महाराज...

शीश पे सोने का छत्र विराजे,
मोतियन शोभा प्यारी ,
भाल तिलक सिंदूर विराजे ,
महिमा बड़ी निराली ।

आओ आओ जी गजानन महाराज...

रिद्धि सिद्धि के दाता गणपति ,
शुभ लाभ प्रदाता ,
मंगल काम मे पहले सुमिरन ,
कारज सिद्ध बनाता ।

आओ आओ जी गजानन महाराज...
- सीता देवी राठी
कूचबिहार - पश्चिम बंगाल
चूहा
****

चुँचूँ करता घूम रहा है 
देखो घर में कैसे ।
कभी कुतुरता कपड़ों को तो
कभी अन्न के दाने ।।

जब भी आहट पाता तो ये
झट बिल में झुप जाता ।
मौका पाकर बिल से बाहर 
झटपट- झटपट आता ।।

बिल्ली से ये दूर भागता
उसको खूब छकाता ।
फुर्तीला इतना ये समझो
पकड़ कभी न आता ।।

गणपति जी का वाहन है ये
उनका बड़ा दुलारा ।
सदा युद्ध में जीत दिलाता
सुंदर प्यारा न्यारा ।।

काले भूरे श्वेत रंग के 
चूहे पाए जाते ।
दंत कटीले और नुकीले
पूछ सदा लहराते ।।
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश
चूहा
****

चूहा राज दुनिया में फिर आया... 
वाहन तुम गणपति के.... 
विघ्नहर्ता ने चुना आपको 
लेकिन 
शायद अब आपने नव रूप है 
पाया.... 
सुबह शाम.... आपके ही साथ... 
आपकी पीठ पर युवाओं का हाथ.... 
सारी गणना आपके साथ.... 
हे मूषक राज.... 
चलते हो कितना तेज.... 
सारी दुनिया को अपना कायल है 
बनाया... 
माउस.... 
पर फिर  दुनिया ने विश्वास 
जताया..... 
तुम्हारे अवतार पर हम ने 
सदा मस्तक झुकाया.... 
ओ चूहे राजा..... अब तुम्हारा 
है जमाना....
 फिर से आपने बिगड़ी को बनाने का भार है सम्हाला.... 
- पूजा नबीरा
नागपुर - महाराष्ट्र
चूहा बनाम मानव
*************

खोजा जो मानव मन का कोना। 
पाया चूहे से भी ज्यादा मानव बौना।। 
सफेद-काले-भूरे रंगों में चूहा लगे सुन्दर। 
रंग बदलता मानव झांके ना अपने अन्दर।। 
चूहा अपने कटीले दांतों से रक्षा करें स्वयं की। 
मानव दंत सदा करें लालसा स्वार्थपूर्ति की।। 
स्वाभाविक प्रवृत्ति उसकी कुतरे पत्रों को। 
सोच-समझकर मानव पहुंचाए हानि ग्रंथों को।। 
जड़ जमीं की खोदकर घर अपना बनाये चूहा। 
जड़ अपनों की खोदकर मानव सदा प्रसन्न हुआ।। 
मर जाये जो चूहा तब बीमारी फैलाए। 
कुटिल मनुष्य जीवित ही कड़वाहट दे जाए।। 
चूहा अपने भाग से वाहन गणेश जी का हुआ। 
मनुष्य योनि पाकर भी मनुष्य मानव ना हुआ।। 
गणेश जी के प्रताप से चूहा नाम मूषक पाए। 
बन सवारी गणेश जी की जीवन सफल कहलाए।। 
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड 
    चूहा     
****

हु मैं एक चूहा
      कह लाता हूं मूषक
समझो ना मुझे
  प्राणी छोटा
        लगता हूं छोटा
          पर हर ता हूं
           कष्ट सबका
चुपचाप
   कह डालो
      समस्या अपनी
        छोटे-छोटे मेरे
    ‌‌     अद्भुत कानों में
संदेश पहुंचाऊंगा
सीधे कष्ट निवारक
  सिद्धिविनायक
       विघ्नहर्ता
       फलदायी
       गणपति बप्पा मोरिया
      गणपति बप्पा मोरिया
      गणपति बप्पा मोरिया भाई मोरिया
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
 चूहा
****

मूषक है गणपति का वाहन
बड़े चाव से पीठ पर उसकी
करे सवारी है गजानन । ।
मीठे में लड्डू है खाता
गणपति के मन को है भाता
घुमे दौडे अन्दर बाहर घर आँगन । ।
छोटे छोटे दाँत नुकीले
तेजधार और चमकीले
कुतर कुतर कर उनसे खाता
सब कुछ है चट कर जाता ॥
जब मै देखुं दबे पाँव से
दौड़ लगाता आनन फानन
मूषक गणपति का वाहन
करें सवारी है गजानन ॥
- नीमा शर्मा 'हँसमुख ' 
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
चूहा
****

चूहा ए जीव है न्यारा
कुछ हमको सिखलाता है। 
भोजन को तुम ढक के रक्खो, 
ज्ञान हमे बतलाता है।। 
साफ सफाई अगर रखोगे
बीमारी ना आयेगी
जीवन सुकूं से बीतेगा फिर
ख़ुशहाली फिर आयेगी
श्री गणेश का वाहन चूहा
भक्ति भाव सिखलाता है। 
चूहा एक जीव है न्यारा..... 
धीरे धीरे खोद के बिल को
घर अपना बनाता है
प्रयास किया तो सफल तुम होगे
गहरी बात सिखाता है 
चूहा भी एक जीव ईश का
यही हमको बतलाता है। 
चूहा एक जीव है न्यारा..... 
- डॉ असीम आनंद
आगरा - उत्तर प्रदेश

 गणेश जी का वाहन
**************

कृंतक प्राणी कहलाते हैं, कुतर जाते चीज हमारी,
कभी अन्न,पेड़ कुतरता, कभी कुतरे किताब हमारी,
अजीब प्राणी धरती का, कहती है दुनिया यह सारी,
गणेश का प्रिय वाहन, करते हैं बस इसकी सवारी।

बुद्धि, विद्या के दाता कहलाते, दुश्मनों का करे संहार,
मूषक भी फुर्तीला होता, वस्तुओं का करे काम तमाम,
क्यों करते गणेश चूहे की सवारी,दो कथाएं ये समझाएं,
कैसे चूहा वाहन बना गणेश का, आओ आज बतलाएं।

गजमुखासुर राक्षस ने कभी, देवों को, कर दिया परेशान,
देवता गणेश के पास पहुंचे, फिर राक्षस से युद्ध घमासान,
दांत टूट गया गणेश का,टूटे दांत से गणेश ने किया प्रहार,
राक्षस, चूहा बनकर डर से भागा,गणेश समक्ष मान ली हार।

गणेश ने पकड़ा राक्षस को, बना लिया अपना सुंदर वाहन,
दूसरी कथा बतलाती है, क्रौंच नामक गंधर्व था सभा देवाय ,
अप्सराओं से वो करता ठिठोली, इंद्र ने क्रोध में चूहा बनाय,
क्रोध में आया था तब इंद्र, क्रौंच को दिया मूषक ही बनाय।

मूषक पहुंचा पाराशर ऋषि के, अन्न, कपड़े दिये काट सारे,
वाटिका उजाड़ी, ग्रंथ कुतरे, परेशान कर डाले थे ऋषि हमारे,
शरण ली तब ऋषि ने गणेश की, फेंका गणेश ने निज पाश,
बेहोश हुआ मूषक गणेश पाश से, डाला  उसे हाथी के पास।

जब होश में चूहा आया, पूजा करने लगा वो गणेश जी की,
स्तुति की गणेश ने उसकी, दे दिया मूषक को एक वरदान,
मूषक ने अपनी इच्छा से, गणेश वाहन बनना लिया मान,
तब से मूषक ही गणेश जी का है, वाहन से होती पहचान।

बिल्ली मौसी से डरता है, उत्पाती जहान में मूषक निराला,
नहीं मानता किसी हाल में,  प्लेग फैलाये, कर देता काला,
कुतर कुतर लाखों का करे नुकसान,ऐसा होता मूषक हमारा,
शान की सवारी गणेश की, सुनो कहानी यह है फर्ज हमारा। 
- होशियार सिंह यादव
 महेंद्रगढ़ - हरियाणा
चूहे की चाल 
*********

सुनों - सुनों  चूहे  महाराज,
एक सवाल हमारा।
बिल्ली मौसी क्यों करती है,
सिर्फ़ शिकार तुम्हारा?
बोले    चूहे     रैटूमल    जी,
अपना  बैर  पुराना।
खाती  फिरती  दूध  मलाई,
नहीं कोई ठिकाना।
मौसी - मौसी,  कहते-कहते,
थके  न मुंह  हमारा।
घात   लगाए   बैठी   रहती,
कैसे करें गुजारा।
एक  बार   चूहे   जी  लाए,
मार्केट से घंटी।
प्यार‌ से  बांधी  गले  उसके,
मारी उसके चंटी।
भूल गयी बिल्ली मौसी अब,
उनके बिल तक जाना।
चूहे  जी  सुन  घंटी  की धुन,
गाए नया तराना।
समझ चाल बिल्ली मौसी भी,
मन ही मन पछताई।
तगड़ी   होकर  भी   चूहे   से,
खूब  मुंह  की खाई।
- गोविन्द भारद्वाज
अजमेर - राजस्थान
 चूहा
****

देखो आज चूहे जी ने कर दी है हड़ताल।
मांग उनकी है,  हो सी.बी. आई.से पड़ताल।।
हमने पूछा क्या हुआ जो हो इतने गमगीन
किसने तुमको कष्ट दिया है, जुर्म हुआ क्या संगीन।।
बोले मूषकराज, तुम क्या जानो, क्या है हालात।
हमारे पेट पर मानव अब, मारने लगा है लात।।
हम तो अपनी क्षुधा मिटाने कुतरते है कुछ खास
ये मानव तो कुतर गया है बड़े-बड़े अहसास।।
हमें बना दिया इसने बस कायरता का पर्याय।
इससे बड़ा न कायर कोई, छिप वार कर जाए।
जाति हमारी में बस है तीन रंगों की शान।
श्वेत श्याम भूरे से है, बस हमारी पहचान।।
लेकिन इसकी जात को देखो, पल-पल बदले रूप।
खुद ही बन जाता है देखो,अपनो से यह धूर्त।।
तन से हूँ छोटा चाहे, दिल का नहीं मैं छोटा।
नहीं तो गणपति का वाहन दूजा कोई होता।
यह सब कहते कहते उसकी आंखें है भर आई।
झर-झर नीर बहे नैनन से, देने लगा दुहाई।
अदने से इस जीव ने कितना भारी बीड़ा उठाया
देने मानव को चुनौती, न्याय का द्वार खटखटाया।।
देने पटखनी मानव तुझको,मूषकराज है आया।
बदल लें अब भी चालें अपनी, गजानन ने फरमाया।।
वरना भुगतने पड़ सकते हैं बड़े गम्भीर परिणाम।
अस्तित्व तेरा खतरे में मानव, बचा ले अपने प्राण।।
- सीमा मोंगा
रोहिणी -  दिल्ली
चूहा
****

खामोशी से राह बना कर,
मीलों का सफर तय कर लेते हो।
भूपथगामनी से द्रुत गति तुम्हारी,
क्षण में सारी सृष्टि नाप लेते हो।
कंकरा आंखें  और दूरदृष्टि,
लक्ष्य अपना साध लेते हो।
श्रम के सुवास माटी के ढ़ेर पर,
पहाड़ों का गुरूर क्षण में तोड़ देते हो।
चूहा क्यों है विशेष, विशिष्ट,
कार्यों से अपने सबको बता ही देते हो।।
     - श्रीमती रजनी शर्मा
रायपुर - छत्तीसगढ़
चूहे जी
******
घरों में चलता प्राय चूहे जी का राज है
उछल कूद करने में ये सबके सरताज हैं
कुतर कुतर कर सब चीजों को करते बहाल है
जिधर भी देखो घर में चलता इनका राज है

गणेशजी के प्रिय सवारी ये मूषकमहाराज हैं
चलते हैं उछल कूद कर ये तो सबसे महान हैं
हर किसी  के घर में रहते ना रखते भेदभाव है
बेखौफ होकर रातों को करते बहुत नुकसान है

बस बिल्लीमौसी की बोली से डरती है इनकी टोली
बिल्लीमौसी के आते ही उठखेलियाॅं इनकी कम होती
रहते हैं मिलजुलकर ये सब काम है इनका करना चोरी
नहीं कभी हाथ ये आते चाहे  कुछ भी हो होनी
 - शिवानी गुप्ता
 हरिद्वार - उत्तराखंड
    चूहा    
****

मूषक गुण , भक्ति देख,
           प्रसन्न  है गजानन ।
तर्क, वितर्क व श्रद्धा ,
      भाव से बनाया वाहन ।
मूषक राजा  बड़े भाग्यवान ,
           विघ्न विनाशक ने दिया 
   चरणों में सम्मान ।
उछले, कूदे ,दौड़ लगाए ,
                  हर घर आंगन।
 बने भाग्यवान करे सवारी,
                  जिनकी गजानन।
  पूजन में सर्वप्रथम  वंदन करें ,         
                हम सब     गजानन ।
   लड्डू के संग फल  भी प्यारे,
            कै थ , फल और जामन।    
         मूषक गुण  देख ,
                    प्रश्न    है  गजानन।    
          तर्क ,वितर्क व श्रद्धा,
                भाव से बनाया वाहन।
 - रंजना हरित 
बिजनौर - उत्तर प्रदेश

 चूहा
***

श्री गणेश की है सवारी चूहा मूषक राजा जी।
फुदक -फुदक कर पूरे घर में
 नाच रहे हैं मूषक जी।
जो भी चीज बड़ी होती है करते हैं मनमाना जी।
बड़े-बड़े कागज को कुतरे दांत नुकीले होते जी।
एक बार गजमुख सुर ने देवताओं पर वार किया।
हार मान कर सारे देवता शिव जी का दरबार किया।
शिव जी ने गणपति बाबा   को आज्ञा दी घुस-पैठ   करो।
स्वर्ग लोक को ध्वस्त कर रहा गजमुख सुर को दूर करो।
गणपति जी ने मुक्ति दिलाने   का विश्वास दिलाया     सबको।
तब गणेश और गजमुख सुर ने युद्ध भयंकर दिखलाया सबको।

उस युद्ध भयंकर में तो गणपति का एक दांत टूट गया।
तब क्रोधित होकर गणेश ने  उसी    दंत से प्रहार किया।
घबराकर दैत्य चूहा बन भागा, लेकिन गणपति ने उसे   पकड़ लिया।
और उसी के ऊपर बैठे
अपना वाहन बना लिया।
मृत्यु भय से भाग- भाग कर, क्षमा मांगने लगा दैत्य सुर।
तब गणेश ने मूषक रूप में ही बना लिया वाहन दैत्या सुर।

इस प्रकार से गणेश जी की बनी सवारी मूषक जी।
श्री गणेश की है सवारी चूहा मूषक राजा जी।।
अन्नपूर्णा मालवीय सुभाषिनी 
  प्रयागराज - उत्तर प्रदेश

               चूहा               
*****
भिन्न-भिन्न नामों से पुकारा जाता 
विभिन्न   है  इसके   नाम
कुत्तर-कुत्तर सब नष्ट करता
कुत्तरना है इसका काम ।

जाड़े में सब कपड़ा कुतरता 
बनाता निज बच्चों का धाम 
लकड़ी,दीवारें कुत्तर-कुत्तर कर
सापों का बनाता पथ आसान ।

चूहों को भीतर न मारिए 
यह फैलाए बहु व्याधियाँ 
प्लेग   ,वायरल बुखार आदि
35   से  अधिक बीमारियाँ ।

पालतु चूहे  सामाजिक बनते 
बुलाने  पर  दौड़े  आते हैं 
फौज मे सीखे चूहे देखो 
धरती भीतर बमों का पता लगाते हैं।

भारत के कई राज्यों में
अध्यात्म तौर से पाले जाते हैं 
कह कर गणेश की सवारी 
मन्दिरों में पूजे जाते हैं ।
- ललिता कश्यप सायर 
 बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश


Comments

  1. गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर जैमिनी अकादमी, पानीपत द्वारा आनलाइन कवि सम्मेलन के आयोजन एवं कवियों को "कवि-रत्न सम्मान - 2020 से सम्मानित करने के लिए आदरणीय बिजेन्द्र जैमिनी जी-संचालक व सम्पादक महोदय एवं अकादमी के सभी पदाधिकारियों का शुभकामनाओं सहित हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ ।
    सतेन्द्र शर्मा 'तरंग', देहरादून ।

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  2. श्री गणेश जय श्री गणेश
    गणेश चतुर्थी के पावन अवसर प्रिय बिजेंद्र जैमिनी द्वारा व् संपादन सञ्चालन में जैमिनी अकादमी, पानीपत द्वारा whatsapp आनलाइन कवि सम्मेलन के आयोजन सम्माननीय कवियों को "कवि-रत्न सम्मान - 2020 से सुशोभित करने के लिए आप श्री महोदय एवं अकादमी के सभी पदाधिकारियों व् कर्मचारियों का हृदयतल से अभिवादन आभार ।
    डॉ अरुण कुमार शास्त्री ** एक अबोध बालक । अरुण अतृप्त २० सितम्बर २०२० समय १.४९ सायं

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